Friday 31 December 2021

यदि 31 दिसम्बर को नथूराम गोडसे ( GOD –से ) ने गांधी की हत्या की होती तो देश को नए साल के पहिले की सबसे बड़ी यादगार रात के जश्न की dry day ( सूखा दिन ) की रात बनकर आज देश को खरबों रूपये तक के राजस्व की हानी होती और शराबी आज के दिन पानी पी पी कर गांधी को कोसते



यदि 31 दिसम्बर को नथूराम गोडसे ( GOD –से ) ने गांधी की हत्या की होती तो देश को नए साल के पहिले की  सबसे बड़ी यादगार  रात के जश्न की dry day ( सूखा दिन ) की रात बनकर आज देश को खरबों रूपये  तक के राजस्व की हानी होती

और शराबी आज के दिन पानी पी पी कर गांधी को कोसते की  इंग्लैंड  में वकालत सीखने की जाने के समय जिस शख्स ने अपने जीवन में माँ बाप के सामने पराई स्त्री व शराब को हाथ न लगाने की कसम खाई थी इसके बावजूद गांधी ने वजूद तोड़कर  सुर सुरा सुंदरी से मौज मस्ती कर व बीबी की मौत के बाद  दो सुंदर लड़कियों के साथ अपने अंगों को आनंद देकर ब्रहचर्य व  सत्य के प्रयोग से दुष्कर्म कर महात्मा का चोला पहना था वह हमारी परीक्षा ले रहा है

नाथूराम तूस्सी ग्रेट हो …, आपने  ३० जनवरी को मुझे टपकाया ५५ करोड़  रूपये पाकिस्तान को देने के जुर्म से

यदि आप मुझे ३१ दिसम्बर को टपकाया होता तो  आज dry date से देश को ५५००० लाख करोड़ से बहुत अधिक रूपये से देश की GDP की हानि के राजस्व की भरपाई नही होतीं

 

नथूराम गोडसे, एक राष्ट्रवादी योद्धा, जिसने अपने प्राणों की आहुती से ..., गांधी को , देश के साथ खिलवाड़ से.., देश के टुकड़े करने के बाद भी, देश की तुष्टी करण की नीती से, देश को असहाय बनाने के बाद, आगे के खेल से, देश को पंगु बनाने का, अंजाम न दे सके , इस ह्त्या का उद्देश्य बताया,

याद रहे, नथूराम गोड़से ने स्वंय अपना मुकदमा लड़ते हुए , गांधी की ह्त्या करने के १५० कारण गिनाये थे...,तब अदालत में बैठे दर्शकों की आँखे, आंसू लबालब भरकर, जमीन में गिरकर नाथूराम गोड़से को सलाम कर रही थी ...




१. गांधी ह्त्या के पहिले नथूराम गोडसे ने गांधी को प्रणाम किया, बाद में गोली मारी.

२. नथूराम ने अदालत में कहा , मैंने गांधी को गोली मारने में इतनी सावधानी से, इतने, पास से गोली मारी ताकि उनके बगल में दो युवतियां, जो हमेशा उनके साथ रहती थी.., उन्हें गोली के छर्रे लगने से, मैं बदनाम न हो जाऊं (याद रहे, गांधी उन युवतियों के साथ नग्न सोकर, ब्रह्मचर्य /सत्य के प्रयोग में इस्तेमाल करते थे)

३. नथूराम ने कहा, ह्त्या के समय गांधी के मुख से आहकी आवाज निकली, “हे रामशब्द नहीं ...,
जिसे कांग्रेस ने हेराल्ड अखबार के प्रचार से हे रामशब्द से देशवासियों को भरमाया..

न्यायाधीश खोसला ने, अपने सेवा निर्वत्ती के बाद कहा था , यदि मुझे न्याय के लिए स्वतंत्र विचार दिया जाता तो मैं, नथूराम गोड़से को निर्दोषी मानता , मैं तो कानून का गुलाम था, इसलिए मुझे नाथूराम गोड़से व उसके अन्य साथियों को मृत्यु दंड सुनाना पड़ा

नथूराम गोड़से व उनके साथी, ‘भारतमाता की गोद मेंसोने के लिए इतने आतुर थे कि उन्होंने उच्च न्यायालय में अपनी सजा को चुनौती नहीं दी और न ही क्षमा याचना की अपील राष्ट्रपति से की ...

