Monday 28 August 2017

गांधी की गंदी राजनीती , जवाहर के जहर व जिन्ना के जिन से खंडित व खूनी ह्त्या इस तिकड़ी जोड़ी से जनता के घावों से हमें घायल देश मिला...


१. सूअर का गोश्त व सुरा का सेवन करने वाला जिन्ना को , इस्लाम का पाक मसीहा मानकर, इस बंटवारे को पाक कहकर पाकिस्तान राष्ट्र का कायदे आजम बना ...

२. गाय के गोश्त का भक्षण करने वाले व सुर सुरा-सुन्दरी के कायल नेहरू को पंडितकह, हिन्दुस्तान की कमान से, खंडित भारत के हार से, अंग भंग से आज भी इंडियन इतिहास में भारत रत्न के सम्मान व गली मुहल्लों के नाम व पुतलों से मान दिया है .

३. ब्रह्मचर्य के प्रयोग से राष्ट्र को शर्मिन्दगी व अहिसां व तुष्टीकरण की आड़ में एक खूनी कटासे देश को खंडित कर, सत्ता परिवर्तन से आजादी का ढोल पीट कर इसे बिना खडग - बिना ढालकहकर , संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए राष्ट्रपिता उर्फ़ बापूकी उपाधी दे दी.

४. अखंड भारत के प्रधानमंत्री के प्रबल दांवेदार सरदार पटेल को रेस से बाहर कर जिन्ना व नेहरू इस दौड़ में थे , व गांधी अंग्रेजों के मकड़जाल की एक मकड़ी बन अधिकृत एक रेफरी / निर्देशी पंच बने थे.

५. जिन्ना की धरती पकड़ जिद्द से अखंड भारत की अकड़ से प्रधानमंत्री बनने की महत्वकांक्षा को मनाने के लिए गांधी ने मुंबई के मालाबार हिल के बंगले जिन्ना हाउसके १९ फेरे लगाए थे , हर बार गांधी को जलील होना पड़ा था,

६. गांधी की गंदी राजनीती , जवाहर के जहर व जिन्ना के जिन से खंडित व खूनी ह्त्या इस तिकड़ी जोड़ी से जनता के घावों से हमें घायल देश मिला...

७. दोस्तों...!!!, सत्ता परिवर्तन के बाद विदेशी हाथ, विदेशी साथ, विदेशी विचार विदेशी संस्कार से जातिवाद भाषावाद,अलगाव वाद के मलहम से व आरक्षण के धागों से वोट बैंक पट्टी से यह घाव ७० सालों बाद भी भरा नहीं है ...,
विश्वगुरू व वेदों के सानी , ज्ञानी और देश की वैभवता के लोप से आज भी देशवासी एक अंधेरी सुरंग में हिचकोले खाते चल रहा है.

काश हमने वीर परमवीर सावरकर की ४० से अधिक सार्थक भविष्यवानियों की ओर ध्यान दिया होता ..., अब भी समय है यदि हम जागें व जंग जीतें ..

एक कविता बलवीर सिंह रंग की है जो इसराइल की विचारधारा है


ओ विप्लव के थके साथियों विजय मिली विश्राम न समझो..,
उदित प्रभात हुआ फिर भी छाई चारों ओर उदासी
ऊपर मेघ भरे बैठे हैं किंतु धरा प्यासी की प्यासी
जब तक सुख के स्वप्न अधूरे
पूरा अपना काम न समझो
विजय मिली विश्राम न समझो
पद-लोलुपता और त्याग का एकाकार नहीं होने का
दो नावों पर पग धरने से सागर पार नहीं होने का
युगारंभ के प्रथम चरण की
गतिविधि को परिणाम न समझो
विजय मिली विश्राम न समझो
तुमने वज्र प्रहार किया था पराधीनता की छाती पर
देखो आँच न आने पाए जन जन की सौंपी थाती पर
समर शेष है सजग देश है
सचमुच युद्ध विराम न समझो
विजय मिली विश्राम न समझो

१९४७ में इस धारा को तोड़कर सत्ता परिवर्तन को आजादी कहकर .., आज आजादी एक “कहकहा-मजाक” बन गई है.., देश कर्ज से गर्त में जा रहा है.


तीन तलाक, गौ ह्त्या , वन्देमातरम को राष्ट्रगान का मुद्दा १९४७ में ही निदान हो जाता यदि देश की जनता ने नेहरू , गांधी व जिन्ना की तिकड़ी से अंग्रेजों की नीती के खाल में छुपकर , एक सुरक्षा द्वार (safety Valve) के छलावे से अखंड भारत के मुद्दे पर चुनाव जीतकर , देश को खंडित कर देश की जनता को धोखा देकर ऐश करने की नीति थी जिसमें राष्ट्रवाद की तिलांजली दी थी.
,
१८५७, एक क्रांती की लहर.., गौ और वन्देमातरम ,राष्ट्र की वन्दना ही इसकी नींव थी .., अंग्रेजों ने इस क्रांती को ग़दर/विद्रोह के स्वरुप में प्रचार कर .., इसे समाप्त .करने का बीड़ा उठाया था.,  १८७० में  वन्देमातरम गीत की उत्पति बंकिम चन्द्र द्वारा हुई तो  हरेक धर्म के लोगों के शरीर में एक नये  का जज्बा से , वन्देमातरम व गौ ह्त्या के विरोध से देश को गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने का देशवासियों में ध्येय अखंड भारतके रूप में रहा..

१९४७ में इस धारा को तोड़कर सत्ता परिवर्तन को आजादी कहकर .., आज आजादी एक कहकहा-मजाकबन गई है.., देश कर्ज से गर्त में जा रहा है. 

१९५२ के चुनाव जीतने पर प्रथम लोकसभा में ९९% संसद सांसद गौ ह्त्या के विरोध व वन्देमातरम को राष्ट्रगान की सहमती थी ..., जब-जब, नेहरू पर सांसदों का दबाव पड़ता तो हर बार.., अपने सांसदों को धमकी देते कि यदि यह बिल पारित हुआ तो मैं प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस को तोड़ दूंगा.., और कांग्रेसी सांसदों को अपनी गद्दी खोने के डर से उन्हें लगता था कि नेहरू के बाद कौन” , १९६२ में चीन के हाथों से पराजय ने जनता को इस नग्नता का भान हो गया
१९६१ में पाकिस्तान ने तीन तलाक को ख़ारिज कर दिया व १९७१ बांग्लादेश के उदय के बाद उसने भी पाकिस्तान की यह नीती जारी रखी
अपने को शांती के मसीहा की आड़ में राष्ट्रवाद को डूबोकर, विदेशी हाथ व विदेशी संस्कृति को अपनी कृति मानकर संसद में नेहरू ने कहा मैं जन्म से हिन्दू , गौ मांस के भक्षण से मुस्लिम व पाश्चात्य संस्कृति की अय्याशी से इसाई हूँ..

यही स्तिथी १९७५ में इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर, “इंडिया इज इंदिराके नाम से स्वयंभू घोषित किया जिसकी करारी हार से इंदिरा गांधी को अपनी अवकाद मालूम पड़ी .

Friday 25 August 2017

जय गणेश देवा , गणेशजी, आपकी शंख ध्वनी से, देशवासियों मे राष्ट्रवाद का मंत्र फूंको... देश के जवान, किसान व विज्ञान , रोज... एक सफलता की , उचाई पर, पहूंच कर... मेरा देश, सुजलाम, सुफलाम से , विश्व का सिरमौर बने..



