Sunday 23 June 2019

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथी पर स्नेह व अश्रूपूर्वक श्रद्धांजली.., अब सवाल है कि लालबहादुर शास्त्री की ह्त्या का खुलासा करेगें तो हमारे संबध दूसरे देशों से खराब हो जायेगें ? लेकिन डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ह्त्या की जांच से.., क्या देश के नेताओं के आपसी आंच में सम्बन्ध खराब होने से, जाँच को, चूल्हे की आंच में डाल दिया वीर सावरकर की दो अचूक.., सार्थक भविश्यवाणीयाँ ... १. श्यामा प्रसादजी आपकी देश को बहुत जरूरत है. आप कश्मीर मत जाओं .., आप जिन्दा नहीं लौटेंगें. २. ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा “शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटाआओगे..



डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथी पर स्नेह व अश्रूपूर्वक श्रद्धांजली.., अब सवाल है कि लालबहादुर शास्त्री की ह्त्या का खुलासा करेगें तो हमारे संबध दूसरे देशों से खराब हो जायेगें ? लेकिन डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ह्त्या की जांच से.., क्या देश के नेताओं के आपसी आंच में सम्बन्ध खराब होने से, जाँच को, चूल्हे की आंच में डाल दिया

वीर सावरकर की दो अचूक.., सार्थक भविश्यवाणीयाँ ...
१. श्यामा प्रसादजी आपकी देश को बहुत जरूरत है. आप कश्मीर मत जाओं .., आप जिन्दा नहीं लौटेंगें.



२. ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटाआओगे..
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१. सन १९५३ में, हिन्दु महासभा, राम राज्य परिषद् व जनसंघ ने कश्मीर का हिन्दुस्थान में सम्पूर्ण विलय के लिए के लिये संयुक्त सत्याग्रह किया. कश्मीर के मुख्यमंती शेख अब्दुल्ला ने सरकारी अनुमति के बिना ,बाहर के लोगों को प्रदेश में प्रवेश बंदीलगी थी.., तब डॉ श्यामा प्रसाद मुखजी मुख़र्जी ने घोषणा कर की मैं इस प्रवेश बंदी के विरोध के बावजूद कशमीर जाऊंगा तब वीर सावरकर ने उनसे कहा ..., “श्यामा प्रसादजी आपकी देश को बहुत जरूरत है. आप कश्मीर मत जाओं .., आप जिन्दा नहीं लौटेंगें..
२. कश्मीर में प्रवेश करते ही उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल, ह्त्या कर आकस्मिक मौत कह दिया

३. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की माता ने , प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखकर इसकी जांच की मांग व मिलाने का अनुरोध को ठुकरा दिया, और कहा वे बीमारी से मरे थे.., आज तक पूर्व से वर्तमान सत्ताधारियों ने इस पर जांच करने की भी सोच नहीं की

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१. ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ,यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटा आओगे..,.
२. ९ जनवरी १९६६ की रात लालबहादुर शास्त्री ने ताशकंद से अपनी पत्नी ललिता शास्त्री को फोन कर कहा मैं हिन्दुस्तान आना चाहता हूँ, यहां, मुझ पर हस्ताक्षर करने के लिए दवाब डाल रहें है..., मुझे यहां घुटन हो रही है...
देश के सत्ता की राजनयिक फौजे बार-बार, शास्त्रीजी से कह रही थी..., भले हम युद्ध जीत गये हैं, यदि आप हस्ताक्षर नहीं करोगे तो आगे अन्तराष्ट्रीय बिरादरी एकजुट होकर देश की आर्थिक स्तिथी बिगाड़ देगी...

३. इसके बाद उनके कड़े मंसूबे, हमारे देश के सत्ता की राजनयिक फौजे तोड़ने में कामयाब हो गयी.., १० जनवरी १९६६ के शाम ४.३० बजे , शास्त्रीजी ने जीती हुई जमीन वापस लौटाने व शांती समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, उनके पुत्र अनिल शास्त्री को कहा गया ..., वे देश के प्रधानमंत्री हैं, उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें विशेष आवास में अकेले में सुरक्षित रखना होगा.
३. प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद समझौते के बाद ८ घंटे के बाद , ११ जनवरी तड़के १ बजे,पाकिस्तानी रसोईये द्वारा रात को दूध पीने के बाद उनकी मौत हो गई, मौत के समय उनके कमरे मे टेलिफोन नही था, जबकि, उनके बगल के कमरे के राजनयिकों के कमरों मे टेलिफोन था, उनकी मौत की पुष्टी होने पर राजनयिकों की फौज दिल्ली मे फोन लगा कर चर्चा कर रहे थे कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा ?

४. अंत तक ललिता शास्त्री गुहार लगाती रही, मेरे पति की मौत की जाँच हो, आज तक सभी सरकारों द्वारा,कोइ कारवाई नही हुई?,

५. इस रहस्य को जानने के लिये, आर.टी.आई. कार्यकर्ता अनुज धर ने एडी चोटी का जोर लगाने के बाद, सरकार की तरफ से जवाब मिला कि यदि हम इस बात का खुलासा करेगें तो हमारे संबध दूसरे देशों से खराब हो जायेगें ?
४. दोस्तों अब सवाल है कि लालबहादुर शास्त्री की ह्त्या का खुलासा करेगें तो हमारे संबध दूसरे देशों से खराब हो जायेगें ?लेकिन डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ह्त्या की जांच से क्या देश के नेताओं के आपसी आंच में सम्बन्ध खराब होने से, जाँच को चूल्हे की आंच में डाल दिया

