Thursday, 29 January 2015



मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूँ। देश सेवा में ईश्वर सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की। वीर सावरकर
...'हम हिन्दू अपने आप में एक राष्ट्र हैं .......हिन्दू राष्ट्रवादियों को हिन्दू सम्प्रदायवादी कहे जाने पर लज्जित होने की कोई आवश्यकता नहीं है |' ---विनायक दामोदर सावरकर (१९३८) 
ये लेख हिन्दू साम्प्रदायिकतावादियों का चेहरा ,चाल, चरित्र बेखुबी व्यक्त करता है ...उन्हें लगातार ऐसे ही लेखों द्वारा एक्सपोज़ करने की जरुरत है...
ऐसे थे वीर हुतात्माु महान् सावरकर, स्वा तंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर जी का संक्षिप्तं जीवन परिचय, जय हिन्दूे राष्ट्रे वन्देे मातरम्
1883-1966 कुछ प्रमुख कार्य
१ सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लंदन में उसके विरूद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठित किया था।
२. सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में 'स्वदेशी' का नारा दे, विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।
३, सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें अपने विचारों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी।
४. सावरकर पहले भारतीय थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की।
५, सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को भारत का 'स्वाधीनता संग्राम' बताते हुए लगभग एक हज़ार पृष्ठों का इतिहास 1907 में लिखा।
६.सावरकर भारत के पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश और ब्रिटिशसाम्राज्यकी सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया था।
७.सावरकर दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे, जिनका मामला हेग के अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चला था।
८. सावरकर पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे, जिसने एक अछूत को मंदिर का पुजारी बनाया था।
९. सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम कामा ने फहराया था।
१० सावरकर वे पहले कवि थे, जिसने कलम-काग़ज़ के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायें लिखीं। कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हज़ार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षोंस्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक नहीं पहुच गई।
ग्रंथों की रचना
११.उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की, जिनमें ‘भारतीय स्वातंत्र्य युद्ध’, मेरा आजीवन कारावास’ और ‘अण्डमान की प्रतिध्वनियाँ’ (सभी अंग्रेज़ी में) अधिक प्रसिद्ध हैं।
१२.जेल में 'हिंदुत्व' पर शोध ग्रंथ लिखा।
१३.1909 में लिखी पुस्तक 'द इंडियन वॉर ऑफ़ इंडिपेंडेंस-1857' में सावरकर ने इस लड़ाई को ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ आज़ादी की पहली लड़ाई घोषित की थी।
शत्रु के राजधानी , लदन मे 1857 का स्वातंत्र्य सग्राम के 50 वा स्मृतिदिन , सुवर्ण महोत्सवमनाने वाले
१४. हिन्दुस्थान के स्वातंत्र्य युद्ध का आभाष , पुरे विश्व को ध्यान आकर्षण करने वाले
१५ .1907 मे जर्मनी के स्टुटगार्ट शहर मे अन्तराष्टीयसमाजवादी परिषद मे नमादाम कामा द्वारा भेजकर , भारतीय राष्टीय ध्वज फहराने वाले ...... भारतीय स्वतंत्रता युद्ध के लिए विश्व के सभी स्वतंत्रता प्रेमी देश के लोगो द्वारा सहकार्य करे वमादाम कामा के संदेश को अन्तराष्टीय कांग्रेस ने मान्यता अध्यक्ष हर सिगर ने दी १६ . स्वतंत्रता के लिए लडने व देश के क्रांतिकारीओं का संघ ठन खडा करने का प्रयास करने वाले ........टर्की, रूस, इटली, आयरिश ,इजिप्ट व अन्य देशो के क्रांतिकारीओं से संपर्क करने वाले... १७. देश को एक करोड के सेना की रिजर्व (आररक्षित) सेना बनाने की जरूरत है... १८,. सिखों का इतिहास लिखने वाले लेखक.... जो प्रकाशन के पहिले ही जब्त हुआ १९.. कारावास मे दिवारों पर काँटो व कीलों से महाकाव्य की रचना करने वाले महा कवि एक मात्र सावरकर ही....... ने 10 हजार से से ज्यादा काव्यपक्ति जेल मे लिखी, उसे कठस्थ किया व जेल से छूटने के बाद प्रकाशित करने वाले .... २०.. बाल्यकाल मे ही, गाँव के बच्चों को नई-नई रचना की कृति से , अपनी टोली के बच्चो मे स्वतंत्रता की प्रेरना फूँकने वाले एक मात्र सावरकर ही..... २१. वाड्ग्मय मे नौ रस प्रख्यात है, लेकिन 10 वा रस देश भक्ती को उढ्ह्त करने वाले एक मात्र सावरकर ही.... २२. अस्पृश्य लोग देव मूर्ती को स्पर्श कर सकते है ,ऐसे मंदीर बनाने वाले एक मात्र सावरकर ही........ श्री भागोजी कीर ने सावरकर से प्रेरणा से अपने खर्च रत्नागिरी मे पतित पावन मन्दिर का निर्माण किया २३. एक अस्पृश्य से शंकराचार्य के गले मे हार डानने की घटना साकार करने वाले..एक मात्र सावरकर
२४ रत्नागिरी से अस्पृश्यता पूर्वरूप से निर्मूलन करने वाले एक मात्र सावरकर ही. 28 शास्त्र शुद्ध अभ्यास कर , देवनागरी लिपी को टंक लेखन सुयोग्य बनाने वाले.. लिपी मे सुधार करने वाले दुनिया केएक मात्र सावरकर ही.
२५ . भाषा शुद्धी का महत्व कहने वाले पहले..., एक मात्र सावरकर 30 सभी सुशिक्षित लोग, अंग्रेजी भाषा को शेरनी का दूध कहकर गौरांवित होने वालो को मातृभाषा व राष्ट्रभाषा के अभिमान से सम्पूर्ण समाज को जागृत करने वाले..
२६. साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष पद पर बोलते हुए सावरकर ने कहा , देश की स्वतंत्रता मे लेखन से ज्यादा महत्व बंदूक का है, क्योकि लेखन से अंग्रेजो के कान मे जूँ रेंगने वाली नही, आजादी मिलने वाली नही, ऐसा दिव्य संदेश देने वाले एक मात्र सावरकर ही.... २७ 1901 मे जनवरी माह मे विक्टोरिया की मृत्यु हुई, जब पुरे हिन्दुस्तान मे शोक शभा आयोजित हो रही थी , सावरकर पहलेनेता थे,जिन्होने भरी शभा मे कहा था , इंग्लैंड, हिन्दुस्तान का शत्रु देश है,,शत्रु देश की रानी मरी तो शोक शभा आयोजन का कोई कारण नही है
२८ सावरकर ये पहले गैर सिख नेता थे , जिनका सम्मान , गुरुद्वार प्रबंधक कमिटी ने करते हुए, अध्यक्ष मास्टर तारा सिंग ने चाँदी की मुठ की तलवार सावरकर को भेट दी २९ भविष्य को काफी आगे देखने की एक दिव्य दृषिट रखने वाले... उनकी की गई 40 से अधिक भविष्यवाणी आज सच हुई है ३०. राजकीय सुधार पहले या सामाजिक सुधार पहले इस मत पय आगरकर व तिलक मे झगडा हो गया था और उंसके दो फाड होने वाले थे ,जब सावरकर ने दोनों को समाधान देते हुए कहा, राजकीय सुधार तलवार है और सामाजिक सुधार ढाल है, यदि दिनों सुधार साथ-साथ नही चके तो हमें सफलता मिलनी मुश्किल होगी
३१.. हिदू यह शब्द बाहरी नही, प्राकृतिक है, हमारा ही है, यह समझाने वाले पहले विद्वाने सावरक ही, उन्होने प्रमाण सहित सिद्ध किया कि हिदू यह शब्द मोहम्मद पैगबर के 1000 साल पूर्वौपयोग मे लाया गया पारसिक आर्याओ का अवस्था मे हमारे राष्ट्रसे हप्तहिंदव ऐसे कहा जाता था , हिदू यह शब्द राष्ट्र का वाचक है, वो किसी धर्मग्रन्थ , अवतार व देवता के नाम से निकला हुआ नही है, यह कहने वाले एक मात्र सावरकर ३२. नेहरू कहते थे... अक्साई चीन तो नो मेंस लैड कहने वाले को करारा जवाब देते हुए सावरकर ने कह, आपको पता है तो, नो मेंस लैंड है तो उसे इतने दिनों तक हिदू मेंस लैंड क्यो नही किया, ऐसे बेबाक कहने वाले एक मात्र सावरकर
३३. 1953 मे हिन्दू महासभा, रामराज्य परिषद व जनसंघ ने काश्मीर के का भारत मे पूर्ण विलय करने हेतु, संयुक्त सत्याग्रह किया, काश्मीर के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने सरकारे सहमती बिना बाहर के राज्य के लोगों को काश्मीर मे प्रवेश वर्जित किया था, मै यह आदेश तोड कर काश्मीर जाऊँगा, ऐसी घोषणा श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने की, तो सावरकर ने कहा सत्याग्रह करने , आप काश्मीर मत जाओ, वहां तुम्हारी हत्या हो जायेगी, तुम्हारी मुझे व राष्ट्र को बहुत जरूरत है, ऐसा कहने वाले ... जो आगे सही सिद्ध हुआ, श्यामाप्रसाद मुखर्जी की जेल मे संदेहास्पद मृत्यु हुई ३४.. सेना को हमेशा आक्रमक होना चाहिए, तभी राष्ट्र का सरक्षण हो सकता है, आक्रमण ही सबसे यह ही उत्तम सरक्षण, ऐसा कहने वाले ... एक मात्र सावरकर ३५..राजकारण का हिंदुकरण और हिदू के सैनिकी करण करने का मंत्र देने वाले ... . देश को एक करोड के सेना की रिजर्व (आररक्षित) सेना बनाने की जरूरत है... सावरकर एक प्रख्यात समाज सुधारक थे। उनका दृढ़ विश्वास था, कि सामाजिक एवं सार्वजनिक सुधार बराबरी का महत्त्व रखते हैं व एक दूसरे के पूरक हैं। सावरकर जी की मृत्यु 26 फ़रवरी, 1966 में मुम्बई में हुई थी।


