Sunday, 31 May 2015

इतना ही नही.., इस देश के अतुल्य क्रांतीकारी का पूरा परिवार भारतमाता की बेड़ियां तोड़ने में, अपने को झोंक दिया था.., उनके बड़े भाई पंजाब के जेल व छोटे भाई अंडमान जेल में बंद थे.




१.   २८ मई को , इस महान क्रांतीकारी वीर सावरकरके जन्म दिवस पर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने TWITTER पर दो लाइनें लिख कर.., सत्ता के अपने एक साल के कार्यकाल की उपलब्धी को उपाधी के रूप में बताने के लिए , अपने कार्यकर्ताओं के ढोल से.., २ हजार सभाओं के बखान से, सत्ता के मोह में लीन हो गए.

२.   इस श्रेय से पार्टी के कार्यकर्ता से नेता अपने को नंबर एक में बनने की होड़ में दौड़ लगा रहें हैं 

३. वीर सावरकर के जन्म दिन पर, देशवासियों को ,वीर सावरकर के राष्ट्रवादी इतिहास से देश को जिन्दादिली से राष्ट्रवादी बिगुल फूकेंगे के अपनी कार्यकर्म में न शामिल कर देशवासियों को राष्ट्रवादी बल से, देश को उन्नत बनाने के जज्बे के स्वप्न को चकना चूर कर दिया

३.   याद रहे.., पूर्व प्रधानमंत्री, अटल तो वीर सावरकर की प्रतिभा के कायल थे.. बैसाखी की सरकार होने के बावजूद उन्हीने सांसद भवन में सावरकर का तेल चित्र लगवाया , लेकिन मोदीजी अब सावरकर की विचारधारा से ही सत्ता चला रहें हैं.., और उन्हें मामूली रूप से ट्विट कर सिर्फ एक खानापूर्ती कर रहें हैं..

४.    राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ, जो वीर सावरकर की विचार धारा से उदित होकर.., उन्नत हुआ. लेकिन सावरकर कभी इनके पिछलग्गू नहीं रहें, इस संस्था से उन्हें श्रेय नहीं मिलने , उनकी उपेक्षा के बावजूद, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की सोच का अफ़सोस..., वीर सावरकर के खून में, जीवन पर्यंत नहीं रहा.

५.    १० साल की कच्ची उम्र, देश की गुलामी से, सावरकर ने होश संभालने के बाद , उनका ध्येय तो राष्ट्र को गुलामी के बंधन से मुक्त कराने का जज्बा पैदा हुआ था.., और १६ साल की उम्र में,छत्रपति शिवाजी की तरह, उन्होंने अपने,गाँव के मंदिर में माँ भवानीसे प्रतिज्ञा ली थी.., “माँ मेरा जीवन तुझको अर्पण.., मैं तुम्हें गुलामी से मुक्त कराके ही रहूँगा 

६. राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघकी स्थापना के कार्यकाल के 90 साल बाद, संघ से मार्गदर्शन के बाद, नरेन्द्र मोदी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघकी कर्मठता से तपे हुए नेता के रूप में उदीयमान हुए थे.. और प्रधानमंत्री बने..., और हाल ही में, नरेन्द्र मोदी ने मथुरा में, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के गांव में एक विशाल रैली से देश को उनकी याद दिलाई..., लेकिन वीर सावरकर के देदिव्य्मान राष्ट्रवादी विचारोंन की उपेक्षा की .

७. और तो और, , “राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघने भी . इस महागुरू प्रणेता वीर सावरकर की जन्म तिथी को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की भी, सुध नहीं ली..
 
८. यों कहें.. वीर सावरकर के जन्म दिवस की बेला पर,वर्तमान सरकार ने वीर सावरकर को याद को एक मामूली ट्विट कर खाना पूर्ती की रस्म मनाई ...

९. इस महान बहुगुणी क्रांतीकारी , जय जय वीर ही नहीं, परमवीर सावरकर, जो, अपने प्रारंभिक जीवन में , देश के एक मामूली जुगनू से प्रतीत होते थे.., , जबकि उनके भारत माता के लिए अपने तप बल से, विश्व के क्रांतीकारीओं को जगा दिया..,और विश्व को भारत की गुलामी को अवगत ही नहीं कराया, बल्कि , गुलाम देशों को गुलामी की दास्ता से मुक्त होने का मंत्र दिया 


१०. आज तक की देश की सभी सरकारों ने उन्हें अपने पैरो तले रौद कर इतिहास को दबा कर..., देश में रौब से राज किया

११. आज तक हमें पढ़ाया जा रहा था कि हम बुजदिल कौम थे.., और हम हजार सालों से गुलाम थे.., और सत्य के प्रयोग व ब्रह्मचर्य के प्रयोग से अहिंसाके मंत्र से, “बिना खड़ग , बिना ढालसे, एक को महात्मा व दूसरे को चचा बनाकर, इतिहास में उनके छद्म खेल को.., उन्हें पुजारी की तरह उनके नामों का गाँव.शहर.नगर में लाखों जगह पर अलंकरण कर, आज भी उन्हें पुतला बना के ताली से, भ्रष्टाचार की थाली बनाकर पूजा जा रहा है.
 
१२. वीर सावरकरजी का जन्म तो भारतमाता को बेड़ियों से मुक्त करने के ध्येय से, अग्निपथ पर चलने के लिए ही हुआ था.., देश के लिये लड़ने पर वे कई बार काल के मुख में जाने के बाद भी, उनके चेहरे में शिकन तक नहीं थी 

१३. . उनकी इतनी अग्निपरीक्षा हुई, यदि लोहे की होती तो, पिघल जाता, मृत्यु पर्यंत उनकी चेहरे पर भारतमाता की सेवा करने व उनके नासिक के घर को जब्त करने, व सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद , नेहरू द्वारा घर पर नजरबन्द रखने के बावजूद कोई अफ़सोस नहीं किया ========================

१. यह कहा जाए कि आधुनिक भारतीय इतिहास में जिस महापुरुष के साथ सबसे अधिक अन्याय हुआ, वह सावरकर ही हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी

२. वीर सावर के निम्न गुणों में महारत थी.., जो चाणक्य में भी न थी. वीर सावरकर, वे प्रकांड विद्वान, कवि, लेखक, सभी धर्मों के ज्ञाता के साथ प्रख्यात इतिहासकार थे. उन्हें मराठी साहित्य का कालिदास भी कहा जाता है..

३. वीर सावरकर ::: एक महान विद्वान ,राजनयिक, , स्टेट्समैन राजनेता, तत्वचिंतक , क्रांतीकारक लेखक, नाटककार, महाकवि, सर्वोत्तम वक्ता, पत्रकार, धर्मशील, नीतीमान, पंडित, मुनि, इतिहास संशोधक, इतिहास निर्माता, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार, प्रवचनकार, अस्पर्शयता निवारक, शुद्धी कार्य के प्रणेता, समाज सुधारक, विज्ञान निष्ठा सिखाने वाले , भाषा शुद्धी करने वाले, लिपि सुधारक, संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व, बहुभाषिक हिंदुत्व संगठक, राष्ट्रीय कालदर्शन के प्रणेता, कथाकार, आचार्य, तत्व ज्ञानी, महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक, धर्म सुधारक विवेकशील नेता व हुतात्मा थे

४. आज स्वामी विवेकानंद के विचार धर्म परिवर्तनअर्थात राष्ट्र परिवर्तनका सन्देश देकर, वे युवकों में प्रसिद्द हो गए.., वीर सावरकर ने भी यही कहा और प्रत्यक्ष रूप से रणमें ऊतर कर, अन्य धर्मों में गए हिंदुओं का शूद्धीकरण से उन्हें सम्मानित किया

५. एकमेव वीर सावरकर, भारतमाता के परमवीर पुत्र जिन्होंने अपना 100% सम्पूर्ण जीवन, अपने ज्ञान व शक्ती के अपने राष्ट्रवादीविचारों से, सत्ता के मोह को त्यागकर भारतमाता को समर्पित कर दिया.

६. एकमेव वीर सावरकर जिन्होंने अपनी पूरी संपत्ती राष्ट्र को समर्पीत कर दी, मौत के पहिले उन्होंने कहा जो मरे पास नकद ५ हजार रूपये हैं.., वे अन्य धर्मों से हिंदु धर्म में आये हिन्दुओ के शुद्धीकरण में खर्च करना”.

