Monday 31 December 2012



बापू के तीन बंदर, अब बन गये है मस्त कलन्दर –मेरा देश डूबा.कांम से 
बोलू: गांधी ने अंगेजों के चाटुकारिता की वजह से ही , (भाग-४ कुल २० भागों मे) , भारतीय नौसेना के विद्रोह के प्रति कांग्रेस नेताओ का विश्वासघात था जब , १८ फ़रवरी १९४६ को लगभग २०,००० भारतीय नौसेनिको ने बम्बई में अंग्रेज सरकार के विरुद्ध विद्रोह का झंडा खड़ा कर दिया. गांधी को इस विद्रोह में ‘हिंसा’ की बू आई .फलत: वे नौ-सैनिको के समर्थन में एक शब्द भी नहीं बोले. भारतीय नौसेना के क्रोधित जवानो ने गांधी के अहिंसा-सन्देश को मातृभूमि के प्रति छलावा और विश्वासघात माना. यदि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और पंडित नेहरु, नौसेना के इस विद्रोह को समर्थन देते, तो देश का विभाजन होने की नौबत न आती.
सुनू: गांधी ने अपने प्रार्थना सभा में विभाजन का अनुमोदन किया, ४ जून १९४७ को, जब गांधीजी ने पहली बार प्रार्थना सभा में विभाजन का अनुमोदन किया, तो किसी ने उनके शब्दों की याद दिलाई: “भारत का विभाजन करने से पहले,मेरे टुकड़े कर डालो!”
गांधीजी ने उत्तर दिया: “जब मैंने यह शब्द बोले थे तो जनता मेरे साथ थी. आज जब जनता मेरा विरोध कर रही है,तो मैं क्या करू?”, असत्य पर आधारित गांधीजी के इस स्पष्टीकरण को सुनकर प्रार्थना में उपस्थित सभी लोग स्तब्ध रह गए.
देखू: गांधीजी ने ‘विभाजन’ स्वीकृत कराने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के विवेक पर पानी फिर दिया था , जब १४-१५ जून १९४७ को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के अधिवेशन में विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकार होने वाला था .इस निर्णायक क्षण पर, सत्य-साधक गांधीजी जिन्होंने प्रण किया था की देश का विभाजन उनकी लाश पर ही होगा, हस्तक्षेप करने के लिए आ धमके. उन्होंने बड़ी चतुराई से संवेदंशील कांग्रेस सदस्यों के आत्म-विवेक को धो डाला और विभाजन-प्रस्ताव का समर्थन परिपुष्ट किया. उन्होंने तर्क दिया कि क्योकि उनकी प्रतिनिधि कांग्रेस कार्यकारिणी उसे पहले ही पारित कर चुकी है, उनका कर्त्तव्य हो जाता है की वे कार्यकारिणी के समर्थन में डट कर खड़े हो, अन्यथा दुनिया सोचेगी की उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष और कार्यकारिणी में विश्वास नहीं है.
बोलू: गांधी तो, सम्पूर्ण भारत को पाकिस्तान बनाने की संस्तुति के हिमायती थे. गांधी एक पग आगे और बढे और कहा की यदि लोक-हित करने में पाकिस्तान आगे रहता है, तो सारे भारत को ही पाकिस्तान बना दिया जाय और वे अपनी भूल स्वीकार करने और प्रत्येक व्यक्ति से पाकिस्तान स्वीकार करने की संस्तुति में सबसे आगे रहेंगे.
सुनू: गांधी की तुष्टीकरण की नीति , गंदी राजनीति में परिवर्तित हो गई , जब उन्होंने कहा कि हिंदुस्थान नहीं ,इंडिया कहो , स्वेच्छाचारी तानाशाह के समान गांधीजी ने घोषणा की कि मुस्लिम-बहुल क्षेत्र स्वयं को ‘पाकिस्तान’ पुकार सकते है, परन्तु शेष भारत का विशाल भाग स्वयं को हिन्दुस्तान न पुकारे, क्योकि उसका अर्थ ‘हिन्दुओ’ का ‘देश’ होता है.
देखू: जिन्ना ने दो युक्तिसंगत सुझाव गांधीजी को दिए थे जो उनके द्वारा द्वारा अस्वीकार का दिया गया, गांधीने जिन्ना के दो युक्तिसनागत सुझाव स्वीकार नहीं किए उसमे पहला था कि वे खिलाफत आन्दोलन का समर्थन न करे. और दूसरा ...विभाजन के समय हिन्दू-मुस्लिम जनता की अदला-बदली होनी चीहिए. बाबा साहेब आंबेडकर ने तो इसका पुरजोर समर्थन किया था, यदि गांधी और नेहरु इस सुझाव को मानकर क्रियान्वयन करते, तो विभाजन-परवर्ती नरसंहार को रोका जा सकता था और विभाजन के बाद भी खंडित-भारत में हमे निरंतर हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक दंगों का सामना न करना पड़ता.
सुनूँ: गांधीजी ने मंत्रिमंडल के निर्णय को बदलवाया, पंडित नेहरु की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने सरदार पटेल की प्रार्थना पर यह निर्णय किया कि, सोमनाथ मंदिर का पुर्निर्माण सरकार के खर्चे पर होना चाहिए. परन्तु छद्म धर्म-निर्पेक्षतावाद के मसीहा गांधी ने, जो न मंत्रिमंडल के और न कार्यकारिणी के सदस्य थे, इस निर्णय को बदलवाया और आग्रह किया कि मंदिर सरकारी अनुदान से नहीं, जनता के दान से बनना चाहिए. बाद में १३ जनवरी १९४८ को गांधीजी ने ऐतिहासिक आमरण उपवास रख कर नेहरु और सरदार पटेल पर दबाव डाला कि दिल्ली की मस्जिद का पुर्ननिर्माण सरकार की खर्चे पर हो. यह कांग्रेसी जो “गांधी को अहिंसा के पुजारी” कहते थे, यह तो गांधी का दोगलापन ही था
देखू: विभाजन के समय जब पकिस्तान से हिन्दू विस्थापित कड़कते शीत में सडको पर फेंके गए, हजारो हिन्दू-सिख विस्थापित, पाकिस्तान में अपने बहुमूल्य घर, सम्पति और उनके बच्चो और महिलाओं को भी गँवा कर, दिल्ली जैसे तैसे पहुचे और उन्होंने पाकिस्तान जाने वालो द्वारा खाली छोड़ी हुई लावारिस मस्जिदों में शरण ले ली थी. हिंदुस्थान की हिन्दू पुलिस ने इन असहय हिन्दू शरणार्थियो को बूढों-औरतो-बच्चो समेत घसीट कर मस्जिदों के बाहर निकला और दिल्ली की सडको पर कड़कते जाड़े में, सनसनाती सर्द हवाओं में कपकपाते हुए, गांधीजी की इच्छा पूरी करने के लिए धकेल दिया.
सुनूँ: ये गांधी की ही देंन थी कि, भारत सरकार पर ५५ करोड़ रु. पाकिस्तान को देने का दबाव डाला, माउंटबैटन ने गांधीजी को पाकिस्तान को ५५ करोड़ रु. दिलवाने की सलाह दी. २२ अक्तूबर १९४७ को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया. कश्मीर में युद्ध चलाए रखने के लिए उसे धन की सख्त जरुरत थी. गांधीजी ने पाकिस्तान को ५५ करोड़ रूपए रोकड़ राशि में से दिलवाने के लिए, नेहरु और पटेल पर दबाव डालने हेतु, आमरण उपवास आरम्भ किया. अन्ततोगत्वा, नेहरु और पटेल उपर्युक्त राशी पाकिस्तान को देने को विवश हुए, यद्यपि बाद में पाकिस्तान को इससे भी अधिक धन-राशी भारत को देनी थी. जो आज तक नहीं मिली
बोलू: यह बात... नाथूराम गोडसे को नागवारा लगी , गांधी की जो हिन्दुस्थान की ५५ करोड़ रु. की रूपये रोकड़ राशि पाकिस्तान को दें दी थी..., इसी पैसे से, जो पाकिस्तान भारत को तोड़ने की साजिस करेगा , उसे यह बात इतनी चुभी कि उसने गांधी की हत्या कर..., अदालत में खुले आम स्वीकार, किया कि “यह मेरे अंतरात्मा की आवाज है,” कि भविष्य में गांधी ऐसे तुष्टीकरण की जिद से, देश को बर्बाद कर देंगें
देखू: फिर भी नाथूराम गोडसे के बयान के बावजूद, कांग्रेस ने एक नया पांसा फेका और महान क्रांतीकारी वीर सावरकर व राष्ट्रीय स्वंय संघ को इसमें घसीटा, ताकि उनके नाम का प्रयोग कर गांधी को “ अहिंसा का महान पुजारी” के हत्यारे के रूप में दिखाकर, अपनी सत्ता चमकायें लकिन अदालत ने वीर सावरकर व राष्ट्रीय स्वंय संघ को निर्दोष साबित कर, कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फेर दिया
सुनूँ: गांधी ने एक बड़ा छल किया , जो सरदार पटेल के विरुद्ध आरोप-अभियान चलाया था . जब, गांधी द्वारा आमरण उपवास का निर्णय उस आरोप-अभियान का परिणाम था जो मौलाना आजाद ने चलाया था और जिसे पंडित नेहरु का गुप्त समर्थन प्राप्त था. उपवास की अवधि में सबसे अधिक भेंट के लिए आने वाले नेता मौलाना आजाद ही थे.उन्होंने ही गुप्त रूप से गांधीजी पर दबाव डाला कि उपवास तोड़ने से पहले वे अपनी सातों शर्ते मनवा ली. सरदार पटेल ने समझाने का प्रयत्न किया कि उनके उपवास से हिन्दुओ की, भारत सरकार की और गृहमंत्री की दुनिया की आँखों में बदनामी होगी.परन्तु मौलाना आजाद द्वारा दिग्भ्रमि हो कर दृढ़ता से अड़े रहे. 

