Saturday 23 March 2019

गांधीजी को तो अंग्रेजों से जलपान मिल रहा था.., इसलिए जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड का विरोध नहीं किया था.., उन्होंने तो इन क्रांतीकारियों के कार्य की निंदा कर, अंग्रेजों को एक नया शक्तिबल देकर देशवासियों का दमन करने का पुख्ता इंतजाम कर दिया था , वे तो.., अंग्रेजों के सेफ्टी वाल के लिए अंग्रेजों के सुरक्षा कवच बने.., जब भी क्रांतीकारियों का आन्दोलन, ज्वलंत होने लगता था.., तब गांधीजी से अहिंसा की बारिश करवाकर.., उनके मंसूबों पर पानी फेर देते थे.., अब तो मैं देख रहा हूं ..., सेना की जमीन भी हड़प कर, सत्ता की बंदरबांट से आदर्श महलों व घोटालों के मकडजाल से जनता इसमें फंस कर ७२ सालों से उसका खून चूसा जा रहा है.., हमारी गांधी के स्वराज के पुतले की “स्वराज” का ढिंढोरा पीटकर, विदेशी हाथ, विदेशी, विदेशी साथ विदेशी संस्कार से देश में बेतहासा लूट पर छूट मिल रही है..




पंडित चंद्रशेखर तिवारीउर्फ़ आजाद बचपन से वादों और इरादों के धनी.., के जन्म दिन २३ जुलाई (१९०६) पर विशेष...
वीर सावरकर से प्रेरणा लेकर , इन क्रांतिकारियों ने देश की अस्मिता से समझौता करने के बजाय २७ फ़रवरी १९३१ अलफ्रेड पार्क की जहां शहीद हुए चंद्रशेखर आजाद देश के क्रांतीकारियों में ALL FRIEND बनकर इस चुनौती को स्वीकार कर भारतमाता की गोद में सो कर गुलाम हिन्दुस्थानियों का दिल जीत लिया था
कहानी अलफ्रेड पार्क की जहां शहीद हुए चंद्रशेखर आजाद व ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।

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(बापू के तीन बंदर, अब बन गये है मस्त कलन्दरhttp://meradeshdoooba.com/)
बोलू: अरे देखू.., आज, तू क्या देख रहा है,,
देखू : आज देश के अलफ्रेड पार्क की जहां शहीद हुए चंद्रशेखर आजाद हुतात्मा बने थे उनका जन्म दिन है...,
सूनू: इस नेता के बारे में आज एक खानापूर्ति की रश्म की हल्की सी आहट से मैं आहत हूँ ...

देखू : आज देश के नेता तीन शहीदों का बलिदान दिवस... ८७  सालों के बाद जोर शोर से मना रहें है,
,
बोलू: लेकिन इन्हें तो आज तक देश के क्रान्तीकरियों को शहीद का दर्जा नहीं मिला.., इनके घर तो जर्जर अवस्था में हैं..और आज के सत्ताखोरों के स्वतंत्रता सेनानी के तमगे से इन क्रांतीकारियों की जमीनें हड़प कर उनका अस्तित्व समाप्त कर रहें हैं..

सूनू: हाँ आज की वर्तमान सरकारें भी इनकी ह्त्या के रहस्य की फाईलों को गुप्त रख, कह रहीं है..जनता को राज बताने पर विदेशी ताकतों से हमारे सम्बन्ध खराब होने से विदेशी सहायता न मिलने से देश की अर्थ व्यवस्था.., चौपट हो जायेगी
बोलू: हाँ..., यही ७२  सालों से सभी सरकारों की व्यथा है..
देखू: हाँ, मैं देख रहा हूँ, जहां खुदीराम बोस का मुजफ्‌फरपुर के बर्निंगघाट पर अंतिम संस्कार किया गया था लेकिन उस स्थल पर शौचालय बना दिया गया है. इसी तरह किंग्सफोर्ड को जिस स्थल पर बम मारा गया था उस स्थल पर मुर्गा काटने और बेचने का धंधा हो रहा है.

