Friday 30 December 2016

“जो आज तुम्हारा काला धन है आज ही गरीबों की झोली में जाएगा .., चुनाव के हमजोली के, काले धन के खेल से चंदे की झोली भी तुम्हारे काम की नहीं रहेगी .”



आज का अर्जुन.., एक जूनून महा-भारत से विश्वगुरू बनाने को आधुनिक गीता का संदेश के दंश से माफियाओं पर वार से प्रहार ..

१.       “जो आज तुम्हारा  काला धन है आज ही गरीबों की झोली में जाएगा .., चुनाव के हमजोली के, काले धन के खेल से  चंदे की झोली भी तुम्हारे काम की नहीं रहेगी .”

२.       इस  युद्ध में अब दानवीर चुनावी चंदों के कर्ण में कोई भाई – भतीजावाद नही है,  युद्ध की मर्यादा (संविधान से अलग) व रोड़े लगाने वालों को चुन-चुन कर निशाना लगाऊंगा.

३.        अब देह शोषण /व्यापार से देश की द्रोपदियों का चीर –  हरण करने वालों को निशाना बनाकर ख़त्म कर दूंगा.

४.        देश में आतंकवाद , जातिवाद , भाषावाद, अलगाववाद ,घुसपैठियों को इस रणभूमी में ख़त्म करने का मेरा प्रण है .., भले ही मेरे प्राण चले जाये...

५.       देश के गद्धारों की गिद्ध नजर पर निशाना  लगाऊंगा.

६.       देश के भू-माफियाओं को अब “माफ़ किया”  की देश की ७० सालों लूट में खुली छूट के एक-एक पाई का हिसाब लूंगा.

७.       अब चिड़िया की आँख पर ध्यान केन्द्रित करने की बजाय पूरे देश की डाल –डाल , पात –पात के माफियाओं के देश के पते से भ्रष्टाचारियों के पंछियोँ  / पन्क्षियों  के पेड़ को निशाना बनाऊंगा .

८.       अब इस रणभूमि में राजनीती नहीं राष्ट्र की निति है.., देश की भूमि  की गन्दगी की सफाई..., इमानदारों को इनाम व बेईमानों को बे-मान कर, देश बनाऊंगा महान ...


Sunday 25 December 2016

चाणक्य संस्कृति तक हमारा हर दिन बड़ा था,हर दिन त्यौहारों से लबालब से, देश के विश्व गुरूत्व से, देश के गूरूतत्वाकर्षण की धुरी से दुनिया ने लोहा माना. मुग़ल साम्राज्य के बाद हर दिन मध्यम था लेकिन अंगरेजी संस्कृति ने तो देश को डूबों दिया है..,



चाणक्य  संस्कृति तक हमारा हर दिन बड़ा था,हर दिन त्यौहारों से लबालब से, देश के विश्व गुरूत्व से, देश के गूरूतत्वाकर्षण की धुरी से दुनिया ने लोहा माना.


मुग़ल साम्राज्य के बाद हर दिन मध्यम था लेकिन अंगरेजी संस्कृति ने तो देश को डूबों दिया है..,


निज भाषा को नजर अंदाज,  अनपढ़ लोगों को अंगरेजी अपनी माँ कहकर देश विदेशी हाथ ,साथ विचार संस्कार से देश की पूंजी पर ७० सालों  में ७० गुना हावी हो गई है...


देश के  मूलधन को विदेशी धन खा रहा है.. , मोदी सरकार द्वारा देश के काले धन से देशवासियों को बांधने बंधने वाले बाँध को तोड़ने का एक साहसिक कदम के बावजूद से ...


अब, देश की नौकरशाही – माफियाओं के जाल को तोड़ने की बजाय , माफिया मकड़ियों का साथ देकर .., देश के खून चूसने के खेल का खुला सच जनता के सामने आ गया है...


जनता कतार में.., नौकरशाही – माफिया अब एक नए अवतार से..., लूट का खेल अबाध गति से चल रही है ..



जब तक काले धन को  राष्ट्रीय सम्पत्ती घोषित हो
कर, इसे  राष्ट्रीय सुरक्षा (रासुका) का क़ानून न लाया जाय .., भविष्य में काले धन की वापसी जनता के साथ एक उपहास ही साबित होगी   

Wednesday 14 December 2016

यदि इंडियन लोगों को राष्ट्रवाद का नशा लग जाये…??? तो हिन्दुस्थानी शराब पीना छोड देगा….??? हिन्दुस्तानी हिंडोले खाना बंद कर देगा.



