मैं मुंबई नगरपालिका की चौथी कक्षा के मेरे शिक्षक को ,अभी भी याद करता हूँ, और धोंडू नाम के चपरासी को जो सन १९७० के बाद आज भी मेरे लिए जीवंत व प्रेरणा के स्रोत है...
मेरे नगरपालिका में एक ही शिक्षक जो सभी विषय पढ़ाते थे , गुरू बनकर.., एक विषय पढ़ाने के लिए १ घंटे से ३ घंटे लेते थे , जब तक उन्हें विश्वास नहीं होता था कि सब बच्चे सीख गए है....
उनका रोज का नियम था , मेंज पर दैनिक अखबार , और पढ़ाते समय ..., बीच –बीच में देश की ताजा खबर हमें सुनाते थे..., और भ्रष्टाचार की खबर सुनकर एकदम भावुक होकर द्रवित हो जाते थे ..., कहते थे अभी देश की आबादी ५० करोड़ है..., देश में भ्रष्टाचार की बहार है..., बढ़ती जनसँख्या एक बड़ी दुविधा है...,और कहते थे...,
बिहार में एक पुल का ठेका फंला-फंला मंत्री ने ५ लाख रूपये (आज के ५० करोड़ रूपये) में लिया और अपने नीचे के मंत्री को ३ लाख रूपये में वह ठेका सौप दिया और बैठे-बैठे २ लाख रूपये कमा गया , नीचे वाले मंत्री ने वह ठेका अपने नीचे के विभाग के मंत्री को १ लाख रूपये देकर वह भी २ लाख रूपये कमा गया .., अब बचे हुए १ लाख में क्या ख़ाक पुल बनेगा ..., उसे तो १ लाख रूपये के निर्माण में भी , आपसी दलाली से.. गिरना ही पडेगा ...,
वह हम सब छात्रों से कहता था ..., देश की चिंता करो...कम से कम सुबह या दोपहर में अखबार के मोटे अक्षरों में लिखे समाचार तो पढों...
तब मैं , सोचता था यह शिक्षक पगला गया है.., हमारे शिक्षा छेत्र के बाहर के विषय को, हम पर क्यों थोप रहा है...
आज उसकी वाणी एक दम सार्थक हो रही है..., और हमारा धोंडू नाम का चपरासी, जिसके मुंह में गुस्सा व दिल में प्यार रहता था , नगरपालिका का कच्चा दूध न पीने से, हम मेंज के नीचे छिपने पर, वह हमारी कमीज खीचकर कहता था ..., यदि ये, भरी बोतले वापस नगरपालिका में जायेंगी तो उसे विद्यार्थी की अनुपस्थिती मानकर शिक्षक पर कारवाई की जायेंगी..
आज मुम्बई में ही नहीं देश में माफियाओं की साठगांठ से जहरीला दूध पीकर, व दोपहर के भोजन में जहरीला खाना खिलने से लाखों बच्चों के मौत हो चुकी है...इसके बावजूद भी सत्त्ताखोरों का दिल नहीं पसीजा है....
काश १९७० के स्वच्छ भ्रष्टाचार मुक्त नगरपालिका ..,साफ़ सुथरा वातावरण, हर देशवासी भले अमीर नहीं था , मेहनती था लेकिन संतोषी था ..., गलत काम करने पर उसकी आत्मा लताड कर कहती थी तुम देश के लिए बनें हो..., देश को बनाओं...
मैं , आज भी भगवान् से कहता हूं , हे भगवान् मुझे ला दे, वह वातावरण .., मैं ही नहीं, हर देशवासी सुखी रहेगा
,किताबे तो कितने नेताओं ने लिखवाई और अपना हित साधकर देश की सत्ता में काबिज ही नहीं अपने को इतिहास में अमर करने का दांव खेलने का प्रपंच छोड़ गए..., देश का गौरवशाली अतीत का असली इतिहास छुपाकर, हमें बुजदिल कौम व शांती, अहिंसा के झांसे से देश के टुकड़े कराकर.., “बापू...” “महात्मा...”, “आराम हराम है..”, “गरीबी हटाओं”, “मेरा भारत महान” के नारे देने वालों के नाम देश में लाखों, संस्थान,सड़क से गलियारों के नाम से राष्ट्रवाद को धीमे जहर से मारने के खेल से, अपने अमरत्व को मजबूत बनाने का खेल देश में बदस्तूर जारी है...
लेकिन.. वीर सावरकर.....,
एक महान नायक, जिनके बारे में कितना ही लिखा जाय कम है.. जिनके अनेक रूप, विद्वान,तत्व चिन्तक,क्रांतीकारक, लेखक, महाकवि,सर्वोत्तम वक्ता,पत्रकार, धर्मशील, नीतीमान,पंडित मुनि,इतिहास संशोधक, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार,प्रवचनकार,अस्पृश्यता निवारक शुद्धीकरण के प्रणेता, समाज सुधारक , विज्ञान निष्ठा सिखाने वाले,भाषा शुद्धी करने वाले पीपी सुधारक,संस्कृत भाषा प्रभु,बहुभाषिक, हिंदुसंघटक,राष्ट्री काल दर्शक के प्रणेता , कथाकार,आचार्य,तत्वज्ञ महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक , धर्म सुधारक,विवेकशील नेता, महानात्मा ,अलौकिक दृष्टा... व कई गुणों से सपन्न ने पांडुलिपी की तरह.. 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम,शोध व प्रमाण सहित अपने हाथों से इंग्लॅण्ड में लिखी , इस किताब का नाम जाने बिना कभी न डूबने वाले ब्रिटिश साम्राज्य थर्रा गया था, व प्रकाशन के पूर्व ही इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया था ...,
यही किताब थी जिसने देश में क्रांतिकारिता को जन्म दिया
वीर सावरकर की किताब 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम पढने के लिए दी, भगत सिंह इस किताब से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने इस किताब के बाकी संस्करण भी छापने के लिए सहायता प्रदान की, जून 1924 में भगत सिंह वीर सावरकर से येरवडा जेल में मिले और क्रांति की पहली गुरुशिक्षा ग्रहण की, यही से भगत सिंह के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया, उन्होंने सावरकर जी के कहने पर आजाद जी से मुलाकात की और उनके दल में शामिल हुए| बाद में वे अपने दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों के प्रतिनिधि भी बने। उनके दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, भगवतीचरण व्होरा,सुखदेव सुखदेव, राजगुरु इत्यादि थे।
सत्ता परिवर्तन के बाद किताब तो नेताओं ने लिखवाई , और अपना हित साधने के लिए “नेशनल हेराल्ड” अखबार में कांग्रेसीयों ने अपनी स्तुती से जनता को बेवकूफ बनाकर राज किया..,”कौमी एकता” हिन्दी के अखबार ने तो पहले ही दम तोड़ दिया था, अब नेशनल हेराल्ड जो कांग्रेस की सम्पत्ती थी , नीजी सम्पत्ते सम्पत्ती बताकर इसे डकारने का खेल चल रहा है..
आज देश के भ्रष्टाचार के युग में किताबें लिखवाकर.., अपनी स्तुती से, अपनी कमजोरी को छुपाकर नेता लोगों ने भारी रकम कमाई है...,
नटवर सिंग जो कांग्रेस में भ्रष्टाचार का हिस्सा थे अपने पुत्र के कल्याण के आरोप से वे गद्धी न छोडने से वे कांग्रेस की गड्डी (गाड़ी) से गड्ढे में फेंक दिए गए ..
अब प्रतिशोध में किताबी वार शुरू हो गया है..., इन्डियन वर्ग भी इस खेल व प्रकाशन की किताब खरीद कर..., किताब लिखवाने वालों को मालामाल कर देगा...
संजय बारू की किताब में लिखा है..., प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी को “सोनियाजी” के नाम से संबोधित करते थे, जबकि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री को सिर्फ “मनमोहन” कहती थी.., और प्रधानमंत्री को किस तरह काठ का पुतला समझकर... शीर्ष नेताओं ने देश पर १० सालों से, अपनी दबंगई से राज किया ...
याद रहे.. भारतीय जनता पार्टी के हनुमान, जसवंत सिंग , जिन्हें किताब छपवाने के आरोप से पार्टी से उनकी शक्ती छीन ली गयी थी .. अब पार्टी से निष्कासित होकर.., जड़ी बूटी न मिलाने से अभी हाल ही मैं जमीन पर गिरकर मूर्छीत हो गए थे...
CORRUPTION- क़र अप सन (अपने बेटे को उपर उठाओ) और उसके लिए बाप को (कर अप शरम) – बेशर्म बनो
कृपया इस नए ग्रुप से जुड़े – आपका स्वागत है CORRUPTION-(KAR UP SON – KAR UP SHARAM) बेटे को उपर उठाने के लिए बेशर्म बनhttps://www.facebook.com/groups/371786942979873/
CORRUPTION के वजह से बेटा पेंशन नही, बल्कि PAIN SON है
जीवन मे बेटा संस्कार – SONS CAR होता है, माँ, बाप प्रफुल्लित (खुश) होते है, बेटा चिराग बन कर पैदा हुआ है, परिवार का नाम रोशन करेगा. और हमारी बूढी अवस्था मे हमारे जीवन का पॆंशन बनेगा,
माँ, बाप, SONS CAR मे चाकलेट व पीजा ( बच्चो कि शराब – जो की संस्कार को एक शराब का नशा पिलाना है) व FAST FOOD का पेट्रोल डाल कर बच्चे को तेज दौडाकर खुश होते है ,
यदि आप नई कार खरीदते है , तो उत्पादक / निर्माता द्वारा चेतावनी लिखी होती है कि प्रथम 25000 कि.मी. तक 60 कि.मी. के ऊपर गाडी न चलाये. अन्यथा इंजन खराब हो जायेगा.
माँ, बाप SONS CAR मे चाकलेट व पीजा का पेट्रोल डाल कर बच्चे के नवजीवन की जिद को 100 कि.मी. से तेज दौडाकर खुश होते है, वह अपने को बच्चे को राणा सांगा की औलाद समझने लगते है, व परिणाम स्वरूप 8-10 साल मे बेटे के जीवन का इंजन खराब हो जाता है,
8-10 साल के बाद चाकलेट व पीजा का पेट्रोल डाल कर भी SONS CAR 20 कि.मी की रफ्तार भी पकड नही पाता है, और 15-16 साल मे माँ, बाप SONS CAR को धक्का लगा कर दौडाते है, उसमे असली पेट्रोल डालने पर भी SONS CAR दौड नही पाती है ,
क्योकि उसका इंजन (चरित्र) खराब हो जाता है . धक्का मारते मारते माँ, बाप अपने जीवन के पूँजी उसमे गँवा देते है,
अंत मे बेटा जिसे वे पेशन समझते है वह जीवन के अभिशाप के रूप मे PAIN – SON बनकर माँ, बाप को बुढापे मे कुडे के डब्बे मे फेंक देते है
वही आज हमारा समाज लडकी पैदा होने पर मातम मनाता है, लडकी पैदा होने कि खबर से भ्रूण हत्या करवाता है
आज के समाज मे लडकी (DAUGHTER) सर्वश्रेष्ठ है, वह बुढापे का अकाल दूर करती है , वह DROUGHT-HER है , अकाल हरने वाली है, क्यो कि उसे मातृत्व, ममता व वात्सल्य का आभास व अनुभव है, वह माँ बाप को अपने जीवन का अंग समझती है.
