Monday, 31 December 2012



बापू के तीन बंदर, अब बन गये है मस्त कलन्दर –मेरा देश डूबा.कांम से 
बोलू: गांधी ने अंगेजों के चाटुकारिता की वजह से ही , (भाग-४ कुल २० भागों मे) , भारतीय नौसेना के विद्रोह के प्रति कांग्रेस नेताओ का विश्वासघात था जब , १८ फ़रवरी १९४६ को लगभग २०,००० भारतीय नौसेनिको ने बम्बई में अंग्रेज सरकार के विरुद्ध विद्रोह का झंडा खड़ा कर दिया. गांधी को इस विद्रोह में ‘हिंसा’ की बू आई .फलत: वे नौ-सैनिको के समर्थन में एक शब्द भी नहीं बोले. भारतीय नौसेना के क्रोधित जवानो ने गांधी के अहिंसा-सन्देश को मातृभूमि के प्रति छलावा और विश्वासघात माना. यदि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और पंडित नेहरु, नौसेना के इस विद्रोह को समर्थन देते, तो देश का विभाजन होने की नौबत न आती.
सुनू: गांधी ने अपने प्रार्थना सभा में विभाजन का अनुमोदन किया, ४ जून १९४७ को, जब गांधीजी ने पहली बार प्रार्थना सभा में विभाजन का अनुमोदन किया, तो किसी ने उनके शब्दों की याद दिलाई: “भारत का विभाजन करने से पहले,मेरे टुकड़े कर डालो!”
गांधीजी ने उत्तर दिया: “जब मैंने यह शब्द बोले थे तो जनता मेरे साथ थी. आज जब जनता मेरा विरोध कर रही है,तो मैं क्या करू?”, असत्य पर आधारित गांधीजी के इस स्पष्टीकरण को सुनकर प्रार्थना में उपस्थित सभी लोग स्तब्ध रह गए.
देखू: गांधीजी ने ‘विभाजन’ स्वीकृत कराने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के विवेक पर पानी फिर दिया था , जब १४-१५ जून १९४७ को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के अधिवेशन में विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकार होने वाला था .इस निर्णायक क्षण पर, सत्य-साधक गांधीजी जिन्होंने प्रण किया था की देश का विभाजन उनकी लाश पर ही होगा, हस्तक्षेप करने के लिए आ धमके. उन्होंने बड़ी चतुराई से संवेदंशील कांग्रेस सदस्यों के आत्म-विवेक को धो डाला और विभाजन-प्रस्ताव का समर्थन परिपुष्ट किया. उन्होंने तर्क दिया कि क्योकि उनकी प्रतिनिधि कांग्रेस कार्यकारिणी उसे पहले ही पारित कर चुकी है, उनका कर्त्तव्य हो जाता है की वे कार्यकारिणी के समर्थन में डट कर खड़े हो, अन्यथा दुनिया सोचेगी की उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष और कार्यकारिणी में विश्वास नहीं है.
बोलू: गांधी तो, सम्पूर्ण भारत को पाकिस्तान बनाने की संस्तुति के हिमायती थे. गांधी एक पग आगे और बढे और कहा की यदि लोक-हित करने में पाकिस्तान आगे रहता है, तो सारे भारत को ही पाकिस्तान बना दिया जाय और वे अपनी भूल स्वीकार करने और प्रत्येक व्यक्ति से पाकिस्तान स्वीकार करने की संस्तुति में सबसे आगे रहेंगे.
सुनू: गांधी की तुष्टीकरण की नीति , गंदी राजनीति में परिवर्तित हो गई , जब उन्होंने कहा कि हिंदुस्थान नहीं ,इंडिया कहो , स्वेच्छाचारी तानाशाह के समान गांधीजी ने घोषणा की कि मुस्लिम-बहुल क्षेत्र स्वयं को ‘पाकिस्तान’ पुकार सकते है, परन्तु शेष भारत का विशाल भाग स्वयं को हिन्दुस्तान न पुकारे, क्योकि उसका अर्थ ‘हिन्दुओ’ का ‘देश’ होता है.