७. इतना ही नही.., इस देश के अतुल्य क्रांतीकारी का पूरा परिवार भारतमाता की बेड़ियां तोड़ने में, अपने को झोंक दिया था.., उनके बड़े भाई पंजाब के जेल व छोटे भाई अंडमान जेल में बंद थे.

८. सावरकर की किर्ती का कितना भी बखान किया जाय कम है.., वे तो गुणों के खान थे ..., आधुनिक इतिहासकारों ने देश के गांधीवादी नेताओं के लुंज-पूंज जुगनूओं के चमक को, सूर्य की तरह महामंडित किया है...

९. जबकि सावरकर को दिन का जूगनू कह कर , अन्धेरा इतिहास लिखा है.., याद रहे इस (वीर सावरकर) जूगनू ने अंग्रेजों के न डूबने वाले सूरज के पसीने छूड़ा दिये थे

Friday, 29 May 2015

"सावरकर" शब्द के दम से ही..., “ब्रिटिश सरकार” को थर्रा देता था, १८५७ का क्रांतीकारियों का इतिहास जिसे “ग़दर/विद्रोह” के अंग्रेजों की संज्ञा को क्रांतीकारियों की आजादी के संघर्ष का इतिहास सिद्ध करने की पुस्तक लिखने पर , ब्रिटिश सरकार ने बिना पढ़े इस पर पावंदी लगा दी थी



