“हे राम V/s राम – रहीम”, यह इस युग में गांधी की
ब्रह्मचर्य व्रत के पीछे छुपी नारी शोषण के प्रयोग की बाबा राम रहीम बाबा की
पुनरावृति है.
गांधी
को तो मीडिया अमर कर गयी , बाबा को TRP
के
चक्कर में मीडिया निगल गई.
दोस्तों.., सीमा पर हमारे सेना के
जवानों के शहीदी की कोई खबर नहीं , क्योंकि इस खबर में TRP
की
शहद नहीं थी .मीडिया ने बाबा राम रहीम के भक्तों से, धार्मिक उन्माद की खबर
को जंगल की आग से भी तेजी से भड़काई
देश
के तीन तिकड़म बाज...., गांधी , जवाहर व जिन्ना के .. “गांधी की गंदी राजनीती, जवाहर के जहर व जिन्ना
के जिन्न “ इन तीन भेडियों ने शेर की खाल में अय्याशी का चोला पहनकर
“सत्ता परिवर्तन” से जनता को “आजादी” कहकर जातिवाद, भाषावाद की कुल्हाड़ी से
देश को खण्डित कर ५ लाख से अधिक नर मुंडों की बलि लेकर,जमाकर अपने को बापू,चाचा व कायदे-आजम की
उपाधी लेकर, १९४७ से आज तक इनकी विचारधारा से भारतमाता लहू लूहान है
१९४७
तक हमारी शिक्षा दर यदि २५% भी होती तो जनता इनका हिसाब कर देती .., पानी सर से ऊपर बहने से
पहिले नथूराम गोड़से ने गांधी की ह्त्या करने के बाद , इस मकसद के १५० से अधिक
कारण बताये थे .., और यूं कहें , अंग्रेजों द्वारा थोपी
गई तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसे “सत्ताखोरों की आजादी” कह, कही जनता हमारी आजादी
छीन न ले व गुलाम जनता को “सच्ची आजादी” मिलने के भय से नथूराम
गोड़से के कारणों को अति प्रतिबंधित कर दिया . जिन कारणों से ये तीनों तिकड़म अपने
को आज भी हस्तियाँ मानकर , अपने हस्त रेखाओं पर
हंस कर कह रही हैं, देखों हम अपने खंडित देशों में ७१ सालों बाद इस रहस्य से
नोटों , सिक्कों, गली-मुहल्लों के नाम व
पुतलों से विराजमान हैं.
१४
अगस्त २०१७ की फेस बुक व वेबस्थल की पुरानी पोस्ट
GOD-SE, GOD-SAYS, GOD-SAID (देश की खंडता का दिवस
१५ अगस्त.. या ३० जनवरी ...???..!!!.)
नथूराम
गोड्से (GOD-SE, GOD-SAYS, GOD-SAID) जिन्होंने राष्ट्रवाद
की आत्मा की आवाज से जजों को गांधी की गंदी राजनीती के १५० से अधिक कीचड़ का उदाहरण
देते हुए इसमें छद्म अहिसावाद के आड़ में लाखों हिन्दुस्थानियों का बलिदान, विदेशी आक्रान्ताओं
द्वारा धर्म परिवर्तन को उनका साहस कहना, यौन शोषण व
बलात्कारियों को क्षमा का विशेष अधिकार कहकर, देश में जातिवाद को
आबाद रखने के खेल से देश की संप्रभुता को ख़तरे की चिरम सीमा पर पहुंचाने के खेल , खेलने प्रयास में सफल
होने से पहिले ही इस नासूर को मारने के लिए गांधी को मारना अति महत्वपूर्ण हो गया
था ..
नथूराम
गोडसे, एक राष्ट्रवादी योद्धा, जिसने अपने प्राणों की
आहुती से ..., गांधी को , देश के साथ खिलवाड़ से.., देश के टुकड़े करने के
बाद भी, देश की तुष्टी करण की नीती से, देश को असहाय बनाने के
बाद, आगे के खेल से, देश को पंगु बनाने का, अंजाम न दे सके , इस ह्त्या का उद्देश्य
बताया,
याद
रहे, नथूराम गोड़से ने स्वंय अपना मुकदमा लड़ते हुए , गांधी की ह्त्या करने
के १५० कारण गिनाये थे...,तब अदालत में बैठे
दर्शकों की आँखे, आंसू लबालब भरकर, जमीन में गिरकर नाथूराम
गोड़से को सलाम कर रही थी ...
