Thursday 29 August 2019


जी हाँ .., क्रिकेट के भगवान् की राज्यसभा में अनुपस्थिती से..., पूरी पगार.., क्योंकि हमारा संविधान है दिलदार..., दागी बागी की लोबी से लोभी भी हैं..., इसके दावेदार....
पिछले दरवाजे (राज्य सभा) के नेता , अभिनेता, खिलाड़ी से धन बल के मसीहा भी बने सदाबहार..., रिश्वत से राजनीती के सफर , रिश्ता भी है..., अभी बरकरार...,



महान फक्कड़ समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने कांग्रेस से लोहा लेते कहा था , राज्य सभा देश के संविधान का भार है..., इसे भंग किया जाय..,

पहले दिन..., अपनी अनुपस्थिती के इस विवाद पर सचिन तेंदुलकर,खामोश..., दूसरे दिन बड़े भाई के ऑपरेशन का बहाना..., तीसरे दिन बेबाक कहना..., “ मैं विज्ञापनों व अन्य अनुबंधों की वजह से राज्यसभा नहीं आ सका”..., लेकिन भविष्य में कब आऊँगा इस बारे में कुछ नहीं कहा ...
हाल ही मैं सचिन तेंदुलकर का , दिल्ली के विज्ञान भवन में आगमन .., लेकिन राज्यसभा से हुआ उनका मोह भंग...

आज से २० साल पहिले एक सीनीयर भारोत्तोलन की महिला खिलाड़ी ने कहा था, क्रिकेट की वजह से सचिन को जल्द ही अर्जुन पुरूस्कार मिला , मैं, तो वर्षों से देशी- विदेशी गोल्ड मेडल लेते आई हूं ..., मुझे तो पुरुस्कार के लिए, खेल मंत्रालय में मंत्रणा चल रही है..., दूसरे खेलों के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय पुरूस्कार देना, मतलब खिलाड़ी पर परोपकार करना...

याद रहे क्रिकेट के कप्तान महेंद्र सिंग धोनी , अपने शुरूवाती खेल जीवन में.., जो फ़ुटबाल में अपना जीवन सवारने के लिए ,५० रूपये कमाने के लिए कई किलोमीटर की पैदल यात्रा करते थे..,

८ साल पहिले भारत सरकार ने क्रिकेट में महेंद्र सिंग धोनी व हरभजन सिंग को पद्मश्री से सम्मानित किया तो ,वे विज्ञापन एजेंसी में, शूटिंग से, धन की लालसा से , राष्ट्रपति भवन में पुरुस्कार समारोह में नहीं गए .., बाद में झारखण्ड सरकार ने इनके इस कृत्य का बचाव कर, राजभवन में बुलाकर पुरूस्कार दिया 

आज देश में क्रिकेट ने अन्य खेलों के वजूद को खा लिया है... अन्य खेलों के देश में हजारों खेल रत्न जो अन्तराष्ट्रीय मंचों पर गोल्ड मैडल जीत चुके हैं..., आज वे दुर्गती भरा जीवन जी रहें/रहीं हैं.., कोई मंनरेगा में मजदूरी, कोइ सब्जी बेचकर...,कोई भूखमरी से ..., और देश की प्रतिभा ख़त्म हो रही है...,

राख के तले चिंगारी (गरीबों की प्रतिभा) को तो सरकार ने , राख पर भ्रष्टाचार का पानी डालकर .., बुझा दिया है...
दूसरी बड़ी खबर..., बॉडी बिल्डर खामकर, सरकारी बाबूओं की चमक बड़ा-कर , भ्रष्टाचार के मलखंभ से अब दसवी बार , दस नम्बरी के दंश से भ्रष्टाचार के मिस्टर इंडिया के खिताब से नवाजा जा चुका है...,

तीसरी खबर, सरकारी श्री की पद्मता से सैफ अली भी दबंगी दिखाकर , मल खंभ के खेल से, संविधान से सुशोभित है..
याद रहे.., सैफ अली के पिता , क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी ,दुर्लभ जाती के हिरन ह्त्या के आरोप में, अग्रिम जमानत से क़ानून को अमानत बनाकर अल्लाह को प्यारे हो गये .., वे ही नहीं इस तरह के लाखों अमीर सफेद्पोसों ने क़ानून को प्यास बनाकर अपनी सेहत बढ़ाई है...,