५. मानवता के उपासक प्रखर राष्ट्रवादी
महान शिक्षाविद व भारतीय जनसंघ के संस्थापक
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हे व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को
भावभीनी श्रद्धांजलि

विशुद्ध रूप से वीर सावरकर की प्रवाष्ठियों का फेस बुक पेज
https://www.facebook.com/Veer-Paramveer-Savarkar-Shining-Star-of-Nationalism-wwwmeradeshdooobacom-941778989210314/


Thursday 6 June 2019

इंदिरा गांधी के मंत्रीमंडल में बैल से भी निम्न स्तर के गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने इंदिरा गांधी की डगमगाती कुर्सी से इंदिरा को सुर्ख़ियों में बने रखने के लिए, व एक ऐसा मुध्हा बने जो पकिस्तान पर विजय से बंगलादेश बनाना से अपने को दुर्गा समझने वाली ने ज्ञानी जैल सिंह की निम्न बुध्ही का इस्तेमाल कर भिंडरावाले से पंजाब को अलग देश बनाकर खालिस्तान राष्ट्र बनाने के लिए जल्द से जल्द खालिस्तानी सेना बनाने के लिए उकसाया... (ज्ञानी जैल सिंह व अन्य नेताओं के टेलीफोन टेप हमारी खुफिया विभाग RAW के पास आज भी मौजूद है जिसे राष्ट्र की जनता को सार्वजनिक करवाना चाहिए ताकि ऐसा खेल कोई पार्टी या नया नेता खेल न सके ) दोस्तों बड़े दुःख के साथ लिखना पद पड़ रहा है की इंदिरा गांधी के चाटुकार राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने “आपातकाल” देश पर थोपकर राष्ट्रपति पद को कलंकित किया वहीं राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने इंदिरा गांधी की राष्ट्र विरोधी नीती को उकसाकर , एक ऐसी नीति का निर्माण बन गया जो की आतंकवाद देश को निगलने की स्तिथि बन गई कि स्वर्ण मंदिर पर गोलाबारी कर देश का इतिहास कलंकित हो गया


इंदिरा गांधी के मंत्रीमंडल में बैल से भी निम्न स्तर के गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने इंदिरा गांधी की डगमगाती कुर्सी से इंदिरा  को सुर्ख़ियों  में बने रखने के लिए, व एक ऐसा मुध्हा बने जो पकिस्तान पर  विजय से बंगलादेश बनाना से अपने को दुर्गा समझने वाली ने ज्ञानी जैल सिंह की निम्न बुध्ही का इस्तेमाल कर भिंडरावाले से  पंजाब को  अलग देश बनाकर खालिस्तान राष्ट्र बनाने के लिए जल्द से जल्द खालिस्तानी सेना बनाने के लिए उकसाया...



(ज्ञानी जैल सिंह व अन्य  नेताओं के टेलीफोन टेप हमारी खुफिया विभाग RAW के पास आज भी मौजूद है जिसे राष्ट्र की जनता को  सार्वजनिक करवाना चाहिए ताकि ऐसा खेल कोई पार्टी या नया नेता खेल न सके )



दोस्तों बड़े दुःख के साथ लिखना पद पड़ रहा है की इंदिरा गांधी के चाटुकार राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद  ने “आपातकाल” देश पर थोपकर राष्ट्रपति पद को कलंकित किया वहीं  राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने इंदिरा गांधी की राष्ट्र विरोधी नीती को उकसाकर , एक ऐसी नीति का निर्माण बन गया जो की आतंकवाद देश को निगलने की स्तिथि बन  गई कि स्वर्ण मंदिर पर गोलाबारी कर देश का इतिहास कलंकित हो गया 


याद रहे पंजाब में खालिस्तान से आतंकवाद की बुनियाद कांग्रेस के इशारे से ही हुई , जब भिंडरावाले को खालिस्तान कमांडो फ़ोर्स की सेना बनाने के लिए इंदिरा गांधी के इशारे से गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंग ने प्रेरित किया जो बाद में स्वर्ण मंदिर में भिंडरावाले की मुठभेड़ में मौत से.., ऐसा माहौल बना की इंदिरा गाँधी के सिख सुरक्षा रक्षको द्वारा उनके आवास में ह्त्या कर दी , तब पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बेबाकी से उनके शोक संदेश में कहा इंदिरा गांधी अपने कर्मों से मरी है "


१९८४ में इंदिरा गांधी की ह्त्या से, सहानुभूति की सुनामी लहर से, देश भर में १० हजार से अधिक सिखों के नरसंहार ने राजीव गांधी के कलंकको भी धो दिया उन्होंने ताल ठोक कर कहा , “जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तब धरती हिलती है और लोकसभा में ४१४ सीटें जीतकर , अपनी नाना प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का कीर्तीमान तोड़ दिया.


राजीव गाँधी को सत्ता खुले हाथ मिली थी.., तथा चंडाल चौकडियों की फ़ौज में हरकिशन भगत, सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर व अन्य लोगों की सूची से सत्ता में लूट की खुली छूट से बोफोर्स घोटालों के शुभारम्भ से A-Z घोटालों के MULTIFORCE घोटालों से, इसमें हिन्दू आतंकवादका घोल डालकर अंततः सत्ता से हाथ धोना पडा.



अब २०१९ में कांग्रेस के ५ साल के सत्ता निर्वासन के बाद राहुल बाबा के गुरू सैम (असली नाम सत्यनारायण गंगाराम) पित्रोदा ने सिख नर संहार का समर्थन करते हुए कहा जो हुआ वो हुआके बयान ने कांग्रेस के पंजाब के वोट बैंक में आग में घी का काम किया है .