कृपया
लंबा लेख लम्बी सांस् लेकर जरूर पढ़े..,
१४
फरवरी देश को भारतमाता के प्रेम वात्सल्य को बचाने का का बलिदान दिवस...., व
पुलवामा के शहीदों का भारतमाता के रक्षा में अपना जीवन अर्पण करने वालों को
समर्पित दिवस के रूप से देश में याद रख कर देश स्वाभिमान से ही गर्वित होगा
भारत मां
के लिए चाहत, देश के तीन बेटों की जिंदगी, की कुर्बानी का फरमान आज सुनाया गया, १९४७ के बाद
ऐसे ही नाथूराम गोडसे व अन्य साथियों की तरह से इनके चहरे पर कोई शिकन नहीं थी
देश पर अपनी जान न्यौछावर कर देने वाले शहीद-ए-आजम, भारतमाता के भगत (भगत सिंह), अंग्रेजों के राज के गुरू का गुमान तोड़ने वाले (राज गुरू) व भारतमाता को
गुलामी की बेड़ी से मुक्त कराने में अपना सुख त्यागने वाले (सुखदेव) ने अपनी जान से ज्यादा तवज्जो
भारत मां के प्रति अपने प्रेम को दी थी।
वहीं अंगेजों के सेफ्टी वाल बने
कांग्रेसीयों का दल अय्याशी व ब्रह्मचर्य के प्रयोग से देशवासियों को गुमराह कर
रहा था...,
VALENTINE DAY बनाम WELL-IN-TIME
, आज देश, पाश्चात्य संस्कृति के कुआँ में
गिरने / गिराने व आज का युवा वर्ग तो प्रभात के ब्रम्ह मुहर्त में उठकर, फेसबुक, ध्वनी यन्त्र में प्रेम मंत्र से अपना व
सह्पाठीनीयों के साथ पाठन करता है...
१५ अगस्त के प्रभात फेरिया का, इन प्रेमी फोबियाओं की वजह से आज, आलस दिवस के साथ
विश्राम दिवस से देश के विश्वास का श्वास खोता जा रहा है....
१९६२ में भारतमाता के टुकडे करने वाले
जवाहर लाल नेहरू ने तो लता मंगेशकर से “ऐ मेरे वतन के लोंगों
, ज़रा आँख में भर लो पानी “ के गीत से
अपनी कमजोरी छुपा ली थी ...
आज इन तीन शहीदों के फांसी के फरमान के
बावजूद , आँखों से पानी नहीं निकले थे..., उनहोंने तो भारतमाता की गोद में सोने में अपना सौभाग्य समझा......
आज का युवा वर्ग पाश्चात्य संस्कृति
में मदहोश होकर, मानवाधिकार संगठन भी ढाल बनकर, इनकी हिमायत कर देश को गर्त में डाल रहा है...,
यह मोतीलाल नेहरू का योग या संयोग,
कहा जाए, जो १४ फरवरी के ठीक ९ महीने बाद,
१४ नवम्बर को जवाहरलाल नेहरू को जन्म दिया...!!!!,
याद रहे..., मोतीलाल
नेहरू राजा-महाराजाओं के विवादों के वकालत से अपने बेशुमार आय से, अधिक व्यय-भिचार से हिंदु संस्कृति को भ्रष्ट करने की वजह से काश्मीरी
हिन्दुओं ने उन्हें अपने समाज से निकाल फेंका था...
और इसी क्रिया को उनके पुत्र जवाहरलाल
नेहरू ने बरकरार रखते हुए..,सत्तालोलुप बनकर, सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद कहा था
नेहरु का हिन्दू-विरोधी वक्तव्य था...
जवाहर लाल नेहरु, बहुत बार कहा करते थे कि ..., “मैं जन्म के संयोग से हिन्दू हूँ, संस्कृति से
मुसलमान और शिक्षा से अंग्रेज हूँ.” उन्हें हिन्दुओ की भावना
की रत्ती भर भी परवाह नहीं होती थी,जिनके वोटो के बल पर
उन्होंने सत्ता प्राप्त की थी.