क्या अल्लाह को प्यारे इस तरह के लोगों को.., अल्लाह भी प्यार देगा...???, यह सवाल हमारे देश के संविधान के क़ानून की अनबूझ पहेली है...!!!!!!!,

((((वोट बैंक के भगवानों ने सत्तापरिवर्तन (१९४७) को आजाद भारत कहकर, क्रिकेट के दीवानों को वोट बैंक से भरमाने के लिए क्रिकेट के बिकाऊ/दुकानदार को भारत रत्न का सम्मान से सत्कार व मेजर ध्यानचंद को दुत्कार, व गुलाम भारत के खेल के भगवान, ध्यानचंद,जिन्होंने विश्व को नक़्शे में भारत का ध्यान दिलाकर.., हिटलर ने भी जर्मन के फील्ड मार्शल की बोली लगाई.., राष्ट्रवाद को कोई खरीद नहीं सकता है.., यह सिद्ध करने वाले ध्यानचंद.., के पुतले की धूल साफ़ करने का कांग्रेसीयों को ध्यान तक नहीं आया.. ध्यानचंद आज तक बेखबर व सचिन को तो लोकतंत्र के मंदिर का भगवान् बना दिया ))))


जरूर पढ़े, कैसे... राष्ट्र का खेल दिवस या खिल्ली दिवस
ध्यानचंद का जन्म दिवस...!!!,
दुनिया जिसकी कायल वह देश में सम्मान के नहीं क़ाबिल सत्ता के लुटेरों ने भारत रत्न ध्यान चंद से चुराकर सचिन तेंदुलकर को दे दिया 



वोट बैंक के जादूगरों ने (ध्यान)से
हॉकी के जादूगर का भारत रत्नका पुरूस्कार ,(चंद ) दिनों में देश के भ्रष्टाचारीयों ने जादू से चुराकर सचिन तेंन्दुड़कर को दे दिया...

सचिन एक सेल्समैन , ध्यानचंद एक ईमानदार के साथ... ईनामदार राष्ट्रवादी खिलाड़ी. हिटलर ने भी उन्हें अपने से हिट मानकर, अपने दर्श की टीम से खेलने पर जर्मनी सेना में फील्ड मार्शल के ओहदे को ध्यानचंद ने ठुकरा दिया , आज सोने की चैन सचिन को .भष्टाचार के खाल मंत्रालय ने को भारत रत्न और ध्यानचंद की प्रतिभा को प्रतिमा बना... बनी बदरंग के साथ राष्ट्रीय खेल पर कलंक .....

क्रिकेट (भ्रष्टाचार) को राष्ट्रीय धर्म व सचिन को उसका भगवान् कहकर, देश के २५ लाख करोड़ से कही ज्यादा के काले धन को फिक्स कर , सफ़ेद धन में परिवर्तित कर , विदेशों में चला गया है... यह, खेल अब राष्ट्रवाद नहीं... भ्रष्टवाद की आड़ में खेल कर .....दर्शको के समय व पैसे की लूट का खेल खेला जा रहा ...

