Thursday 23 May 2013





जब बिहार को राबडी देवी चला सकती है भ्रष्टाचार के बहार से..??, तो सोने की चिडिया क्यो नही चला सकती है भारत को भारताष्टार (भारत के आठ भ्रष्ट अचारों से) के बयार से..?? 
यह कोई ताज्जुब की बात नही है, बिहार मे जानवरों का चारा डकार जाने के बाद खुले आम लूट से लालू यादव जातिवाद, भाषावाद , अलगाववाद की आड् मे बिहार को लूटते रहा, जो जयप्रकाश के आन्दोलन मे आपात काल मे मीसा कानून के अंतर्गत जेल गया, 
मीसा को लालू ने बिहार का मसीहा समझ कर खुले आम लूट की , 10हजार करोड रूपये की, (आज के 2 लाख करोड रूपये से भी कही ज्यादा) ,लूट की, कागजों पर भारी मात्रा मे झूठे जानवर खरीदे गये थे , चलानों मे गाडियो के मनचाहा नम्बर डाल दिया है, चलानों के नम्बर खँगालने पर सी.बी.आई की जाँच से पता चला कि स्कूटर मे भैस आई है और जानवर लापता है, क्योकि, एक कहावत जो लालू सार्थक समझ बैठे थे... जब सैय्या भये कोतवाल तो डर काहे का...और लालू राजा के पास वोट बैंक का डंक भी था..???, कोर्ट का डंडा पडने पर , राबडी देवी , जिसे घर सँभालने के अलावा कोई अनुभव नही था, वह घर का जलता चूल्हा व जूठे बर्तने छोड कर राजनीति मे आ गई,


लालू ने सत्ता से बाहर रहकर राबडी देवी को रबड देवी समझ कर , भ्रष्टाचार के लूट के नाम से भ्रष्टाचार का रबड इतना ज्यादा खीचा कि, रबड के टूटने से, वह गुलेल की तरह , बिहार से लालू, आलू बनकर भ्रष्टाचार से पिचक गए और छ्टक-कर, बाहर गिर पडे.. और आज तक बिहार मे सत्ता मे आने का मौका नही मिला..??? इसकी हूबहू नकल ( सोनिया ने भी राजनीती मे प्रवेश करते हुए कहा मै, देश की बहू हूँ... हूँ-बहू- देश की- हूबहू) , वंशवाद से राबडी देवी व सोनिया गाँधी के सत्ता का मुखिया बनना, दोनों, एक पारदर्शी दर्पण की प्रतिमा का उदाहरण है,
काँग्रेस को भी वंशवाद की एक आधुनिक खोज के लिए राबडी देवी की तरह एक मोहरे की जरूरत थी जो लालू के राज को मास्टर माँडल मानकर राबडी देवी के रूप मे सोनिया गाँधी की खोज की गई की गई.. और इसके आड मे एक ईमानदार पुतले को बूलेट प्रूफ जैकेट के रूप प्रस्तुत किया गया, जिससे वंशवाद को आँच न पहुँचे, लेकिन इस वंशवाद ने पुतले को फुसलाकर कहा तू देश को विकास की छँवी से से लूटा... और देश इस छँवी से लूट रहा है, काला धन, विदेशी बैकों मे जाकर वही सफेद धन बनकर , विदेशी धन कर्जे के रूप मे आकर आम आदमी अब अपने निवाले से महरूम होने को मजबूर है..?? इतना सब होने के बावजूद , बूलेट प्रूफ पुतले का मुँह ही नही खुलता है..???

काँग्रेस भी जो लालू के राज को भ्रष्टाचार का मास्टर माँडल मानकर को भी वंशवाद की एक आधुनिक खोज के लिए राबडी देवी की तरह एक माँडल की जरूरत थी राबडी देवी के, बोलने मे असमर्थ रूप मे रहकर चुपचाप रहे, और काँग्रेस द्वारा कागज मे लिखा हुआ संदेश हिन्दी मे पढे , और वह भी क्या पढ रही है, उसे भी नही समझे, इसी के बेहतरीन खोज मे, सोनिया गाँधी की खोज, सर्वोत्तम साबित हुई.. और इसके आड मे एक ईमानदार पुतले को विकास का बूलेट प्रूफ जैकेट पहनाकर प्रधानमंत्री के रूप प्रस्तुत किया गया, और गले मे ध्वनि बाँक्स लगाकर सिर्फ विकास के नाम से मुँह खोले, ताकि वंशवाद को आँच न पहुँचे,
काँग्रेस के इस वंशवाद ने, पुतले को फुसलाकर कहा तू देश को विकास की छँवी से से लूट... और देश इस छँवी से लूट रहा है, काला धन, विदेशी बैकों मे जाकर वही सफेद धन बनकर , यही विदेशी धन कर्जे के रूप मे आकर, कर्ज के मर्ज से,महँगाई के दानव के रूप मे आम आदमी अब अपने निवाले से महरूम होने को मजबूर है..?? इतना सब होने के बावजूद , बूलेट प्रूफ पुतले का मुँह ही नही खुलता है..???