देखू: जिन्ना ने दो युक्तिसंगत सुझाव गांधीजी को दिए थे जो उनके द्वारा द्वारा अस्वीकार का दिया गया, गांधीने जिन्ना के दो युक्तिसनागत सुझाव स्वीकार नहीं किए उसमे पहला था कि वे खिलाफत आन्दोलन का समर्थन न करे. और दूसरा ...विभाजन के समय हिन्दू-मुस्लिम जनता की अदला-बदली होनी चीहिए. बाबा साहेब आंबेडकर ने तो इसका पुरजोर समर्थन किया था, यदि गांधी और नेहरु इस सुझाव को मानकर क्रियान्वयन करते, तो विभाजन-परवर्ती नरसंहार को रोका जा सकता था और विभाजन के बाद भी खंडित-भारत में हमे निरंतर हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक दंगों का सामना न करना पड़ता.
सुनूँ: गांधीजी ने मंत्रिमंडल के निर्णय को बदलवाया, पंडित नेहरु की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने सरदार पटेल की प्रार्थना पर यह निर्णय किया कि, सोमनाथ मंदिर का पुर्निर्माण सरकार के खर्चे पर होना चाहिए. परन्तु छद्म धर्म-निर्पेक्षतावाद के मसीहा गांधी ने, जो न मंत्रिमंडल के और न कार्यकारिणी के सदस्य थे, इस निर्णय को बदलवाया और आग्रह किया कि मंदिर सरकारी अनुदान से नहीं, जनता के दान से बनना चाहिए. बाद में १३ जनवरी १९४८ को गांधीजी ने ऐतिहासिक आमरण उपवास रख कर नेहरु और सरदार पटेल पर दबाव डाला कि दिल्ली की मस्जिद का पुर्ननिर्माण सरकार की खर्चे पर हो. यह कांग्रेसी जो “गांधी को अहिंसा के पुजारी” कहते थे, यह तो गांधी का दोगलापन ही था
देखू: विभाजन के समय जब पकिस्तान से हिन्दू विस्थापित कड़कते शीत में सडको पर फेंके गए, हजारो हिन्दू-सिख विस्थापित, पाकिस्तान में अपने बहुमूल्य घर, सम्पति और उनके बच्चो और महिलाओं को भी गँवा कर, दिल्ली जैसे तैसे पहुचे और उन्होंने पाकिस्तान जाने वालो द्वारा खाली छोड़ी हुई लावारिस मस्जिदों में शरण ले ली थी. हिंदुस्थान की हिन्दू पुलिस ने इन असहय हिन्दू शरणार्थियो को बूढों-औरतो-बच्चो समेत घसीट कर मस्जिदों के बाहर निकला और दिल्ली की सडको पर कड़कते जाड़े में, सनसनाती सर्द हवाओं में कपकपाते हुए, गांधीजी की इच्छा पूरी करने के लिए धकेल दिया.
