Monday 31 March 2014



इस सख्श का बयान भ्रष्टाचार की ऊंचाई पर पहुँच कर , नरेंद्र मोदी को कहे नपुंशक , अपने को मानें सहस्त्र पुंशक, अभी कांगेस कांग्रेस के प्रत्याशी इमरान मसूद का बयान भी, सांप्रयवाद के खेल से, मोदी को सत्ता में आने से रोकने के लिए बोटी-बोटी काटने की कर रहें हुंकार 
अभी इमरान मसूद का बयान.... मोदी की बोटी-बोटी करने का फरमान ...राहुल गांधी का वोट बैक के, इस समर्थन का फरमान... कांग्रेस अब भी कहती है, तुष्टीकरण की आड़ से संविधान महान
कांग्रेस के घोटाले का महापुरूष , चाटुकार, सोनिया गांधी को भारतमाता कहने वाले सलमान खान के कांग्रेस के मीठे प्रवचन ... जो सोनिया को भ्रष्टाचार से अपनी सता को सलामत मान (सलमान) कर खुशी की ईद (खुर्शीद) मना रहा है... अभी मनाओं जश्न... ६० दिन से भी कम का समय है.... कौन भ्रष्टाचार से नपुंसक बनता है ... अब समय बताएगा
यह पब्लिक है सब जानती है, अंदर कितना खाया है..?? बाहर कितना विकास का दिखावा है... और देश का कितना भट्टा बिठाया है... दोस्तों क्या ये भ्रष्टाचार के विकास के नाम पर आम आदमी का नाश...??? ..

यह GOD नही, माफियाओ के लिए “GOOD FACTOR” है, बीजेपी ने जो, अपने सत्ता के उजड़ने से पहले जो नारा दिया था “FEEL GOOD FACTOR”, कांग्रेस ने इसे सार्थक कर, घोटालो से अपना पेट भर कर, अच्छा लगने के FACTOR से (गुणनखाना), अपनी तोंद बढ़ाने के गुणा भाग की (गुणा करो और देश से भागने की तैयारी करो ) होड मे लगे हैं और इंडिया शाईनिग का नारा….. अच्छी तरह सुधार कर “भारत निर्माण” के नारे से..., देश को कर्ज से उजाड़ दिया है...
नारे देश की चोरी कराते है,और दूसरी पार्टीयों द्वारा चुराये भी जाते है, राजीव गांधी ने सत्ता का सांप्रदायीकरण के नाम से बावरी मस्जिद का ताला खुलवाया और ‘मेरा भारत महान” की आड़ मे, बोफोर्स के खाली तोपो के घोटाले ने, उनकी कुर्सी छीन ली , विश्वनाथ प्रताप सिंग ने इस घोटाले की जाँच से, बेहद ईमानदार छवि से जनता के भरोसे को झाँसा देकर, प्रधानमंत्री बन बैठे , सत्ता मे आते ही , बोफोर्स के खाली तोपो की जाँच कूड़े मे डाल कर , एक साल के भीतर उन तोपों मे आरक्षण के मंडल कमिशन का गोला भरकर, उनके ही, भारतीय जनता पार्टी समर्थन वाली पार्टी पर ही दागने लगे , तब इन गोलों को निष्क्रिय करने के लिए , भारतीय जनता पार्टी ने बाबरी मस्जिद के मुद्धे से, बोफोर्स के गोलों कमंडल मे भरकर, विश्वनाथ प्रताप सिंग, को NO-FORCE कर सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया,
भारतीय जनता पार्टी के सत्ता मे आने पर, कमंडल का मूद्धा छोडकर.... बाजार को बढ़ावा देकर WTO, MCX से ,देशी उत्पादको के कारीगरों के हाथ काटकर , आम जनता का निवाला छीनने की शुरूवात से मदमस्त हो कर , “FEEL GOOD FACTOR” और “इंडिया शाईनिग” के नारो से, समय से ८ पहिले चुनाव करवा कर, सत्ता से हाथ धो बैठी... उसी तरह आम आदमी के हाथ (कांग्रेस) व आम आदमी के हाथ की टोपी (आप) पार्टी मे, आपस मे नारे चुराने के आरोपों की जंग छिड़ी हुई
थी .. , दिल्ली विधानसभा मे हुए चुनाव मे, कांग्रेस के भ्रष्टाचार के ग्रेस मार्क से आम आदमी छुपा रूस्तम साबित होकर, कांग्रेस के हाथों के सहारे सत्ता में आ तो गयी , जब गद्दी में बैठते ही जब आप पार्टी” को उन्हें अपने ही झाडू के तिनके, खटमल ( आप पार्टी के कार्यकताओं के सत्ता की लोलुपता) से ज्यादा काटने/ चुभने के डर से वह भाग खडी हो गयी है अब नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रवादी गर्जना से, सत्ता की होड़ में विपक्षी पार्टी में , जनता के सभी मुद्दे गायब होकर विपक्षीयों में मोदी रथ को रोकने “मंदबुद्धीयों ” के अश्लील बयानों की होड़ लगी है, अपने को पागलखाने में जकड़ा हुआ समझ रहें हैं

Sunday 30 March 2014

 

हर चुनाव तो छुपे रंगों में खेला जाता था , अब दिल्ली के सत्ताधारियों के चेहरे का रंग उड़ने से अब ६७ सालों के छिपे रंगों की तिजोरी (वोट बैंक) से रंग निकालकर तिरंगा को बदरंगा बनाकर , चुनावी होली से, शब्दों से जातिवाद, धर्मवाद की पिचकारी से , मतदाता को पुचकारने की होड़ की बोली है....
इस राजनीती में अन्ना के बाप का उदय, देश में ६७ सालों बाद विदेशी सहायता का विशेष रंग ..काश्मीर को अलग करने की की होली की विशेष भांग ...
यह अलगाववाद की आड़ में वंशवाद की लड़ाई है, हम मतदाता तो.., इन सत्ताखोरों के लिए “सिपाही” से इनकी भ्रष्टाचार से शिल्पी बनने की मलाई है....
अभी इमरान मसूद का बयान.... मोदी की बोटी-बोटी करने का फरमान ... कांग्रेस अब भी कहती है, संविधान महान
कांग्रेस के घोटाले का महापुरूष , चाटुकार, सोनिया गांधी को भारतमाता कहने वाले सलमान खान के कांग्रेस के मीठे प्रवचन ... जो सोनिया को भ्रष्टाचार से अपनी सता को सलामत मान (सलमान) कर खुशी की ईद (खुर्शीद) मना रहा है... अभी मनाओं जश्न... ६० दिन से भी कम का समय है.... कौन भ्रष्टाचार से नपुंसक बनता है ... अब समय बताएगा
यह पब्लिक है सब जानती है, अंदर कितना खाया है..?? बाहर कितना विकास का दिखावा है... और देश का कितना भट्टा बिठाया है... दोस्तों क्या ये भ्रष्टाचार के विकास के नाम पर आम आदमी का नाश...???
जागो देशवासियों...हम तो धर्म के खेल के, ... सिर्फ मोहरे हैं ... August 10, 2013 की फेस बुक की पोस्ट
इनके लिए, तुम / हम तो.., पाँच साल के लिए... रोते हुये चेहरे हो ...???? इसलिय राममनोहर लोहिया की वाणी आज भी सार्थक है , कि, जिंदा कौमे पाँच साल का इंतजार नही करती है....??? इससे मुक्ति चाहिए तो....????, चलो राष्ट्रवाद की ओर ....
धर्म, जातिवाद , अलगाववाद, घुसपैठ इन सत्ता धारियों के लिए एक शराब है...? और देश लूटने का ख्वाब है…??? दिन मे संसद की कारवाई बहस से स्थगित करा... देश को बेबस बनाओ ....दिन मे लूट और रात मे, घुसपैठेयों के लिए सीमाए खोलकर , वोट बैक का जश्न मनाओ का खेल है ...????

और कितने मुज्जफरपुर से मनाओगे सत्ता का मौजपुर ....????
देश के लिए 100 करोड़ हिन्दुओ को खत्म करने के लिए 15 मिनट चाहिए, तो मुंबई के 1 करोड़ हिन्दुओ को खत्म करने के लिए कितने सेकेंड लेने के समय का बयान देगा…..????, मेरे मुंबई आया, अकबरुद्दीन ओवैसी, हे रामजी .... क्या अब वह, यह बयान देगा ...??
अब, रमजान (RAMJAN= RAM +JAN, = राम के जान वाले ) और दिवाली ( DIWALI= DIWAYA + ALI, = अली के दिलवाले) के लड़ाई से देश की बरबादी का खेल शुरू करने की कोशिश की आड़ मे वोट बैंक के कशिश (खिंचाव / आकर्षण शक्ति) की कहानी आगे भयंकर रूप से बढ़ने वाली है...

याद रहे जब अकबरुद्दीन ओवैसी को जेल की हवा खानी पड़ी , तो कोर्ट ने भी उन्हे जमानत देते समय कहा था कि... राम का विरोध करते हो...., परंतु, देखो तुम्हें जमानत दिलवा कर जेल से बाहर निकालने के लिए भी एडवोकेट राम आये है... बड़े दुख के साथ लिखना पड़ रहा है, इसी ताजा घटना के समय, संसद को हंगामाबाजी से स्थगित करने के लिए, संसद मे, अकबरुद्दीन ओवैसी के बड़े भाई असदुद्दीन जो सांसद है, उन्हे, सोनिया गांधी ने इशारा कर, उकसाने का प्रयत्न किया...??? संसद के समय की बरबादी...देश की बरबादी है...।

सिलेंडर बना (SILLY-TENDER- बेवकूफ बनाने की निविदा ) का खेल...., सत्ताखोरों द्वारा धर्मवाद,जातिवाद अलगाववाद से, “देश की जनता पर ५ साल का बोझ” और घुसपैठीयों कों “विशेष सम्मान” व बांग्लादेश को रियायती दर पर गैस ...से वोट बैंक का अभिमान .., जागों देशवासियों ..., राष्ट्रवादी बन एकजुट होकर ही इन सत्ताखोरों के पेट की गैस निकाल कर इनके हवाई गुब्बारें, के भ्रष्टाचार की हवा हवाई की दवाई कर , खाई गई रकम, जमीन पर लाकर निकाल सकते है