१. जरूर पढ़े, जन्म दिवस की बेला पर वीर सावरकर को याद करें..., जय जय वीर ही नहीं, परमवीर सावरकर, देश का जुगनू , जिसने विश्व के क्रांतीकारीओं को जगा दिया ..आज तक की सभी सरकारों ने उन्हें अपने पैरो तले रौद कर इतिहास को दबा कर..., देश में रौब से राज किया
२. एक जुगनू , जिसकी चमक कोहिनूर हीरे के कहीं हजार गुना ज्यादा, जिसके सामने अंग्रेजों का न डूबने वाला सुरजी साम्राज्य का सूरज भी धुंधलाता था
३. "सावरकर" शब्द के दम से ही..., “ब्रिटिश सरकार” को थर्रा देता था, १८५७ का क्रांतीकारियों का इतिहास जिसे “ग़दर/विद्रोह” के  अंग्रेजों की संज्ञा को क्रांतीकारियों की आजादी के संघर्ष का इतिहास सिद्ध करने की पुस्तक लिखने पर , ब्रिटिश सरकार ने बिना पढ़े इस पर पावंदी लगा दी थी
४. सरदार भगतसिंग इस पुस्तक को पढ़कर, उनमें देश भक्ती की ज्वाला प्रदान की व उन्होंने इस पुस्तक का गुप्त रूप से प्रकाशित कर क्रांतीकारियों की धमनी में एक नये जोश का खून प्रदान किया
५. शत्रु के देश इंग्लैंड में ब्रिटिश सरकार को चुनौती देने वाले एक मात्र सावरकरजी ही
६. इंग्लैंड में दशहरा, व १८५७ की ५० वी जयन्ती का आयोजन करने वाले , एक मात्र वीर सावरकरजी
७. इंग्लैंड में सिक्खों का इतिहास लिखने वाले एक मात्र वीर सावरकरजी
८. भारत आने पर इंग्लैंड की महारानी की मृत्यु पर , कांग्रेस के मातम समारोह पर , कांग्रेस को लताड़कर कहने वाले, वे हमारी शोषित रानी थी..., उसमें मातम मना कर तुम अंग्रेजों के पिछलग्गू बन रहे हो.., आजादी ब्रिटिशों के तलुवे चाटने से नहीं मिलेगी
९. वीर सावरकर के ४० से ज्यादा भविष्य वाणीया आज सार्थक हुई है..., १९४२ में उन्होंने कहा था “यह भारत छोड़ो आन्दोलन, भारत तोड़ों आन्दोलन बनेगा”
१०. नेहरू को चेतावनी देने वाले वीर सावरकर ने १९५२ में ही कह दिया था , चीन हम पर आक्रमण करेगा, और आसाम में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्ला देश) नागरिकों की घुसपैठ से देश में शत्रुओं का निर्माण होगा...
११. गांधी व हिन्दुस्तानियों को चेतावनी दी, जाती प्रथा समाप्त नहीं की तो धर्म परिवर्तन के साथ आगे देश को बड़ा धोखा मिलेगा
१२. एक महान क्रांतीकारी के विचारधारा को हमारे इतिहासकारों ने देश को खंडित कर सत्ता परिवर्तन को आजादी कहने वाले के तलुवे चाटकर इतनी गहराई में दफ़न कर दिया कि यह सच्चाई ,जनता तक न पहुंचे...
१३. अब तो, मोदी सरकार तो उन्हें भारतरत्न के सम्मान को भूल चुकी है..., क्या...!!!, २६ फरवरी २०१६ को, उनकी ५०वी पुण्य तिथी को राष्ट्रीय प्रेरणा दिवस के रूप में मनायेगी....
१४. दुनिया ने वीर सावरकरजी को सत्कारा..
१५. हमारे इतिहासकारों ने, उन्हें दुत्कारा...
१६. पत्रकार, पुकारकार से पुत्रकार बनने के पहिले, देश के पतनकार बन गए,
१७. छोटी –छोटी सुविधा के लिए , अपने ईमान व देश के इतिहास बेचते गए
१८. मित्रों २६ फरवरी तक ५० से अधिक स्वयं निर्मित कार्टूनों की श्रदान्जली स्वरु
२. जाने सच्चाई...पूरा लेख पढ़ कर, वीर सावरकर, गांधी को कांग्रेस पार्टी द्वारा मंडित “महात्मा” के “छद्म रूप’ को नहीं मानते थे, वीर सावरकर तो राष्ट्र की आत्मा के साथ देश के गौरवशाली अतीत का शोध कर, भारतमाता के लुटे व अंग भक्ष किए देह में , हिंदुत्व की शान से भारत माता की अखण्डता से वैभवशाली कर , देश को गौरवशाली बनाने के ध्येय को पूरा करने के लिए सत्ता परिवर्तन (१९४७) से पूर्व ‘वीर शिवाजी” व बाद में अपने सिद्धांतों से अडिग रहकर “वीर महाराणा प्रताप” का जीवन से अपने जीवन को इच्छा मृत्यु से समाप्त किया
१८५७ के स्वतंत्र संग्राम को भापकर , इन्डियन कांग्रेस की नीव डालने वाले अंग्रेज ह्यूम ने देश के नेताओं को सेफ्टी बनाने का ताना – बाना बुनकर, कांग्रेसी नेताओं व मुस्लिम लीग को सत्तालोलुप बनाकर देश के टुकड़े कर, वे आज भी देश के मसीहा से अपने को कायदे आजम कहकर , आज भी पुतलों से दो देशों के पुलों के साथ दिलों को तोड़कर आज भी सुशोभित हैं
वीर सावरकर ने जीते-जी अंग्रेजों से ऐसा प्रतिशोध लिया कि लिया कि लेबर पार्टी की सरकार ने कहा “इंग्लैंड के सभी शत्रुओं में जो सर्वश्रेष्ठ हैं, वे एक सावरकर ही है...,इंग्लैंड एक भाग्यवान राष्ट्र है, जिसे सावरकर जैसे चारित्र्य , संपन्न, प्रखर राष्ट्रभक्त और कमाल का बुद्धिमान शत्रु मिला”
१ कांग्रेस ने १९४६ का निर्णायक चुनाव अखंड भारत के नाम पर लड़ा था बहुमत प्राप्त करने के बाद, उन्होंने पाकिस्तान के कुत्सित प्रस्ताव को मानकर हिंदू मतदादाओं के साथ निर्लज्जता पूर्वक विश्वासघात किया
१अ . वीर सावरकर ने उनकी भर्त्सना की कि जब उन्होंने निर्लज्ज होकर अपना सिद्धांत बदला है, और अब वे हिन्दुस्थान के विभाजन पर सहमत हो गये हैं, तो या तो वे अपने पदों से त्यागपत्र दें और स्पष्ट पाकिस्तान के मुद्दे पर पुन: चुनाव लड़ें या मातृभूमि के विभाजन के लिए “जन-मत” (प्लेबिसाइट) कराएं
२. कांग्रेसियों ने विभाजन क्यों स्वीकार किया? इसमें गांधी की अहम छद्म अहिंसा का मूल मंत्र था, कांग्रेसियों ने मुस्लिम लीग द्वारा भड़काए कृत्रिम दंगो से भयभीत होकर जिन्ना के सामने कायरता से घुटने टेक दिए .यदि दब्बूपन, आत्म-समर्पण, घबराहट और मक्खनबाजी के जगह वे मुस्लिम लीग के सामने अटूट दृढ़ता तथा अदम्य इच्छा शक्ति दिखाते, तो जिन्ना पाकिस्तान का विचार छोड़ देता.
लिआनार्ड मोस्ले के अनुसार पंडित नेहरु ने इमानदारी के साथ स्वीकार किया कि बुढापे ,दुर्बलता ,थकावट और निराशा के कारण उनमे विभाजन के कुत्सित प्रस्ताव का सामना करने के लिए एक नया संघर्ष छेड़ने का दम नहीं रह गया था.उन्होंने सुविधाजनक कुर्सीयों पर उच्च पद-परिचय के साथ जमे रहने का निश्चय किया. इस प्रकार राजनितिक-सत्ता, सम्मान और पद के लालच से आकर्षित विभाजन स्वीकार कर लिया.
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३. क्या दंगे रोकने का उपाय केवल विभाजन ही था...?, सरदार पटेल गांधीजी के पिंजरे में बंद एक शेर थे. उन्हें दंगाइयों के साथ “जैसे को तैसा ”घोषणा करने के लिए खुली छूट नहीं थी, इसलिए उन्होंने क्षुब्ध होकर कहा था, “ये दंगे भारत में कैंसर के सामान है. इन दंगो को सदा के लिए रोकने के लिए एक ही इलाज ‘विभाजन ’है”. यदि आज सरदार पटेल जीवित होती, तो वे देखते की दंगे विभाजन के बाद भी हो रहे है. क्यों? क्योंकि जनसँख्या के अदल-बदल बिना विभाजन अधूरा था.
जनसंख्या के अदल-बदल बिना विभाजन का गांधी ने सुखाव ठुकरा दिया.. यदि ग्रीस और टर्की ने ,साधनों के सिमित होते हुए भी ,ईसाई और मुस्लिम आबादी का अदल-बदल कर के,मजहबी अल्पसंख्या की समस्या का मिलजुल कर समाधान कर लिया ,तो विभाजन के समय में हिन्दुस्तान में ऐसा क्यों नहीं किया गया? खेद है की पंडित नेहरु के नेतृत्व में कांग्रेसी नेताओ ने इस संबंध में डा. भीमराव आंबेडकर के सूझ्भूझ भरे सुझाव पर कोई ध्यान नहीं दिया. जिन्ना ने भी हिन्दू-मुस्लिम जनसँख्या की अदला-बदली का प्रस्ताव रखा था. परन्तु मौलाना आजाद के पंजे में जकड़ी हुई कांग्रेस ने नादानी के साथ इसे अस्वीकार कर दिया. कांग्रेसी ऐसे अदूरदर्शी थे कि उन्होंने यह नहीं सोचा कि जनसंख्या की अदला-बदली बिना खंडित हिंदुस्थान में भी सांप्रदायिक दंगे होते रहेंगे.
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४. पाकिस्तान को अधिक क्षेत्रफल दिया गया, १९४६ के निर्णायक आम चुनाव में, अविभाजित हिंदुस्थान के लगभग सभी (२३%) मुसलमनो ने पाकिस्तान के लिए वोट दिया ,परन्तु भारत के कुल क्षेत्रफल का ३०% पाकिस्तान के रूप में दिया गया. दुसरे शब्दों में उन्होंने अपनी जनगणना की अनुपात से अधिक क्षेत्रफल मिला ,यह जनसंख्या भी बोगस थी. फिर भी सारे मुस्लिम अपने मनोनीत देश में नहीं गए.
५. झूठी मुस्लिम जन-गणना के आधार पर विभाजन का आधार माना, कांग्रेस ने १९४९ तथा १९३१ दोनों जनगणनाओ का बहिष्कार किया. फलत:, मुस्लिम लीग ने चुपके-चुपके भारत के सभी मुसलमानों को उक्त जनगणनाओ में फालतू नाम जुडवाने का सन्देश दिया. इसे रोकने वाला या जाँच करने वाला कोई नहीं था. अत: १९४१ की जनगणना में मुसलमानों की संख्या में विशाल वृद्धि हो गई. आश्चर्य की बात है कि कांग्रेसी नेताओं ने स्वच्छा से १९४१ की जनगणना के आंकड़े मान्य कर लिए, यद्यपि उन्होंने उसका बहिष्कार किया था. उन्ही आंकड़ा का आधार लेकर मजहब के अनुसार देश का बटवारा किया गया. इस प्रकार देश के वे भाग भी जो मुस्लिम बहुल नहीं थे,पाकिस्तान में मिला दिए गए.
६. स्वाधीन भारत का अंग्रेज गवर्नर जनरल की सहमती दी....,गांधीजी और पंडित नेहरु के नेतृत्व में कांग्रेस ने मुर्खता के साथ माऊंट बैटन को दोनों उपनिवेशों, हिंदुस्थान और पाकिस्तान का गवर्नर जनरल, देश के विभाजन के बाद भी मान लिया. जिन्ना में इस मूर्खतापूर्ण योजना को अस्वीकार करने की बहुत समझ थी. अत: उसने २ जुलाई १९४७ को पत्र द्वारा कांग्रेस और माऊंट बैटन को सूचित कर दिया की वह स्वयं पाकिस्तान का गवर्नर जनरल बनेगा.परिणाम यह हुआ की माऊंट बैटन स्वाधीन खंडित बहरत के गवर्नर जनरल नापाक-विभाजन के बाद भी बने रहे.
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७. सीमा-आयोग का अध्यक्ष अंग्रेज पदाधिकारी को मनोनीत किया गया ,माऊंट बैटन के प्रभाव में,गांधीजी और पंडित नेहरु ने पंजाब और बंगाल के सीमा आयोग के अध्यक्ष के रूप में सीरिल रैड क्लिफ को स्वीकार कर लिया.सीरिल रैडक्लिफ जिन्ना का जूनियर (कनिष्ठ सहायक) था, जब उसने लन्दन में अपनी प्रैक्टिस आरम्भ की थी. परिणाम स्वरुप, उसने पाकिस्तान के साथ पक्षपात और लाहौर, सिंध का थरपारकर जिला,चटगाँव पहाड़ी क्षेत्र, बंगाल का का खुलना जिला एवं हिन्दू-बहुल क्षेत्र पाकिस्तान को दिला दिये.
बंगाल का छल-पूर्ण सीमा निर्धारण किया गया,भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उदासीनता के कारण ४४ प्रतिशत बंगाल के हिन्दुओ को ३० प्रतिशत क्षेत्र पश्चिमी बंगाल के रूप में संयुक्त बंगाल में से दिया गया.५६ प्रतिशत मुसलमानों को ७० प्रतिशत क्षेत्रफल पूर्वी पाकिस्तान के रूप में मिला.
चटगाँव पहाड़ी क्षेत्र जिसमे ९८ प्रतिशत हिन्दू-बौद्ध रहते है,एवं हिन्दू-बहुल खुलना जिला अंग्रेज सीमा-निर्धारण अधिकारी रैडक्लिफ द्वारा पाकिस्तान को दिया गया.कांग्रेस के हिन्दू नेता ऐसे धर्मनिरपेक्ष बने रहे की उन्होंने अन्याय के विरुद्ध मुँह तक नहीं खोला.
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८. सिंध में धोखे भरा सीमा-निर्धारण किया, जब सिंध के हिन्दुओ ने यह मांग की की सिंध प्रान्त का थारपारकर जिला जिसमे ९४ प्रतिशत जनसँख्या हिन्दुओ की थी,हिंदुस्थान के साथ विलय होना चाहिए,तो भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस ने सिन्धी हिन्दुओ की आवाज इस आधार पर दबा दी की देश का विभाजन जिलानुसार नहीं किया जा सकता.परन्तु जब आसाम के जिले सिल्हित की ५१ प्रतिशत मुस्लिम आबादी ने पकिस्तान के साथ जोड़े जाने की मांग की,तो उसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया.
मजहब के आधार पर विभाजन-धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध गांधी का खेल था... यदि गांधीजी पंडित नेहरु सच्चे धर्म-निर्पेक्षतावादी थे तो उन्होंने देश का विभाजन मजहब के आधार पर क्यों स्वीकार किया?
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९. गांधी के अहिंसा के छद्म भेष में अंग्रेजों का सेफ्टी वाल्व बनकर , कैसे तुष्टीकरण से हिन्दुस्तान के टुकडे कर .. कैसे कांगेस की झूठी महिमा से देश के राष्ट्रपिता से महात्मा के नाम की लूट से अब देश को काले आत्माओं ने तो.., “देश को भी लूट लिया है”
भाग-२
गांधी ने शिवाजी आदि को “पथभ्रष्ट देशभक्त” कहा, गांधी ने कट्टर मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिए भारत के राष्ट्रीय वीरों वीरो- महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी और गुरु गोविन्द सिंह को ‘पथभ्रष्ट देशभक्त’ कहा.
यह गांधी का दोगला पन ही था, एक तरफ, गांधी ने कश्मीर के महाराजा को गद्दी छोड़ने की सलाह दी थी कि वे मुसलमानों के पक्ष में गद्दी छोड़ दे और बनारस में जा कर प्रायश्चित करें ,क्योकि कश्मीर में मुसलबान बहुसंख्य है. फिर उन्होंने निजाम हैदराबाद या नवाब भूपाल को यह सलाह क्यों नहीं दी, क्योकि उन राज्यों में तो हिन्दू बहुसंख्यक है?
१०. अब हम व देश की जनता को जाग कर , हमारे देश की जनता को गांधी के अहिंसा के छद्म भेष में अंग्रेजों का सेफ्टी वाल्व बनकर , कैसे हिन्दुस्तान के टुकडे कर , बापू , व महात्मा की झूठी उपाधि संविधान का उल्लंघन कर दे दिया व जवाहरलाल नेहरू के शान्ति के दूत के छद्म भेष से काश्मीर के टुकडे कर , चीन से यद्ध में घुटने टेक कर, ५० हजार वर्ग कि लोमीटर भूमि देने के बावजूद .. भारत रत्न की उपाधी से नवाजा गया है, आज इनके नाम पर देश के लाखों सड़क , संस्थान बापू व नेहरू के नाम की अमानत बन गयी है....जो आज इनके नाम के आड़ में भ्रष्टाचार के लूट का खेल खुले ले आम खेला जा रहा है , यदि जनता इस, गांधी के कांग्रेस की भयंकर भूलों से अवगत नहीं होगी तो... देश... मुर्दानगी से नहीं जागेगी