सुनूँ: ये गांधी की ही देंन थी कि, भारत सरकार पर ५५ करोड़ रु. पाकिस्तान को देने का दबाव डाला, माउंटबैटन ने गांधीजी को पाकिस्तान को ५५ करोड़ रु. दिलवाने की सलाह दी. २२ अक्तूबर १९४७ को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया. कश्मीर में युद्ध चलाए रखने के लिए उसे धन की सख्त जरुरत थी. गांधीजी ने पाकिस्तान को ५५ करोड़ रूपए रोकड़ राशि में से दिलवाने के लिए, नेहरु और पटेल पर दबाव डालने हेतु, आमरण उपवास आरम्भ किया. अन्ततोगत्वा, नेहरु और पटेल उपर्युक्त राशी पाकिस्तान को देने को विवश हुए, यद्यपि बाद में पाकिस्तान को इससे भी अधिक धन-राशी भारत को देनी थी. जो आज तक नहीं मिली
बोलू: यह बात... नाथूराम गोडसे को नागवारा लगी , गांधी की जो हिन्दुस्थान की ५५ करोड़ रु. की रूपये रोकड़ राशि पाकिस्तान को दें दी थी..., इसी पैसे से, जो पाकिस्तान भारत को तोड़ने की साजिस करेगा , उसे यह बात इतनी चुभी कि उसने गांधी की हत्या कर..., अदालत में खुले आम स्वीकार, किया कि “यह मेरे अंतरात्मा की आवाज है,” कि भविष्य में गांधी ऐसे तुष्टीकरण की जिद से, देश को बर्बाद कर देंगें
देखू: फिर भी नाथूराम गोडसे के बयान के बावजूद, कांग्रेस ने एक नया पांसा फेका और महान क्रांतीकारी वीर सावरकर व राष्ट्रीय स्वंय संघ को इसमें घसीटा, ताकि उनके नाम का प्रयोग कर गांधी को “ अहिंसा का महान पुजारी” के हत्यारे के रूप में दिखाकर, अपनी सत्ता चमकायें लकिन अदालत ने वीर सावरकर व राष्ट्रीय स्वंय संघ को निर्दोष साबित कर, कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फेर दिया
सुनूँ: गांधी ने एक बड़ा छल किया , जो सरदार पटेल के विरुद्ध आरोप-अभियान चलाया था . जब, गांधी द्वारा आमरण उपवास का निर्णय उस आरोप-अभियान का परिणाम था जो मौलाना आजाद ने चलाया था और जिसे पंडित नेहरु का गुप्त समर्थन प्राप्त था. उपवास की अवधि में सबसे अधिक भेंट के लिए आने वाले नेता मौलाना आजाद ही थे.उन्होंने ही गुप्त रूप से गांधीजी पर दबाव डाला कि उपवास तोड़ने से पहले वे अपनी सातों शर्ते मनवा ली. सरदार पटेल ने समझाने का प्रयत्न किया कि उनके उपवास से हिन्दुओ की, भारत सरकार की और गृहमंत्री की दुनिया की आँखों में बदनामी होगी.परन्तु मौलाना आजाद द्वारा दिग्भ्रमि हो कर दृढ़ता से अड़े रहे. 

Wednesday, 26 December 2012


आजादी एक झाँसा थी???… एक झूठी आजादी ????
मेरी प्रतिज्ञा: Posted on 26 October 2012.
देश के भेडियें, देशप्रेमी का चोला पहनकर देश को लूट कर आदमखोर बन गये हैं,, जिस दिन देश का भ्रष्टाचार खत्म होगा. तो मैं, देशद्रोही का चोला फेंककर देश का पहिला देशप्रेमी बनूँगा
मेरे वेबस्थल का नाम मेरा देश डूबा.कांम, रखने के पहले, मैने, मेरे दिल के टिस (दर्द) को दबाते हुए कहा, मै दिल के दर्द को सहन कर सकताहूँ..?, लेकिन देश के दर्द को नही...???.
दोस्तों मेरे इन ४ कार्टूनों के ४ भागों में लेख से जानिये .. इस देश को पुतला से चलाया जा रहा है, या रिमोट कंट्रोल से ...??????,. हमारा अशोक स्तम्भ आज उल्टे पिरामिड में कैसे बदल गया है., .२ साल पहले मेरे वेबसाईट का नामwww.meradeshdoooba.com रखने में मेंरे कार्टून के “a शब्द” में, आम आदमी महंगाई व भूखमरी से लहूलुहान है... और “d व b शब्द” , में देश की नौकरशाही, और जजशाही अपने गद्देदार तकिये वाले हाथों से , राजशाही से तालमेल कर , देश की खान,खदान, मान, सम्मान को ताक में रहकर लूट खसोट के नशे मे डूबे है, देश की सीमाएं खुली है , सीमाओं पर जवानों की हत्या व किसानों की आत्महत्या... यह देखकर भी ये, फूले नहीं समा रहें है... मीडिया वर्ग व बुद्दीजीवी भी इनके तलवे चाटकर ... “देश को सुपर पावर” व “भारत निर्माण” से जनता को भरमा रहे हैं....