Wednesday 26 December 2012


आजादी एक झाँसा थी???… एक झूठी आजादी ????
मेरी प्रतिज्ञा: Posted on 26 October 2012.
देश के भेडियें, देशप्रेमी का चोला पहनकर देश को लूट कर आदमखोर बन गये हैं,, जिस दिन देश का भ्रष्टाचार खत्म होगा. तो मैं, देशद्रोही का चोला फेंककर देश का पहिला देशप्रेमी बनूँगा
मेरे वेबस्थल का नाम मेरा देश डूबा.कांम, रखने के पहले, मैने, मेरे दिल के टिस (दर्द) को दबाते हुए कहा, मै दिल के दर्द को सहन कर सकताहूँ..?, लेकिन देश के दर्द को नही...???.
दोस्तों मेरे इन ४ कार्टूनों के ४ भागों में लेख से जानिये .. इस देश को पुतला से चलाया जा रहा है, या रिमोट कंट्रोल से ...??????,. हमारा अशोक स्तम्भ आज उल्टे पिरामिड में कैसे बदल गया है., .२ साल पहले मेरे वेबसाईट का नामwww.meradeshdoooba.com रखने में मेंरे कार्टून के “a शब्द” में, आम आदमी महंगाई व भूखमरी से लहूलुहान है... और “d व b शब्द” , में देश की नौकरशाही, और जजशाही अपने गद्देदार तकिये वाले हाथों से , राजशाही से तालमेल कर , देश की खान,खदान, मान, सम्मान को ताक में रहकर लूट खसोट के नशे मे डूबे है, देश की सीमाएं खुली है , सीमाओं पर जवानों की हत्या व किसानों की आत्महत्या... यह देखकर भी ये, फूले नहीं समा रहें है... मीडिया वर्ग व बुद्दीजीवी भी इनके तलवे चाटकर ... “देश को सुपर पावर” व “भारत निर्माण” से जनता को भरमा रहे हैं....
भाग-१
देश का काला धन , विदेशी माफियाओं द्वारा सफ़ेद धन बनाकर हमारे देश को कर्जे में डूबा रहा है...
देश मे भ्रष्टाचार का रावण जिन्दा है, फिर भी हम दिवाली क्यो मनाते है?
देश को आजाद कराने का जुनून, मर्दानी झाँसी की रानी ने अपने प्राणो की आहूति दी थी
आज इस देश को भ्रष्टाचार की सुनामी से डुबाने वाले झाँसे का राजा सत्ता पर क्यो बैठा है?

हिन्दुस्तानी एक झूठे प्रभाव मे था, लेकिन आजादी के नाम पर उसे दबाया / शोषित किया गया
इसकी व्याख्या अंग्रेजी शब्द मे है, (IMPRESSION – I AM PREES ON – मै दबाया गया हूँ)
उसे लगा अभी सुबह हुई है..????
आजादी का सूरज, अब निकलेगा- अब निकलेगा उसके जीवन मे एक उर्जा देगा
उसकी गरीबी के कीडे को सूरज की किरणे मार देगी,
इस आस मे,...????, एक 15 अगस्त , दूसरा 15 अगस्त..?? 66वा …15 अगस्त……….???? चला गया.
क्यो की? आज तक वह सूरज भ्रष्टाचार के घने बादलो मे फसा है

आज हिन्दुस्तानी अवसाध मे है? (DEPRESSION – DEEP PRESS ON- गहरी तरह दबाया गया)
इंडियन लोगो के लिये यह एक लू….ट….
एक मनमौजी, जश्ने –ए – आजादी
इंडियन लोगो को लूटने का खजाना मिल गया, भ्रष्टाचार के इन घने बादलो ने किसानो व आम जनता का पानी पी पी कर, विदेशो के बैको मे धन की बरसात कर रहे है
इंडियन लोगों के लिये इंडिया चमक रहा है (INDIA IS SHINNING) , यह नारा 1947 मे ही सार्थक हो गया था
इनहें देश के अधिकृत लूटेरो मे घोषीत किया गया
सविधान का कानून इन पर लागु नही होता है,जितना बडा घोटाला उतनी ज्यादा सहुलियत,
जितना बडा घोटाला उतनी सत्ता पर मजबूत दावेदारी ………..
15 अगस्त आजादी नहीं धोखा है, देश का समझौता है , शासन नहीं शासक बदला है, गोरा नहीं अब काला है 15 अगस्त 1947 को देश आजाद नहीं हुआ तो हर वर्ष क्यों ख़ुशी मनाई जाती है ?
क्यों भारतवासियों के साथ भद्दा मजाक …किया जा रहा है l
इस सन्दर्भ में निम्नलिखित तथ्यों को जानें …. :
1. भारत को सत्ता हस्तांतरण 14…-15 अगस्त 1947 को गुप्त दस्तावेज के तहत, जो की 1999 तक प्रकाश में नहीं आने थे (50 वर्षों तक ) l
2. भारत सरकार का संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेदों में संशोधन करने का अधिकार नहीं है l
3. संविधान के अनुच्छेद 348 के अंतर्गत उच्चतम न्यायलय, उच्च न्यायलय तथा संसद की कार्यवाही अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में होने के बजाय अंग्रेजी भाषा में होगी l
4. अप्रैल 1947 में लन्दन में उपनिवेश देश के प्रधानमंत्री अथवा अधिकारी उपस्थित हुए, यहाँ के घोषणा पात्र के खंड 3 में भारत वर्ष की इस इच्छा को निश्चयात्मक रूप में बताया है की वह …
क ) ज्यों का त्यों ब्रिटिश का राज समूह सदस्य बना रहेगा तथा
ख ) ब्रिटिश राष्ट्र समूह के देशों के स्वेच्छापूर्ण मिलाप का ब्रिटिश सम्राट को चिन्ह (प्रतीक) समझेगा, जिनमे शामिल हैं ….. (इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्री लंका) … तथा
ग ) सम्राट को ब्रिटिश समूह का अध्यक्ष स्वीकार करेगा l
5. भारत की विदेश नीति तथा अर्थ नीति, भारत के ब्रिटिश का उपनिवेश होने के कारण स्वतंत्र नहीं है अर्थात उन्हीं के अधीन है l
6. नौ-सेना के जहाज़ों पर आज भी तथाकथित भारतीय राष्ट्रीय ध्वज नहीं है l
7. जन गन मन अधिनायक जय हे … हमारा राष्ट्र-गान नहीं है, अपितु जार्ज पंचम के भारत आगमन पर उसके स्वागत में गाया गया गान है, उपनिवेशिक प्रथाओं के कारण दबाव में इसी गीत को राष्ट्र-गान बना दिया गया … जो की हमारी गुलामी का प्रतीक है l
8. सन 1948 में बने बर्तानिया कानून के अंतर्गत भाग 1 (1) 1948 के बर्तानिया के कानून के अनुसार हर भारतवासी बर्तानिया की रियाया है और यह कानून भारत के गणराज्य प्राप्त कर लेने के पश्चात भी लागू है l
9. यदि 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ तो प्रथम गवर्नर जनरल माउन्ट-बेटन को क्यों बनाया गया ??
10. 22 जून 1948 को भारत के दुसरे गवर्नर के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने निम्न शपथ ली l “मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यथाविधि यह शपथ लेता हूँ की मैं सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक विश्वास के साथ वफादारी निभाऊंगा, एवं मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यह शपथ लेता हूँ की मैं गवर्नर जनरल के पद पर होते हुए सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सव्वा करूँगा l ”
11. 14 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतन्त्रता विधि से भारत के दो उपनिवेश बनाए गए जिन्हें ब्रिटिश Common-Wealth की … धारा नं. 9 (1) – (2) – (3) तथा धारा नं. 8 (1) – (2) धारा नं. 339 (1) धारा नं. 362 (1) – (3) – (5) G – 18 के अनुच्छेद 576 और 7 के अंतर्गत …. इन उपरोक्त कानूनों को तोडना या भंग करना भारत सरकार की सीमाशक्ति से बाहर की बात है तथा प्रत्येक भारतीय नागरिक इन धाराओं के अनुसार ब्रिटिश नागरिक अर्थात गोरी सन्तान है l
12. भारतीय संविधान की व्याख्या अनुच्छेद 147 के अनुसार गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 तथा indian independence act 1947 के अधीन ही की जा सकती है … यह एक्ट ब्रिटिश सरकार ने लागू किये l
13. भारत सरकार के संविधान के अनुच्छेद नं. 366, 371, 372 एवं 392 को बदलने या रद्द करने की क्षमता भारत सरकार को नहीं है l
14. भारत सरकार के पास ऐसे ठोस प्रमाण अभी तक नहीं हैं, जिनसे नेताजी की वायुयान दुर्घटना में मृत्यु साबित होती है l इसके उपरान्त मोहनदास गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अबुल कलाम आजाद ने ब्रिटिश न्यायाधीश के साथ यह समझौता किया कि अगर नेताजी ने भारत में प्रवेश किया, तो वह गिरफ्तार ककर ब्रिटिश हुकूमत को सौंप दिया जाएगाl बाद में ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल के दौरान उन सभी राष्ट्रभक्तों की गिरफ्तारी और सुपुर्दगी पर मुहर लगाईं गई जिनको ब्रिटिश सरकार पकड़ नहीं पाई थी l
15. डंकल व् गैट, साम्राज्यवाद को भारत में पीछे के दरवाजों से लाने का सुलभ रास्ता बनाया है ताकि भारत की सत्ता फिर से इनके हाथों में आसानी से सौंपी जा सके l