Thursday, 28 May 2015

वीर सावरकर की किर्ती का कितना भी बखान किया जाय कम है, वे तो गुणों के खान थे ..., आधुनिक इतिहासकारों ने देश के गांधीवादी नेताओं के लुंज-पूंज जुगनूओं की चमक को, सूर्य की तरह महामंडित किया है... जबकि सावरकर को दिन का जूगनू कह कर , अन्धेरा इतिहास लिखा है.., याद रहे इस (वीर सावरकर) जूगनू ने अंग्रेजों के न डूबने वाले सूरज के पसीने छूड़ा दिये थे



१.    क्या अब मोदी सरकार द्वारा.., अब...,   देश का सही इतिहास पढा कर.., इस क्रांतिवीर को सम्मान   दिया जायगा ...,
२.    क्या आज की तरह, इस महान क्रांतीकारी “वीर सावरकर” के जन्म  दिवस पर,  TWITTER पर दो लाइनें लिख कर.., सत्ता के एक साल  से अपने कार्यकर्ताओं के ढोल से.., २ हजार सभाओं के बखान से, सत्ता के  मोह में लीन हो जायेंगे या वीर सावरकर के राष्ट्रवादी इतिहास से देश को जिन्दादिली से राष्ट्रवादी बिगुल फूकेंगे
३.       आज तक हमें पढ़ाया जा रहा था कि  हम बुजदिल कौम थे.., और हम हजार सालों से गुलाम थे.., और सत्य के प्रयोग व ब्रह्मचर्य के प्रयोग से “अहिंसा” के मंत्र से, “बिना खड़ग , बिना ढाल” से, एक को महात्मा व दूसरे को चचा बनाकर, इतिहास में उनके  छद्म खेल को.., उन्हें पुजारी की तरह उनके नामों का गाँव.शहर.नगर में लाखों जगह पर अलंकरण  कर, आज भी उन्हें पुतला बना के  ताली से, भ्रष्टाचार की थाली बनाकर  पूजा जा रहा है,
४.    वीर सावरकरजी का जन्म तो भारतमाता को बेड़ियों से मुक्त करने के ध्येय से, अग्निपथ पर चलने के लिए ही हुआ था.., देश के लिये लड़ने पर वे कई बार काल के मुख में जाने के बाद भी, उनके  चेहरे में शिकन तक नहीं थी
५.     . उनकी इतनी अग्निपरीक्षा हुई, यदि लोहे की होती तो, पिघल जाता, मृत्यु पर्यंत उनकी चेहरे पर भारतमाता की सेवा करने व उनके नासिक के घर को जब्त करने, व सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद , नेहरू द्वारा घर पर नजरबन्द रखने के बावजूद कोई अफ़सोस  नहीं किया  ========================

१.     यह कहा जाए कि आधुनिक भारतीय इतिहास में जिस महापुरुष के साथ सबसे अधिक अन्याय हुआ, वह सावरकर ही हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी

२.      वीर सावर के निम्न गुणों में महारत थी.., जो चाणक्य में भी न थी. वीर सावरकर, वे प्रकांड विद्वान, कवि, लेखक, सभी धर्मों के ज्ञाता के साथ प्रख्यात इतिहासकार थे. उन्हें मराठी साहित्य का कालिदास भी कहा जाता है..

३.    वीर सावरकर ::: एक महान विद्वान ,राजनयिक,  , स्टेट्समैन राजनेता, तत्वचिंतक , क्रांतीकारक लेखक, नाटककार, महाकवि, सर्वोत्तम वक्ता, पत्रकार, धर्मशील, नीतीमान, पंडित, मुनि, इतिहास संशोधक, इतिहास निर्माता, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार, प्रवचनकार, अस्पर्शयता निवारक, शुद्धी कार्य के प्रणेता, समाज सुधारक, विज्ञान निष्ठा सिखाने वाले , भाषा शुद्धी  करने वाले, लिपि सुधारक, संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व, बहुभाषिक हिंदुत्व  संगठक, राष्ट्रीय कालदर्शन के प्रणेता, कथाकार, आचार्य, तत्व ज्ञानी, महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक, धर्म सुधारक विवेकशील नेता व  हुतात्मा थे  

४.      आज स्वामी विवेकानंद के विचार “धर्म परिवर्तन’ अर्थात “राष्ट्र परिवर्तन” का सन्देश देकर, वे युवकों में प्रसिद्द हो गए.., वीर सावरकर ने भी यही कहा और प्रत्यक्ष रूप से “रण” में ऊतर कर, अन्य धर्मों में गए हिंदुओं का शूद्धीकरण से उन्हें सम्मानित किया

५.    एकमेव वीर सावरकर, भारतमाता के परमवीर पुत्र  जिन्होंने अपना 100% सम्पूर्ण जीवन, अपने ज्ञान व शक्ती के  अपने “राष्ट्रवादी”  विचारों से, सत्ता के मोह को त्यागकर  भारतमाता को समर्पित कर दिया

६.    एकमेव वीर सावरकर जिन्होंने अपनी पूरी संपत्ती राष्ट्र को समर्पीत कर दी, मौत के पहिले उन्होंने  कहा “जो मरे पास नकद ५ हजार रूपये  हैं.., वे अन्य धर्मों से हिंदु धर्म में आये हिन्दुओ के शुद्धीकरण में खर्च करना”

७.    इतना ही नही इस देश के अतुल्य क्रांतीकारी का पूरा परिवार भारतमाता की बेड़ियां तोड़ने में अपने को झोंक दिया था.., उनके बड़े भाई पंजाब के जेल व  छोटे भाई अंडमान जेल में बंद थे   

८.    वीर सावरकर की किर्ती का कितना भी बखान किया जाय कम है, वे तो गुणों के खान थे ..., आधुनिक इतिहासकारों ने देश के गांधीवादी नेताओं के लुंज-पूंज जुगनूओं  की  चमक को, सूर्य की तरह  महामंडित किया है...


जबकि सावरकर को दिन का जूगनू कह कर , अन्धेरा इतिहास लिखा है.., याद रहे इस (वीर सावरकर)  जूगनू ने अंग्रेजों के न  डूबने वाले सूरज के पसीने छूड़ा  दिये थे 

Wednesday, 27 May 2015

१९५४ में “वीर सावरकर’ ने खुले आम चेतावनी दी कि चीन हमसे युद्ध करेगा.., और हमारी सेनाओ को मजबूत बनाओ.., लेकिन जवाहरलाल नेहेरू ने युद्ध कारखानों में हथियार बनाने के बजाय.., चूड़ी बनाने का उद्योग शुरू किया..