गाँधी वध के पश्चात जब सावरकर जी को न्यायलय ने सम्मान बरी किया तो जज का वीर सावरकर के लिए यह
का वक्तव्य था ..., “सावरकर ने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया, लेकिन ऐसे तुच्छ कार्य में उन्हें घसीटना बहुत ही निंदनीय है, इस बात की जांच की जानी चाहिए की ऐसे महान व्यक्ति का नाम इस कार्य में क्यों घसीटा गया”
जबकि स्वयं नाथू राम गोडसे ने गाँधी वध में सावरकर जी की संलिप्तता को सिरे से नकार दिया,
र्मनिरपेक्षता के झूठे आडम्बर में फंसे तथाकथित सेकुलर उस दिन सूर्य के सामान जुगनू से प्रतीत हो रहे थे, जो की सूर्य को अपनी मद्दम रौशनी दिखा कर उसे निचा दिखाने की कोशिश कर रहे है,
वीर सावरकर के क्रातिकारी के जज्बे को सलाम करने के के लिए, 13 मार्च 1910 मे जहाज से कूदकर,पानी मे अंग्रज सैनिको की पीछे से गोली गोलियो की बौछर का सामना करते हुए , फ्रांस के मार्सेल तट पर पहुँचे, इस साहसिक घटना को जीवित कर , प्रेरित करने के लिए, घटना की 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मे एक भव्य स्मारक बनाने के लिए भारत सरकार को सूचित किया , और भारत सरकार ने वीर सावरकर को देश्द्रोही कहकर आपत्ति उठाने से वह प्रकल्प बंद करवा दिया..

याद रहे...,चन्द्रशेखर वेकट रमण से जब राष्ट्रवाद व देश के भावी योजना के बारे मे विस्तार से चर्चा कि तो उन्होने वीर सावरकर के बारे मे कहा “ यह देश का अनमोल हिरा जिसके चमक के सामने कोहिनूर हीरा भी फीका है?”. याद रहें, महान भौतिकशास्त्री वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेकट रमण को 1954 मे भारत रत्न मिला था
वीर सावरकर ने अपने मौत के पहने कहा कहा मेरी मौत पर कोई हडताल व देश के किसी नगर, शहर मे बंद का आयोजन नही होगा और जो मेरे जिदगी की 5000रू अमानत है, वह जो हिन्दू , मुस्लिम बने, उनके पुन: हिन्दु धर्म मे आने पर यह धन उनके शुध्हीकरण मे उपयोग मे लाना?
आज भी स्वर साम्राज्ञी कोकिला , भारतरत्न लता मगेशकर भी गला फाडकर चिल्ला रही है, वीर सावरकर को कोइ सम्मान नही मिला है, उनके वीरता की इस देश मे दुर्गति हुई है ...........
अब इस दुनिया ऐसा वीर सावरकर दुबारा पैदा नही होगा? देश के इतिहास को अन्धेर मे रखकर यो कहे देश के इतिहास को दफन कर दिया है....?????????
इतिहास कार भी कांग्रेस के पिच्छ्ल्गू बनकर , अपना पेट भरकर ..., पतनकार बन गए .., याद रहे नेहरू की नेशनल हेराल्ड पत्रिका जो “नेहरू व गांधी के बखान से भरी रहती थी .. जो पैसा राष्ट्रीय खजाने के रूप में वित्त सहायता से प्रेरित थी अब मृत्यु शैय्या के कगार पर है..., उसके कर्मचारी भूखमरी की कगार पर है....
हमारे देश ने ऐसे प्रधानमंत्री को जीते जी 1955 मे भारत रत्न दिया गया, जिन्होंने कश्मीर व भारत के टुकड़े किए
आज भी जिनके नाम पर हजारो संस्थान चल रहे है, हजारो सडके है, वही राजीव गाँधी बोफोर्स घोटाले के आरोपी थे , उन्हे भी भारत रत्न से नवाजा गया..???? अब आने वाला समय ही बतायेगा के भारत रत्न व उनकी संतानो का विदेशो मे कितना काला धन है..


अखिलेश की हर योजना से, फैला... पूरे उत्तर प्रदेश (अखिल) मे क्लेश...???? अखिलेश की हर योजना से फैला उत्तर प्रदेश मे क्लेश। दसवी पास मुस्लिम लड़कियो को 30000 रु का अनुदान व अन्य धर्मो की लड़कियो का नहीं है, कोई नामों निशान। 
देशवासियों को टॉप का अंग ढकने के लिए कपड़े व गरीबो के शिशु से वयस्को के लिए दवाइया नही है। 
राम मनोहर लोहिया की औलादे बनी देश की जल्लादे....?????, “ समाजवाद” शब्द को आज “लूट की खाद” से भरण पोषण कर , देश बर्बाद हो रहा है। लोहिया वह व्यक्ति थे... जिनसे समाजवाद शब्द भी गर्वित था। मरते दम तक, कोई घर नहीं था, और लोहिया की दहाड़ से प्रधानमंत्री नेहरू का पैजामा गीला हो जाता था।