बोलू :यह शहीदों के प्रति घोर अपमान और अपराध है? देश के स्वाभिमान का घोर अपमान है...
अगर सरदार भगत सिह को तुम कब्र से उठाओं तो तुम उसे दुखी पाओगे, क्योंकि जिस आजादी के लिए बेचारे ने जान गवाई , वह आजादी दो कौड़ी की साबित हुई , तुम शहीदों को उठाओं कब्रों से और पूछों”. क्या इसी आजादी के लिए तुम मरे थे , इतने प्रसन्न हुए थे ...??, इन राजनीतिज्ञों के हाथ में ताकत देने के लिए तुमने कुरबानी दी थी ..?????, तो भगत सिह छाती पीट-पीट कर रोयेगा कि हमें क्या पता था , जिंदगी का..., गांधी तो ज़िंदा थे आजादी आई और आजादी आने के बाद गांधी छाती पीटने लगे थे , गांधी बार-बार कहते थे मेरी कोई सुनता नहीं , मैं खोटा सिक्का हो गया हूँ , मेरा कोई चलन नही है गांधी दुखी है, गांधी सोचते थे : एक सौ पच्चीस साल जीऊंगा , लेकिन आजादी के नौ महीने बाद उन्होंने कहा अब मेरी एक सौ पच्चीस साल जीने की कोइ इच्छा नहीं है , यह बड़ी हैरानी की बात है , शहीदों की चिताओं पर भले मेले भर रहे हों , लेकिन शहीदों के चिताओं के भीतर आंसू बह रहें हैं
सूनू: बात तूने पते की कही है,,,, जनता भी यही कह रही है...
बोलू: देश के शहीदो के अपमान से बने , गाँधी के नाम से, नेता, अपनी नंगई से बनें बेईमान, सत्ता को सट्टा के नाम से देश को भ्रष्टाचार से खोखला कर दिया, आज भी हमारे क्रंतिकारी शहीद भगतसिग, सुभाषचन्द्र बोस , चन्द्रशेखर से वीर सावरकर को भी देश्द्रोहीयों की काली सूची मे है...आज शहीदो के चिताओ पर राजनेता अपनी भ्रष्टाचार की, रोटी सेंककर, अपने को शहीदों से महान बनाने की हौड मे है.. देश का शहद चाटकर , आज देश के गली , मुहल्ले ,नगर , शहर, शिक्षा व अन्य संस्थानों पर ऐसे करोड़ों नाम हैं...,जिसे अपने नाम कर लिए है...??

