मैं लाल बहादुर शास्त्री बोल रहा हूँ , (आओं खेले स्वदेशी होली..,
लालबहादुर शाश्त्री और वीर सावरकर के विचारों के संग)
१.चेतो मोदी सरकार.., राष्ट्र तो देशवासिओं के १२५ करोड़ मुठ्ठी बल से
उन्नत होगा, विदेशी धन से देश की अवनीती होगी, इस नीती से महंगाई के जूते से जनता
की दुर्गती होगी..
“कर लो राजनेताओं को मुठ्ठी में” के माफियाओं के नारों ने देश को कर्ज
से डूबाकर, उजाड़ दिया है. किसानों की भूमि छीनकर,, उसे “विकास” के बहाने देश का “बेगाना”
बना दिया है.., किसान आज कैसा इंसान बन
गया है.., आत्महत्या ही उसका धर्म बन गया है .
आप तो, TIME पत्रिका में देशी-विदेशी समर्थन से छाये..., मेरी टाइम
पत्रिका में चित्र विदेशीयों शक्तियों
द्वारा मेरे देश का लोहा मानने से छपा , मेरा चित्र तो देश के किसानों व जवानों के जज्बे की
सलामी स्वरुप छपा.., और उसके बाद, एक सुनियोजित TIMING में मेरी जान भी ले ली
२. आज माफिया वर्ग, जनता की नींद कैद कर. धन के बिस्तर में सोया हुआ
है, इन एक एक लोगों के गरीबों से चुराई गई
नींद के नोटों को वापस लाने से करोड़ों लोगों को सुख चैन मिलेगा.., मोदीजी..., बच्चा घर में और ढिंढोरा दुनिया में..., गरीबों के कटोरे में निवाला नहीं.., इस देशी
BLACK मनी को BACK मनी से देश का उद्धार से विदेशी उधार भी वापस होगा. MAKE–IN-INDIA
के देशी धन से ही राष्ट्र बल मजबूत होगा..,
विदेशी माफिया के बैंक के बीज के अवशेष अभी भी हमारे देश में ही हैं...
३. मुझे तो कांग्रेस सरकार ने १९ महीने ही दिए और देश के स्वर्णीम काल
के भविष्य देख पाने के पहिले ही..., मेरी ह्त्या कर दी.., मेरी कांग्रेसी पार्टी ही नहीं विश्व को भी भयानक डर था कि मेरा दृण निश्चय था ..,
देश, विदेशी हाथ, विदेशी बात, विदेशी साथ,
विदेशी विचार, विदेशी संस्कार के लगाम का
पूर्ण सफाया करने का संकल्प..., जो चंद वर्ष में मेरे कार्यकाल
में ही पूरा कामयाब होना था , और देश की खान खदान,ईमान देशी-विदेशी
माफियाओं हाथों से निकलने का डर ही मेरे
ह्त्या का कारण बना .
४. आज ४९ सालों बाद मैं भी.., रूस के ताशकंद में बंद कमरे में रात में
१ बजे दूध पीने के बाद में विदेशी रसोईये का धोखे से जहर पिलाने के बाद की घुटन. को..,
आज मेरे, देशवासियों में महसूस कर रहा हूँ, फर्क इतना है कि मैं घुटन से मारा गया,
और देशवासी घूट –घूट के जी रहा है.. कैसे
विदेशी हाथ वाले, देशी उद्योगपतियों की आड़ में देश में माफियाराज से देश को गर्त
में डालकर आज प्रति व्यक्ती ५० हजार रूपये का कर्ज करने व जवानों व किसानों का पसीना
विदेशी बैंकों में कैद कर रखा है
मोदीजी.., आपके तो ९ महीने की
सरकार में, आश्वासन से गरीब अब भी घुटन की श्वास में जी रहा है.
