Tuesday 3 March 2015



१. दुनिया में.., हमारे देश में, विशाल संशाधनों के प्रचुर मात्रा व मानव शक्ति उपलब्ध होने के बावजूद, हमारी राष्ट्रनीती नहीं,, सत्तानीती की भूख नीती ने पिछले ६८ सालों से देशवासियों का निवाला छीन लिया है.., प्रजातंत्र का कुरूप चहरे से.., सत्तातंत्र से लूट के खेल से आज मेरा देश भुखमरी के तालिका में टॉप पर है...
२. विदेशी धन के आमंत्रण से देशी नीती को शिकंजों में दबाकर, एक स्वप्न दिखाकर,६८ सालों से देशवासी, सुबह उठकर एक नए सूरज का इन्तजार कर रहा है...,लेकिन उसे आज भी धुंध दिखाई देती है... वह जागकर धुंध में अपना भविष्य को ढूंढ रहा है...अपनी ऊर्जा गंवाते रहता है...
३. आराम हराम है, गरीबी हटाओ, इंडिया शाइनिंग भारत निर्माण, अच्छे दिन के नारों से देश की जनता आज भी इस अफीमों से बेहोश है..
४. सफल राजनेता वह होता है, जो लोगों द्वारा सीढ़ी पकड़कर ऊपर पहुँचाने के बाद,वह ऊंचाई से सीढ़ी गिरा देता है ताकि कोई दूसरा नेता उस ऊंचाई पर न पहुँच सके
५. अडोल्फ़ हिटलर ने जीते जी अपने कंधो पर हाथ रखने की कोशिश करने वालों की ह्त्या हर दी..., उसे हमेशा संशय रहता था कि कंधे पर हाथ रखने वाला, कभी भी गला दबोच सकता है..., यही कारण था जब हिटलर को अंतिम सास गिनने का अहसास हुआ तो उसने अपनी प्रेमिका के साथ शादी कर उसने प्रेमिका के कंधे से आलिंगन कर,पहिले प्रेमिका की हत्या कर आत्महत्या की ....
६. यही राज केजरीवाल के मुख्य मंत्री बनने के बाद की है. वे आम आदमी पार्टी के सर्वो सर्वा बनकर, अपने मफलर व साउंड बॉक्स को छोड़ना नहीं चाहते..., यदि किसी के गले में फिट कर ले तो मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ सकता है..., साथ में दूसरे मित्रों द्वारा गला भी दबोचा जा सकता है..,
७. अभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतेश कुमार द्वारा नकली आत्म-समर्पण के दिखावे में महादलित मांझी को मुख्यमंत्री का पद सौपने के बाद, मांझी, अपने पर पड़े भारी देखकर, नीतीश कुमार के होश उड़ गए थे, काफी कशमकश के बाद मुख्यमंत्री बनने के बाद नौटंकीवाल के भाषा में कहीं प्राण निकल न जाएं इसलिए प्रण कर कहा, जैसे केजरीवाल की गलती को दिल्लीवासियों ने माफ़ किया ऐसे ही बिहारवासियों मुझे माफ़ कर लेना ..,, इस प्रायश्चित की घटना देखकर ..,
८. अभी केजरीवाल...,राजयोग की शिक्षा के लिए बीमारी का बहाना बनाकर, प्राकृतिक चिकित्सा की आड़ में अपने राजनैतिक गुर सीखने के लिए १० दिन बंगलूरू जाकर, नयी शिक्षा की शुरू करने के अध्याय का खेल मन बना रहें हैं...
केजरीवाल को अपने सत्ता का सुख देखकर..., पिछली गलती देखकर, अब कही पिछले दरवाजे से साथी कुर्सी के खम्भे काटकर, उन्हें जमीन पर न पटक दें इस भय से वे पार्टी के सभी खम्भे से पैर लम्बे बनाकर..., ऊंची राजनैतिक छलांग के लिए बेताब है...
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योगेन्द्र, अब तेरी गेंद से पहिले , मेरी “मफलरी खांसी की फूक” ही जनता को बेवकूफ बनाकर, मेरी सत्ता की भूख मिटायेगी...
मेरा मफलरी SOUND BOX बना सत्ता का योग व शांती का मंत्र , अब मैं बना पार्टी का संयोजक से भोगक.. “भक्षक...!!!”
मैं, उपराज्यपाल नजीबजंग, इस अजीब जंग से, तेरे नवाब के जंग जीतने की “घोषणा” स्वीकारता हूं..
मेरी पार्टी के अंगों, MULTI ORGAN FAILURE से “किरण बेदी” की “बलि” मत लो. 

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