Friday 15 November 2019

मोदीजी तुस्सी ग्रेट हो.., पकिस्तान के पुलवामा हमले के बाद प्रतिशोध कैसे लिया जाता है यह बालाकोट में सर्जिकल हमला कर आतंकी कैम्पों को धराशाही कर, दुश्मन ने इस हमले को विश्व मंच में  शिकायत करना खुद को शर्मिन्दा समझकर चुपचाप रहना ही बेहतर समझना पड़ा ..







ब्रिकस 
२०१९ से G20 देशों से विश्व के विभिन्न मंचों से मोदीजी  आपकी आतंकियों के प्रति हुंकार से अमेरिका ने भी बगदादी को मारने का बीड़ा उठाकर एक सफल अभियान किया · 

मोदीजी तुस्सी ग्रेट हो.., BRICS नही विश्व के आतकवादियों की BRICKS को तोड़ना जरूरी है.., २०१४ से आपकी नीती काम आई, समय के साथ राजनीती से कूटनीती से विश्व को कैसे पांवों तले रौदा जा सकता है .., सुपरपावर को समय से पावर से पावडर बनाकर.., उन्हें ही उनके पावडर लगाकर एक कृत्रिम चहरे को चमकार , उनके सत्कार से देश की रक्षा का चमत्कार हो सकता है .., भले भी चीन आज आपकी आतंकवाद विरोधी नीती से गर्दन झुकाकर सहमती न देकर अपना दाँव खेल रहा है.., लेकिन इस  दिन के अब दूरी ख़त्म होकर...,  आपके ५ साल के शासनकाल के बाद भी दुश्मन  घुटने टेकते हुए मिला ...



July 19, 2014 की पुरानी सार्थक पोस्ट


जरूर पढ़े..,मोदीजी तुस्सी ग्रेट हो.., भले ही फ़ुटबाल में हमारा नम्बर १५० देशों के बाद है.., पिछले १० सालों में हम आतंकवाद को रोकने में फिसड्डी देशों में शामिल हों.., आतंकवादी हमारे यहाँ कबड्डी के कबाड़े का खेल खेलकर, वापस चलें जाते है..


लेकिन नयें नवेले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्राजील के ब्रिक देशों के समूह में गोल मारकर, अपने स्वाभिमानी गर्जना से सात समुंदरी देशों के सुप्रीमों से विश्व के देशों में हमारी ताकत की झलक दिखा कर, दुनिया में हलचल मचाकर, महाबली देशों के, लूट के खेल बंद होने की आहट से आहत होने से खलबली मची है...

भले ही मानसूनी बादलों की देश भर में गर्जना नहीं हुई है...,लेकिन मोदीजी की गर्जना से विदेशी ताकतों की पेंट पैंट गीली हो गयी है..,अभी दो दिन पहले लद्दाख में हमने चीनी सेना की घुसपैठ को नाकाम कर दिया है...

पिछले १० सालों में हमारे प्रधानमंत्री से राजनयिकों ने, जो वार्ता के बहाने पिकनिक- पर्यटन (PICNIC) मनाने गए थे..., और देशवासियों में (PANIC) दहशत से आतंकवादियों को सत्कार से चिकन बिरयानी खिलाकर मीडिया व विदेशी ताकतों से वाहवाही पाते रहे...


देशवासियों के अच्छे दिन तो आने वाले हैं लेकिन विदेशी ताकतों के बुरे दिन आ गए हैं...




Deshdoooba Community
21 March 2014 की पोस्ट के अंश यह है कांग्रेस के घोटाले का महापुरूष , चाटुकार, सोनिया गांधी को भारतमाता कहने वाले खुर्शीद सलमान के कांग्रेस के मीठे प्रवचन ... जो सोनिया को भ्रष्टाचार से अपनी सता को सलामत मान (सलमान) कर खुशी की ईद (खुर्शीद) मना रहा है... अभी मनाओं जश्न... ६० दिन से भी कम का समय है.... कौन भ्रष्टाचार से नपुंसक बनता है ... जनता अपनी वोट की जादुई छड़ी से जबाब देगी , जो तुम बार बार कह कर ..कहे..कहे.. लगाकर जनता का उपहास करते थे ... तुम्हारे पुतले प्रधानमंत्री ने तो १५ अगस्त को लाल किले से जनता का उपहास उड़ाते हुए , कहा था हमारे पास जादुई छडी नहीं है .. कि महंगाई दूर हो जायेगी , असल में आपने यह जादुई छड़ी देश व विदेश के माफियाओं कों .., जनता को मारने के लिए दे दी है... अब जनता इसका हिसाब मांगेगी

वाह रे विकलांग , मना खुशी का आलम ,
क्या अब चीन जाकर क्या देश को और भी विकलांग बनायेगा..??? देश के विकलांगो की लूट मे छूट की वीरता से धन कमाकर ... तू विदेश मंत्री बना... अब चीनी दुश्मनों को...???, अब तो लूट मे छूट की वार्ता मे चीन जा रहा है...??? यह पब्लिक है सब जानती है, अंदर कितना खाया है..?? बाहर कितना विकास का दिखावा है... और देश का कितना भट्टा बिठाया है... दोस्तों क्या ये भ्रष्टाचार के विकास के नाम पर आम आदमी का नाश...??? या मेरा देश डूबा..???