जय गणेश देवा , गणेशजी, आपकी शंख ध्वनी से, देशवासियों मे राष्ट्रवाद का मंत्र फूंको... देश के जवान, किसान व विज्ञान , रोज... एक सफलता की , उचाई पर, पहूंच कर... मेरा देश, सुजलाम, सुफलाम से , विश्व का सिरमौर बने..

Tuesday 15 August 2017

अभी भी हममें राष्ट्रवाद का खून मौजूद है..., और हमारे में इतनी शक्ती है कि वोट बैंक की आड़ से , देश में हुआ अन्धकार, अब हमारे देशवासी, विश्वगुरू की ऊर्जा से,एक नया उजाला देकर, वन्देमातरम की दहाड़ से, हमारा देश सुजलाम सुफलाम से ही विश्व के सर्वोत्तम से श्रेष्ठतम बनेगा



वन्देमातरम की दहाड़ से ही , हमारा देश सुजलाम सुफलाम से विश्व के सर्वोत्तम से श्रेष्ठतम बनेगा.

देश के इतिहास में लाल किले का एक शेर , विरोधियों का सूपड़ा साफ़ करने बाद...,चौथी बार बिना पट्टे (जंजीर) की विदेशी इशारों की लगाम तोड़ कर दहाड़ा .., और विश्व के देश..., अभी मोदी द्वारा, भविष्य में अपने पिछड़ने का पहाड़ा समझकर अभी से चिंतित हो गए हैं ..., ७० सालों की तुष्टीकरण की नीती से देश के सुस्तीकरण से देश के बूढ़ेपन को विदेशी बैसाखी देने वालों को चेताया.., अभी भी हममें राष्ट्रवाद का खून मौजूद है..., और हमारे में इतनी शक्ती है कि वोट बैंक की आड़ से , देश में हुआ अन्धकार, अब हमारे देशवासी, विश्वगुरू की ऊर्जा से,एक नया उजाला देकर, वन्देमातरम की दहाड़ से, हमारा देश सुजलाम सुफलाम से ही विश्व के सर्वोत्तम से श्रेष्ठतम बनेगा

Monday 14 August 2017

नथूराम गोड्से (GOD-SE, GOD-SAYS, GOD-SAID) जिन्होंने राष्ट्रवाद की आत्मा की आवाज से जजों को गांधी की गंदी राजनीती के १५० से अधिक कीचड़ का उदाहरण देते हुए इसमें छद्म अहिसावाद के आड़ में लाखों हिन्दुस्थानियों का बलिदान, विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा धर्म परिवर्तन को उनका साहस कहना, यौन शोषण व बलात्कारियों को क्षमा का विशेष अधिकार कहकर, देश में जातिवाद को आबाद रखने के खेल से देश की संप्रभुता को ख़तरे की चिरम सीमा पर पहुंचाने के खेल , खेलने प्रयास में सफल होने से पहिले ही इस नासूर को मारने के लिए गांधी को मारना अति महत्वपूर्ण हो गया था ..


GOD-SE, GOD-SAYS, GOD-SAID (देश की अखंडता का दिवस १५ अगस्त.. या ३० जनवरी ...???..!!!.)
नथूराम गोड्से (GOD-SE, GOD-SAYS, GOD-SAID) जिन्होंने राष्ट्रवाद की आत्मा की आवाज से जजों को गांधी की गंदी राजनीती के १५० से अधिक कीचड़ का उदाहरण देते हुए इसमें छद्म अहिसावाद के आड़ में लाखों हिन्दुस्थानियों का बलिदान, विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा धर्म परिवर्तन को उनका साहस कहना, यौन शोषण व बलात्कारियों को क्षमा का विशेष अधिकार कहकर, देश में जातिवाद को आबाद रखने के खेल से देश की संप्रभुता को ख़तरे की चिरम सीमा पर पहुंचाने के खेल , खेलने प्रयास में सफल होने से पहिले ही इस नासूर को मारने के लिए गांधी को मारना अति महत्वपूर्ण हो गया था ..

नथूराम गोडसे, एक राष्ट्रवादी योद्धा, जिसने अपने प्राणों की आहुती से ..., गांधी को , देश के साथ खिलवाड़ से.., देश के टुकड़े करने के बाद भी, देश की तुष्टी करण की नीती से, देश को असहाय बनाने के बाद, आगे के खेल से, देश को पंगु बनाने का, अंजाम न दे सके , इस ह्त्या का उद्देश्य बताया,
याद रहे, नथूराम गोड़से ने स्वंय अपना मुकदमा लड़ते हुए , गांधी की ह्त्या करने के १५० कारण गिनाये थे...,तब अदालत में बैठे दर्शकों की आँखे, आंसू लबालब भरकर, जमीन में गिरकर नाथूराम गोड़से को सलाम कर रही थी ...
१. गांधी ह्त्या के पहिले नथूराम गोडसे ने गांधी को प्रणाम किया, बाद में गोली मारी.
२. नथूराम ने अदालत में कहा , मैंने गांधी को गोली मारने में इतनी सावधानी से, इतने, पास से गोली मारी ताकि उनके बगल में दो युवतियां, जो हमेशा उनके साथ रहती थी.., उन्हें गोली के छर्रे लगने से, मैं बदनाम न हो जाऊं (याद रहे, गांधी उन युवतियों के साथ नग्न सोकर, ब्रह्मचर्य /सत्य के प्रयोग में इस्तेमाल करते थे)
३. नथूराम ने कहा, ह्त्या के समय गांधी के मुख से आहकी आवाज निकली, “हे रामशब्द नहीं ...,
जिसे कांग्रेस ने हेराल्ड अखबार के प्रचार से हे रामशब्द से देशवासियों को भरमाया..
न्यायाधीश खोसला ने, अपने सेवा निर्वत्ती के बाद कहा था , यदि मुझे न्याय के लिए स्वतंत्र विचार दिया जाता तो मैं, नथूराम गोड़से को निर्दोषी मानता , मैं तो कानून का गुलाम था, इसलिए मुझे नाथूराम गोड़से व उसके अन्य साथियों को मृत्यु दंड सुनाना पड़ा
नथूराम गोड़से व उनके साथी, ‘भारतमाता की गोद मेंसोने के लिए इतने आतुर थे कि उन्होंने उच्च न्यायालय में अपनी सजा को चुनौती नहीं दी और न ही क्षमा याचना की अपील राष्ट्रपति से की ...

यह शांती का दूत..????, कपूत निकला.., याद रहे, इस अनशन की खाल में बापू ने .., दो विश्व युध्ह में २ लाख हिंदुस्थानी सैनिकों की अकारण बलि देकर, जो कुत्ते की मौत मारे गए थे .. व १९४७ में देश का अंग भंग कर ५ लाख से कहीं अधिक हिन्दुस्थानियो की बलि लेकर..., इस अहिसा के परदे में खूनी खेल खेलकर, आज तक शांती दूत का चेहरा दिखाया है...