वही देश के गरीब हिन्दुस्तानी जो गरीबी रेखा के आस पास जीवन यापन कर रहे है, वे तनाव जिसे अंग्रेजी मे TENSION कहते है व एक-एक ईमानदार गरीब कुँवारा युवक जो बिना आरक्षण के बैशाखी से उपर उठने की कोशिश करता है, उसे उसके जीवन मे TENSION शब्द TEN- SONS...बन गया है , जैसे उसे 10 बच्चे का परिवार पालना है, वह जीवन मे संघर्ष करते रहता है और उसकी प्रतिभा खो जाती है, वह देश की गुमनामी मे खो जाता है .
यदि भ्रष्टाचारी का बेटा, येन केन सफल भी हो जाता है , तो वह बाप के पदचिन्हों को हाथी का पाँव बनाकर हाथी की तरह , देश के गरीबों को उजाडकर धन डकारने मे व्यस्त रहता है..??? इसकी आधुनिक मिसाल है आज की राजनीति का वंशवाद ...???? जिससे देश मे लूट हो रही है
मर्दानी ..., अब भरवाओं.., मर्दों से पानी...
राजनीती से समाज ने तुम्हारी पवित्रता को पतितता से, बेड रूम (BED ROOM-शयनयान) की वस्तु बनाकर, भष्टाचार की ऊंची उड़ान भरी है और देश का बेड-रूप बना दिया है....
नारी तुम सब पर भारी..., अब अपने मर्दों (सरपंच से नेता) से कहों..., अब बेड रूम में तुम्हारे प्रपंच का खेल नहीं चलेगा..., भ्रष्टाचार के प्रपंच की पतितता से अब देश में नारी की कुरूपता का व्यव साय नहीं चलेगा
आओं.., अपने मर्दों से कहों.., राजनीती की बातें BED-ROOM में नहीं, घर के DRAWING –रूम (बैठक कमरे) में हो..., ताकि, मैं देश की एक नई तस्वीर बना सकूं...
अब तक तो.., देश के मर्द सत्ता के मद में देश का मधु पी रहें थे .....
आओं..., मर्दों से कहो..., देश की महिलाओं को जगाकर कहो.., अब, हम तुम्हारी बैसाखी नहीं..., बच्चा पैदा करने की मशीन नहीं..., अब हमारे संस्कारों की सम्मानता से.., हम देश के हर नागरिकों को समान प्यार से, उनके जीवन की प्रेरणा को और उज्जवलित करेंगें...
नारी..., तेरा प्यार दिल के आँसुओ से भरा रहता है, तुम्हारा दिल तो वात्सलय से 24 घंटे धडकता.. है... हर दु:ख पहुचाने वाले पति से बच्चे हर सख्श तक को आप माफ कर देती हो.. तकि आप की आँसू से वे अपने गलती का अहसास समझ कर प्रायश्चित (सुधर सके) कर सके,
आप तो माँ की रूप में , सौ बार अपने आँसुओ से मौका देती है....माँ.., तेरे आँसु सागर से भी गहरे है. लेकिन तेरे सागर के आँसु तो लोगो को जीवन मे कैसे तैरना है,वह सिखाती है...आज तक तेरे आँसु के सागर कोई भी डूबा नही है...क्यो कि इसमे वात्सलय का नमक है...
आपके खून में ही तो देश का वात्सल्य , अभिमान व देश की हरियाली छीपी है..., तुम आरक्षण की वस्तु नहीं देश के संरक्षण की धारा हो...
हमारे समाज के पिस्सुओं ने देश की बच्चियों से नारी को पतितता से वेश्यावृती के धन से अब बलात्कार की हुंकार भर कह रहें हैं..., युवाओं का यह है अधिकार.., है...
नारी.., समाज के पिस्सुओं ने देहव्यापार में धकेले ढकेले कर..., तुम्हारी पतितता में भी पवित्रता है..,
नारी.., इंसानों में सर्वोत्तम तुम ही और केवल तुम ही हो...
वेश्या पतिता नहीं होती, पतन को रोकती है /
पतित जन की गन्दगी , अपने ह्रदय में सोखती है/
जो विषैलापन लिए हैं घूमते नरपशु जगत में ,
उसे वातावरण में वह फैलने से रोकती है /
यही तो गंगा रही कर , पापियों के पाप धोती ,
वह सहस्रों वर्ष से , बस बह रही है कलुष ढोती,
शास्त्र कहते हैं कि गंगा मोक्षप्रद है, पावनी है ,
किसलिए फिर और कैसे वेश्या ही पतित होती ?
मानता हूँ , वेश्या निज तन गमन का मूल्य लेती ,
किन्तु सोचो कौन सा व्यापार उनका ,कौन खेती ?
और यह भी , कौन सी उनकी भला मजबूरियां हैं ,
विवश यदि होती न, तो तन बेचती क्यों दंश लेती ?
मानता यह भी कि वेश्यावृत्ति , पापाचार है यह ,
किन्तु रोटी है ये उनकी , पेट हित व्यापार है यह ,
देह सुख लेते जो उनसे, वही उनको कोसते भी,
और फिर दुत्कार सामाजिक भी , अत्याचार है यह /
गौर से देखो , बनाते कौन उनको वेश्याएं ,
और वे हैं कौन, जो इस वृत्ति को खुद पोषते हैं ?
पतित तो वे हैं , जो रातों के अंधेरों में वहां जा -
देह सुख भी भोगते हैं , और फिर खुद कोसते हैं /
बेटा बोल रहा है ...नो उल्लू बनाविंग..., पिताजी कह रहें है..., जनता को और उल्लू बनाविंग....,
दोस्तो.., क्या आप मीडियाओ के.. कौन भारत चुसियाओ से अपना मनोरंजन, कर….????, ( Posted on 17 July 2013. वेबसाईट की पोस्ट) केबल टी.वी. वालो को प्रतिमाह 350 से हजार रूपये देकर अपना समय बरबाद कर, प्रतिमा (पुतले) की तरह देख कर ,अपना जीवन प्रतिमाओ की तरह बनाना चाहते है.. या राष्ट्रवादी विचारधाओ से ज़ुडना चाहते हो…ताकि हम दुनिया मे सर्वश्रेष्ट से भी 100 गुना श्रेष्ट बने..?? तो, पढे,, यह आलेख..
KBC-कौन भारत चूसिया ...पहले ABC (AMITABH BACHAAN COPRORATION LTD) से अकूत दौलत से CORPORATE SON से CARPET की जिन्दगी जीने के ख्वाब के चक्कर में १९९६ में MISS WORLD की प्रतियोगिता के आयोजन के प्रायोजक बनकर ABC कंपनी लॉक (बंद) हो गई , और अमिताभ बच्चन की A –Z की कमाई इसमें लूटकर , अमिताभ बच्चन दिवालिया हो गए, बैंक के अधिकारी जलसा बंगले में उगाही के लिए चक्कर पर चक्कर मारते हुए , अमिताभ बच्चन का जीवन जल-सा हो गया था...,
तब मुकद्दर का सिकंदर में, "आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बॅंक बॅलेन्स है तुम्हारे पास क्या है...? कहने वाले , और शशी कपूर ने कहा था, मेरे पास माँ है" ..., तब की ऐसी स्तीथी हो गयी थी.., वे मुकद्दर से छुछुंदर बन गए थे.., अमिताभ बच्चन के पास माँ तो जरूर है ..., कहने लगे मेरे पास पैसे नहीं है...
इस कार्यक्रम में १०-१२ लोग , जो ऊंगली में गिने जाने वाले करोडपति बन जरूर बन गए , लकिन अमिताभ बच्चन एक श्रृंखला में १०० करोड़ से ज्यादा लेकर अरबपति जरूर बन गएँ हैं..., इस चमक से बेटे को फिल्मों में चमक भी मिली..., यह एक बड़ा संयोग और जैकपोट ही कहा जाय.., जब अमिताभ बच्चन दिवालिया थे ..., तब , एश्वर्या राय जो १९९४ की विश्व सुन्दरी रह कर करोडपति बन गयी थी .., ११९७ में एक फिल्मों में पदार्पण करने के बाद व सन २००० में सबसे ज्यादा धन कमाने वाली अभिनेत्री बन गई थी... सन २००० में...,अमिताभ बच्चन करोडपती बनने का दांव खेल रहे थे..., और इस कार्यक्रम से २० अप्रैल २००७ को, अमिताभ बच्चन को अरबपत्नी बहू मिली...
1985 की बात है छिदवाडा से 50 कि,मी, दूर एक ढाबे मे, भोजन के बाद हम दस बारह मित्र , आपस मे बात कर रहे थे , इतने मे एक मित्र जो सामने के डाक घर से अपने परिवार के हाल जानने के , बम्बई फोन कर वापस लौटा तो, उसने कहा .. बम्बई के मित्रो, आपके लिए खुशखबरी लाया हूँ… कल से बम्बई मे दूरदर्शन के मेट्रो चैनल प्रयोगात्मक रूप से एक घंटे के लिए चालू हो गया है…
हमसे एक मित्र ने उसे टोकते हुए कहा, अब लोगो के समय की बरबादी का खेल शुरू हो गया है.. लोग टी.वी. से चिपके रहेगे, सब मित्रो ने उसका उपहास उडाया.. लेकिन मैने उसका समर्थन करते हुए कहा.. यह मित्र सही है.
आज एक परिवार, साल भर मे केबल टी.वी.से प्रति साल 1500 से 12हजार रूपये बरबाद कर, 90% फूहड कार्यक्रम देखकर , अपना समय, धन देकर, बरबाद करता है..???,
उदाहरण है..एक धारावाहिक ..क्योकि? सास भी कभी बहू थी , इस कार्यक्रम की महिलाए इतनी दिवानी हो गई .. कि माँ भी बच्चो को दूध पिलाना भूल जाती थी..बडे बच्चो को को माँ कहती थी… बेटा, यह धारावाहिक खत्म होने के बाद ही तुम्हारे लिए खाना बनाऊगी..यह धारावाहिक, इतना लम्बा चला कि बहू, सास बन गई..?? और सास, नानी , दादी बनकर, उनकी कद्र कम होने से , उनके चिल्लम चिल्ली से धारावाहिक की टी.आर.पी कम हो जाने की वजह से यह धारावाहिक बन्द करना पडा,
आईए जानिये कुछ और सच्चाई..???
