मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूँ। देश सेवा में ईश्वर सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की। वीर सावरकर
...'हम हिन्दू अपने आप में एक राष्ट्र हैं .......हिन्दू राष्ट्रवादियों को हिन्दू सम्प्रदायवादी कहे जाने पर लज्जित होने की कोई आवश्यकता नहीं है |' ---विनायक दामोदर सावरकर (१९३८)
ये लेख हिन्दू साम्प्रदायिकतावादियों का चेहरा ,चाल, चरित्र बेखुबी व्यक्त करता है ...उन्हें लगातार ऐसे ही लेखों द्वारा एक्सपोज़ करने की जरुरत है...
ऐसे थे वीर हुतात्माु महान् सावरकर, स्वा तंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर जी का संक्षिप्तं जीवन परिचय, जय हिन्दूे राष्ट्रे वन्देे मातरम्
1883-1966 कुछ प्रमुख कार्य
१ सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लंदन में उसके विरूद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठित किया था।
२. सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में 'स्वदेशी' का नारा दे, विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।
३, सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें अपने विचारों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी।
४. सावरकर पहले भारतीय थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की।
५, सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को भारत का 'स्वाधीनता संग्राम' बताते हुए लगभग एक हज़ार पृष्ठों का इतिहास 1907 में लिखा।
६.सावरकर भारत के पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश और ब्रिटिशसाम्राज्यकी सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया था।
७.सावरकर दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे, जिनका मामला हेग के अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चला था।
८. सावरकर पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे, जिसने एक अछूत को मंदिर का पुजारी बनाया था।
९. सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम कामा ने फहराया था।
१० सावरकर वे पहले कवि थे, जिसने कलम-काग़ज़ के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायें लिखीं। कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हज़ार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षोंस्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक नहीं पहुच गई।
ग्रंथों की रचना
११.उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की, जिनमें ‘भारतीय स्वातंत्र्य युद्ध’, मेरा आजीवन कारावास’ और ‘अण्डमान की प्रतिध्वनियाँ’ (सभी अंग्रेज़ी में) अधिक प्रसिद्ध हैं।
१२.जेल में 'हिंदुत्व' पर शोध ग्रंथ लिखा।
१३.1909 में लिखी पुस्तक 'द इंडियन वॉर ऑफ़ इंडिपेंडेंस-1857' में सावरकर ने इस लड़ाई को ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ आज़ादी की पहली लड़ाई घोषित की थी।
शत्रु के राजधानी , लदन मे 1857 का स्वातंत्र्य सग्राम के 50 वा स्मृतिदिन , सुवर्ण महोत्सवमनाने वाले
१४. हिन्दुस्थान के स्वातंत्र्य युद्ध का आभाष , पुरे विश्व को ध्यान आकर्षण करने वाले
१५ .1907 मे जर्मनी के स्टुटगार्ट शहर मे अन्तराष्टीयसमाजवादी परिषद मे नमादाम कामा द्वारा भेजकर , भारतीय राष्टीय ध्वज फहराने वाले ...... भारतीय स्वतंत्रता युद्ध के लिए विश्व के सभी स्वतंत्रता प्रेमी देश के लोगो द्वारा सहकार्य करे वमादाम कामा के संदेश को अन्तराष्टीय कांग्रेस ने मान्यता अध्यक्ष हर सिगर ने दी १६ . स्वतंत्रता के लिए लडने व देश के क्रांतिकारीओं का संघ ठन खडा करने का प्रयास करने वाले ........टर्की, रूस, इटली, आयरिश ,इजिप्ट व अन्य देशो के क्रांतिकारीओं से संपर्क करने वाले... १७. देश को एक करोड के सेना की रिजर्व (आररक्षित) सेना बनाने की जरूरत है... १८,. सिखों का इतिहास लिखने वाले लेखक.... जो प्रकाशन के पहिले ही जब्त हुआ १९.. कारावास मे दिवारों पर काँटो व कीलों से महाकाव्य की रचना करने वाले महा कवि एक मात्र सावरकर ही....... ने 10 हजार से से ज्यादा काव्यपक्ति जेल मे लिखी, उसे कठस्थ किया व जेल से छूटने के बाद प्रकाशित करने वाले .... २०.. बाल्यकाल मे ही, गाँव के बच्चों को नई-नई रचना की कृति से , अपनी टोली के बच्चो मे स्वतंत्रता की प्रेरना फूँकने वाले एक मात्र सावरकर ही..... २१. वाड्ग्मय मे नौ रस प्रख्यात है, लेकिन 10 वा रस देश भक्ती को उढ्ह्त करने वाले एक मात्र सावरकर ही.... २२. अस्पृश्य लोग देव मूर्ती को स्पर्श कर सकते है ,ऐसे मंदीर बनाने वाले एक मात्र सावरकर ही........ श्री भागोजी कीर ने सावरकर से प्रेरणा से अपने खर्च रत्नागिरी मे पतित पावन मन्दिर का निर्माण किया २३. एक अस्पृश्य से शंकराचार्य के गले मे हार डानने की घटना साकार करने वाले..एक मात्र सावरकर
२४ रत्नागिरी से अस्पृश्यता पूर्वरूप से निर्मूलन करने वाले एक मात्र सावरकर ही. 28 शास्त्र शुद्ध अभ्यास कर , देवनागरी लिपी को टंक लेखन सुयोग्य बनाने वाले.. लिपी मे सुधार करने वाले दुनिया केएक मात्र सावरकर ही.