१  एक तो नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आजाद हिंद फौज का सोना चोरी .., ऊपर से भारतरत्न से अपने को महामंडित कर सीना जोरी ..., आज इतिहास में अपने अय्याशी, सत्य के प्रयोग से आजादी की एक झूंठे महिमा से चाचा , महात्मा के कर्मों को, आज तक देश की पीढी को बताया गया कि आजादी बिना खडग ढाल के मिली है..., एक  झूठे नारे से “राष्ट्रवाद”  की खाल निकाल कर, आज तक  देश को गरीबी, भूखमरी व विदेशी हाथों द्वारा देशवाशियों को लहूलुहान कर दिया है..., आज इन पुतलों की आड़ में शहर से देश लाखों संस्थान अपने नाम कर, आज तक, देशवासियों को आजादी के भ्रम में रखा गया है... (२८ मई ..., वीर सावरकर के जन्म दिवस पर )

२.  नेताजीसुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के लिए जो 100 किलो सोना और कैश जुटाया था, उसे उनके लापता होने के बाद लूट लिया गया था. तत्कालीन नेहरू सरकार को भी इसकी जानकारी थी. लेकिन उसका पता लगाने की कोशिश नहीं की गई. बल्कि उनके घर की जासूसी कर.., अपनी सत्ता को और मजबूत बनाया  

एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इसके मुताबिक सरकार नहीं चाहती थी कि इस जांच के बहाने नेताजी और आजाद हिंद फौज की यादें ताजा हों. इसके बाद कांग्रेस फिर निशाने पर गई है.

रिपोर्ट आने के बाद नेताजी के परिवार ने मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है, ‘देशवासियों ने आजादी के लिए अपने जेवर और कैश दान किए थे. यह देश की संपत्ति थी और इसकी जांच होनी चाहिए कि इसे किसने लूटा।उधर, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘यह उस वक्त की बात है, जब विश्व युद्ध चल रहा था। ऐसे में खजाने को सुरक्षित रखना या उसके चोरी होने पर सबूत जुटाना आसान काम नहीं था। 


३.  वीर सावरकर के चेले.  शहीद भगतसिंग ने तो अपनी जवानी देश के लिए कुर्बान कर दी.., लेकिन क्रांती के महायोद्धा ने अपने पूरी जवानी..., भारत माता की बेड़ियां को  तोड़ने में खपा दी..,

४.  सत्ता परिवर्तन के बाद “वीर सावरकर’ का वर्चस्व ख़त्म करने के लिए, नाथूराम ह्त्या का आरोप लगाकर वीर सावेकर को  “लाला किला में कैद” कर सावरकर को ताबूत में आख़री किल ठोकने का प्रयास किया.., उसमें भी सफलता के बजाय “जज” की लताड़ मिली.

५.  नेहरु ने लियाकत समझौता का नाटक खेला , जब विभाजन के समय कांग्रेस सरकार ने बार बार आश्वासन दिया था कि वह पाकिस्तान में पीछे रह जाने वाले हिंदुओं के मानव अधिकारों के रक्षा के लिए उचित कदम उठाएगी परन्तु वह अपने इस गंभीर वचनबद्धता को नहीं निभा पाई. तानाशाह नेहरु ने पूर्वी पकिस्तान के हिंदुओं और बौद्धों का भाग्य निर्माण निर्णय अप्रैल ८ १९५० को नेहरु लियाकत समझौते के द्वारा कर दिया उसके अनुसार को बंगाली हिंदू शरणार्थी धर्मांध मुसलमानों के क्रूर अत्याचारों से बचने के लिए भारत में भाग कर आये थे, बलात वापिस पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली मुसलमान कसाई हत्यारों के पंजो में सौप दिए गए

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६.  लियाकत अली के तुष्टिकरण के विरोध कने के लिए लिए वीर सावरकर गिरफ्तार कर लिया, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को पंडित नेहरु द्वारा दिल्ली आमंत्रित किया गया तो छद्म धर्मनिरपेक्षतावादी कृतघ्न हिन्दुस्थान सरकार ने नेहरु के सिंहासन के तले ,स्वातंत्र वीर सावरकर को ४ अप्रैल १९५० के दिन सुरक्षात्मक नजरबंदी क़ानून के अन्दर गिरफ्तार कर लिया और बेलगाँव जिला कारावास में कैद कर दिया.पंडित नेहरु की जिन्होंने यह कुकृत्य लियाकत अली खान की मक्खनबाजी के लिए किया, लगभग समस्त भारतीय समाचार पत्रो ने इसकी तीव्र निंदा की. लेकिन नेहरू के कांग्रेसी अंध भक्तों ने कोई प्रतिक्रया नहीं की 


७.  १९५४ में “वीर सावरकर’ ने खुले आम चेतावनी दी कि चीन हमसे युद्ध करेगा.., और हमारी सेनाओ को मजबूत बनाओ.., लेकिन जवाहरलाल  नेहेरू ने युद्ध कारखानों में हथियार बनाने के बजाय.., चूड़ी बनाने का उद्योग शुरू किया.., भारतमाता का अंग  भंग करने से पहिले ही “आराम हराम” के  सत्ता की भांग के नारे से “भारत रत्न” का स्वाधिकार प्राप्त कर लिया..

८. वीर सावरकर की भविश्यवाणी सत्य होने पर, चीन से युद्ध में मिली हार से नेहरू बौखालागाए थे और वीर सावरकर’को अपने आवास में कैद कर..., उनकी चिट्ठीयों की जांच की जाती थी कि कही एक सुराग बनाकर, इस युद्ध का दोष वीर सावरकर पर मढ़ दिया जाए...., इसमें भी नेहरू को सफलता नहीं मिली ..


१०. नेहरू ने गांधी की पाकिस्तान को ५५ करोड़ रूपये के उपहार की गंदी राजनीति से भी आगे बढ़कर , गांधी को महात्मा व बापू बनाकर , अपनी १.शांति,२ पंचशील, ३. अनाक्रमण ४. निष्पक्षता की भ्रामिक नीति...., ५. हिन्दुओ का धर्मान्तरण, ६.तुष्टीकरण ७. विदेशी भाषा के शतरंगी चाल के शतरंज को बनाया सत्ता के ढाल से हिन्दुस्थान के रंज का सप्तरंगी इन्द्रधनुष के निशाने, से देश के काश्मीर के टुकडे व चीन को दिया उपहार से हुआ, भारत रत्न का सत्कार 
११.  एक विडबन्ना , जो बांग्लादेश के तीन-बीघासमर्पण कर दिया, जब 
१९५८ के नेहरु-नून पैक्ट (समझौते) के अनुसार अंगारपोटा और दाहग्राम क्षेत्र का १७ वर्ग मिल क्षेत्रफल जो चारो ओर से भारत से घिरा था ,हिन्दुस्थान को दिया जाने वाला था .हिन्दुस्थान की कांग्रेसी सरकार ने उस समय क्षेत्र की मांग करने के स्थान पर १९५२ में अंगारपोटा तथा दाहग्राम के शासन प्रबंध और नियंत्रण के लिए बांग्लादेश को ३ बीघा क्षेत्र ९९९ वर्ष के पट्टे पर दे दिया.


१२.  लेकिन, अब तो वोट बैंक के तुष्टीकरण की भी कांग्रेस ने सभी हदें पार कर दी , जब केरल में लघु पाकिस्तान, मुस्लिम लीग की मांग पर केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने तीन जिलो, त्रिचूर पालघाट और कालीकट को कांट छांट कर एक नया मुस्लिम बहुल जिला मालापुरम बना दिया .इस प्रकार केरल में एक लघु पाकिस्तान बन गया. केंद्रीय सरकार ने केरल सरकार के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया..
दोस्तों..., अब अपनी राय बताए..., क्या देश का असली देशद्रोही कौन था...क्रांतीकारी या सत्ता के अय्यासकार.., जिन्होंने देश के शिल्पकार कह.., देश की नीव व शिल्प को तोड़ने का कार्य किया है..

Sunday, 24 May 2015

देश को विदेशी विचार नहीं ...,लोहिया..दीनदयाल उपाधाय्य..जयप्रकाश नारायण व वीर सावरकर का इतिहास का अनुसरण से खुशहाल भारत के अनुसरण से देश को धन के लिए विदेशों से पैसे की गुहार की शरण नहीं लेनी पड़ेगी...