1. कौन बनगा करोड्पति धारावाहिक से, करोडो रूपये की कमाई तो मोबाईल फोन के काँल से ही, हो जाती है…बाकी लूट.., विज्ञापनो से कमाई जाती है.. समय व्यतित करने के लिए, प्रतियोगी का घर का पता..शौक… इत्यादि पूछने के बाद पूरे एक घंटे के धारावाहिक मे मुश्किल से 25 सवाल पूछे जाते है…? सवाल गलत होने पर कहा जाता है ,,लाँक किया ..एक बार वापस सोच लो…का संकेत देकर कही धारावाहिक की गरीमा खत्म न हो जाए… घिसपिट कर 10 हजार से 10 लाख तक की रकम जीतने तक.. व कार्यक्रम को 1 घंटे तक खीचा जाता है.. यह धारावाहिक ब्रिटेन मे चलने टी.वी. शो की नकल है, जहाँ प्रतियोगी को सवाल के जवाब मे सिर्फ,, 1 मिनट का समय मिलता है…इसी की देखा देखी मे गोविन्दा ने छप्पर फाड के.. व शाहरूख खान के क्या आप पाचवी पास से तेज है… भी प्रायोजित हो चुके है…? और इसके निदेशक प्यार मे पाँचवी क्लास मे फेल होने से…उनके शरीर के सौ से ज्यादा टुकडे कर देने से, यह धारावाहिक बन्द हो गया..
2. इसी तरह से पहचान कौन..??? इसकी लूट की शुरूवात, सबसे पहले.. इंडिया टी,वी, ने की दो प्रसिद्ध चेहरो को मिलाकर .. एक चेहरे बनाकर .. पहचानने होते है…. पहचान, ये दो चेहरे कौन..??? इस पर 50 हजार का इनाम रख कर, दर्शकों को उकसाया जाता है, जनता,जब लालच मे आकर 6 अंको का नम्बर दबाती है… तो सामन से जवाब आता है..??? , आप {लूटने की} कतार मे हो..जब उनका मोबाईल का बैलेस खत्म हो जाता है.. तो उन्हे आश्चर्य होता है कि मेरे 100-400 रूपये कैसे लूट गये है…क्योकि इसकी काँल रेट 10 रूपय् /मिनट है..असली सच्चाई तो यह है कि कार्यक्रम पहने से बनाकर , मीडिया के लूटेरे जानबूझकर गलत जवाब देकर..अंत मे कार्यक्रम समाप्त होने से कुछ मिनट पहले सही जवाब देकर,रकम आपस मे बाँट लेते है.. दूरसंचार विभाग भी इस लूट की कमाई मे अपना हिस्सा गड्प लेता है..
2 वही.., रात को 12 बजे के बाद जवानो के जोश के लिए पलंग तोड गोली का विज्ञापने आता है, इस विज्ञापन के झाँसे मे आज तक किसी की पलंग तो नही टूटी है…लकिन..हाँ जरूर.. लोगो के पलंग के साथ घर बार भी बिक गया है…
3.एक है…?? मुनीरखान जो टी.वी.मे विज्ञापन जगत का भेडिया खान साबित हुआ..जो दुनिया की हर नालाज बीमारी को , 100 ग्राम शहद् के शीशी को 16 हजार रूपये मे बेचकर कर निदान का दाँवा करता था.. टी.वी. की पूर्व प्रसिद्ध आयोजिका तब्बसुम , अपनी जीविका को चमकाने के लिए. गिरगिट की तरह अपना चेहरा व आँखो की पुतलीओ को नये-नये ढंग से बदल कर कहती थी, नास्त्रोदामस की भविष्यवाणि आज सार्थक हुई है जिन्होने कहा था- दुनिया मे एक ऐसा व्यक्ति, चिकिस्ता जगत मे पैदा होगा ..एक साधारण व्यक्ति, कम पढा, जो न डाँक्टर होगा, लेकिन वैज्ञानिक बनेगा.. और चिकिस्ता जगत मे दुनिया को हर बीमारी से मुक्ति से क्रांति ला देगा… और उसकी तुलना भेडिया खान से कर कहती ..इस दुनिया मे यह वही वैज्ञानिक है.. जो पहले गैरेज मे, मेकेनिक से, कम्पाउंडर बन कर है.. जो धरती पर चमत्कारित व्यक्ति है जो ये दवा ले आए है…?? याद रहे 2002 मे इनके पास से आबकारी विभाग को भेडिया खान से 50करोड से भी ज्यादा की सम्पत्ती बरामद की थी , बाद मे मामला रफा दफा कर दिया गया..??? 2010 मे इनकी आय 1करोड रूपये प्रति घंटा होने से, हर वाहिनी पर उनका 30 मिनट का विज्ञापन आता था,, सभी वाहिनियो का खर्च तो उनके विज्ञापन से वसूल हो जाता था..और टी.आर.पी से आय तो उनके लिए एक अतिरिक्त बोनस था..
लाखो घरो के उजडने के बाद , पुलिस छापे मे , उनके घर व दुकान मे करोडो रूपये बरामद हुए, मुनीर खान तो लापता हो गये.. 3 महिने बाद 13 मई 2010 मे, पुलिस द्वारा पकडे जाने पर , पुलिस पर रिश्वत लेने का आरोप लगाने लगे…जेल जाते समय अपने बेटो को फोन करते हुए कहा ,, बेटे.. मेरे सर मे दर्द हो रहा है..तुम क्रोसिन (दर्द निवारक दवा) ले आना…
वही तब्बसुम टो.वी पर घडयाली आँसू बहाकार, अपना छुडाने के लिए , अदालत मे याचिका दायर कर कह रही थी..?? यह इतना बडा भेडिया था ..इसमे लाखो लोगो की जिंदगी उजाडी है.. इसकी मुझे भनक तक नही लगी… और इसकी जालसाजी से… मुझे विज्ञापन का मेहताना भी नही मिला..?? आज मुनीर खान जेल से आजाद हो गये है…?? फिर से एक नया खेल होगा… दोस्तो मेरे वेब्स्थल का स्लोगन है… मेरा सविधान महान … क्योकि यहाँ हर माफिया पहलवान.
15 अगस्त को लाल किले से लाल –पीले होकर.., प्रधानमंत्री ने कृष्ण के भूमिका में अपने गोपियों को लताड़ते हुए कहा , देश की माखन हांडी में गरीबों की मेहनत का माखन है..., उसे मत चुराओ.., “मैं न तो खाता हूँ , न खाने देता देता हूँ...”अपने पार्टी के मंत्री, सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों, व चुनावी कार्यकर्ताओं , जो इस हांडी को भ्रष्टाचार की मंडी बनाकर, अर्जुन बन कर , माखन को मछली की आँख समझकर पिछले ६७ सालों से इस हांडी में छेद कर , अपने हिस्से जुगाड़ कर रहें थे..,
लाल किले से दहाड़ते हुए.., देश के सरकारी तंत्र को लताड़ते हुए कहा.., मेंरा क्या..??, (माखन में हिस्सा)..., तो मैं क्यों करूं... (हिस्सा नहीं मिला तो ),.??? ...”, इस भावना के तीर से देश को बर्बाद मत करों ..
यदि देश के २० करोड़ से अधिक सरकारी कर्मचारी , यह सोचे कि “मैंने देश को अपने कर्मफल, परिश्रम से देश को क्या दिया...??? , मैं देश को और कितना दे सकता हूँ..,”
और अपने अर्जुनों को चेताया कि यदि, आप १२...१३..१४...१५ घंटे काम करें... , तो आज जो देश ६७ सालों के बूढ़ेपन में चला गया है..., उसकी उम्र घटकर, देश के जवानों की उम्र से , देश एक नए स्फूर्ती से जवान हिन्दुस्तान बनकर, .., विश्वगुरू की प्रतिभा से निखार ला सकता है..,
दोस्तों ..., मोदीजी को तो पिछले दस सालों के, कांग्रेस के राज की फूटी हुई, माखन हांडी मिली है...,
जमीन में गिरा हुआ माखन से अब किण्वन fermentation, खमीर yeast, की खुमारी से देश के हर गली , मुहल्ले, शहर से देश मैं , भ्रष्टाचार के मच्छर पैदा हो गए हैं , जो मरेलिया (नेता द्वारा फैला हुआ वायरस) नाम के विषाणु से पिछले १० सालों में ५ लाल से अधिक किसानों व नवजात शिशु से जवान तक काल के गाल समा गएँ हैं...
इसीलिए प्रधानमंत्री ने इसकी शुरूवात अपने कार्यालय से की है..., सफाई से..., ताकि “मरेलिया” के इस वायरस से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय से सफाया हो...,
पिछले १० साल के इस१०० लाख करोड़ से ज्यादा देशी मुद्रा के महाघोटालों के बावजूद, आज भी जनता में संवेदना कायम है, कि मंदबुद्धी मोहन बेहद इमानदार है..., उन्हें तो प्रधानमंत्री पद का इनाम इसीलिए मिला था, मंदबुद्धी मोहन भी देशवासियों से कह रहें हैं कि मैंने माखन नहीं खायो..., मेरे हाथ में कांग्रेस ने भारत निर्माण का एक छुपा हतौडा दे दिया था ..,
आज तक, इस हांडी को फोड़ने वाले हाथ का दोषी कौन है..., हमारा कानून भी संशयित है..,
“आम आदमी” के नारों के हाथों से, सामंतवादी जहर से, पंजावाद के बल से, भ्रष्टाचार के दल-दल से, “देश लुट चुका है,” अब तो देश का माखन, माफियाओं ने विदेशी हांडीयों (बैंक) में सुरक्षित रखा है..., अब प्रश्न यह उठता है कि यह हांडीयां देश में आ पायेगी...!!!!!
दोस्तों बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है...,
इस खेल के, बचावदार, महामुनीम प्रणव मुखर्जी को राजनेताओं की दिलदारी से वित्तमंत्री पद से राष्ट्रपति पद की उन्नती के इनाम से महामहीम से सुशोभित कर.., देश के उच्चतम नागरिक का गर्व मिला है...,
15 अगस्त को लाल किले से लाल –पीले होकर.., प्रधानमंत्री ने कृष्ण के भूमिका में अपने गोपियों को लताड़ते हुए कहा , देश की माखन हांडी में गरीबों की मेहनत का माखन है..., उसे मत चुराओ.., “मैं न तो खाता हूँ , न खाने देता देता हूँ...”अपने पार्टी के मंत्री, सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों, व चुनावी कार्यकर्ताओं , जो इस हांडी को भ्रष्टाचार की मंडी बनाकर, अर्जुन बन कर , माखन को मछली की आँख समझकर पिछले ६७ सालों से इस हांडी में छेद कर , अपने हिस्से जुगाड़ कर रहें थे..,
लाल किले से दहाड़ते हुए.., देश के सरकारी तंत्र को लताड़ते हुए कहा.., मेंरा क्या..??, (माखन में हिस्सा)..., तो मैं क्यों करूं... (हिस्सा नहीं मिला तो ),.??? ...”, इस भावना के तीर से देश को बर्बाद मत करों ..