गाँधी वध के पश्चात जब सावरकर जी को न्यायलय ने सम्मान बरी किया तो जज का, वीर सावरकर के लिए यह वक्तव्य था ...,

सावरकर ने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया, लेकिन ऐसे तुच्छ कार्य में उन्हें घसीटना बहुत ही निंदनीय है, इस बात की जांच की जानी चाहिए की ऐसे महान व्यक्ति का नाम इस कार्य में क्यों घसीटा गया

जबकि स्वयं नथूराम गोडसे ने गाँधी वध में सावरकरजी की संलिप्तता को सिरे से नकार दिया,

धर्मनिरपेक्षता के झूठे आडम्बर में फंसे तथाकथित सेकुलर उस दिन सूर्य के सामान जुगनू से प्रतीत हो रहे थे, जो की सूर्य को अपनी मद्दम रौशनी दिखा कर उसे निचा दिखाने की कोशिश कर रहे है,
वीर सावरकर के क्रातिकारी के जज्बे को सलाम करने के के लिए, 13 मार्च 1910 मे जहाज से कूदकर,पानी मे अंग्रज सैनिको की पीछे से गोली गोलियो की बौछर का सामना करते हुए , फ्रांस के मार्सेल तट पर पहुँचे, इस साहसिक घटना को जीवित कर , प्रेरित करने के लिए, घटना की 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मे एक भव्य स्मारक बनाने के लिए भारत सरकार को सूचित किया , और भारत सरकार ने वीर सावरकर को देश्द्रोही कहकर आपत्ति उठाने से वह प्रकल्प बंद करवा दिया..

दोस्तों अब गांधी जयंती के आयोजन में झूठे दिखावे के आचरण से, देश को, सरकारी अवकाश व विज्ञापनों व अन्य खर्चों से १० हजार करोड़ का चूना लगाने वाला है...

गांधी की गंदी राजनीती व जवाहर लाल नेहरू के जहर से देश ७० साल के सत्ता परिवर्तन के शासन में कंगाल हो गया है..., आज सभी पार्टीयाँ विदेशों में विदेशी हाथ माँगने जा रहें हैं...

सत्ता तो मद से भरी.., मदारियों का समूह १९४७ से सत्ता परिवर्तन को आजादी के झांसे से बन्दर बांट से देश को लूट रहा है...

राजधर्म तो जातिवाद, भाषावाद,अलगाववाद, धर्मवाद व घुसपैठीयों से राजनीती में गहरी पैठ से जनता को गरीबी से तडफा-तड़फा कर..., हलाल कर ...
आज अपने को देश का लाल बनाकर., २ अक्टूबर से १४ नवम्बर से सालों - साल तक इनके पुतले..,बिना नहलाए पूजे जा रहें है...और तो और ७० सालों से देश में गरीबी की वजह से गांधी का चष्मा चुरा लिया जाता है..., २ अक्टूबर तक सत्ताखोर बदहवासी में रहता है...

देश मे अस्पतालों से वायुमंडल दूषित से ऑक्सीजन की कमी है, लेकिन आल जन इस वातावरण में भ्रष्टाचार के दबाव से मासूम ही नहीं जनता को भी मार रहें हैं


यदि ये .., गोरखपुर के अस्पतालों में ६०-८० मासूमों की ह्त्या से देशवासियों की आँखों में आंसूं नहीं हैं तो देश के माफिया अब बनेंगे और भी धांसूं ..,

देश मे अस्पतालों से वायुमंडल दूषित से  ऑक्सीजन की कमी है, लेकिन आल जन इस वातावरण में भ्रष्टाचार के दबाव से मासूम ही नहीं जनता को भी मार रहें  हैं  

योगी आदित्यनाथ की मेहनत के बावजूद , माफिया तंत्र  अब भी है हावी, जो  माँ ओं के  हाथ की देश के उज्जवल भविष्य की मेहंदी के लकीरी को उजाड़कर

देश की माँ ओं की चेहरे व  सिन्दूर की लाली, भ्रष्टाचार के बरसात से धुलकर अब फीकी पड़ रही है..!!!
क्या.., अब ..भी..!!!!, जनता में देश की ममता के ममत्व का तत्व के भाव उजड़ चुकें   हैं .


सिलिंडर से SILLY - TENDOR (मूर्ख-निविदा) से मासूमों की ह्त्या से देश अभी भी भटका है 

Tuesday 8 August 2017

९ जून १९४२ अखंड भारत के इतिहास का विश्वास घातक दिवस .,यह “भारत छोड़ों” आन्दोलन नहीं “भारत तोड़ों” आन्दोलन है तुम्हारी तिकड़ी अखंड भारत के साथ धोखा है तुष्टिकरण से सत्तालोलुपता के “अखंड भारत” को “खंडित भारत” से देशवासियों को एक गंदी राजनीती से देश को गर्त में ले जाएगा – वीर सावरकर ९ जून १९४२ अखंड भारत के इतिहास का घातक दिवस, की ७५वी बरसी ,देश के डाकुओं द्वारा तुष्टिकरण के अस्त्र से देश को खंडित करने का बीजोरोपण साबित हुआ ... पतंजली के ज्ञाता वीर ही नहीं परमवीर सावरकर की यह ४० से अधिक भविष्यवाणी वाणियों में यह एक सटीक भविष्य वाणी है



९ जून १९४२ अखंड भारत के इतिहास का विश्वास घातक दिवस .,यह भारत छोड़ोंआन्दोलन नहीं भारत तोड़ोंआन्दोलन है तुम्हारी तिकड़ी अखंड भारत के साथ धोखा है तुष्टिकरण से सत्तालोलुपता के अखंड भारतको खंडित भारतसे देशवासियों को एक गंदी राजनीती से देश को गर्त में ले जाएगा वीर सावरकर

९ जून १९४२ अखंड भारत के इतिहास का घातक दिवस, की ७५वी बरसी ,देश के डाकुओं द्वारा तुष्टिकरण के अस्त्र से देश को खंडित करने का बीजोरोपण साबित हुआ ... पतंजली के ज्ञाता वीर ही नहीं परमवीर सावरकर की यह ४० से अधिक भविष्यवाणी वाणियों में यह एक सटीक भविष्य वाणी है

१.             ये गांधी की ही देंन थी कि, भारत सरकार पर ५५ करोड़ रु. पाकिस्तान को देने का दबाव डाला, माउंटबैटन ने गांधीजी को पाकिस्तान को ५५ करोड़ रु. दिलवाने की सलाह दी. २२ अक्तूबर १९४७ को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया. कश्मीर में युद्ध चलाए रखने के लिए उसे धन की सख्त जरुरत थी. गांधीजी ने पाकिस्तान को ५५ करोड़ रूपए रोकड़ राशि में से दिलवाने के लिए, नेहरु और पटेल पर दबाव डालने हेतु, आमरण उपवास आरम्भ किया. अन्ततोगत्वा, नेहरु और पटेल उपर्युक्त राशी पाकिस्तान को देने को विवश हुए, यद्यपि बाद में पाकिस्तान को इससे भी अधिक धन-राशी भारत को देनी थी. जो आज तक नहीं मिली
२.            गांधी ने भारत विभाजन कराने वाली भयंकर भूलों के तो बीज बो दिए थे
विघटन के बीज लखनऊ-पैक्ट (समझौते) में, जब कांग्रेस ने लखनऊ पैक्ट में दो विषाक्त सिद्धांत स्वीकार किए : पहला , संप्रदाय के आधार पर मुसलमानों को प्रतिनिधित्व, तथा मुस्लिम लीग को भारत के सभी मुसलमानों की प्रतिनिधि संस्था मान्य., सिद्धांत रूप में तो कांग्रेस द्वी राष्ट्रवाद को अस्वीकार करती थी, परन्तु व्यवहार में उसने लखनऊ-पैक्ट के रूप में उसे मान लिया क्योकि इसमें मुसलमानों की लिए पृथक मतदान स्वीकार किया गया था. इस प्रकार इस पैक्ट में विभाजन का बीज बोया गया.
 हिंदुस्थान के प्रतिनिधि तीन कट्टर मुसलमान थे, मार्च १९४६ में ब्रिटिश सरकार के मंत्रिमंडल के तीन सदस्य, सर स्टैफोर्ड क्रिप्स, मि.ए.वी. अलेग्जेंडर और लार्ड पैथिक लारेंस वार्ता और विचार-विमर्श के लिए भारत आए. हिन्दुओ की पूण्य भूमि हिंदुस्थान का प्रतिनिधित्व तीन कट्टर मुसलमानों ने किया. भारतीय कांग्रेस और हिंदुस्थान के समस्त हिन्दुओ के प्रतिनिधि थे कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आजाद. .मुहम्मद अली जिन्ना, मुस्लिम लीग के अध्यक्ष , हिंदुस्थान के मुसलमानों के प्रतिनिधि थे! नवाब भोपाल ने भारत की देसी रियासतों के शासको का प्रतिनिधित्व किया. ब्रिटिश सरकार की ओर से तीन ईसाई और हिंदुस्थान की ओर से तीन मुसलमान हिंदुस्थान के ७७ प्रतिशत हिन्दुओ के भाग्य का निर्णय करने को बैठे.