५. देश की भूखमरी को जो नेहरू के कार्यकाल में, अमेरिका का सड़ा गेहूं
जो सूअर भी नहीं खाते थे, हम हिन्दुस्तानियों को वह निवाला दिया जाता था.., वह,मैंने
वह बंद कर, सम्पूर्ण देशवासी एक दिन भूखे (उपवास) रखेंगे व देश का अनाज बचायेंगे..,
इस पर अमल करने के के लिए मैंने परिवार के
१० से ज्यादा लोगों द्वारा उपवास रखकर, इस
देश के दर्द का अहसास करवाकर देशवासियों को आव्हाहन किया था.., और पूरे देश ने सोमवार
के दिन मेरा आदेश मानकर गर्वित थे
मैंने प्रथम
संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि मेरी शीर्ष प्राथमिकता खाद्यान्न मूल्यों को
बढ़ने से रोकना है और ऐसा करने में मैं सफल भी रहा, मेरे क्रियाकलाप सैद्धान्तिक न होकर
पूर्णत: व्यावहारिक और जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने का था .
६. जागो..!!!, मोदी सरकार,
मेरे पास तो देश के किसानों के १५० करोड़
का पशु धन था, जो आज भी किसानों का “सोना
का बिस्कुट” है, इसे, मान धन मानकर, सम्मान देकर.., देश कृषी सोने से, श्वेत
क्रांती से गौरान्वित हुआ था, अब आप भी पिछली सरकारों की तरह कत्लखानों को रियायत
देकर, देश के लूटेरों से, विदेशी धन की प्यास से किसानों के हाथ कट जाने से...,
आत्महत्या को मजबूर कर रहें हैं...आज देश के ३० करोड़ पशु धन से, देश के ३ करोड़ नवजात शिशु, प्रतिवर्ष कुपोषण का शिकार होकर, देश भूखमरी के पाषण युग
में जा रहा है.
७. मैं तो देश की आत्मा में किसान, देह में जवान व मस्तिस्क में विज्ञान की विचारधारा से स्वर्णीम हिन्दुस्तान
की राह पर चल रहा था.. मैं नहीं चाहता था देश को उद्योपति जनता को लूट कर, राजनीती
में माफिया उद्योग का निर्माण हो, इसलिए मैंने बढे उद्योग के जगह लघु उद्योग से
समृद्ध कर, जवानों व किसानों में समृद्धी का मंत्र देकर हमारे जय जवान जय किसानों ने देश
में हरित क्रांती के साथ श्वेत क्रांती से देश में दूध के नदियाँ व जवानों ने अपने
राष्ट्रवादी खून से दुश्मनों के सामने हमारे दोयम दर्जों के हथियार होने के बावजूद,
हमारे जवानों के हाथों में देश के जज्बे के निर्माण से हमने पकिस्तान को धूल चटाई
थी
८. देश की २० करोड़ लुंजपुंज
नौकरशाही को जगाओ.., पेंशन के लालच / ललक में देश को टेंशन में डालने वाले सरकारी
कर्मचारियों को, राष्ट्रवादी जज्बे से जगाओ.., देश की खान खदान नीजी हाथों में देने से पहिले,
आप जो ६५% आबादी युवा होने का दंभ भर रहे हो, देश के गरीब, अनपढ़ लोगों को मजदूरी
देकर, रोजगार समृद्ध भारत से देश के माफिया उद्योंगों के हाथ काटो..
९. मैंने कभी नेहरू के, गांधी - नेहरू द्वारा समृद्ध टाटा बिड़ला बजाज
के मिजाज को देखकर उनके तलुवे नहीं चाटे, मुझे तो ५० करोड़ गरीबों के तलुओ की मजबूती का इतना
अभिमान था कि देश की कटेंली/ कटींली राह में चलकर भी उनके तलुओं को काँटों की चुभन
नहीं होगी..., मुझे भारी कांग्रेस से भारी उद्योग न लगाने का भारी विरोध करने पर कहना पड़ा, जैसे नेहरू को गांधी के
विचार पसंद नहीं थे उसी तरह, मुझे गांधी के “स्वदेशी विचार” से लघु व ग्रामीण
उद्योग से गरीबों को अमीरी रेखा तक पहुँचाना है.., देश का तन-मन धन गरीबों के
उत्थान से ही, मजबूत भारत का निर्माण होगा
१० . मेरा कांग्रेसीयों ने संसद में घोर विरोध किया था, मेरी विचारधारा
कांग्रेस को पसंद नहीं थी.. वे हमेशा दवाब डालते थे कि विदेशी कर्ज लेकर देश को
उन्न्त बनाओ .., मेरे सिद्धांतो के अनुरूप
मैंने कट्टर उदगार दिया..,, “ अभी हम फिरंगियों के २०० वर्षों की गुलामी से आजाद
हुए हैं, क्या हम फिर से आर्थिक गुलामी से देश के इतिहास में कैद होने जाएगें
११.. मुझे देश के गरीबों के बल पर पूरा विश्वास था कि इस देश का सृजन उन्हीके
५० करोड़ हाथों से ही सकता है, गरीबों के बल का मैंने आत्मविश्वास बढाया था व
उन्हें सम्मान देकर देश का अभिमान जगाया.., हमारा राष्ट्र, स्वाभिमान की अलख से
विश्व के मानचित्र में छा गया था.., मैं चाहता था कि विश्व भी हिन्दुस्तान की
विचार धारा की छांव का अहसास कर, अनुसरण, आनंद ले.