भाग-१
देश का काला धन , विदेशी माफियाओं द्वारा सफ़ेद धन बनाकर हमारे देश को कर्जे में डूबा रहा है...
देश मे भ्रष्टाचार का रावण जिन्दा है, फिर भी हम दिवाली क्यो मनाते है?
देश को आजाद कराने का जुनून, मर्दानी झाँसी की रानी ने अपने प्राणो की आहूति दी थी
आज इस देश को भ्रष्टाचार की सुनामी से डुबाने वाले झाँसे का राजा सत्ता पर क्यो बैठा है?

हिन्दुस्तानी एक झूठे प्रभाव मे था, लेकिन आजादी के नाम पर उसे दबाया / शोषित किया गया
इसकी व्याख्या अंग्रेजी शब्द मे है, (IMPRESSION – I AM PREES ON – मै दबाया गया हूँ)
उसे लगा अभी सुबह हुई है..????
आजादी का सूरज, अब निकलेगा- अब निकलेगा उसके जीवन मे एक उर्जा देगा
उसकी गरीबी के कीडे को सूरज की किरणे मार देगी,
इस आस मे,...????, एक 15 अगस्त , दूसरा 15 अगस्त..?? 66वा …15 अगस्त……….???? चला गया.
क्यो की? आज तक वह सूरज भ्रष्टाचार के घने बादलो मे फसा है

आज हिन्दुस्तानी अवसाध मे है? (DEPRESSION – DEEP PRESS ON- गहरी तरह दबाया गया)
इंडियन लोगो के लिये यह एक लू….ट….
एक मनमौजी, जश्ने –ए – आजादी
इंडियन लोगो को लूटने का खजाना मिल गया, भ्रष्टाचार के इन घने बादलो ने किसानो व आम जनता का पानी पी पी कर, विदेशो के बैको मे धन की बरसात कर रहे है
इंडियन लोगों के लिये इंडिया चमक रहा है (INDIA IS SHINNING) , यह नारा 1947 मे ही सार्थक हो गया था
इनहें देश के अधिकृत लूटेरो मे घोषीत किया गया
सविधान का कानून इन पर लागु नही होता है,जितना बडा घोटाला उतनी ज्यादा सहुलियत,
जितना बडा घोटाला उतनी सत्ता पर मजबूत दावेदारी ………..
15 अगस्त आजादी नहीं धोखा है, देश का समझौता है , शासन नहीं शासक बदला है, गोरा नहीं अब काला है 15 अगस्त 1947 को देश आजाद नहीं हुआ तो हर वर्ष क्यों ख़ुशी मनाई जाती है ?
क्यों भारतवासियों के साथ भद्दा मजाक …किया जा रहा है l
इस सन्दर्भ में निम्नलिखित तथ्यों को जानें …. :
1. भारत को सत्ता हस्तांतरण 14…-15 अगस्त 1947 को गुप्त दस्तावेज के तहत, जो की 1999 तक प्रकाश में नहीं आने थे (50 वर्षों तक ) l
2. भारत सरकार का संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेदों में संशोधन करने का अधिकार नहीं है l
3. संविधान के अनुच्छेद 348 के अंतर्गत उच्चतम न्यायलय, उच्च न्यायलय तथा संसद की कार्यवाही अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में होने के बजाय अंग्रेजी भाषा में होगी l
4. अप्रैल 1947 में लन्दन में उपनिवेश देश के प्रधानमंत्री अथवा अधिकारी उपस्थित हुए, यहाँ के घोषणा पात्र के खंड 3 में भारत वर्ष की इस इच्छा को निश्चयात्मक रूप में बताया है की वह …
क ) ज्यों का त्यों ब्रिटिश का राज समूह सदस्य बना रहेगा तथा
ख ) ब्रिटिश राष्ट्र समूह के देशों के स्वेच्छापूर्ण मिलाप का ब्रिटिश सम्राट को चिन्ह (प्रतीक) समझेगा, जिनमे शामिल हैं ….. (इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्री लंका) … तथा
ग ) सम्राट को ब्रिटिश समूह का अध्यक्ष स्वीकार करेगा l
5. भारत की विदेश नीति तथा अर्थ नीति, भारत के ब्रिटिश का उपनिवेश होने के कारण स्वतंत्र नहीं है अर्थात उन्हीं के अधीन है l
