Monday, 19 November 2018

इस लोकतंत्र में आप और हम वोट बैंक के मोहरे हैं.., ५साल के रोते हुए चेहरे हैं.. राममनोहर लोहिया ने सही कहा था ...,जिंदा कौमे ५ साल का इन्तजार नहीं करती है...दोस्तों.., इस सुधार के पीछे देश का सबसे बड़ा जहर “अशिक्षा” है.., जिसकी वजह से जनता गरीब होते जा रही है.., खोखले वादों के अफीमी नारों का शिकार हो जाती है.., और वोट बैंक की राजनीती करने वाले अपने को देश का मसीहा कहकर काले धन से अमीरतम बनकर अपने को अप्रतिम कहकर सत्ता को जातिवाद, भाषावाद,धर्मवाद व घुसपैठीयों के कोड़े से जनता को पीटकर,अधमरा कर, महंगाई बढ़ा कर कर्ज के गर्त से देश को डूबा रहें है.




सामाजिक सुधार , राजनैतिक सुधार यह देश की सुरक्षा के ढाल - तलवार है.. – वीर सावरकर

राजनैतिक सुधार पहिले की सामाजिक सुधार पहिले इस पर लोकमान्य तिलक व गोपाल गणेश आगरकर (सामाजिक सुधारक) के बीच  विचार मतभेद होने से खटास व  प्रतिद्वंदिता उत्पन्न हो गई थी जिसका समाधान वीर सावरकर ने दोनों पहलूँ को एक दूसरे का पूरक  बताते हुए कहा  समाज की सुरक्षा से राष्ट्र को उन्नत बनाने के लिए तलवार (आक्रमण) व ढाल (बचाव) के समायोजन जरूरी है 

अब, इस २० वीं सदी के चाणक्य. वीर सावरकर की विचारधारा के अनुसरण किये बिना अब २१ वीं शताब्दी मैं भारत का विश्वगुरू बनाने का सपना एक ढकोसला है
आज सीमा पार के घुसपैठ की मूठ से सामाजिक सुधार के नाम से वोट बैंक की दुधारी तलवार से राष्ट्र (भारत) तेरे तुकडे होंगें के नारों की गूँज है..

हर चुनाव में जनता को चुन चुन कर इस दुधारी तलवार से घाव किया जा रहा है ..., कही जातिवाद , धर्म् वाद , अलगाववाद  व आरक्षण की चमक से लोकतंत्र को मारने की धमक है’’  

सामाजिक सुधार , राजनैतिक सुधार को दरकिनार कर , हर दल ..., इसका हल निकालने में अपने को मसीहा कह कर जनटा को दल-दल में  धंसाने के खेल में माहिर हैं..

१९४७ से “सत्ता परिवर्तन” को “सम्पूर्ण आजादी” कहकर , जनता को भरमाकर..., आराम हराम हैं , गरीबी हटाओं , मेरा भरा महान , इंडिया शाईनिंग , भारत निर्माण से अच्छे  दिन के नारों से ... चुनावी मौसम में  मेढकों की टर्र –टर्र से वादों की बरसात से , सत्ता पर काबिज होने की बात यह पुरानी बात है.

 दोस्तों..इस सुधार के पीछे देश का सबसे बड़ा जहर “अशिक्षा” है..जिसकी वजह से जनता गरीब होते जा रही है..खोखले वादों के अफीमी नारों का शिकार हो जाती है..और वोट बैंक की राजनीती करने वाले अपने को देश का मसीहा कहकर काले धन से अमीरतम बनकर अपने को अप्रतिम कहकर सत्ता को जातिवादभाषावाद,धर्मवाद व घुसपैठीयों के कोड़े से जनता को पीटकर,अधमरा करमहंगाई बढ़ा कर कर्ज के गर्त से देश को डूबा रहें है.

इस लोकतंत्र में आप और हम वोट बैंक के मोहरे हैं..५साल के रोते हुए चेहरे हैं.. राममनोहर लोहिया ने सही कहा था ...,जिंदा कौमे ५ साल का इन्तजार नहीं करती है...