नरेन्द्र मोदीजी अपनी
एक राष्ट्रवादी पार्टी बनाओ, क्योंकि आपकी पार्टी मे बहुत सारे केकडा राम है..??,
जो आपके पाँव खीचकर, आपको गिराने की कोशिश
करेंगे...???
बाबू जी...??? इनके
साथ सँभलकर चलना...??????, राह मे बडे धोखे है...??????,
सत्ता के इंतजार के
भावी प्रधानमंत्री लालकृष्ण अडवानी (WAITING LIST- PRIME MINISTER) के पीछे-पीछे स्वराज ऐक्सप्रेस, राजनाथ, जेटली, जोशी, शिवराज ऐक्सप्रेस
व छोटी- मोटी माल गाडिया भी है, जिनकी आपस मे और आपसे भी
टक्कर होने वाली है...????????
आपातकाल से बदनाम इंदिरा गाँधी, जो लगभग जीरो
(शून्य) होकर, भी, काँग्रेस (आई) बनाकर
प्रधानमंत्री बनी,लेकिन आप तो विकास के मसीहा हो... तो क्यो
नही,स्वय की पार्टी बना कर छद्म धर्मनिरपेक्ष वालो को सबक
सिका सकते हो ...???
कहते है सत्ता राम के बाद लक्ष्मण को मिलती है, लक्ष्मण (प्रमोद महाजन) के अंधविश्वास से राम (अटलबिहारी वाजपेयी) ने,
चुनाव समय से पहले करा दिया, था, देश के धन की खुराक से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को इंडिया चमक रहा (INDIA
IS SHINNING) का अहसाह दिख रहा रहा था, और लाल
कृष्ण अडवानी को एक विदेश यात्रा मे एक जगह अच्छा लग रहा है (FEEL GOOD
FACTOR) का बैनर दिखा तो उंन्होने इसे पार्टी का राष्टीय नारा बना
दिया . इसी सत्ता की उतावली मे भारतीय जनता पार्टी की पाँवों के नीचे से जमीन कब
खिसक गयी उसे भी पता नही चला...??? अब आइ यू.पी.ए-2 ,
के चुनाव की बारी के समय , तो लालकृष्ण अडवानी
,ने ताल ठोककर अपने को सत्ता के इंतजार का स्वंयभू भावी
प्रधानमंत्री घोषीत किया...??? , कहते है..??? जो मजा इंतजार मे है वह प्यार मे नही, और अब प्रश्न
यह है कि , कब तक वो सत्ता के प्यार मे इंतजार करेगें...????
जब चौधरी चरण सिंग (R.A.C. –RESERVATION CANCELLATION) - वाले प्रधानमंत्री नही बन सके..???, तो अडवानी सत्ता
के इंतजार का भावी प्रधानमंत्री (WAITING LIST PRIME MINISTER) कैसे बन सकते है..??? मनमोहन सिंग तो दूर की कौडी
वाला प्रधानमंत्री था, लेकिन लोकतंत्र की एक विंडवना है कि
यू.पी.ए.-1 मे, लोकसभा मे हारने वाले
...??? , यू कहे, बिना टिकट वाले
मनमोहन सिंग को प्रधानमंत्री का टिकट मिल गया., यू.पी.ए.-2
मे भी पिछले दरवाजे से घुसकर (राज्यसभा के कोटे से) प्रधानमंत्री बन
गये, हाँ जरूर ,इसके पहिले भी, देवगौडा व गुजराल जैसे प्रधानमंत्री, आपसी सत्ता के
लडाई के योद्धा की लडाई का फायदा उठाकर पिछले दरवाजे से घुसकर प्रधानमंत्री बन
गये. जिनके जीवन मे प्रधानमंत्री पद का असतित्व तो छोडो सपना भी नही था.
नरेन्द्र मोदीजी अपनी एक राष्ट्रवादी पार्टी बनाओ, क्योंकि आपकी पार्टी मे बहुत सारे केकडा राम है..??, जो आपके पाँव खीचकर, आपको गिराने की कोशिश करेंगे...???
बाबू जी...??? इनके साथ सँभलकर चलना...??????,
राह मे बडे धोखे है...??????,
सत्ता के इंतजार के भावी प्रधानमंत्री लालकृष्ण अडवानी (WAITING
LIST- PRIME MINISTER) के पीछे-पीछे स्वराज ऐक्सप्रेस, राजनाथ, जेटली, जोशी, शिवराज ऐक्सप्रेस व छोटी- मोटी माल गाडिया भी है, जिनकी
आपस मे और आपसे भी टक्कर होने वाली है...????????
आपातकाल से बदनाम इंदिरा गाँधी, जो लगभग जीरो
(शून्य) होकर, भी, काँग्रेस (आई) बनाकर
प्रधानमंत्री बनी,लेकिन आप तो विकास के मसीहा हो... तो क्यो
नही,स्वय की पार्टी बना कर छद्म धर्मनिरपेक्ष वालो को सबक
सिका सकते हो ...???
कहते है सत्ता राम के बाद लक्ष्मण को मिलती है, लक्ष्मण (प्रमोद महाजन) के अंधविश्वास से राम (अटलबिहारी वाजपेयी) ने,
चुनाव समय से पहले करा दिया, था, देश के धन की खुराक से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को इंडिया चमक रहा (INDIA
IS SHINNING) का अहसाह दिख रहा रहा था, और लाल
कृष्ण अडवानी को एक विदेश यात्रा मे एक जगह अच्छा लग रहा है (FEEL GOOD
FACTOR) का बैनर दिखा तो उंन्होने इसे पार्टी का राष्टीय नारा बना
दिया . इसी सत्ता की उतावली मे भारतीय जनता पार्टी की पाँवों के नीचे से जमीन कब
खिसक गयी उसे भी पता नही चला...??? अब आइ यू.पी.ए-2 ,
के चुनाव की बारी के समय , तो लालकृष्ण अडवानी
,ने ताल ठोककर अपने को सत्ता के इंतजार का स्वंयभू भावी
प्रधानमंत्री घोषीत किया...??? , कहते है..??? जो मजा इंतजार मे है वह प्यार मे नही, और अब प्रश्न
यह है कि , कब तक वो सत्ता के प्यार मे इंतजार करेगें...????
जब चौधरी चरण सिंग (R.A.C. –RESERVATION CANCELLATION) - वाले प्रधानमंत्री नही बन सके..???, तो अडवानी सत्ता
के इंतजार का भावी प्रधानमंत्री (WAITING LIST PRIME MINISTER) कैसे बन सकते है..??? मनमोहन सिंग तो दूर की कौडी
वाला प्रधानमंत्री था, लेकिन लोकतंत्र की एक विंडवना है कि
यू.पी.ए.-1 मे, लोकसभा मे हारने वाले
...??? , यू कहे, बिना टिकट वाले
मनमोहन सिंग को प्रधानमंत्री का टिकट मिल गया., यू.पी.ए.-2
मे भी पिछले दरवाजे से घुसकर (राज्यसभा के कोटे से) प्रधानमंत्री बन
गये, हाँ जरूर ,इसके पहिले भी, देवगौडा व गुजराल जैसे प्रधानमंत्री, आपसी सत्ता के
लडाई के योद्धा की लडाई का फायदा उठाकर पिछले दरवाजे से घुसकर प्रधानमंत्री बन
गये. जिनके जीवन मे प्रधानमंत्री पद का असतित्व तो छोडो सपना भी नही था.