२५ . भाषा शुद्धी का महत्व कहने वाले पहले..., एक मात्र सावरकर 30 सभी सुशिक्षित लोग, अंग्रेजी भाषा को शेरनी का दूध कहकर गौरांवित होने वालो को मातृभाषा व राष्ट्रभाषा के अभिमान से सम्पूर्ण समाज को जागृत करने वाले..
२६. साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष पद पर बोलते हुए सावरकर ने कहा , देश की स्वतंत्रता मे लेखन से ज्यादा महत्व बंदूक का है, क्योकि लेखन से अंग्रेजो के कान मे जूँ रेंगने वाली नही, आजादी मिलने वाली नही, ऐसा दिव्य संदेश देने वाले एक मात्र सावरकर ही.... २७ 1901 मे जनवरी माह मे विक्टोरिया की मृत्यु हुई, जब पुरे हिन्दुस्तान मे शोक शभा आयोजित हो रही थी , सावरकर पहलेनेता थे,जिन्होने भरी शभा मे कहा था , इंग्लैंड, हिन्दुस्तान का शत्रु देश है,,शत्रु देश की रानी मरी तो शोक शभा आयोजन का कोई कारण नही है
२८ सावरकर ये पहले गैर सिख नेता थे , जिनका सम्मान , गुरुद्वार प्रबंधक कमिटी ने करते हुए, अध्यक्ष मास्टर तारा सिंग ने चाँदी की मुठ की तलवार सावरकर को भेट दी २९ भविष्य को काफी आगे देखने की एक दिव्य दृषिट रखने वाले... उनकी की गई 40 से अधिक भविष्यवाणी आज सच हुई है ३०. राजकीय सुधार पहले या सामाजिक सुधार पहले इस मत पय आगरकर व तिलक मे झगडा हो गया था और उंसके दो फाड होने वाले थे ,जब सावरकर ने दोनों को समाधान देते हुए कहा, राजकीय सुधार तलवार है और सामाजिक सुधार ढाल है, यदि दिनों सुधार साथ-साथ नही चके तो हमें सफलता मिलनी मुश्किल होगी
३१.. हिदू यह शब्द बाहरी नही, प्राकृतिक है, हमारा ही है, यह समझाने वाले पहले विद्वाने सावरक ही, उन्होने प्रमाण सहित सिद्ध किया कि हिदू यह शब्द मोहम्मद पैगबर के 1000 साल पूर्वौपयोग मे लाया गया पारसिक आर्याओ का अवस्था मे हमारे राष्ट्रसे हप्तहिंदव ऐसे कहा जाता था , हिदू यह शब्द राष्ट्र का वाचक है, वो किसी धर्मग्रन्थ , अवतार व देवता के नाम से निकला हुआ नही है, यह कहने वाले एक मात्र सावरकर ३२. नेहरू कहते थे... अक्साई चीन तो नो मेंस लैड कहने वाले को करारा जवाब देते हुए सावरकर ने कह, आपको पता है तो, नो मेंस लैंड है तो उसे इतने दिनों तक हिदू मेंस लैंड क्यो नही किया, ऐसे बेबाक कहने वाले एक मात्र सावरकर
३३. 1953 मे हिन्दू महासभा, रामराज्य परिषद व जनसंघ ने काश्मीर के का भारत मे पूर्ण विलय करने हेतु, संयुक्त सत्याग्रह किया, काश्मीर के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने सरकारे सहमती बिना बाहर के राज्य के लोगों को काश्मीर मे प्रवेश वर्जित किया था, मै यह आदेश तोड कर काश्मीर जाऊँगा, ऐसी घोषणा श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने की, तो सावरकर ने कहा सत्याग्रह करने , आप काश्मीर मत जाओ, वहां तुम्हारी हत्या हो जायेगी, तुम्हारी मुझे व राष्ट्र को बहुत जरूरत है, ऐसा कहने वाले ... जो आगे सही सिद्ध हुआ, श्यामाप्रसाद मुखर्जी की जेल मे संदेहास्पद मृत्यु हुई ३४.. सेना को हमेशा आक्रमक होना चाहिए, तभी राष्ट्र का सरक्षण हो सकता है, आक्रमण ही सबसे यह ही उत्तम सरक्षण, ऐसा कहने वाले ... एक मात्र सावरकर ३५..राजकारण का हिंदुकरण और हिदू के सैनिकी करण करने का मंत्र देने वाले ... . देश को एक करोड के सेना की रिजर्व (आररक्षित) सेना बनाने की जरूरत है... सावरकर एक प्रख्यात समाज सुधारक थे। उनका दृढ़ विश्वास था, कि सामाजिक एवं सार्वजनिक सुधार बराबरी का महत्त्व रखते हैं व एक दूसरे के पूरक हैं। सावरकर जी की मृत्यु 26 फ़रवरी, 1966 में मुम्बई में हुई थी।