याद रहे आज किसी भी विज्ञापन के लिए ... जो उत्पादक कंपनिया खिलाडियों को १ करोड़ रूपये देती है तो वह जनता से १०० करोड़ रूपये लूटती है....,और विज्ञापनों से सचिन व अन्य खिलाडियों ने देश व दुनिया की जनता को भारी चूना लगाया है.... याद रहे सचिन से बड़े भारत रत्न के दावेदार”, शतरंज के महा....महारथी विश्वनाथ आनंद है, वे विज्ञापनों में लगभग नहीं के बराबर आते है...वे भारत सरकार के रवैये, से उदासीन है... और तो और मीडिया की करतूत... जो १०० नम्बर के ऊपर की रैंकिग की सानिया मिर्जा को जो तवज्जुब देती है वह विश्व के १ नम्बर के महारथी विश्वनाथ आनंद को नहीं ...याद रहे प्रथम बार वाईल्ड कार्ड के जरिये जब विम्वेल्डन के महिला सिंगल में सानिया मिर्जा को प्रवेश मिला तो... उसकी प्रतिद्वंदी सेरेना विलियम्स ने कहा , मैंने उसका आज तक नाम नहीं सुना है, और सानिया मिर्जा को पहले राउंड में बाहर/चलता कर दिया....
..
सचिन के अलविदा टेस्ट में ९०% टिकट बड़ी हस्तियों को दे दिया गया, जो बाद में ३ हजार रूपये के टिकट २० हजार रूपये से ज्यादा कीमतों में कालाबाजार में बिक रहे थे... सचिन के शतक पर ५ हजार करोड़ का सटटा हुआ था , शतक न जमाने पर क्रिकेट के पंडित कह रहे थे, भारत को पारी घोषित करनी चाहिए थी ताकि उन्हें दुबारा शतक बनाने का मौक़ा मिलता ...क्या यह टेस्ट मैच देश के लिए खेला जा रहा था, या सचिन को माफियाओं की अपने सोने की चैन बनाने के लिए.....
आज तक किसी भी भारत रत्न से अलंकृत हस्तियों ने राष्ट्रीय संदेशोके अलावा किसी नीजी कम्पनी के विज्ञापनों से धन नहीं कमाया है ...
याद रहे... १९८३ के विश्वकप के विजेता खिलाड़ियों के ईनाम के लिए बी.सी.सी.आई. के पास पैसे नहीं थे ...तब लता मंगेशकर ने एक प्रोग्राम कर, उससे अर्जीत आय से प्रत्येक खिलाड़ी को २ लाख रूपये ईनाम के तौर पर दिये, तब तक क्रिकेट में राष्ट्रवाद की भावना थी, आज भी जनता में उस खेल की एक-एक क्षण याद है जब ....??????, खेल मंत्रालय ने तो मेजर ध्यानचंद के नाम पर मुहर लगाई थी ,
लेकिन ऐसी क्या ख़ास घोषणा हुई, जैसे...अजमल कसाब की फांसी की खबर प्रधानमंत्री तक को भी नहीं दी गयी थी....???, खेल मंत्रालय ने भ्रष्टाचार के खाल का मंत्रालय से देश को चौका दिया....?????, जो ध्यानचंद को मिलनेवाला भारत रत्नका सम्मान मास्टर ब्लास्टर को दे दिया गया ...... सचिन को खेलते देखने राहुल गाँधी मैदान मे उपस्थित थे. व मुम्बई से दिल्ली वापिस जाकर अपनी माँ , सोनिया से बात की... क्या आप जानते है कि सचिन को भारत रत्नसे नवाजे जाने की घोषणा एक दिन के भीतर आनन फानन में राहुल गांधी के पहल पर कर दी गई
एक तो सचिन को सांसद के पिछले दरवाजे से (राज्यसभा) कांग्रेस का सांसद बनाकर , व चुनावी प्रचार में हांमी भरने से , सचिन के प्रशंसको का हालिया चुनावी वोट हथियाने का अस्त्र बनाया...
एक बेबाक धावक मिल्खा सिंग को भी सचिन को भारत रत्न मिलाने पर खेल मंत्रालय व सरकार को लताडा था .
आईये जाने ध्यान चंद को.....
१९७९ में ,अपनी म्रूत्यु के दो महीने पहले ध्यानचंद ने कहा था ...मेरी मौत की खबर से , दुनिया के लोगों में रोना होगा , लेकिन भारत के लोग मेरे लिए एक आंसू भी नहीं बहायेगा...

Friday 23 August 2019




१.    चेतो मोदी सरकार फ़्रांस की प्यासी धरती को  दो..,  वीर सावरकर के चमत्कार से सत्कार.., बंद करो गांधी के नाम की “मक्खनबाजी” से देश के तुकडे कर सत्ता परिवर्तन को आजादी कहने वालों की छुपी कहानी की बखानी..,  


२.     8 जुलाई 2010, को वीर सावरकरजी मार्सेल्स द्वीप की ऐतिहासिक छलांग के पसीने से, 100 वर्षों पूरे होने के उपलक्ष्य में फ़्रांस सरकार, अपने खर्च पर, अपनी भूमि पर मूर्ती का निर्माण कर , सरकारी समारोह से वीर सावरकरजी को अन्तराष्ट्रीय रूप से गौरान्वीत कर, विश्व की युवा पीढी को राष्ट्रवाद से यौवान्वित का सन्देश देना चाहती थी .., लेकिन कांग्रेस के लूटेरों ने फ़्रांस सरकार के इस प्रकल्प पर पानी फेर दिया,




