Monday 2 March 2015



जाने.., सफल बजट् के बारे मे चाणक्य ने कहा था.
जैसे बरसात के पहले बादल समुद्र से अपार मात्रा मे पानी खीचता है , नदी व छोटो श्रोतों से उंनकी क्षमता के अनुसार पानी खीचता है,
लकिन जब बादल बरसता है ,तो वह पृथ्वी मे सबको समान प्रकार से बरसाता है, भेदभाव नही करता है. सुखी जमीन जिसने उसे पानी नही दिया, उसे भी बिना भेदभाव के उस भुमी को भी संचित कर हर क्षेत्र मे हरियाली फैला देता है.
यदि बाढ का प्रकोप फैलाता है तो वह यह नही देखता है कि यह अमीरो की बस्ती है या गरीबों की?
स्कूल मे मैने एक चुटकुला पढा था, शिक्षक , छात्रो से से पूछता है, बच्चो, बताओ बरसात होने के बाद बिजली क्यो चमकती है, बच्चा कहता, मास्टरजी, बादल देखना चाहता है कि कोइ खेत सूखा तो नही रह गया है?
अ. एक अतुल्य अर्थशास्त्री चाणक्य का बयान V/s मोदी के ज्येष्ठ केटली अरूण जेटली का उद्योगपतियों के पत्तीयों का बखान..., देशवासिओं का अपमान...कहना , कॉर्पोरेट CORPORATE के लिए CARPET बिछाना है.., मध्यमवर्गीयों अपने मध्य को (कच्छा) संभालने की जवाबदारी तुम्हारी है.., हममें.., अब सत्ता की खुमारी है.
आ. इ . मुझे ब्रिटेन की महारानी की जनता को दिया उदगार याद आता है, जब जनता भूखी थी, तब उसने खिल्ली उड़ाते हुए कहा था.... तुम्हे ब्रेड खाने नहीं मिलता है तो केक खाओ...
इ. चमड़े के जूते सस्ते...!!!, यदि इसके बदले चमड़े के भीतर पेट को तो रोटी दी जा सकती है , महंगाई को आमंत्रण देने की यह गलती ठीक की जा सकती है ! जनता का पैसा जनता को लौटाया जा सकता है.
ई. .बड़े गरज रहे थे सूखे बादल कि ‘देश का खजाना गरीबों के लिए है’, देश का खजाना तो बैंक के कर्मचारियों के १५% बढ़ाने के लिए वह भी २०१२ से यानी बीच का हजारों करोड़ का डिफ़रेंस अलग, अब नौकरशाहों को फायदा... अगले साल,नया वेतन आयोग लागू होने से सरकारी कर्मचारी होंगे मालामाल ..., अब लोकल बाँडीज को छोडिए , कहां , भ्रष्टाचार नहीं है...???, लेकिन भ्रष्टाचार भी, वेतन भी और सरकारी कृपा का ‘प्रसाद’ भी !!!,
मोदी सरकार करों विचार, करो निदान, निम्न लोगो के निम्न विचार....,
१.क्रूड आयल के ६० डॉलर सस्ता होने पर भी, बचा पैसा देश देश को नहीं दिया...,
वी कैन चेंज यानी खराब बजट बनाएंगे
२. रोटी.कपड़ा मकान से मनोरंजन ता अब महंगे १२.३६% से १४% तमाम सर्विसेज महंगे , आम बजट में अच्छे दिन का वायदा ख़राब दिनों में बदला
३. किसानों के लिए नाबार्ड को २.५ लाख करोड़ रूपये देकर बड़े किसानों-जमींदारों को फायदा, भ्रष्टाचार के नाग को दूध पिलाया है
४. मनरेगा जिसे “भ्रष्टाचार का घर” कहा, उसे ३४६०० करोड़ रूपये, ५००० करोड़ रूपये बढ़ने का वायदा क्यों ?, भ्रष्टाचार स्वीकार है, नौकरशाही खूब “परसेंटेज” खाए, दोनों हाथों से लूटो,
५. गरीब जनता के पास सरकारी बांड्स में पैसे लगाने के लिए धन कहां हैं,, जो लगाकर दो पैसे बचेंगें, सोने के बिस्किट कहां हैं अमीरों की तरह , जो बैंक में रखेगा और ब्याज की आस करेगा ..., उसे तो जीना मुश्किल हो गया है
६. इनकम टैक्स छूट में २.५ लाख तक ही, जैसा का तैसा , यानी कांग्रेसी या यूपीए के ‘बजट’ पर ही मुहर !, इसे ५ लाख तक करना अपेक्षित था
७. सभी चींजों को महँगा करने का अर्थ ‘मेक इन नहीं, फेक इन इंडिया’ बाजार को धूम कैसे मिलेगा ! जनविरोधी –व्यापारी विरोधी बजट
८. अगले साल तक GST या गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू करने का वायदा क्यों ?, इसी बजट से लागू क्यों नही ?
९. भूमि अधिग्रहण विधेयक बिल पर सरकार “मौन” क्यों ?
१०. अमीरों पर टैक्स का दिखावा , १ करोड़ पर टैक्स , वेल्थ टैक्स माफ़ कर , अमीरों की हेल्थ बढ़ाने का खेल
११. हमारे देश में ‘सृजन’ करके अमीर बनें कितने हैं..!!!, अधिकतर जनता को लूट कर, बैंकों से धोखा घड़ी कर और दूसरों की जेब व पेटों को काटकर ही अमीर बनें हैं,
१२. आखिर ऐसा बजट बनाने की जरूरत क्या थी ?, सिर्फ नौकरशाही को खुश करने से क्या मिलेगा, इस देश में प्यून – पटवारी - बाबू से लेकर अफसर या ‘साहब’ तक सबको वेतन कितना भी हो, बिना काली कमाई के चैन नहीं आता ! खाना नहीं पचता !
मोदीजी आपकेनुसार प्रगतिशील, परदर्शी बजट है , इससे सरकार व नौकरशाह दोनों की प्रगति स्पष्ट है..,
आप ऐसा बजट का कारण तो बताते..., बाकी तो देश त्रस्त है, और त्रस्त रहेगा 

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