यदि देश के २० करोड़ से अधिक सरकारी कर्मचारी , यह सोचे कि “मैंने देश को अपने कर्मफल, परिश्रम से देश को क्या दिया...??? , मैं देश को और कितना दे सकता हूँ..,”
और अपने अर्जुनों को चेताया कि यदि, आप १२...१३..१४...१५ घंटे काम करें... , तो आज जो देश ६७ सालों के बूढ़ेपन में चला गया है..., उसकी उम्र घटकर, देश के जवानों की उम्र से , देश एक नए स्फूर्ती से जवान हिन्दुस्तान बनकर, .., विश्वगुरू की प्रतिभा से निखार ला सकता है..,
दोस्तों ..., मोदीजी को तो पिछले दस सालों के, कांग्रेस के राज की फूटी हुई, माखन हांडी मिली है...,
जमीन में गिरा हुआ माखन से अब किण्वन fermentation, खमीर yeast, की खुमारी से देश के हर गली , मुहल्ले, शहर से देश मैं , भ्रष्टाचार के मच्छर पैदा हो गए हैं , जो मरेलिया (नेता द्वारा फैला हुआ वायरस) नाम के विषाणु से पिछले १० सालों में ५ लाल से अधिक किसानों व नवजात शिशु से जवान तक काल के गाल समा गएँ हैं...
इसीलिए प्रधानमंत्री ने इसकी शुरूवात अपने कार्यालय से की है..., सफाई से..., ताकि “मरेलिया” के इस वायरस से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय से सफाया हो...,
पिछले १० साल के इस१०० लाख करोड़ से ज्यादा देशी मुद्रा के महाघोटालों के बावजूद, आज भी जनता में संवेदना कायम है, कि मंदबुद्धी मोहन बेहद इमानदार है..., उन्हें तो प्रधानमंत्री पद का इनाम इसीलिए मिला था, मंदबुद्धी मोहन भी देशवासियों से कह रहें हैं कि मैंने माखन नहीं खायो..., मेरे हाथ में कांग्रेस ने भारत निर्माण का एक छुपा हतौडा दे दिया था ..,
आज तक, इस हांडी को फोड़ने वाले हाथ का दोषी कौन है..., हमारा कानून भी संशयित है..,
“आम आदमी” के नारों के हाथों से, सामंतवादी जहर से, पंजावाद के बल से, भ्रष्टाचार के दल-दल से, “देश लुट चुका है,” अब तो देश का माखन, माफियाओं ने विदेशी हांडीयों (बैंक) में सुरक्षित रखा है..., अब प्रश्न यह उठता है कि यह हांडीयां देश में आ पायेगी...!!!!!
दोस्तों बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है...,
इस खेल के, बचावदार, महामुनीम प्रणव मुखर्जी को राजनेताओं की दिलदारी से वित्तमंत्री पद से राष्ट्रपति पद की उन्नती के इनाम से महामहीम से सुशोभित कर.., देश के उच्चतम नागरिक का गर्व मिला है...,
बेटा बोल रहा है ...नो उल्लू बनाविंग..., पिताजी कह रहें है..., जनता को और उल्लू बनाविंग....,
दोस्तो.., क्या आप मीडियाओ के.. कौन भारत चुसियाओ से अपना मनोरंजन, कर….????, ( Posted on 17 July 2013. वेबसाईट की पोस्ट) केबल टी.वी. वालो को प्रतिमाह 350 से हजार रूपये देकर अपना समय बरबाद कर, प्रतिमा (पुतले) की तरह देख कर ,अपना जीवन प्रतिमाओ की तरह बनाना चाहते है.. या राष्ट्रवादी विचारधाओ से ज़ुडना चाहते हो…ताकि हम दुनिया मे सर्वश्रेष्ट से भी 100 गुना श्रेष्ट बने..?? तो, पढे,, यह आलेख..
KBC-कौन भारत चूसिया ...पहले ABC (AMITABH BACHAAN COPRORATION LTD) से अकूत दौलत से CORPORATE SON से CARPET की जिन्दगी जीने के ख्वाब के चक्कर में १९९६ में MISS WORLD की प्रतियोगिता के आयोजन के प्रायोजक बनकर ABC कंपनी लॉक (बंद) हो गई , और अमिताभ बच्चन की A –Z की कमाई इसमें लूटकर , अमिताभ बच्चन दिवालिया हो गए, बैंक के अधिकारी जलसा बंगले में उगाही के लिए चक्कर पर चक्कर मारते हुए , अमिताभ बच्चन का जीवन जल-सा हो गया था...,
तब मुकद्दर का सिकंदर में, "आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बॅंक बॅलेन्स है तुम्हारे पास क्या है...? कहने वाले , और शशी कपूर ने कहा था, मेरे पास माँ है" ..., तब की ऐसी स्तीथी हो गयी थी.., वे मुकद्दर से छुछुंदर बन गए थे.., अमिताभ बच्चन के पास माँ तो जरूर है ..., कहने लगे मेरे पास पैसे नहीं है...
इस कार्यक्रम में १०-१२ लोग , जो ऊंगली में गिने जाने वाले करोडपति बन जरूर बन गए , लकिन अमिताभ बच्चन एक श्रृंखला में १०० करोड़ से ज्यादा लेकर अरबपति जरूर बन गएँ हैं..., इस चमक से बेटे को फिल्मों में चमक भी मिली..., यह एक बड़ा संयोग और जैकपोट ही कहा जाय.., जब अमिताभ बच्चन दिवालिया थे ..., तब , एश्वर्या राय जो १९९४ की विश्व सुन्दरी रह कर करोडपति बन गयी थी .., ११९७ में एक फिल्मों में पदार्पण करने के बाद व सन २००० में सबसे ज्यादा धन कमाने वाली अभिनेत्री बन गई थी... सन २००० में...,अमिताभ बच्चन करोडपती बनने का दांव खेल रहे थे..., और इस कार्यक्रम से २० अप्रैल २००७ को, अमिताभ बच्चन को अरबपत्नी बहू मिली...
1985 की बात है छिदवाडा से 50 कि,मी, दूर एक ढाबे मे, भोजन के बाद हम दस बारह मित्र , आपस मे बात कर रहे थे , इतने मे एक मित्र जो सामने के डाक घर से अपने परिवार के हाल जानने के , बम्बई फोन कर वापस लौटा तो, उसने कहा .. बम्बई के मित्रो, आपके लिए खुशखबरी लाया हूँ… कल से बम्बई मे दूरदर्शन के मेट्रो चैनल प्रयोगात्मक रूप से एक घंटे के लिए चालू हो गया है…
हमसे एक मित्र ने उसे टोकते हुए कहा, अब लोगो के समय की बरबादी का खेल शुरू हो गया है.. लोग टी.वी. से चिपके रहेगे, सब मित्रो ने उसका उपहास उडाया.. लेकिन मैने उसका समर्थन करते हुए कहा.. यह मित्र सही है.
आज एक परिवार, साल भर मे केबल टी.वी.से प्रति साल 1500 से 12हजार रूपये बरबाद कर, 90% फूहड कार्यक्रम देखकर , अपना समय, धन देकर, बरबाद करता है..???,
उदाहरण है..एक धारावाहिक ..क्योकि? सास भी कभी बहू थी , इस कार्यक्रम की महिलाए इतनी दिवानी हो गई .. कि माँ भी बच्चो को दूध पिलाना भूल जाती थी..बडे बच्चो को को माँ कहती थी… बेटा, यह धारावाहिक खत्म होने के बाद ही तुम्हारे लिए खाना बनाऊगी..यह धारावाहिक, इतना लम्बा चला कि बहू, सास बन गई..?? और सास, नानी , दादी बनकर, उनकी कद्र कम होने से , उनके चिल्लम चिल्ली से धारावाहिक की टी.आर.पी कम हो जाने की वजह से यह धारावाहिक बन्द करना पडा,
आईए जानिये कुछ और सच्चाई..???
1. कौन बनगा करोड्पति धारावाहिक से, करोडो रूपये की कमाई तो मोबाईल फोन के काँल से ही, हो जाती है…बाकी लूट.., विज्ञापनो से कमाई जाती है.. समय व्यतित करने के लिए, प्रतियोगी का घर का पता..शौक… इत्यादि पूछने के बाद पूरे एक घंटे के धारावाहिक मे मुश्किल से 25 सवाल पूछे जाते है…? सवाल गलत होने पर कहा जाता है ,,लाँक किया ..एक बार वापस सोच लो…का संकेत देकर कही धारावाहिक की गरीमा खत्म न हो जाए… घिसपिट कर 10 हजार से 10 लाख तक की रकम जीतने तक.. व कार्यक्रम को 1 घंटे तक खीचा जाता है.. यह धारावाहिक ब्रिटेन मे चलने टी.वी. शो की नकल है, जहाँ प्रतियोगी को सवाल के जवाब मे सिर्फ,, 1 मिनट का समय मिलता है…इसी की देखा देखी मे गोविन्दा ने छप्पर फाड के.. व शाहरूख खान के क्या आप पाचवी पास से तेज है… भी प्रायोजित हो चुके है…? और इसके निदेशक प्यार मे पाँचवी क्लास मे फेल होने से…उनके शरीर के सौ से ज्यादा टुकडे कर देने से, यह धारावाहिक बन्द हो गया..
2. इसी तरह से पहचान कौन..??? इसकी लूट की शुरूवात, सबसे पहले.. इंडिया टी,वी, ने की दो प्रसिद्ध चेहरो को मिलाकर .. एक चेहरे बनाकर .. पहचानने होते है…. पहचान, ये दो चेहरे कौन..??? इस पर 50 हजार का इनाम रख कर, दर्शकों को उकसाया जाता है, जनता,जब लालच मे आकर 6 अंको का नम्बर दबाती है… तो सामन से जवाब आता है..??? , आप {लूटने की} कतार मे हो..जब उनका मोबाईल का बैलेस खत्म हो जाता है.. तो उन्हे आश्चर्य होता है कि मेरे 100-400 रूपये कैसे लूट गये है…क्योकि इसकी काँल रेट 10 रूपय् /मिनट है..असली सच्चाई तो यह है कि कार्यक्रम पहने से बनाकर , मीडिया के लूटेरे जानबूझकर गलत जवाब देकर..अंत मे कार्यक्रम समाप्त होने से कुछ मिनट पहले सही जवाब देकर,रकम आपस मे बाँट लेते है.. दूरसंचार विभाग भी इस लूट की कमाई मे अपना हिस्सा गड्प लेता है..
