Tuesday 27 May 2014



 मै अकेला क्या कर सकता हूँ ..???, एक राष्ट्रवादी नरेन्द्र मोदी की मिशाल.., जिन्होंने अपने बाहुबल से राष्ट्रवाद की मशाल जगा कर, देश के जातिवाद, भाषावाद, अलगाववादियों व घुसपैठीयों के वोट बैंक को भष्म कर दिया है..., 
अब भ्रष्टाचार के ताले को तोड़कर, देश व विदेश के काले धन को निकालने का संकल्प लिया है....,

देश के १२५ करोड़ देशवासी..., जो हताशा से बेबस हो गए थे..., यह भावना भर गयी कि मैं अकेला क्या कर सकता हूं .., हर मोड़ पर भ्रष्टाचार के अलीबाबा के चालीस चोर बैठें है..., प्रतिरोध करने पर बलि का बकरा बन जाऊंगा ...,
आज नरेन्द्र मोदी ने जनता को इस भ्रम से उभार दिया है...
देशी-विदेशी माफिया, आतंकवादी व विदेशी देश जो हमारी प्रगती नहीं देख सकते थे, वे भी आज दांतों तले ऊंगली दबा रहे है..., कैसे एक राष्ट्रवादी की दहाड़ से अब जनता में भी एक नई शक्ति का संचार हो रहा है..,
हर राष्ट्रवादी की हाथ व पांवों की ताकत नरेन्द्र मोदी जैसी ही है..., यदि हम १२५ करोड़ देशवासीयों में ऐसा ही जज्बा हो , तो हम अखंड भारत के प्रकाश से भारतमाता के वैभव को देश को सुजलाम सुफलाम से गर्वित कर , हमें विश्व गुरू होने में भी देर नहीं लगेगी
मेरी फेस बुक की पुरानी पोस्ट Deshdoooba CommunityLiked • September 13, 2013
आज देश के प्रति लोगो की इतनी मुर्दागिनी छा गयी है.... देश तो छोड़ो.... पड़ोस से घर के भाई-भाई तक मे भी, एकता नहीं है...???? जो आज एक व्याख्या बन गई है। यदि पड़ोस के घर मे आग लगे तो, पानी फेकने के बजाय अपने घर के बैगन भून के लाओ। यही मानसिकता ही हमे गुलामी की ओर धकेल रही है। जागो गांठ बांध लों.... सबके गठन से ही संघठन बनता है। यदि हम देश के प्रति जागरूक नही होंगे.... तो जैसा आप देख रहे है.... रोज-रोज एक नये भ्रष्टाचारी घटना का उदघाटन होता है, जनता को पता ही नही चलता है, भ्रष्टाचारीयो द्वारा पैसा डकारने के बाद जब भांडा फूटता है , तो वह भांडा खाली मिलता है ... पैसा, विदेशों व काले धन के रूप मे परिवर्तित हो जाता है, जनता हाथ मलते, देखते रहती है...आपस मे बुदबुदाते कहती है...?????, इस सरकार ने हमे महंगाई , भ्रष्टाचार से जीते जी मरहूम बना दिया है ... बुदबुदाते के बजाय, देश के लिये ... खोलते हुए पानी के बुलबुले बने... तो ही हम एकता के साथ आगे बढ़ेंगे....

देशवासियों, यदि हजार... लाख... करोड़ के घोटालेवाले माफ़ियाओं के वोट की गणना एक है..., वही संविधान मे भूखमरी, हत्या आत्महत्या से मरनेवाले जवान, किसान व आम आदमी का वोट भी एक ही है। इसके बावजूद भी आप सोचते है की मैं कुछ नहीं कर सकता....,मेरे अकेले से क्या होगा....??,
यदि आप सोचते है मेरे से कुछ नही होगा... यदि आप अब भी सही है, तो.....??????, यदि आप सोचते है की भगत सिंह मेरे पड़ोस मे पैदा हो.... तो, मुहल्ले से देश तक हजारॉ , लाखों गद्दार भ्रष्टाचारी ही पैदा होंगे। यदि आप...????, अन्याय के प्रतिरोध मे अपने को बली का बकरा की सोच रखते हुए अपने को बचाने का प्रयास करते है तो... आप संविधान के गुनाहगार होंगे.... व भ्रष्टाचारी तो इसे अपना उपहार समझकर, अभी से ही संविधान को दबोच कर...आगे-आगे ह आपको/हमें अलगाववाद जातिवाद धर्मवाद के गुलामी की जंजीरों से बांधकर घुसपैठीयों के वोटबैंक की आड़ से दुबारा जुगाड़ कर एक भयंकर घुटन वाली गुलामी की तैयार कर रहे है। वे तो अभी से, अपने को संविधान का रखवाला कह रहे है और देश को कर्ज से इतना भयंकर डुबाने की तैयारी मे है कि... पुनः हम अपनों के सहारे भी खड़े न हो सके....???, यदि , आप सोचते है....?????, मै तो एक घास हूँ ... कोई बात नही, एकता बल से .... हम हम सब मिलकर... घास से एक रस्सी बने और रस्सी बल से देश के भ्रष्टाचारी मुस्टंडो को जकड़े-

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