Monday 12 May 2014



कौन कहता है.., मुन्ना मोहन , मौन मुन्ना है... संजय बारू ने अपने किताब के बारूद से कहा ...,
मुन्ना मोहन दिन में सैकड़ों बार “सोनियाजी...सोनियाजी” कहते थे और सोनियाजी, रौब का खौफ दिखाकर कहती थी क्या है... “मनमोहन”..., मनमोहन इधर आओं...
देश के डोक्टर को को डॉग बनाकर टर्र (बोलने) की अनुमति न होने से..., अर्थ शास्त्री को चोली में छुपाकर..., व्यर्थ, अनर्थ शास्त्री बनाकर, देश का व्यस्त शास्त्री बताकर , अभ्यस्त कर ..., देश के विकास के पालनहार से विश्व के लुटेरे देशों से , गले में माला डलवाकर .., देशवासियों को माफियाओं के भ्रष्टाचार के बहार से, निर्माण से ...,घुसपैठीयो,अलगाववादी के गोंद से अपने गोद में बिठाकर .., “भारत निर्माण” के अफीमी नारों से लोकतंत्र के ,बेहोशी का खेल खेला जा रहा है...
कांग्रेस ने तो योजनाओं की झड़ी लहाकर इसे भ्रष्टाचार की झाड़ी बनाकर ..., , योजनाओं को भोजनाए बनाकर डकार गएँ ...,
कांग्रेस के युवराज व उपाध्यक्ष ..., भी कहते है.., १०० पैसे में ५ पैसे जनता तक पहुंचाते है..., हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा “ देश के गरीबों की योजनाओं” का १% धन ही जनता तक पहुंचता है

मुन्ना मोहन अब तुम्हारे, अच्छे दिन आने वाले हैं, 7 RCR के घोड़े से भ्रष्टाचार के देवी के 7 फेरे से भक्ती की मुक्ती से, 14 मई को विदाई समारोह ,16 मई को जुदाई के कलह का विरह
जागो देशवासियों हम राष्ट्रवाद की धारा मे आकर.., डूबते देश को बचायें ॥ सीमा पार दुश्मन भी चाह रहे है हम आपसी लड़ाई से कमजोर हो जाये ताकि हमे सफलता आसानी से प्राप्त हो...

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