वही हाल, एक तरफ
तो पंडित नेहरु के नाती, राजीव गाँधी का हिन्दू-विरोधी
वक्तव्य दिया.., राजीव गांधी ने हिन्दुस्थान का प्रधानमंत्री
होते हुए भी सन्डे टाइम लन्दन को एक साक्षात्कार में नि:संकोच कहा की ‘मेरे नाना जवाहरलाल नेहरु एक नास्तिक (एग्नास्टिक) थे. मेरे पिता पारसी
(गैर हिंदू) थे, मेरी पत्नी इसाई है, और
मैं किसी धर्म में विश्वास नहीं करता.’
क्या..??, एक
अय्याश व्यक्ती के नाम “बाल-दिवस” मनाना
उचित है..,
देश का बाल दिवस तो हिन्दू संस्कृति के
अनुसार “गुड़ी पाडवा” के दिन , नूतन दिवस में, नई किरणों से “बाल
निर्माण” के साथ “राष्ट्र निर्माण”
की अलख से, हो, तो...,
देश एक नए उजाले की ओर अग्रसर होगा.., और देश
के २०० सालों की गुलामी से उपजी.., ७३सालों की अंग्रेजीयत की
बीमारी दूर होगी...
देश के धनाड्य वर्गों के, अंग्रेजी संस्कृति का बखान करने वालों को, यह देश का
१२५ वां WELL-IN-TIME और CHILDREN DAY- CHILD-MOTHER,
RUN DAY के अनुयायिओं को समर्पित...
बाल दिवस या भूखमरी से बालकों का,
बलि दिवस... देश में सालाना ३ करोड़ बालकों की.., कुपोषण ईलाज के अभाव से सरकारी योजनाओं को भोजनायें बनाकर, मृत्यु ...
यूरोपीय देशों में अवैध रूप से रोपे गए
बच्चे.., उनकी सरकार गोद ले लेती हैं..., व उनके लालन-पानन की व्यवस्था की जिम्मेदारी सुचारू रूप से चलाती है...
लेकिन मेरे देश में गरीबी रेखा व उसके
नीचे वैध बच्चे,जो बुढ़ापे में सहारा होते हैं.. , माफियाओं द्वारा चुराकर, भीख मांगने व वेश्या वृति
व्यवसाय में धकेल दिए जातें हैं...,
देश में पुलिस के नाक के तले , निठारी काण्ड से बच्चे, , मानव भक्षियों के शिकार
होकर, पुलीस थाने के सामने नालों में फेंक दियें जाते है...
सत्ताखोर व पुलिस भी इसे माफियाओं का
आम खेल मानकर.., रिश्वत की रूई से अपने, आँख- कान बंद कर लेते है..., गरीबी लोग रोते –बिलखते इन अपने मासूम बच्चों की तड़फ से अपनी नारकीय जिन्दगी गुजार देतें
है...,
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को
लताड़ लगाते हुए, पूछा..., देश के
करोड़ों.., लापता मासूम बच्चों के बारे में क्या कारवाई की
है...
याद रहे.., अन्ना
आन्दोलन के चरम सीमा में पहुँचने के पहिले, जब उन्होंने
रामलीला मैदान में रैली के लिए अनुमति मानी, तो मनमोहन सरकार
ने उन्हें इस रैली की जगह, जयप्रकाश नारायण पार्क में रैली
की अनुमती दी.., वह भी शर्तों से.. कि रैली में ५००० से
ज्यादा की भीड़ नहीं होगी, व ५० से ज्यादा कारों व स्कूटर की
पार्किंग नहीं दी जायेगी.., जैसे यह अन्ना का शादी समारोह
हो..