१२. मेरे लिए प्रधानमंत्री पद तो घर के प्रधान जैसा ही था, इस पर
गर्वीत नहीं था इसलिए मैंने प्रधानमंत्री आवास लेने से मना कर, “किराये के घर” में
सगून से देश में भी “गरीबों के गुणों” से देश में एक उद्भव की आस से, एक उदाहरण से
जज्बा फूक दिया था ..., नेहरू के दिन के २५ हजार के खर्च से देश को लूट्वाने के इस
खेल को कही कांग्रेसी.., इसे रस्स्सी बनाकर देश को जकड न लें.., इसलिए मैं मासिक
३०० रूपये सरकारी तनख्वाह से अपना
हरा भरा परिवार भी गरीबी की खुसहाली में
कंधे से कन्धा मिलाकर आनन्दित था. मेरे मंत्री से लेकर मंत्रयालय के कर्मचारी,
मेरे इस “मजदूर” मंत्र से के साथ मजबूत कार्यशैली का हिस्सा बने..,
१३ . मोदीजी.., आप तो सुखी है... पुत्र न होने से,पुत्रवाद, वंशवाद का
दंश नही है, मोरारजी देसाई को तो उनके पुत्र ने बदनाम किया.. नेहरू की छाया में
छुटभय्ये नेताओं ने वंशवाद से गरीबों के बाग़ को नारों के सब्ज्वाद के जहरीले स्वाद
से उजाड़ दिया है...
मेरे परिवार में ६ पुत्र थे ज्येष्ठ पुत्र को हिन्दुजा समूह ने
इंजिनियर पद का नियुक्ती पत्र दिया तो मैने अपने पुत्र से एक ही बात की “आप, इस पद
पर जाओ जरूर, लेकिन इस बात की भनक लगाने नहीं देना कि मैं प्रधानमंत्री की पुत्र
हूँ”, लगभग ६ महीने बाद, उस उद्योगसमूह को पता लगाने पर उन्होंने मेरे पुत्र को
DIRECTOR (निदेशक) पद की नियुक्ती देने लगे, तब मुझे लगा कि माफिया उद्योग पनप न
पाए...,, इसलिए मैंने खुले शब्दों में कहा “यदि मेरा पुत्र इस पद के काबिल है तो
इसे नियुक्त करें, लेकिन इस देश के प्रधानमंत्री से इसके लाभ की अपेक्षा न करें”
१४ .पाकिस्तान से युद्ध जीतने के बाद मैं मुम्बई के आजाद मैदान में
भाषण के दौरान महाराष्ट्र के कांग्रेसियों ने मेरा उपहास उड़ाया कि यह ४ फुट का लड़का
जैसा व्यक्ती क्या देश चलाएगा, मुझे कांग्रेस पार्टी के भीतराघात का आभाष हो चुका
है, मेरे साथ रक्षामंत्री यशवंत राव चव्हाण के रूस दौरे में, मेरे मौत के राज को
हृदयाघात की घोषणा से देशवासियों के आँखों में धुल झोकने का काम किया
१५ मेरे हत्या के बाद भी, सभी सरकारों ने, नेहरू की नीती से “आराम
हराम” के अफीमी नारों को जीवंत रख..,
इसमें अपने नए नारों का मिश्रण डालकर,
भ्रष्टाचार को संजीवनी बनाकर, उद्योग जगत में माफिया मिश्रण से आज “गरीबों
का जीना हराम” कर दिया है.., आज देश की खान खदान, ईमान व तरंग बेचकर.., देशवासियों
की उमंगों को हर लिया है..., माफियाओं को सप्तरंगी बना दिया है... 19 महिने
के मेरे प्रधानमंत्री कार्यकाल में नेहरू
द्वारा किया गया भ्रष्टाचार का शौच साफ कर दिया था….,
नेहरू
के चमचे नेताओ की अय्याशी खत्म कर, उन्हे