जरूर पढ़े.., हर चुनाव तो छुपे रंगों में खेला जाता था , अब दिल्ली के सत्ताधारियों के चेहरे का रंग उड़ने से अब ६७ सालों के छिपे रंगों की तिजोरी (वोट बैंक) से रंग निकालकर तिरंगा को बदरंगा बनाकर , चुनावी होली से, शब्दों से जातिवाद, धर्मवाद की पिचकारी से , मतदाता को पुचकारने की होड़ की बोली है....
इस राजनीती में अन्ना के बाप का उदय, देश में ६७ सालों बाद विदेशी सहायता का विशेष रंग ..काश्मीर को अलग करने की की होली की विशेष भांग ...
यह अलगाववाद की आड़ में वंशवाद की लड़ाई है, हम मतदाता तो.., इन सत्ताखोरों के लिए “सिपाही” से इनकी भ्रष्टाचार से शिल्पी बनने की मलाई है....
अभी इमरान मसूद का बयान.... मोदी की बोटी-बोटी करने का फरमान ... कांग्रेस अब भी कहती है, संविधान महान
कांग्रेस के घोटाले का महापुरूष , चाटुकार, सोनिया गांधी को भारतमाता कहने वाले सलमान खान के कांग्रेस के मीठे प्रवचन ... जो सोनिया को भ्रष्टाचार से अपनी सता को सलामत मान (सलमान) कर खुशी की ईद (खुर्शीद) मना रहा है... अभी मनाओं जश्न... ६० दिन से भी कम का समय है.... कौन भ्रष्टाचार से नपुंसक बनता है ... अब समय बताएगा
यह पब्लिक है सब जानती है, अंदर कितना खाया है..?? बाहर कितना विकास का दिखावा है... और देश का कितना भट्टा बिठाया है... दोस्तों क्या ये भ्रष्टाचार के विकास के नाम पर आम आदमी का नाश...???
जागो देशवासियों...हम तो धर्म के खेल के, ... सिर्फ मोहरे हैं ... August 10, 2013 की फेस बुक की पोस्ट
इनके लिए, तुम / हम तो.., पाँच साल के लिए... रोते हुये चेहरे हो ...???? इसलिय राममनोहर लोहिया की वाणी आज भी सार्थक है , कि, जिंदा कौमे पाँच साल का इंतजार नही करती है....??? इससे मुक्ति चाहिए तो....????, चलो राष्ट्रवाद की ओर ....
धर्म, जातिवाद , अलगाववाद, घुसपैठ इन सत्ता धारियों के लिए एक शराब है...? और देश लूटने का ख्वाब है…??? दिन मे संसद की कारवाई बहस से स्थगित करा... देश को बेबस बनाओ ....दिन मे लूट और रात मे, घुसपैठेयों के लिए सीमाए खोलकर , वोट बैक का जश्न मनाओ का खेल है ...????

और कितने मुज्जफरपुर से मनाओगे सत्ता का मौजपुर ....????
देश के लिए 100 करोड़ हिन्दुओ को खत्म करने के लिए 15 मिनट चाहिए, तो मुंबई के 1 करोड़ हिन्दुओ को खत्म करने के लिए कितने सेकेंड लेने के समय का बयान देगा…..????, मेरे मुंबई आया, अकबरुद्दीन ओवैसी, हे रामजी .... क्या अब वह, यह बयान देगा ...??
अब, रमजान (RAMJAN= RAM +JAN, = राम के जान वाले ) और दिवाली ( DIWALI= DIWAYA + ALI, = अली के दिलवाले) के लड़ाई से देश की बरबादी का खेल शुरू करने की कोशिश की आड़ मे वोट बैंक के कशिश (खिंचाव / आकर्षण शक्ति) की कहानी आगे भयंकर रूप से बढ़ने वाली है...

याद रहे जब अकबरुद्दीन ओवैसी को जेल की हवा खानी पड़ी , तो कोर्ट ने भी उन्हे जमानत देते समय कहा था कि... राम का विरोध करते हो...., परंतु, देखो तुम्हें जमानत दिलवा कर जेल से बाहर निकालने के लिए भी एडवोकेट राम आये है... बड़े दुख के साथ लिखना पड़ रहा है, इसी ताजा घटना के समय, संसद को हंगामाबाजी से स्थगित करने के लिए, संसद मे, अकबरुद्दीन ओवैसी के बड़े भाई असदुद्दीन जो सांसद है, उन्हे, सोनिया गांधी ने इशारा कर, उकसाने का प्रयत्न किया...??? संसद के समय की बरबादी...देश की बरबादी है...।

सिलेंडर बना (SILLY-TENDER- बेवकूफ बनाने की निविदा ) का खेल...., सत्ताखोरों द्वारा धर्मवाद,जातिवाद अलगाववाद से, “देश की जनता पर ५ साल का बोझ” और घुसपैठीयों कों “विशेष सम्मान” व बांग्लादेश को रियायती दर पर गैस ...से वोट बैंक का अभिमान .., जागों देशवासियों ..., राष्ट्रवादी बन एकजुट होकर ही इन सत्ताखोरों के पेट की गैस निकाल कर इनके हवाई गुब्बारें, के भ्रष्टाचार की हवा हवाई की दवाई कर , खाई गई रकम, जमीन पर लाकर निकाल सकते है

Friday 28 March 2014



न बाप बड़ा न भैया , सत्ता से रूपये की माया, बनकर करें हुंकार से जनता को डराकर, देश का माल कर लें डकार, 
चुनाव से पहले हर उमीदवार, उम्मीद के द्वार से साधु बनकर जनता से वोटों की भीख माँगता है, बाद में शैतानी चाल से जनता को भ्रष्टाचार झूठी योजनाओं से लूटकर जनता का उपहास उडाता है..., बिहार में तो लालू के भ्रष्टाचारी के शैतानी गुण से साला साधु, सत्ता में भागीदारी न मिलने से अब शैतानी भाले से लालू के वंशवाद को खत्म कने की तैयारी में है.. बेटी मिसा को सही दिशा दिखाने के लिए चाचा, सत्ता की चासनी का तोड़ निकालने के लिए भा.ज.पा. से भाला फेंक रहें है...अब लालू को सत्ता से सर मुड़ाने पर (चुनावी रोक), रिश्तेदारों के भाले के ओले पड़ रहें है.. क्या करें राबड़ी को सता की देवी बनाकर इतना न खीचें कि सत्ता के तिलस्म की रबड़ ही टूट जाए 

Wednesday 26 March 2014



ऊतारू प्रदेश का सहारनपुर बना साम्प्रयवाद का सायरनपुर (SIREN – PUR)..., वोट बैंक की राजनीती का सायलेंटपुर (SILENT-PUR) के खेल में एक और महारथ का खेल..., मुफ्त के लैपटॉप,व मुस्लिम छात्रा को ३० हजार का पुरूस्कार व अन्य धर्मों की छात्रा का तिरस्कार के खेल में प्रदेश सरकार लोकसभा चुनाव में हो गई फेल... 
अब नयी सरकार आने के डर से घोटाले प्रदेश के नेताओं को लग रहा है, जेल जाने से डर .. तो क्यों न हो जाए वोट बैंक से सायरन बजाने का खेल ताकि माफियाओं की तुकबंदी से हो एक नया खेल व मेल ...,
मोदी के चुनावी प्रचार के एक हाथ में कुरान व दूसरे हाथ में कंप्यूटर के फरमान से उतारू प्रदेश के शासकों को लग रहा है, डर.. साम्प्रयवाद के खेल में बंद होने का मेढ़की टर्र-टर्र का खेल से.., साम्प्रयवादके बारिश न होने से ...,
तो क्यों न हो जाए और एक कृत्रिम
साम्प्रयवाद की बारिश , और हम बनें रहें सत्ता के वारिस ...., और मीडिया भी इस बरसात को मानसूनी बरसात कहकर, दो गुटों के बीच छिटपुट खेल के नाम से TRP से, इसे अछा अच्छा मानसून मानकर नहाने में है..., मशगूल...,
सीमा पार आतंकवादी व विदेशी ताकतों कों मिला बल..., देश को दुर्बल बनाने का हो रहा खेल...
Posted on 30 September 2013.
यह मुजफ्फरनगर नहीं , मौज का पम्पापुर है , सत्ता का मौजपुर नगर है….????
यह साम्प्रदायिक दंगा नहीं, वोट बैंक की बहती गंगा है , हर पार्टीयाँ ,इस पानी को पीने मे लालायित है

यह मुजफ्फरनगर नहीं , मौज का पम्पापुर है , सत्ता का मौजपुर नगर है….????
यह साम्प्रदायिक दंगा नहीं, वोट बैंक की बहती गंगा है , हर पार्टीयाँ ,इस पानी को पीने मे लालायित है
यह बात और है जनता भूखे प्यासी है इस आस में कि , मेरे धर्म के नाम से…. सत्ताधारी हमें खुशहाली में रखेंगे..???
आओं, देश की सीमा पार से आनेवाले , हम हर मोहल्ले में , घुसपैठीयों पर नजर रखें , जो हमारे देश में सत्ताधारियों के साथ मिलकर इस खेल को तड़का लगा रहें है….??????????????
इस खुशहाली से भरमाकर , इसे शराब की प्याली बनाकर , सत्ताधारी नशे में झूम रहें है.
सीमा पर दुश्मनों ने हमें घेर कर रखा है और सत्ताधारी…. धर्मवाद, जातिवाद, अलगाववाद, से, हमें तोड़कर पस्त कर रहे है , यदि यही खेल इसी तरह चलता रहा…. तो भीतरी व बाहरी दुश्मनों से हमारे देश के टुकड़े होने का दिन भी दूर नहीं है
जागो देशवासियों… राष्ट्रवाद की धारा से मिलकर , कंधे से कंधे, मिलाकर कहें…. हम एक , हमारा खून एक , हमारी धार्मिकता से हम सब एक है….
हमारी एकता से दुशमन भी साहस नहीं करेगें …. आओ एक देश को एकता बल से, इतना उंचा बनाए , ताकि आसमान भी हमारे देश को चूमे ….. वंदेमातरम, राष्ट्रवाद जयते
सितम्बर ११, २०१३ को फेस बुक में पोस्ट किया गया .नीछे का आलेख
अखिलेश की हर योजना से, फैला… पूरे उत्तर प्रदेश (अखिल) मे क्लेश…???? प्रदेश मे पुलिस और सेना के जवान खा रहे है, गोलिंया …. और सत्ताधारी, जनता की हत्याओं के खून से तल रही हैं, वोट बैंक की पुरिया…???
देशवासियों को टॉप का अंग ढकने के लिए कपड़े व गरीबो के शिशु से वयस्को के लिए दवाइया नही है।
राम मनोहर लोहिया की औलादे बनी देश की जल्लादे….?????, “ समाजवाद” शब्द को आज “लूट की खाद” से भरण पोषण कर , देश बर्बाद हो रहा है। लोहिया वह व्यक्ति थे… जिनसे समाजवाद शब्द भी गर्वित था। मरते दम तक, कोई घर नहीं था, और लोहिया की दहाड़ से प्रधानमंत्री नेहरू का पैजामा गीला हो जाता था।
यदि, आज देश के हर धर्म का नागरिक राष्ट्रवादी होता, तो, देशवासियों के साथ देश का सीना भी बुलेटप्रूफ होता। अखिलेश की हर योजना से फैला उत्तर प्रदेश मे क्लेश। दसवी पास मुस्लिम लड़कियो को 30000 रु का अनुदान व अन्य धर्मो की लड़कियो का नहीं है, कोई नामों निशान।
याद रहे मुलायम सिंह ने 12 साल पहले पश्चिम उत्तरप्रदेश मे चुनावों के समय, “वोट बैंक” की राजनीति करते हुए कहा था, “मुस्लिम लोगो आप मुझे वोट दोगे…, तो मैं इस प्रदेश को, मुस्लिम प्रदेश घोषित करूंगा। ” शायद इसी झाँसे मे मुस्लिम लोगो ने, पश्चिम उत्तरप्रदेश को मुस्लिम प्रदेश बनाने के लिए बंगलादेशी मुस्लिम लोगो के घुसपैठीयो के गढ के साथ –साथ, इसे आईएसआई का अड्डा भी बना दिया… अब यह देश के लिए चिंताजनक गड्ढा बन गया है।
10 साल पहिले, पश्चिम उत्तरप्रदेश मे, एक मदरसे का अनुदान के मामले मे, इलाहाबाद के एक सदस्यीय हाइकोर्ट के जज ने अपना फैसला सुनते हुए कहा “आपके शहर मे 60% मुस्लिम आबादी है, तो अल्पसंख्यक… शब्द, लागू ही नहीं होता है, और इस अनुदान के आदेश को निरस्त कर दिया जा रहा है।“ इस आदेश के बाद मुस्लिमो की बौखलाहट से, राजनेताओ के शह से, उस जज को बर्खास्त कर दिया गया और एक नये 2 सदस्यीय, हाईकोर्ट के बेंच का गठन कर , इस अनुदान को सही ठहराया।
देश के विभिन्न धमाको के संदर्भ, पश्चिम उत्तरप्रदेश मे, जो बंगलादेशी आतंकवादियो का गढ है, हमारे खुफिया विभाग द्वारा आतंकवादियो को पकड़ने पर राजनेताओ के शह पर उन्हे छोड़ दिया गया। आज खूफिया विभाग भी अपने रोजी रोटी के डर से आँखें बंद कर बैठी है।इसका परिणाम आज दिख रहा है। मस्जिदों मे एके 47 का जखीरा, एक सुनयोजित ढंग का दंगा सामने आया है। मीडिया भी एक उद्योग के रू[प मे राडिया (RADIA=RA+N+DIA) बनकर…. इसे 2 सम्प्रदायो का झगड़ा कह कर, लीपा पोती में लगी हुई है। यह गुजरात के हिन्दू-मुस्लिम के दंगो से भी भयंकरता का प्रतीक है। इस घटना मे हिन्दुओ के बड़ी संख्या के मारे जाने से सत्ता और विपक्ष भी मुंह पर पट्टी बांध कर चुप है।
देशवासियों याद रहे मुंबई के आजाद मैदान मे घुसपैठीयो के दलों ने शहीद स्मारक तोड़ कर , महिला पुलिसों तक को पीटकर व मीडिया की गाड़ी जलाकर , एक खुले चुनौती देते हुए कहा … रोक सके… तो रोको …??????, और सत्ता के व विपक्षी दलाल भी, इसे अपनी सत्ता हलाल होने के डर से चुप बैठें है…सेना,पुलिस के जवान खा रहे है गोलिया…. और सत्ताधारी तल रही हैं, वोट बैंक की पुरिया… जागो देशवासियों राष्ट्रवाद की धारा मे आओ और डूबते देश को बचाओं॥ सीमा पार दुश्मन भी चाह रहे है हम आपसी लड़ाई से कमजोर हो जाये ताकि हमे सफलता आसानी से प्राप्त हो