१ . चेतो मोदी सरकार.., अब भी हर देशवासी को आपसे अच्छे दिन के साथ .., देश को ऊंचाई पर पहुंचाने की..., उम्मीद से मोदी के मुरीद हैं..., आपसे देश की राष्टवाद की मुर्दानगी को जगाने की उम्मीद है .., लेकिन “देशी मुद्रा” अब डॉलर (DOLLER) को डोनेट (DONATE) हो रही है ...,



२. दुनिया में देश को गर्वीत कर , दुश्मनों में अब खौफ है.., लेकिन देश के माफियाओं के खौफ से जनता हांफ कर, अपना जीवन, आपके शासन में महंगाई से HALF हो गयी है ..



३. विदेशों के काले धन के बादल को तो.., देश में आने में वर्षों लग जायेंगें .., लकिन देश के माफियाओं के काले बादलों वाले के धन की मुसलाधार बरसात के कराकर , अब डॉलर भी डूब जाएगा और सत्ता परिवर्तन (१९४७) के पहिले के स्तिथी में हमारा रूपया गर्व से डॉलर की खबर लेकर अपनी ताकत डॉलर से दुगनी बनाएगा



४. देश को. विदेशी कर्ज नहीं.., देश को काले माफियाओं के मर्ज की जरूरत है...

५. दाल व चावल के माफियाओं के डोरे से, महंगाई के डोलने से, जनता के चाव का बल कम होते जा रहा है 





४. देश को. विदेशी कर्ज नहीं.., देश को काले माफियाओं के मर्ज की जरूरत है...
५. दाल व चावल के माफियाओं के डोरे से, महंगाई के डोलने से, जनता के चाव का बल कम होते जा रहा है
६. देश.., अफीमी नशा (नशा-शान) से नहीं, बल्कि “देशवासियों के मुठ्ठी बल” की शान से शायनिंग होकर एक लंम्बी इनिंग का.., लम्बे रेस का घोड़ा बनेगा.., गरीब को उसकी प्रतिभा व मेहनत का सम्मान नहीं मिल रहा है.., मेरा संविधान महान व मेरा भारत महान की आड़ में आज देश का माफिया माफिया महान हो गया है...,
७. आपके मंत्री तो ताल ठोककर कह रहें है कि आपके कार्यकाल में एक भी घोटाले नहीं है.., अब जनता भी असमंजस में है कि कांग्रेस का देश के लिए चुना प्रिय मंत्री “चुन्ना मंद मन मुन्ना , भ्रष्टाचार के महक के मोहन “ ने माफियाओं को देश को लूट में खुली छूट देने से, रूपया जो ४४ रूपये से 70 रूपये को छूने के बाद ..,और प्रधानमंत्री की 80 साल की उम्र के लिए बेताब था ..,
८. चेतो मोदीजी अब डॉलर “६५ रूपया” तक पहुँच कर.., “आपकी उम्र पकड़कर ..”, अब डॉलर देशवासियों की कॉलर खीच रहा है ..
९. जनता भी कांग्रेस के “भारत निर्माण” के आड़ में “भ्रष्टाचार से माफियाओं के निर्माण” के इस खौफ से अपने “बुरे दिन “ मानकर .., एक अच्छे दिन के “अच्छे नारे” के आंस से अपने लम्बे सांस से अपना जीवन स्वस्थ बनाए रखने का ख्वाब देख रही है.., अब जनता लम्बी स्वास श्वास तो ले रही है .., लेकिन उसमें प्राणवायु नहीं है.., वह प्राणायाम भी करता है..., लेकिन देश में नकली माल, देश के भेड़ियों, देशप्रेमी की नकली चाल से जनता इनके शिकंजे में फंसी है..., देश का किसान “फांसी” लगाने को मजबूर है.
१०. देश को कोयला माफियाओं द्वारा २ लाख करोड़ की आय होने केबावजूद.., क्या.. अब भी..., जनता का जीवन कच्चा कर..., कच्छे पहनने के दिन आने वाले हैं ...
११ . चेतो मोदी सरकार.., काले माफियाओं के (स्वादिष्ट भारत ) की, जेब साफ़ किये बिना “स्वच्छ भारत – स्वस्थ भारत” एक कोरी कल्पना व देशवासियों के साथ धोखा है.., और यह नारा एक खोखला खोखा है..
१२ . अपने एक वर्षयी सत्ता की उपलब्धी के प्रचार में करोड़ों के प्रचार में १ हजार सभाओं के आयोजन की बजाय.., इन्ही पार्टी के नेता कार्यकर्ताओं को जनता की समस्या सुनने की कवायद का अभ्यास करा कर उनके निदान का हल ढूँढा जाए तो देश का हल चलाने वाला किसान व आम जवान वाशी के जीवन में बहार से देशवासी सदाबहार रहेगा
१३ . इसी वजह से हमारे दुलारे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीजी “जवानों के देशी हाथों व किसानों के बल” से देश को यद्ध जीताकर देश में राष्ट्रवादी क्रांती से “हरित व श्वेत क्रांती “ से देश को खुश हाल बनाया ..,
१४ . याद रहे महान राष्ट्रवादी नोबल पुरूस्कार व भारत रत्न से सुशोभित वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकट रमण ने कहा था “विदेशी चीजें खरीदना अर्थात अपनी मुर्खता खरीदना “ खरीदना है तो तकनीकी खरीदों व अपने वैज्ञानिक बल से उसे और उन्नत बनाओं..., आज उनके इस गुर को सीखकर हमारे से पिछड़ा चीन जैसा देश हमारे से पांच से अधिक गुना तरक्की कर हमें ही धौंस दे रहा है..,

१५ . देश को विदेशी विचार नहीं ...,लोहिया..दीनदयाल उपाधाय्य..जयप्रकाश नारायण व वीर सावरकर का इतिहास का अनुसरण से खुशहाल भारत के अनुसरण से देश को धन के लिए विदेशों से पैसे की गुहार की शरण नहीं लेनी पड़ेगी...

Saturday, 23 May 2015

नरेन्द्र मोदीजी और वीर सावरकरजी में समानतायें- वीर सावरकर को जिसने नही जाना..?, उसने हिन्दुस्थान को नही पहचाना?



नरेन्द्र मोदीजी और वीर सावरकरजी में समानतायें- वीर सावरकर को जिसने नही जाना..?, उसने हिन्दुस्थान को नही पहचाना?

१. दोनों के पिता का नाम दामोदर, एक २०वी सदी के व दूसरे २१वी सदी के दमदार व्यकित्व... 
नाम विनायक .., वीर सावरकर तो बिना सेना के बावजूद लड़कर, देश के “नायक” बने . 
नाम नरेन्द्र .., अपने बल पर प्रधानमंत्री बन कर नर व इन्द्र का संगम. 
सावरकर..., भारतमाता को संवारने में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पीत कर दिया
मोदी..., अब, भ्रष्टाचार से सत्ता के मोदकों को खत्म करने का जज्बा

२. वीर सावरकरजी व नरेन्द्र मोदीजी ने एक कच्ची उम्र में ही, लगभग १५-१७ साल की उम्र को .., देश सेवा के लिए, अपने को समर्पित कर दिया.

३. अखंड भारत के शिल्पकार सावरकरजी के मंसूबे को देशद्रोहियों ने देश को तोड़कर, खंडित भारत से, देश के ५ लाख बेगुनाह हिन्दुस्तानियों की ह्त्या कर, महात्मा, बापू, चाचा .. से, यमदूत बनकर शांती के मसीहा से, जनता को मशगूल बनाकर.., सत्ता मेवा है , इसकी जय है, (जो मेरे वेबस्थल का स्लोगन है), से ६० वर्षों तक राज किया (लालबहादुर शास्त्री के कार्यकाल को छोड़कर)
वही लोकसभा चुनाव में अपने दम पर नरेन्द्र मोदीजी ने सावरकरजी के राष्ट्रवाद की एक लौ जगाकर ..., भारतमाता की कसम खाई है... मैं देश नहीं झुकने दूंगा , मैं देश नहीं मिटने दूंगा.., हे भारत माँ तेरा वैभव अमर रखूंगा ..., इसी राष्ट्रवाद की शक्ती से भारतमाता की भक्ती से वे प्रधानमंत्री बने ..
यही शपथ, वीर सावरकर ने भवानी माता से अपने १६ वें साल में ली थी .., और इसे सार्थक किया था .