३. कांग्रेस ने हिन्दू मतदाताओं को धोखा दिया, जब.. कांग्रेसियों ने १९४६ का निर्णायक चुनाव अखंड भारत के नाम पर लड़ा था. बहुमत प्राप्त करने के बाद ,उन्होंने पाकिस्तान के कुत्सित प्रस्ताव को मान कर हिन्दू मतदाताओ के साथ निर्लज्जतापूर्वक विश्वासघात किया. वीर सावरकर ने उनकी भर्त्सना की कि जब उन्होंने निर्लज्ज होकर अपना सिद्धांत बदला है, और अब वे हिन्दुस्तान के विभाजन पर सहमत हो गए है, तो या तो वे अपने पदों से त्यागपत्र दे और स्पष्ट पाकिस्तान के मुद्दे पर पुन: चुनाव लड़े या मातृभूमि के विभाजन के लिए जन-मत कराएं .

४. कांग्रेसियों ने विभाजन क्यों स्वीकार किया? इसमें गांधी की अहम छद्म अहिंसा का मूल मंत्र था,कांग्रेसियों ने मुस्लिम लीग द्वारा भड़काए कृत्रिम दंगो से भयभीत होकर जिन्ना के सामने कायरता से घुटने टेक दिए .यदि दब्बूपन, आत्म-समर्पण, घबराहट और मक्खनबाजी के जगह वे मुस्लिम लीग के सामने अटूट दृढ़ता तथा अदम्य इच्छा शक्ति दिखाते, तो जिन्ना पाकिस्तान का विचार छोड़ देता. लिआनार्ड मोस्ले के अनुसार पंडित नेहरु ने इमानदारी के साथ स्वीकार किया कि बुढापे ,दुर्बलता ,थकावट और निराशा के कारण उनमे विभाजन के कुत्सित प्रस्ताव का सामना करने के लिए एक नया संघर्ष छेड़ने का दम नहीं रह गया था.उन्होंने सुविधाजनक कुर्सीयों पर उच्च पद-परिचय के साथ जमे रहने का निश्चय किया. इस प्रकार राजनितिक-सत्ता, सम्मान और पद के लालच से आकर्षित विभाजन स्वीकार कर लिया.

५. क्या दंगे रोकने का उपाय केवल विभाजन ही था?, सरदार पटेल गांधीजी के पिंजरे में बंद एक शेर थे. उन्हें दंगाइयों के साथ जैसे को तैसा घोषणा करने के लिए खुली छूट नहीं थी, इसलिए उन्होंने क्षुब्ध होकर कहा था, “ये दंगे भारत में कैंसर के सामान है. इन दंगो को सदा के लिए रोकने के लिए एक ही इलाज विभाजन है”. यदि आज सरदार पटेल जीवित होती, तो वे देखते की दंगे विभाजन के बाद भी हो रहे है. क्यों? क्योंकि जनसँख्या के अदल-बदल बिना विभाजन अधूरा था.

६. जनसंख्या के अदल-बदल बिना विभाजन का गांधी ने सुखाव ठुकरा दिया.. यदि ग्रीस और टर्की ने ,साधनों के सिमित होते हुए भी ,ईसाई और मुस्लिम आबादी का अदल-बदल कर के,मजहबी अल्पसंख्या की समस्या का मिलजुल कर समाधान कर लिया ,तो विभाजन के समय में हिन्दुस्तान में ऐसा क्यों नहीं किया गया? खेद है की पंडित नेहरु के नेतृत्व में कांग्रेसी नेताओ ने इस संबंध में डा. भीमराव आंबेडकर के सूझ्भूझ भरे सुझाव पर कोई ध्यान नहीं दिया. जिन्ना ने भी हिन्दू-मुस्लिम जनसँख्या की अदला-बदली का प्रस्ताव रखा था. परन्तु मौलाना आजाद के पंजे में जकड़ी हुई कांग्रेस ने नादानी के साथ इसे अस्वीकार कर दिया. कांग्रेसी ऐसे अदूरदर्शी थे कि उन्होंने यह नहीं सोचा कि जनसंख्या की अदला-बदली बिना खंडित हिंदुस्थान में भी सांप्रदायिक दंगे होते रहेंगे.

७. पाकिस्तान को अधिक क्षेत्रफल दिया गया, १९४६ के निर्णायक आम चुनाव में, अविभाजित हिंदुस्थान के लगभग सभी (२३%) मुसलमनो ने पाकिस्तान के लिए वोट दिया ,परन्तु भारत के कुल क्षेत्रफल का ३०% पाकिस्तान के रूप में दिया गया. दुसरे शब्दों में उन्होंने अपनी जनगणना की अनुपात से अधिक क्षेत्रफल मिला ,यह जनसंख्या भी बोगस थी. फिर भी सारे मुस्लिम अपने मनोनीत देश में नहीं गए.

८. झूठी मुस्लिम जन-गणना के आधार पर विभाजन का आधार माना, कांग्रेस ने १९४९ तथा १९३१ दोनों जनगणनाओ का बहिष्कार किया. फलत:, मुस्लिम लीग ने चुपके-चुपके भारत के सभी मुसलमानों को उक्त जनगणनाओ में फालतू नाम जुडवाने का सन्देश दिया. इसे रोकने वाला या जाँच करने वाला कोई नहीं था. अत: १९४१ की जनगणना में मुसलमानों की संख्या में विशाल वृद्धि हो गई. आश्चर्य की बात है कि कांग्रेसी नेताओं ने स्वच्छा से १९४१ की जनगणना के आंकड़े मान्य कर लिए, यद्यपि उन्होंने उसका बहिष्कार किया था. उन्ही आंकड़ा का आधार लेकर मजहब के अनुसार देश का बटवारा किया गया. इस प्रकार देश के वे भाग भी जो मुस्लिम बहुल नहीं थे,पाकिस्तान में मिला दिए गए.