देखू: हाँ..,  ३३  साल बाद, नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इस स्वाभिमान को जगाने, उनके स्मारक में जाकर जोशीला भाषण मैंने सूना..
देखू: हाँ , सवेरे से प्रधानमंत्री की दौड़ में होड़ लगाने के लिए, सभी पार्टियों के छुटभैये नेता श्रेय ले रहे थे..., जैसे हममें ही.. सरदार भगत सिंग का ही खून दौड़ रहा है..., और तो और श्रदांजली देते समय अन्ना हजारे के आंसू छलक गए थे..
बोलू: लेकिन अन्ना हजारे तो गांधी वादी नेता है...., और गांधी ने तो अहिसा के भ्रामक प्रचार से देश के लोगों को गुलाम मानकर, जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड निर्दोष लोगों की ह्त्या के प्रतिकार न करने से ही, जबकि लाला लाजपत राय की इस प्रतिरोध में मौत होने से..., क्रांतीकारियों में इस शासन को उखाड़ फेंकने का जूनून पैदा हो गया
सूनू: हाँ गांधीजी को तो अंग्रेजों से जलपान मिल रहा था.., इसलिए जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड का विरोध नहीं किया था.., उन्होंने तो इन क्रांतीकारियों के कार्य की निंदा कर, अंग्रेजों को एक नया शक्तिबल देकर देशवासियों का दमन करने का पुख्ता इंतजाम कर दिया था
बोलू: हां.., वे तो.., अंग्रेजों के सेफ्टी वाल के लिए अंग्रेजों के सुरक्षा कवच बने.., जब भी क्रांतीकारियों का आन्दोलन, ज्वलंत होने लगता था.., तब गांधीजी से अहिंसा की बारिश करवाकर.., उनके मंसूबों पर पानी फेर देते थे
देखू: हाँ.., अब तो मैं देख रहा हूं ..., सेना की जमीन भी हड़प कर, सत्ता की बंदरबांट से आदर्श महलों व घोटालों के मकडजाल से जनता इसमें फंस कर ७२  सालों से उसका खून चूसा जा रहा है.., हमारी गांधी के स्वराज के पुतले की स्वराजका ढिंढोरा पीटकर, विदेशी हाथ, विदेशी, विदेशी साथ विदेशी संस्कार से देश में बेतहासा लूट पर छूट मिल रही है..
बोलू: देश के क्रांतीकारी तो खाते पीते घर के थे, उन्हें सत्ता का लोभ नहीं.., भारतमाता की गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराना था.., और इसे राष्ट्रीय धर्म मानकर देश के लिए कुर्बानी से देश के उज्जवल भविष्य की कामना की अपेक्षाओं को, ७२  सालों से सत्ताखोरों ने देश को विदेशी कर्ज से देश को डुबो दिया है...
सूनू: अभी नेता तो भगत सिंग व अन्य क्रांतीकारियों से अपनी सत्ता की पुरी तल कर, जनता में जोश भरने का खेल, खेल रहे हैं..
देखू : देश की हालत देखकर मैं तो गंभीर हो गया हूँ, मेरे रोये खड़े हो गए हैं.., अब देश का क्या होगा
बोलू: देश गर्त में जाएगा, जब तक देशवासी में.., यह सोच रहेगी कि.., भगत सिंग मेरे पडोस में पैदा हो..., यदि देशवासी.., “सोच बदले तो देश बदलेगा...,” “राष्ट्रवाद.., राष्ट्रवाद..., राष्ट्रवाद..,” सावरकर, सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद व अनन्य क्रांतीकारी जैसों से ...

अगर सरदार भगत सिह को तुम कब्र से उठाओं तो तुम उसे दुखी पाओगे, क्योंकि जिस आजादी के लिए बेचारे ने जान गवाई , वह आजादी दो कौड़ी की साबित हुई , तुम शहीदों को उठाओं कब्रों से और “पूछों”. क्या इसी आजादी के लिए तुम मरे थे , इतने प्रसन्न हुए थे ...??, इन राजनीतिज्ञों के हाथ में ताकत देने के लिए तुमने कुरबानी दी थी ..?????, तो भगत सिह छाती पीट-पीट कर रोयेगा कि हमें क्या पता था , जिंदगी का..., गांधी तो ज़िंदा थे – आजादी आई और आजादी आने के बाद गांधी छाती पीटने लगे थे , गांधी बार-बार कहते थे मेरी कोई सुनता नहीं , मैं खोटा सिक्का हो गया हूँ , मेरा कोई चलन नही है गांधी दुखी है, गांधी सोचते थे : एक सौ पच्चीस साल जीऊंगा , लेकिन आजादी के नौ महीने बाद उन्होंने कहा अब मेरी एक सौ पच्चीस साल जीने की कोइ इच्छा नहीं है , यह बड़ी हैरानी की बात है , शहीदों की चिताओं पर भले मेले भर रहे हों , लेकिन शहीदों के चिताओं के भीतर आंसू बह रहें हैं