Deshdoooba Community
February 5, 2014 की पोस्ट के अंश
देश के, चीन से हाल ही के गुप्त समझौते से...????, चीन से लौटे विदेश मंत्री विकलांग खुर्शीद सलमानजो देश के विकलांगो की लूट मे छूट की वीरता से विदेश मंत्री बनाने देश की अस्मिता को ताक में रखकर चीन की भव्यता को देखकर , चीनी सरकार को अपना बाप मानकर बयान दिया …., “...यदि मुझे चीन की नागरिकता मिले तो, मैं चीन में ही रहना पसंद करूंगा मैं चीन के विकास से बहुत ही प्रभावित हुआ हूँ ....

अब सोनिया गांधी को भारतमाता कहकर …, अब , “खुशी का आलमबनकर, जवानों को घटिया खाने के घोटाले बनें..., भ्रष्टाचारियों के मयखाने से...., विदेशीयों के लिए तोहफे खानों का उपहार से अब, ये कर रहा है दुश्मनों का उपकार ..!!!

जागो देशवासियों , डूबते देश को बचाओ... वह दिन दूर नहीं... कहीं हम दूसरी बेड़ी में न जकड़ जाएँ....?????, दोस्तों क्या ये भ्रष्टाचार के विकास के नाम पर भारत निर्माणके नारे से आम आदमी का विनाश…??? यामेरा देश डूबा..???


Thursday 14 November 2019

सुप्रीम कोर्ट की अब पक्की मुहर , रफाल पर अब कोई नहीं बबाल, विपक्षी पार्टियों के अब पंख क़तर गए हैं ..., अब हुई वीर परमवीर सावरकर की उक्ती साकार “शक्ती ही शक्ती का सम्मान करती है” , विश्व में दुर्बल बनकर देश का इतिहास नहीं संवारा जा सकता है..




सुप्रीम कोर्ट की अब पक्की मुहर , रफाल पर अब कोई नहीं बबाल, विपक्षी पार्टियों के अब पंख क़तर गए हैं ..., अब हुई वीर परमवीर सावरकर की उक्ती साकार शक्ती ही शक्ती का सम्मान करती है” , विश्व में दुर्बल बनकर देश का इतिहास नहीं संवारा जा सकता है..



अब पकिस्तान पर  प्रहार पर प्रहार..,बनी मोदी की दुधारी तलवार
देश में विरोधियों का चीत्कार, कोलाहल.., कहें मोदी नहीं हैं  देश के चित्रकार ..,

अब मोदी कहें.., इस कोलाहल से बनाऊँ इन्हें कोल्हू का बैल से राजनीती में ध्वस्त करूं इनके विचारों के चित्र का अस्तित्व
राफेल / मिराज २००० की धार पहुंची सीमा पार ,
अब नहीं होने दूंगा देश का बंटाधार




यह मोतीलाल नेहरू का योग या संयोग, कहा जाए, जो १४ फरवरी VALENTINE DAY के ठीक ९ महीने बाद, १४ नवम्बर को जवाहरलाल नेहरू को जन्म दिया...!!!!, देश की अय्याशी को बाल दिवस से संजोया गया




यह मोतीलाल नेहरू का योग या संयोग, कहा जाए, जो १४ फरवरी VALENTINE DAY के ठीक ९ महीने बाद, १४ नवम्बर को जवाहरलाल नेहरू को जन्म दिया...!!!!,  देश की अय्याशी को बाल दिवस से संजोया गया 

याद रहे..., मोतीलाल नेहरू राजा-महाराजाओं के विवादों के वकालत से अपने बेशुमार आय से, अधिक व्यय-भिचार से हिंदु संस्कृति को भ्रष्ट करने की वजह से काश्मीरी हिन्दुओं ने उन्हें अपने समाज से निकाल फेंका था...

और इसी क्रिया को उनके पुत्र जवाहरलाल नेहरू ने बरकरार रखते हुए..,सत्तालोलुप बनकर, सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद कहा था

नेहरु का हिन्दू-विरोधी वक्तव्य था... जवाहर लाल नेहरु, बहुत बार कहा करते थे कि ..., “मैं जन्म के संयोग से हिन्दू हूँ, संस्कृति से मुसलमान और शिक्षा से अंग्रेज हूँ.उन्हें हिन्दुओ की भावना की रत्ती भर भी परवाह नहीं होती थी,जिनके वोटो के बल पर उन्होंने सत्ता प्राप्त की थी.

