Friday 2 October 2020

याद रहे लालबहादुर शास्त्री की ह्त्या के बाद कांग्रेसी माफिया कुत्ते कार्यकर्ताओं ने उनके घर में धावा बोलते हुए शास्त्री द्वारा काला धन जमा करने का आरोप लगाने पर , उनकी विधवा ने रोते हुए घर का संदूक दिखाते हुए कहा ये है मेरे पति की सम्पति.., ३ जोड़ी धोती कुर्ता व कार लोन में न चुकाने की असामर्थ्यता के पेपर... इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री के घर का दौरा करते हुए उनका घर देखकर नाक सिकोड़ते हुए कहा “छी:...., MIDLE CLASS FAMILY “

 




आज २ अक्टूबर पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के सपने के दिवस की देशी विदेशी माफिया ताकतों ने मिलकर ह्त्या करने के बाद का जश्न दिवस है.



लालबहादुर शास्त्री ने देश को विश्व गुरू के दहलीज पर पहुंचा देने के पूर्व ह्त्या कर दी.




यदि लालबहादुर शास्त्रीऔर दस साल और जीवित होते तो देश विश्व का दिव्यमान बनकर विश्व को  शांती का पाठ पढ़ाकर वैश्यविक आध्यात्मिक शक्ति से फलीभूत होता



याद रहे लालबहादुर शास्त्री की ह्त्या के बाद कांग्रेसी माफिया कुत्ते कार्यकर्ताओं ने उनके घर में धावा बोलते हुए शास्त्री  द्वारा काला धन जमा करने का आरोप लगाने पर , उनकी विधवा ने रोते हुए घर का संदूक दिखाते हुए कहा ये है मेरे पति की सम्पति.., ३ जोड़ी धोती कुर्ता व कार लोन में न चुकाने की असामर्थ्यता के पेपर...






इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद स्वर्गीय  लालबहादुर शास्त्री के घर का दौरा करते हुए उनका घर देखकर नाक सिकोड़ते हुए कहा “छी:....,  MIDLE CLASS FAMILY


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यदि आज २ अक्टूबर (देश का शोक दिवस) को गांधी का जन्म नहीं होता तो देश प्रथम विश्व युध्ह के पूर्व आजाद हो जाता.., गाँधी की गन्दी राजनीती जवाहर के जहर व जिन्ना के जिन से प्रधानमंत्री के दौड़ व बापू के संत बनने की अभिलाषा ने देश को खंडित करने का दंश आज भी देश भुगत रहा है प्रथम विश्व युद्ध में १ लाख से अधिक , द्वितीय में २ लाख से अधिक सेना के जवान व देश के बटवारे में २५ लाख से अधिक हिन्दुस्तानी गाँधी के छद्म अहिंसा के खड़ग से गाजर मूली की तरह काटे / मारे गए. हमें खंडित भारत आजादी के बजाय सत्ता परिवर्तन के रूप में मिला

 


यदि आज २ अक्टूबर (देश का शोक दिवस) को गांधी का जन्म नहीं होता तो देश प्रथम विश्व युध्ह के पूर्व आजाद हो जाता..,



गाँधी की गन्दी राजनीती जवाहर के जहर व जिन्ना के जिन से प्रधानमंत्री के दौड़ व बापू के संत बनने की अभिलाषा ने देश को खंडित करने का  दंश आज भी देश भुगत रहा है



प्रथम विश्व युद्ध में १ लाख से अधिक , द्वितीय में २ लाख से अधिक सेना के जवान व देश के बटवारे में २५ लाख से अधिक हिन्दुस्तानी गाँधी के छद्म अहिंसा के  खड़ग से  गाजर मूली की तरह काटे / मारे गए.  



हमें खंडित भारत आजादी के बजाय सत्ता परिवर्तन के रूप में मिला


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देश के," जय जवान जय किसान" के प्रणेता से देश को एक नै लहर देने वाले : २अक्टूबर के जन्मदाता, १८ महीनों के शासन में देश के सही मानों में भाग्य विधाता की भूमिका के सफल प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के दिन को गांधी जयन्ती नहीं देश का "शौर्य दिवस" के रूप में स्कूल में नव विद्यार्थियो को यह पढ़ाया जाय...कि कैसे एक निम्न वर्ग के प्रधानमंत्री ने निम्न श्रेणी को अपना जीवन व आदर्श मानकर, सभी सरकारी सुविधा का अपने परिवार के लिए त्याग कर .., मेरे घर से मेरी देश की तस्वीर से ही देश में राष्ट्रवाद की लकीर खीची जा सकती है... यह सिद्ध किया नेहरू के १८ वर्षों के अय्याशी के सोच के शौच को मात्र १८ महीने में साफ़ कर व पाकिस्तान को धूल चटाकर ...., विश्व ने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को अब्राहम लिंकन के समक्ष खडा कर हिन्दुस्तान का लोहा माना कि देश की शक्ती "जवानों व किसानों" के बल से ही बढ़ती है ना की/कि विदेश से कर्ज लेकर ..., ब्याज देकर नेताओं की अय्याशी से जनता को ब्याज से प्याज के तरह आंसू निकाल कर, जो आज के परिपेक्ष्य में लोक तंत्र को लूट तंत्र का खेल खेला जा रहा है ..., इसे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने समाप्त कर दिया था