2 वही.., रात को 12 बजे के बाद जवानो के जोश के लिए पलंग तोड गोली का विज्ञापने आता है, इस विज्ञापन के झाँसे मे आज तक किसी की पलंग तो नही टूटी है…लकिन..हाँ जरूर.. लोगो के पलंग के साथ घर बार भी बिक गया है…
3.एक है…?? मुनीरखान जो टी.वी.मे विज्ञापन जगत का भेडिया खान साबित हुआ..जो दुनिया की हर नालाज बीमारी को , 100 ग्राम शहद् के शीशी को 16 हजार रूपये मे बेचकर कर निदान का दाँवा करता था.. टी.वी. की पूर्व प्रसिद्ध आयोजिका तब्बसुम , अपनी जीविका को चमकाने के लिए. गिरगिट की तरह अपना चेहरा व आँखो की पुतलीओ को नये-नये ढंग से बदल कर कहती थी, नास्त्रोदामस की भविष्यवाणि आज सार्थक हुई है जिन्होने कहा था- दुनिया मे एक ऐसा व्यक्ति, चिकिस्ता जगत मे पैदा होगा ..एक साधारण व्यक्ति, कम पढा, जो न डाँक्टर होगा, लेकिन वैज्ञानिक बनेगा.. और चिकिस्ता जगत मे दुनिया को हर बीमारी से मुक्ति से क्रांति ला देगा… और उसकी तुलना भेडिया खान से कर कहती ..इस दुनिया मे यह वही वैज्ञानिक है.. जो पहले गैरेज मे, मेकेनिक से, कम्पाउंडर बन कर है.. जो धरती पर चमत्कारित व्यक्ति है जो ये दवा ले आए है…?? याद रहे 2002 मे इनके पास से आबकारी विभाग को भेडिया खान से 50करोड से भी ज्यादा की सम्पत्ती बरामद की थी , बाद मे मामला रफा दफा कर दिया गया..??? 2010 मे इनकी आय 1करोड रूपये प्रति घंटा होने से, हर वाहिनी पर उनका 30 मिनट का विज्ञापन आता था,, सभी वाहिनियो का खर्च तो उनके विज्ञापन से वसूल हो जाता था..और टी.आर.पी से आय तो उनके लिए एक अतिरिक्त बोनस था..
लाखो घरो के उजडने के बाद , पुलिस छापे मे , उनके घर व दुकान मे करोडो रूपये बरामद हुए, मुनीर खान तो लापता हो गये.. 3 महिने बाद 13 मई 2010 मे, पुलिस द्वारा पकडे जाने पर , पुलिस पर रिश्वत लेने का आरोप लगाने लगे…जेल जाते समय अपने बेटो को फोन करते हुए कहा ,, बेटे.. मेरे सर मे दर्द हो रहा है..तुम क्रोसिन (दर्द निवारक दवा) ले आना…
वही तब्बसुम टो.वी पर घडयाली आँसू बहाकार, अपना छुडाने के लिए , अदालत मे याचिका दायर कर कह रही थी..?? यह इतना बडा भेडिया था ..इसमे लाखो लोगो की जिंदगी उजाडी है.. इसकी मुझे भनक तक नही लगी… और इसकी जालसाजी से… मुझे विज्ञापन का मेहताना भी नही मिला..?? आज मुनीर खान जेल से आजाद हो गये है…?? फिर से एक नया खेल होगा… दोस्तो मेरे वेब्स्थल का स्लोगन है… मेरा सविधान महान … क्योकि यहाँ हर माफिया पहलवान.
देश के इतिहास में लाल किले से एक शेर दहाड़ा.., विरोधियों का सूपड़ा साफ़ करने बाद..., देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद , अपनी ललकार से ब्रिकस देशों की अपनी मनमानी की ब्रिक (ईट) तोड़कर, व अमेरिका को अपने देश के स्वाभिमान की फटकार से लताड़ कर.. होश उड़ा दिए है .., पहली बार विदेशी पट्टे (जंजीर व विदेशी नीती के घुटने टेकू विचार को ध्यान में रख, बनाए गये पिछले नेताओं के भाषण.., मोदीजी ने बिना कागज के लेख से.., अपने स्वाभिमानी मौखिक बयान से ) के बिना, और विदेशी इशारों की लगाम तोड़ कर दहाड़ा .., और विश्व के देश द्वारा अपनी नीती बनाकर, हमारे देश को लूटने, व आतंकवादी भी ..., जो देश को आतंकवाद से देश की दरार कर फर्राटे से भागने, में सफल होते थे.., अभी उन्हें.., मोदी द्वारा, भविष्य में अपने पिछड़ने का पहाड़ा समझकर..., अभी से चिंतित हो गए हैं ...,
६७ सालों की तुष्टीकरण की नीती से देश के सुस्तीकरण से देश को बूढ़ेपन में ढकेलकर..., विदेशी बैसाखी देने वालों को चेताया.., कि हम अभी भी, लूले, लंगड़े नहीं है...
अभी भी हममें राष्ट्रवाद का खून मौजूद है..., और हमारे में इतनी शक्ती है कि वोट बैंक की आड़ से , देश में हुआ अन्धकार... जो राष्ट्रवाद का ६७ सालों का जमा कर रखा खून था - व विदेशी कर्ज के खून से देश को दौडाने के खेल से सत्ता की भ्रष्टाचार की सुपर रेल का आनन्द के खेल के, तमाशे से देश वासियों को भारत निर्माण के अफीमी नारों से जनता को भरमा रहें थे..., वह दिन चले गए है
अब राष्ट्रवाद से ही देशवासियों के “अच्छे दिन आने वाले है...,” “यही विश्व के उन्नत देशों का मूल मंत्र है..”
लाल किले से प्रधानमंत्री के इसी अदभुत सन्देश से , अब हमारे देशवासी, विश्वगुरू की ऊर्जा से,एक नया उजाला देकर, वन्देमातरम (धरती/देश की सेवा का पूजक/सूचक) की दहाड़ से, हमारा देश सुजलाम सुफलाम से विश्व के सर्वोत्तम से श्रेष्ठतम बनेगा
हम विश्व की सबसे प्रतिभाशाली कौम है..., इसके बावजूद हम पिछड़े देशों की कतार में सबसे आगे क्यों है...., देश को सत्ताखोरों ने जातिवाद, भाषावाद,अलगाववाद के धागे से भ्रष्टाचारवाद का कंबल बुनकर देश को अंधेरे से ढक दिया ...
FUNBOOK NAHI, HINDUSTHANI ROAD BOOK BANO... https://www.facebook.com/groups/576195052426683/ कृपया इस ग्रुप से जुड़ें...
दोस्तों .., हमारे देश की भव्यता को देखे ... दक्षिण एशिया मेंसबसे ज्यादा उपजाऊ जमीन, नदियों का जाल, दुनिया का सबसे तेज दिमाग , लोहे व अन्य खदानों का भण्डार ...लेकिन हमारे सत्त्ताखोरों ने राष्ट्रवाद को दरकिनार कर हमें धर्मनिरपेक्ष के झांसे से साम्प्रयवाद के छुपे रंग से वोट बैंक की आड़ में घुसपैठीयों के वोट बैंक से देश के तिरंगे को बदरंग कर दिया है
आओ.,पार्टी नहीं देश का पार्ट बने, “मैं देश के लिए बना हूँ, देश की माटी बिकने नहीं दूंगा, “राष्ट्रवाद की खाद” से भारतमाता के वैभव से देश को भव्यशाली बनाएं
याद रहे , अमेरिका की विदेश मंत्री हेनरी क्लिंगटन ने अपने कार्यकाल में कहा था “हम टी,वी. व इलक्ट्रोनिक व अन्य वस्तुयें चीन, ताईवान,कोरिया, वियतनाम से खरीदते है, लेकिन हम तेजस्वी दिमाग हिन्दुस्तान से खरीदते हैं ,
आज हमारे देश के वैज्ञानिकों को सम्मान न मिलने से , वे विश्व में अपना लोहा मनवाकर, संपन्न देशों को गौरान्वित कर रहें हैं
हर साख पर लुटेरा है, पेड़ में पत्ते से ज्यादा भ्रष्टाचार के दीमक ...जातिवाद, भाषावाद, अलगाववाद के दिमाग से पेड़ (देश) को खोखला बना रहें है,
आओ..., राष्ट्रवाद को जीवन की धारा बनाये..... , और हम सब ...नदियों के रूप मे मिलकर, देश को, सुख - संपन्न्ता व वैभव का एक महासागर बनायें ....
सत्य मेव जयते…., अब बना , सत्ता मेवा जयते ....????, सत्ता एक मेवा है, इसकी जय है (जो, मेरे वेबस्थल का स्लोगन है...), और , इसी की आड मे सत्यम शिवम सुंदरम.... सत्ता एक मेवा है (सत्यम), जो भ्रष्टाचार के त्रिशूल से (शिवम है), और “ भारत निर्माण” के मेक अप से देश की सुंदरता के बखान से (सुंदरम है ),
एक ओटो रिक्शा के पीछे लिखा था सत्य परेशान होता है... लेकिन पराजित नही होता..??. आज के माहौल मे सत्य इतना परेशान होता है कि असत्य के हमले से आत्महत्या कर लेता है., (किसान आत्महत्या/ भूखमरी योजनाओं को, सत्ताखोरों के डकारने से, गरीबी से मौत )....
(आज के कानून की परिभाषा = कान+ऊन = कान मे ऊन = गरीबों के न्याय मे, कानून बहरा है, और भ्रष्ट अमीरों व माफियाओं के लिए कानून ... सेहरा बनकर, उनके गलत कृत्यों को सरताज कहकर, उन्हे, एक – एक , नये - नये ताज पहना रहा है….????) यही, आज का कानून, जो... गरीबों की गुहार सुनने के बजाय, कान मे ऊन डाल कर, तारीख पर तारीख देकर उसे प्रताडित करते रह्ता है. भ्रष्ट सत्ताखोरो, नौकरशाहों व माफियाओ के डर से जजशाही भी, कही अपना निवाला ना छिन जाये, इसलिए इनके चरण दास बन कर..... सत्य की परेशानी को और बढावा दे रही है. मेरे वेब स्थल का दूसरा स्लोगन है मेरा संविधान महान.... यहा हर माफिया पहलवान.... क्योंकि.... कानून से ज्यादा, आज पैसा है, बलवान... तो, क्यों ना डूबे हिंदुस्थान... भ्रष्टाचारी बने राजा... तो, क्यों ना बजे देश का बैंड बाजा....? और हर योजनायें, भोजनाये बन के खाजा , तो भी नही होगा बाल बॉका ...
–दोस्तो... जिस देश मे राष्ट्रवाद नही है, वहां, कर्ज की महामारी है, सत्ता खोरो मे लूट की खुमारी है, जनता के शोषण से राष्ट्र को बीमारी है... यही डूबते देश की कहानी है, राष्ट्रवाद की पुकार से ही.. हो , राष्ट्र की ललकार...???? हर दहाड़ , दुश्मनों के लिए बने पहाड़...,
मोदी लहर का असर..., लालू..., बना लूला और नितीश कुमार..., बना लंगड़ा और अब दोनों आँख में मुस्लिम(M) यादव(Y) की पट्टी बांधकर, नितीश्लाल की नीती से , MY बिहार से चुनाव जीतने का दोनों अंधे ख्वाब देख रहे हैं. कुर्सी के लिए राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता यह कहावत आज तक हर दल के नेता ने कहा हैंयदि राजनीतिक दुश्मन से समझौता नहीं होता तो राष्ट्रनीति से समझौता किया जाता है..,.राष्ट्रवाद को डुबो कर, वोट बैंक के सत्ता की नाव से जीवन की नैया बना कर, हर नेता, हर दिन अखबारो में सुर्खिया बना कर उन्नत होते जा रहा है.., और इस आड़ में देश की सूरत-सीरत-सेहत ६७ सालो से सूख गई है...
