Sunday, 28 May 2017

क्या ...!!!, अब , मोदी सरकार तो उन्हें भारतरत्न के सम्मान को भूल चुकी है..., क्या...!!!, २८ मई २०१७ को, उनकी १३४ वी जन्म तिथी को राष्ट्रीय प्रेरणा दिवस से बाबा साहेब आंबेडकर की तरह शौर्य दिवस पखवाड़ा के रूप में मनायेगी....


 वीर सावरकर को जिसने नही पहचाना ? उसने हिन्दुस्थान को नही जाना?

१.   आज भी अंडमान जेल की ईंटें, चीख – चीख  वीर सावरकर को दी गई यातनाओं को बयां करती हैं ..

२.  उन्हें ऐसी कोठारी में रखा गया जहाँ से कैदियों को फांसी की सजा देने का दृश्य स्पष्ट दिखाई देता था .., ताकि वीर सावरकर की रूह काप कर वे क्षमा की गुहार लगाए.., अंडमान जेल में कडी ठंड मे , वीर सावरकर को कंबल नही दिया जाता था ताकि ठंड से वे ठिठुर ठिठुर कर मर जाये, इस दंड का भी तोड, वीर सावरकर ने निकाल लिया, वे रात भर शरीर गर्म रखने के लिये दंड-बैठक करते थे, और इसके बाद, उन्हें और उनके जेल के साथियों को,सवेरे से शाम तक कोल्हू के बैल की तरह से तेल निकालना पडता था. जबकि आज तिहाड जेल के सफेद पोश नकाब वाले राजनैतिकों व माफियाओं को, हीटर व वेटर, स्वेटर, पख़े अखबार इत्यादि की एशों-आराम की सुविधा है


३. मेरी गुहार...., क्या इस कोहीनूर हीरे के चमक से कही गुना ज्यादा..., ५६ गुणों से ज्यादा.., परमवीर सावरकर, जिन्होंने राष्ट्रवाद की बलि देंने से इनकार कर, अंग्रेजों के तलवे चाटने के खेल को ठुकराकर सत्ता के ५६ भोग को नकार दिया...

४. क्या ...!!!, अब , मोदी सरकार तो उन्हें भारतरत्न के सम्मान को भूल चुकी है..., क्या...!!!, २८  मई  २०१७  को, उनकी १३४ वी जन्म  तिथी को राष्ट्रीय प्रेरणा दिवस से  बाबा साहेब आंबेडकर की तरह  शौर्य दिवस पखवाड़ा के रूप में मनायेगी....

५. सावरकर जो वीर ही नही परमवीर थे, इस धरती पर चाणक्य के बाद दुरदर्शी क्रातिकारी वीर सावरकर ही थे ,जिनकी दहाड् से अग्रजो का साम्राज्य हिल उठता था, मै तो उन्हे देश के क्रांति का चाणक्य मानता हूँ,? उनकी भूमिका अग्रेजो के समय वीर शिवाजी महाराज व सत्ता परिवर्तने के बाद वीर महाराणा प्रताप की थी? आज तक हमारे देश्वासियो को यह पता नही है, सुभाष चन्द्र बोस, चद्रशेखर आजाद व सरदार भगत सिंग मे क्राति का जन्म वीर सावरकर द्वारा हुआ?

६. यह वीर सावरकर की ही देंन है कि अमृतसर व कलकत्ता पकिस्तान में जाने से बच गया जो सिद्धपुरूष हुए, भविष्य दर्शन सिद्दी उनमे थी , जो सावरकर द्वारा कही है 40 से अधिक भविष्यवाणी आज सार्थक हुई है देश में राष्ट्रवाद की बर्बादी को देखकर उन्होंने नेहरू को चुनौती देते हुए कहा ... मैं सत्तालोलुप नहीं हूं, मुझे दो साल का शासन दो, मैं हिन्दुस्थान को गौरवशाली बनाऊंगा ..

७. आजाद हिद फौज का जन्म वीर सावरकर की प्रेरणा द्वारा ही हुआ, सुभाष चन्द्र बोस उनसे आशीर्वाद लेने गये थे कि मेरी मजिल को सफलता मिले? याद रहे 1947 मे आजाद हिद फौज की अहम भूमिका थी ?

