गांधी की “गंदी राजनीती” व जवाहर के “जहर” से हमें खंडित भारत के साथ छितरा– व भीतरा, राजे –रजवाड़ों का देश मिला ., देश “वीर सावरकर की विचारधारा” से ही विश्वगुरू बनेगा.
काश इन दो नेताओं ने “वीर सावरकर” की बात मानी होती तो..!!!, ये दो “युग पुरूष” देश की सूरत – सीरत बदल कर, आज विश्व, “हिन्दुस्तान” की तरफ ताकता ..., देश में वोट बैंक, जातिवाद , भाषावाद , अलगाव वाद , घुसपैठीयों के रंग से, आज भारतमाता बदरंग नहीं होत्ती.., देश, भीतरी सत्ताखोरों – माफियाओं गठबंधन व विदेशी लुटेरों के हाथ,साथ,विचार, संस्कार की वैसाखी से आज पंगु न होता..
आज भी हमारे प्रधानमंत्री.., “काले धन का क़ानून बनाने” के बहाने.., “अच्छे दिनों” के १३ महिने बर्बाद कर, काले माफियों को अपरोक्ष रूप ढाल/प्रोत्साहन के ताल से, भ्रष्टाचारी मछलियों के तालाब को तलब करने के बजाय उसे लाबा-लब कर रहें है. भ्रष्टाचारियों के लैब (LAB) नए-नए व्यापक घोटालों की व्यापमता को देखकर.., मौन मोहन सिंग की कार्बन कॉपी से देशवासी.., अब अच्छे दिनों से अचंभित है ,
प्रधानमंत्री अब, विदेश में कटोरा लेकर BEGGER – BUSINESS से BUSY रहकर.., BIG INDIA बनाने के लिए अब भी “राष्ट्रवाद” के देशवासियों की प्रतिभा पहिचानने की भूल कर रहें हैं.., जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान” के मंत्र से ही, स्वदेशी विचारों से श्यामाप्रसाद मुखर्जी व लाल बहादुर शास्त्री के अधूरे सपने पूरे होंगें
वीर सावरकर की, !!!! दो अचूक.., सार्थक भविश्यवाणीयाँ !!!!
१. श्यामा प्रसादजी आपकी देश को बहुत जरूरत है. आप कश्मीर मत जाओं .., आप जिन्दा नहीं लौटेंगें
२. ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा “शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटा आओगे..
२. ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा “शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटा आओगे..
प्रधानमंत्री बनने के बाद, लाल बहादुर शास्त्री ने श्यामा प्रसाद मुखजी मुखर्जी के आधे कार्य को पूरा कर, माना कि .., देश की राजनीती से नेहरू की “जहरीली गन्दगी” दूर किए बिना.., देश में राष्ट्रवादी धारा का प्रवाह नहीं होगा यह उनका प्रबल मत था.., शेख अब्दुल्ला द्वारा “द्विराष्ट्रवाद के नेहरू खेल” का उन्हें अच्छी तरह आभान था.., इसलिए,शेख अब्दुल्ला की शेखी को, गद्दी से उतारकर.., कांग्रेसी SNAKE नेताओं को SHAKE कर उन्हें तो तब नेहरू के इस दुगल्ली राजनीती की अंध भक्ति से अपनी हड्डियों की श्रंखला के टूटने का भीषण आभाष हो गया था .., आज जो धारा ३७० की आड़ में जो खून का तांडव खेला जा रहा है.., उसके निदान के प्रयास के पहिले ही ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री ह्त्या कर, देशी ताकतों ने विदेशी हाथों से मेरे देश के स्वर्णीम युग का स्वप्न छीन लिया
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१. सन १९५३ में, हिन्दु महासभा, राम राज्य परिषद् व जनसंघ ने कश्मीर का हिन्दुस्थान में सम्पूर्ण विलय के लिए के लिये संयुक्त सत्याग्रह किया. कश्मीर के मुख्यमंती शेख अब्दुल्ला ने सरकारी अनुमति के बिना ,बाहर के लोगों को प्रदेश में “प्रवेश बंदी” लगी थी.., तब डॉ श्यामा प्रसाद मुखजी मुख़र्जी ने घोषणा कर की “मैं इस प्रवेश बंदी के विरोध के बावजूद कशमीर जाऊंगा – तब वीर सावरकर ने उनसे कहा ..., “श्यामा प्रसादजी आपकी देश को बहुत जरूरत है. आप कश्मीर मत जाओं .., आप जिन्दा नहीं लौटेंगें..”