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इस देश को कौन चला रहा है....रिमोट कण्ट्रोल ...



Tuesday 27 November 2012



“देश में भारतीय रेल ही एकमेव राष्ट्रीय जनसेवा है,”
जहां आरक्षण फ़ार्म पर जाति नहीं पूछी जाती है…??, तथा वरिष्ठ नागरिकों को किराए में विशेष छूट दी जाती है,

याद रहे ,सता परिवर्तन (१९४७) के बाद भी भारतीय रेल आज तक देश के चार भागों में उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम में विभाजित है …इसलिए उसे अपने गंतव्य स्थान में पहुँचने पर किसी राज्य की अनुमति नहीं लेनी पड़ती है,

वही राज्य की बसों को एक राज्य से, दूसरे राज्य की परिवहन सेवा में राज्य सरकारो, और तो और… एक नगर निगम की स्थानीय बसों को दूसरे नगर निगम में मुनाफे के खेल में आपस में लड़ाई हो जाती है…

याद रहे मुंबई से नई मुंबई की बस सेवा में पहले सिर्फ राज्य सेवा परिवहन को अनुमति थी , १५ साल ही, मुम्बई बस सेवा को नई मुंबई की बस सेवा की अनुमति दी गई … जबकि आज तक नई मुम्बई की परिवहन सेवा, नगरपालिका में घपले/घोटालों की वजह से नुक्सान में चल रही है

रेल की आरक्षित सीटों पर हर वर्ग, धर्म, जाति व अमीर से गरीब तक एक साथ यात्रा करते है , आज के ६६ वर्षों के इतिहास में जातिवाद, धर्मवाद के नाम से किसी यात्री में झगडा नहीं हुआ है, कोइ भी यात्री… रेल्वे में खानपान देने वाले कर्मचारी से उसकी जाति नहीं पूछता है ,
यात्रियों में भी रेल के चलने के बाद ही ,एक दूसरे से परिचय पाने की उत्सुकता से वे उसके, गंतव्य स्थान व उसके आगे जाने की जानकारी पूछते है, और अपने नए यात्रियों को .. जो शहर के बारे में अनजान है… उन्हें मार्गदर्शन कर कहते है, गंतव्य स्थान पर उतरने के बाद के नजदीक का रास्ता , व टैक्सी व आटोरिक्शा के लूटेरो से बचने के लिए उचित किराया व बस अड्डे की पैदल दूरी की जानकारी देते है…
यदि कोई यात्री अपने घर से भोजन लाता है तो सद्भाव से यहाँ तक पूछता है , भाई साहब.. क्या?, हमारी बनाई रोटी सब्जी खाओगे… ऐसे लाखों उदाहरण है… रेल यात्रा के दौरान ही, यात्री… भविष्य के घनिष्ठ मित्र बन गयें है

दोस्तों….?????, यदि हम ४-४८ घंटो का सफर ६६ सालों से रेल में कर आज तक आनंदित है, तो इस तरह का जीवन में… राष्ट्रवादी सफ़र… अपनी जिन्दगी में करें.. तो देश हजारों गुना आगे बढ़ जाएगा … जागों…. और भारतीय रेल के आदर्शों से ही … हम सब मिलकर… हम राष्ट्रवादी विचारधारा के जिंदादिली से सुपरफास्ट … से दुरंतो के लक्ष्य से अपने देश व जीवन को स्वर्णमय के साथ… स्वर्गमय बनाएं….
अतरिक्त पोस्ट- यह देश की बिडंबना है की सत्ता परिवर्तन के बाद हमारे सत्ताखोरों ने देश को उत्तर , दक्षिण , पूरब, पश्चिम के चार भागों में बांटने ने बजाय भाषावाद के नाम से १२ से ज्यादा प्रांत बनाकर, व सेना की प्रान्त के नाम से पहचान देश को बांटने का तड़का व जातिवाद, भाषावाद, धर्मवाद से विभिन्न अलग –अलग कानूनों से अलगाववाद के बीज तो तभी ही बो दिए थे...
आज राजनीती की कड़ाई में घुसपैठीयों की चासनी से वोट बैक का भजिया खाकर ...भारत निर्माण भज कर .., देश के जनता को भामा रहें है...
और तो और रेलवे की दलाली से देश के नेता अपने मुंह काली से देश का भठ्ठा बिठा रहें है...

Thursday 22 November 2012



संविधान के रक्षक-
आज ६७ सालों से इस संविधान को राष्ट्रनीती की बलि देकर (सिर्फ लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल को छोड़कर) सत्ता के अफीमी नारों से लोमड़ी वाद के खेल से अशोक स्तंभ के शेरों को घायल कर अफीमी नारों से देश को चलाया है.....,देश विदेशी आकांओं के मकडजाल में फंस कर..., कर्ज के गर्त में जाकर भीषण गुलामी की ओर धकेला जा रहा है....
ऊपर से देश के ३३ हजार कानूनों को इस लोमड़ी वाद ने जनता को इस जाल में फंसाकर ..., न्याय प्रकिया में घर-बार बिकाकर ..., लड़ने की प्रतिरोध की शक्ति खत्म कर दी है....,
इस लोमड़ी वाद ने अपने लूट पर लूट के कारनामों में खुली छूट लेकर, क़ानून की हथकड़ी को जोड़कर , झूला बनाकर, नौकरशाही से झूला झूलाकर , संविधान का मसीहा कह कर ....काले धन की रकम डकारकर ...अकूत सम्पत्ती के साम्राज्य से कोई दंड से धन नहीं लौटाया है....,
जनता को क़ानून के जाल में फांसकर तारीख पर तारीख देकर, घर बार बिकाकर , लड़ने की शक्ति से हताश कर बेबस कर दिया है...,

इस लूट के बावजूद अब भी अपने को संविधान का मसीहा कहकर फूले नहीं समा रहें है....