उत्तर प्रदेश अब बना उतारू प्रदेश .., आजमगढ़ को आतंकगढ़ से बना अपने भ्रष्टाचार छुपाकर ,केंद्र को समर्थन देकर सी.बी.आई .के ६०हजार करोड़ से अधिक के अन्न घोटाले को हजम प्रदेश व मुजफ्फरपुर के वोट बैंक से दंगे को आमन्त्रण देकर, सत्ता को मौजपुर नगर बनाकर , प्रदेश के सभी मुद्दे गायब है...,
याद रहें.. अभी हाल ही में सुप्रीप कोर्ट ने कहा था मुजफ्फरपुर दंगे में उत्तरप्रदेश की सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है....,
मीडिया वर्ग ने इस मुद्दे को गायब कर,सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोदी को निर्दोष मानने के बावजूद , अभी भी अलगाववादियों के बयान को टूल देकर “गुजरात के दंगे से ” मोदी को दोषी बता रहा है , मुजफ्फरपुर दंगे में १० हजार सेना की तैनाती ,इस भयावता की पुष्टी करती है..., इतनी संख्या में सेना में नए संकट होने पर सीमा पर जवानों की तैनाती होती है .
इन दंगो से पुलिस और सेना के जवान खा रहे है, गोलिंया .... और सत्ताधारी, जनता की हत्याओं के खून से तल रही हैं, वोट बैंक की पुरिया...???
देश के विभिन्न धमाको के संदर्भ, पश्चिम उत्तरप्रदेश मे, जो बंगलादेशी आतंकवादियो का गढ है, हमारे खुफिया विभाग द्वारा आतंकवादियो को पकड़ने पर राजनेताओ के शह पर उन्हे छोड़ दिया गया। आज खूफिया विभाग भी अपने रोजी रोटी के डर से आँखें बंद कर बैठी है।इसका परिणाम आज दिख रहा है। मस्जिदों मे एके 47 का जखीरा, एक सुनयोजित ढंग का दंगा सामने आया है। मीडिया भी एक उद्योग के रू[प मे राडिया (RADIA=RA+N+DIA) बनकर.... इसे 2 सम्प्रदायो का झगड़ा कह कर, लीपा पोती में लगी हुई है। यह गुजरात के हिन्दू-मुस्लिम के दंगो से भी भयंकरता का प्रतीक है। इस घटना मे हिन्दुओ के बड़ी संख्या के मारे जाने से सत्ता और विपक्ष भी मुंह पर पट्टी बांध कर चुप है।
देशवासियों..., याद रहे मुंबई के आजाद मैदान मे घुसपैठीयो के दलों ने शहीद स्मारक तोड़ कर , महिला पुलिसों तक को पीटकर व मीडिया की गाड़ी जलाकर , एक खुले चुनौती देते हुए कहा ... रोक सके... तो रोको ...??????, और सत्ता के व विपक्षी दलाल भी, इसे अपनी सत्ता हलाल होने के डर से चुप बैठें है..
यदि, आज देश के हर धर्म का नागरिक राष्ट्रवादी होता, तो, देशवासियों के साथ देश का सीना भी बुलेटप्रूफ होता।

याद रहे मुलायम सिंह ने 12 साल पहले पश्चिम उत्तरप्रदेश मे चुनावों के समय, “वोट बैंक” की राजनीति करते हुए कहा था, “मुस्लिम लोगो आप मुझे वोट दोगे..., तो मैं इस प्रदेश को, मुस्लिम प्रदेश घोषित करूंगा। ” शायद इसी झाँसे मे मुस्लिम लोगो ने, पश्चिम उत्तरप्रदेश को मुस्लिम प्रदेश बनाने के लिए बंगलादेशी मुस्लिम लोगो के घुसपैठीयो के गढ के साथ –साथ, इसे आईएसआई का अड्डा भी बना दिया... अब यह देश के लिए चिंताजनक गड्ढा बन गया है।
10 साल पहिले, पश्चिम उत्तरप्रदेश मे, एक मदरसे का अनुदान के मामले मे, इलाहाबाद के एक सदस्यीय हाइकोर्ट के जज ने अपना फैसला सुनते हुए कहा “आपके शहर मे 60% मुस्लिम आबादी है, तो अल्पसंख्यक... शब्द, लागू ही नहीं होता है, और इस अनुदान के आदेश को निरस्त कर दिया जा रहा है।“ इस आदेश के बाद मुस्लिमो की बौखलाहट से, राजनेताओ के शह से, उस जज को बर्खास्त कर दिया गया और एक नये 2 सदस्यीय, हाईकोर्ट के बेंच का गठन कर , इस अनुदान को सही ठहराया।. जागो देशवासियों राष्ट्रवाद की धारा मे आओ और डूबते देश को बचाओं॥ सीमा पार दुश्मन भी चाह रहे है हम आपसी लड़ाई से कमजोर हो जाये ताकि हमे सफलता आसानी से प्राप्त हो... 

Wednesday, 28 January 2015



नरेन्द्र मोदीजी और वीर सावरकरजी में समानतायें- मोदीजी के जन्म दिवस पर 
१.दोनों के पिता का नाम दामोदर , एक २०वी सदी के व दूसरे २१वी सदी के दमदार व्यकित्व... व्यक्तित्व
२.वीर सावरकरजी व नरेन्द्र मोदीजी ने एक कच्ची उम्र में ही, देश सेवा के लिए अपने को समर्पित कर दिया 
३.अखंड भारत के शिल्पकार सावरकरजी के मंसूबे को देशद्रोहियों ने देश को तोड़कर, खंडित भारत से, देश के ५ लाख बेगुनाह हिन्दुस्तानियों की ह्त्या कर, महात्मा, बापू, चाचा .. से, यमदूत बनकर शांती के मसीहा से, जनता को मशगूल बनाकर.., सत्ता मेवा है , इसकी जय है, (जो मेरे वेबस्थल का स्लोगन है), से ६० वर्षों तक राज किया (लालबहादुर शास्त्री के कार्यकाल को छोड़कर)
वही लोकसभा चुनाव में अपने दम पर नरेन्द्र मोदीजी ने सावरकरजी के राष्ट्रवाद की एक लौ जगाकर ..., भारतमाता की कसम खाई है... मैं देश नहीं झुकने दूंगा , मैं देश नहीं मिटने दूंगा.., हे भारत माँ तेरा वैभव अमर रखूंगा ..., इसी राष्ट्रवाद की शक्ती से भारतमाता की भक्ती से वे प्रधानमंत्री बने
४.वीर सावरकर ने कहा था, पहले हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए, हमारी सेनायें उन्नत्त व मजबूत होनी चाहिए, ताकि कोई हमारे से आँख उठाकर बात न करे..., १९४७ में सावरकर ने कहा था, हिन्दुस्तान को अणु बम बनाना ही चाहिए, इतना ही नहीं हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का ध्वम भी बनाना चाहिए...
राष्ट्र का सैन्यीकरण व सेना का हिन्दुकरण , आज इसी विचारधारा से इसराईल ने अपने को सुरक्षित रखा है..
इसी का संज्ञान लेते हुये , हमारी सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए, आज इसी नीती से सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों से प्रधानमंत्री बैठक कर, देश की सुरक्षा के लिए उपकरणों की आवश्यकता से निदान ..., व मोदीजी ने इसरो को नाभकीय क्रांती में खुली छूट दे कर कहा है.. आप आगे बढ़ो.. मैं आपको इस प्रकल्प में धन की कमी नहीं होने दूंगा. वही लूली लंगडी चल रही हत्यार निर्माण के डी.आर.डी .ओ. को अब चलना सिखा दिया है.., जल सेना को नए जलपोतों के निर्माण का जज्बा फूँका है,,
५.सावरकर, मुस्लिम लीग की कट्टरता से देश को चेताते रहते थे, बलपूर्वक धर्म परिवर्तन अर्थात राष्ट्र परिवर्तन..जो आज ईराक सीरिया में इसकी भयावहता दिखाई दे रही है..
वही , 2003 में गुजरात में सत्ता में आते ही नरेन्द्र मोदी सरकार ने गुजरात विधानसभा में "गुजरात धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम-2003" पारित कर मतांतरण करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाया था।
६.वीर सावरकरजी के नाम से अंग्रेजों का न डूबने वाला सूर्य का साम्राज्य थर्राता था...
वहीं मोदीजी के प्रधानमंत्री पद की घोषणा से थर्राते हुए, दुश्मन व लूटेरे देशों ने मीडिया व अन्य संशाधनों से एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद भी सफलता नहीं पायी.., और हाथ मलते हुए मायूस हो गयें है...
७.ब्रिटिश अखबार इंग्लॅण्ड में क्रांतीकारियों की आवाज व हिन्दुस्तानी समाचार जानने के लिए वीर सावरकर से संपर्क करती थी जबकि उस समय नरम दल पैसे देकर अपनी खबर छापते थे,,
१० सालों से नरेन्द्र मोदीजी को देश का कसाई व विदेशी इशारों से, देश के समाचार चैनलों के विदेश में बैठे देशी व विदेशी मालिक, बदनाम करने के लिए पेट भरी मीडिया .., मालामाल होकर भी नरेन्द्र मोदीजी से परास्त हो गयी.., वही मोदी पेट भरी मीडिया को अपने समाचार के बारे में फटकने नहीं देते थे... और पेट भरी मीडिया को बार-बार चेतावनी देते थे..., निष्पक्ष बनों.. देश को गुमराह मत करो...देश की छवि मत बिगाडों
८.वीर सावरकरजी की तरह ही नरेन्द्र मोदीजी अपने भाषणों में शमा बाँध देते है.., कब घंटे निकल जाते है...,श्रोताओं को पता भी नहीं चलता
याद रहे अपने तरूण ब्रह्मचर्य जीवन में विदेशों में वीर सावरकर, दमदार व्यक्तित्व , निर्भीक जीवन..,एक तेजस्वी वक्ता के राष्ट्रवादी भाषणों से दुनिया कायल थी, विदेशी गोरी चमड़ी वाली लड़किया तो दीवानी होकर वीर सावरकरजी से “I LOVE YOU” कहती थी.., तब वीर सावरकरजी कहते थे मैं तो सिर्फ भारतमाता से प्रेम करता हूँ..., और शादी के बाद अपनी बीबी से प्रेम करूंगा
वही लोकसभा चुनावों में पेट भरी मीडिया ने मोदीजी के तूफानी भाषणों से कही उनके कैमरे उड़ न जाए, इसी झांसे से मोदीजी के शादी व ब्रह्मचर्य जीवन से देश वासियों को भटकाने की कोशिश से, कशिश निकालने का खेल खेला..हाथ कुछ न आया बाबाजी का ठुल्लू
९.नरेन्द्र मोदीजी ने अपने दुश्मन व मनमुटावी देशों को अपनी कूटनीती से साथ लेकर दुनिया को अचम्भे में दाल दिया है...
वही वीर सावरकरजी.., स्वतंत्रता के लिए लड़ों के उद्घोष से, विश्व के गुलाम देशों , तुर्की,रूस,इटली,आयरलैंड,इजिप्त फ़्रांस के क्रांतीकारियों में एक आजादी का जज्बा भर दुनिया को अचंभित कर दिया
!!!!!!!!! जब तक देश जातिवाद, भाषावाद, अस्पर्श्यिता की बेड़ियों में जकड़ा है.., तब तक देश एक गुलामी से दूसरी गुलामी में बंधा रहेगा..., और हिंदुत्व का पतन के साथ देश विखंडन के कगार पर जाएगा ...
सावरकर के अनुसार हिन्दू समाज सात बेड़ियों में जकड़ा हुआ था।।
१. स्पर्शबंदी: निम्न जातियों का स्पर्श तक निषेध, अस्पृश्यता
२. रोटीबंदी: निम्न जातियों के साथ खानपान निषेध
३. बेटीबंदी: खास जातियों के संग विवाह संबंध निषेध
४. व्यवसायबंदी: कुछ निश्चित व्यवसाय निषेध
५. सिंधुबंदी: सागरपार यात्रा, व्यवसाय निषेध
६. वेदोक्तबंदी: वेद के कर्मकाण्डों का एक वर्ग को निषेध
७. शुद्धिबंदी: किसी को वापस हिन्दूकरण पर निषेध
ऐसी उनकी ४० से ज्यादा भविष्यवाणीयां, जिनकी हमने अवहेलना की है..., वीर सावरकर का इस देश पर महान ऋण है। वे अधिकांश क्रान्तिकारियों के लिये प्रेरणा के स्रोत थे। आज भी वह हर सच्चे भारतीय के लिये प्रेरणा के स्रोत हैं !!!!!