यदि इंडियन लोगों को राष्ट्रवाद का नशा लग जाये…??? तो हिन्दुस्थानी शराब पीना छोड देगा….???
हिन्दुस्तानी हिंडोले खाना बंद कर देगा.

(जिस देश का झंडा विदेशी हवाओं से फहराता है .., वह आजादी नहीं, देश की जनता पर गुलामी से देश की बर्बादी है..
कह दो दुनिया के फिरंगियों से अब हमारे देशवासीयों के जीवन व झंडे का रंग न बदलें. अब एक नये उमंग से हिन्दुस्तानी जाग रहा है.., देश की फिजाएं बदल रही है, अब हिन्दुस्तानी जनता ही देश का भ्रष्टाचार दूर करेगी, डूबते देश को एक नए शिखर पर पहुंचाएगी..., अब हममें इतनी फुख है कि विश्व का झंडा भी हमारी श्वासों /स्वाशों से ही फड़कायेगा)
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काले धन की रोक के बावजूद इंडिया अब भी खेल रहा है भ्रष्टाचार का डांडिया , गरीब लोग बैंक की कतार में , BANK तो अब गरीबों का डायन बनकर BAN नोट इंडियन लोगों के घर पहुंचा कर देश को भाररत बना रहा है.

देश के इंडिया का भारत वर्ग , भार-रत लुंज पुंज नौकरशाही से देश की नवरत्न कंपनिया बिकने के बावजूद देश, कर्ज के गर्त में डूबा है.

CORPORATE वर्ग बैंकों का कर्ज डूबोकर देश के राजनेताओं की मिलीभगत से कर्ज माफ़ कराकर अपना CARPET जीवन से अपने धन की पेटी बढ़ाकर , देश का भट्टा बिठा रहें हैं.
देश का हिन्दुस्तानी अन्नदाता किसानअपनी फसल रूपये में बेचता है जबकि बिचौलिया / माफिया उसे डॉलर में बेचता है .., यही देश का DOLLER से रूपये की कॉलर खीच कर, देश के कर्ज में डोलने का राज है. यह देश का दुर्भाग्य है

वही INDIANS हवाला के जरिये विदेशी हवा भी खा कर जीवन का उन्नत आनन्द ले रहें हैं

Allowed on Timeline
Posted on 09 February
२०१३ फेसबुक व वेबस्थल की पुरानी पोस्ट..

एक आरटीआई कार्यकर्ता ने पुछा?…. हम, हमारे देश को क्या कह सकते है ? …इंडिया?….भारत?…… या हिन्दुस्थान…?
तो उसे, जवाब मिला कि इस देश को इन नामो में से कुछ भी कह सकते है ?

दुनिया मे ऐसा कोइ देश नही है जिसे तीन नामो से पुकारा जाता हो?
मेरी इन नामो की शब्दावली निम्न प्रकार से है.
1. इंडिया अकूत धन से चमकने वालो के लियेइंडिया?. यो कहे शाईनिंग इंडिया. (विदेशो मे तो, हमारे देश के भोलेभाले छात्रों को तो, BLOODY INDIANS कहकर उनकी हत्या हो रही है...? )

2. भारत जो, इन चमकने वालो के पिछलग्गू , इनके गलत कामों के सह्भागिता मे भी शामिल होने वालो लोगो के लिये भारत?…… और इंडियन बनने की होड मे दौड रहे है? (भार-रत)

3 हिन्दुस्थान- मेहनत कर भूखमरी की कगार पर पहुचने व आत्महत्या करने वालों के लिये हिन्दुस्थान…?
इस देश की अमीर इंडिया…? और गरीब हिन्दुस्तान के हालात की मार्मिक तस्वीर यह है.,

फरवरी 2010 साल में अखबार में समाचार था, मध्य प्रदेश के टीनू जोशी दपति (I.A.S.- आफिसर) के घर 500 करोड की काली सम्पति…? बरामद हुई है, अभी और लाँकर खुलने बाकी है, उसी के बगल के समाचार कालम मे सटकर यह खबर भी थी, मध्य प्रदेश मे एक परिवार के 4 सदस्यो ने गरीबी से आत्महत्या की ?.

हाँ, एक घर मे ..काले धन वाला चमकदार इंडियन रहता है, और दुसरे झोपडें मे बिना बिजली के मेहनत और ईमानदारी से रोजी रोटे कमाने वाला हिन्दुस्थानी, जो सिर्फ और सिर्फ विकास के नाम पर, वोट बैक के शोषण का मोहरा है. आज गरीबों का वोट बैक, सत्ताधारियों का इनके नाम पर योजनाये निकालकर, धन बैंक के लूट का चेहरा है.