जानें........, -हिंदुस्था न का अशोक स्तं भ – के चिन्ह का अर्थ ....,
हमारा राष्ट्रीय चिह्न, अशोक स्तंकभ (अशोक चिह्न में इसे इस प्रकार से दर्शाया गया है कि इसमें प्रदर्शित चार शेर और सामने से दृष्टिगत शेरों के चार पैर परम् मौलिक ऊर्जा के चार अंशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी भी दिशा से सामने देखने पर शेरों के तीन मुँह और चार पैर ही दृष्टिगोचर होते हैं। जिससे यह तात्पर्य निकलता है कि इस मौलिक ऊर्जा के चार अंशों में से तीन अंश ऊपर उठकर आकाश में अवस्थित हैं, शेर के माध्यम से इस मौलिक ऊर्जा की अभिव्यक्ति इसे सर्वशक्तिमान प्रतिपादित करती है। अशोक चिह्न में शेरों के आधार पर स्थित पशु और चक्र, इस परम मौलिक ऊर्जा के एक अंश का प्रतीक होकर दृश्य जगत का भाग है। इसमें चिह्नित अश्व एवं गाय चैतन्य जगत का प्रतिनिधित्व करने के साथ, परम मौलिक ऊर्जा तथा प्रकृति को अभिव्यक्त करते हैं। अशोक चिह्न में चैतन्य जगत को अश्व एवं गाय के द्वारा अभिव्यक्त किया गया है। )

जाने इस लोमड़ी के बारे में आज के नव युवकों का ज्ञान ..., जब मै लोगों से पूछता हूँ ? कि हमारे राष्ट्रीय चिह्न, अशोक स्तं भ मे कितने शेर है ।
लगभग 80 प्रतिशत लोगो ने कहा 3 शेर है । 10 – 12 लोगो ने हिचक कर कहा 4 शेर ..?? 8-10 प्रतिशत लोगो ने विश्वास से कहा 4 शेर। फिर, मैने कॉलेज के छात्रों से पूछा ? 95 प्रतीशत छात्रों ने कहा, 3शेर । एक छात्रो ने मुझसे कह दिया, अंकल आपको दिखता नही है क्याो ?, इसमें एक बडा शेर है व दो छोटे शेर है ।
मैने इन 8-10 प्रतिशत लागों से कहा कि इसके पीछे चौथा शेर नही बल्कि एक लोमडी है ।जिसके वजह से ये तीनो शेर अपाहिज हो चुके है ।
देश की जनता में जो शेर के रक्तक का चौकन्नापन, फूर्ती होनी चाहिए थी वह खत्मर होती जा रही है ।
आज हर सरकारी विभाग में, मंत्रालय, कोर्ट व इत्याीदि में जहॉं लोहे, मिट्टी
की उभरी आकृती मे भी 3 शेर ही देखने मिलते है । किसी भी सरकारी विभाग में यदि चार शेर वाला अशोक चिह्न दिखाई देना एक सौभाग्यि की बात होती है ।
आज तक मैने जहा भी इन शेरो की उभरे हुई आकृति देखी है वह काले रंगो मे, उससे मुझे लगता है की शेर को भ्रष्टाचार की काली कालिख लगी हुइ है।
आज देश को एक लोमडी , 3 शेरो को नकेल डालकर चला रही है । आज 65 साल बाद भी वे जातिवाद , भाषावाद , आतंकवाद, आरक्षण, अलगाववाद , क्रिकेट के द्वारा से शेर के अगले पॉंव अपंग से हो गए है, इनके दाँत भी तोट टूट चुकें है, जो दॉंत बचे हुए है उनका पैनापन भी समाप्त हो चुका है । इन सत्तास की लोमडी की वजह से हमारी जनता की मौलिक ऊर्जा की स्तिथी ऐसी हो गई है कि ये हम पर नकेल कसने के बावजूद, हमारी प्रतीक्रीया लगभग समाप्त हो चुकी है । देश के प्रति लोगों का शरीर दुर्बल होते जा रहा है । हमारे दॉंतो व नाखून ( विचारों ) टुटते हुए जर्जर होते जा रहे है । और हम ऐन-केन प्रकारेण घुटन के साथ में घायल अवस्थार में जीवन जीने का प्रयास कर रहे है ।
ये लोमडी अपने रथ पर भष्टाीचार, टॅक्स ,काले धन व अन्य का बोझ डालकर हम जनता को और दुर्बल कर रही है ताकि हम इससे भी बदतर हालत में जीवन जीने को अभ्यिस्तस हो ?

Wednesday 21 November 2012



सिर्फ एक बूँद राष्ट्रवाद की ……….
यह कार्टून: देश के घोटालेबाज आदमखोर भेडिया नेताओं को समर्पित है, जिन्होने देश प्रेमी का चोला पहंनकर आम आदमी का खून पी कर देश के मासूम हिन्दुस्तानी लोगों, जो इन भेडियों के द्वारा काल के गाल समा गये है
मै उंन मासूमों को श्रदांजलि स्वरूप प्रस्तूत कर रहा हूँ – देशद्रोही

यदि इंडियन लोगों को राष्ट्रवाद का नशा लग जाये…??? तो हिन्दुस्थानी शराब पीना छोड देगा….???
एक आरटीआई कार्यकर्ता ने पुछा?…. हम, हमारे देश को क्या कह सकते है ? …इंडिया?….भारत?…… या हिन्दुस्थान…?
तो उसे, जवाब मिला कि इस देश को इन नामो में से कुछ भी कह सकते है?
दुनिया मे ऐसा कोइ देश नही है जिसे तीन नामो से पुकारा जाता हो?
मेरी इन नामो की शब्दावली निम्न प्रकार से है.
1. इंडिया – अकूत धन से चमकने वालो के लिये…इंडिया?. यो कहे शाईनिंग इंडिया.
2. भारत –जो, इन चमकने वालो के पिछलग्गू , इनके गलत कामों के सह्भागिता मे भी शामिल होने वालो लोगो के लिये भारत?…… और इंडियन बनने की होड मे दौड रहे है? (भार-रत)
3 हिन्दुस्थान- मेहनत कर भूखमरी की कगार पर पहुचने व आत्महत्या करने वालों के लिये हिन्दुस्थान…?
इस देश की अमीर इंडिया…? और गरीब हिन्दुस्तान के हालात की मार्मिक तस्वीर यह है.,
दो साल अखबार मे समाचार था, मध्य प्रदेश के टीनू जोशी दपति (I.A.S.- आफिसर) के घर 500 करोड की काली सम्पति…? बरामद हुई है, अभी और लाँकर खुलने बाकी है, उसी के बगल के समाचार कालम मे सटकर यह खबर भी थी, मध्य प्रदेश मे एक परिवार के 4 सदस्यो ने गरीबी से आत्महत्या की ?. हाँ, एक घर मे ..काले धन वाला चमकदार इंडियन रहता है, और दुसरे झोपडें मे बिना बिजली के मेहनत और ईमानदारी से रोजी रोटे कमाने वाला हिन्दुस्थानी, जो सिर्फ और सिर्फ विकास के नाम पर, वोट बैक के शोषण का मोहरा है. आज गरीबों का वोट बैक, सत्ताधारियों का इनते नाम पर योजनाये निकालकर धन बैंक के लूट का चेहरा है.
भार-रत भारत – जो हिन्दुस्थानीओ के मेहनत को नजर अंदाज कर इंडियन लोगों के साथ मिलकर, एन केन प्रकारेण धन कमाने के चक्कर मे अपने संस्कार, की तिलांजली देकर, अपनी आत्मा का गला घोटकर, अपनी जीवन शैली को अय्याशी बनाने के लिये, इंडियन लोगो का डाँक्टर (डाँग + टर्र = कुत्ता और मेढक ) बनकर उनके धन के लूट मे रखवाली कर (कुत्ता) , चुनावी मौसम मे इंडियन लोग मेढक की तरह का जोर शोर से प्रसार कर रहे है.
यह शर्म की बात है , हम अपने आपको सुपर पावर कहते है, और आज हम भुखमरी, शिशु व महिला मृत्यु दर मे हमारे देश के आकडे भयानक हैं और देश की तुलना अफ्रीकी देशो से भी ऊपर की तालिका मे की जाती है?
आज हमारे देश का, दुनिया मे किसान आत्महत्या का विश्व कीर्तिमान है और यह आँकडा दिन प्रतिदिन बढते ही जा रहा है?, लेकिन हमारे देश मे अन्नदाता (किसान) आत्महत्या कर रहा है जो देश के एक हर एक तबके को निवाला देता है?
यदि विषेश तौर से कहा जाय तो किसान आत्महत्या, राष्ट्र पर कलंक है, किसान देश का अन्नदाता है, उसकी बदौलत देश्वासिओं को भोजन नसीब होता है, 1 किसान आत्महत्या का मतलब देश के 100 परिवारो को निवाला खिलाने वाला देश से चला गया,
आज देश मे किसानों के परिवारो की महिने की औसत आय 2200 रूपये है ,जबकि सरकारी चपरासी की महिने की औसत आय 10000 रूपये से ज्यादा है, इसमे उसकी उपर की कमाइ जिसे रिश्वत कहते है शामिल नही
दो साल पहिले, मुबई मे थाने शहर मे एक बेरोजगार अधेड उम्र के युवक ने अपनी आत्महत्या के पहले अपने पत्र मे लिखा, मै महँगाई के वजह से परेशान हू और इसका जवाबदार कृषि मंत्री शरद पवार हे.