९. स्वाधीन भारत का अंग्रेज गवर्नर जनरल की सहमती दी....,गांधीजी और पंडित नेहरु के नेतृत्व में कांग्रेस ने मुर्खता के साथ माऊंट बैटन को दोनों उपनिवेशों, हिंदुस्थान और पाकिस्तान का गवर्नर जनरल, देश के विभाजन के बाद भी मान लिया. जिन्ना में इस मूर्खतापूर्ण योजना को अस्वीकार करने की बहुत समझ थी. अत: उसने २ जुलाई १९४७ को पत्र द्वारा कांग्रेस और माऊंट बैटन को सूचित कर दिया की वह स्वयं पाकिस्तान का गवर्नर जनरल बनेगा.परिणाम यह हुआ की माऊंट बैटन स्वाधीन खंडित बहरत के गवर्नर जनरल नापाक-विभाजन के बाद भी बने रहे.

१०. सीमा-आयोग का अध्यक्ष अंग्रेज पदाधिकारी को मनोनीत किया गया ,माऊंट बैटन के प्रभाव में,गांधीजी और पंडित नेहरु ने पंजाब और बंगाल के सीमा आयोग के अध्यक्ष के रूप में सीरिल रैड क्लिफ को स्वीकार कर लिया.सीरिल रैडक्लिफ जिन्ना का जूनियर (कनिष्ठ सहायक) था, जब उसने लन्दन में अपनी प्रैक्टिस आरम्भ की थी. परिणाम स्वरुप, उसने पाकिस्तान के साथ पक्षपात और लाहौर, सिंध का थरपारकर जिला,चटगाँव पहाड़ी क्षेत्र, बंगाल का का खुलना जिला एवं हिन्दू-बहुल क्षेत्र पाकिस्तान को दिला दिये

११. बंगाल का छल-पूर्ण सीमा निर्धारण किया गया,भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उदासीनता के कारण ४४ प्रतिशत बंगाल के हिन्दुओ को ३० प्रतिशत क्षेत्र पश्चिमी बंगाल के रूप में संयुक्त बंगाल में से दिया गया.५६ प्रतिशत मुसलमानों को ७० प्रतिशत क्षेत्रफल पूर्वी पाकिस्तान के रूप में मिला.
चटगाँव पहाड़ी क्षेत्र जिसमे ९८ प्रतिशत हिन्दू-बौद्ध रहते है,एवं हिन्दू-बहुल खुलना जिला अंग्रेज सीमा-निर्धारण अधिकारी रैडक्लिफ द्वारा पाकिस्तान को दिया गया.कांग्रेस के हिन्दू नेता ऐसे धर्मनिरपेक्ष बने रहे की उन्होंने अन्याय के विरुद्ध मुँह तक नहीं खोला.

१२. सिंध में धोखे भरा सीमा-निर्धारण किया, जब सिंध के हिन्दुओ ने यह मांग की की सिंध प्रान्त का थारपारकर जिला जिसमे ९४ प्रतिशत जनसँख्या हिन्दुओ की थी,हिंदुस्थान के साथ विलय होना चाहिए,तो भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस ने सिन्धी हिन्दुओ की आवाज इस आधार पर दबा दी की देश का विभाजन जिलानुसार नहीं किया जा सकता.परन्तु जब आसाम के जिले सिल्हित की ५१ प्रतिशत मुस्लिम आबादी ने पकिस्तान के साथ जोड़े जाने की मांग की,तो उसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया.
बोलू: मजहब के आधार पर विभाजन-धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध गांधी का खेल था... यदि गांधीजी पंडित नेहरु सच्चे धर्म-निर्पेक्षतावादी थे तो उन्होंने देश का विभाजन मजहब के आधार पर क्यों स्वीकार किया?
https://www.facebook.com/BapuKeTinaBandaraAbaBanaGayeHaiMa…/ फेस बुक व वेबस्थल की १७ जनवरी २०१४ की पुरानी पोस्ट 

बोलू: गांधी की आड़ में कांग्रेस में एक बड़ा खेल खेला , हिन्दू राज्य को ठुकराकर, जब गांधीजी और नेहरु ने देश का विभाजन मजहब के आधार पर स्वीकार किया, पाकिस्तान मुसलमानों के लिए और शेष बचा हिंदुस्थान हिंदूओ के लिए, तो उन्हें हिंदूओं को तर्कश: :द्विराष्ट्रवाद के सिद्धांत के अनुसार अपना हिन्दूराज्य स्थापित करने के अधिकार से वंचित नहीं करना चाहिए था .यह पंडित नेहरु ही थे जिन्होंने स्वेच्छाचारी तानाशाह के समान अगस्त १९४७ में घोषणा की थी कि जब तक वे देश की सरकार के सूत्रधार है,भारत हिंदू राज्यनहीं हो सकेगा. कांग्रेस के सभी हिंदू सदस्य इतने दब्बू थे कि इस स्वेच्छाचारी घोषणा के विरुद्ध एक शब्द भी बोलने की भी उनमें हिम्मत नहीं थी.

सुनू: असांविधानिक धर्मनिरपेक्षतावाद के आड़ में कांग्रेस ने देश को धोखा दिया, जब खंडित हिंदुस्थान को हिंदू राज्यघोषित करने के स्थान पर सत्ताधारी छद्म धर्मनिरपेक्षतावादीयों ने धूर्तता के साथ धर्मनिरपेक्षतावाद को ,१९४६ तक अपने संविधान में शामिल किये बिना ही, हिन्दुओं की इच्छा के विरुद्ध राजनीति में गुप्त रूप से समाहित कर दिया.

बोलू : धर्म-निरपेक्षता एक विदेशी धारणा से वाहवाही बटोरने का खेल खेला ,यद्यपि गांधीजी और नेहरु स्वदेशी के मसीहाहोने की डींगे मारते थे, तथापि उन्होंने विदेशी राजनितिक धारणा धर्म-निरपेक्षताका योरप से आयात किया, यद्यपि यह धारणा भारत के वातावरण के अनुकूल नहीं थी.
देखू: धर्मविहीन धर्मनिरपेक्षता को पाखण्ड बनाया, यदि इंग्लॅण्ड और अमेरिका, ईसाइयत को राजकीय धर्म घोषित करने के बाद भी, विश्व भर में धर्म-निरपेक्ष माने जा सकते है,तो हिंदुस्थान को हिंदुत्व राजकीय धर्म घोषित करने के बाद भी, धर्म-निरपेक्ष क्यों नहीं स्वीकार किया जा सकता? पंडित नेहरु द्वारा थोपा हुआ धर्म-निरपेक्षतावाद धर्म-विहीन और नकारात्मक है.

देखू: इसी की आड़ में पूर्वी पाकिस्तान (बंगला देश) में हिन्दुओं का नरसंहार बेरहमी से हुआ और १९४७ में,पूर्वी पाकिस्तान में, हिंदुओं की जनसंख्या कुल आबादी का ३० प्रतिशत (बौद्धों सहित) अर्थात डेढ़ करोड़ थी. ५० वर्षो में अर्थात १९४७ से १९९७ तक इस आबादी का दुगना अर्थात ३ करोड़ हो जाना चाहिए था.परन्तु तथ्य यह है कि वे घट कर १ करोड़ २१ लाख अर्थात कुल आबादी का १२ प्रतिशत रह गये है.१९५० में ५० हजार हिंदुओं का नरसंहार किया गया. १९६४ में ६० हजार हिन्दू कत्ल किये गए. १९७१ में ३० लाख हिन्दू, बौद्ध तथा इसाई अप्रत्याशित विनाश-लीला में मौत के घाट उतारे गए. ८० लाख हिंदुओं और बौद्धों को शरणार्थी के रूप में भारत खदेड़ दिया गया. हिंदुस्थान के हिन्दू सत्ताधारियो द्वारा हिंदुओं को इस नरसंहार से बचने का कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.