सरदार भगत सिंग, राजगुरू , सुखदेव की पुण्य तिथी पर विशेष लेख ..,

अगर सरदार भगत सिह को तुम कब्र से उठाओं तो तुम उसे दुखी पाओगे, क्योंकि जिस आजादी के लिए बेचारे ने जान गवाई , वह आजादी दो कौड़ी की साबित हुई , तुम शहीदों को उठाओं कब्रों से और पूछों”. क्या इसी आजादी के लिए तुम मरे थे , इतने प्रसन्न हुए थे ...??, इन राजनीतिज्ञों के हाथ में ताकत देने के लिए तुमने कुरबानी दी थी ..?????, तो भगत सिह छाती पीट-पीट कर रोयेगा कि हमें क्या पता था , जिंदगी का..., गांधी तो ज़िंदा थे आजादी आई और आजादी आने के बाद गांधी छाती पीटने लगे थे , गांधी बार-बार कहते थे मेरी कोई सुनता नहीं , मैं खोटा सिक्का हो गया हूँ , मेरा कोई चलन नही है गांधी दुखी है, गांधी सोचते थे : एक सौ पच्चीस साल जीऊंगा , लेकिन आजादी के नौ महीने बाद उन्होंने कहा अब मेरी एक सौ पच्चीस साल जीने की कोइ इच्छा नहीं है , यह बड़ी हैरानी की बात है , शहीदों की चिताओं पर भले मेले भर रहे हों , लेकिन शहीदों के चिताओं के भीतर आंसू बह रहें हैं

दिल्ली में तो सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर कोई सड़क या गलियारा भी नहीं है
सौ बार जनम लेंगे, सौ बार फ़ना होंगे
ऐ जाने वफ़ा फिर भी हम तुम ना जुदा होंगे
किस्मत हमें मिलने से रोकेगी भला कब तक
इन प्यार की राहों में भटकेगी वफ़ा कब तक
कदमों के निशाँ खुद ही मंजिल का पता होंगे
सौ बार जनम लेंगे...
लेकिन क्रांतीकारियों के मसून्बों पर पानी डालकर आज सभी सरकारों ने उन्हें देशद्रोहियोंके प्रथम कतार में रखा गया है...,
...,
काश नरेन्द्र मोदी कम से कम ७ रेस कोर्स का नाम .., जो प्रधानमंत्री पद के घोड़े का व्यापार (HORSE TRADING ) से ही विख्यात है....
यदि इस मार्ग का नाम वीर सावरकर / सरदार भगत सिंग / सुभाष चन्द्र बोस के नाम से रखा जाता तो देश में इंकलाब आ जाता ..., नई पीढी को देश की आजादी के नीव रखने वाले फ़कीर से प्रेरणा मिलती.., जिनके भगुर को अंग्रेजों द्वारा जब्त घर को वीर सावरकर के जीते जी भी नेहरू ने नहीं दिया .
इस सन्दर्भ जब उनसे पूछा गया कि आप अपने जब्त घर के लिए सरकार से क्यों नहीं लड़ते हो.., तो वीर सावरकर ने जवाब दिया की भले ही हमें खंडित भारत मिला है .., ऊंची हिमालय की चोटिया.., विशाल खंडित, भारतमाता के शरीर को खंडित का तांडव से.., उसके सामने मेरा छोटा घर की मांग करना तुच्छ है....


Sunday 17 March 2019

देश का “चौकीदार चोर है” के विरोधी पक्ष की हुंकार से घबराकर सत्ता पक्ष ने अपने सभी मंत्रियों को “मैं भी देश का चौकीदार” के नारों से प्रधानमंत्री से छुटभैय्ये नेताओं ने अपने Twitter खातों का नाम बदल कर अब जनता में भ्रम फ़ैलाने से पहिले तोड़ने में लगें हैं.., यूं कहें “चौकीदार” का मतलब “चाव की दरकार” देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर देश के ऐसे चौकीदार थे , जिन्होनें देश के दुश्मनों द्वारा उरी में सेना पर हमला करने वाले ,पाकिस्तान को आगाह किया कि देश दब्बू नेताओं का गुलाम नहीं है.., व surgical strike कर, विरोधी दलों के सबूत की हुंकार को खारिज कर दुश्मनों में खौफ पैदाकर, बता दिया कि हमारी सेना का “हर जवान सीमा से देश का चौकीदार है ..,” देश की सेना के रंग संग.., शत्रुओ में बने दबंग.., काश यदि आज तक रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर स्वस्थ रूप से जीवित रहकर अपने पद में रहते तो डोभाल के संग आज अजहर मसूद से विश्व के अन्य आतंकवादियों का सूपड़ा साफ़ हो गया होता..., व विश्व भी हतप्रभ होता... देश के सच्चे चौकीदार की सादगी के जीवन से राष्ट्र भक्त व देश ही सर्वोपरी के भावना से देश को उन्नत बनाने के मंत्र का सलाम व मनोहर पर्रिकर को श्रधांजलि...