सरकार की राष्ट्रवाद की परिभाषा

काँमन वेल्थ गेम (1 लाख करोड के घोटाले का खेल) के समाप्ति पर आयकर विभाग ने हर अखबार और दूरदर्शन मे विज्ञापन मे मुम्बई के वरली सी लिक के सेतु व साईना नेहवाल के चित्र के साथ मे लिखा था,
काँमन वेल्थ से देश को राष्ट्रवाद के रूप मे आपका धन वापस मिल रहा है और देश गौरान्वित हुआ है
और जनता से अपील की गई थी कि आप सही समय पर आयकर भरें और राष्ट्र निर्माण मे सहयोग करें.
यह विज्ञापन देख कर मेरा माथा ठनका, मुझे यह समझ मे नही आ रहा था कि आयकर विभाग सरकार की पीठ थपथपा रहा है या सरकार इस विज्ञापन से आयकर विभाग की पीठ थपथपा रही है
जो काँमन वेल्थ गेम (1 लाख करोड के घोटाले का खेल) का हाल है , वही हाल मुम्बई के वरली सी लिक के सेतु का है, 400 करोड की लागत जिसे पाँच साल मे पूरा होना था , उसे दस साल से अधिक लग गया और् सेतु 1700 करोड रूपये से अधिक लागत लग गई, यदि पाँच साल की अवधि के समय. 1700 करोड का चक्रवर्ती व्याज के रूप मे देखे तो यह सेतु 3500 करोड से भी अधिक मे बना, यदि यही धन जो देश के किसान निजी साहुकारो से अधिक 10% मसिक ऋण से लेते है तो यह राशी 15000 करोड से ज्यादा होती
राष्ट्रवाद के रूप आयकर विभाग व भारत सरकार से कहना चाहता हूं, कि यदि यह सेतु , सही समय व निर्धारीत राशी मे बनता तो .राष्ट बिना टोल लिये हुये इन पाच सालो मे 500 करोड से ज्यादा का ईधन बचा लेता था.
अभी एक सप्ताह पहले ही खबर आई थी कि, सी लिंक के टोल के फर्जी पास के गोरखधधे का
माफिया राज चल रहा है.......,

Tuesday 2 October 2012



बापू की जयंती बनी….??? भ्रष्टाचार की क्रान्ति ..??????????????.
Posted on 30 September 2013. In website meradeshdoooba 
शद्रोही : बापू आप नोट पर चढ़ रहे है, कही, आपके हाथ पाँव में चोट न आ जाये
बापू: मुझे मेरे शरीर की चिंता नहीं है, मै देखना चाहता हूँ , मुझे महात्मा व राष्ट्रपिता के अलंकार से मेरे वचारों का शिकार कर , इन कल्मूहों ने देश की बर्बादी कर दी है ….
देशद्रोही : बापू, आपकी उमर १४५ साल की हो रही है , आपके जीर्ण शरीर में चोट आने पर , कोई , कांग्रेसी आपके लिए १८ रूपये भी खर्च करने वाला नहीं है
बापूजी , एक बात, आपको भी पता होगी , देश की कांग्रेसी अध्यक्षा के ईलाज में राष्ट्र के १८०० करोड़ रूपये खर्च करने के बावजूद , तुम्हारे ही कांग्रेसीगण चुनौती से जनता को कह रहें है… ,इसका हिसाब माँगने का अधिकार तुमको नहीं है,
बापू: मुझे मेरे तन की नहीं , देश वासियों के तन की चिंता … मै देखना चाहता हूँ… कैसे १% से कम लोग जो… अपने को अंग्रेजों की औलाद कहने वालों ने देश की बर्बादी की है और सच्चा , हिंदुस्थानी आज भी भूखा नंगा है,
देशद्रोही : बापू आपकी जयन्ती आ रही है , सभी सरकारी व नीजी संस्थानों में छुट्टी व नगर, शहर से देश भर में आपके आदम कद पोस्टरों, बैनरों , व हर अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन से देश पटा होगा और देश को लगभग १०००० हजार करोड़ रूपये का चूना लगेगा…???
बापू: हाँ , बेटा , अभी सातवा वेतन आयोग लागू हो रहा है , अगले साल यही रकम २० हजार करोड़ हो जायेगी , बड़ी तनख्वाह के बावजूद , जो सरकारी बाबू , जो आज खाबू बन गए है वे और ऐश करेंगे
देशद्रोही : बापू आपसे और बहु कूछ पूछना चाहता हूँ … क्या आप जवाब देंगे
बापू: बेटा यह देखकर मेरे आंसू नही थम रहे है , मै तो कब से लटका हूँ, इस नोट पर … तू, तो अभी आया है , अभी मेरे हाथ पाँव , यह सब देखकर काँप रहे है, अभी मुझे विश्रांती में जाने दे … मेरी जयन्ती के बाद फुर्सत से बात करूंगा तेरे से….
देशद्रोही : बापू , धन्यवाद , फिर आपके आने का बेसब्री से इन्तजार करूंगा …
लिखने की प्रेरणा
Posted on 15 October 2012.
26/11 के घटना के दौरान मै निजि काम से एक हफ्ते के लिये पुना मे था, चार दिन बाद बंम्बई पहुँचा तो फैक्ट्री के रास्ते दोपहर के समय एक रास्ते में लस्सी पीने, एक ठेले के पास पहुचा तो वहाँ, एक अधेड उम्र का व्यक्ती, पुराने कपडें व फटी चप्पल वाला पहनावा, के एक हाथ मे मराठी दैनिक नवा काल अखबार था ( यह अखबार 90 साल से प्रकशित हो रहा है औए उसके संपादकीय विचार बेबाक रहते है)
तब मैने उससे पूछा ? , 26/11 के घटना के बारे मे आपके क्या विचार है?, तो उसने कहा
”हम लोग सत्ता लेने मे घाई (मराठी शब्द = जल्दबाजी) किया है , हमको आजदी 20 साल पहले क्रांतीकारियो के हाथो से मिलती तो हमारा लूटा हुआ सोना व अन्य सामान भी हमें वापस मिलता, यदि हमे आजादी 20 साल बाद मिलती तो आज परिस्तथिति कुछ और होती” , आज अंग्रेजों के पास हमारा कोहिनूर हीरा है, हमे. उसे मांगने की भी, हमारी हिम्मत नही है?
यह तो अभी ट्रेलर (झलक) है देखो आगे आगे हम कैसे बरबाद हो रहे होंगे?
तब मैने उससे पूछा ? आप तो सत्ता कह रहे है , हमे तो आजादी मिली है
उसने कहा यही तो भ्रम है? यह आजादी नही सत्ता का हस्तांतरण है इसलिये तो आज भी हम, हमारे अंग्रेजो के कानून के आगे गुलाम है? उसने आगे कहा, चर्चील ने भी कहा था, इस मुल्क को और हजार साल गुलाम रखेंगे तो भी लोग , सर नही उठाएगे, ये मुल्क गुलामी के लिये बना है, और हम यह सत्ता इन चोर लूटेरो को सौंप रहे है, क्या? ये सत्ता 15 साल भी सम्भाँल पायेंगे? उसकी भविष्यवाणी सच हुई, तुरंत काशमीर का एक हिस्सा हमने खो दिया , 15 साल मे चीन ने हमसे से एक हिस्सा हडप लिया, हमारे लोक सभा सांसदो ने भी उस समय कसमे खाई थी, हम छीना हुआ हिस्सा एक एक इंच लडकर लेंगें, लेकिन आज हममे उसके प्रतिरोध की भी ताकत नही है,
ये लोग सत्ता के नशे मे है. अभी देश के उत्तर पूर्व के भाग भी टूटने के कगार पर है?
तब मैने कहा आप बोलते क्यो नही ?
उसने कहा, देखो मै दिहाडी मजदूर हूँ, अभी मै कंपनी के द्वार पर खडा था, अभी रोजगार मिलेगा -अभी रोजगार मिलेगा, इस आशा मे दोपहर तक खडा था?, तो रोजगार ना मिलने से से मै यहाँ हूँ? मुझे महीने मे मुश्किल से 15 देन का रोजगार मिलता है, घर मे भी पैसे की तंगी है, तुमको तो मालुम है आज हर गली मे हर पार्टी का गुन्डा मौजूद है, और पुलीस, प्रशासन भी उसे शह देता है, अब मै बोलकर, क्या अपना घर उजाडूँ ? , कोइ साथ देने की बात छोडो, मेरे घर वाले भी मुझे प्रताडित करेंगे और कहँगे, हमें भुखे पेट रखकर तुम्हें शासन से पंगा लेने की क्या उतावली थी?
मैने कहा, तुम्हारी यह बात बिल्कुल सही है,
अलीबाबा को धनी बनने के लिये 40 चोर मारने पडे थे ?
आज देश का अलीबाबा (धनी) बनने के लिये
आज एक नगरसेवक (मराठी शब्द – पार्षद- मेरी परिभाषा से नगर भक्षक) को कम से कम 40-400 ? व विधान सभा सेवक को (शहर भक्षक) 400-4000 ?
लोक सभा सेवक को (जिला भक्षक) 4000- 40000? की चोरों, गुडों की फौज चाहिये.
देश मे जीना …………?
मैने अखबार के दूकान पर एक युवक को देखा ,जिसका उदास सा चेहरा , चेहरे पर हल्की सी दाढी,उल्झे बाल , साधारण सा पहनावा पैरौ मे रबर कि चप्पल, वह युवक 5-6 अख्बार व 2-3 पत्रिकाये खरीद रह था , मैने उससे पूछा , आप इतने अखबार पत्रिकाये क़्यो खरीद रहे हो ? तो उसने कहा, लोगो को शराब का नशा होता है मुझे समाचार पढने का नशा है.
तो मैने उससे, देश के बारे मे उसके विचार पूछे, तो उसने कहा
मुझे ऐसा लगता है कि मै इस देश मे क्यो पैदा हुआ ? इस देश मे इतने धर्म है इतनी भाषाए, इतनी जातियाँ, लोगो का अपना अपना समूह है,लोगो मे इतना भेद भाव है,
आज की शिक्षा प्रणाली ऐसी है, आज लोगो से पूछो ? कौन से प्रदेश मे कौन सा जिला कहाँ है?, लोग अटपटा जवाब देते है, आज देश कि समस्याओ के बारे मे जो सोचेगा , अच्छा खासा आदमी भी चिंता से बीमार पड जायेगा.
इस देश मै वही आदमी जी सकता है, जो जांनवर की तरह मस्त रहेता हो अपना पेट भरता हो. और देश से उसका कुछ लेन देना नही हो ,