बोलू: हमारे देश में कांग्रेस ने हिदू विस्थापितों की उपेक्षा की गई, यदि इज्रायल का ला ऑफ़ रिटर्नप्रत्येक यहूदी को इज्रायल में वापिस आने का अधिकार देता है. प्रवेश के बाद उन्हें स्वयमेव नागरिकताप्राप्त हो जाती है.परंतु खेद है की हिन्दुस्थान के छद्म-धर्मनिरपेक्ष राजनितिक सत्ताधारी उन हिदुओं को प्रवेश करने पर अविलंब नागरिकता नहीं देते, जो विभाजन के द्वारा पीड़ित हो कर और पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में अत्याचार से त्रस्त होकर भारत में शरण लेते है.

देखू: नेहरु ने लियाकत समझौता का नाटक खेला , जब विभाजन के समय कांग्रेस सरकार ने बार बार आश्वासन दिया था कि वह पाकिस्तान में पीछे रह जाने वाले हिंदुओं के मानव अधिकारों के रक्षा के लिए उचित कदम उठाएगी परन्तु वह अपने इस गंभीर वचनबद्धता को नहीं निभा पाई. तानाशाह नेहरु ने पूर्वी पकिस्तान के हिंदुओं और बौद्धों का भाग्य निर्माण निर्णय अप्रैल ८ १९५० को नेहरु लियाकत समझौते के द्वारा कर दिया उसके अनुसार को बंगाली हिंदू शरणार्थी धर्मांध मुसलमानों के क्रूर अत्याचारों से बचने के लिए भारत में भाग कर आये थे, बलात वापिस पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली मुसलमान कसाई हत्यारों के पंजो में सौप दिए गए
.
बोलू: हां लियाकत अली के तुष्टिकरण के विरोध कने के लिए लिए वीर सावरकर गिरफ्तार कर लिया, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को पंडित नेहरु द्वारा दिल्ली आमंत्रित किया गया तो छद्म धर्मनिरपेक्षतावादी कृतघ्न हिन्दुस्थान सरकार ने नेहरु के सिंहासन के तले ,स्वातंत्र वीर सावरकर को ४ अप्रैल १९५० के दिन सुरक्षात्मक नजरबंदी क़ानून के अन्दर गिरफ्तार कर लिया और बेलगाँव जिला कारावास में कैद कर दिया.पंडित नेहरु की जिन्होंने यह कुकृत्य लियाकत अली खान की मक्खनबाजी के लिए किया, लगभग समस्त भारतीय समाचार पत्रो ने इसकी तीव्र निंदा की. लेकिन नेहरू के कांग्रेसी अंध भक्तों ने कोई प्रतिक्रया नहीं की

देखू; १९७१ के युद्ध के बाद , हिंदू शरणार्थियो को बलपूर्वक बांग्लादेश वापिस भेजा
श्रीमती इंदिरा गाँधी की नेतृत्व वाली हिन्दुस्थान सरकार ने बंगाली हिंदूओं और बौद्ध शर्णार्थियो को बलात अपनी इच्छा के विरुद्ध बांग्लादेश वापिस भेजा.इनलोगो ने इतना भी नहीं सोचा कि वे खूंखार भूखे भेडीयो की मांद में भेडो को भेज रहे है.

बोलू: बंगलादेशी हिंदुओं के लिए अलग मातृदेश की मांग को इंदिरा गांधी ने अपने दुर्गा देवी की छवि को आंच न आये , इसलिए वह भी अपने निहित स्वार्थों की वजह से इसे अनदेखा कर दिया
सूनू: यह आज तक कांग्रेस का दुग्गला पण रहा है, एक तरफ तो , यदि हिन्दुस्थान की सरकार १० लाख से भी कम फिलिस्थिनियो के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ में एक अलग मातृभूमि का प्रस्ताव रख सकती है तो वह २० लाख बंगाली हिंदुओं और बौद्धों के लिए जो बांग्लादेश के अन्दर और बाहर नारकीय जीवन बिता रहे है उसी प्रकार का प्रस्ताव क्यों नहीं रख सकती.

देखू: इसके पहले कि और एक विडबन्ना , जो बांग्लादेश के तीन-बीघासमर्पण कर दिया, जब
१९५८ के नेहरु-नून पैक्ट (समझौते) के अनुसार अंगारपोटा और दाहग्राम क्षेत्र का १७ वर्ग मिल क्षेत्रफल जो चारो ओर से भारत से घिरा था ,हिन्दुस्थान को दिया जाने वाला था .हिन्दुस्थान की कांग्रेसी सरकार ने उस समय क्षेत्र की मांग करने के स्थान पर १९५२ में अंगारपोटा तथा दाहग्राम के शासन प्रबंध और नियंत्रण के लिए बांग्लादेश को ३ बीघा क्षेत्र ९९९ वर्ष के पट्टे पर दे दिया.

बोलू: लेकिन, अब तो वोट बैंक के तुष्टीकरण की भी कांग्रेस ने सभी हदें पार कर दी , जब केरल में लघु पाकिस्तान, मुस्लिम लीग की मांग पर केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने तीन जिलो, त्रिचूर पालघाट और कालीकट को कांट छांट कर एक नया मुस्लिम बहुल जिला मालापुरम बना दिया .इस प्रकार केरल में एक लघु पाकिस्तान बन गया. केंद्रीय सरकार ने केरल सरकार के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया.

आयें ..., हम प्रतिज्ञा ले.. इस राष्ट्रवादी धागे को और मजबूत बनाएं...
Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold. के संकल्प से गरीबी हटकर, भारत निर्माण से, इंडिया शायनिंग से, हमारे LONG – INNING से, “FEEL GOOD FACTOR” से देश के अच्छे दिन आयेंगें..,


Monday 7 August 2017

वासुधैव कुटुम्बकम के इस धागे में, धर्म परिवर्तन, जातिवाद, भाषावाद, अलगाववाद व घुसपैठीयों के वोट बैंक के विभिन्न रंगों के लेप से इस हिन्दुस्थानी धागे को तोड़कर , बहुत सारे खंडित धागे बनाने के लिए विदेशी आक्रमणकारीयों..., के बाद विश्व के देशों व अब तो देशी मीडिया भी इस गलिछ्ता से गलीचे वाला जीवन जी कर हिंदुत्व के ठेकेदार से “स्टार चैनल” से विदेशी संस्कृति से देश को “विकृत” कर दलाल बन कर देश को हलाल कर रहें है..,