Tuesday 25 March 2014



...अब आपका बिका हुआ टिकट वापस नहीं होगा ..., क्योंकि, यह नौटंकीवाल का शो है..., शो खत्म होने के बाद आपको अपने पैसे से घर जाना होगा , इस शो का मूल प्रारूप है, दिल्ली ...बिल्ली... खिल्ली ...,

जिन्हें इस रंगमंच पर काम करना है तो... वे, अपने कपडे घर से ले आयें.... हम तो, अपने कपडे शो के तुरंत निकाल लेते हैं... यह सूचना , इसलिए, कि आपको जनता के सामने शर्मिन्दगी महसूस नहीं हो..., यह हमारी पार्टी की :आम रायसे बनी वैधानिक चेतावनी है.... इस पर किसी का दावा नहीं बनता है....

आदेशानुसार-
अन्ना का बाप” , “जनता का श्रापदाता” ... नौटंकीवाल,

मेरा परिचय
राजनीती के ग्रेट लाफ्टर शो के जन्मदाता , जिसने गिरगिट के रगों को बदले की प्रकिया को भी मात दे दी है,
गिरगिट भी मुझसे घबराता है... यदि वह डाल- डाल है... तो मैं पा
पात , आपको पता नहीं है, मेरे पास देशी गिरगिट के रंग से ज्यादा , विदेशीयों के रंग की आपूत्ती से , मैं रंग बदलने में माहिर हूँ


किसान आत्महत्या, सीमा पर जवानों की ह्त्या, जानवरों की ह्त्या, महंगाई व विदेशी कंपनियों,माफियाओं के मुनाफे व सत्ताखोरों के फास्ट भ्रष्टाचार व फास्ट फ़ूड, बंद डब्बों में धीमा जहर, ऊपर से महंगाई के जादुई छडी के कोड़े से जनता पर मार , और धौस दिखाकर जनता को १५ अगस्त को लाल किले से करें ललकार..., देशी व विदेशी माफियाओं को देकर दुलार .. कहें “हमारे पास कोई काडू जादू की छड़ी नहीं हैं कि... महंगाई दूर हो जाये”
दोस्तों एक बात पर गौर करें ,१९४७ में अंग्रेजों से सत्ता परिवर्तन का सौदा कर, इसे आजादी का नाम देकर, आज तक गांवों में गरीबों के पेट में भूख की आग को बुझाने के लिए पानी की भी सुविधा नहीं है... , आज भी उसे पानी लाने के लिए जितनी ऊर्जा चाहिए , उससे ज्यादा उर्जा तो उसकी भूख पानी लाने से पैदा होती है...
मुंबई के ५० किलोमीटर परिधी में पिछले ५ साल में कुंए व आदिवासी विकास में ५० हजार करोड़ रूपये के घोटाले पकड़े गये है... मामले अदालत में विचाराधीन है..., हालात इतने मार्मिक है कि, दूर दराज से पानी की ढुलाई में मासूम बच्चों को अपना स्कूल की पढाई से मरहूम रहना पड़ता है... यह चकाचौंध माया नगरी मुम्बई के दीपक तले, घोर अन्धेरा है..,
अर्थशास्त्र का नियम है... मुनाफ़ा कमाना है कि , जमाखोरों द्वारा बाजार का पूरा माल खरीद कर कृत्रिम तेजी करों,
इसको कुंजी बनाकर हमारे दुधारू पशुओं को काटकर, विदेश में मांस के निर्यात की नीति से दूध का अभाव कर, दुग्ध माफियाओं से सांठ – गांठ कर , केमिकल दूध के व्यापार से दवा माफियाओं का अटूट बंधन है, अभी ६ माह पहिले ही रिपोर्ट आयी थी देश भर में ५०% दूध.., स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है..
हाल ही में हरियाणा के रेल्वे स्टेशनों पर दुग्ध व्यापारियों पर छापा मारने पर, सभी व्यापारी सिंथेटिक दूध से भरे सभी व्यापारी दूध के हंडे छोड़कर भाग गए.. खाध्ह विभाग ने भी, अपना माल पानी लेकर मामला दबा दिया
१९४७ के २० सालों तक भी देशवासी देशी संसाधनों की निर्भरता से , गरीब जरूर था लेकिन मानसिक व शारीरिक रूप से संतुष्ट था , १९७१ में बांग्लादेश के युध्ह में देश को झोककर, ”गरीबी हटाओं” के नारे से देश में महंगाई की शुरूवात हुई ..., “मेरा भारत महान” के नारे के चोले में बेईमानों से इस देश को लूटने की शुरूवात की ... अब ‘भारत निर्माण’ का नारा तो सत्ताखोरों से देशी व विदेशी माफियाओं में भ्रष्टाचार का बिगुल फुक कर..., अब देश को फूंकने की तैयारी है...
गुलाम हिन्दुस्तान में १९४७ तक ३० करोड़ की जनता में १०० करोड़ दुधारू जानवर थे, आज १२५ जनता में ३० करोड़ जानवर हैं,,, कत्ल खानों को विशेष रियायत, निर्यात से विदेशी मुद्रा के खेल में यह सब्सिडी नहीं..!!!, भ्रष्ट जहरीले सत्ता खोरों का सांप सीढ़ी से देश को सड़ाने का तंत्र का जादुई मंत्र के मंत्रियों का खेल है मेला से देश में मैलापन है 



अब तो पाकिस्तान भी जपने लगा नमो-नमो!
बाद में तालेबानी और उत्तर पूर्व के आतंकवादी भी जपेंगे नमो-नमो! .. 
गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की अब पाकिस्तान में चर्चा होनी शुरु हो गई है। मोदीफोबिया से अब नमो-नमो फोबिया (भय) बन रहा है... यह तो शेर की दहाड़ है, अभी इन जंगली जानवरों (आतंकवादियों) ने शेर को दिल्ली में प्रधानमंत्री के रूप में देखा नहीं...., अरे भाई... इन आतंकवादियों के जंगल में तो अभी से सन्नाटा छाया हुआ है ..!!!!,

Saturday 22 March 2014



यह नोट तंत्र, ठोकतंत्र, चोट तंत्र, के मोहिनी तंत्र से जनता को लूला बनाकर, “लूट तंत्र” का खुला खेल है.. आज देश में औसत ५०% मतदान होता है ... कुल वोट का १५% वोट मिलने पर सत्ताधारी नकली नोट, नकली वोट, घुसपैठीयें, जातिवाद, भाषावाद, अलगाववाद, धर्मवाद के वोट से सट्टा लगाकर , अपने को संविधान का प्रहरी मानकर खुले आम ताल ठोककर, “देश की योजनाए, भोजनाए बनाकर देश को लूट रहा है” , देश को “आराम हराम है” गरीबी हटाओं” “मेरा भारत महान” “इंडिया शाईनींग” “आम आदमी का हाथ”
के अफीमी नारों से “भारत निर्माण” से देशी व विदेशी हाथों से देश को लूट में छूट का जश्न मना रहा है...
अब तो “आम आदमी” पार्टी के केजरीवाल..., झोपड़ों में झाडू लगाने वालों के जगह , बंगलों में “वैक्यूम क्लीनर” से घर साफ़ करने वालों “ख़ास आदमी” को टिकट देकर “आम आदमी” का सफाया करने के नशे में है...
अब जनता इनके लूला तंत्र के खेल से “आम” को नीचोड़ कर “गुठली वाला आदमी” बन बन गई है... जागों देशवासियों , आओं, पार्टी नहीं देश का पार्ट बने, “मैं देश के लिए बना हूँ””, देश की माटी बिकने नहीं दूंगा , “राष्ट्रवाद की खाद” से भारतमाता के वैभव से, हम देश को गौरव से भव्यशाली बनाएं