6. नौ-सेना के जहाज़ों पर आज भी तथाकथित भारतीय राष्ट्रीय ध्वज नहीं है l
7. जन गन मन अधिनायक जय हे … हमारा राष्ट्र-गान नहीं है, अपितु जार्ज पंचम के भारत आगमन पर उसके स्वागत में गाया गया गान है, उपनिवेशिक प्रथाओं के कारण दबाव में इसी गीत को राष्ट्र-गान बना दिया गया … जो की हमारी गुलामी का प्रतीक है l
8. सन 1948 में बने बर्तानिया कानून के अंतर्गत भाग 1 (1) 1948 के बर्तानिया के कानून के अनुसार हर भारतवासी बर्तानिया की रियाया है और यह कानून भारत के गणराज्य प्राप्त कर लेने के पश्चात भी लागू है l
9. यदि 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ तो प्रथम गवर्नर जनरल माउन्ट-बेटन को क्यों बनाया गया ??
10. 22 जून 1948 को भारत के दुसरे गवर्नर के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने निम्न शपथ ली l “मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यथाविधि यह शपथ लेता हूँ की मैं सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक विश्वास के साथ वफादारी निभाऊंगा, एवं मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यह शपथ लेता हूँ की मैं गवर्नर जनरल के पद पर होते हुए सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सव्वा करूँगा l ”
11. 14 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतन्त्रता विधि से भारत के दो उपनिवेश बनाए गए जिन्हें ब्रिटिश Common-Wealth की … धारा नं. 9 (1) – (2) – (3) तथा धारा नं. 8 (1) – (2) धारा नं. 339 (1) धारा नं. 362 (1) – (3) – (5) G – 18 के अनुच्छेद 576 और 7 के अंतर्गत …. इन उपरोक्त कानूनों को तोडना या भंग करना भारत सरकार की सीमाशक्ति से बाहर की बात है तथा प्रत्येक भारतीय नागरिक इन धाराओं के अनुसार ब्रिटिश नागरिक अर्थात गोरी सन्तान है l
12. भारतीय संविधान की व्याख्या अनुच्छेद 147 के अनुसार गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 तथा indian independence act 1947 के अधीन ही की जा सकती है … यह एक्ट ब्रिटिश सरकार ने लागू किये l
13. भारत सरकार के संविधान के अनुच्छेद नं. 366, 371, 372 एवं 392 को बदलने या रद्द करने की क्षमता भारत सरकार को नहीं है l
14. भारत सरकार के पास ऐसे ठोस प्रमाण अभी तक नहीं हैं, जिनसे नेताजी की वायुयान दुर्घटना में मृत्यु साबित होती है l इसके उपरान्त मोहनदास गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अबुल कलाम आजाद ने ब्रिटिश न्यायाधीश के साथ यह समझौता किया कि अगर नेताजी ने भारत में प्रवेश किया, तो वह गिरफ्तार ककर ब्रिटिश हुकूमत को सौंप दिया जाएगाl बाद में ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल के दौरान उन सभी राष्ट्रभक्तों की गिरफ्तारी और सुपुर्दगी पर मुहर लगाईं गई जिनको ब्रिटिश सरकार पकड़ नहीं पाई थी l
15. डंकल व् गैट, साम्राज्यवाद को भारत में पीछे के दरवाजों से लाने का सुलभ रास्ता बनाया है ताकि भारत की सत्ता फिर से इनके हाथों में आसानी से सौंपी जा सके l



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इस देश को कौन चला रहा है....रिमोट कण्ट्रोल ...