१. हिंदुत्व ही बंधुत्व है, पूरा विश्व ही हिन्दू का तत्व है..., अब आरक्षण,जातिवाद,भाषावाद की तलवार, एक नई धार से, नेताओं के वोट बैंक की दांत की चमक के पैने पन की तस्वीर से, आज देश ऊंचाई को छूने की बजाय बौनाहोते जा रहा है..,
२. विदेशी हाथ,विचार,संस्कार ,भाषा से देश के स्वाभिमान को कलुषित कर, हमारे गौरवशाली अतीत से विश्व गुरू की क्षमता दिखाने के बजाय इन राजनेताओं ने ७० सालों से विदेशी हाथों से विदूषक बनकर,विदेशी कठपुतली बनकर, देश की खिल्ली उड़ा रहें है ..,
३. आजादी के मसीहा कहकर, छद्म पुतलों व सडकों के नाम देखकर.., देश को चौपटनगरीकर, अंधे राजाओं को देखकर , आज भी भारतमाता आहभर.., कराह कर, कह रही है.., ७० सालों बाद भी..!!!, मेरे १३० करोड़ बेटों को किस तरह, विदेशी हाथ- विदेशी साथ विदेशी विचार- विदेशी संस्कार , जाति, भाषा व धर्मपरिवर्तन से आपस में, लड़ाकर..., कैसे मेरे कटे अंगो के घाव सहित , पुन: मुझे विदेशी जंजीरों से बांधने का प्रयास किया जा रहा है.
४. कहां गए...!!!!!, मेरे वीर सपूत विनायक सावरकर, भगत सिंग ,राजगुरू, आजाद, सुभाष चन्द्र,रानी लक्ष्मीबाई पुत्री व अन्य लाखों क्रांतीकारी जिनके विचारों को ताबूत में बंद कर दिया.., क्या आज की गुलामों की शिक्षा से, अब अब्दुल कलाम जैसे राष्ट्रवादी प्रतिभाओ का जन्म होगा...
५. वासुधैव कुटुम्बकम के इस धागे में, धर्म परिवर्तन, जातिवाद, भाषावाद, अलगाववाद व घुसपैठीयों के वोट बैंक के विभिन्न रंगों के लेप से इस हिन्दुस्थानी धागे को तोड़कर , बहुत सारे खंडित धागे बनाने के लिए विदेशी आक्रमणकारीयों..., के बाद विश्व के देशों व अब तो देशी मीडिया भी इस गलिछ्ता से गलीचे वाला जीवन जी कर हिंदुत्व के ठेकेदार से स्टार चैनलसे विदेशी संस्कृति से देश को विकृतकर दलाल बन कर देश को हलाल कर रहें है..,
६. विश्व चाहता है कि कैसे हम इन हिंदुस्थानी धागों को तोड़कर , टूटे धागों की गाँठ बांधकर, हमें, नए गुलामों की जमात बनाकर..., एक मजबूत रस्सी से बाँध कर रखें...,
७. हिंदुत्व तो ..., मातृत्व-माता (वन्देमातरम),/ पितृत्व-पिता (राष्ट्रवाद),/गुरुतत्व-गुरू (वैदिक वैज्ञानिक ज्ञान से गुरू है) व वासुधैव कुटुम्बकम (भाई-बहन चारा ) के असंख्य धागों का योग है...
हम प्रतिज्ञा ले.. इस राष्ट्रवादी धागे को और मजबूत बनाएं...

Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold. के संकल्प से गरीबी हटकर, भारत निर्माण से, इंडिया शायनिंग से, हमारे LONG – INNING से, “FEEL GOOD FACTOR” से देश के अच्छे दिन आयेंगें..,

Saturday 5 August 2017

दोस्तों.., मार्मिक स्तिथी है.., पाकिस्तान जैसे तानाशाह देश ने तो पनामा लिक घोटालों में प्रधानमंत्री की गद्दी चीन छीन गई.., हमारे देश के २० वीं व २१ वीं सदी के नायकों /महानायकों को इन ७० सालों के घोटालों से आज तक कोई खरोच नहीं आई है क्योंकि नौकरशाही जजशाही इसमें कॉकरोच बनकर क़ानून से जनता में कर्क रोग फैला कर .., तिलचट्टे से भ्रष्टाचार के चट्टे –बट्टे बनकर देश की साख को बट्टा लगाकर देश का भत्ता डकारकर देश का भट्टा बिठा रहें हैं ..


nn१. चेतो मोदी सरकार.., मैं कैसे मनाऊँ आजादी..., अब हर साल १५ अगस्त को मेरे खाते में ७० साल का १५ लाख रूपये के काले धन का आने का इन्तजार करता हूँ ..,


२. वेंकैया नायडू ने विदेशी काले धन पर व्यंग किया (वेंकैया ) व अब नो डू (नायडू) कह कर .., उपराष्ट्रपति के पद से सिरमौर व अरूण, आपके चाय की ज्येष्टली, ज्येष्ट केटली लोकसभा के हारे नायक एक पिछले दरवाजे से राज्यसभा में खूंटा गाड़ सत्ता पक्ष के सदन के नेता , व अब अगले दरवाजे से वेंकैया नायडू.., संसदीय मंत्री से राज्यसभा के सभापति बन गयें हैं .


३. चेतो मोदी सरकार.., देश के विदेश से ज्यादा , घर में छुपे गद्दारों से ख़तरा हैं.., माफियाओं का डीएनए DNA देश में ही बसता है, इनका सफाया ही एक रास्ता है..,


४. इस देश में १९४७ से आज तक डकारे गए रकम में दांत में फंसे भोजन को भी अदालत बरामद नहीं कर सकी है..., लालू के १००० करोड़ रूपये के घोटालों एवज २५ साल बाद, ब्याज की रकम जो ४० हजार करोड़ बनती थी और इसे मात्र ५ करोड़ का दंड व चार साल की LUXURY जेल में LUX साबुन के चाँद सितारों के साबुन से साबूत, बिना सबूत नहलाई से जीवन में एक नई चमक आई है ..


५. दोस्तों.., मार्मिक स्तिथी है.., पाकिस्तान जैसे तानाशाह देश ने तो पनामा लिक घोटालों में प्रधानमंत्री की गद्दी चीन छीन गई.., हमारे देश के २० वीं व २१ वीं सदी के नायकों /महानायकों को इन ७० सालों के घोटालों से आज तक कोई खरोच नहीं आई है क्योंकि नौकरशाही जजशाही इसमें कॉकरोच बनकर क़ानून से जनता में कर्क रोग फैला कर .., तिलचट्टे से भ्रष्टाचार के चट्टे बट्टे बनकर देश की साख को बट्टा लगाकर देश का भत्ता डकारकर देश का भट्टा बिठा रहें हैं ..


६. अभी RTI से मिली जानकारी मुंबई को शौच मुक्त मुंबई घोषित करने में ३०० करोड़ का घोटाला.,सचिवालय बना शौचालय.., गृह निर्माण मंत्री प्रकाश मेहता का १००० करोड़ का भू-खंड घोटाले, व उद्योग मंत्री सुभाष देसाई का ४००० करोड़ का घोटाला.., अभी और भी महाराष्ट्र में सैकड़ों घोटाले गर्भ में पल रहें.., और जिनकी अभी DELIVERY भी हो गई है , लेकिन मुख्यमंत्री उसे अपना बेटा मानकर भरण पोषण कर प्रदेश को भ्रष्टाचार से कुपोषित कर रहें हैं.


७. जब तक RTI के विशेष अदालत व अपराधी का NARCO TEST नहीं होगा, तो देशवासी क़ानून से निचोड़ा हुआ RIGHTLY TWISTED INDIADIANS ही रहेगा .