देशी बहू की ललकार..., विदेशी बहू को मिला कांग्रेस का प्यार, विश्व की बनी छठी अमीर महिला से बनी माया अपरम्पार, रिश्तेदार से क्वात्रोंची भी करें हत्यारों का व्यापार...., बेटा बना कांगेस के शह से शाही शहजादा ...कल के कूड़ेदार, अब तलवे चाटुकार बनकर अब इसे “भारतमाता” कहकर, अब बन गए गद्दीदार

Tuesday 18 March 2014



बाबरी मस्जिद / राम मंदिर के खेल का सच....... {Deshdoooba Community फेस बुक की पोस्ट Liked • October 12, 2013 Post}
१९८४ में राजीव गांधी, अपने नाना जवाहरलाल नेहरू के ३५० सीटों से कहीं ज्यादा सीटे जीती , सिक्खों की ह्त्या को...??? सिक्खों के दंगे कहकर और अपनी माँ के अस्थी कलश को देश भर में घुमवाकर ४०० से ज्यादा सीट झटक कर मिस्टर क्लीन उपाधी से नवाजे गए , देश की जनता को एक बड़ी आस थी , यह प्रधानमंत्री, हमारे देश को २१ वी शताब्दी में ले जाएगा, और उन्होंने जनता को भरमाने के लिए यह नारा भी दिया , लेकिन चंडाल चौकड़ी के घेरे में व उनके पहरे से वे दिशाहीन हो गए , विपक्षी दल की संख्या कम होने से , वह औंधे मुह गिरा हुआ था ...
तब नारायण दत्त तिवारी को साथ लेकर राजीव गांधीने बाबरी मस्जिद को राम मंदिर के शक्ल देने के रूप में ताला खोला , हिन्दुओ के वोट बैंक में डाका डाल कर डकारने के चक्कर में हिंदुओं के मसीहा कहलवाने का खेल खेला..., मिस्टर क्लीन ने इसी आड़ में, अपने इटली के रिश्तेदारों को अमीर बनाने के खेल में बोफोर्स घोटाले में, सत्ता से हाथ धो बैठे ....तब वी.पी . सिंग ने पार्टी से बगावत कर , इसका खुलासा करने के लिए मिस्टर क्लीन की कमीज पहन कर घोषणा की..... मेरा पहला मुद्दा होगा... बोफोर्स घोटाले में देश के भीतरी व विदेशी दलालों से दलाली की रकम वापस लाना.....,और भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से सरकार बना ली , जब वे प्रधानमंत्री बनें तो ... बोफोर्स घोटाला तो कूड़ेदान में चला गया , उन्होंने अपनी सत्ता १० सालों तक सुरक्षित रखने के मकसद से दलित वोट बैंक का, आरक्षण का पत्ता फेक कर... आम्बेडकर जयन्ती को राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा कर , मंडल कमीशन की रिपोर्ट, जो इंदिरा गांधी ने दबाकर रखी थी , वह लागू कर दी तो, इसके प्रतिरोध में अनशन की जगह (जो आज तक ऐसा “आत्मदाह आन्दोलन” दुनिया में कहीं भी नही हुआ है) सैकड़ो छात्रों ने आत्मदाह की कोशिश की और गौतम गोस्वामी व अन्य लोगों की मौत हुई , बाबरी मस्जिद को राम मंदिर के राजीव गांधी के मुद्दे को कमंडल कहकर भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री वी.पी . सिंग की सत्ता ११ महीने में ही पटरी से उतार ली, तब स्वय राजीव गांधी के पास बहुमत नहीं था , चंद्रशेखर के पास ३९ सांसद थे (केन्दीय मंत्री मंडल में ८४ लोगो की जगह थी चंद्रशेखर के पास ३९ सदस्य थे, उन सबकी लाटरी लग गई और वे रातों रात मंत्री बन गए ) , ...बाहर से समर्थन देकर उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया गया , और चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री बन्ने के बाद देश की आर्थिक स्तिथी का पता चला की जो “मेरा भारत महान” का नारा था , उसी की आड़ में देश पर कर्ज का भार बढा है, और मजबूरी से उन्हें देश का सोना बेचना पडा
बाबरी मस्जिद मुद्दे पर.... प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने मुस्लिम नेताओं को बुलवाकर स्पष्ट शब्दों में समझाया , देखो.?, आप लोग की संख्या कम है.., मेरे पास पुलिस बल भी नहीं है , इसमें गरीब लोग मारे जायेगे , मै आपकी पसंद के अनुसार, जगह चुनकर, आपको मस्जिद बनवाकर दूंगा .. , मुसलिम नेता भी मान गये थे , तब वहाँ के सुरक्षा दल के एक सिपाही ने यह खबर केन्द्रीय मंत्री शरद पवार से कही , शरद पवार ने राजीव गांधी को भड़काया , यदि यह मुद्दा सुलझ गया तो...???? साम्प्रदायिकता का खेल हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगा , और उसके अगले ही दिन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की कुर्सी खिसक गई .... और भारतीय जनता पार्टी ने राम रथ को सत्ता का रथ बनाया ,
वही उत्तर प्रदेश मे मुस्लिमों के मसीहा बनकर, मुलायम सिह “मुल्ला” की छवि बनाकर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनकर , उत्तर प्रदेश को घोटाले से , साम्प्रदायवाद व घुसपैठीयो को संरक्षण देकर... उल्टा पुल्टा प्रदेश बनाकर अब तक १ लाख करोड़ से ज्यादा के घोटालों के अंजाम देकर ,अब सी.बी.आई.का नाम सुनकर काँप उठते है...मुजफ्फरनगर को मौजपुर बनाकर, अब देश के राम बनकर बहुसंख्यक हिन्दू को एक आस्था के नाम पर, विकास का मुद्दा छोड़कर, भ्रष्टाचार की लूट में अपने पार्टी को रावण की लंका के रूप में विकसित करने का खेल खेल रहे है

सऊदी में "राम" पर बैन , हिंदुस्थान में "राम" पर बैन , तो कहा बसें सच्चा हिंदुस्थान, रहीम के रहनुमा बने तालिबान, अब बन रहें हैं, आतंकवाद से बलवान,
हमारें सत्ताखोर भी अलगाववाद,जातिवाद ,भाषावाद व धर्मपरिवर्तन व घुसपैठीयों से वोट बैंक बनाकर, ले रहें है अपने व आनेवाली १०० पीढीयों का स्वाद, हिंदुस्थानी हो रहा बर्बाद ... जाने सच्चाई मंदिर -मस्जिद के लड़ाई के सत्ताधारियों के ख्वाब की... 

Monday 17 March 2014


पप्पू फेल हो गया, अब यह A.T.K.T. – (ALLOW TO KEEP TERM को SWOLLOW TO KEEP COUNTRY TERM ) को अब अजगरी चाल से भ्रष्टाचार से निगलने का खेल है...अब भारत निर्माणके नारों से भ्रष्टाचार निर्माणकी चाल से ये अपनी भ्रष्टाचार की दाल गला रहें हैं...
राजीव गांधी ने मेरा भारत महानसे देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर बोफोर्स घोटाले से यह नारा मेरे देश के साथ विदेश का माफिया धनवानके नारे से देश की गंगा धोने के घोटाले के बहाने , एक राजनीती में शुद्ध भ्रष्टाचार की गंगाका प्रवाह बनाया, यही गंगा आज देश के नगर से मुहल्ले तक बहकर देश को डूब डूबा रही है.. विपक्षी भी WE पक्षी बनकर ,नहाकर, अपने पंखों में भ्रष्टाचार के ऑक्सीजन से एक स्फूर्ती ले रहें हैं... हर पार्टी में वंशवाद से , देश के काले कोबरे.... दंशवाद के चेहरे हैं...
जागों देशवासियों पार्टी नहीं देश का पार्ट बनोंराष्ट्रवाद की खाद से देश को सुजलाम सुफलाम् बनाएं, 
पप्पू फेल हो गया, दलितों के घर जाकर, दलितों का खाना खा गया , उनके चमचों ने इस भ्रष्टाचार से प्रेरणा लेकर , कॉमन वेल्थ खेलों से दलितों के १० हजार करोड़ की रकम डकार ली.. भ्रष्टाचार के बाढ़
से केदारनाथ के पहाढ़ डूब गए.. कर्जे से देश तो पहले ही डूब चुका है.. डॉलर झालर बनकर रूपये की कॉलर खीच रहा है