यह शांती का दूत..????, कपूत निकला.., याद रहे, इस अनशन की खाल में बापू ने .., दो विश्व युध्ह में २ लाख हिंदुस्थानी सैनिकों की अकारण बलि देकर, जो कुत्ते की मौत मारे गए थे .. व १९४७ में देश का अंग भंग कर ५ लाख हिन्दुस्थानियो की बलि लेकर..., इस अहिसा के परदे में खूनी खेल खेलकर, आज तक शांती दूत का चेहरा दिखाया है...

गाँधी वध के पश्चात जब सावरकर जी को न्यायलय ने सम्मान बरी किया तो जज का, वीर सावरकर के लिए यह
वक्तव्य था ..., “सावरकर ने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया, लेकिन ऐसे तुच्छ कार्य में उन्हें घसीटना बहुत ही निंदनीय है, इस बात की जांच की जानी चाहिए की ऐसे महान व्यक्ति का नाम इस कार्य में क्यों घसीटा गया

जबकि स्वयं नथूराम गोडसे ने गाँधी वध में सावरकरजी की संलिप्तता को सिरे से नकार दिया,




धर्मनिरपेक्षता के झूठे आडम्बर में फंसे तथाकथित सेकुलर उस दिन सूर्य के सामान जुगनू से प्रतीत हो रहे थे, जो की सूर्य को अपनी मद्दम रौशनी दिखा कर उसे निचा दिखाने की कोशिश कर रहे है,

वीर सावरकर के क्रातिकारी के जज्बे को सलाम करने के के लिए, 13 मार्च 1910 मे जहाज से कूदकर,पानी मे अंग्रज सैनिको की पीछे से गोली गोलियो की बौछर का सामना करते हुए , फ्रांस के मार्सेल तट पर पहुँचे, इस साहसिक घटना को जीवित कर , प्रेरित करने के लिए, घटना की 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मे एक भव्य स्मारक बनाने के लिए भारत सरकार को सूचित किया , और भारत सरकार ने वीर सावरकर को देश्द्रोही कहकर आपत्ति उठाने से वह प्रकल्प बंद करवा दिया..

दोस्तों अब गांधी जयंती के आयोजन में झूठे दिखावे के आचरण से, देश को, सरकारी अवकाश व विज्ञापनों व अन्य खर्चों से १० हजार करोड़ का चूना लगाने वाला है...

गांधी की गंदी राजनीती व जवाहर लाल नेहरू के जहर से देश ६८ साल के सत्ता परिवर्तन के शासन में कंगाल हो गया है..., आज सभी पार्टीयाँ विदेशों में विदेशी हाथ माँगने जा रहें हैं...

सत्ता तो मद से भरी.., मदारियों का समूह १९४७ से सत्ता परिवर्तन को आजादी के झांसे से बन्दर बांट से देश को लूट रहा है...

राजधर्म तो जातिवाद, भाषावाद,अलगाववाद, धर्मवाद व घुसपैठीयों से राजनीती में गहरी पैठ से जनता को गरीबी से तडफा-तड़फा कर..., हलाल कर ..., आज अपने को देश का लाल बनाकर., २ अक्टूबर से १४ नवम्बर से सालों - साल तक इनके पुतले..,बिना नहलाए पूजे जा रहें है...और तो और ७५ सालों से देश में गरीबी की वजह से गांधी का चष्मा चुरा लिया जाता है..., २ अक्टूबर तक सत्ताखोर बदहवासी में रहता है...

Friday 10 December 2021

देश का लाल भारतमाता की गोद से छीन गया… , देश स्तब्ध...

 


देश का लाल भारतमाता की गोद से छीन  गया , देश स्तब्ध...