अखबार से संकलित
चाहे जो हो धर्म तुम्हारा चाहे जो वादी हो ।
नहीं जी रहे अगर देश के लिए तो अपराधी हो ।
जिसके अन्न और पानी का इस काया पर ऋण है
जिस समीर का अतिथि बना यह आवारा जीवन है
जिसकी माटी में खेले, तन दर्पण-सा झलका है
उसी देश के लिए तुम्हारा रक्त नहीं छलका है
तवारीख के न्यायालय में तो तुम प्रतिवादी हो ।
नहीं जी रहे अगर देश के लिए तो अपराधी हो ।


हे माँ , तेरा वैभव अमर रहे......., आओं, पार्टी नहीं देश का पार्ट बने, “मैं देश के लिए बना हूँ””, देश की माटी बिकने नहीं दूंगा , “राष्ट्रवाद की खाद” से भारतमाता के वैभव से, हम देश को गौरव से भव्यशाली 
Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold.
हे माँ , तेरा वैभव अमर रहे......., 

हर नेता को यह संदेश दे, ताकि देश का नागरिक सुजलाम सुफलाम से अपना जीवन सँवारे, शीतलाम से जीवन जी सके.... देशवाशीयों का हर दिन तेरी प्रेरणा का रहे...माँ, तेरी वात्सलय ,ममता, स्नेह , करूणा के सागर के भंडार के सामने हर चीज फीकी है.....तेरा कर्ज तो हम तुम्हारे फर्ज का पालन कर ही चुका सकते है..??? माँ तुझे शत.. शत.. प्रणाम ,

हे माँ, इन आदमखोर नेताओ ने अलगाववाद , भाषावाद, धर्मवाद से लोगो को मच्छर बनाकर , तुम्हे डस रहे है, और विदेशी घुसपैठीओ के विषैले मच्छर के लिए वोट बैक की पृष्ट्भूमि मे देश की भूमि के टुकडे करने के ताक मै है.... और विदेशी विकास के जहर से तुम्हे दंश कर जनता को भरमा रहे है.... माँ इन देश्वासियो को समझाओ ... वंदेमातरम का अर्थे क्या है....

वंदेमातरम तो अंतराष्ट्रीय गीत है, इसमे भूमि की प्रशंसा की गई है, और माँ की उपाधि दी गई है, भूमि की जितनी मेहनत करो तो उतनी ही ज्यादा उपजाऊ होकर , देश की पैदावार बढा कर , सुजलाम , सुफलाम बनाया जा सकता है, यह प्रकृति की अनुशंसा है, न कि विशेष धर्म का प्रतिक है, 1857 की क्रांति के समय यही एक मंत्र था, जिसने देशभक्ति के जस्बे से हर धर्म के लोगों मे एक नई उर्जा का संचार किया था,
आनंद मठ फिल्म मे वंदेमातरम के गाने से अंग्रेजो के होश उडा दिये थे...
गाँधी द्वारा कट्टर पंथी मुस्लिम लीग के इस विरोध के सामने घुटने टेकने पर इसकी परिभाषा बदल कर , मुस्लिम लोगों को दिग्भ्रमित किया, और वोट बैंक के चक्कर मे हर सरकार ने इसे , प्रोसाहित कर देशप्रेम की भावना खत्म कर, देश को खंडित करने का षडयंत्र रचा जा रहा है...???
जन - गण - मन तो हमारी गुलामी के समय के राजा जाँर्ज पंचम के आगमन की स्तुति मे अनुशंसा (चमचगिरी) करने के लिए , रविद्रनाथ टैगोर ने लिखा , जिन्हे अंग्रेजों के शासनकाल मे साहित्य का नोबल पुरस्कार भी मिला, 