Saturday 15 March 2014



नजर लागी भाभा...इन मुस्टंडों की तेरे बंगले पर ...
देश के महान पारसी वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की १९६६ में विमान दुर्घटना से मौत.., जो आज भी संदेह के घेरे में है .. देश के परमाणु क्रान्ति के द्योतक/जनक को राष्ट्र को महाशक्ती बनाने के पहले एक साजिश..ह्त्या... या मौत ...???
नजर लागी भाभा...इन मुस्टंडों की तेरे बंगले पर ...
अब आदर्श मुस्टंडों द्वारा भाभा की आत्मा को बेचकर, अब महाराष्ट्र के भ्रष्टाचार की आदर्श सत्ताखोरों की आत्मा का भाई (भा) – भाई (भा) के रिश्ते से, देश का गौरव बनाने का खेल.. हैरीटेज बना ..इनके भ्रष्टाचार का हरा..भरा..तेज
नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) ने 1,593 वर्ग मीटर जमीन पर बने बंगले को खरीदने के इच्छुक लोगों को आंमत्रित करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। इस जमीन की कीमत 1.45 लाख रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से लगने की संभावना है, जिससे यह आज की तारीख में सबसे महंगा जमीन सौदा होगा।
जाने राष्ट्रवादी महान वैज्ञानिक भाभा को ....,
देश आजाद हुआ तो मशहूर वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा ने दुनिया भर में काम कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों से अपील की कि वे भारत लौट आएं। उनकी अपील का असर हुआ और कुछ वैज्ञानिक भारत लौटे भी। इन्हीं में एक थे मैनचेस्टर की इंपीरियल कैमिकल कंपनी में काम करने वाले होमी नौशेरवांजी सेठना। अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले सेठना में भाभा को काफी संभावनाएं दिखाई दीं। ये दोनों वैज्ञानिक भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने के अपने कार्यक्रम में जुट गए। यह कार्यक्रम मूल रूप से डॉ. भाभा की ही देन था, लेकिन यह सेठना ही थे, जिनकी वजह से डॉ. भाभा के निधन के बावजूद न तो यह कार्यक्रम रुका और न ही इसमें कोई बाधा आई।
होमी जहांगीर भाभा (30 अक्तूबर, 1909 - 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। [1] उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा. भाभा एक कुशल वैज्ञानिक और प्रतिबद्ध इंजीनियर होने के साथ-साथ एक समर्पित वास्तुशिल्पी, सतर्क नियोजक, एवं निपुण कार्यकारी थे। वे ललित कला व संगीत के उत्कृष्ट प्रेमी तथा लोकोपकारी थे। 1947 में भारत सरकार द्वारा गठित परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रथम अध्यक्ष नियुक्त हुए।[2] १९५३ में जेनेवा में अनुष्ठित विश्व परमाणुविक वैज्ञानिकों के महासम्मेलन में उन्होंने सभापतित्व किया। भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक[3] का २४ जनवरी सन १९६६ को एक विमान दुर्घटना में निधन हो गया था।
डॉ. भाभा जब कैम्ब्रिज में अध्ययन और अनुसंधान कार्य कर रहे थे और छुट्टियों मे भारत आए हुए थे तभी सितम्बर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया। यह वही दौर था जब हिटलर पूरे यूरोप पर तेजी से कब्जा करता जा रहा था और इंग्लैंड पर धावा सुनिश्चित दिखाई पड़ रहा था। इंग्लैंड के अधिकांश वैज्ञानिक युद्ध के लिये सक्रिय हो गए और पूर्वी यूरोप में मौलिक अनुसंधान लगभग ठप्प हो गया। ऐसे हालात में इंग्लैंड जाकर अनुसंधान जारी रखना डॉ. भाभा के लिए संभव नहीं था। ऐसी परिस्थिति में डॉ. भाभा के सामने यह प्रश्न स्वाभाविक था कि वे भारत में क्या करें? उनकी प्रखर प्रतिभा से परिचित कुछ विश्वविद्यालयों ने उन्हंा अध्यापन कार्य के लिये आमंत्रित किया। अंततः डॉ. भाभा ने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बैंगलोर को चुना जहाँ वे भौतिक शास्त्र विभाग मे प्राध्यापक के पद पर पदस्थ हुए। यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण परिवर्तन साबित हुआ। डॉ. भाभा को उनके कार्यों में सहायता के बतौर सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट ने एक छोटी-सी राशि भी अनुमोदित की। डॉ. भाभा के लिए कैम्ब्रिज की तुलना में बैंगलोर में काम करना आसान नहीं था। कैम्ब्रिज में वे सरलता से अपने वरिष्ठ लोगों से सम्बंध बना लेते थे परंतु बैंगलोर में यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने अपना अनुसंधान कार्य जारी रखा और धीरे-धीरे भारतीय सहयोगियों से संपर्क भी बनाना शुरू किया। उन दिनों भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में सर सी. वी. रामन भौतिक शास्त्र विभाग के प्रमुख थे। सर रमन ने डॉ. भाभा को शुरू से ही पसंद किया और डॉ. भाभा को 'फैलो आफ रायल सोसायटी' (FRS) में चयन हेतु मदद की।
डॉ. भाभा ने अपनी वैज्ञानिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ TIFR की स्थायी इमारत का भी जिम्मा उठाया। भाभा ने इसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों की बराबरी में खड़ा करने का सपना संजोया। उन्होंने अमेरिका के जाने-माने वास्तुकार को इसकी योजना तैयार करने के लिये आमंत्रित किया। इसकी इमारत का शिलान्यास 1954 में नेहरू जी ने किया। डॉ. भाभा ने इमारत निर्माण के हर पहलू पर बारीकी से ध्यान दिया। अंततः 1962 में इस इमारत का उद्घाटन नेहरू जी के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। सन् 1966 में डॉ. भाभा के अकस्मात निधन से देश को गहरा आघात पहुँचा। यह तो उनके द्वारा डाली गई नींव का असर था कि उनके बाद भी देश में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम अनवरत विकास के मार्ग पर अग्रसर रहा। डॉ. भाभा के उत्कृष्ट कार्यों के सम्मान स्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे (AEET) को डॉ. भाभा के नाम पर 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' नाम दिया। आज यह अनुसंधान केन्द्र भारत का गौरव है और विश्व-स्तर पर परमाणु ऊर्जा के विकास में पथप्रदर्शक साबित हो रहा है।
आज भारत को विकसित देशों की श्रेणी में ला खड़ा करने वाले इस महापुरुष के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके सपनों के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के विकास की दिशा में अपना संपूर्ण योगदान दें। यह तथ्य निर्विवाद है कि संघर्षपूर्ण परिस्थितियाँ हमारी योजना एवं क्षमता में अभूतपूर्व शक्ति का संचार करती हैं। जिस योजना की कार्यशैली डॉ. होमी जहाँगीर भाभा की वैज्ञानिक आभा से प्रकाशमान हो तो उसकी सफलता और उपलब्धियों का जयगान विश्व के नाभिकीय क्षितिज में अवश्वमेव गूँजेगा। आत्मनिर्भरता हमारी शक्ति है और चुनौतियों से निपटना हमारी आदत में शुमार हो चुका है।

 सत्तावाद का मूल ख्वाब , बनी एक खाद ...देश को बेच डालों ...,


नजर लागी भाभा...इन मुस्टंडों की तेरे बंगले पर ...
देश के महान पारसी वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की १९६६ में विमान दुर्घटना से मौत.., जो आज भी संदेह के घेरे में है .. देश के परमाणु क्रान्ति के द्योतक/जनक को राष्ट्र को महाशक्ती बनाने के पहले एक साजिश..ह्त्या... या मौत ...???
नजर लागी भाभा...इन मुस्टंडों की तेरे बंगले पर ...
अब आदर्श मुस्टंडों द्वारा भाभा की आत्मा को बेचकर, अब महाराष्ट्र के भ्रष्टाचार की आदर्श सत्ताखोरों की आत्मा का भाई (भा) – भाई (भा) के रिश्ते से, देश का गौरव बनाने का खेल.. हैरीटेज बना ..इनके भ्रष्टाचार का हरा..भरा..तेज
नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) ने 1,593 वर्ग मीटर जमीन पर बने बंगले को खरीदने के इच्छुक लोगों को आंमत्रित करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। इस जमीन की कीमत 1.45 लाख रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से लगने की संभावना है, जिससे यह आज की तारीख में सबसे महंगा जमीन सौदा होगा।
जाने राष्ट्रवादी महान वैज्ञानिक भाभा को ....,
देश आजाद हुआ तो मशहूर वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा ने दुनिया भर में काम कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों से अपील की कि वे भारत लौट आएं। उनकी अपील का असर हुआ और कुछ वैज्ञानिक भारत लौटे भी। इन्हीं में एक थे मैनचेस्टर की इंपीरियल कैमिकल कंपनी में काम करने वाले होमी नौशेरवांजी सेठना। अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले सेठना में भाभा को काफी संभावनाएं दिखाई दीं। ये दोनों वैज्ञानिक भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने के अपने कार्यक्रम में जुट गए। यह कार्यक्रम मूल रूप से डॉ. भाभा की ही देन था, लेकिन यह सेठना ही थे, जिनकी वजह से डॉ. भाभा के निधन के बावजूद न तो यह कार्यक्रम रुका और न ही इसमें कोई बाधा आई।
होमी जहांगीर भाभा (30 अक्तूबर, 1909 - 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। [1] उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा. भाभा एक कुशल वैज्ञानिक और प्रतिबद्ध इंजीनियर होने के साथ-साथ एक समर्पित वास्तुशिल्पी, सतर्क नियोजक, एवं निपुण कार्यकारी थे। वे ललित कला व संगीत के उत्कृष्ट प्रेमी तथा लोकोपकारी थे। 1947 में भारत सरकार द्वारा गठित परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रथम अध्यक्ष नियुक्त हुए।[2] १९५३ में जेनेवा में अनुष्ठित विश्व परमाणुविक वैज्ञानिकों के महासम्मेलन में उन्होंने सभापतित्व किया। भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक[3] का २४ जनवरी सन १९६६ को एक विमान दुर्घटना में निधन हो गया था।
डॉ. भाभा जब कैम्ब्रिज में अध्ययन और अनुसंधान कार्य कर रहे थे और छुट्टियों मे भारत आए हुए थे तभी सितम्बर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया। यह वही दौर था जब हिटलर पूरे यूरोप पर तेजी से कब्जा करता जा रहा था और इंग्लैंड पर धावा सुनिश्चित दिखाई पड़ रहा था। इंग्लैंड के अधिकांश वैज्ञानिक युद्ध के लिये सक्रिय हो गए और पूर्वी यूरोप में मौलिक अनुसंधान लगभग ठप्प हो गया। ऐसे हालात में इंग्लैंड जाकर अनुसंधान जारी रखना डॉ. भाभा के लिए संभव नहीं था। ऐसी परिस्थिति में डॉ. भाभा के सामने यह प्रश्न स्वाभाविक था कि वे भारत में क्या करें? उनकी प्रखर प्रतिभा से परिचित कुछ विश्वविद्यालयों ने उन्हंा अध्यापन कार्य के लिये आमंत्रित किया। अंततः डॉ. भाभा ने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बैंगलोर को चुना जहाँ वे भौतिक शास्त्र विभाग मे प्राध्यापक के पद पर पदस्थ हुए। यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण परिवर्तन साबित हुआ। डॉ. भाभा को उनके कार्यों में सहायता के बतौर सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट ने एक छोटी-सी राशि भी अनुमोदित की। डॉ. भाभा के लिए कैम्ब्रिज की तुलना में बैंगलोर में काम करना आसान नहीं था। कैम्ब्रिज में वे सरलता से अपने वरिष्ठ लोगों से सम्बंध बना लेते थे परंतु बैंगलोर में यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने अपना अनुसंधान कार्य जारी रखा और धीरे-धीरे भारतीय सहयोगियों से संपर्क भी बनाना शुरू किया। उन दिनों भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में सर सी. वी. रामन भौतिक शास्त्र विभाग के प्रमुख थे। सर रमन ने डॉ. भाभा को शुरू से ही पसंद किया और डॉ. भाभा को 'फैलो आफ रायल सोसायटी' (FRS) में चयन हेतु मदद की।
डॉ. भाभा ने अपनी वैज्ञानिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ TIFR की स्थायी इमारत का भी जिम्मा उठाया। भाभा ने इसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों की बराबरी में खड़ा करने का सपना संजोया। उन्होंने अमेरिका के जाने-माने वास्तुकार को इसकी योजना तैयार करने के लिये आमंत्रित किया। इसकी इमारत का शिलान्यास 1954 में नेहरू जी ने किया। डॉ. भाभा ने इमारत निर्माण के हर पहलू पर बारीकी से ध्यान दिया। अंततः 1962 में इस इमारत का उद्घाटन नेहरू जी के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। सन् 1966 में डॉ. भाभा के अकस्मात निधन से देश को गहरा आघात पहुँचा। यह तो उनके द्वारा डाली गई नींव का असर था कि उनके बाद भी देश में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम अनवरत विकास के मार्ग पर अग्रसर रहा। डॉ. भाभा के उत्कृष्ट कार्यों के सम्मान स्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे (AEET) को डॉ. भाभा के नाम पर 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' नाम दिया। आज यह अनुसंधान केन्द्र भारत का गौरव है और विश्व-स्तर पर परमाणु ऊर्जा के विकास में पथप्रदर्शक साबित हो रहा है।
आज भारत को विकसित देशों की श्रेणी में ला खड़ा करने वाले इस महापुरुष के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके सपनों के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के विकास की दिशा में अपना संपूर्ण योगदान दें। यह तथ्य निर्विवाद है कि संघर्षपूर्ण परिस्थितियाँ हमारी योजना एवं क्षमता में अभूतपूर्व शक्ति का संचार करती हैं। जिस योजना की कार्यशैली डॉ. होमी जहाँगीर भाभा की वैज्ञानिक आभा से प्रकाशमान हो तो उसकी सफलता और उपलब्धियों का जयगान विश्व के नाभिकीय क्षितिज में अवश्वमेव गूँजेगा। आत्मनिर्भरता हमारी शक्ति है और चुनौतियों से निपटना हमारी आदत में शुमार हो चुका है।