 


देश के," जय जवान जय किसान" के प्रणेता से देश को एक नै लहर देने वाले : २अक्टूबर के जन्मदाता, १८ महीनों के शासन में देश के सही मानों में भाग्य विधाता की भूमिका के सफल प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के दिन को गांधी जयन्ती नहीं देश का "शौर्य दिवस" के रूप में स्कूल में नव विद्यार्थियो को यह पढ़ाया जाय...कि कैसे एक निम्न वर्ग के प्रधानमंत्री ने निम्न श्रेणी को अपना जीवन व आदर्श मानकर, सभी सरकारी सुविधा का अपने परिवार के लिए त्याग कर .., मेरे घर से मेरी देश की तस्वीर से ही देश में राष्ट्रवाद की लकीर खीची जा सकती है... यह सिद्ध किया

नेहरू के १८ वर्षों के अय्याशी के सोच के शौच को मात्र १८ महीने में साफ़ कर व पाकिस्तान को धूल चटाकर ...., विश्व ने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को अब्राहम लिंकन के समक्ष खडा कर हिन्दुस्तान का लोहा माना कि देश की शक्ती "जवानों व किसानों" के बल से ही बढ़ती है ना की/कि विदेश से कर्ज लेकर ..., ब्याज देकर नेताओं की अय्याशी से जनता को ब्याज से प्याज के तरह आंसू निकाल कर, जो आज के परिपेक्ष्य में लोक तंत्र को लूट तंत्र का खेल खेला जा रहा है ..., इसे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने समाप्त कर दिया था

Thursday 1 October 2020

कोविंदजी आपके ७५ वर्ष पुरे करने से देशवासियों में हर्ष है.., पूरा देश आपको शतायु देखना चाहता है ,राष्ट्रपति भवन में कोरोना के पदार्पण से आपके विभाग के कर्मचारियों को जकड लिया था लेकिन आप साबूत बच गए.. आपने नमस्कार के संस्कार से चमत्कार कर इस बीमारी को राष्ट्रपति भवन से भगाया “दोस्तों कोरोना भगाने का एकमात्र सनातनी मंत्र है “हाथ नहीं, तन - दूरी (Social Distancing) द्वारा दिल से दिल मिलाकर इस महामारी को देश व दुनिया से भगायें, नमस्कार के संस्कार से कोरोंना भगाने का चमत्कार अपनाएँ .., आओं डूबते देश व दुनिया को बचाएँ”



कोविंदजी आपके ७५ वर्ष पुरे करने से देशवासियों में हर्ष है.., पूरा देश आपको शतायु देखना चाहता है ,राष्ट्रपति भवन में कोरोना के पदार्पण से आपके विभाग के कर्मचारियों को जकड लिया था लेकिन आप साबूत बच गए..


आपने  नमस्कार के संस्कार से चमत्कार कर इस बीमारी को राष्ट्रपति भवन से भगाया.


“दोस्तों कोरोना भगाने का एकमात्र  सनातनी मंत्र है 

 

“हाथ नहीं, तन - दूरी (Social Distancing) द्वारा दिल से दिल मिलाकर इस महामारी को देश व दुनिया से भगायें, नमस्कार के संस्कार से कोरोंना भगाने का चमत्कार अपनाएँ .., आओं डूबते देश व दुनिया को बचाएँ”


लेकिन दुःख सिर्फ इस बात का है की दुश्मन देश का   “कोरोना” उपराष्ट्रपति वन्कैया नायडू को अभी सिर्फ मिला है व उनमें इसके चिन्ह भी मिले है, इसकी भनक लगते ही वे Quarantine में चले गए हैं ,सम्पूर्ण देशवासी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं   


प्रणव दा आपकी ८५ वर्ष की आयु में ३१ अगस्त में देहांत से श्रधांजली ..., आपकी इच्छा भगवान् ने पुरी कर दी जो आप बचपन की कल्पना से आप कहते थे “काश. मैं राष्ट्रपति भवन का घोड़ा होता..., भगवान अगले जन्म में मुझे इस भवन का घोड़ा बनाना.... “ अब आप पवन वेग के घोड़े द्वारा , पहुँचे देवलोक के द्वार,अब हुआ तुम्हारा भव्य सत्कार... दुःख सिर्फ इस बात का है की दुश्मन देश के “कोरोना” ने आप जो देश के "भूतपूर्व प्रथम नागरिक" को मात दे कर आपकी जीवन लीला छीन ली ..


 

प्रणव दा आपकी  ८५ वर्ष की आयु में ३१ अगस्त में देहांत से श्रधांजली ...,

 

आपकी इच्छा भगवान् ने पुरी कर दी जो आप बचपन की कल्पना से आप कहते थे “काश. मैं राष्ट्रपति भवन का घोड़ा होता..., भगवान अगले जन्म में मुझे इस भवन का घोड़ा बनाना.... “           

 

अब आप पवन वेग के घोड़े द्वारा , पहुँचे  देवलोक के द्वार,अब हुआ तुम्हारा भव्य  सत्कार...

दुःख सिर्फ इस बात का है की दुश्मन देश के        “कोरोना” ने आप जो देश के "भूतपूर्व प्रथम नागरिक"  को मात दे कर आपकी जीवन लीला छीन ली ..