Thursday, 22 January 2015

११८ वी जन्म तिथी पर..., कब उठेगा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रहस्य से पर्दा?







११८ वी जन्म तिथी पर..., कब उठेगा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रहस्य से पर्दा?सुभाष चन्द्र बोस जी ब्रिटिशों के पुतले तोड़ने का कार्य शुरू मत करों...सबूत के साथ, आप जिन्दगी भर जेल में कैद रहोगे....


१. देश के इस अमीर घराने के तेजस्वी युवक को राष्ट्र के प्रती जूनून को वीर सावरकर ने यह कहकर राष्ट्रीय राजनीती में आने के लिए प्ररित प्रेरित किया , वे नहीं चाहते थे कि सुभाष चन्द्र बोस बंगाल तक ही सिमटे रहें... नेताजी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई। तत्पश्चात् उनकी शिक्षा कलकत्ता के प्रेज़िडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई, और बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा (इण्डियन सिविल सर्विस) की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने बोस को इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया। अँग्रेज़ी शासन काल में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था किंतु उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया।


२. वीर सावरकर की पुस्तक “१८५७ एक स्वतंत्रता संग्राम” पढ़ कर ऐसे भी सुभाष चन्द्र बोस की रगों में खून बढ़ गया था..,३. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तो वीर सावरकर को अपना गुरू मानते थे , वे पूना में उनके घर जाकर भावी योजनाओं के बारे में चर्चा करते थे.


४. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को सावरकर ने हिटलर से मिलकर, देश को आजाद कराने में सहयोग की वार्ता करने को कहा५. हिटलर के सन्देश से कि “हिन्दुस्तान को आजाद कराना मेरे बांये हाथ का खेल है,” बशर्ते हिन्दुस्तान पर जर्मनी का अधिकार रहेगा, हिटलर के इस सन्देश को सावरकर के कहने पर सुभाष चन्द्र बोस ने नकार दिया


६. अपने पढाई के दौरान एक बार कॉलेज के प्रिंसिपल ने उन्हें, BLOODY INDIAN कहा तो उनके दिल में ब्रिटिश सरकार को उखाड़ फेंकने का जूनून पैदा हो गया.


७. रंगून (बर्मा) मैं , लाखों की संख्या में नए रंगरूट, आजाद हिन्द फ़ौज में भर्ती के लिए आये थे.., तब उन्होंने एक स्वर में कहा, जो मेरी सेना में देश के लिए मरना चाहता है, उनके लिए मेरी सेना के दरवाजे खुलें हैं, और जिसे मंजूर हैं हाथ ऊपर करें, तब सभी हिन्दू ,मुस्लिम व अन्य धर्मों के रंगरूटों ने हाथ उठाते हुए , सेना में शामिल हुए


८. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा, मुझे इतना खून चाहिए कि ब्रिटिश सरकार को मैं डूबोकर मार दूं..


९. राष्ट्रीय राजनीती में आने से पाहिले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को हिन्दी नहीं आती थी, तब उन्के शिक्षक जगदीश नारायण तिवारी ने धाराप्रवाह हिन्दी सिखाकर, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जनसभाओं में हिन्दी मैं ही संबोधन कर एक नया जोश भर दिया था१०. और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, कहते थे, हिन्दी ही एक भाषा है, जो देश के विभिन्न राज्यों को अपनी भाषा की इर्ष्या को तोड़कर एक कड़ी में पिरो सकती है,


११. अब कुछ पढ़े.., भाजपा का U TURN...., राजनाथ सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान दावा किया था कि अगर नेता जी की मौत से जुड़े कागजातों को सार्वजनिक किया जाता है तो यह ज्यादा अच्छा होगा। लेकिन ऐसा लगता है कि पीएमओ राजनाथ की इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता। पीएमओ ने आरटीआई के सेक्शन 8 (2) का हवाला दिया है। सेक्शन 8(2) के मुताबिक कोई भी जानकारी जो ऑफिशल सीक्रिट ऐक्ट,1923 के तहत आती है, उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। हालांकि अथॉरिटी को यह हक है कि वह इन डॉक्युमेंट्स को सार्वजनिक कर सकती है, अगर उसे लगता है कि इससे लोगों के हितों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।१२. बीजेपी ने एक बार फिर यू-टर्न लिया। जब बीजेपी सत्ता में नहीं थी तब सुभाष चंद्र बोस की मौत की गुत्थी सरकार से सार्वजनिक करने की मांग करती थी। अब बीजेपी सत्ता में आई तो इससे मुकर गई। नेताजी के रहस्यात्मक तरीके से गायब होने की करीब 39 क्लासिफाइड फाइल बीजेपी ने सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है। इससे पहले जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तब बीजेपी के सीनियर नेता इन फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग करते थे।