Thursday 13 March 2014



केजरीवाल..., झोपड़ों में झाडू लगाने वालों के जगह , बंगलों में “वैक्यूम क्लीनर” से घर साफ़ करने वालों “ख़ास आदमी” को टिकट देकर “आम आदमी” का सफाया करने के नशे में है... 
गुरुदत्त की अंतिम क्लासिक फिल्म 'कागज के फूल' का प्रसिद्ध गीत है--बिछुड़े सभी बारी-बारी, देखी जमाने तेरी यारी! ... केजरीवाल “आम आदमी “ के नाम से ख़ास आदमी से बाग़ में “कागज के फूल” से मुंगेरीलाल वाले सपने देख रहें हैं.... 
दोस्तों "आम आदमी" के चोले में ख़ास आदमी के छोले खाने का ख्वाब है, सत्ता की बोतल में एक नई शर्बती ,शराबी है, देश की ७०% जनता जो २० रूपये भी नहीं कमाती है ..वह तो, आज भी गुठली वाला आदमी है.. भूख मारने के लिए , शराब पीता है , वह तो इनके लिए वादों का वोट बैंक का प्याला है...घुसपैठीयों के समर्थन व काश्मीरियों व अलगाववाद की बोली इनके सत्ता की “ख़ास “ हमजोली है
मोदी के पी.एम.पर सट्टा , कांग्रेस की साख पर बट्टा , केजरीवाल की कबड्डी बनी फिसड्डी ... अब हू तू तू.. बनी सू..सू..सू..., टिकट के बाग़ के माली ने पार्टी के फूलों को लूला बनाने पर बगावत 

Sunday 9 March 2014



जागो देशवासियों...हम तो धर्म के खेल के, ... सिर्फ मोहरे हैं ... August 10, 2013 की फेस बुक की पोस्ट
इनके लिए, तुम / हम तो.., पाँच साल के लिए... रोते हुये चेहरे हो ...???? इसलिय राममनोहर लोहिया की वाणी आज भी सार्थक है , कि, जिंदा कौमे पाँच साल का इंतजार नही करती है....??? इससे मुक्ति चाहिए तो....????, चलो राष्ट्रवाद की ओर ....
धर्म, जातिवाद , अलगाववाद, घुसपैठ इन सत्ता धारियों के लिए एक शराब है...? और देश लूटने का ख्वाब है…??? दिन मे संसद की कारवाई बहस से स्थगित करा... देश को बेबस बनाओ ....दिन मे लूट और रात मे, घुसपैठेयों के लिए सीमाए खोलकर , वोट बैक का जश्न मनाओ का खेल है ...????

और कितने मुज्जफरपुर से मनाओगे सत्ता का मौजपुर ....????
देश के लिए 100 करोड़ हिन्दुओ को खत्म करने के लिए 15 मिनट चाहिए, तो मुंबई के 1 करोड़ हिन्दुओ को खत्म करने के लिए कितने सेकेंड लेने के समय का बयान देगा…..????, मेरे मुंबई आया, अकबरुद्दीन ओवैसी, हे रामजी .... क्या अब वह, यह बयान देगा ...??
अब, रमजान (RAMJAN= RAM +JAN, = राम के जान वाले ) और दिवाली ( DIWALI= DIWAYA + ALI, = अली के दिलवाले) के लड़ाई से देश की बरबादी का खेल शुरू करने की कोशिश की आड़ मे वोट बैंक के कशिश (खिंचाव / आकर्षण शक्ति) की कहानी आगे भयंकर रूप से बढ़ने वाली है...

याद रहे जब अकबरुद्दीन ओवैसी को जेल की हवा खानी पड़ी , तो कोर्ट ने भी उन्हे जमानत देते समय कहा था कि... राम का विरोध करते हो...., परंतु, देखो तुम्हें जमानत दिलवा कर जेल से बाहर निकालने के लिए भी एडवोकेट राम आये है... बड़े दुख के साथ लिखना पड़ रहा है, इसी ताजा घटना के समय, संसद को हंगामाबाजी से स्थगित करने के लिए, संसद मे, अकबरुद्दीन ओवैसी के बड़े भाई असदुद्दीन जो सांसद है, उन्हे, सोनिया गांधी ने इशारा कर, उकसाने का प्रयत्न किया...??? संसद के समय की बरबादी...देश की बरबादी है...।

सिलेंडर बना (SILLY-TENDER- बेवकूफ बनाने की निविदा ) का खेल...., सत्ताखोरों द्वारा धर्मवाद,जातिवाद अलगाववाद से, “देश की जनता पर ५ साल का बोझ” और घुसपैठीयों कों “विशेष सम्मान” व बांग्लादेश को रियायती दर पर गैस ...से वोट बैंक का अभिमान .., जागों देशवासियों ..., राष्ट्रवादी बन एकजुट होकर ही इन सत्ताखोरों के पेट की गैस निकाल कर इनके हवाई गुब्बारें, के भ्रष्टाचार की हवा हवाई की दवाई कर , खाई गई रकम, जमीन पर लाकर निकाल सकते है

हमें झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है,, क्रांतिकारी जो सत्ता के मोह के बिना , अपना बलिदान देकर शहीद हुए.. उन्हें देशद्रोही कहा गयाहै, अंग्रेजों के चाटुकार , सत्तालोलुप को देश का भाग्य विधाता कहकर दरशायागया है.. आज इनकी ही औलादें देश को लूट से डूबा दिया है ..कैलाश तिवारीwww.meradeshdoooba.com