यहाँ तक की राजीव गाँधी को भी , देश, प्रदेश व राजनीति का भी ज्ञान नही था, वंशवाद की खाल व संवेदना के लहर से सत्ता पर बैठे (राजीव गाँधी को लोकसभा के 506 मे से 404 सीटे मिली) , , याद रहे, नेहरू जो अपने को अग्रेजो की औलद समझते थे, और देश का मसीहा के रूप मे अपने छँवि को प्रचारित किया उन्हे भी इतनी सीटे नही मिली थी...(लोकसभा के 489 मे से 363 सीटे मिली थी),
राजीव गाँधी मिस्टर क्लीन ( श्री सफेद) की छँवि से सज्ज थे, देश को 20 वी सदी मे ले जाने का दृढ निश्चय का भरोसा दिया... देश का हर वर्ग टक-टकी लगाए बैठा था, वे देश को एक नयी ऊँचाई पर पहुँचाएगे... लकिन राजीव गाँधी भी चंडाल चौकडी के झासे मे देश के कठपुतले प्रधानमंत्री साबित हुए, मेरा भारत महान के नारे के आड मे 100% नेता बैइमान होते गये...., मिस्टर क्लीन ( श्री सफेद) की छँवि को भूनाने के लिए , टी.वी., अखबारो मे देश विदेश घूमने, और जनता के नाम से नेताओ के लिय खाऊ योजनाए बनाई गयी, खजाना खाली होते गया, आज भी काँग्रेस गला फाड-फाड कर चिल्ला रही है , प्रसारित कर रही है कि राजीव गाँधी का सपना 20वी शताब्दी का संदेश ही काँग्रेस की देन है , राजीव गाँधी के बाद प्रधानमंत्री नरसिहाराव प्रधानमंत्री बने तो उन्होने जनता से कहा... देश मे राशन पानी (विदेशी मुद्रा) सिर्फ 40 दिनो के लिए है... यह मेरी मजबूरी है...


देश का खजाना खाली होने पर, आम आदमी को निचोडने के लिए विदेशी हाथों को गुप्त रूप से पंजे के रूप मे देश को लूटने के लिए बुलाया गया, और सिकन्दर ने सही कहा था , जिस देश मे भेडों का राजा शेर है... तो मै उस देश से डरता हूँ, लेकिन जिस शेरों का राजा भेड है तो मेरी जीत अवश्य है... लेकिन विदेशी लूटेरे को मालूम है कि जिस देश की रानी विदेशी है तो लूट मे हिस्सेदारी देकर आसानी से छूट पायी जा सकती है... देशवासियो जागो... क्या आपको सत्ताधारी भ्रष्टाचार से भेड नही बनना चाहते है ..?? अब आप बने दहाड्ते शेर..?? तो इन शेरों मे राष्ट्रवाद का खून डालो...यह हमारी जन्मभूमि है... हम ही इसके मालिक है....???? सोचों.. सोचों...सोचों.. ??? अब इस देश मे कोई भी भ्रष्टाचारी माफिया राज नही करेगा.....जय हिन्द... जय भारतमाता...???
मेरे वेबस्थल के जनवरी 2013 का पोस्ट अवश्य पढे... राष्ट्रवाद- आओ इस भ्रष्टाचार के उल्टे पिरामीड को ढहाये ... और इन शेरों में अपना खून डाले और वे देश के लिये दहाडे
1947 का सत्यमेव जयते .........1948.............. 2013 से अब तक ‘’सत्ता एक मेवा है और इसकी जय है’’ बन गया है

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