उसी समय यूरोपीय देशों में नारी का
पुरूषों से, समाधिकार की आवाज में , महिलाओं
ने तर्क के साथ कहा कि यदि पुरूष बिना ऊपरी वस्त्र के सडकों पर चल सकते हैं तो
महिलाएं क्यों नहीं ...,
इसी विरोध में, उन्होंने
ऊपरी वस्त्र खोलकर सडकों में SLEDGE –SHOW का प्रदशन
प्रदर्शन किया ..., तब हमारे देश की INDIAN व अंग्रेजी से पेट भरने वाली धनाढ्य महिलाओं ने इस आन्दोलन के समर्थन में
गुहार लगाई तो, देश का महिला अधिकार आयोग भी इस की मुखालत
करते आगे आया तो.., उनके मनानुसार उन्हें , जंतर मंतर से संसद भवन तक SLEDGE –SHOW की अनुमती
मिली ...,
अभी तो, खुले
रास्ते में “चुम्बन दिन” मना कर इंडियन
वर्ग अपने को अभिमानीत कह, गर्व मना रहा है...,
विदेशी धन , विदेशी
संस्कृति के निवाले..., को देश की जनता पर थोपने का
अधिकार...
क्या यह अंग्रेजी आवरण के छुपे खेल में
भारतीय संस्कृति पर पर प्रहार नहीं है...!!!!
यह
मोतीलाल नेहरू का योग या संयोग, कहा जाए, जो १४ फरवरी के
ठीक ९ महीने बाद, १४ नवम्बर को जवाहरलाल नेहरू को जन्म
दिया...!!!!,
याद रहे..., मोतीलाल नेहरू राजा-महाराजाओं के विवादों के वकालत से अपने
बेशुमार आय से, अधिक व्यय-भिचार से हिंदु संस्कृति को भ्रष्ट
करने की वजह से काश्मीरी हिन्दुओं ने उन्हें अपने समाज से निकाल फेंका था...
और इसी क्रिया को उनके पुत्र जवाहरलाल
नेहरू ने बरकरार रखते हुए..,सत्तालोलुप बनकर, सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद कहा था
नेहरु का हिन्दू-विरोधी वक्तव्य था...
जवाहर लाल नेहरु, बहुत बार कहा करते थे कि ..., “मैं जन्म के संयोग से हिन्दू हूँ, संस्कृति से
मुसलमान और शिक्षा से अंग्रेज हूँ.” उन्हें हिन्दुओ की भावना
की रत्ती भर भी परवाह नहीं होती थी,जिनके वोटो के बल पर
उन्होंने सत्ता प्राप्त की थी.
वही हाल, एक तरफ
तो पंडित नेहरु के नाती, राजीव गाँधी का हिन्दू-विरोधी
वक्तव्य दिया.., राजीव गांधी ने हिन्दुस्थान का प्रधानमंत्री
होते हुए भी सन्डे टाइम लन्दन को एक साक्षात्कार में नि:संकोच कहा की ‘मेरे नाना जवाहरलाल नेहरु एक नास्तिक (एग्नास्टिक) थे. मेरे पिता पारसी
(गैर हिंदू) थे, मेरी पत्नी इसाई है, और
मैं किसी धर्म में विश्वास नहीं करता.’
क्या..??, एक
अय्याश व्यक्ती के नाम “बाल-दिवस” मनाना
उचित है..,
देश का बाल दिवस तो हिन्दू संस्कृति के
अनुसार “गुड़ी पाडवा” के दिन , नूतन दिवस में, नई किरणों से “बाल
निर्माण” के साथ “राष्ट्र निर्माण”
की अलख से, हो, तो...,
देश एक नए उजाले की ओर अग्रसर होगा.., और देश
के २०० सालों की गुलामी से उपजी.., ७३ सालों की अंग्रेजीयत
की बीमारी दूर होगी...
देश के धनाड्य वर्गों के, अंग्रेजी संस्कृति का बखान करने वालों को, यह देश का
१३०वां WELL-IN-TIME और CHILDREN DAY- CHILD-MOTHER,
RUN DAY के अनुयायिओं को समर्पित...