आम नेता बना दिया था… ताशकंद जाने से पहिले मैंने मेरे भ्रष्टाचारी मंत्री कृष्णामाचारी का इस्तीफा
लेकर , कांग्रेसीयों में खलबली मचा दी थी
१६. मेरे अजीज..., समर्थक..., वीर सावरकर ने ताशकंद जाने से पहले मुझे चेताया और कहा “शास्त्रीजी
हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस
के प्रधानमंत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा
जीता भाग भी लुटा आओगे.. काश उनकी बात मानी होती..,
१७. ९ जनवरी १९६६
की रात.., .मौत के एक दिन पहिले, मैंने ताशकंद से अपनी पत्नी ललिता शास्त्री को
फोन कर कहा “मैं
हिन्दुस्तान आना चाहता हूँ, यहां, मुझ पर हस्ताक्षर करने
के लिए दवाब डाल रहें है..., मुझे यहां घुटन हो रही
है..., क्योंकि मुझे वीर सावरकर की भविष्यवाणी सार्थक होनी नजर आ रही थी
देश के सत्ता की राजनयिक फौजे बार-बार, मुझसे कह रही थी..., भले हम युद्ध जीत गये हैं, यदि आप हस्ताक्षर नहीं करोगे तो आगे अन्तराष्ट्रीय बिरादरी एकजुट होकर देश की आर्थिक स्तिथी बिगाड़ देगी...
देश के सत्ता की राजनयिक फौजे बार-बार, मुझसे कह रही थी..., भले हम युद्ध जीत गये हैं, यदि आप हस्ताक्षर नहीं करोगे तो आगे अन्तराष्ट्रीय बिरादरी एकजुट होकर देश की आर्थिक स्तिथी बिगाड़ देगी...
मेरी जीवन संगीनी ललिता शास्त्री जो हमेशा मेरे साथ रहती
थी, उन्हें ताशकंत न ले जाने का मलाल है, यदि वह मेरे साथ रहती तो बंद कमरे में
मेरी हत्या नहीं होती... जीते जी उसने भी सभी सरकारों से गला फाड़-फाड़ कर गुहार लगाई
थी कि मेरी ह्त्या की जांच हो.., सभी सत्तावादियों ने भ्रष्टवादियों के सुख की
अनुभूती से इस मामले को दबा दिया
१८. मोदीजी.., ३ साल पहिले, गांधी की खून से सनी मिट्टी लाठी व चश्मा
इंग्लैंड में ८० लाख में नीलम हुई थी बाद में कमल मुरारका ने विदेशी नीलामी को
खरीद कर लाने पर, भारत सरकार ने उस पर कस्टम ड्यूटी लगाई, मोदीजी.., आपका, जैकेट ४.३ करोड़ में उद्योग जगत ने खरीद
कर, आपको गांधी से ज्यादा महामंडित किया है.., मेरे धोती कुर्ता का राज तो आज भी
रूस के ताशकंद में छुपा है, मेरे मौत के समय पहना हुआ धोती कुर्ता तो रूस ने हड़प
लिया है.., मेरी मौत का राज जनता को सार्वजनिक करो..., आज के आधुनिक विज्ञान में
मेरे धोती कुर्ता की फोरंसिक जांच कर, देशवासियों को बताओ..CONFIDENTIAL कहकर OFFICIAL
जानकारी छुपाकर, जनता को गुमराह मत करो...अपना पल्लू झाड़कर, जनता को पिछली सरकारों
की तरह लल्लू बनाने का खेल मत खेलों ...
कैलाश तिवारी, meradeshdoooba डॉट com से, कृपया वेबसाइट की ३५० पोस्ट की यात्रा करें
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