Friday 28 September 2012



देशद्रोही M.B.B.S. (महान भारत भ्रष्टतम सेवा)
मैंने नोट मे गाँधी के चित्र मे बापू को मुस्कराते देख कर बापू से पू्छा ?, आप तो मुस्करा रहे हो कम से कम मेरी तरफ तो देखो, मुझे आपसे कुछ वार्तालाप करनी है।
बापू ने कहा मैं तो देश के मौजूदा हालात को देखकर मुस्कुरा रहा हूँ, “ हाँ, बापू मैं भी इसी बारे में आपसे कुछ पूँछ्ना चाह्ता हूँ।
४ साल पहले संजय दत्त के लिये मुन्ना भाई M.B.B.S फिल्म बनाई थी, तो उसके पाप धुल गऐ, और प्रधानमंत्री भी उस फिल्म को देखने गऐ।
मैं नही चाह्ता हूँ ये वार्तालाप प्रधानमंत्री देखें।
मैं ये वार्तालाप जनता को दिखाना चाहता हूँ। ताकि जनता के पाप धुल सकें ?
बापू पूछ… , बेटा पूछ …?
देशद्रोही बापू आपने बेटा कहकर, मूझे सम्मान दिया हैं। अब कॄपया बापू, अब आप अपने बेटे को खोटा ना कहना।
बापू अरे बेटा, ..पूछ. पूछ
देशद्रोही बापू आपसे जानना चाहता हूँ कि आपने काँग्रेस को बेवकूफ बनाया, या काँग्रेस ने आपने?
बापू और एक सवाल ?, क्या आपको संत, महात्मा, राष्ट्रपिता, नाथूराम गोड़्से ने बनाया या काँग्रेस ने?
बापू यह बहुत ही पेचीदा सवाल है। मैं मुस्कुरा मुस्कुरा कर थक गया हूँ, अभी मैं विश्रांती मे जा रहा हू, इसका जवाब समय आने पर दूँगा।
अगले दिन सवेरे, अखबार वाले ने घ्रर की घंटी बजायी। दरवाजा खोलने पर टेबल से नोट फर्श मे गिर कर, दौडते हुऐ दरवाजे के बाहर चला गया। तभी अखबार वाले ने नोट उठा कर देते हुऐ कहा ,”तुम्हारा नोट बाहर गिरा हैं। नोट को संभाल कर रखो, उसका सम्मान करो।
मैंने नोट को देखा, बापू मेरी तरफ देख कर बिना चश्मे के आँखो से आँसू निकाल कर, गंभीर मुद्रा मे मुझे देख रहे थे।
मैंने बापू से कहा, “बापू…”, आपके उदास होने का कारण मुझे समाचार चैनलो से पता चल चुका हैं कि आपका चश्मा, लाठी व आपके खून से सनी मिट्टी /घास का इंगलैड में 80 लाख रूपये से ज्यादे मे निलाम हो चुकी हैं।
बापू मेरी इतनी र्दुदशा होगी, मुझे स्वप्न मे भी कल्पना न थी?
देशद्रोही : हॉं बापू आपके विज्ञापन मे सरकार ने पिछले पाच सालोमे 14 करोड से ज्यादा  खर्च कीये थे ?
और एक बात बापू, आपके आदर्शो के दुवाही देने के लिये आपके जन्म दिन की छुट्टी मे सरकारी विभाग व अन्य संस्थानो के कर्मचारियो के एक दिन के वेतन से, देश को 5000 करोड रुपये से ज्यादा का चूना लग जाता है,
 