भार-रत भारत जो हिन्दुस्थानीओ के मेहनत को नजर अंदाज कर इंडियन लोगों के साथ मिलकर, एन केन प्रकारेण धन कमाने के चक्कर मे अपने संस्कार, की तिलांजली देकर, अपनी आत्मा का गला घोटकर, अपनी जीवन शैली को अय्याशी बनाने के लिये, इंडियन लोगो का डाँक्टर (डाँग + टर्र = कुत्ता और मेढक ) बनकर उनके धन के लूट मे रखवाली कर (कुत्ता) , चुनावी मौसम मे इंडियन लोग मेढक की तरह का जोर शोर से प्रसार कर रहे है.

Saturday 3 December 2016

मोदी की यह लहर राष्ट्रवाद की अनुभूति की लहर है..., मोदी ने देशवासियों को एक बड़ा सन्देश दिया है ..., (मैं) अकेला क्या नहीं कर सकता हूँ ...


मुरादाबाद की जनसभा में मोदीजी का उद्घोष...,  माफिया नेता + जज साही +नौकशाही मुर्दाबाद , देश की ईमानदार जनता के ईमान को जिंदाबाद..., 

मैं एक फ़कीर अब बना रहा हूँ देश की एक नयी  लकीर..., अब मफियाओं को माफ़ करने का तंत्र जो लोकतंत्र के नाम से लूट तंत्र पर काबिज होकर अपने जादुई ताबीज से जनता को चाबुक मारकर.., उनकी जीतेजी जिन्दगी ताबूत बना रहे थे.

अब उनके एक –एक  पाई से उनके जादुई पांव के चिन्हों के सरपटी भ्रष्टाचार के दौड़ के छाप को ५०० और २००० के नोट को छाप कर अपने छप्पन इंच के सीने से , माफियाओं को सोने व अन्य श्रोत के काले धन से अब उनके सुख – चैन से सोने के दिन  लद चुके है .., अब असली जंग नए ३१ दिसंबर के बाद साल २०१८ में आर –पार  की लड़ाई है.., अब अपार काले धन की सफाई है..

फेस बुक व वेबस्थल के Allowed on Timeline April 30, 2014 की मोदी के लोकसभा के चुनावी रण – भेदी प्रचार की प्रेरक सार्थक पोस्ट

मोदी सत्ता के लिए मोदक नहीं , भारतमाता के रक्षक है..., सत्ता परिवर्तन (१९४७) से आज तक इस सख्स ने अपने बाहुबल से एक सुनामी लहर से वंशवाद , जातिवाद , भाषावाद को दरकिनार करते हुए एक राष्ट्रवादी लहर पैदा कर ...., भारतमाता को गर्वीत कर दिया है...
आज तक देश इंदिरा गांधी व राजीव गांधी के ह्त्या के बाद सहानुभूति लहर आयी थी ...

मोदी की यह लहर राष्ट्रवाद की अनुभूति की लहर है..., मोदी ने देशवासियों को एक बड़ा सन्देश दिया है ..., (मैं) अकेला क्या नहीं कर सकता हूँ ...

देशवासियों को सन्देश है की राष्ट्रवाद में १+१=११ , १+१+१ =१११ , १+१+१+१+१= १११११ , यदि देश की जनता राष्ट्रवादी बने तो हम विश्व में सिरमौर बनेगे... , हमारे १ रूपये की किमत १ डॉलर होगी , देश विश्व गुरू का तमगा पुन: हासिल करेगा.

मोदी ने तो, देशवासियों को कांग्रेस के पंजे से तो मुक्त कर दिया है..., लेकिन भारतीय जनता पार्टी के पांच अंगुलिया अपने अटपटे बयानों से अपने को चुनाव के पहिले ही सत्ता की कुर्सी में बैठे होने का आनन्द मान चुके है...., आज चुनाव प्रचार से गायब है..., अपने को सत्ता का मोदक समझ बैठें हैं...

मैं तो मोदी की प्रतिभा का कायल हूँ, लेकिन कहीं ये पांच उंगलिया ... मोदी के लिए पंजे की भूमिका में , मोदी को दबोचने का खेल न खेलें ....

आज देश १. वोट फॉर इंडिया, २. मोदी सरकार, इस बार, ३. वोट फॉर बी जे पी, तो अपने तीसरे चरण में है
विपक्षी दल भी मोदी का लोहा मान चुके है..., अपने अस्तित्व को बचाने की रणनीती बनाने के ताने बाने बुन रहें है...


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