  

सीडीएस विपिन रावत ने देश के तीनों सेना के अंग मे भर दी रंग, से... भारतमाता के जीवन में तरंग से. देशवासियों में देशभक्ति की उमड़ी उमंग

 

दुश्मन देश रह गए दंग... 2014 से पहिले कैसे राजनेताओं के भ्रष्टाचार के रंग से सेना की वर्दी पर दाग लगाकर मदमस्त हो रहे मुस्टंडों के गुंडों ने राष्ट्रवाद की पीठ से खंजर भोक कर, राष्ट्र कहरा रहा था

 

जनरल रावत के अगुवाई में सेना की ताक़त को दुश्मनों में खौफ का माहौल था व सीमा को छूने का अंजाम का पूर्वाभास से  पैजामा गीला था

   

याद रहे, हमारे एक  शूर-वीर फील्ड मार्शल मानेक शाह ने देश के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पाकिस्तान से युद्ध में झोकने से पहिले चेताया व कहा था मेरे सेना के मानक से उसकी तैयारी सिर्फ 25% है और हम 100% युद्ध के लिए तैयार नही हैं

  

इसके बावजूद युद्ध में फील्ड मार्शल मानेक शाह की दूर दर्शिता से मात्र 14 दिनों में हम युद्ध जीत जाने पर इसका श्रेय काँग्रेस पार्टी ने लेकर इन्दिरा गांधी को दुर्गा के रूप में स्थापित किया

इन्दिरा गांधी के इस पाखंड को चुनौती देते हुये फील्ड मार्शल मानेक शाह ने कहा “तुम में कितना भी घमंड हो लेकिन याद रखना तेरे नाक से लंबी मेरी नाक  है”

 

1962 की लड़ाई  में फील्ड मार्शल करिअप्पा ने अतहप्रयास के नेहरू के छद्म शांति के प्रयास से देश को चेताते हुये कहा था, देश को सावरकर की विचार धारा अपनाकर देश का हर सैनिक व देशवासी वीर शूरवीर बनकर देश चंद दिनों में विश्व गुरू बन जाएगा और चीन के युद्ध में इस हार के लिये  पूर्ण रूप से प्रधान मंत्री नेहरू को जिम्मेदार ठहराया

 

1965  में पाकिस्तान के अचानक आक्रमण से प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपने सेना के त्तीनों अंगों को खुली छूट देकर, युद्ध जीतकर इसका श्रेय स्वन्य न लेकर , देश व सेना के जवानों व किसानों को दिया व उनके इस राष्ट्रवाद के जागरण से, बाद में देश व विदेश के माफियाओं के सुनियोजित संगठन ने उनकी ह्त्या हो गई

 

वही 1999 में देश के प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व रक्षा मंत्री जॉर्ज फरनाडिस  को जब  जयललिता ने पार्टी के समर्थन न देने की घोषणा से  उनके पाँव पकड़ने के अपने 100% ध्यान से  देश की सीमा पर  घुसपैठ की जानकारी को अफवाह कहकर छद्म राष्ट्रवाद का स्वांग रचते हुये, अपनी कुर्सी को मजबूती देते हुये,  पाकिस्तान के बारे में कहा “हम पड़ोसी बदल नही सकते हैं  व हमको हमेशा पड़ोसी को मैत्री का संदेश देना होगा” व इस दौर में पाकिस्तान के जनरल  मुशर्रफ को ताज महल की यात्रा कराकर देश का ताज पहनाया गया

 

प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इस स्वांग से, देश को दो महीनों के युद्ध से  देश के 1000 से ज्यादा जवानों की हत्या कर यों कहें हारे हुये युद्ध को जीत बताकर, अपनी नाकामी को छुपाकर  “ऑपरेशन विजय” कहकर  उनकी पार्टी भाजपा  ने जवाहरलाल नेहरू की तरह भारत रत्न देकर आज भी विभिन्न योजनाओ से देश को भरमाया जा रहा है

 

अंततः एक छोटी सी जानकारी  फील्ड मार्शल मानेक शाह के जून 27 , 2008 मे तमिलनाडु मे देहावसान पर उनकी अंतिम यात्रा में कोई कॉंग्रेस का कुत्ता तक नही आया नाम मात्र के गिने चुने लोग थे

आज हम 16 दिसम्बर 1971 युद्ध के जीत की स्वर्ण जयंती  मना रहें हैं लेकिन फील्ड मार्शल मानेक शाह की कीर्ति के चर्चा से आज भी नई पीढ़ी अंजान व अनभिज्ञ है क्या ऐसे में देश का जज्बा बढ़ सकता है ….!!!!

साभार www.meradeshdoooba.com