वही हाल, एक तरफ तो पंडित नेहरु के नाती, राजीव गाँधी का हिन्दू-विरोधी वक्तव्य दिया.., राजीव गांधी ने हिन्दुस्थान का प्रधानमंत्री होते हुए भी सन्डे टाइम लन्दन को एक साक्षात्कार में नि:संकोच कहा की मेरे नाना जवाहरलाल नेहरु एक नास्तिक (एग्नास्टिक) थे. मेरे पिता पारसी (गैर हिंदू) थे, मेरी पत्नी इसाई है, और मैं किसी धर्म में विश्वास नहीं करता.

क्या..??, एक अय्याश व्यक्ती के नाम बाल-दिवसमनाना उचित है..,

देश का बाल दिवस तो हिन्दू संस्कृति के अनुसार गुड़ी पाडवाके दिन , नूतन दिवस में, नई किरणों से बाल निर्माणके साथ राष्ट्र निर्माणकी अलख से, हो, तो..., देश एक नए उजाले की ओर अग्रसर होगा.., और देश के २०० सालों की गुलामी से उपजी.., ६८ सालों की अंग्रेजीयत की बीमारी दूर होगी...

देश के धनाड्य वर्गों के, अंग्रेजी संस्कृति का बखान करने वालों को, यह देश का १३०वां WELL-IN-TIME और CHILDREN DAY- CHILD-MOTHER, RUN DAY के अनुयायिओं को समर्पित...

बाल दिवस या भूखमरी से बालकों का, बलि दिवस... देश में सालाना ३ करोड़ बालकों की.., कुपोषण ईलाज के अभाव से सरकारी योजनाओं को भोजनायें बनाकर, मृत्यु ...

यूरोपीय देशों में अवैध रूप से रोपे गए बच्चे.., उनकी सरकार गोद ले लेती हैं..., व उनके लालन-पानन की व्यवस्था की जिम्मेदारी सुचारू रूप से चलाती है...
लेकिन मेरे देश में गरीबी रेखा व उसके नीचे वैध बच्चे,जो बुढ़ापे में सहारा होते हैं.. , माफियाओं द्वारा चुराकर, भीख मांगने व वेश्या वृति व्यवसाय में धकेल दिए जातें हैं...,
देश में पुलिस के नाक के तले , निठारी काण्ड से बच्चे, , मानव भक्षियों के शिकार होकर, पुलीस थाने के सामने नालों में फेंक दियें जाते है...

सत्ताखोर व पुलिस भी इसे माफियाओं का आम खेल मानकर.., रिश्वत की रूई से अपने, आँख- कान बंद कर लेते है..., गरीबी लोग रोते बिलखते इन अपने मासूम बच्चों की तड़फ से अपनी नारकीय जिन्दगी गुजार देतें है...,

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को लताड़ लगाते हुए, पूछा..., देश के करोड़ों.., लापता मासूम बच्चों के बारे में क्या कारवाई की है...

याद रहे.., अन्ना आन्दोलन के चरम सीमा में पहुँचने के पहिले, जब उन्होंने रामलीला मैदान में रैली के लिए अनुमति मानी, तो मनमोहन सरकार ने उन्हें इस रैली की जगह, जयप्रकाश नारायण पार्क में रैली की अनुमती दी.., वह भी शर्तों से.. कि रैली में ५००० से ज्यादा की भीड़ नहीं होगी, व ५० से ज्यादा कारों व स्कूटर की पार्किंग नहीं दी जायेगी.., जैसे यह अन्ना का यह शादी समारोह हो..

उसी समय यूरोपीय देशों में नारी का पुरूषों से, समाधिकार की आवाज में , महिलाओं ने तर्क के साथ कहा कि यदि पुरूष बिना ऊपरी वस्त्र के सडकों पर चल सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं ...,

इसी विरोध में, उन्होंने ऊपरी वस्त्र खोलकर सडकों में SLEDGE –SHOW का प्रदशन प्रदर्शन किया ..., तब हमारे देश की INDIAN व अंग्रेजी से पेट भरने वाली धनाढ्य महिलाओं ने इस आन्दोलन के समर्थन में गुहार लगाई तो, देश का महिला अधिकार आयोग भी इस की मुखालत करते आगे आया तो.., उनके मनानुसार उन्हें , जंतर मंतर से संसद भवन तक SLEDGE –SHOW की अनुमती मिली ...,

अभी तो, खुले रास्ते में चुम्बन दिनमना कर इंडियन वर्ग अपने को अभिमानीत कह, गर्व मना रहा है...,

विदेशी धन , विदेशी संस्कृति के निवाले..., को देश की जनता पर थोपने का अधिकार...

क्या यह अंग्रेजी आवरण के छुपे खेल में भारतीय संस्कृति पर पर प्रहार नहीं है...!!!!