जरूर पढ़े, नववर्ष में इस पुतले प्रधानमंत्री से निजात मिले , देश को एक शक्तिशाली राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री से देश में खुशहाली की एक नये युग की शुरूवात हो....
इस पुतले के १० साल के मौन व्रत से , देश के जवानों के सिर काटने पर पाकिस्तानके प्रधानमंत्री से आतंकी अजमल कसब को चिकन बिरयानी खिलाकर, दुश्मनों को एक स्फूत्ती का संचार किया है...
असली हीरा तो, कोयले की खान से मिलता है, लेकिन कांग्रेस का “हीरा” देश के “कोयले की खान के साथ, कोयले की फाईल ” भी खा गया….
इस पुतले का एक पार्टी के लिए ७ साल पहिले एक क्रातिकारी बयान आया था, देश के हर संसाधन पर मुस्लिमो का पहला अधिकार है... कहकर इस पुतले ने वोट बैंक की हुंकार जरूर भरी थी .
लेकिन देश के धरती,पाताल,आकाश, अग्नि, से वायु (तरंगों) को अपने मंत्रीमंडल के सहयोगी से माफिया को संरक्षण दे कर , देश के हर संसाधन पर पहला अधिकार दे दिया है ... देश कर्जे से बीमार है,,, प्रति व्यक्ती ५० हजार के कर्ज से देश डूबा है....
वेबस्थल की ३० अक्टूबर २०१२ की पोस्ट इस कार्टून की मुन्ना उवाच
चल चुग जा रे पंछी ये देश है,भ्रष्टाचार का खजाना,
तुने देश का तिनका तिनका चुगकर हजारो नगरी बसाइ,
मजा कर जो किसानो के मेहनत तेरे काम आइ,
अच्छा है सब कुछ लूट कर दौलत तुने कमाइ,
आज जग के आँख का तु है तारा, चाल तेरी मतवाली,
अब ना भूल इस बाग को अब तू और तू ही है इसका माली,
तेरे किस्मत मे लिखा है, इस खेत ही नही, इस देश को लूट कर खाना,
चमक रहे है , पंख और टोपिया तुम्हारे और तुम्हारे धनों का मैखाना,
जिनके साथ तुने लगाए है भ्रष्टाचारीओ के मेले,
मेरी अखियो से आज तू मेरी दुवा ले ले,
किसको पता है इस इस देश मे मुझे हो कब तक हो रहना ……… और
अब जल्दी … जल्दी…. चुग जा रे………… पंछी
कौन जाने अब कब आये, दुबारा ऐसा मौका , नही है इसे गवाँना ……
दोस्तों .., हमारे देश की भव्यता को देखे ... दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा उपजाऊ जमीन, नदियों का जाल, दुनिया का सबसे तेज दिमाग , लोहे व अन्य खदानों का भण्डार ...लेकिन हमारे सत्त्ताखोरों ने राष्ट्रवाद को दरकिनार कर हमें धर्मनिरपेक्ष के झांसे से साम्प्रयवाद के छुपे रंग से वोट बैंक की आड़ में घुसपैठीयों के वोट बैंक से देश के तिरंगे को बदरंग कर दिया है
आओ.,पार्टी नहीं देश का पार्ट बने, “मैं देश के लिए बना हूँ, देश की माटी बिकने नहीं दूंगा, “राष्ट्रवाद की खाद” से भारतमाता के वैभव से देश को भव्यशाली बनाएं
याद रहे , अमेरिका की विदेश मंत्री हेनरी क्लिंगटन ने अपने कार्यकाल में कहा था “हम टी,वी. व इलक्ट्रोनिक व अन्य वस्तुयें चीन, ताईवान,कोरिया, वियतनाम से खरीदते है, लेकिन हम तेजस्वी दिमाग हिन्दुस्तान से खरीदते हैं ,
आज हमारे देश के वैज्ञानिकों को सम्मान न मिलने से , वे विश्व में अपना लोहा मनवाकर, संपन्न देशों को गौरान्वित कर रहें हैं
हर साख पर लुटेरा है, पेड़ में पत्ते से ज्यादा भ्रष्टाचार के दीमक ...जातिवाद, भाषावाद, अलगाववाद के दिमाग से पेड़ (देश) को खोखला बना रहें है,
आओ..., राष्ट्रवाद को जीवन की धारा बनाये..... , और हम सब ...नदियों के रूप मे मिलकर, देश को, सुख - संपन्न्ता व वैभव का एक महासागर बनायें ....
सत्य मेव जयते…., अब बना , सत्ता मेवा जयते ....????, सत्ता एक मेवा है, इसकी जय है (जो, मेरे वेबस्थल का स्लोगन है...), और , इसी की आड मे सत्यम शिवम सुंदरम.... सत्ता एक मेवा है (सत्यम), जो भ्रष्टाचार के त्रिशूल से (शिवम है), और “ भारत निर्माण” के मेक अप से देश की सुंदरता के बखान से (सुंदरम है ),
एक ओटो रिक्शा के पीछे लिखा था सत्य परेशान होता है... लेकिन पराजित नही होता..??. आज के माहौल मे सत्य इतना परेशान होता है कि असत्य के हमले से आत्महत्या कर लेता है., (किसान आत्महत्या/ भूखमरी योजनाओं को, सत्ताखोरों के डकारने से, गरीबी से मौत )....
(आज के कानून की परिभाषा = कान+ऊन = कान मे ऊन = गरीबों के न्याय मे, कानून बहरा है, और भ्रष्ट अमीरों व माफियाओं के लिए कानून ... सेहरा बनकर, उनके गलत कृत्यों को सरताज कहकर, उन्हे, एक – एक , नये - नये ताज पहना रहा है….????) यही, आज का कानून, जो... गरीबों की गुहार सुनने के बजाय, कान मे ऊन डाल कर, तारीख पर तारीख देकर उसे प्रताडित करते रह्ता है. भ्रष्ट सत्ताखोरो, नौकरशाहों व माफियाओ के डर से जजशाही भी, कही अपना निवाला ना छिन जाये, इसलिए इनके चरण दास बन कर..... सत्य की परेशानी को और बढावा दे रही है. मेरे वेब स्थल का दूसरा स्लोगन है मेरा संविधान महान.... यहा हर माफिया पहलवान.... क्योंकि.... कानून से ज्यादा, आज पैसा है, बलवान... तो, क्यों ना डूबे हिंदुस्थान... भ्रष्टाचारी बने राजा... तो, क्यों ना बजे देश का बैंड बाजा....? और हर योजनायें, भोजनाये बन के खाजा , तो भी नही होगा बाल बॉका ...
–दोस्तो... जिस देश मे राष्ट्रवाद नही है, वहां, कर्ज की महामारी है, सत्ता खोरो मे लूट की खुमारी है, जनता के शोषण से राष्ट्र को बीमारी है... यही डूबते देश की कहानी है, राष्ट्रवाद की पुकार से ही.. हो , राष्ट्र की ललकार...???? हर दहाड़ , दुश्मनों के लिए बने पहाड़
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