८. सीमा पर स्तिथि विकराल है, चीन पाकिस्तान की चुनौती है ,जब तक दुश्मनों पर महाकाल बनकर हीं निपटने से इसका निदान है




Deshdoooba Community की अगस्त १५, २०१५ की वेबस्थल व फेस बुक की पुरानी पोस्ट
१. मै कैसे मनाऊँ, आजादी...???, चेतो मोदी सरकार.., मेरी ऊंगली की अच्छे दिनोंके मतदान की स्याही.., पिघलकर, मुझे बदरंगा कर रही है.


२. 15 AUGUST को ALL GUEST बनकर - देश के सभी भेड़ियों माफिया मेहमानों ने देशप्रेमी का चोला पहनकर, क्रूरता से देश को लूटकर…???, अब…?,


३. पुरानी खबर में नया कवर.., या पुरानी बोतल में नई शराब.., सत्ता का ख्वाब..., यह सत्ता-विपक्ष (अच्छे दिनों V /s भारत निर्माण) की अहंकार की लड़ाई नही.., देश के अंधकार की कहानी है..., सुषमा के इस्तीफे, के इस तोहफे से कांग्रेस के २५ सांसद बर्खास्त .., सत्ताधारी भाजपा का रास्ता साफ़ ..., क्यों नहीं इन मुद्दों पर होती खुलकर बात .., हर, राजनैतिक दलों का कीचड़ क्यों नहीं होता साफ़...!!!!, कमल की जगह कमाल की राजनीती है उदयमान.., जनता हैरान..., सीमा पर जवान परेशान ..., दे रहा अपनी जान..!!!!!!!!!!!!!!!.


४. संसद १५ दिनों से ठप्प ..., मीडिया की TRP से गप ..,, यही है जनता को दिखाने का लोली-पॉप से, बने देश के बाप से , लोकतंत्र का बना पाप..


५. राष्ट्रवाद.. बेहाल .., क्या यही है, राजनीती का कमाल..... ,पंजाब में आतंकी हमला.., फिर भी सांसद का दिल नहीं पिघला ...


६. देश के ६८ सालों से, संसद के समय की बर्बादी से राष्ट्र की बर्बादी है ... डूबते देश की कहानी है...,


संसद के हुड्दंड से सत्ता हुई बदरंग .., देशवासी दंग.., देश का दाग बने, दबंग..,
७. देश के, आज तक के सत्ता परिवर्तन के इतिहास में काला धब्बा.., संसद हुड़दंग का डब्बा.., अच्छे दिनों का बज रहा है बैंड बाजा के BAD बराती ले रहें हैं .., कैंटीन में भोज.., हर रोज मौज..,जनता सोच रही है.., कैसी आजादी.., यह तो देश की है बर्बादी...


८. मोदीजी.., अपनी पार्टी की चीटियों को बचाने के लिए देश का हाथी बल मत बर्बाद करों .., आपकी पार्टी में भ्रष्टाचार से उलटे पिरामिड के अवशेष के अवयय , पुरानी पार्टी के भारत निर्माणकी तरह उग चुके है..., कही ये देश के बचे हुए खेत को भी चुग न लें. आज तक, सी.बी. आई को पिंजरे में रखकर इस भ्रष्टाचार की बयार से .., आज तक अभी तोंते जांच में पिंजरे सहित गायब हो गए हैं...!!!! और जनता हाथ मलते रही है....!!!


९. कहाँ हैं...!!!, मेरे देश के लाललाल बहादुर शास्त्री का जय जवान- जय किसानके विचार..,, जिन्होंने तो, जनता और किसानों में राष्ट्रवाद का दंभ भरकर जिन्होंने १८ महीनों में देशी विदेशी माफियाओ व नेताओं की दुकानों में ताला लगाकर, मुंह काला किया था ..,


१०. भ्रष्टाचार में लिप्त पाने में, लाल बहादुर शास्त्री ने अपने ही केन्द्रीय मंत्री कृष्णामचारीका इस्तीफा रूस जाने के, अपनी ह्त्या होने के पहिले लेकर, “जय जवान - जय किसानमें स्फूर्थीफूख दी व पार्टी में सनसनी से मातम फ़ैल गया था .., नेताओं को मजबूर कर मजदूत बनाकर देश को इतना मजबूत कर दिया कि वह विश्व गुरू की दहलीज में पहुँच गया था


११. आराम हराम है, गरीबी हटाओ, मेरा भारत महान, इंडिया शाइनिंग भारत निर्माण के अच्छे दिनों से सत्ता के चौपड़ का यह है उल्टा पिरामिडकी शुरूवात से जनता संशयित है.., देश की सीमाओं के जज्बों का ठोस सन्देश व सीमा पार से आतंकवाद का मकबूल जवाब नहीं मिला है..


१२. देश के क्रांतीकारियों को देशद्रोहीकह, देश को आगे भी, और क्रूरतमता से, लूटने के लिये, तिरंगे के शान की आड़ मे, जश्न-ए आजादी के नाम से, जनता को अफीमी नारोंके दंश से डंस अब एक, नए खोजी लूट की योजनाओ का आयाम बना रहे है,,,,?????,


१३. चेतो मोदी सरकार.., सी.बी. आई., को, लाल किले के प्राचीर पिंजरे से आजादीकी घोषणा न होने से देशवासी निराश है, इसे पिंजरे से आजादीदो .., ताकि , इस देश के ६८ सालोंके काले किलेके भ्रष्टाचार के काले कलंकके सत्ता के चौपड़से देश को चौपट कर, सत्ता को खैरातमानकर, देश को डूबोने वालों की खैर लेकर, गरीबों की अंधेरी रातों में .., देश का दिन का उजालाआयेगा .जनता के भी अच्छे दिनआयेंगें


१४. इस आजादी के ६८ सालों बाद, केन्द्रीय सुरक्षा आयोग व सीमा पर तैनात जवानों को स्वायत्ता दिए बिना, देश के आधे प्रतिशत जो देश में विदेशी हाथ,साथ बात संस्कारों से देश की दिशा व दशा तय कर रहें हैं.., सीमा पर, घुसपैठ व नशे के कारोबार की कड़ी से अवैध व्यापार के व्यापम घोटालों मे व्याप्त से मालालाल है.., देशवासी बेहाल है..


१५. देश के १२५ युवा आपके मेक इन इंडिया व स्किल इंडिया से पार्टी के कार्यकर्ताओं से नेताओं की अपने प्रदेशों में बंदरबांट से महंगाई से अपने को MAHAN-GAI समझ रहें


१६. देश १९४७ से सत्ता परिवर्तन को आजादी का जश्न मनाकर.., सत्त्ताखोरो सत्ताखोरों ने देशी - विदेशी माफियाओं के दंश से देशवासियों को घायल कर दिया है.


१७. दोस्तों, देश तो कर्ज़ो के, विदेशी बम्बू (आधार) से खड़ा है ...जागो देशवासी, डूबते देश को बचाने से पहले, देशी माफिया भेड़ियो, से निपटो , दुश्मन तो पहले से ही घात लगाकर बैठे है...हम अपने जवानो का सिरा कटाकर दे सकते है....?????, लेकिन LOC ( LOVE OF COMBINATION- प्रेम का बंधन) इजराईल की तरह, सीमा पार करने की अनुमति दे सकते नही...???? लूट के खेल मे सत्ताधारी को तो छोड़ो...????, विपक्षी भी इस प्रेम के बंधन मे इतने व्यस्त है... कि उन्हे भी, देश की लूट से फुर्सत नही है...?????