इस साल जनवरी में लोकसभा चुनावी कैंपेन के दौरान राजनाथ सिंह ने नेताजी के जन्मस्थान कटक में उनके 117वीं जयंती के मौके पर यूपीए सरकार से इनकी मौत से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि देश के नागरिकों को अपने स्वतंत्रता सेनानी की मौत के बारे में जानने का हक है। अब राजनाथ सिंह केंद्रीय गृह मंत्री हैं। सिंह ने दावा किया था कि दस्तावेजों के सार्वजनिक करने में व्यापक जनहित जुड़ा है। लेकिन मोदी सरकार का पीएमओ इससे सहमत नहीं दिखाई देता जो कि उसके जवाब से झलकता है।प्रधानमंत्री ऑफिस ने इस मसले पर दाखिल आरटीआई के जवाब में कहा है कि नेताजी की मौत से जुड़ी 41 फाइलें हैं, जिनमें से दो अनक्लासिफाइड फाइलें हैं। जवाब में मोदी सरकार ने कहा कि हम इन फाइलों को सार्वजनिक नहीं कर सकते। सरकार ने कहा कि हम इस मसले पर पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की पोजिशन जारी रखेंगे। पीएमओ ने कहा, 'इन फाइलों को सार्वजनिक करने से विदेशी संबंधो पर असर पड़ेगा। इन फाइलों को हमें आरटीआई सेक्शन 8(1)(ए) और सेक्शन 8(2) के तहत सार्वजनिक करने से छूट मिलती है।

Sunday, 11 January 2015



सिक्खों के लोह
ड़ी त्योंहार के दिन.., सावरकर के कार्यों की लहर...,
१.दुश्मन के घर (इंग्लैंड) में, गुरु गोविन्द सिंग.... का महोत्सव मनाने वाले.., 
२. इंग्लैंड में, सिक्खों का इतिहास लिखने वाले वीर सावरकर.... 
३. सावरकर पहले हिन्दु , जिनका सम्मान स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारा प्रबंधक समिती ने किया, और तब के अध्यक्ष मास्टर तारा सिंग ने उन्हें चांदी के मुठ की तलवार भेट की
३. अखबारों के लेखों को झुठलाकर चुनौती देते हुए .., इंग्लैंड में “१८५७.., एक स्वतन्त्रता संग्राम” को सच बतलाकर, ५०वी जयंती का जज्बे पूर्वक आयोजन करने वाले एकमात्र वीर सावरकर
४. इंग्लैंड में हिन्दुस्तान के सभी धर्मों (हिंदु,मुस्लिम,सिख,ईसाई) को एकजुट कर दशहरा समारोह करने पर, गांधी द्वारा आश्चर्य व्यक्त कर , इस कार्य का अभिनन्दन करने वाले मोहनदास करम चंद गांधी द्वारा सराहना
तुम्हारे “अप्रतिम शौर्य” व “सिक्खों के इतिहास” कृति के लिए वीर सावरकरजी, यह सम्मान ग्रहण करें
मित्रों २६ फरवरी को उनकी ४९ पूण्य तिथी तक ५० से अधिक स्वयं निर्मित कार्टूनों की श्रदान्जली स्वरुप, समर्पित कर रहा हूँ .

शास्त्रीजी.., आप रूस मत जाओ.., हम जीते हुए राष्ट्र है, विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को हमारे देश बुलाओं



शास्त्रीजी.., आप रूस मत जाओ.., हम जीते हुए राष्ट्र है, विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को हमारे देश बुलाओं , आप रूस जाओगे तो वापस नहीं आओगें और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटा आओगे..

१. ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा “शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटा आओगे..
उनकी यह भविष्यवाणी सच हुई,

२. ९ जनवरी १९६६ की रात लालबहादुर शास्त्री ने ताशकंद से अपनी पत्नी ललिता शास्त्री को फोन कर कहा “मैं हिन्दुस्तान आना चाहता हूँ, यहां, मुझ पर हस्ताक्षर करने के लिए दवाब डाल रहें है..., मुझे यहां घुटन हो रही है...
देश के सत्ता की राजनयिक फौजे बार-बार, शास्त्रीजी से कह रही थी..., भले हम युद्ध जीत गये हैं, यदि आप हस्ताक्षर नहीं करोगे तो आगे अन्तराष्ट्रीय बिरादरी एकजुट होकर देश की आर्थिक स्तिथी बिगाड़ देगी...

३. इसके बाद उनके कड़े मंसूबे, हमारे देश के सत्ता की राजनयिक फौजे तोड़ने में कामयाब हो गयी.., १० जनवरी १९६६ के शाम ४.३० बजे , शास्त्रीजी ने जीती हुई जमीन वापस लौटाने व शांती समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, उनके पुत्र अनिल शास्त्री को कहा गया ..., वे देश के प्रधानमंत्री हैं, उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें विशेष आवास में अकेले में सुरक्षित रखना होगा
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद समझौते के बाद ८ घंटे के बाद , ११ जनवरी तड़के १ बजे,पाकिस्तानी रसोईये द्वारा रात को दूध पीने के बाद उनकी मौत हो गई, मौत के समय उनके कमरे मे टेलिफोन नही था, जबकि, उनके बगल के कमरे के राजनयिकों के कमरों मे टेलिफोन था, उनकी मौत की पुष्टी होने पर राजनयिकों की फौज दिल्ली मे फोन लगा कर चर्चा कर रहे थे कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा ?

४. अंत तक ललिता शास्त्री गुहार लगाती रही, मेरे पति की मौत की जाँच हो, आज तक सभी सरकारों द्वारा, कोइ कारवाई नही हुई?,

५. इस रहस्य को जानने के लिये, आर.टी.आई. कार्यकर्ता अनुज धर ने एडी चोटी का जोर लगाने के बाद, सरकार की तरफ से जवाब मिला कि यदि हम इस बात का खुलासा करेगें तो हमारे संबध दूसरे देशों से खराब हो जायेगें ?

६. और एक राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री बेमौत, मौत् का शिकार हो गया., और…..? अपने परिवार के पीछे छोड गया……, सिर्फ और सिर्फ……?????, कर्ज का बोझ?.

७. देश का एक लाल, लाल बहादुर शास्त्री, जब प्रधानमंत्री बने, तब देश मे विकट परिस्थीतिया थी, देश भुखमरी के कगार मे पहुँच रहा था, सीमा पर दुशमनो की तोपें आग उगलने की तैयारी मे थी. जिन्होने “जय जवान – जय किसान” के नारे से दुश्मनों को सबक सीखाकर देश मे हरित क्रति के साथ-साथ श्वेत क्रांति की, प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 19 महिने के प्रधानमंत्री के कार्यकाल की कामयाबी से नेहरू द्वारा किया गया भ्रष्टाचार का शौच साफ कर दिया था…., नेहरू के चमचे नेताओ की अय्याशी खत्म कर, उन्हे आम नेता बना दिया था…???

८. देश की जनता उनकी कायल थी, उनके आवाहन को जनता, सर आँखो मे रखकर , उन्हें देश का भाग्य – विधाता मानती थी,

९. उनकी साफ सुथरी छवि के कारण ही उन्हें 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया। उन्होंने अपने प्रथम संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उनकी शीर्ष प्राथमिकता खाद्यान्न मूल्यों को बढ़ने से रोकना है और वे ऐसा करने में सफल भी रहे। उनके क्रियाकलाप सैद्धान्तिक न होकर पूर्णत: व्यावहारिक और जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप थे।

१०. निष्पक्ष रूप से यदि देखा जाये तो शास्त्रीजी का शासन काल बेहद कठिन रहा। पूँजीपति देश पर हावी होना चाहते थे और दुश्मन देश हम पर आक्रमण करने की फिराक में थे।
1965 में अचानक पाकिस्तान ने भारत पर सायं 7.30 बजे हवाई हमला कर दिया। परम्परानुसार राष्ट्रपति ने आपात बैठक बुला ली जिसमें तीनों रक्षा अंगों के प्रमुख व मन्त्रिमण्डल के सदस्य शामिल थे। संयोग से प्रधानमन्त्री उस बैठक में कुछ देर से पहुँचे। उनके आते ही विचार-विमर्श प्रारम्भ हुआ। तीनों प्रमुखों ने उनसे सारी वस्तुस्थिति समझाते हुए पूछा: "सर! क्या हुक्म है?" शास्त्रीजी ने एक वाक्य में तत्काल उत्तर दिया: "आप देश की रक्षा कीजिये और मुझे बताइये कि हमें क्या करना है?"