बेबाक पोस्ट .., देश का चौकीदार चोर हैके विरोधी पक्ष की हुंकार से घबराकर सत्ता पक्ष ने अपने सभी मंत्रियों को मैं भी देश का चौकीदारके नारों से प्रधानमंत्री से छुटभैय्ये नेताओं ने अपने Twitter खातों का नाम बदल कर अब जनता में भ्रम फ़ैलाने से पहिले तोड़ने में लगें हैं.., यूं कहें चौकीदारका मतलब चाव की दरकार

देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर देश के ऐसे चौकीदार थे , जिन्होनें
देश के दुश्मनों द्वारा उरी में सेना पर हमला करने वाले ,पाकिस्तान को आगाह किया कि देश दब्बू नेताओं का गुलाम नहीं है.., surgical strike कर, विरोधी दलों के सबूत की हुंकार को खारिज कर दुश्मनों में खौफ पैदाकर, बता दिया कि हमारी सेना का हर जवान सीमा से देश का चौकीदार है ..,”
देश की सेना के रंग संग.., शत्रुओ में बने दबंग.., काश यदि आज तक रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर स्वस्थ रूप से जीवित रहकर अपने पद में रहते तो डोभाल के संग आज अजहर मसूद से विश्व के अन्य आतंकवादियों का सूपड़ा साफ़ हो गया होता..., व विश्व भी हतप्रभ होता...

देश के सच्चे चौकीदार की सादगी के जीवन से राष्ट्र भक्त व देश ही सर्वोपरी के भावना से देश को उन्नत बनाने के मंत्र का सलाम व मनोहर पर्रिकर को श्रधांजलि...


फेस बुक व वेब स्थल June 13, 2015 की पुरानी पोस्ट:

१. हमें विश्व गुरू बनना है, तो, वीर सावरकर की विचारधारा को मानना ही पडेगा ..., आज मणिपुर के आतंकवाद का जवाब.., वीर सावरकर की विचारधारा से जाबांजी का ही परिचय है ..

२. आज की ५६ इंच की सरकार”, इस श्रेय से, “११२ इंच का सीना फुलाकर, फूला समाकर. सेना का गौरव व मनोबल बढ़ा रही है..

३. आज, देश के रक्षा मंत्री भी वीर सावरकर की भावनाएं व्यक्त कर , पड़ोसी व दुश्मन देशों में खौफ पसरा है क्योकि 70 सालों से यह देश विदेशी आक्रमणकारियों के लिए पंजरी खाने वाला देश था.

४. श्रेष्ठ कौन..!!!, कलम या तलवार..., स्कूलों में भाषण प्रतियोगितायें होती है .., और मैकाले की शिक्षा प्रणाली में कलम की जीत पर वाक् युद्ध करने वाले को पुरूस्कार दिया जाता है.

५. वीर वीर ही नहीं.., परमवीर सावकर, दुनिया के एक मात्र क्रांतीकारी थे, जिन्होनें समयानुसार, कलम व तलवार..., कलम व पिस्तौल को अपने जीवन में श्रेष्ठ बनाया. इसकी ही छाप से, शत्रु की राजधानी इंग्लैंड में अपना कौशल दिखाया..