बाल दिवस या भूखमरी से बालकों का,
बलि दिवस... देश में सालाना ३ करोड़ बालकों की.., कुपोषण ईलाज के अभाव से सरकारी योजनाओं को भोजनायें बनाकर, मृत्यु ...
यूरोपीय देशों में अवैध रूप से रोपे गए
बच्चे.., उनकी सरकार गोद ले लेती हैं..., व उनके लालन-पानन की व्यवस्था की जिम्मेदारी सुचारू रूप से चलाती है...
लेकिन मेरे देश में गरीबी रेखा व उसके
नीचे वैध बच्चे,जो बुढ़ापे में सहारा होते हैं.. , माफियाओं द्वारा चुराकर, भीख मांगने व वेश्या वृति
व्यवसाय में धकेल दिए जातें हैं...,
देश में पुलिस के नाक के तले , निठारी काण्ड से बच्चे, , मानव भक्षियों के शिकार
होकर, पुलीस थाने के सामने नालों में फेंक दियें जाते है...
सत्ताखोर व पुलिस भी इसे माफियाओं का
आम खेल मानकर.., रिश्वत की रूई से अपने, आँख- कान बंद कर लेते है..., गरीबी लोग रोते –बिलखते इन अपने मासूम बच्चों की तड़फ से अपनी नारकीय जिन्दगी गुजार देतें
है...,
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को
लताड़ लगाते हुए, पूछा..., देश के
करोड़ों.., लापता मासूम बच्चों के बारे में क्या कारवाई की
है..
.
याद रहे.., अन्ना
आन्दोलन के चरम सीमा में पहुँचने के पहिले, जब उन्होंने
रामलीला मैदान में रैली के लिए अनुमति मानी, तो मनमोहन सरकार
ने उन्हें इस रैली की जगह, जयप्रकाश नारायण पार्क में रैली
की अनुमती दी.., वह भी शर्तों से.. कि रैली में ५००० से
ज्यादा की भीड़ नहीं होगी, व ५० से ज्यादा कारों व स्कूटर की
पार्किंग नहीं दी जायेगी.., जैसे यह अन्ना का यह शादी समारोह
हो..
उसी समय यूरोपीय देशों में नारी का
पुरूषों से, समाधिकार की आवाज में , महिलाओं
ने तर्क के साथ कहा कि यदि पुरूष बिना ऊपरी वस्त्र के सडकों पर चल सकते हैं तो
महिलाएं क्यों नहीं ...,
इसी विरोध में, उन्होंने
ऊपरी वस्त्र खोलकर सडकों में SLEDGE –SHOW का प्रदशन
प्रदर्शन किया ..., तब हमारे देश की INDIAN व अंग्रेजी से पेट भरने वाली धनाढ्य महिलाओं ने इस आन्दोलन के समर्थन में
गुहार लगाई तो, देश का महिला अधिकार आयोग भी इस की मुखालत
करते आगे आया तो.., उनके मनानुसार उन्हें , जंतर मंतर से संसद भवन तक SLEDGE –SHOW की अनुमती
मिली ...,
अभी तो, खुले
रास्ते में “चुम्बन दिन” मना कर इंडियन
वर्ग अपने को अभिमानीत कह, गर्व मना रहा है...,
विदेशी धन , विदेशी
संस्कृति के निवाले..., को देश की जनता पर थोपने का
अधिकार...
क्या यह अंग्रेजी आवरण के छुपे खेल में
भारतीय संस्कृति पर पर प्रहार नहीं है...!!!!
About
Let's not make a party but become part of the
country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be
sold.
Description
आओं, पार्टी नहीं
देश का पार्ट बने, “मैं देश के लिए बना हूँ””, देश की माटी बिकने नहीं दूंगा , “राष्ट्रवाद की खाद”
से भारतमाता के वैभव से, हम देश को गौरव से
भव्यशाली बनाएं#