अभी इस दो-मुंहा नितीश्लाल के मिलन समारोह में २ दिन पहले भारी भीड़ जमाने के जुगाड़ का दावा करने के लिए मीडिया को बुलाया गया..., सिर्फ १५०० लोगों की भीड़ ने नितीश्लाल के चेहरे की हवाई उड़ा दी.., और भीड़ के बीच नीतीश कुमार को भावी मुख्यमंत्री घोषित करने पर अभी से सर फुटव्वल शुरू हो गयी है...
जयप्रकाश नारायण ने तो कहा था, देश में सबसे अधिक खनिज होने के बावजूद बिहार गरीब क्यों.???, इस जीत का रहस्य तो..., खनिज से ज्यादा बिहार में नेताओं के लिए जातिवाद,धर्मवाद के उत्प्रेरक खनिज से.., बिहार भ्रष्टाचार के बहार से गाय भैसों व अन्य जानवरों के चारे से, मुस्लिम यादव के भाई चारे नारे के आड़ २५ सालों तक चारे को डकारकर , प्रदेश के गरीबों को बहाकर.., एकछत्र राज्य करते रहे...,
दिवंगत महान व्यंगकार लेखक श्री हरीशंकर परसाई के १० हजार से अधिक राजनितिक लेख आज भी जीवंत हैं. १९६० के दशक में.., उन्होंने बिहार के बारे में लिखा था, श्रीकृष्ण भगवान् मुझे मिले थे. उन्होंने, कहा मैं बिहार में चुनाव लडूंगा और लोगो को कहूँगा में श्रीकृष्ण भगवान् हूं , मैं आसानी से जीत जाऊंगा .., तब मैंने उनसे कहा आप जब तक यह नहीं कहोगे मैं श्रीकृष्ण “यादव” हूँ , तब तक आप चुनाव नहीं जीत सकोगे. भगवान् और मेरी शर्त लगी भगवान् श्री कृष्णा के विरोध में यादव नाम का उम्मीदवार खड़ा था और वह जीत गया और भगवान् श्री कृष्ण हार गए.
फ़कीर प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को छोड़कर, लिन्होने जय जवान जय किसान की लकीर से देश की एक नई राष्ट्रवादी तकदरी लिखी थी , उनकी ह्त्या कर, देश की राष्ट्रवाद की लकीर/ राष्ट्र-धन को वोट बैंक में परिवर्तित कर इसे गरीबी हटाओ के इमारत से “मेरा भारत महान” से “भारत निर्माण” के महलों में रहकर एक छत्र राज किया..., एक मुंहा वंशवाद ने वोट बैंक की राजनीती से इस देश गरीबी को बढाकर विदेशी हाथों के कर्ज से मर्ज का अधिकार देकर डॉलर ने रूपये को सठीया दिया, मेरा भारत महान से, माफियाओं की नयी पीढी के पौधों का निर्माण को “भारत निर्माण” का नारा दे दिया, बीच-बीच में विरोधी दलों को जो सत्ता प्राप्त हुई, तो बहुमुखा सत्ताखोरों ने अपनी वंश के साम्राज्य को जमाने के राज के ख्वाब से देश को लूटा...
“आराम हराम” के नारे की आड़ में नेहरू ने धर्मवाद,जातिवाद, भाषावाद के गद्दे से ऐय्याशी का जीवन जीया. गरीबी हटाओ के आड़ में इंदिरा गाँधी ने आपातकाल लगाकर, बनाया संविधान हटाओ और राज करो.
अगले चुनाव में “न जात पर न पात पर इंदिराजी की बात पर मुहर लगाओ हाथ पर...,” जनता ने तो इस राष्ट्रवादी नारा समझकर..., इंदिरा गांधी को जीता दिया लेकिन जात पात की राजनीति से.., सत्ता की इस मधुमख्खी ने हर फूलो (गरीबो) को डंक मारकर, सत्ता का शहद पी लिया तो - सत्ता जाने के डर से इंदिरा गाँधी ने आतंकवादियों के हाथ में मुहर मारकर , हाथ से हाथ मिला दिया ताकि वह बाहुबल से सत्ता पर मजबूती से काबिज हो.
इंदिरा गाँधी के शासन में गृहमंत्री रहे, ज्ञानी जैलसिंह ने इंदिरा के आदेश पर खालिस्तान (खाली स्थान) के आतंकवादियों से कहा तुम अपनी सेना बनाओ..., इस आवाज़ के टेप आज भी हमारे ख़ुफ़िया विभाग (“रॉ – RAW”) के पास जीवंत हैं.., .देश की बिंडवना थी कि ज्ञानी जैलसिंह सर्वोच्च पद्द के महामहीम बने जो आतंकवाद के महामुहीम के नेता .., राष्ट्रपति बन बैठे और इंदिरा गाँधी के इस अंधसमर्थक ने, राजीव गाँधी जिन्हें देश का ज्ञान तक नहीं था को प्रधानमन्त्री बना दिया.
राजीव गाँधी ने देश को बीसवी सदी में ले जाने के झांसे से “मेरा भारत महान” के नारे को “मेरा देश का माफिया महान” के कर्मो को सार्थक कर दिया. बोफोर्स घोटाले के श्रेय लेने से पहले वी पी सिंह ने इंदिरा की अग्नि चिता में जब इंदिरा समर्थक नारे लगा रहे थे..., “जब तक सूरज चाँद रहेगा.., इंदिरा तेरा नाम रहेगा..” तब शमशान भूमि में इस राजीव के चाटुकार ने, झांसे में यह कहा कि है मैं नया नारा देता हूँ “जब तक इंदिरा तेरा नाम रहेगा.. सूरज चाँद रहेगा..” और वे राजीव गाँधी के दुसरे श्रेणी के नेताओं में सर्वोच्च रहे.
राजीव गांधी के राजनीति में पकड़ कमजोर ख़तम होने पर वी पी सिंह ने अपने को मिस्टर क्लीन बनाकर बोफोर्स घोटाले को उजागर करने के अपने ईमानदार छवि से अपने को राजीव गाँधी से ज्यादा क्लीन दिखा कर भा जा पा के सहयोग से प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने अपनी सत्ता २५ सालो तक सुरक्षित रखने के लिए दलित कार्ड खेला और बोफोर्स घोटाला कूड़े में दान कर मसीहा बनने के चक्कर में प्रधानमंत्री पद से हाथ धो बैठे....
देश के कांग्रेसी बिजली मंत्री ने देश की आधी बिजली गुल करने के बाद.. पदोन्नती से गृहमंत्री बने सुशील कुमार शिंदे ने..., गुल-गुले बनकर, मुस्कराकर कह रहे थे, हम पाकिस्तान से बात कर रहें हैं, वह दाऊद को भेज देगा, अब मोदी सरकार दाऊद की खबर से कब्र तक का हिसाब लेगी
“न जात पर न पात पर , मुहर लगाओ राष्ट्रवाद पर..,” इस मंत्र से आज मोदी सरकार ने एक चमत्कार से जातिवाद,भाषावाद,अलगाववाद,घुसपैठीयों के वोट बैंक के चाटुकार को राष्ट्रवाद के गर्म चिमटे से भेद दिया है...यह कार्टून सम्मानीय राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी को समर्पीत ..., आज के प्रधानमंत्री पद की गरीमा के महत्व को देशवासीयों को समर्पण सन्देश से राष्ट्रवादी भावनाओं की बयार की शुरूवात..इस शेर की अब होगी है दहाड़, सीमा पार लुटेरे देशों व आतंकवादियों को मिल रही लताड़, स्वाभिमान से ललकार..., अब हम हो गए होशियार, हम हों रहें कामयाब हर दिन.., लुटेरे देशों व आतंकवादियों के मिलने वाले सुर अब हो रहें बेकार
१. “न जात पर न पात पर , मुहर लगाओ राष्ट्रवाद पर..,” नहीं तो.., यह, हमारे गणतंत्र दिवस/स्वतंत्रता दिवस व संविधान के प्रति बेईमानी है..... दोस्तों....बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है. संविधान में जितने क़ानून है, उससे ज्यादा छोटे मोटे घोटालों की गिनती करें तो वे कहीं ज्यादा है..., हमारे घोटाले तो संविधान से भी महान है ...
२. जनता पार्टी के एक किसान नेता चौधरी चरण सिंग को धोखे से, इंदिरा गांधी ने उनके चरण छू कर प्रधानमंत्री पद का लालच देकर, चरण सिंग की राजनैतिक आकांक्षाओं की हत्या कर, उनका कान खीच कर गद्धी से नीचे उतारा, बाद में वे राष्ट्रीय स्तर पर संतरी के लायक भी नहीं रहे
इसके पश्चात, इंदिरा गांधी ने सिर्फ एक नारे से चुनाव जीत लिया. “न जात पर न पात पर, मुहर लगाओ हाथ पर,” जनता ने इस नारे को इंदिरा गांधी की “एक राष्ट्रवादी” विचार की धारा से देश “दिव्यमान” होगा, इस आश से वोट दिया, और इंदिरा गांधी ने रातों रात अपनी “इंदिरा कांग्रेस” की सत्ता पर काबिज हो गई
३. सत्ता में आते ही , जनता का ध्यान भटकाने के लिए यह नारा घातकतम बन गया” न जात पर न पात पर , मुहर लगाओ आतंकवाद पर” से देश की राजनीती को “पकड़” का हत्यार बनाया, जिसका अभिशाप आज भी हमारा देश भुगत रहा है ....