६. वीर सावरकर ने, कलम से, भारतीय १८५७ एक पवित्र स्वातंत्र्य समर इतिहास लिखकर” , अंग्रेजों के पसीने छुड़ा दिए..,, वे इतने भयभीत हो गए कि इस इतिहास को बिना पढ़े, बिना प्रकाशन के ही इसे प्रतिबंधित कर दिया, जबकि इसके प्रकाशन की लाखों प्रतिया विश्व में छा गई.., और हिन्दुस्तान की गुलामी व लूट के इतिहास से विश्व परिचित हुआ.

७. याद रहे, इस पुस्तक को पढ़कर, शहीद भगत सिंग में कांती का स्वर बुलंद हो गया.., उन्होंने इस पुस्तक का चोरी छिपे प्रकाशन कर क्रांतीकारियों में बांटी ..., और या पुस्तक क्रांतीकारियों की गीताबन गई.

८. उनका कहना था, अंग्रेजों की बन्दूक से दमनकारी नीती का जवाब काठी नहीं..., राष्ट्रवाद की गोली से देना चाहिए, और जवाब भी दिया.

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९. इतनी यातनाए सहने के बाद,कई बार काल के गाल के निकट पहुँचाने के बावजूद , वीर सावरकर के गाल, यूं कहें चेहरे पर शिकन तक नहीं थी.

१०. इस महान क्रांतीकारी को देश के इतिहास कारों , पत्रकारों आज के मीडिया ने गांधी /कांग्रेस के पिछलग्गू बनकर, पेट भरू , बनकर देश के गरीबों के पेट में लात मारकर, आज के देश की मार्मिक तस्वीर दिखाने के बजाय, अय्याशी का मीडिया (साधन) बनाकर, अपनी कलम से अपने पत्रिकाओं के कॉलम (COLUMN) में देश के गौरवशाली इतिहास को भी कभी सामने आने नहीं दिया ..

११. अभी दिल्ली से, भाजपा नेता, सुब्रमनियम स्वामी की एक हल्की सी हुंकार सुनाई दी कि वीर सावरकार को भारत रत्नदेने की .., क्या ये गूँज भी नेपथ्य में खो जायेगी ..

१२. गुणों की खान वीर सावरकर का कितना भी बखान किया जाय कम है

१३. वीर सावरकर ::: एक महान विद्वान ,राजनयिक, , स्टेट्समैन राजनेता, तत्वचिंतक , क्रांतीकारक लेखक, नाटककार, महाकवि, सर्वोत्तम वक्ता, पत्रकार, धर्मशील, नीतीमान, पंडित, मुनि, इतिहास संशोधक, इतिहास निर्माता, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार, प्रवचनकार, अस्पर्शयता निवारक, शुद्धी कार्य के प्रणेता, समाज सुधारक, विज्ञान निष्ठा सिखाने वाले , भाषा शुद्धी करने वाले, लिपि सुधारक, संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व, बहुभाषिक हिंदुत्व संगठक, राष्ट्रीय कालदर्शन के प्रणेता, कथाकार, आचार्य, तत्व ज्ञानी, महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक, धर्म सुधारक विवेकशील नेता व हुतात्मा थे

१४. दोस्तों इनकी कीर्ती के सामने भारत रत्नतो छोड़ों देश के नोबल पुरूस्कार विजेता व भारत रत्न से सम्मान्नीत महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रमण ने सही कहा था वीर सावरकर की चमक के समक्ष कोहिनूर हिरा भी फीका है..
१५. 70 वर्षों के इतिहास में जिन्होंने देश को १९४७ के पहिले की जनता के सुखमय जीवन को आज गरीबी से ग्रसित किया है (सिर्फ लाल बहादुर शास्त्री क छोड़कर) वे भारत रत्न की शान से आज भी मुहल्ले, गली, शहर में पुतले के साथ अपना नाम कराकर..,जनता को दंश देकर अपनी शान को द्योतक/प्रतीक कह रहें हैं