देशद्रोही : अभी छह महीने पहीले एक सर्वे रिपोर्ट प्रकाशीत हुई थी, कि नई पीढी बापू से अपरिचित है। तथा लोक प्रियता मे धोनी, सचिन, सानीया मिर्जा पहचान व लोक प्रियता मे आपसे भी उपर है।
बापू : यह तो सही है। यदि मै न सही कोई क्रांतीकारी जैसे शहीद सरदार भगतसींग, खुदीराम बोस…… या क, , ग जैसा शहीद भी इनसे लोकप्रियता मे मेरे से उपर होता तो भी मुझे संतोष होता था ।
देशद्रोही : बापू, शायद आपको पता नहीं है, खुदीराम बोस का मुजफ्‌फरपुर के बर्निंगघाट पर अंतिम संस्कार किया गया था लेकिन उस स्थल पर शौचालय बना दिया गया है. इसी तरह किंग्सफोर्ड को जिस स्थल पर बम मारा गया था उस स्थल पर मुर्गा काटने और बेचने का धंधा हो रहा है.
बापू :यह शहीदों के प्रति घोर अपमान और अपराध है?
देशद्रोही : बापू , यह सब इंडियन मीडीया का कमाल है । वे टी आर पी के चक्कार से एक दूसरे को मीडीया वाद से जनता को मारने को उतारू है । जिससे जनता की आँख से स्वोतंत्रता सेनानी / क्रातिकारी ओझल होते जा रहे है ।
बापू : ऐसा , यह सब क्योे हो रहा है ?
देशद्रोही : यह सब सत्ताधारी की मिलिभगत है । उनके इशारों पर मीडीया काम कर रही है, किसे गिराना है , किसे उठाना है यह मीडीया को धन बल से उकसा कर उनकी आजिवीका के द्वार खोल रही है ।
बापू : लेकिन, मेरे बारे मे मीडीया चुप क्यो है ।
देशद्रोही : बापू , जब चुनाव आते है तो अप्रत्यक्ष रूप से नेताओ की आत्मा कहती है , और वह मीडीया को प्रचार के लिए इतना उकसाती है । उन्हे लगता है, अब,
गाँधी नाम की लूट है , लूट सके तो लूट ?
अंत काल पछताएगा जब सत्ता, जाएगी छूट ?
बापू : जनता समझती क्यों नही है ?
देशद्रोही : आज जनता भी भीड है। भीड भेड होती है उसे स्मृति लोप की बीमारी
(
डेमिशीया ) होती है । यदि ये पूरे साल आपका प्रचार करे, और चुनाव के समय प्रचार न करे तो जनता यह भी भूल जाएगी । इसलिए वे चुनाव के पूर्व 40- 45 दिन तक आपका प्रचार धूम धाम से होता है ।
बापू : हॉं ।
देशद्रोही : बापू , जब मै आपके चित्र पार्टीओ के बैनर मै देखता हूँ, तो मूझे आप बिकता बापू लगते है । पार्टीया उस समय आपको संकट मोचन कहती है । आपके आदर्शो की दुहाई के साथ पार्टी मजबूत होने का दावा करती है ।
देशद्रोही :बापू यह सब पब्लिसिटी (publicity – लोक प्रसीध्दी ) का खेल है । इन शब्दो मे मुझे पब + लाइ + सिटी ( pub+lie+city) अर्थात उच्चे् दर्जे की शराब खाना वालों के झूठ बोलने वालो का शहर । आज इसी झॉंसे मे ही तो देश बिक रहा है ।
बापू : लोक प्रसीध्दी तो मैने भी की थी, तथा तूमको पता होगा?, मैने तो शराब छोड दी थी । और लोगो से भी आव्हान करता था । शराब छोडो व देश बचाओ
देशद्रोही : बापू एक अंग्रजी का शब्द है मार्केटिंग ( विक्री का बाजार ) इस शब्दर मे मुझे हर पार्टी मार काट किंग नजर (mar+kat+king) आती है ।
बापू : हॉं, इसी दोनो शब्दो का सहारा लेकर पार्टीओ ने मेरे नाम से, देश की छवी खराब की है ।
देशद्रोही : बापू आप का नारा तो स्वदेशी था । आज स्वददेशी शब्द का, इंडियन लोगो ने भूर्ता निकाल दिया है । आज विदेशीकरण का स्वदेशीकरण कर दिया और जनता को देशीकरण के नाम पर वशीकरण कर लिया है ।
देशद्रोही : : देश मे गरीबी के बारे मे आप क्या सोचते है ।
बापू : हॉं, देश मे गरीबी है ।
देशद्रोही : देश मे भीषण गरीबी है, इतनी गरीबी है की, आपका चष्मा भी चुरा लिया जाता है । आपकी मूर्तीया बिना चष्मे की रहती है ।
बापू : हॉं इसके पिछे भी सत्ता्धारी खूश रहते होंगे, ताकी मुझे जनता की गरीबी न दिखे?
देशद्रोही : लेकिन देश मे आपके ही नही, और भी महापूरूषों की मूर्तीयो को ये उनके जन्मद दिन पर भी नहलाते नही है ?
बापू: हॉं, देश के हालात देख रहा हूँ । इन मूर्तीयों को नहलाया नही गया है, इससे मै बहूत खुश हूँ ।
देशद्रोही : ऐसा क्यो ?
बापू: देखो, आज घोटालो का खेल चल रहा है । आज सत्तार शाही इतनी गिर गई है ।
यदि इसकी राष्ट्रीय योजना होती, तो इसमे मूर्ती धोने का करोडो का घोटाला होता था।
देशद्रोही : वह कैसे ?
बापू: तुमने राष्ट्रमंडल खेल का घोटाला देखा, जिसे अग्रेजी मे काँमन वेल्थ गेम कहते है, जिसमे साधारण आदमी का धन , यहाँ तक की दलित व आदिवासियो की सरकार के पास जो सुरक्षित जमा पूँजी भी, (दस हजार करोड से ज्यादा) इसमे झोंक दी गई थी , उसमे जो वस्तू( किराये मे ली गई थी उसकी मूल कीमत से ज्या दा किराया चूकाया था । उसी तरह यदि इसकी राष्ट्रीय योजना होती तो, मूर्ती धोने के बहाने मूर्ती के किमत से ज्याजदा उसकी धूलाई की किमत अदा की जाती थी । उपर से देशवासियो को कहा जाता था देखो इन मूर्तीयों को धोने की वजह से हम जनता को पानी देने मे लाचार है ?
देशद्रोही : लेकिन बापू...,  ये तो जनता को बता रहे है की हम बापू के आदर्शो पर चल रहे है ?
देशद्रोही : मै मूर्ती के राष्ट्रीय खेल के बारे मे एक घटना कहना चाहता हू , मुम्बई के रमाबाई झोपडपटटी इलाके मे आम्बेडकर की मूर्ती पर, एक सुनियोजित योजना के तहत् , किसी ने देर रात मे जूतों की माला डाल दी थी, सवेरे शौच जाने वाले एक व्यक्ति ने वह जूते की माला नीचे उतारी, तो उसे पीटा गया और यथास्थिति रखने के लिये उसी से जूतों की माला डलवाई गई ?
दोपहर तक मीडिया की साठ गाँठ से यह राष्ट्रीय मुद्दा बन गया, एक आन्दोलन मे गोलिबारी मे, 7-8 बेगुनाह लोग मारे गये, नेताओ में दलित वोट हडपनें कि हौंड लग गई, देश के सत्त्ता के दलालो ने इनका वोट लेकर अपनी सम्पत्ति 100 गुन से ज्यादा बडा ली. और दलित मुँह ताकता रह गया है
बापू : तुम्हे पता होगा जब फिरोजशाह मेहता  की मूर्ती, जब् बम्बई मे लगाइ जा रही थी, तो आम्बेडकर ही वह व्यक्ति थे जिन्होने इसका घोर विरोध किया था, आज मुझे समझ मे नही आता की, आज के सत्ताखोर, इसे विवाद बनाकर गरीब लोगो को गुमराह कर रहे है, जनता की गाडी कमाई से अपनी तिजोरी भर रहे है
यह आज जो सत्ता पर, मेरे सिद्दांतो से बैठे हैं वह अहिंसा के नाम से सत्ता खोर नही, आदमखोर हो गए है ।
देशद्रोही : बापू इसलीए तो, मै आपसे वार्तालाप करना चाहता था । शूरू मे थोडा वार्तालाप करने के बाद आपने मुझे टरका दिया था । इससे पहले आपने मूझसे कहा था की मै विश्रांती मे जा रहा हूँ ।
बापू : हाँ, मुझे तो अहिसा का नंगापण दिख रहा है ।
देशद्रोही : बापू मुझे अब तक भी समझ नही आ रहा है । जनता चुप क्यों बैठी है ?
हिन्दी मे एक कहावत है शौच करने वाले व्यक्ती को शरम नही आती है । लेकिन देखने वाले को शरम आती है ।
बापू : हॉं यह कहावत तुने सही कही है।
देशद्रोही : लेकीन बापू जनता को यह सब देखने पर भी शरम के मारे सडको पर नही उतरना चाहती है।
बापू : तो जनता को सडको पर अवश्य उतरना चाहिए।
देशद्रोही : नही.., जनता आपके महात्मा शब्द की गरीमा खराब नही करना चाहती, उन्हे लगता है कि सडक पर उतरना मतलब बापू का अपमान है।
बापू : मै तेरे प्रश्नप से असमजंस में हूँ , समझा नही ?
देशद्रोही :बापू आप तन मे उपर से नंगे थे और ये भ्रष्ट नेता तो नीचे से भी नंगे हो गये है।
बापू : लेकिन, नंगापन तो नंगापन होता है। यह जनता को समझ मे नही आ रहा है ?
इसका श्रेय उच्चा-मध्यपम भारतीय वर्ग के हाथ मे है । जो इन इंडियन नेता को रोटी रोजी का आधार मानते है ।
देशद्रोही : आपने सही कहा
बापू : आज तुमको पता है शीला की जवानी चिकनी चमेली, इत्यादि गानों से, ये उच्च व मध्यम वर्ग की भारतीय जनता देश के हिन्दूस्तानी लोगों को भरमाकर कह रही है, कि देखो देश जवान होकर उसमे चिकनापन आ रहा है ।
देशद्रोही : हॉं बापू एक बात मै कहना चाहता हूँ भारतीय जनता पार्टी ने “इंडिया चमक रहा है , व अच्छा महासूस हो रहा है”  का नारा दिया था , क्यो, कि, उनका भी कांग्रेस की नीती से सत्ता चलाकर  व्यक्तित्व चमक रहा था और तोद बाहर आ रही थी ।लेकिन उनको सत्ता से हाथ धोना पडा था ।
देशद्रोही :बापू कांग्रेस तो पब्लिसिटी और मार्केटिंग मे तो गुलामी के समय से हि माहिर थी , उसने जनता को विश्वास दिलाया कि भारतीय जनता पार्टीसे अच्छा शासन सिर्फ ही दे सकती है, 
बापू : वह कैसे ।
देशद्रोही : भारतीय जनता पार्टी सत्ता। से मदमस्त होकर , यह सोच रही थी की उसे इस सत्ता का दूबारा पुरस्कार मिलेगा, इस भ्रम मे उसने संसद का चुनाव समय से पहले करा दिया।
बापू : हॉं सही कहा । आगे कहो ।
देशद्रोही : इसमे राम ( अटल बिहारी वाजपेयी ) बंगारू ( लक्ष्मलण) व जसवंत सिह ( हनुमान ) की जोडी थी प्रमोद महाजन की वजह से सुषमा स्वराज सीता बननेको तैयार नही थी। बंगारू लक्ष्मवण रक्षा सौदे मे नाम मात्र एक लाख की रिश्वबत लेते पकडे गए तो रणनीती कार लक्ष्मण ( प्रमोद महाजन ) को सही गददी मिल गई ।
बापू : हाँ, अटल बिहारी वाजपेयी भी प्रमोद महाजन को लक्ष्मण कहते थे । और कहते थे की मै वनवास जाऊंगा तो अकेला जाऊंगा और लक्ष्मण को अपनी सत्ता सौपकर जाऊंगा।
देशद्रोही : एक समय तो राम ने अपनी गददी छोडकर उन्हेी सत्ता का प्रशिक्षण देने का भी मन बना लिया था ।
बापू : हॉं , वह प्रमोद महाजन को अपना छोटा भाई मानते थे । और लक्ष्मण की उपाधि तक दे डाली थी ।
देशद्रोही : हॉं बापू उसके उतावले पन ने उसने भारतीय जनता पार्टी को डूबो दिया । एक बडे दूर संचार घोटाला उजागर होने के पहले वह एक चमडी घोटाले मे फस गया ।
बापू : बेटा, तूझे पता नही है की सत्ता मे चमडी की करेंसी (नोट) चलती है ।
देशद्रोही : हॉं बापू, अभी हाल मे ही हमारे राज्यपाल, अपने राजभवन मे चमडी करेंसी मे पकडे गए थे । इनकी 86 बरस की इस उमर मे चमडी करेसी मे पकडा जाना , उनके जिंदगी के फल मे, विष भर दिया ।
देशद्रोही : बापू मैने एक समाचार वाहिनी मे मै उनका साक्षात्कार  देखा था । संवाददाता पूछ रहा था कि  क्या यह सही है?, तब नारायण दत्त तिवारी ने बेधडक कहा, आपने जो मेरे चल चित्र देखे है ,मै अपने चाल चरित्र मे उससे भी कही बहुत आगे हू., पूछो ? आगे और क्या पूछना है ?
बापू : हॉं यह सही है ।
देशद्रोही : लेकिन बापू, उसने कहा तुम्हें पता है, मै कौन हूँ ? मैने देश की बहूत सेवा की है । मैने महात्मा‍ गांधी के साथ आंदोलन लडा है ।
बापू : वह बेशरम आदमी है, जो खूले आम मेरा नाम ले रहा है ।
देशद्रोही : लेकीन बापू उसके कहने का मतलब यही था की इस क्रिया के लिए मुझे बापू द्वारा प्रेरणा मिलकर, प्रेरित हुआ हूँ ।
बापू : बेटा, मै सच्चाई जरूर बताऊंगा,लेकिन इस बारे मे मेरी निजी जीवन की चर्चा न करना ।
नही, तो यह भीड तुझे मार देगी,
देशद्रोही : धन्यवाद बापू ,,,, कम से कम आपको अपने बेटे को न मारने की महान श्रध्दा है ।मै इसके लिए आपका श्रब्दो का ऋणी हूँ ।