८. चन्द्रशेखर वेकट रमण को वर्ष 1930 मे जब नोबल पुरस्कार मिला. जब, वे मंच पर पुरस्कार ग्रहण करने पर गये तो, तो उन्होने कहा मुझे बढा दु:ख है कि यह पुरस्कार एक गुलाम देश के नागरिक को मिल रहा है, मुझे गर्व होता यदि मै आजाद देश का नागरिक होता. उनके विचार सुनकर चन्द्रशेखर वेकट रमण जब वीर सावरकर को बैगलोर में मिले , तब चन्द्रशेखर वेकट रमण से 3-4 घटे राष्ट्रवाद के बारे मे विस्तार से चर्चा कि तो उन्होने वीर सावरकर के बारे मे कहा यह देश का अनमोल हिरा जिसके चमक के सामने कोहिनूर हीरा भी फीका है?”.

याद रहें, महान भौतिकशास्त्री वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेकट रमण को 1954 मे भारत रत्न मिला था

९. जब वीर सावरकर के अंडमान जेल मे अमानवीय अत्याचार के वजह से जेलर बारी को काला पानी से ब्रिटिश के राजधानी मे तबादला कर दिया था.. . (याद रहे, जेलर बारी ने अंग्रेज प्रशासकों को बताया था कि वीर सावरकर को प्रताडना व कड़ी सजा के बावजूद वे टस से मस होने वालो मे से नही है, वह फौलादी दिल वाला इंसान है और उनके {वीर सावरकर} जेल के कार्यकालमे 90% से ज्यादा कैदी साक्षर हो गये हैं, – इनमे से 60% से ज्यादा मुसलिम कैदी थे

१०.अंडमान जेल में कडी ठंड मे , वीर सावरकर को कंबल नही दिया जाता था ताकि ठंड से वे ठिठुर ठिठुर कर मर जाये, इस दंड का भी तोड, वीर सावरकर ने निकाल लिया, वे रात भर शरीर गर्म रखने के लिये दंड-बैठक करते थे, और इसके बाद, उन्हें और उनके जेल के साथियों को,सवेरे से शाम तक कोल्हू के बैल की तरह से तेल निकालना पडता था. जबकि आज तिहाड जेल के सफेद पोश नकाब वाले राजनैतिकों व माफियाओं को, हीटर व वेटर, स्वेटर, पख़े अखबार इत्यादि की एशों-आराम की सुविधा है

१० वीर सावरकर को अडमान जेल की यातना देने/सहन करने के बाद उनके चेले सुभाष चन्द्र बोस ने कहा , वीर सावरकरजी आप गाँधी जी के कांग्रेस मे शामिल हो जाओ, मै देश की क्राति की बागडोर सभाँलूगा, वीर सावरकर ने उन्हे लताडते हुए कहा मेरे सिद्दांत को त्यागकर मै अग्रेजो की पीछे की चाटता तो मै गाँधी से बहुत आगे होता था,

यदि गाँधी, मेरे सिद्दांओ को मानेगे, तो मै गाधी के पीछे चलकर उनको राष्ट्रवाद की रूकावट मे मार्ग दर्शन कराऊँगा? तु मेरी फिक्र नही करना मै तो देश के लिये, अपनी मौत की कफन साथ मे लेकर फिरता हूँ?

११. वीर सावरकर व उनके परिवार का जन्म ही मातृभूमि की स्वाधीनता हेतु ही हुआ था , अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होने जो संघर्ष किया , उनके बदले मे उन्होने मान. यश, पद या देश से कोई अपेक्षा नही की. लेकिन सच तो यही है उनके अनुपम त्याग के बदले मे पराधीन सरकार व सत्त लोलूप जो आजादी को एक झाँसा बनाकर ,जनता को स्वाधीनता की लोलूप सरकारो ने भी उन्हे शारीरिक व मानसिक यंत्रणाए ही दी...????

१२. क्रांतिकार्य, अस्पृश्यता निवारण , देशोरेम, स्वाभिमान , धर्मसुधारक,लिपी शुद्धी, धर्मांतरित लोगो का शुद्धीकरण, सप्त बंधन तोडने, स्वदेशी व्रत, विदेशी कपडों की होली , शुरूवात मे यह सब कार्य समाज मे विष के समान प्रतीत होती थी,लेकिन यह सब बाद मे समाज मे अमृत समान प्रतीत हुआ उन्होने कहा , ये सब कार्य, समाज को दोषपूर्ण लगे तो भी मै,उन्हे नही छोडूगा/ कारण सभी कार्य शुरूवात मे दोषपूर्ण होते है, इसलिए उन्होनें मिलने के लिए, कर्म, क्रांतीकर्म, अस्पृश्योद्वार का कर्य, अंतिम समय तक नही छोडा.