३.   मोदीजी, अप्रैल २०१५ में आप फ़्रांस में थे ..,वीर सावरकर के बारे में मौन थे अब भी राफेल सौदे के बावजूद २३ अगस्त २०१९ के मौन से क्या अभिव्यक्ति जताना चाहते हो..  अभी भी एक अहम् वक्त है फ्रांस के G-७ देशों के सम्मेलन में  लगाओ दहाड़, बने.., मार्सेल्स द्वीप में बने वीर सावरकरजी का स्मारकऔर ८ जुलाई २०२० को वीर सावरकरजी की ११०  वी पूण्य स्मृती को इसे कार्यान्वित .कर उनका माल्यार्पण का मार्ग प्रशस्त कर विश्व को इस किर्ती का अभिमान हो ..


४ .  8 जुलाई 2010.., देश के इतिहास का सबसे बड़ा काला दिन, जागो मोदी सरकार, फ़्रांस ने तो श्यामजी वर्मा की अस्थियाँ ७० साल तक सजोई थी, लेकिन सावरकर के पराक्रम की याद व आस्था आज १०९ सालों बाद भी सजोई रखी है.

५.  आप तो श्यामजी वर्मा की अस्थियों का विसर्जन से गुजरात में इनका स्मारक बनाकर गौरान्वित हो...


६ .  वीर सावरकर व होमी जहांगीर भाभा राष्ट्रवाद के एक   सिक्के के दो पहलू थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने २३ अगस्त को फ्रांस में अपने वक्तव्य से ठीक पहले एक स्मारक का उद्धाटन किया. ये वो स्मारक है जो

 १९६६ में भारत के परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की माँ ब्लां पर्वत में हवाई दुर्घटना में मौत हो गई थी लेकिन मोदीजी ,,,!!!! आप, वीर सावरकर की मार्सेल्स द्वीप में विश्व की सबसे बड़ी छलांग अंगरेजों के बन्दूक की गोली की बौछार के बावजूद अपने दिल-बल की किर्ती को छुपाने के छल का खेल मत खेलो

Sunday 18 August 2019

१८ अगस्त १९४५, सुभाष चंद्र बोस की ७४ वीं पुण्य तिथी को  “अपहरण दिवस” या “गुमनाम दिवस” या इस  क्रांति के मसीहा को एक मृत्यु के नाम से  बलि का बकरा बना कर हिन्दुस्तान के इतिहास को झुठलाया गया है  



कब उठेगा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के  रहस्य से पर्दा?
काश नरेन्द्र मोदी कम से कम ७ रेस कोर्स का नाम .., जो प्रधानमंत्री पद के घोड़े का व्यापार (HORSE TRADING ) से ही विख्यात है....
यदि इस मार्ग का नाम वीर सावरकर / सरदार भगत सिंग / सुभाष चन्द्र बोस के नाम से रखा जाता तो देश में इंकलाब आ जाता ..., नई पीढी को देश की आजादी के नीव रखने वाले वीर सावरकर जैसे फ़कीर से प्रेरणा मिलती.., जिनके भगुर को अंग्रेजों द्वारा जब्त घर को वीर सावरकर के जीते जी भी नेहरू ने नहीं दिया .




इस सन्दर्भ जब उनसे पूछा गया कि आप अपने जब्त घर के लिए सरकार से क्यों नहीं लड़ते हो.., तो वीर सावरकर ने जवाब दिया की भले ही हमें खंडित भारत मिला है .., ऊंची हिमालय की चोटिया.., विशाल खंडित, भारतमाता के शरीर को खंडित का तांडव से.., उसके सामने मेरा छोटा घर की मांग करना तुच्छ है....





याद रहें सुभाष चन्द्र बोस जी की प्रतिभा का आंकलन वीर सावरकर ने पहिले ही कर लिया था जब बंगाल में सुभाष चन्द्र बोस जी ने ब्रिटिश सरकार के पुतलों को तोड़ने की सार्वजनिक घोषणा की तो इस कार्य को रोकने की हिदायत दी कि इस कार्य से सबूत के साथ, आप जिन्दगी भर जेल में कैद रहोगे.... ब्रिटिशों के पुतले तोड़ने का कार्य शुरू मत करों...