११. शास्त्रीजी ने इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और जय जवान-जय किसान का नारा दिया। इससे भारत की जनता का मनोबल बढ़ा और सारा देश एकजुट हो गया। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी।

१२. लाल बहादुर शास्त्री के आगे प्रधानमंत्री पद पर रहना, दुनिया के देशों को इतना डर नही था.., जितना इंडियन काग्रेसीयों को, वे इस डर को पचा नही पा रहे थे, उन्हे डर था कि राजनीती अब नेताओ की मजदूरी हो जायेगी, सादगी की वजह से उनकी अगली पीढी भी मजदूर बनना पसंद नही करेगी, और वंशवाद खत्म हो जायेगा. और उन्होने इंदिरा गाधी को ब्रिटेन मे भारत का उच्चायुक्त बनाने का संकेत दे दिया था.

१३. आखिरकार रूस और अमरिका की मिलीभगत से शास्त्रीजी पर जोर डाला गया। उन्हें एक सोची समझी साजिश के तहत रूस बुलवाया गया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया, हमेशा उनके साथ जाने वाली उनकी पत्नी ललिता शास्त्री को बहला फुसलाकर इस बात के लिये मनाया गया कि वे शास्त्रीजी के साथ रूस की राजधानी ताशकन्द न जायें और वे भी मान गयीं, अपनी इस भूल का श्रीमती ललिता शास्त्री को मृत्युपर्यन्त पछतावा रहा.

१४. जब समझौता वार्ता चली तो शास्त्रीजी की एक ही जिद थी कि उन्हें बाकी सब शर्तें मंजूर हैं परन्तु जीती हुई जमीन पाकिस्तान को लौटाना हरगिज़ मंजूर नहीं. काफी जद्दोजहेद के बाद शास्त्रीजी पर अन्तर्राष्ट्रीय दबाव बनाकर ताशकन्द समझौते के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करा लिये गये.
उन्होंने यह कहते हुए हस्ताक्षर किये थे कि वे हस्ताक्षर जरूर कर रहे हैं पर यह जमीन कोई दूसरा प्रधान मन्त्री ही लौटायेगा, वे नहीं। पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्धविराम के समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ घण्टे बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही उनकी मृत्यु हो गयी। यह आज तक रहस्य बना हुआ है कि क्या वाकई शास्त्रीजी की मौत हृदयाघात के कारण हुई थी? कई लोग उनकी मौत की वजह जहर को ही मानते हैं।

१५. प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद समझौते के बाद , रात को दूध पीने के बाद उनकी मौत हो गइ, मौत के समय उनके कमरे मे टेलिफोन नही था, जबकि, उनके बगल के कमरे के राजनयिकों के कमरों मे टेलिफोन था, उनकी मौत की पुष्टी होने पर राजनयिकों की फौज दिल्ली मे फोन लगा कर चर्चा कर रहे थे कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा ?

यही हाल वीर सावरकर के जीवन के साथ भी, लालबहादुर शास्त्री के मौत के सदमे के बाद,वीर सावरकर बिमार होते गये ,
उन्होने कहा “अब देश गर्त मे चला गया, अब मुझे इस देश मे जीना नही है” वीर सावरकर ने दवा लेने से इंकार कर दिया, एक बार डाक्टर ने उन्हे चाय मे दवा मिला कर दी, तो वीर सावरकर को पता चलने पर उन्होने चाय पीना भी बंद कर दिया , और एक राष्ट्र का महानायक इच्छा मृत्यु (कहे तो आत्महत्या) से चला गया.
वीर सावरकर की यह भविष्यवाणी भी सही निकली ……?????

शास्त्रीजी को उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये आज भी पूरा भारत श्रद्धापूर्वक याद करता है
.आओ शास्त्रीजी, ताशकंद में तुम्हारी विजय पताका को ताश के महल के पत्तों की तरह ढ़हा कर, तुम्हारा काम तमाम करता हूं...

मेरे पति का शरीर जहर से नीला पड़ गया है.., इनके शव-विच्छेदन से जांच की जाए...
कैलाश तिवारी = मेरा देश doooba डॉट कामं से

Saturday, 3 January 2015




गुजरात के दबंग तुने कर दिया कमाल...,
कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ कर दिया... बिना खडग, बिना ढाल .
कर दिया बापू का सपना साकार. राष्ट्रवाद की हुंकार बनी.., विपक्षीयों में हाहाकार .., 


वाह रे सुपर कोर्ट का सुप्रीम आदेश यह दोगल्ला व्यहवहार, एक के गले में हार , दूसरे से अत्याचार ..
आज जजशाही, नौकरशाही व सत्ताशाही के स्याही से ही देश लूट रहा है..., ऊपर से माफियावाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार के गढ़बंधन से पिछली सरकार १० साल का अटूट बंधन से लूट का आबंटन का खेल चल रहा था..., इसमें विपक्षी पार्टीयाँ भी इस बंदरबांट का लाभ ले रही थी ...
सुप्रीम कोर्ट का सहारा के संस्थापक को कड़ी सजा व २० हजार करोड़ का भुगतान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज भी सीना तानकर सुब्रतो राय को कह रहें है..., पहले निवेशकों के पैसे लौटाओ फिर जमानत के बाद जेल के बह बाहर जमीन पर कदम रखने का बहार मिलेंगा ... बेशक यह एक सुप्रीम कोर्ट का सराहनीय कदम है... लेकिन हमारे देश की राजनीति के महा-भ्रष्टाचारी जिन्होंने १०० लाख करोड़ रूपये का धन , विदेशी बैंकों ने रखा है..., वे बाहर आजाद घूम कर देश का पैसा अभी भी चूस रहें है... आज तक उनसे मुआवजे की कोइ रकम नहीं मांगी गई है....!!!!!!!!!!!, वही आतंकवाद के वोट बैंक की राजनीती में भी अदालतों की दोगल्ली नीती तो गली की तरह ,एक को कड़ी (विशेष भोजन) व दूसरे को कोड़े ....!!!!!
याद रहे सुब्रतो राय जो देशभक्ती व राष्ट्रवाद से ओत-प्रोत हैं... ने देश के लिए कई सराहनीय कार्य किये हैं..., क्रिकेट की I.C.C. जो एक दिवालिया,मरणासन्न व काली सूची की संस्था थी, तब के के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने I.C.C. में जान फूकने के लिए क्रिकेट की मार्केटिग का जिम्मा एक विदेशी कंपनी को देने का ऐलान किया तो सहारा के संस्थापक सुब्रतो राय ने १०% अधिक रकम देकर विज्ञापन व अधिकार खरीद कर देश की अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा की बचत की ..., आज भी अन्य राष्ट्रीय सेवा में सहारा समूह ने सराहनीय योगदान दिया है...,
यह वही सविधान है..?????, जब कलमाडी को, तिहाड जेल (सफेद जेल- सफेद पानी) मे सजा होने पर तिहाड जेल के जेलर ने अपने कार्यालय मे कलमाडी को, हलवा पूरी, व सफेद पानी (मिनरल पानी) खिलाते-पिलाते पकडे जाने पर , जेलर (सफेद पानी) का तबादला, देश की राजधानी से, अंडमान जेल (काला पानी) मे कर दिया...
सावरकर को जेल में यातना देने की खबर जब ब्रिटिश साम्राज्य को मिली तो जेलर बारी का तबादला काला पानी से अपने देश कर दिया गया 

Friday, 2 January 2015




जाने हमारे देश व चीन की प्रगती का हाल..., चीन का चिंगदाओ-हाइवान समुद्र सेतु – इस पुल को बनने में मात्र चार वर्षों का समय लगा, यह सेतु 30 जून 2011 को खोला गया इस सेतु की लम्बाई ४२.५ किमी है जो इसे विश्व का सबसे लम्बा समुद्री सेतु बनता है और इसके निर्माण में कुल १०,००० लोग लगे हुए थे। इस पुल का डिज़ाइन शान्दोंग गाओसू समूह ने बनाया था और इस पुल पर कुल ४,५०,००० टन इस्पात और २३ लाख घन मीटर कांक्रीट का उपयोग किया गया,अब चीन अपनी योजना भावी योजना से यूरोप तक मार्ग बनाकर बुलेट ट्रैन का खाका तैयार कर रहा है? दूनिया को अचम्भित कर दिया , हमें आगे बढ़ना है तो…. चीन से सिखना पड़ेगा

जून २००६ में मुम्बई के घाटकोपर –वर्सोवा की मेट्रो रेल की भारत के प्रधानमंत्री, मनमोहन सिंह, ने इस प्रणाली की नींव रखी..., यही हाल मुम्बई से, घाटकोपर वर्सोवा मेट्रो सेतु का है २००६ मे शुरुवात मे १८०० करोड की लागत और पूरा होने का लक्ष्य चार साल का बताया..., रिलायंस इंफ्रा ने वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर के 11.40 किलोमीटर मेट्रो रेल लाइन का निर्माण अब मौजूदा लागत 4,300 करोड़ रुपये लग गई है...