४. वीर सावरकर ने कहा था, पहले हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए, हमारी सेनायें उन्नत्त व मजबूत होनी चाहिए, ताकि कोई हमारे से आँख उठाकर बात न करे..., १९४७ में सावरकर ने कहा था, हिन्दुस्तान को अणु बम बनाना ही चाहिए, इतना ही नहीं हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का ध्वम बम भी बनाना चाहिए...
राष्ट्र का सैन्यीकरण व सेना का हिन्दुकरण , आज इसी विचारधारा से इसराईल ने अपने को सुरक्षित रखा है..
इसी का संज्ञान लेते हुये , हमारी सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए, आज इसी नीती से सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों से प्रधानमंत्री बैठक कर, देश की सुरक्षा के लिए उपकरणों की आवश्यकता से निदान ..., व मोदीजी ने इसरो को नाभकीय क्रांती में खुली छूट दे कर कहा है.. आप आगे बढ़ो.. मैं आपको इस प्रकल्प में धन की कमी नहीं होने दूंगा. वही लूली लंगडी चल रही हत्यार निर्माण के डी.आर.डी .ओ. को अब चलना सिखा दिया है.., जल सेना को नए जलपोतों के निर्माण का जज्बा फूँका है,,

५. सावरकर, मुस्लिम लीग की कट्टरता से देश को चेताते रहते थे, बलपूर्वक धर्म परिवर्तन अर्थात राष्ट्र परिवर्तन..जो, आज ईराक सीरिया में इसकी भयावहता दिखाई दे रही है..
वही , 2003 में गुजरात में सत्ता में आते ही नरेन्द्र मोदी सरकार ने गुजरात विधानसभा में "गुजरात धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम-2003" पारित कर मतांतरण करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाया था।

६. वीर सावरकरजी के नाम से अंग्रेजों का न डूबने वाला सूर्य का साम्राज्य थर्राता था...
वहीं मोदीजी के प्रधानमंत्री पद की घोषणा से थर्राते हुए, दुश्मन व लूटेरे देशों ने मीडिया व अन्य संशाधनों से एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद भी सफलता नहीं पायी.., और हाथ मलते हुए मायूस हो गयें है...

७. ब्रिटिश अखबार इंग्लॅण्ड में क्रांतीकारियों की आवाज व हिन्दुस्तानी समाचार जानने के लिए वीर सावरकर से संपर्क करती थी जबकि उस समय नरम दल पैसे देकर अपनी खबर छापते थे,, वही देश की विदेशी टुकड़ों में पालनेवाली मीडिया भी पेड़ मीडिया बनकर , नरेन्द्र मोदी को नर भक्षी के रूप में प्रसारित कर.., अब उनकों भी अक्कल आने लगी है

१० सालों से नरेन्द्र मोदीजी को देश का कसाई व विदेशी इशारों से, देश के समाचार चैनलों के विदेश में बैठे देशी व विदेशी मालिक, बदनाम करने के लिए पेट भरी मीडिया .., मालामाल होकर भी नरेन्द्र मोदीजी से परास्त हो गयी.., वही मोदी पेट भरी मीडिया को अपने समाचार के बारे में फटकने नहीं देते थे... और पेट भरी मीडिया को बार-बार चेतावनी देते थे..., निष्पक्ष बनों.. देश को गुमराह मत करो...देश की छवि मत बिगाडों

८.वीर सावरकरजी की तरह ही नरेन्द्र मोदीजी अपने भाषणों में शमा बाँध देते है.., कब घंटे निकल जाते है...,श्रोताओं को पता भी नहीं चलता

९. याद रहे.., अपने तरूण ब्रह्मचर्य जीवन में विदेशों में वीर सावरकर, दमदार व्यक्तित्व , निर्भीक जीवन..,एक तेजस्वी वक्ता के राष्ट्रवादी भाषणों से दुनिया कायल थी, विदेशी गोरी चमड़ी वाली लड़किया तो दीवानी होकर वीर सावरकरजी से “I LOVE YOU” कहती थी.., तब वीर सावरकरजी कहते थे मैं तो सिर्फ भारतमाता से प्रेम करता हूँ..., और शादी के बाद अपनी बीबी से प्रेम करूंगा

वही लोकसभा चुनावों में पेट भरी मीडिया ने मोदीजी के तूफानी भाषणों से कही उनके कैमरे उड़ न जाए, इसी झांसे से मोदीजी के शादी व ब्रह्मचर्य जीवन से देश वासियों को भटकाने की कोशिश से, कशिश निकालने का खेल खेला..हाथ कुछ न आया बाबाजी का ठुल्लू
९.नरेन्द्र मोदीजी ने अपने दुश्मन व मनमुटावी देशों को अपनी कूटनीती से साथ लेकर दुनिया को अचम्भे में डाल दिया है...

१०. वही वीर सावरकरजी.., स्वतंत्रता के लिए लड़ों के उद्घोष से, विश्व के गुलाम देशों , तुर्की,रूस,इटली,आयरलैंड,इजिप्त फ़्रांस के क्रांतीकारियों में एक आजादी का जज्बा भर दुनिया को अचंभित कर दिया !!!!!!!!! . वही मोदीजी भी स्वतंत्र देशों को कहते हैं..., “सबका साथ, सबका विकास ...”
११.सावरकर स्वर से देश के लिए अदम्य थे.., उनकी तुलना , चाणक्य से ही की जा सकती है..., जिसने भारतमाता की बेदिया बेड़ियां तोड़ने के लिए ही जन्म लिया था
उनके स्वरों में एक मुख्य स्वर थे..,
जब तक देश जातिवाद, भाषावाद, अस्पर्श्यिता की बेड़ियों में जकड़ा है.., तब तक देश एक गुलामी से दूसरी गुलामी में बंधा रहेगा..., और हिंदुत्व का पतन के साथ देश विखंडन के कगार पर जाएगा ...
सावरकर के अनुसार हिन्दू समाज सात बेड़ियों में जकड़ा हुआ था।।
१. स्पर्शबंदी: निम्न जातियों का स्पर्श तक निषेध, अस्पृश्यता
२. रोटीबंदी: निम्न जातियों के साथ खानपान निषेध
३. बेटीबंदी: खास जातियों के संग विवाह संबंध निषेध
४. व्यवसायबंदी: कुछ निश्चित व्यवसाय निषेध
५. सिंधुबंदी: सागरपार यात्रा, व्यवसाय निषेध
६. वेदोक्तबंदी: वेद के कर्मकाण्डों का एक वर्ग को निषेध
७. शुद्धिबंदी: किसी को वापस हिन्दूकरण पर निषेध

१२. ऐसी उनकी ४० से ज्यादा भविष्यवाणीयां, जिनकी हमने अवहेलना की है..., वीर सावरकर का इस देश पर महान ऋण है। वे अधिकांश क्रान्तिकारियों के लिये प्रेरणा के स्रोत थे। आज भी वह हर सच्चे भारतीय के लिये प्रेरणा के स्रोत हैं !!!!!
A. क्या.., अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी .., श्री..श्री.. वीर..., वीर.., परमवीर सावरकर के इतिश्री किये इतिहास को.. भारत के गौरवशाली इतिहास के अनुसरण से भारतमाता के गौरव से देश को भव्यशाली बनायेंगें (२८ मई को वीर सावरकर २०१५ के जन्म दिवस पर ...
B. क्या मोदीजी.., वीर सावरकर के दफन इतिहास को जनता को दर्शन समारोह बनाकर “गौरव सप्ताह – गौरव पखवाड़ा मनाएंगे..., या पिछ्वाड़े से गए वर्ष की तरह एक छोटे से १० मिनट के भाषण से समाप्त करेंगे...!!!
C. मोदीजी ने तो... प्रधानमंत्री के रूप में सरकारी खर्च से मोदीजी ने अपने बुलेटी जिगर से AROUND THE WORLD IN 360 DAYS WITH 360 DEGREES से दुनिया में धाक मचा दी है..., , लेकिन सावरकर के अतुल्य राष्ट्रवादी बल से “ONE MAN ARMY” से, वे तो विश्व के मानचित्र में छा गए थे ..
D. नरेन्द्र मोदी भी अपने आत्मबल से प्रधानमंत्री बनकर, विपक्षीयों को, जो, भ्रष्टाचार के पंछी बनें थे.., उन्हें पेड़ से उड़ाकर, एक नया इतिहास से देश के प्रधानमंत्री बने.. वही गुण सावरकर में थे.., लेकिन वीर सावरकर की ख्याती को, कांग्रेस दुर्भावना से जनता को गुमराह करती रहे.., इसके बावजूद उन्होंने अपना आत्मबल न खोते हुए .., अबाध गति से भारतमाता के गौरव बढाने में को अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया था 

Friday, 22 May 2015

सत्ताभोगी मुख्यमंत्रीयों की जगह..., “30 मोदी” चाहिए जो १८ घंटे.., DRIVING SEAT पर राष्ट्रवाद की बेल्ट पहन कर ..., देश को द्रुतगामी सड़कों पर दौड़ाकर अपनी मंजिल को सुरक्षा व सपन्नता से, भारतमाता को गौरवशाली से भव्य बनाकर चंद सालों में ही, देश को “विश्व गुरु” बना सकते हैं .., जब तक ऐसा जज्बा नहीं रहेगा, देश लूट के लोटे से डूबते रहेगा ...