१. देश के इस अमीर घराने के तेजस्वी युवक को राष्ट्र के प्रती जूनून को वीर सावरकर ने यह कहकर राष्ट्रीय राजनीती में आने के लिए प्ररित प्रेरित किया , वे नहीं चाहते थे कि सुभाष चन्द्र बोस बंगाल तक ही सिमटे रहें... नेताजी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई। तत्पश्चात् उनकी शिक्षा कलकत्ता के प्रेज़िडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई, और बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा (इण्डियन सिविल सर्विस) की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने बोस को इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया। अँग्रेज़ी शासन काल में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था किंतु उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया। 

२. वीर सावरकर की पुस्तक १८५७ एक स्वतंत्रता संग्रामपढ़ कर ऐसे भी सुभाष चन्द्र बोस की रगों में खून बढ़ गया था..

३. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तो वीर सावरकर को अपना गुरू मानते थे , वे पूना में उनके घर जाकर भावी योजनाओं के बारे में चर्चा करते थे.

४. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को सावरकर ने हिटलर से मिलकर, देश को आजाद कराने में सहयोग की वार्ता करने को कहा 

५. हिटलर के सन्देश से कि हिन्दुस्तान को आजाद कराना मेरे बांये हाथ का खेल है,” बशर्ते हिन्दुस्तान पर जर्मनी का अधिकार रहेगा, हिटलर के इस सन्देश को सावरकर के कहने पर सुभाष चन्द्र बोस ने नकार दिया 

६. अपने पढाई के दौरान एक बार कॉलेज के प्रिंसिपल ने उन्हें, BLOODY INDIAN कहा तो उनके दिल में ब्रिटिश सरकार को उखाड़ फेंकने का जूनून पैदा हो गया.

७. रंगून (बर्मा) मैं , लाखों की संख्या में नए रंगरूट, आजाद हिन्द फ़ौज में भर्ती के लिए आये थे.., तब उन्होंने एक स्वर में कहा, जो मेरी सेना में देश के लिए मरना चाहता है, उनके लिए मेरी सेना के दरवाजे खुलें हैं, और जिसे मंजूर हैं हाथ ऊपर करें, तब सभी हिन्दू ,मुस्लिम व अन्य धर्मों के रंगरूटों ने हाथ उठाते हुए , सेना में शामिल हुए 

८. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा, मुझे इतना खून चाहिए कि ब्रिटिश सरकार को मैं  डूबोकर मार दूं..

९. राष्ट्रीय राजनीती में आने से पाहिले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को हिन्दी नहीं आती थी, तब उन्के शिक्षक जगदीश नारायण तिवारी ने धाराप्रवाह हिन्दी सिखाकर, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जनसभाओं में हिन्दी मैं ही संबोधन कर एक नया जोश भर दिया था

१०. और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, कहते थे, हिन्दी ही एक भाषा है, जो देश के विभिन्न राज्यों को अपनी भाषा की इर्ष्या को तोड़कर एक कड़ी में पिरो सकती है,

११. अब कुछ पढ़े.., भाजपा का U TURN...., राजनाथ सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान दावा किया था कि अगर नेता जी की मौत से जुड़े कागजातों को सार्वजनिक किया जाता है तो यह ज्यादा अच्छा होगा। लेकिन ऐसा लगता है कि पीएमओ राजनाथ की इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता। पीएमओ ने आरटीआई के सेक्शन 8 (2) का हवाला दिया है। सेक्शन 8(2) के मुताबिक कोई भी जानकारी जो ऑफिशल सीक्रिट ऐक्ट,1923 के तहत आती है, उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। हालांकि अथॉरिटी को यह हक है कि वह इन डॉक्युमेंट्स को सार्वजनिक कर सकती है, अगर उसे लगता है कि इससे लोगों के हितों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।

१२. बीजेपी ने एक बार फिर यू-टर्न लिया। जब बीजेपी सत्ता में नहीं थी तब सुभाष चंद्र बोस की मौत की गुत्थी सरकार से सार्वजनिक करने की मांग करती थी। अब बीजेपी सत्ता में आई तो इससे मुकर गई। नेताजी के रहस्यात्मक तरीके से गायब होने की करीब 39 क्लासिफाइड फाइल बीजेपी ने सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है। इससे पहले जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तब बीजेपी के सीनियर नेता इन फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग करते थे।