Saturday 8 March 2014



.सत्ता की शराब बनी .. १०० पीढीयों का ... सुनहरा खवाब ........ वेबस्थल कीं प्रस्तावना की 02 October 2012. पोस्ट भाग-२ में नारी शोषण के अंश ... तब मै क्षुब्ध होकर, एक नारी न्रित्य मधुशाला में गया, अन्दर का जोशीला माहौल , पाशचात्य सस्क्रिति का बेजोड़ संगम, डांस बार के मेज पर बैठते ही एक अप्सरा सी युवती ने पूछा? कौन सा आइटम चाहिए और कौन सा ब्रांड पियोगे? मैने उस से कहा मै शराब पीने नहीं , यहाँ इन शराबीओ से राष्ट्रवाद के बारे मे विस्तार से वार्तालाप करना चाहता हूँ, उस युवती ने मुझसे कहा राष्ट्रवाद … ? वह हँसते हुए कहने लगी यह मधुशाला तो सुर – सुरा – सुन्दरी , की त्रिवेणी है, यहाँ से तो राष्ट्र की धारा निर्धारित होती है यहाँ पर इसकी चर्चा न करना, वह देख रहे हो, वह टोपी वाला , खादीवाला, मीडिया का समूह हमारे देह शोषण का प्रतीक है, जो इस राष्ट्र की योजना भी बना रहे है
राष्ट्रवाद ….. ?, मै भी किसान की बेटी थी. एक साल मौसम ने हमें धोंखा दिया, फसल चौपट हो गई, मुआवजे के लिये सरकार से गुहार लगाई., लेकिन, सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन……
तब मेरे पिता ने साहूकारो से, जिनका राजनीती मे प्रभुत्व था , 10% मसिक दर से भी अधिक ब्याज से जमीन गिरवी रखकर कर्ज लिया, तीन साल तक ब्याज भरते भरते हमारी आर्थिक हालत खस्ती हो गई थी . जब पिता पर ब्याज बोझ बढते गया तो इन साहूकारो ने मेरे पिता से कहा कि आप ब्याज नही भर पा रहे हो , तो अपनी लड़की हमे दे दो ? ये सुन कर मेरे पिता ने आत्महत्या कर ली. तब मै भागकर इस शहर आई हूँ
बाल सुधार के नाम पर बच्चो का शोषण, क्या तुम इसे राष्ट्रवाद कहते हो? राष्ट्रवाद के नाम से राष्ट्र का,
समाजवाद के नाम पर समाज, नारी निकेतन के नाम पर नारी, नशा निर्मुलन समिती के नाम पर नशे का व्यापार
राष्ट्रवाद…? राष्ट्रवाद…? और जनाना चाहते हो चलो मेरे साथ, उस युवती की आँखे भर आई, उसने कहा आओ मैं आप को राष्ट्रवाद की झलक दिखाती हूँ, वह मुझे एक कमरे मे ले गई जहाँ ढेर सारी खुबसुरत लड़कियाँ बैठी थी . उस युवती ने कहा देखो यह् राष्ट्रवाद की झलक हैं, ये कैटरिना, करिना व मल्लिका शेरावत से भी खुबसुरत है, जानते हो, इनकी उमर कितनी है…? इनकी उमर 10-12 साल है, इसे सत्ता के दलालो ने आक्सीटोशीन के इंजेक्शन से इनके देह को विकसित किया है . आज इन लड़किओं
को शिक्षा व उचित माहौल मिलता, तो ये देश की शान बढाती. राष्ट्रवाद के नाम पर सत्ता के भुखे भेडिये यहाँ देह व्यापार के नशे के लिये आते है क़ृपया आप यहाँ राष्ट्रवाद कि चर्चा न करें . ये तुम्हे यहीं फर्जी एनकाउंटर मे मार देगे, क्योकि मीडीया भी इनकी रोटी सेंक रही है
आपको राष्ट्रवाद की चर्चा करनी है तो यहीं पास मे हाथ भट्टी दारू की दुकान है वे गरीब लोग शायद आपकी भाषा समझ सके इसके पश्चात मै हाथ भट्टी देशी दारू की दुकान के पास पहुँच कर शराबीओं को कह रह था आपने जो नशा किया है उससे भी बड़ा नशा मेरे पास है, इस नशे से आपका देशी दारु का नशा काफूर हो जायेगा, आगे उंनसे कहा, इस नशे के सामने अफीम चरस व धनाढ्य वर्गो के लोग जो कोकीन का सेवन करते है वह भी इसके सामने फीका है यह सुनकर देशी नशोडियों की भारी भीड़ जमा हो रही थी
मैने उंन्हें सरल शब्दो में कहा, आप जो 10-15 रूपये कि शराब पी रहे है उसकी लागत एक से दो रूपये है आप लोग भूख मारने व थकान मीटाने के लिये शराब पी कर सो जाते है,यह तुम्हारी थकान नहीं, बल्कि आप अपनी जिन्दगी मार मीटा रहे हो ?
आप लोग इस देश कि आधार शिला हो, देश का निर्माण तुम्हारे हाथों मे है, आप देश के रत्न हो, आप लोगों को देश के नेता पत्थर समझकर कीचड़ मे फेकते है , यह कीचड़ असल में शराब की बदबू है
आप लोग पत्थर तोड़ मेहनत करते हो , आपके सुविधा व अन्य खर्च के नाम पर विकास की लम्बी चौडी योजनाये बनती है उसकी मलाई सत्ता के ठेकेदार ख़ा जाते है, मेरे हर वाक्य पुरा करते ही वे नशडी ,”भारत माता की जय…. वंदे मातरम …” के नारे लगाने लगे.
आपने जो झोपडें बनाये है , वह मफिआओं द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जा कर, आपको ऊँची किंमत मे बेचें गयें हैं, आप सब सत्ताधारीयों के वोट बैक हो , हो सकता है सत्ता का लक्ष्य हासिल होने के बाद तुम्हारे झोपडें तोड़ दिये जाये या जला दिये जाये, मेरे हर वाक्य पुरा करते ही वे नशडी ,,भारतमाता की जय…. वदे मातरम … के नारे लगाने लगे
आप बीडी पीते है, साबून , तेल … इत्यादि खरीदते हो, उसका भी आप टैक्स देते है इस हाथ भट्टी दारू का पैसा भी आबकारी विभाग डकार जाता है, जिसके तन पर लंगोट रहती है, उसकी, सिर्फ इस देश में गिनती होती है, कोई मुवाअजा नहीं मिलता है, जिसके तन पर धोती होती है, उन्हें सिर्फ मुवाअजा की घोषणा होती है जिसके तन पर शर्ट पैंट होती है उन्हें मुवाअजे के तौर पर हजार रुपये भी नहीं मिलते है लेकिन जो काले कोट , सफेद कोट वाले इंडीयन है जो दुर्घटना मे मारे जाते है उन्हें 25-75 लाख रुपये 24 घंटे मे मिल जाते हैं, नशडी और बङे जोश से कह रहे थे “भारतमाता की जय…. वदे मातरम ……”यह उदघोष हो रहा था. कि, इतने मे एक नेता को वातानिकुलित गाङी में बैठे, बन्द क़ाँच मे से हल्की – हल्की आवज सुनाई दे रही थी , गाङी भीड़ के पास आने पर, उसने गाङी रोकी, उसने काँच के अन्दर से देखा और सोचने लगा चुनाव का मौसम भी नहीं है किसी पार्टी का झंडा भी नहीं है व भाडॆ की भीड़ भी नहीं है? क्या माँजरा है ? उसने दरवाजे का शीशा नीचे किया, तो उदघोष जोरों से सुनाई देने लगा
उसके ड्रायव्हर ने उससे कहा , “साहब काँच बन्द करें , मेरे कान फट रहे हैं “
नेता ने दरवाजा खोलते हुए कहा, “तेरे तो कान फट रहे है, मेरी क्या – क्या फट रही है, मुझे ही मालूम है, मै मेरे आने वाले कल की तस्वीर देख रहा हूँ “
वह नेता भीड़ को चिरता हुआ, एक हाथ से अपने नाक बन्द कर ( ताकि देशी दारु कि बदबू ,उसके फेफडे को खराब न कर दे ) मेरे पास आया और कहने लगा, “तुम, इन भोले भाले शराबीयों को बरगला रहे हो, मै विदेशी शराब पीता हूँ, इन्हे झाँसा मत दो?”
मैने उसका परिचय पूछा, तो कहने लगा मै राजनैतिक पार्टी का अध्यक्ष हूँ ,मैं देश की दशा व दिशा तय करता हू. बाद मे नेता ने शराबीओं से आव्हान किया कि, “ये देशद्रोही है, इसे मार डालो?” सब शराबी इससे आक्रोशित होकर मुझसे कहने लगे,” हम इस नेता को मारते है? मैने कहाँ कदापि नहीं, आप जानते नहीं है ? यह नेता इंडीयन गाँधी है “
एक गाँधी को मारने के 65 साल बाद भी गोडसे शब्द को देश का अभिशाप बनाकर जनता के सामने परोशी जा रही है, इतने में नेता के अंगरक्षक आ गये, उन्होने नेता से कहा, हम इसे गोली से भून देते हैं? उस नेता ने कहा “बिल्कुल नहीं हमारे पास अंतरर्राष्टीय दर्जे का अजमल कसाब नाम का आतंकवादी है, अब इस देशद्रोही से मै अपनी सत्ता चमकाऊँगा इसके सम्बध अंतरर्राष्टीय माफियाओ से जोडूगा, कि इसको इस काम के लिये कौन शह दे रहा है?, मीडीया को उकसाकर इसका खुलासा करूँगा ?
नेता ने मुझसे पूछा “तुम कहाँ रहते हो”, तो मैने अपना वोटर कार्ड उसके हाथ मे थमा दिया, उसने झट से मेरा वोटर कार्ड अपने जेब मे रखते हुए कहा “ चलो एक वोट तो मेरे पार्टी के खिलाफ नहीं जायेगा” मैने नेता से कहा “इसके बाद ये देशी शराबी, शराब नहीं छुएँगे”, सभी शराबी कहने लगे, “हमें देश का नशा लग गया है, आज के बाद से शराब बद, भारत माता की जय…. वंदे मातरम…….”
तब उस नेता ने देशी हाथ भट्टी बंद करने का निर्देश देते हुए कहा, देखो कल मेरे कार्यालय के बाहर, ये भीड़ ही देशी हाथ भट्टी चालू कराने के लिए जमा हो जाएगी. मैने नेता से कहा “ये हिन्दुस्तान की माटी के बेटें है कल आपको सच्चाई का पता चल जाएगा,” वह खिलखिलाते ठहाका मारकर अपने वातानिकुलित गाङी में बैठकर चला गया

अगले दिन सवेरे मैने टी.वी. पर न्युज चैनल (समाचार वाहिनी ) मे एक ताजा खबर आ रही थी, शहर मे जहरीली शराब पी कर शराबीओ की मौत हो रही है न्युज चैनल कह रहा था यह समाचार सिर्फ हमारा चैनल दिखा रहा है कहीं मत जाईएगा
आधे घटे बाद दूसरा न्युज चैनल कह रहा था, भारी संख्या मे शराबीओं की मौत, अभी आँकडॆ प्राप्त नहीं हुए हैं, आप दुसरा न्युज चैनल मत देखिए, हम आपको पूरा विवरण दे रहे है,
मै भी दौड्ता हुआ अस्पताल पहुँचा, भारी भीड्, विपक्ष के छूट भइये नेता, कार्यकर्ता, नारा दे रहे थे, स्वास्थ मंत्री पद छोडो, दुसरे तरफ विरोधी पक्षो के नेताओ ने सभी दोपहर के अखबारो के सम्पादको को फोन करते हुए कहा , तुरंत दोपहर का संशोधित संस्करण छापो, सम्पादकों ने पूछा, कितनी प्रतिया छापनी है? विरोधी पक्षो के नेताओ ने कहा तीन घंटे मे जितना छाप सको तो छापो, हमें लाखो प्रतियाँ चाहिए, ताकि हम आम नागरिको मे मुफ्त मे बाँट सके विपक्षी नेताओ, कार्यकर्ताओ की जोर की गूँज “ सिंहासन खाली करो, अभी प्रिन्ट मिडीया तुम्हारी पोल खोलने जा रही है.” संपादको को एक स्फुर्ती मिली, उन्हें लगा कि इस संशोधित समाचार की प्रति छपाकर वे साल भर की कमाई कर लैगे.

मै भीड़ को चीरते हुए अस्पताल के कमरे मे पहूँच रहा था, एक तरफ लाश ढोते कर्मचारी, बिस्तरो की संख्या मर्यादित थी, जब चार पाँच शराबी मरते तो बाहर इंतजार मे बेहोश शराबी की भर्ती होती थी, स्वास्थ मंत्री का चेहरा मुर्झाया हुआ , वह् क़ृत्रिम शोक संताप की मूर्ती की तरफ खड़ा था, मैने कहा ये क्या हो गया है? मेरी आखें आँसू से डगमगा रही थी, तो स्वास्थ मंत्री ने मुझसे पूछा, इनमे से तुम्हारा कोई रिश्तेदार है? मैने कहा यह मेरा पूरा परिवार है स्वास्थ मंत्री के चेहरे मे दु:ख कि झुर्रिया एक ठहाके की हँसी मे परिवर्तित हो गईं.
तब मै वहाँ से निकल कर,दौड़ते हुए, मुख्य चिकित्सा अधिकारी क़ॆ दफ़्तर मे दरवाजा खटखटाकर अंदर गया तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी झट से खडा हो गया, मैने उससे पूछा, आप इन मरीजो को ग्लूकोज व अन्य दवाईया दे रहे है, इन पर कोइ उत्पाद का लेबल व समाप्ती कि तारीख भी नही है? आखिर यह दवाईयाँ है क्या?
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा जब पहले बैच के शराबी आए तो मैने उंनको बिल्कुल नई व नामी कंपनी की दवाईयाँ दी, तो शराबी बेहोशी मे “भारत माता की जय…. वंदे मातरम…….बोल रहे थे”, तब स्वास्थ मंत्री घबरा गया और उसके आदेश नई बोतल हटा कर, पूरानी बोतले लगाई जा रही है और हमारा पूराना भंडारण भी खत्म हो रहा है और इससे स्वास्थ मंत्री का पुराना दवा आपूर्ती का घोटाला भी दब जायेगा ?
मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मैने पूछा आप विरोध क्यो नहीं करते ? तब उसने कहा, कि देखो मै इस पद पर बैठा मोहरा हूँ, इसकी बागडोर तो सत्ता के पास है , आपने पिछले दिनों देखा एक मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सत्ता के बागडोर काटने के चक्कर मे मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अपनी बलि देनी पडी.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपनी क़ुर्सी और मेंज की तरफ ईशारा करते हुए कहा, देखो, ये ब्रिटिश जमाने के क़ुर्सी मेंज है और ये पंखा, जो भीमकाय आकार का है आज दुगनी बीजली खा रहा है, सरकार को इसे बदलने के लिये पैसे नहीं है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने क़ुर्सी और मेंज की दरार दिखाते हुए कहा, इन दरारों मे ब्रिटिश के औलादो के जमाने के खटमल है.
इस क़ुर्सी पर पुतले की तरह बैठने पर ये खटमल नहीं काटते है. सत्ता के विरोध करने पर ही ये हमारा खून चुस लेते हैं ,आज देश मे जितने भी चिकित्सा अधिकारी मरे है ये सब इन खटमलो की देन है

इतने मे मेंज के दरारो के खटमल बाहर निकलने लगें, तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा “क़ृपया आप बाहर चले जाइए, यदि क़ुर्सी और मेज के खटमल एक साथ बाहर आ जाएगें तो मेरी मौत निश्चित है “