४. सत्ता एक अंधियारी गली होती है, उसमे “दिव्यमान” व्यक्ति ही राष्ट्रवाद के प्रकाश से इस गलियारे में चल सकता है , यदि उस नेता के जीवन मे प्रकाश नहीं है तो उसकी की ही पार्टी का कोइ नेता ही उसकी कुर्सी छीन लेता है
५. १९४७ में..., मोहनदास करमचंद गांधी , शरम का चन्द्र की गंदी राजनीती कर , लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए प्रधानमंत्री , लौह पुरूष सरदार पटेल का लहू पीकर , जवाहरलाल नेहरू में भरकर, संविधान की धज्जियाँ उड़ाई ,
६. कहते है , सही शुरूवात करों तो , आधा काम पूरा हो जाता है....१९५२ का संविधान तो नेहरू ने अंगेजी में व अंग्रेजों की स्मिता को ध्यान में रखकर , इसे कोपी ...पेस्ट ... कर आज तक कॉपी राईट बना रखा है, याद रहे..., आज भी हमारे देश का संविधान व अंग्रेजों द्वारा गुलाम देश आयरलैंड का संविधान एक ही है
७. १९५२ से कांग्रेस के “चुनाव चिन्ह” में “दो बैलों की जोड़ी” से, जवाहरलाल नेहरू ने चुनावी नारा “आराम हराम है” के अपने अय्याशी पन को छिपाकर जीता , सत्ता में आते ही इन दो बैलों को सत्ता की विदेशी शराब पीला कर बेहोशी में रखा.... और बिना किसान के, देश की उपजाऊ जमीन को बंजर बनाकर , देश में भूखमरी पैदाकर, विदेशी अनाज से देशवासियों का लालन पालन किया, हमें ऐसा घटिया/सड़ा अनाज खिलाने को मजबूर किया गया, जो कि अमेरिका के सूअर भी नहीं खाते थे ... हमारे सेना के जवानों के हाथों में बन्दूक थमाने की बजाय “शांती का गुलाबी फूल” थमा दिया .... और “हिन्दी –चीनी , भाई-भाई” के नारे में उसकी महक डालने से, नोबल पुरूस्कार जीतने की महत्वकांक्षा में सेना को नो बल कर दिया... हमारे से दो साल बाद, आजाद हुए “चीन” ने अपनी ताकत बढाते हुए .... मौके की ताक में हमारे देश ४६ हजार वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर , नेहरू को थप्पड़ मार कर , नेहरू का नारा “हिन्दी –चीनी , खाई –खाई” मे बदल दिया और नेहरू का “शांती” के नारें की देशवासियों के सामने पोल खोल दी
८. जवाहर लाल नेहरू की मौत के बाद . प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने इन दो बैलों का किसान बनकर ,अपने साढ़े चार फीट की काया को, राष्ट्रवादी बल से , इन अपाहिज हुए जवानों व किसानों में एक नया आत्मबल डाल कर , “जय जवान – जय किसान” के नारा को १९ महीने में सार्थक बना दिया. लेकिन...., देश के कांग्रेसी तो वंशवाद से भयभीत थे ... लेकिन उससे कहीं ज्यादा भयभीत विदेशी ताकतें थी, उन्हें अहसास हो चुका था {यदि हमारा देश दो साल और “राष्ट्रवादी प्रवाह” से चलेगा तो हम हिन्दुस्तान आत्मनिर्भर बन जाएगा, और कोई ताकत उस पर राज नहीं कर सकेंगी} इसलिए , देश के “लाल” को सुनोयोजित षड़यंत्र से मारकर, उन्हें दूध में जहर दे कर “नीली” काया में उनके पार्थीव शरीर को लाया गया , हमारे देशी कांग्रेसी ताकतों ने भी इसे हृद्याधात से प्राकृतिक मौत से, बिना पोस्टमार्टम के, डर से... कही पोस्टमार्टम करने पर , देशी व विदेशी ताकतों का पोस्टमार्टम न हो जाए ... आनन – फानन में प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का शव दाह कर दिया , उनकी पत्नी अंत तक गुहार लगाती रही , मेरे पति की हत्या की जांच हो...
९. वही राजीव गांधी ने आस्था के वोट से , राष्ट्रपती ज्ञानी जैल सिंग ने उन्हें स्वंयभू प्रधानमंत्री बनाकर , “मेरा भारत महान” के अति अफीमी नारे से..., देश में महान घोटालों से, ६० करोड़ के बोफोर्स घोटाले से श्रंखला की शुरूवात कर, बीज बोकर , जो अंत में ४०० करोड़ रूपये, इस जांच में खर्च कर , क्वात्रोची अब अपने कब्र में भी ऐश कर रहा है...आज “आम आदमी के हाथ” के नारों से मल्टी फ़ोर्स घोटालों से , देश के नेताओं के काले धन के सितारें इतने चमक रहे है कि वे देश के राष्ट्रवादी सूरज को अपने काले धन के बादलो से ढक कर , देश को धनी अंधियारी में धकेल दिया है..... यह एक बिवंड़ना कहे कि घोटालों की जांच के बीच ही राजीव गांधी को “भारत रत्न” दे दिया...!!!!!!!!!!,
न मैं खाता हूं , न खाने देता हूँ..., राष्ट्रवाद के गीत गाता हूं , अब मेरे मंत्रियों में भी भ्रष्टाचार के भाई- भतीजावाज के जन्त्रीयों की खोज कर दबोचने की ताकत रखता हू , मेरी आसमानी गगन की उड़ान में.., जमीन पर भ्रष्टाचारी चीटियों से अलगाववादी, घुसपैठीयों पर भी नजर रखता हू ...,१०० दिन की नजर से.., अब मन मौजी मंत्री पर हर दिन नजर व खबर रखता हूं , सत्ता जनता को न सताए इसका गुमान रखता हूं .., फाईलो, को फैला कर , भ्रष्टाचार के थैला बनाकर , देश को मैला बनाने वाले अधिकारी को,,. धिक्कारी बनाकर , राष्ट्र का प्रहरी बनकर , देश को हरा-भरा कर.., गरीबों की मेहनत को सम्मान देकर उनका जीवन उन्नत करने का जज्बा रखता हूं मैं ....
मैं भारतमाता के वैभव को भव्यशाली बनाकर, देश को गौरवशाली से विश्वगुरू के नए युग की शुरूवात का संकल्प लेकर, अपने ध्येय को पूरा करने का माद्दा रखता हूँ....
मिडिया… पेट भरकर , पेड मिडिया से.., देश का 420 वा नही देश का चौथा स्तंभ बनो….. पेट भरकर , एक कुत्ते के पिल्ले को कुचलने के बयान से, देश के विशेष सम्प्रदाय से जोड कर , वोट बैंक की आड मे, चुनाव तक धर्मवाद का सुअरपना मत फैलाओ …????
इस देश में पत्रकार , पुत्रकार बनने से पहले पतन कार बन गये. .. नौकरसाही अपने सुख के लिए. , देश का इमान बेचते चले गये. …. न्यायसाही के हाथ काँपते – काँपते , अब कलम की स्याही सूख गई.. .. और इस स्याही के सूखने से देश मे , भ्रष्टाचार की बाढ आई ..?? अब इस व्यवस्था को ठीक करने का बीड़ा उठाता हूँ, मैं..
क्या मोदी सरकार,जनता की आस की, एक सांस लेकर, लोकतंत्र के बाग़ के बागी-दागी सदस्यों पर जल्द ही कारवाई करंगे....??, देशी विदेशी माफियाओं पर कारवाई कर एक लोकतंत्र के मजबूत स्तम्भ का निर्माण करेंगे.....पुरानी पोस्ट...Posted on May3, 2104 / कांगेस के कार्यकाल की Deshdoooba Community timeline देशवासी सो रहा है..., दिन के लुटेरे देश में राज कर रहें है...!!!!,लोकतंत्र के खंभे उखाड़कर, देश जर्जर हो चुका है....., देश के छुटभैय्ये नेता भी आज अपने को देश के संविधान का स्तंभ समझकर , जनता में दंभ भर रहें है..., सुप्रीम कोर्ट की लताड़ के बावजूद , वे ताड़ के पेड़ से भी ऊँचे होते जा रहें है..., सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना कर , उसे चुनौती देकर कहते हैं... अपनी अवकाद में रहों ...हमें जनता ने चुना है, हम संविधान के रक्षक हैं...
चुनाव के समय में संविधान को जातिवाद , भाषावाद ,अलगाववाद व घुसपैठीयों का लेप लगा कर, बांटो और राज करो से धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देकर “लूट में छूट” का खेल, खेल कर सत्ता को चमकाया जा रहा है...
देश के प्रधानमंत्री को विकास के झांसे से १० साल से सुलाये रखा है..,
देश, देशी व विदेशी माफियाओं के चुंगल में फंसकर “आम आदमी के हाथ” को सत्त्ताधारी अपने पंजे से नोचकर , एक घुटन की जिन्दगी से परेशान कर , देश के सीमा के जवान व अन्नदाता किसान को आत्महत्या से भ्रष्टाचार का एक समा बनाकर ... भ्रष्टाचार की लड़ी से .., दिन में दिवाली और रात तो और भी मतवाली बना रहें है....
“आराम हराम है” , “गरीबी हटाओ” के बाद सहानुभूति लहर से जीते राजेव गांधी ने “मेरा भारत महान” के “वंशवाद की पीढी” से बोफोर्स के भ्रष्टाचार से “हो रहा भारत निर्माण” से मल्टी फ़ोर्स भ्रष्टाचार के घोटाले से... हमले से जनता... जो जातिवाद , भाषावाद ,अलगाववाद से अलग थलग होने से इसका प्रतिरोध करने में असहाय हो गयी है...
याद रहे..., आज देश के प्रति व्यक्ती पर ५० हजार से ज्यादा का विदेशी कर्ज है.., और देश की नीती कर्ज देने वाले देशों के इशारे से चल रही है...
देश की सीमाए खुली हैं ..घुसपैठीयों व आतंकवादी बेख़ौफ़ है..., LOC को LOVE OF COMBINATION कहकर सत्ताधारी इसे शांती के साथ बंधुत्व कहकर, जवाहरलाल नेहरू की सत्ता नीती से.., विदेशी आक्रमणकारियों को निमंत्रण दे रहें हैं ....
हम हिंदुस्थानी तो, इनके लिए खेत की गाजा मूली से भी बदतर है..., इन्हें इतना गुमान हो गया है कि .., भ्रष्टाचार के धनबल से जनता में अनेकता पैदा कर “भावी भ्रष्टाचार” से देश को लूट का एक नया शिखर बना सकते है.... , जागों देशवासियों ..., जब तक हम राष्ट्रवादी धारा में न आये तो.., “देश की प्रगति विदेशी हाथो से एक मिथ्या है...
जी हाँ .., क्रिकेट के भगवान् की राज्यसभा में अनुपस्थिती से..., पूरी पगार.., क्योंकि हमारा संविधान है दिलदार..., दागी बागी की लोबी से लोभी भी हैं..., इसके दावेदार....
पिछले दरवाजे (राज्य सभा) के नेता , अभिनेता, खिलाड़ी से धन बल के मसीहा भी बने सदाबहार..., रिश्वत से राजनीती के सफर , रिश्ता भी है..., अभी बरकरार...,
महान फक्कड़ समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने कांग्रेस से लोहा लेते कहा था , राज्य सभा देश के संविधान का भार है..., इसे भंग किया जाय..,
पहले दिन..., अपनी अनुपस्थिती के इस विवाद पर सचिन तेंदुलकर,खामोश..., दूसरे दिन बड़े भाई के ऑपरेशन का बहाना..., तीसरे दिन बेबाक कहना..., “ मैं विज्ञापनों व अन्य अनुबंधों की वजह से राज्यसभा नहीं आ सका”..., लेकिन भविष्य में कब आऊँगा इस बारे में कुछ नहीं कहा ...
हाल ही मैं सचिन तेंदुलकर का , दिल्ली के विज्ञान भवन में आगमन .., लेकिन राज्यसभा से हुआ उनका मोह भंग...