जनवरी में लोकसभा चुनावी कैंपेन के दौरान राजनाथ सिंह ने नेताजी के जन्मस्थान कटक में उनके 117वीं जयंती के मौके पर यूपीए सरकार से इनकी मौत से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि देश के नागरिकों को अपने स्वतंत्रता सेनानी की मौत के बारे में जानने का हक है। जब राजनाथ सिंह “केंद्रीय गृह मंत्री” थे । सिंह ने दावा किया था कि दस्तावेजों के सार्वजनिक करने में व्यापक जनहित जुड़ा है। लेकिन मोदी सरकार का पीएमओ इससे सहमत नहीं दिखाई देता जो कि उसके जवाब से झलकता है।

प्रधानमंत्री ऑफिस ने इस मसले पर दाखिल आरटीआई के जवाब में कहा है कि नेताजी की मौत से जुड़ी 41 फाइलें हैं, जिनमें से दो अनक्लासिफाइड फाइलें हैं। जवाब में मोदी सरकार ने कहा कि हम इन फाइलों को सार्वजनिक नहीं कर सकते। सरकार ने कहा कि हम इस मसले पर पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की पोजिशन जारी रखेंगे। पीएमओ ने कहा, 'इन फाइलों को सार्वजनिक करने से विदेशी संबंधो पर असर पड़ेगा। इन फाइलों को हमें आरटीआई सेक्शन 8(1)(ए) और सेक्शन 8(2) के तहत सार्वजनिक करने से छूट मिलती है।

इस वेबस्थल का मुख्य उद्धेश्य है...,
यह वेबस्थल जो दिखता है वह लिखता है.., जागो इंडियाके अफीमी नारों से देश बेचनेवालों से निदान करने का एक और एक ही संकल्प से कहना चाहता है ...
Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold..... (आओं, पार्टी नहीं देश का पार्ट बने, “मैं देश के लिए बना हूँ””, देश की माटी बिकने नहीं दूंगा , “राष्ट्रवाद की खादसे भारतमाता के वैभव से, हम देश को गौरव से भव्यशाली बनाएं}

Thursday 15 August 2019





मोदी है तो विश्व हमारे साथ है वरना मुन्ना मोहन के १० साल के कार्यकाल तक देश बर्बादी के कगार पर था कश्मीर एक दिल्ली के पुतले के साथ सांठ गाँठ से  अलगाववादी कठपुतलियों के साथ देश के जवानों के सर काटकर परोसे जा रहें थे .


मोदी सरकार ने धारा 370 और 35(A) को निरस्त से लाल बहादुर शास्त्री / श्यामाप्रसाद मुख़र्जी के स्वप्न को साकार कर उनके बलिदान को निखार दिया है जय जवान जय किसान के साथ देश का स्वाभिमान से देशवासी जागृत हो गया है.चलो राष्ट्रवाद की ओर की गूँज से ही देश बनेगा महान
वन्देमातरम की दहाड़ से ही , हमारा देश सुजलाम सुफलाम से विश्व के सर्वोत्तम से श्रेष्ठतम बनेगा 


देश के इतिहास में लाल किले का एक शेर , विरोधियों का सूपड़ा साफ़ करने बाद...,छठवी बार बिना पट्टे (जंजीर) की विदेशी इशारों की लगाम तोड़ कर दहाड़ा .., और विश्व के देश..., अभी मोदी द्वारा, भविष्य में अपने पिछड़ने का पहाड़ा समझकर अभी से चिंतित हो गए हैं ..., ७३  सालों की तुष्टीकरण की नीती से देश के सुस्तीकरण से देश के बूढ़ेपन को विदेशी बैसाखी देने वालों को चेताया.., अभी भी हममें राष्ट्रवाद का खून मौजूद है..., और हमारे में इतनी शक्ती है कि वोट बैंक की आड़ से , देश में हुआ अन्धकार, अब हमारे देशवासी, विश्वगुरू की ऊर्जा से,एक नया उजाला देकर, वन्देमातरम की दहाड़ से, हमारा देश सुजलाम सुफलाम से ही विश्व में सर्वोत्तम से श्रेष्ठतम बनेगा


Friday 9 August 2019





वीर सावरकर ने ९ अगस्त १९४२ के आन्दोलन को.., कांग्रेस की चाटुकारिता को देख कर भविष्यवाणी कर दी थी..., यह भारत छोडोआन्दोलन नहीं भारत तोड़ोके खेल का आन्दोलन है.
अखंड भारत के इतिहास का घातक व काला दिवस, की ७७वी बरसी

आज मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर को देश को मिलाने के लिए ७३ सालों का इन्तजार करना पड़ा                

मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर को देश में विलय / मिलाने के लिए ७३ सालों का इन्तजार करना पड़ा

१ जय-जय वीर सावरकर.., पढ़े इतिहास के कब्र में दफ़न , अनकही सच्चाई... जिन्होंने अंग्रेजों के काटों को काटने के बाद,  ४० से अधिक कांटो की उगने  के बारे में भविष्यवाणी की थी

२. आज इसी काँटों की वजह से शेर दिल देशवासी खून से लहूलुहान है..., राष्ट्रवाद के प्रति उसका खून सूख गया ..., इसी वजह से सत्ता-नौकरशाही-माफिया-मीडिया-कॉर्पोरेट इस देश की सुखी धरती में कारपेट के सुखी जीवन से  गरीबों का निवाला छीनकर अपना पेट भर रहें हैं..

,  वीर सावरकर ने १९४२ के आन्दोलन को.., कांग्रेस की चाटुकारिता को देख कर भविष्यवाणी कर दी थी..., यह भारत छोडोआन्दोलन नहीं भारत तोड़ोके खेल का आन्दोलन है..

४  देश के विभाजन से पहले मुस्लिम लीग की नापाक योजनाओं के खिलाफ हिन्दुस्तान के मुसलबानों को जमीनी स्तर पर एक रूप से एक जुट करने वाले अल्लाह बख्श  अज्ञात व्यक्ती नहीं थे..

५.  वे १९४२ के भारत छोड़ों आन्दोलन के दौरान इत्तेहाद पार्टी (एकता पार्टी) के नेता के रूप में वहां के प्रधानमंत्री बनें , इस पार्टी ने सिंध में मुस्लिम लीग को पैर जमाने नहीं दिया


६.  अल्लाह बख्श  और उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ नहीं थी लेकिन जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने ब्रिटिश संसद में अपने भाषण में भारत छोड़ोंआन्दोलन पर अपमान जनक टिप्पणी की तो अल्लाह बख्श   ने विरोध ब्रिटिश सरकार की सभी उपाधियां लौटा दी.

७.  ब्रिटिश शासन उनके विरोध को पचा नहीं पाया और गवर्नर सर ह्युग डाव ने १० अक्टूबर १९४२ में उन्हें बर्खास्त कर दिया..., अखंड हिंदुस्तान की आजादी के लिए एक मुसलबान  का यह महान त्याग इतिहास के  अंधेरे में दबा दिया



८. मुस्लिम लीग को इस महान योद्धा को ख़त्म करना जरूरी हो गया था क्योंकि वे पकिस्तान के विरोध में भारत भर में आम मुसलमानों को वे एकजुट करने में सफल हो रहे थे.

९. इसके अलावा एक  धर्म निरपेक्षता वादी नेता और पकिस्तान के निर्माण के विरोधी के रूप में सिंध में बेहद लोकप्रिय थे और पकिस्तान के गठन में बड़ा रोड़ा थे क्योंकि सिंध के बिना पश्चिमी क्षेत्र में इस्लामी राष्ट्र का गठन हो ही  नहीं सकता था.

१०.  १४ मई १९४३ में अल्लाह बख्श की ह्त्या, मुस्लिम लीग के भाड़े के हत्यारों द्वारा कर दी गई..

११.  यह सर्व विदित तथ्य है कि १९४२ में अल्लाह बख्श  सरकार की बर्खास्ती और १९४३ में उनकी ह्त्या ने मुस्लिम लीग के प्रवेश का रास्ता साफ़ कर दिया था की राजनैतिक व शारीरिक ह्त्या और उनकी सांप्रदायिक विरोधी राजनीती को चोट पहुँचाने में ब्रिटिश शासकों और मुस्लिम लीग की सैंड   सांठ गांठ से हिन्दुस्थान को खंडित करने का रास्ता साफ़ से सफल हो गया


१२ .  वीर सावरकर ने अल्लाह बख्श  की बर्खास्ती से .., इस राष्ट्रवादी के जज्बे की भूरी-भूरी प्रशंसा की   व उनकी ह्त्या का विरोध कर एक सच्चा हिन्दुस्थानीका बलिदान , कह सम्मान दिया.., जबकि कांग्रेस के नेहरू व गांधी मुंह में पट्टी बांधकर.., अहिंसा का जाप जपते रहे...