Friday 8 March 2019

नारी दिवस .!!!!!, नारी.., इंसानों में सर्वोत्तम तुम ही और केवल तुम ही हो... वेश्या पतिता नहीं होती, पतन को रोकती है / पतित जन की गन्दगी , अपने ह्रदय में सोखती है/ जो विषैलापन लिए हैं घूमते नरपशु जगत में , उसे वातावरण में वह फैलने से रोकती है / यही तो गंगा रही कर , पापियों के पाप धोती , वह सहस्रों वर्ष से , बस बह रही है कलुष ढोती, शास्त्र कहते हैं कि गंगा मोक्षप्रद है, पावनी है , किसलिए फिर और कैसे वेश्या ही पतित होती ? मानता हूँ , वेश्या निज तन गमन का मूल्य लेती , किन्तु सोचो कौन सा व्यापार उनका ,कौन खेती ? और यह भी , कौन सी उनकी भला मजबूरियां हैं , विवश यदि होती न, तो तन बेचती क्यों दंश लेती ? मानता यह भी कि वेश्यावृत्ति , पापाचार है यह , किन्तु रोटी है ये उनकी , पेट हित व्यापार है यह , देह सुख लेते जो उनसे, वही उनको कोसते भी, और फिर दुत्कार सामाजिक भी , अत्याचार है यह गौर से देखो , बनाते कौन उनको वेश्याएं , और वे हैं कौन, जो इस वृत्ति को खुद पोषते हैं ? पतित तो वे हैं , जो रातों के अंधेरों में वहां जा - देह सुख भी भोगते हैं , और फिर खुद कोसते हैं



नारी दिवस .!!!!!, मर्दानी ..., अब भरवाओं.., मर्दों से पानी...
राजनीती से समाज ने तुम्हारी पवित्रता को पतितता से, बेड रूम (BED ROOM-शयनयान) की वस्तु बनाकर, भष्टाचार की ऊंची उड़ान भरी है और देश का बेड-रूप बना दिया है....
नारी तुम सब पर भारी..., अब अपने मर्दों (सरपंच से नेता) से कहों..., अब बेड रूम में तुम्हारे प्रपंच का खेल नहीं चलेगा..., भ्रष्टाचार के प्रपंच की पतितता से अब देश में नारी की कुरूपता का व्यव साय नहीं चलेगा .

आओं.., अपने मर्दों से कहों.., राजनीती की बातें BED-ROOM में नहीं, घर के DRAWING –रूम (बैठक कमरे) में हो..., ताकि, मैं देश की एक नई तस्वीर बना सकूं...

अब तक तो.., देश के मर्द सत्ता के मद में देश का मधु पी रहें थे .....
आओं..., मर्दों से कहो..., देश की महिलाओं को जगाकर कहो.., अब, हम तुम्हारी बैसाखी नहीं..., बच्चा पैदा करने की मशीन नहीं..., अब हमारे संस्कारों की सम्मानता से.., हम देश के हर नागरिकों को समान प्यार से, उनके जीवन की प्रेरणा को और उज्जवलित करेंगें... 

नारी..., तेरा प्यार दिल के आँसुओ से भरा रहता है, तुम्हारा दिल तो वात्सलय से 24 घंटे धडकता.. है... हर दु:ख पहुचाने वाले पति से बच्चे हर सख्श तक को आप माफ कर देती हो.. तकि आप की आँसू से वे अपने गलती का अहसास समझ कर प्रायश्चित (सुधर सके) कर सके
आप तो माँ की रूप में , सौ बार अपने आँसुओ से मौका देती है....माँ.., तेरे आँसु सागर से भी गहरे है. लेकिन तेरे सागर के आँसु तो लोगो को जीवन मे कैसे तैरना है,वह सिखाती है...आज तक तेरे आँसु के सागर कोई भी डूबा नही है...क्यो कि इसमे वात्सलय का नमक है...