पिछले ३ सालों से हर छ: महिने पर जनता को इस काम को पूरा करने की तारीख पर तारीख दी जाती थी..., 2साल पहिले सेतु के दो हिस्से निर्माण के दौरान गिरकर १०० से ज्यादा मजदूर मारे जा चुके है..., ;
.2010 मे चीन ने अपने निर्धारित समय में मेट्रो के 65 करोड की लागत से 3 डिब्बे निर्यात कर दिए थे , योजना पूरी न होने से..., एक साल पहिले तक उनको तालपत्री से ढककर जंग से सडाया जा रहा था ...

मुम्बई के निर्माण में महाभ्रष्टता का आलम यह है कि इस सेतु को बनाने के ८ सालों में जनता के समयहानि , धनहानि व प्रदूषण से स्वास्थ्य हानि का लेखा जोखा निकाला जाए तो वह ४३०० करोड़ रूपये से कहीं ज्यादा है...
वही हाल, देश का गर्व माने जाने वाले….. वर्ली समुन्द्र सेतु योजना का था, ३७५ करोड़ की योजना जो ४ साल में साल में पूरी होनी थी, वह १५ सालों में १८०० करोडी की लागत लग गई

कहते है..??, एक तानाशाह इमानदार हो तो देश की तस्वीर व तकदीर बदल देता है.,
एक खूँखार तानाशाह हिटलर ने जर्मनी को सर्वोपरि (सुपर पावर) बनाने के चक्कर मे?, हथियारों के इतनें कारखानें लगाये कि जर्मनी को युद्द मे झोंककर बरबाद कर दिया लेकिन आज तक जर्मनी जनता द्वारा व इतिहास मे खूँखार तानाशाह हिटलर के विरूद्द भ्रष्टाचार के आरोप नही लगे…?.


लेकिन इस देश का दुर्भाग्य है, देश के लोकतंत्र मे इंडियन मीडिया व प्रचार-प्रसार तंत्र भी प्रधानमंत्री को एक अति ईमानदार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंग की छवि से विकास का महापुरूष कहती थी ? और गरीबो के जीवन, देश की सुरक्षा से खिलवाड कर देश के संसाधनो को माफियाओ को लूट का अधिकार दे रही है/थी . और मीडीया भी अपनी रोजी रोटी (डबल रोटी-मक्खन के साथ, बंगले-कार की सुविधा) का जुगाड कर रही है…?


इस धरती में कोई स्वर्ग में पैदा होता है तो वह है...,भारतीय खाद्य निगम में पैदा होने वाला चूहा , और सत्ता खोरों के लिए भ्रष्टाचार की जीवनदायनी, F.C.I. बना FOOD CORRUPTION OF INDIA , जब योजनाए बनी भोजनाए, भोजन का अधिकार , बना लूट का आधार..., 
F.C.I. के खलासी का 70 हजार का वेतन , और बाबू का लाख रूपये से ज्यादा वेतन, जिन्हें वतन लूटने का अधिकार मिल गया है..., 

मुलायम सिंग यादव जो ६० हजार करोड़ के अन्न घोटाले में संलिप्त पाए गये है.., सी.बी.आई. की जांच के झांसे, पिछले १० सालों से कांग्रेस ने मुलायम सिंग के बैसाखी से सरकार चलाई है...,
योजनाओं का अन्न सीधे आटा मिलों में जाकर , सभी दलों ने भ्रष्टाचार से अपना दिल मिलाया हा..,
अनाज को सड़ाकर , सत्ता की शराब बनाकर, जश्न –ए –सत्ताशाही से देश में राज किया है...
सुप्रीम कोर्ट को धत्ता बताकर, संविधान के रक्षक कह कर, देश के गरीबों के पेट में लात मारकर, इस घोटाले से गरीबों का गला घोटकर..., यूं, कहे संविधान को सड़ाकर देश में भ्रष्टाचार के बड़बोले पन से देश को लूटने का अधिकार पा लिया है...
शरद पवार जो कृषी मंत्री से ज्यादा क्रिकेट मंत्री बनकर, U.P.A.-१ व २ में भीष्म पितामह बनकर , गरीबों की योजनाओं में छक्का मारकर. बेदाग बने है.., क्योंकि इनकी गेंदे, भ्रष्टाचार के स्टेडियम से बाहर गिरी है.., किसी को मालूम पड़ने नहीं दिया है कि यह गेंद कहां गयी है...,
क्या अच्छे दिन आने वाले हैं, मोदी सरकार ..., इस घोटाले की तह तक जाकर इसकी जांच करेंगी ....!!!!! 

Thursday, 1 January 2015




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कृपया, गौ-वध की तीनों अखबार के रोंगटे खड़े करने वाले पोस्ट पढ़े...,दोस्तों..., बढे दुःख के साथ लिखना पढ़ रहा है कि आज भी देश के किसानों की औसत आय २३०० रूपये प्रतिमाह है..., जबकि सरकारी चपरासी ... १० हजार से ज्यादा वेतन पाने के बावजूद ,चप-चप के राशी चबाते / वतन बेचते हुए , आज करोडपती होने पर पकड़े जाने के बावजूद सरकारी सम्मान से गर्वीत हैं... तो उनके आकाओं के क्या ठाठ होंगें, आप कल्पना नहीं कर सकते है...,
गौ-ह्त्या, भूखमरी से ह्त्या, योजनाओं को भोजनाएँ बनाकर, विश्व के शीर्ष स्थानों में धनाड्यों के सम्मान ,
६७ साल बाद भी ७०% हिन्दुस्तानी है भूखा नंगा, अन्न दाता किसान, सूखे बाढ़ से बेच रहा है...,अपने जीवन के आधार का पशु धन, सत्ताखोरों व माफिया खरीद रहें हैं कौड़ी के भाव किसान का सम्मान

भाग-१, सैनिकों को दंड व तिरस्कार , तस्करों को उड़न तस्तरी के साथ पुरूस्कार, देश को विदेशी मुद्रा के चक्कर में, सत्ताखोरों की जेब भरने से, हमारा देश, विदेशी मुद्रा (संस्कार,आसन, अंग-विन्यास) से देश को डूबा रहें हैं..

भाग-२.., सन १९४७ में, ३० करोड़ जनता पर १२० करोड़ दुधारू पशुधन, २०१४ में १२० करोड़ जनता में ३० करोड़ से कम दुधारू पशु धन, किसान पोषण से है,बेहाल.., सूखा व बाढ़ से वह बना दलालों के शोषण का महाकाल 


 वीर सावरकर को जिसने नही पहचाना ? उसने हिन्दुस्थान को नही जाना? (–भाग १ ) 

२६ फरवरी २०१५ तक, ५० वी पुण्य तिथी तक मेरे (स्वंय निर्मीत) ५० से अधिक कार्टून बनाकर, वीर सावरकरजी को समर्पीत कर रहा हूं.......

मेरी गुहार...., क्या इस कोहीनूर हीरे के चमक से कही गुना ज्यादा..., ५६ गुणों से ज्यादा.., परमवीर सावरकर, जिन्होंने राष्ट्रवाद की बलि देंने से इनकार कर, अंग्रेजों के तलवे चाटने के खेल को ठुकराकर सत्ता के ५६ भोग को नकार दिया...

अब तो, मोदी सरकार तो उन्हें भारतरत्न के सम्मान को भूल चुकी है..., क्या...!!!, २६ फरवरी २०१५ को, उनकी ५०वी पुण्य तिथी को राष्ट्रीय प्रेरणा दिवस के रूप में मनायेगी....