१३. ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे
उनकी यह भविष्यवाणी सच हुई,

१४. यही हाल वीर सावरकर के जीवन के साथ भी, लालबहादुर शास्त्री के मौत के सदमे के बाद,वीर सावरकर बिमार होते गये ,

उन्होने कहा अब देश गर्त मे चला गया, अब मुझे इस देश मे जीना नही हैवीर सावरकर ने दवा लेने से इंकार कर दिया, एक बार डाक्टर ने उन्हे चाय मे दवा मिला कर दी, तो वीर सावरकर को पता चलने पर उन्होने चाय पीना भी बंद कर दिया , और एक राष्ट्र का महानायक इच्छा मृत्यु (कहे तो आत्महत्या) से चला गया.
वीर सावरकर की यह भविष्यवाणी भी सही निकली ……?????

१५. आज का श्लोगन बन गया है…..
सच्चे का मुँह काला ..????
भ्रष्टाचार का बोलबाला……..

१६. वीर सावरकर ने अपने मौत के पहने कहा कहा मेरी मौत पर कोई हडताल व देश के किसी नगर, शहर मे बंद का आयोजन नही होगा और जो मेरे जिदगी की ५००० रू अमानत है, वह जो हिन्दू , मुस्लिम बने, उनके पुन: हिन्दु धर्म मे आने पर यह धन उनके शुध्हीकरण मे उपयोग मे लाना?

१७. आज भी स्वर साम्राज्ञी कोकिला , भारतरत्न लता मगेशकर भी गला फाडकर चिल्ला रही है, वीर सावरकर को कोइ सम्मान नही मिला है, उनके वीरता की इस देश मे दुर्गति हुई है ………..

१८. अब इस दुनिया ऐसा वीर सावरकर दुबारा पैदा नही होगा? देश के इतिहास को अन्धेर मे रखकर यो कहे देश के इतिहास को दफन कर दिया है….?????????

 - भ्रष्टाचारीयों के महाकुंभ की महान-डायरी

Saturday, 27 May 2017

मोदीजी तो बार-बार दंभ भरते थे कि, उनके गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में, सावरकर के प्रेरक गुरू श्यामजी वर्मा का “अस्थी कलश” लाने का श्रेय उन्हें हैं.., लेकिन श्यामजी वर्मा के विचारों को वास्तविक कर बुलंदी में पहुंचाने का कार्य वीर सावरकर ने ही किया.., उदाहरण,इंग्लैंड के “इंडिया हाऊस” को क्रांतीकारी हाऊस बना दिया था.

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१.     हिंदुत्व में जनेऊ धारण करने के सैकड़ों वैज्ञानिक कारण है, लेकिन देश भक्ती के सात्वीक रस से जनेऊ को राष्ट्र का वीर रस से, समुन्द्र में चलते ब्रिटिश जहाज से कूद मारने के लिए जिसे गोल खिड़की से अपने शरीर की चौड़ाई, जनेऊ से माप कर वीर सावरकर ने निश्चित कर लिया कि उनका शरीर उस खिड़की से आसानी से बिना अटके निकाल सकता है..., शौच के बहाने उस शौचालय की खिड़की से एक ऐतिहासिक साहसिक छलांग से , उस विशाल गहराई के समुन्द्र की परवाह करते किलोमीटर से ज्यादा दूरी तैर कर.., (२८ मई वीर सावरकर की जन्म तिथी है) अंगरेजी सैनिकों द्वारा नाव से उनका पीछा करते, वीर सावरकर , गोलियों की बौछार के जोखिम की परवाह करते वे मार्सेल्स द्वीपमें सुरक्षित पहुँच गए थे..., लेकिन फ्रांस की पुलिस द्वारा सावरकर का अंग्रेजी संवाद समझ पाने से इंग्लैण्ड की पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर पुन: पानी के जहाज में ले गयी.., इस कृत्य से अंग्रेजों की विश्वभर में कडू आलोचना हुई .

. यह वीर सावरकर देश का दुर्भाग्य था कि उन्हें बचाने भगाने में फ़्रांस द्वीप में श्यामजी वर्मा उनके साथियों के मार्सेल्स द्वीपमें पहुँचने में १५ मिनट की देर हो गई थी और वे अंग्रेज सैनिकों द्वारा पकड़े गए अन्यथा वे अंडमान जेल में कैद होते.