आपके खून में ही तो देश का वात्सल्य , अभिमान व देश की हरियाली छीपी है..., तुम आरक्षण की वस्तु नहीं देश के संरक्षण की धारा हो...
हमारे समाज के पिस्सुओं ने देश की बच्चियों से नारी को पतितता से वेश्यावृती के धन से अब बलात्कार की हुंकार भर कह रहें हैं..., युवाओं का यह है अधिकार.., है... 

नारी.., समाज के पिस्सुओं ने देहव्यापार में धकेले ढकेले कर..., तुम्हारी पतितता में भी पवित्रता है..




नारी.., इंसानों में सर्वोत्तम तुम ही और केवल तुम ही हो... 
वेश्या पतिता नहीं होती, पतन को रोकती है /
पतित जन की गन्दगी , अपने ह्रदय में सोखती है/
जो विषैलापन लिए हैं घूमते नरपशु जगत में ,
उसे वातावरण में वह फैलने से रोकती है /

यही तो गंगा रही कर , पापियों के पाप धोती ,
वह सहस्रों वर्ष से , बस बह रही है कलुष ढोती,
शास्त्र कहते हैं कि गंगा मोक्षप्रद है, पावनी है ,
किसलिए फिर और कैसे वेश्या ही पतित होती ?

मानता हूँ , वेश्या निज तन गमन का मूल्य लेती ,
किन्तु सोचो कौन सा व्यापार उनका ,कौन खेती ?
और यह भी , कौन सी उनकी भला मजबूरियां हैं ,
विवश यदि होती न, तो तन बेचती क्यों दंश लेती ?

मानता यह भी कि वेश्यावृत्ति , पापाचार है यह ,
किन्तु रोटी है ये उनकी , पेट हित व्यापार है यह ,
देह सुख लेते जो उनसे, वही उनको कोसते भी,
और फिर दुत्कार सामाजिक भी , अत्याचार है यह 
गौर से देखो , बनाते कौन उनको वेश्याएं ,
और वे हैं कौन, जो इस वृत्ति को खुद पोषते हैं ?
पतित तो वे हैं , जो रातों के अंधेरों में वहां जा -
देह सुख भी भोगते हैं , और फिर खुद कोसते हैं  

Sunday 3 March 2019

चेतो मोदी सरकार ..., देश युद्ध के मुहाने पर है.., मत करो चुनावी पूर्व पैसों की बौछार.., देश को धन की शक्त जरूरत है ताकि देश सशक्त हो सके... लुंज पुंज सरकारी कार्यालय में नहीं है कर्मचारियों में कोई काम/कर्म का लय, देश की महंगाई दर SINGLE DIGIT (एकल अंक ) में ४% के आस पास जबकि सरकारी कर्मचारियों को (DOUBLE DIGIT) दोहरे अंक के पार १२% का महंगाई मुआवजा...


चेतो मोदी सरकार ..., देश युद्ध के मुहाने पर है.., 
मत करो चुनावी पूर्व पैसों की बौछार.., 
देश को धन की शक्त जरूरत है ताकि देश सशक्त हो सके...

लुंज पुंज सरकारी कार्यालय में नहीं है कर्मचारियों में कोई
 काम/कर्म का लय, देश की महंगाई दर SINGLE DIGIT 
(एकल अंक ) में ४% के आस पास जबकि सरकारी 
कर्मचारियों को (DOUBLE DIGIT) दोहरे अंक के पार 
१२% का महंगाई मुआवजा... 
 
देश का जवान तिरंगे की सेवा में लालायित.., 
अपने प्राण को न्योछावर से अपने देह में तिरंगा लपेटकर
 घर आने को तैयार व स्वीकारे दुश्मन की हर ललकार..
 
देश का किसान मौसम की मार से ज्यादा अपने फसल 
को बेचने से (ज्यादा) बिचौलियों का शिकार , 
नहीं मिल रहा है फसलों का उचित दाम.., 
क्योंकि मंडियों में है बिचौलियों का दंभ .., 
और इस रंग में  बिकाऊ है  देश का  चौथा स्तम्भ
 (मीडिया – माफिया – नौकरशाहों का रंग हैं दबंग )