सावरकर जो वीर ही नही परमवीर थे, इस धरती पर चाणक्य के बाद दुरदर्शी क्रातिकारी वीर सावरकर ही थे ,जिनकी दहाड् से अग्रजो का साम्राज्य हिल उठता था, मै तो उन्हे देश के क्रांति का चाणक्य मानता हूँ,? उनकी भूमिका अग्रेजो के समय वीर शिवाजी महाराज व सत्ता परिवर्तने के बाद वीर महाराणा प्रताप की थी? आज तक हमारे देश्वासियो को यह पता नही है, सुभाष चन्द्र बोस, चद्रशेखर आजाद व सरदार भगत सिंग मे क्राति का जन्म वीर सावरकर द्वारा हुआ?

यह वीर सावरकर की ही देंन है कि अमृतसर व कलकत्ता पकिस्तान में जाने से बच गया जो सिद्धपुरूष हुए, भविष्य दर्शन सिद्दी उनमे थी , जो सावरकर द्वारा कही है 40 से अधिक भविष्यवाणी आज सार्थक हुई है देश में राष्ट्रवाद की बर्बादी को देखकर उन्होंने नेहरू को चुनौती देते हुए कहा ... मैं सत्तालोलुप नहीं हूं, मुझे दो साल का शासन दो, मैं हिन्दुस्थान को गौरवशाली बनाऊंगा ..

आजाद हिद फौज का जन्म वीर सावरकर की प्रेरणा द्वारा ही हुआ, सुभाष चन्द्र बोस उनसे आशीर्वाद लेने गये थे कि मेरी मजिल को सफलता मिले? याद रहे 1947 मे आजाद हिद फौज की अहम भूमिका थी ?
चन्द्रशेखर वेकट रमण को वर्ष 1930 मे जब नोबल पुरस्कार मिला. जब, वे मंच पर पुरस्कार ग्रहण करने पर गये तो, तो उन्होने कहा मुझे बढा दु:ख है कि यह पुरस्कार एक गुलाम देश के नागरिक को मिल रहा है, मुझे गर्व होता यदि मै आजाद देश का नागरिक होता. उनके विचार सुनकर चन्द्रशेखर वेकट रमण जब वीर सावरकर को बैगलोर में मिले , तब चन्द्रशेखर वेकट रमण से 3-4 घटे राष्ट्रवाद के बारे मे विस्तार से चर्चा कि तो उन्होने वीर सावरकर के बारे मे कहा “ यह देश का अनमोल हिरा जिसके चमक के सामने कोहिनूर हीरा भी फीका है?”.

याद रहें, महान भौतिकशास्त्री वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेकट रमण को 1954 मे भारत रत्न मिला था

जब वीर सावरकर के अंडमान जेल मे अमानवीय अत्याचार के वजह से जेलर बारी को काला पानी से ब्रिटिश के राजधानी मे तबादला कर दिया था.. . (याद रहे, जेलर बारी ने अंग्रेज प्रशासकों को बताया था कि वीर सावरकर को प्रताडना व कड़ी सजा के बावजूद वे टस से मस होने वालो मे से नही है, वह फौलादी दिल वाला इंसान है और उनके {वीर सावरकर} जेल के कार्यकालमे 90% से ज्यादा कैदी साक्षर हो गये हैं, – इनमे से 60% से ज्यादा मुसलिम कैदी थे

अंडमान जेल में कडी ठंड मे , वीर सावरकर को कंबल नही दिया जाता था ताकि ठंड से वे ठिठुर – ठिठुर कर मर जाये, इस दंड का भी तोड, वीर सावरकर ने निकाल लिया, वे रात भर शरीर गर्म रखने के लिये दंड-बैठक करते थे, और इसके बाद, उन्हें और उनके जेल के साथियों को,सवेरे से शाम तक कोल्हू के बैल की तरह से तेल निकालना पडता था. जबकि आज तिहाड जेल के सफेद पोश नकाब वाले राजनैतिकों व माफियाओं को, हीटर व वेटर, स्वेटर, पख़े अखबार इत्यादि की एशों-आराम की सुविधा है

वीर सावरकर को अडमान जेल की यातना देने/सहन करने के बाद उनके चेले सुभाष चन्द्र बोस ने कहा , वीर सावरकरजी आप गाँधी जी के कांग्रेस मे शामिल हो जाओ, मै देश की क्राति की बागडोर सभाँलूगा, वीर सावरकर ने उन्हे लताडते हुए कहा मेरे सिद्दांत को त्यागकर मै अग्रेजो की पीछे की चाटता तो मै गाँधी से बहुत आगे होता था,
यदि गाँधी, मेरे सिद्दांओ को मानेगे, तो मै गाधी के पीछे चलकर उनको राष्ट्रवाद की रूकावट मे मार्ग दर्शन कराऊँगा? तु मेरी फिक्र नही करना मै तो देश के लिये, अपनी मौत की कफन साथ मे लेकर फिरता हूँ?
वीर सावरकर व उनके परिवार का जन्म ही मातृभूमि की स्वाधीनता हेतु ही हुआ था , अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होने जो संघर्ष किया , उनके बदले मे उन्होने मान. यश, पद या देश से कोई अपेक्षा नही की. लेकिन सच तो यही है उनके अनुपम त्याग के बदले मे पराधीन सरकार व सत्त लोलूप जो आजादी को एक झाँसा बनाकर ,जनता को स्वाधीनता की लोलूप सरकारो ने भी उन्हे शारीरिक व मानसिक यंत्रणाए ही दी...????

क्रांतिकार्य, अस्पृश्यता निवारण , देशोरेम, स्वाभिमान , धर्मसुधारक,लिपी शुद्धी, धर्मांतरित लोगो का शुद्धीकरण, सप्त बंधन तोडने, स्वदेशी व्रत, विदेशी कपडों की होली , शुरूवात मे यह सब कार्य समाज मे विष के समान प्रतीत होती थी,लेकिन यह सब बाद मे समाज मे अमृत समान प्रतीत हुआ उन्होने कहा , ये सब कार्य, समाज को दोषपूर्ण लगे तो भी मै,उन्हे नही छोडूगा/ कारण सभी कार्य शुरूवात मे दोषपूर्ण होते है, इसलिए उन्होनें मिलने के लिए, कर्म, क्रांतीकर्म, अस्पृश्योद्वार का कर्य, अंतिम समय तक नही छोडा.

ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा “शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे
उनकी यह भविष्यवाणी सच हुई,

यही हाल वीर सावरकर के जीवन के साथ भी, लालबहादुर शास्त्री के मौत के सदमे के बाद,वीर सावरकर बिमार होते गये ,
उन्होने कहा “अब देश गर्त मे चला गया, अब मुझे इस देश मे जीना नही है” वीर सावरकर ने दवा लेने से इंकार कर दिया, एक बार डाक्टर ने उन्हे चाय मे दवा मिला कर दी, तो वीर सावरकर को पता चलने पर उन्होने चाय पीना भी बंद कर दिया , और एक राष्ट्र का महानायक इच्छा मृत्यु (कहे तो आत्महत्या) से चला गया.
वीर सावरकर की यह भविष्यवाणी भी सही निकली ……?????

आज का श्लोगन बन गया है…..
सच्चे का मुँह काला ..????
भ्रष्टाचार का बोलबाला……..
वीर सावरकर ने अपने मौत के पहने कहा कहा मेरी मौत पर कोई हडताल व देश के किसी नगर, शहर मे बंद का आयोजन नही होगा और जो मेरे जिदगी की 5000रू अमानत है, वह जो हिन्दू , मुस्लिम बने, उनके पुन: हिन्दु धर्म मे आने पर यह धन उनके शुध्हीकरण मे उपयोग मे लाना?
आज भी स्वर साम्राज्ञी कोकिला , भारतरत्न लता मगेशकर भी गला फाडकर चिल्ला रही है, वीर सावरकर को कोइ सम्मान नही मिला है, उनके वीरता की इस देश मे दुर्गति हुई है ………..

अब इस दुनिया ऐसा वीर सावरकर दुबारा पैदा नही होगा? देश के इतिहास को अन्धेर मे रखकर यो कहे देश के इतिहास को दफन कर दिया है….?????????