२.
नथूराम ने अदालत में कहा , मैंने गांधी को गोली
मारने में इतनी सावधानी से, इतने, पास से गोली मारी ताकि
उनके बगल में दो युवतियां, जो हमेशा उनके साथ रहती
थी.., उन्हें गोली के छर्रे लगने से, मैं बदनाम न हो जाऊं
(याद रहे, गांधी उन युवतियों के साथ नग्न सोकर, ब्रह्मचर्य /सत्य के
प्रयोग में इस्तेमाल करते थे)
३.
नथूराम ने कहा, ह्त्या के समय गांधी के मुख से “आह” की आवाज निकली, “हे राम” शब्द नहीं ...,
जिसे कांग्रेस ने हेराल्ड अखबार के प्रचार से “हे राम” शब्द से देशवासियों को भरमाया..
जिसे कांग्रेस ने हेराल्ड अखबार के प्रचार से “हे राम” शब्द से देशवासियों को भरमाया..
न्यायाधीश
खोसला ने, अपने सेवा निर्वत्ती के बाद कहा था , यदि मुझे न्याय के लिए
स्वतंत्र विचार दिया जाता तो मैं, नथूराम गोड़से को
निर्दोषी मानता , मैं तो कानून का गुलाम था, इसलिए मुझे नाथूराम
गोड़से व उसके अन्य साथियों को मृत्यु दंड सुनाना पड़ा
नथूराम गोड़से व उनके साथी, ‘भारतमाता की गोद में’ सोने के लिए इतने आतुर थे कि उन्होंने उच्च न्यायालय में अपनी सजा को चुनौती नहीं दी और न ही क्षमा याचना की अपील राष्ट्रपति से की ...
यह
शांती का दूत..????, कपूत निकला.., याद रहे, इस अनशन की खाल में
बापू ने .., दो विश्व युध्ह में २ लाख हिंदुस्थानी सैनिकों की अकारण
बलि देकर, जो कुत्ते की मौत मारे गए थे .. व १९४७ में देश का अंग
भंग कर ५ लाख हिन्दुस्थानियो की बलि लेकर..., इस अहिसा के परदे में
खूनी खेल खेलकर, आज तक शांती दूत का चेहरा दिखाया है...
गाँधी
वध के पश्चात जब सावरकर जी को न्यायलय ने सम्मान बरी किया तो जज का, वीर सावरकर के लिए यह
वक्तव्य था ...,
वक्तव्य था ...,
“सावरकर ने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया, लेकिन ऐसे तुच्छ कार्य
में उन्हें घसीटना बहुत ही निंदनीय है, इस बात की जांच की जानी
चाहिए की ऐसे महान व्यक्ति का नाम इस कार्य में क्यों घसीटा गया”
जबकि स्वयं नथूराम गोडसे ने गाँधी वध में सावरकरजी की संलिप्तता को सिरे से नकार दिया,
धर्मनिरपेक्षता
के झूठे आडम्बर में फंसे तथाकथित सेकुलर उस दिन सूर्य के सामान जुगनू से प्रतीत हो
रहे थे, जो की सूर्य को अपनी मद्दम रौशनी दिखा कर उसे निचा
दिखाने की कोशिश कर रहे है,
दोस्तों
अब गांधी जयंती के आयोजन में झूठे दिखावे के आचरण से, देश को, सरकारी अवकाश व विज्ञापनों
व अन्य खर्चों से १० हजार करोड़ का चूना लगाने वाला है...
गांधी की गंदी राजनीती व जवाहर लाल नेहरू के जहर से देश ६८ साल के सत्ता परिवर्तन के शासन में कंगाल हो गया है..., आज सभी पार्टीयाँ विदेशों में विदेशी हाथ माँगने जा रहें हैं.
६७२ राजधर्म तो जातिवाद, भाषावाद,अलगाववाद, धर्मवाद व घुसपैठीयों से राजनीती में गहरी पैठ से जनता को गरीबी से तडफा-तड़फा कर..., हलाल कर ..., आज अपने को देश का लाल बनाकर., २ अक्टूबर से १४ नवम्बर से सालों - साल तक इनके पुतले..,बिना नहलाए पूजे जा रहें है...और तो और ७० सालों से देश में गरीबी की वजह से गांधी का चष्मा चुरा लिया जाता है..., २ अक्टूबर तक सत्ताखोर बदहवासी में रहता है..