२. कश्मीर में प्रवेश करते ही उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल, ह्त्या कर आकस्मिक मौत कह दिया
३. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की माताजी ने , प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखकर इसकी जांच की मांग व मिलने के अनुरोध को ठुकरा दिया, और कहा वे बीमारी से मरे थे.., आज तक पूर्व से वर्तमान सत्ताधारियों ने इस पर जांच करने की भी सोच नहीं की
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१. ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा “शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटा आओगे..,.
२. ९ जनवरी १९६६ की रात लालबहादुर शास्त्री ने ताशकंद से अपनी पत्नी ललिता शास्त्री को फोन कर कहा “मैं हिन्दुस्तान आना चाहता हूँ, यहां, मुझ पर हस्ताक्षर करने के लिए दवाब डाल रहें है..., मुझे यहां घुटन हो रही है...
देश के सत्ता की राजनयिक फौजे बार-बार, शास्त्रीजी से कह रही थी..., भले हम युद्ध जीत गये हैं, यदि आप हस्ताक्षर नहीं करोगे तो आगे अन्तराष्ट्रीय बिरादरी एकजुट होकर देश की आर्थिक स्तिथी बिगाड़ देगी...
३. इसके बाद उनके कड़े मंसूबे, हमारे देश के सत्ता की राजनयिक फौजे तोड़ने में कामयाब हो गयी.., १० जनवरी १९६६ के शाम ४.३० बजे , शास्त्रीजी ने जीती हुई जमीन वापस लौटाने व शांती समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, उनके पुत्र अनिल शास्त्री को कहा गया ..., वे देश के प्रधानमंत्री हैं, उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें विशेष आवास में अकेले में सुरक्षित रखना होगा.
३. प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद समझौते के बाद ८ घंटे के बाद , ११ जनवरी तड़के १ बजे,पाकिस्तानी रसोईये द्वारा रात को दूध पीने के बाद उनकी मौत हो गई, मौत के समय उनके कमरे मे टेलिफोन नही था, जबकि, उनके बगल के कमरे के राजनयिकों के कमरों मे टेलिफोन था, उनकी मौत की पुष्टी होने पर राजनयिकों की फौज दिल्ली मे फोन लगा कर चर्चा कर रहे थे कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा ?
४. अंत तक ललिता शास्त्री गुहार लगाती रही, मेरे पति की मौत की जाँच हो, आज तक सभी सरकारों द्वारा, कोइ कारवाई नही हुई?,
५. इस रहस्य को जानने के लिये, आर.टी.आई. कार्यकर्ता अनुज धर ने एडी चोटी का जोर लगाने के बाद, सरकार की तरफ से जवाब मिला कि यदि हम इस बात का खुलासा करेगें तो हमारे संबध दूसरे देशों से खराब हो जायेगें ?
४. दोस्तों अब सवाल है कि लालबहादुर शास्त्री की ह्त्या खुलासा करेगें तो हमारे संबध दूसरे देशों से खराब हो जायेगें ?, लेकिन डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ह्त्या की जांच से क्या देश के नेताओं के आपस आंच में सम्बन्ध खराब होने से,इस जाँच को चूल्हे की आंच में डाल दिया
५. मानवता के उपासक प्रखर राष्ट्रवादी
महान शिक्षाविद व भारतीय जनसंघ के संस्थापक
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके
बलिदान दिवस पर व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को
भावभीनी श्रद्धांजलि....
भावभीनी श्रद्धांजलि....
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