वहाँ से बाहर निकलते हुए मै शवग़ृह मे गया, वहा मुश्किल से 20 शवो को रखने की व्यवस्था थी, शवग़ृह के बाहर मृत शराबीओ के शव कतार से लगाये गए थे प्रत्येक शवो के मुँह से खून कि धारा बहते हुए एक पतली लकीर पगडंडी सी नदी के स्वरूप मे फर्श पर बिखर रही थी, इसमे सभी धर्म जाति के खून थे, शव के हाथ एक दुसरे से लगे हुए थे मुझे ऐसा ऐहसास हो रहा था , ये शव राष्ट्रवाद के सम्मान मे मानव श्रृखला बनाकर खडे है, कुछ दूर कदम पर एक ढाल पर शवो के खून, नदीओं की धार से सागर के रूप मे जमा थी. मै पास बैठकर मै खून के सागर को देख कर मेरे आँख का एक आँसू उस खून के सागर मे गिर गया, वह खून मे गिरकर फैलता गया तथा हिन्दुस्तान के नक्शे मे परिवर्तीत हो गया और पास से झाकने पर उस नक्शे मे हजारो हवा के बुल बुले के समान आकृतियाँ थी
वह बुल बुले देश के सभी हिस्सो के सभी धर्मो के समान रूप मे थे तभी उन बुल बुलो से मेरे आँखो ने एक आकृति देखी सभी बुल बुले अपने ताकतवर बाहों को बडे जोश से मुठ्ठी उठाकर मुझसे कह रहे थे, आप आगे बढ़ो हमारी शक्ती आपके साथ है,हम जलने के बाद, हमारे दफन होने के बाद, हमरी अगली पीढी आपको राष्ट्रवाद की तपन व खाद से देश को हरा भरा कर एक नया आजाद, उमड़ते, तरंगो, जोशो भरा हिन्दुस्तान का निर्माण करेगीं
इतने मे एक बुल बुला मुझसे कहने लगा शायद आपने मुझे पहँचाना नहीं ?
मै दारुवाला हू , हम पारसी समुदाय तो राष्ट्रवाद के खून से ही पैदा होते है , मै पहले विदेशी शराब पीता था लेकिन हमारे रतन टाटा ने देश का पैसा विदेश मे निवेश मे लगाकर देश का नुकसान किया, इसलिए मैने विदेशी पैसा बचाने के लिए देशी शराब पीनी शुरु की, हमारे पारसी समाज की राष्ट्रवाद की धारा धूमिल न हो जाए, इसलिये क़ृपया रतन टाटा को एक संदेश दे दिजिए , “वे राजनैतिक राडिआ (के पीछे न दौडें, ईश्वर उन्हें सदबुद्दी दे”
मेरी आखे आँसूओ से भरने लगी अभी और आसूँ उस खून के सागर मे न गिरे, उस सागर मे भार न बने इस लिए मै आँखो पर हाथ रखकर बाहर निकला

वापस अस्पताल के वार्ड मे पहुचा था कि वहाँ मीडिया का जमावड़ा था लाशो के ढेर की बढोतरी थी, मीडिया (T.R.P.-टी.आर.पी) के चक्कर मे प्रसार कर रही थी,
इतने मे इंडीयन गाँधी ने मुझे देख और जोर जोर से चिल्लाने हुऐ कहने लगा, इन लाशों का जवाबदार ये देशद्रोही है हमारी शराब शुध्द थी, इन शराबीओ को इस देशद्रोही के बरगलाने से, इंनके शरीर मे खुन का प्रवाह तेज होने से इनका मस्तिष्काघात से मौत हुइ है, पूरा हाँल सत्ता पक्ष के लोगो से भरा था व तालिओं के गड़गड़ाहट से गूँज रहा था
मै फफक फफक कर रो पड़ा
इतने मे एक फेक टी वी का सवांददाता मेरे सामने कैमरा लेकर प्रसारण कर रहा था , इन शराबीओ का हत्यारा ये देशद्रोही है, देखो? ये कैसे आपने पापो का प्रायश्चित कर रहा है . यह प्रसारण केवल फेक टी वी (FAKE-Tv ¬) दिखा रहा है देश का अव्वल चैनल, जो देश की नेता की नब्ज, जो पकदे इतने मे फेक टी वी दूसरा सवांददाता आकर कहने लगा कि इंडीयन गाँधी के वकत्व्य की पुष्टी पी टी आइ (pTi- प्रिय ट्र्स्ट आफ इंडीयन नेता) ने भी कर दी है और शव विच्छेद की रीपोर्ट (पोस्ट मोर्टम) भी आ गई है और शराब शुध्द थी, सत्ता पक्ष के सारे कार्यकर्ता लोग लाशो के गिनती मे लगे हुए थे विरोधी पक्ष व मिडीया, इंडीयन गाँधी के आगे नतमस्तक हो गई .
बाहर अखबारों से भरे ट्र्क खडे थे , विपक्ष व जनता की आवाज़ दब चुकी थी, विपक्षी पर्त्तिओ ने अखबार खरीदने से इंकार कर दिया, सभी सम्पादक सर पीट पीट कर कह रहे थे, “सनम तुम तो डूबे ,हमे भी डूबो, दिया, हम तुम्हारे वजह से दिवालिये हो गये हैं

जिदगी के इस दु: स्वप्न से मै हताश हो गया था, सब कार्यकर्ता एक एक कर अपने घर जा रहे थे, तमाशबीनों की भीड़ घटने लगी थी फिर हिम्मत कर, मै , मुख्य चिकित्सा अधिकारी के दफ्तर की ओर चल पड़ा, मै मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शव विच्छेद की रीपोर्ट के बारे मे चर्च्चा करना चाहना था, थोडी देर दफ्तर मे इंतजार करने पर क़ुर्सी और मेंज के खटमल एक साथ बाहर आ गये और मुझसे कहने लगे “मुख्य चिकित्सा अधिकारी शव विच्छेद की रिपोर्ट देकर, साक्षात्कार से बचने के लिये घर भाग गये है, आखिर उन्हें भी अपनी जान बचानी है?”
दफ्तर से वापस अस्पताल के द्वार से बाहर आने के लिये निकला तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी के जूतो के लाल रंग फर्श पर दिख रहे थे , आगे आगे चलने पर ढेर सारे नेता, उप नेता , कार्यकर्ता के, शराबीओ के खून से सने, जूतों के लाल रंग के निशान अस्पताल के बरामदे मे थे , चन्द कदम आगे चलने पर ढेर सारे कार्यकर्ता एक नल पर खून से सने अपने जूते धो रहे थे, बाहर लाल रंग के पानी की धार बह रही थी, मुझे ऐसा अहसास हो रहा था, इस लाल रंग की नदी ने देश की जनता को डूबो दिया है
अस्पताल के निकासी द्वार पर इंडीयन गाँधी अपने गाङी के बाहर खड़ा था, मैने कहा नेताजी आप ड्रायव्हर आया नही है क्या? आप गाङी के बाहर खडे है उसने कहा “ मेरे जूतो मे इन शराबीओ का खून लगा है मै इस खून के निशान अपने गाङी के पायदान पर छोड़ना नही चाहता हू, तुम्हे तो मालूम है, एक मुख्यमत्री को ताज होटल से खून से सने जूते की वजह से अपने पद की बलि देनी पङी”थी”
उस इंडीयन गाँधी ने मुझसे कहा, “देखो इसे राजनीती कहते है ,प्रशासन मीडेया मेरे हाथ मे है , तुम मेरा विरोध मत करो , तुम मेरी पार्टी मे आ जाओ मै तुम्हे ये गाङी ईनाम मे दूँगा,” मैने पूछा फिर आप घर कैसे जाओगे? उसने कहा मै पैदल चला जाऊँगा , मैने कहा पार्टी ….? , मै तो देश का पार्ट (हिस्सा) हूँ, मेरे गाँव मे तो साईकिल चलाने के लिए भी सड़क नही है साईकिल चलाने पर कई बार साईकिल कन्धे पर उठाकर सड़क पार करनी पड़ती हूँ
मैने कहा , “मै तुझे चल कर जाते हुए देखना नही चाहता हूँ, मै चाहता हूँ, जनता राष्ट्रवादी बनकर, तुम्हे सड़को पर दौड़ाते हुए देखूँ “ ,तुम्हे मालूम है राष्ट्रवाद क्या होता है? नेता ने कहा “बन्दूक की गोली तो शरीर से निकाली जा सकती है लेकिन राष्ट्रवाद का शरीर मे घुसा काँटा भी कोई निकाल नहीं सकता है”

Friday 7 March 2014

“भारत निर्माण “ के वायदों की बारात है... चुनावी बिसात में, गरीबों को चुन-चुन कर चुनावों की बरसात में डुबाने की तैय्यारी है... PETROL बना , भ्रष्टाचारियों का PET+ ROLE … DISEL बना DIL से गरीबों को जलाने का खेल..



“भारत निर्माण “ के वायदों की बारात है... चुनावी बिसात में, गरीबों को चुन-चुन कर चुनावों की बरसात में डुबाने की तैय्यारी है... PETROL बना , भ्रष्टाचारियों का PET+ ROLE … DISEL बना DIL से गरीबों को जलाने का खेल..और माफियाओं की इसी आड़ में चल पड़ी रेल.. आज देश इन माफियाओं के इस काले धन के धुएं की रेल से ही..., देश में अंधियारा छाया हुआ है... 
देशवासियों इस चुनावी वायदों की बरसात में देश तो डूब रहा है.. किसानों को कर्ज माफी से भरमाने की सौगात ... से देश के किसानों को मारने की १०० लात का खेल है...याद रहे बुलबुले पानी के अंदर ही सुंदर लगते है... प्रकृति की हवा में आने पर फूट कर गायब हो जाते है...., हर चुनावी बुलबुले सत्ताधारियों के सत्ता के लिए चुलबुले होते हैं... जनता के चूल्हे की आग भी बूझ जाती है....
आओं हम राष्ट्रवाद की ऐसी मसाल जलाए ... देश की रोशनी के साथ जनता के दिलों में भी एक नई रोशनी जागे..

Thursday 6 March 2014



“भारत निर्माण “ के वायदों की बारात है... चुनावी बिसात में, गरीबों को चुन-चुन कर चुनावों की बरसात में डुबाने की तैय्यारी है... PETROL बना , भ्रष्टाचारियों का PET+ ROLE … DISEL बना DIL से गरीबों को जलाने का खेल..और माफियाओं की इसी आड़ में चल पड़ी रेल.. आज देश इन माफियाओं के इस काले धन के धुएं की रेल से ही..., देश में अंधियारा छाया हुआ है... 
देशवासियों इस चुनावी वायदों की बरसात में देश तो डूब रहा है.. किसानों को कर्ज माफी से भरमाने की सौगात ... से देश के किसानों को मारने की १०० लात का खेल है...याद रहे बुलबुले पानी के अंदर ही सुंदर लगते है... प्रकृति की हवा में आने पर फूट कर गायब हो जाते है...., हर चुनावी बुलबुले सत्ताधारियों के सत्ता के लिए चुलबुले होते हैं... जनता के चूल्हे की आग भी बूझ जाती है....
आओं हम राष्ट्रवाद की ऐसी मसाल जलाए ... देश की रोशनी के साथ जनता के दिलों में भी एक नई रोशनी जागे.