आज से १८ साल पहिले एक सीनीयर भारोत्तोलन की महिला खिलाड़ी ने कहा था, क्रिकेट की वजह से सचिन को जल्द ही अर्जुन पुरूस्कार मिला , मैं, तो वर्षों से देशी- विदेशी गोल्ड मेडल लेते आई हूं ..., मुझे तो पुरुस्कार के लिए, खेल मंत्रालय में मंत्रणा चल रही है..., दूसरे खेलों के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय पुरूस्कार देना, मतलब खिलाड़ी पर परोपकार करना...
याद रहे क्रिकेट के कप्तान महेंद्र सिंग धोनी , अपने शुरूवाती खेल जीवन में.., जो फ़ुटबाल में अपना जीवन सवारने के लिए ,५० रूपये कमाने के लिए कई किलोमीटर की पैदल यात्रा करते थे..,
४ साल पहिले भारत सरकार ने क्रिकेट में महेंद्र सिंग धोनी व हरभजन सिंग को पद्मश्री से सम्मानित किया तो ,वे विज्ञापन एजेंसी में, शूटिंग से, धन की लालसा से , राष्ट्रपति भवन में पुरुस्कार समारोह में नहीं गए .., बाद में झारखण्ड सरकार ने इनके इस कृत्य का बचाव कर, राजभवन में बुलाकर पुरूस्कार दिया
आज देश में क्रिकेट ने अन्य खेलों के वजूद को खा लिया है... अन्य खेलों के देश में हजारों खेल रत्न जो अन्तराष्ट्रीय मंचों पर गोल्ड मैडल जीत चुके हैं..., आज वे दुर्गती भरा जीवन जी रहें/रहीं हैं.., कोई मंनरेगा में मजदूरी, कोइ सब्जी बेचकर...,कोई भूखमरी से ..., और देश की प्रतिभा ख़त्म हो रही है...,
राख के तले चिंगारी (गरीबों की प्रतिभा) को तो सरकार ने , राख पर भ्रष्टाचार का पानी डालकर .., बुझा दिया है...
दूसरी बड़ी खबर..., बॉडी बिल्डर खामकर, सरकारी बाबूओं की चमक बड़ा-कर , भ्रष्टाचार के मलखंभ से अब दसवी बार , दस नम्बरी के दंश से भ्रष्टाचार के मिस्टर इंडिया के खिताब से नवाजा जा चुका है...,
तीसरी खबर, सरकारी श्री की पद्मता से सैफ अली भी दबंगी दिखाकर , मल खंभ के खेल से, संविधान से सुशोभित है..
याद रहे.., सैफ अली के पिता , क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी ,दुर्लभ जाती के हिरन ह्त्या के आरोप में, अग्रिम जमानत से क़ानून को अमानत बनाकर अल्लाह को प्यारे हो गये .., वे ही नहीं इस तरह के लाखों अमीर सफेद्पोसों ने क़ानून को प्यास बनाकर अपनी सेहत बढ़ाई है...,
क्या अल्लाह को प्यारे इस तरह के लोगों को.., अल्लाह भी प्यार देगा...???, यह सवाल हमारे देश के संविधान के क़ानून की अनबूझ पहेली है...!!!!!!!,
((((वोट बैंक के भगवानों ने सत्तापरिवर्तन (१९४७) को आजाद भारत कहकर, क्रिकेट के दीवानों को वोट बैंक से भरमाने के लिए क्रिकेट के बिकाऊ/दुकानदार को भारत रत्न का सम्मान से सत्कार व मेजर ध्यानचंद को दुत्कार, व गुलाम भारत के खेल के भगवान, ध्यानचंद,जिन्होंने विश्व को नक़्शे में भारत का ध्यान दिलाकर.., हिटलर ने भी जर्मन के फील्ड मार्शल की बोली लगाई.., राष्ट्रवाद को कोई खरीद नहीं सकता है.., यह सिद्ध करने वाले ध्यानचंद.., के पुतले की धूल साफ़ करने का कांग्रेसीयों को ध्यान तक नहीं आया.. ध्यानचंद आज तक बेखबर व सचिन को तो लोकतंत्र के मंदिर का भगवान् बना दिया ))))
हिंदुत्व ही बंधुत्व है, पूरा विश्व ही हिन्दू का तत्व है...,
वासुधैव कुटुम्बकम के इस धागे में, धर्म परिवर्तन,जातिवाद,भाषावाद,अलगाववाद व घुसपैठीयों के वोट बैंक के विभिन्न रंगों के लेप से इस हिन्दुस्थानी धागे को तोड़कर , बहुत सारे खंडित धागे बनाने के लिए विदेशी आक्रमणकारीयों..., के बाद विश्व के देशों व अब तो देशी मीडिया भी इस गलिछ्ता से गलीचे वाला जीवन जी कर हिंदुत्व के ठेकेदार बने हुए है..,
विश्व चाहता है कि कैसे हम इन हिंदुस्थानी धागों को तोड़कर , टूटे धागों की गाँठ बांधकर, हम नए गुलामों की जमात बनाकर..., एक मजबूत रस्सी से बाँध कर रखें...,
हिंदुत्व तो ..., मातृत्व-माता (वन्देमातरम),/ पितृत्व-पिता (राष्ट्रवाद),/गुरुतत्व-गुरू (वैदिक वैज्ञानिक ज्ञान से गुरू है) व वासुधैव कुटुम्बकम (भाई-बहन चारा ) के असंख्य धागों का योग है...
हम प्रतिज्ञा ले.. इस राष्ट्रवादी धागे को और मजबूत बनाएं...
क्या अब आमीर खान भी अपनी फिल्म “पीपली लाइव” की तरह गांवों में जाकर,क्या इस पीके फिल्म की पब्लिसिटी के लिए , ट्रांसिस्टर लेकर नग्न होकर जायेंगे..,यदि, सत्यमेव जयते का हमारे नेता सत्कार करते तो, आज संविधान के जज, वकील और सरकारी बाबूओं की टोली भूखी मरती...मेरे वेबस्थल का स्लोगन है, “सत्ता मेवा है..,इसकी जय है” “मेरा संविधान महान..., यहां हर माफिया पहलवान”जब, सत्ता, मेवा, जयते – सत्ता एक मेवा है, इसकी जय है (सत्यम) (जो, मेरे वेबस्थल का स्लोगन है...), जब भ्रष्टाचार के त्रिशूल से (शिवम है), और भारत निर्माण के मेक अप से देश की सुंदरता का बखान हो रहा है (सुंदरम है ), – दोस्तो... यही डूबते देश की कहानी है, यह देश की, लूट – पानी है...., सत्य की खाल से, माफियाओ की ढाल बनी है , यह देश के बरबादी की मनमानी है .
१८७२ के पुलिस कानून बनने के पहले, देश में सिर्फ सदाचार से जनता भी समाज में सम्मान खोने के डर से उनकी आत्मा..., दुराचार, दुष्कर्म, बेईमानी करने से उसका हाथ पकड लेती थी
लार्ड मैकाले ने १८३५ में ब्रिटिश संसद में कहा था , मैंने हिन्दुस्तान (पाकिस्तान, बर्मा व अन्य हिन्दुस्थान से जुड़ें देश) की और छोर की यात्रा की , मुझे कोई चोर उच्चका ,भिखारी नहीं मिला , सैकड़ों सालों की गुलामी के लिए विदेशी भाषा की गुलामी थोपो...,
विदेशी आक्रमणकारियों के हमारे देश इतने हमले होने के बावजूद हमारा समाज , गुरूकुल शिक्षा से देशी,भाषा,विचार,संस्कार से समृद्ध था
दोस्तों आज इस विदेशी संस्कृति की आड़ में गरीबो की देश शोषण व अमीरों के वह्सीकर्ण से हिन्दुस्तान डूब रहा है...
२००५ में आमीर खान ने मंगल पांडे फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई थी , युवा वर्ग कह रहे थे..., आमीर खान ने क्या बेहतरीन भूमिका निभाई है, लेकिन मंगल पांडे की क्रांती व बलिदान की अहम् भूमिका को भूल गए..,
२००७ में, दो साल बाद , मंगल पांडे का १५० वाँ जन्म था, इस फिल्म से करोड़ों रूपये कमाने वाले आमीर खान , दुर्लक्ष्य कर , इस दिन कोई उत्सव तो दूर की कौड़ी रही.., देश को कोई सन्देशतक नहीं दिया..., देश के अखबारों के विज्ञापनों भी बुझ गए थे,,
मंगल पांडे, इन दिखावेबाजों के धूल के तले आज तक दबें पड़ें हैं..
‘मंगल पांडे’ ने यह अहसास कराया कि जिन आजाद हवाओं में वह सांस ले रहे हैं वह उन्हें मंगल पांडे जैसे सेनानियों के बलिदान की बदौलत मिली है।’’
हमारे देश की गरीबी बेचकर , धनाड्य वर्ग से , फिन्म इंडस्ट्री के लोग और अमीर बनते गए १९५०-६० के दशक से “जागते रहो”, दो बीघा जमीन “और हाल की “जय हो “ और सत्यजीत रे जैसे फिल्म निर्माता अंतर्राष्ट्रीय पटल में वाहवाही लूटते रहें, देश की गरीबी की छवी से विश्व में प्रसिद्ध हो गए..,
विदेशी देशों में इन्होनें हमारी ऐसी छवी बना दी थी कि विदेशी कहते थे , इस देश की संस्कृति पाषाण युग की है,,, यह देश सांप की पूजा करने वाला देश है...,
कैसे मोदीजी ने धर्मवाद,जातिवाद, अलगाववाद,घुसपैठवाद की ६० सालों की देश की संगीत कुर्सी छीन कर..., पाकिस्तान,चीन व यूरोपीयन देशों के शोषकों व आतकवादियों को हक्का-बक्का कर दिया ..., आज नेपाल,चीन.भूटान,श्रीलंका,नेपाल व अमेरिका की लूट-नीती को दुत्कार से,अब सभी मोदी का लोहा मान चुके हैं..)
फेस बुक १० अप्रैल २०१४ की सार्थक REPOST – -मोदी शेर है.., बाकी सब ढेर है.., इस देश में.., मोदी ही एक शक्ती है जो इस सत्ता की MUSICAL CHAIR को... मोदी.., (MODI+KAL = मोदी कल, से) कल के मोदी से देश को संभालने की अद्भुत ताकत से..., राष्ट्रवादी धार से देश को स्वाभिमानी बना सकते है...
देश के इस अश्वमेघ घोड़े के पकड़ने में .. विपक्ष इसे दौड़ से पकड़ने की बजाय भद्दी बयानबाजी की रेस में कीचड़ बनकर... कमल को खिलाने की होड़ में है.. ,
मुझे दू:ख है कि भा.ज.पा. के केकड़ा राम..., कमल पर अपने कीचड़ के पांव से कमल पर चढकर.. कमल को गंदा कर रहें है.. इसमें कांग्रेस की तरह वंशवाद अन्य से कीचड़ के धब्बे से अपने को नब्बे कहने की दौड़ में ... पार्टी के केकड़ा रामों में अभी से ही भगदड़ है.,