. मोदीजी तो बार-बार दंभ भरते थे कि, उनके गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में, सावरकर के प्रेरक गुरू श्यामजी वर्मा का अस्थी कलशलाने का श्रेय उन्हें हैं.., लेकिन श्यामजी वर्मा के विचारों को वास्तविक कर बुलंदी में पहुंचाने का कार्य वीर सावरकर ने ही किया.., उदाहरण,इंग्लैंड के इंडिया हाऊसको क्रांतीकारी हाऊस बना दिया था.

. आप तो श्यामजी वर्मा की अस्थियों का विसर्जन से गुजरात में इनका स्मारक बनाकर गौरान्वित हो..., लेकिन देश में भारत सरकार का आज भी कोई अधिकृत वीर सावरकर का स्मारक नहीं है..., यह तो मुम्बई में , शिवसेना के बाल ठाकरे के भारी सहयोग से दादर स्थान में वीर सावरकर का एकमात्र स्मारक बना .

. याद रहे ..8 जुलाई 2010, को वीर सावरकरजी मार्सेल्स द्वीप की ऐतिहासिक छलांग के पसीने से, 100 वर्षों पूरे होने के उपलक्ष्य में फ़्रांस सरकार, अपने खर्च पर, अपनी भूमि पर मूर्ती का निर्माण कर , सरकारी समारोह से वीर सावरकरजी को अन्तराष्ट्रीय रूप से गौरान्वीत कर, फ़्रांस से विश्व की युवा पीढी को राष्ट्रवाद से यौवान्वित का सन्देश देना चाहती थी .., लेकिन कांग्रेस के लूटेरों ने फ़्रांस सरकार के इस प्रकल्प पर पानी फेर दिया,

. लेकिन, हाल ही के दौरे में.., जब मोदीजी, फ़्रांस में थे, तब वे, विश्व युद्ध में भारतीय सैनिक, जो अंग्रेजों के पिट्ठू बनकर, जर्मंनी सेनाओं द्वारा फ्रांस में बर्बरता पूर्वक मारे गए .., उनके स्मारक में तो गए.., लेकिन मार्सेल्स द्वीपजहां वीर सावरकर ने ब्रिटिश के चलते हुए पानी के जहाज से, ऐतिहासिक छलांग मारकर, विश्व क्रांतीकारियों को अचंभित कर दिया था, उस स्थान में मोदीजी ने जाने की जरूरत ही नहीं समझी और ही उनका उल्लेख अपने भाषण में किया

. यदि, इस दौरे में मोदी सरकार, फ़्रांस सरकार से अनुरोध करती कि २६ फरवरी २०१६ को , वीर सावरकर की ५० वी पूण्य तिथी के उपलक्ष्य में २०१० के फंसे हुए सावरकर स्मारक के अधूरे काम को पूरा कर, फ्रांस हिन्दुस्तानी सरकार मिलकर, संयुक्त रूप से माल्यापर्ण दिवस मनाने से वीर सावरकर को गर्वीत करती तो हमारे हिन्दुस्तानीयों के गौरवशाली इतिहास की जागृती से विश्व से देश की जनता में, वीर सावरकर उनकी कीर्ती राष्ट्राभिमान से राष्ट्रवाद की महक आती 

. आज ७० सालों बाद वीर सावरकरको सुभाषचंद्र बोस से भी भयंकर देशद्रोही कह कर, छद्म राष्ट्र निर्माण के मसीहाओ ने, इस इतिहास को इतनी गहन गहराई में दफ़न कर दिया है, ताकि हमें बुजदिल कौम कहकर, देशवासियों को हताश कर, हमारा गौरवशाली अतीत को जत्लाकर, विदेशी जल्लादों के हाथों हमारे देश को लुटवाते रहें .

. अब देखना होगा २८ मई को मोदी सरकार वीर सावरकर का जन्म दिवस .., एक छोटा समारोह मनाकर..., एक खाना पूर्ती का खेल खेलेगी या सावरकर की विचारधारा का प्रसार करेगी..

१०. अब सवाल यह उठता है कि क्या यह महान क्रांतीकारी, मोदी सरकार के कार्यकाल में, भी इतिहास के पन्नों में दफ़न रहेगा..और क्या,वीर सावरकर को देशद्रोहीकी श्रेणी से जनता को अब और भी भ्रमित करते रहेंगें...!!!!! 
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