बापू के तीन बंदर, अब बन गये है मस्त कलन्दर http://meradeshdoooba.com



देखू : देख रहा हूं.., “मोदी जी तुस्सी ग्रेट हो.., लेकिन उनकी सेना अभी भी  लेट  लतीफ़ हैं.., घोंघा चाल से  उनकी दुर्बलता को भांप कर ..., देश को राष्ट्रवादी भाप से चलाने के लिए  मोदीजी ने अपने मंडली में  रेल को बल देने के लिए .., विरोधी पक्ष के शिवसेना के नेता “सुरेश प्रभु”  को अपने पक्ष में मिलाकर व देश को गर्विती से रक्षा करने के लिए गोवा के मुख्यमंत्री “मनोहर पर्रीकर”  , जो  १८ घंटे काम करने का माद्धहा रखते हैं...,  इसलिए प्रधानमंत्री मोदीजी ने अपने बुलेटी जिगर से AROUND THE WORLD IN 360 DAYS  WITH 360 DEGREES दुनिया में धाक मचा दी है..., और चीन दौरे के दौरान शंघाई में .., हिन्दुस्तान का शंख के फूंक की दहाड़ से हिन्दी चीनी खाई-खाई  भरने का मंत्र से दोनों देशों को दोस्ती से ओत-प्रोत करने का सन्देश दे दिया है...,और इस मिशन में प्रधानमंत्री,  तीन देशों का दौरा कर आए हैं .

सूनू: हाँ मोदीजी भी कह रहें हैं.., उन्होंने गुजरात का मुख्य मंत्री बनाने के बाद पिछले ११ सालों से एक दिन भी “अवकाश ” नहीं लेने से,  गुजरात को विकास के आकाश छूने का जज्बा था .., अब यही जूनून, उनका  देश के लिए है

बोलू: तू सच देख रहा है ..., उनके  मंत्रीमंडल के सहयोगीयों की इस बुलेटी रफ़्तार में उनकी सांसे फुल रही है .., वे हांफ रहें है..., कहीं  उन्हें दिल का दौरा न पड़ जाए.., इसलिए मोदी इन घोंघाओ को छोड़कर विदेश दौरे में गए थे ..

सूनू: हां सभी विपक्षी दल एकजुट होकर मोदी की अलोचना करने में जुटा है ..क्योकि क्योंकि उनको सत्ता का आलू-चना खाने में नहीं मिल रहा है .., वे भी सत्ता के लिये अपनी .., जातिवाद, भाषावाद, अलगाववाद की चादर फैलाकर , अपने भ्रष्टाचार के मुद्दों को छुपाने की आड़ में  इन्तजार में बैठें है कि मोदी के कुछ मंत्री टपक जाए ..., और उनकी ६९ साल की देश की नीती का, पुनरोथान हो  अब ये.., थके हारे हताश लोग अपनी राजनैतिक जमीन की तलाश में है...

देखू: इसी वजह से अब के चीन के दौरे में अपने बुलेट ट्रेन के डब्बों को छोड़ कर , स्वंय  बुलेट इंजन बनकर गए हैं

बोलू: विपक्ष भी मोदी के विदेश दौरों को देखकर, कांप रहा है.., ६९ सालों के इतिहास में नेहरू और कृष्णन जिन्होंने प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री के रूप में इतने जलसे किए कि जनता को भी भ्रम होता था कि इन दोनों में असली विदेश मंत्री कौन है.., और नेहरू ने तो विदेशी दौरे की अय्याशी से चीन के साथ पंचशील के शांती से नोबल पुरूस्कार जीतने के फेर में, देश की सेनाओं को नोबल कर, देश की वीर जवानों के जज्बो पर पानी फेर दिया था

सूनू:  हाँ.., चीन ने नेहरू के सत्ता की शराब पर पानी फेर कर, उनकी अवकाद दिखा दी थी.., उन्होंने अपना मुंह छुपाने के बजाय उस समय के रक्षा मंत्री  कृष्ण मेनन से इस्तीफा मंगवाकर अपने दामन के दाग धोने की साजिस में कामयाब हो गए थे

सूनू: अब मोदी ने तो बेबाकी से चीन को जवाब दे दिया है.., हमारा इतिहास तो “वसुधैव कुटुम्बकम” का है.., यदि हमारा भूगोल बदलने की कोशिश की तो, हम भी करारा जवाब दे कर.., अब तक दोस्ती का झांसा देने वाले, अब  दुश्मनी रखने वालों  देशों का भूगोल  बदलने की ताकत रखतें हैं.


बोलू:  मोदीजी ने. मंगोलिया को एक अरब डॉलर की सहायता से सूचना क्रांती में सहयोग देने से, अब, चीन को भी सोचना पड़ रहा है.., और दक्षिण कोरिया ने तो मोदीजी को, तकनीकी के साथ ,  कोरा चेक (BLANK CHEQUE ) देकर मनचाही रकम देने का आश्वासन दिया है

सूनू: जनता भी असमंजस से  कह रही है कि मोदी मंगोलिया का मंगल क्यों कर रही है...

बोलू: इसके पीछे  दो राज्य है .., पहला मंगोलिया को मित्र बनाकर  चीन को घेरना और मंगोलिया के यूरोनियम भंडार को भारत के लिये उपलब्ध कराना..,  विपक्ष भी..,  इन मुद्दों को जानकर भी, जनता में भ्रम फैलाकर मोदी को घेरने का ताना बाना बून रहा है...

देखू:  मैं अब देख रहा हूं ..,  मोदीजी के ४० से ज्यादा मंत्री.., अब बैंड-बाजा – बाराती बन कर , मोदीजी के “३६५ दिनों की उपलब्धियों” का प्रचार-प्रसार  के ढोल से करोड़ों रूपये खर्च कर यह श्रेय अपने नाम हथियाने के होड़ में दौड़ लगा रहें है...


बोलू: हाँ ..., मोदीजी ने, अपने सांसदों को आव्हान किया था .., अपने छेत्र के एक गांव को गोद लेकर “आदर्श गांव” बनाए .., लेकिन वे सत्ता के बजरबट्टू हैं...., वे नहीं चाहते है कि वातानूकूलित माहौल से अलग होकर , देश की धूप से अपनी चमड़ी काली करें...

देखू: हाँ ..., स्वच्छ भारत अभियान में सांसद से सितारे, अपनी फोटो खिचाने के लिए, दिन के सूरज को अपनी चमक दिखाने के लिए , सुर्खियों में रहने के लिए,  उतरे जरूर थे .., लेकिन देश के सूरज की गर्मी के पसीने के डर से भाग गये..

बोलू: गंगा सफाई अभियान में मझधार में रह गयी है.., अभी ये अपने  को देश के मल्लहार कहने वाले, अब  नाव छोड़कर भागने की ताक में हैं..

देखू: सभी राज्यों की सरकार , देश मी लूट कर रही है.., माफिया की मिली भगत से देश में महंगाई से “अच्छे दिन” के. “छांव की छाते में छेद पड़ रहें हैं” ..., जनता   “माफियाओं के लूट”  से “महंगाई के लू” से मरी जा रही है ,  बोलू ..., अब देश का क्या होगा होगा, कुछ तो बोल...


बोलू: देश को.., सत्ताभोगी मुख्यमंत्रीयों की जगह...,  “30 मोदी” चाहिए  जो १८ घंटे.., DRIVING SEAT पर  राष्ट्रवाद की बेल्ट पहन कर ..., देश को द्रुतगामी सड़कों पर दौड़ाकर अपनी मंजिल को  सुरक्षा व सपन्नता से, भारतमाता को  गौरवशाली से भव्य बनाकर चंद  सालों में ही,  देश को “विश्व गुरु” बना सकते हैं .., जब तक ऐसा जज्बा नहीं रहेगा, देश लूट के लोटे से डूबते रहेगा ...