२६ फरवरी...!!!!!!, (भाग -१) वीर
सावरकर की ५२वीं पुण्य तिथि पर राष्ट्र के
नेता बेखबर.., गली मौहल्ले में नहीं खबर.., राष्ट्र के लुटेरों और देश को कुतरने वाले माफियों के TRP
से मीडिया मालामाल.., देश के लुटने का कोई नहीं मलाल.., सभी के गाल हैं..., लाल...
१ . श्रेष्ठ कौन..!!!, कलम या तलवार..., स्कूलों
में भाषण प्रतियोगितायें होती है .., और मैकाले की शिक्षा
प्रणाली में कलम की जीत पर वाक् युद्ध करने वाले को पुरूस्कार दिया जाता है.
२ . वीर –वीर ही नहीं..,
परमवीर सावकर, दुनिया के एक मात्र क्रांतीकारी
थे, जिन्होनें समयानुसार, कलम व
तलवार..., कलम व पिस्तौल को अपने जीवन में श्रेष्ठ बनाया.
इसकी ही छाप से, शत्रु की राजधानी इंग्लैंड में अपना कौशल
दिखाया..
३ . वीर सावरकर ने, कलम
से, भारतीय “१८५७ एक पवित्र
स्वातंत्र्य समर इतिहास लिखकर” , अंग्रेजों के पसीने छुड़ा
दिए..,, वे इतने भयभीत हो गए कि इस इतिहास को बिना पढ़े,
बिना प्रकाशन के ही इसे प्रतिबंधित कर दिया, जबकि
इसके प्रकाशन की लाखों प्रतिया विश्व में छा गई.., और
हिन्दुस्तान की गुलामी व लूट के इतिहास से विश्व परिचित हुआ.
४ . याद रहे, इस
पुस्तक को पढ़कर, शहीद भगत सिंग में कांती का स्वर बुलंद हो
गया.., उन्होंने इस पुस्तक का चोरी छिपे प्रकाशन कर
क्रांतीकारियों में बांटी ..., और या पुस्तक “क्रांतीकारियों की गीता” बन गई
.
५ . उनका कहना था, अंग्रेजों
की बन्दूक से दमनकारी नीती का जवाब काठी नहीं..., राष्ट्रवाद
की गोली से देना चाहिए, और जवाब भी दिया.
६ . इतनी यातनाए सहने के बाद,कई बार काल के गाल के निकट पहुँचाने के बावजूद , वीर सावरकर के गाल, यूं कहें चेहरे पर शिकन तक नहीं थी.
७ . इस महान क्रांतीकारी को देश के इतिहास कारों , पत्रकारों आज के मीडिया ने गांधी /कांग्रेस के पिछलग्गू बनकर, पेट भरू , बनकर देश के गरीबों के पेट में लात मारकर, आज के देश की मार्मिक तस्वीर दिखाने के बजाय, अय्याशी का मीडिया (साधन) बनाकर, अपनी कलम से अपने पत्रिकाओं के कॉलम (COLUMN) में देश के गौरवशाली इतिहास को भी कभी सामने आने नहीं दिया .
८ . अभी दिल्ली से, भाजपा नेता, सुब्रमनियम स्वामी की एक हल्की सी हुंकार सुनाई दी कि वीर सावरकार को “भारत रत्न” देने की .., क्या ये गूँज भी नेपथ्य में खो जायेगी ..
गुणों की खान वीर सावरकर का कितना भी बखान किया जाय कम है.
९ . वीर सावरकर ::: एक महान विद्वान ,राजनयिक, , स्टेट्समैन राजनेता, तत्वचिंतक , क्रांतीकारक लेखक, नाटककार, महाकवि, सर्वोत्तम वक्ता, पत्रकार, धर्मशील, नीतीमान, पंडित, मुनि, इतिहास संशोधक, इतिहास निर्माता, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार, प्रवचनकार, अस्पर्शयता निवारक, शुद्धी कार्य के प्रणेता, समाज सुधारक, विज्ञान निष्ठा सिखाने वाले , भाषा शुद्धी करने वाले, लिपि सुधारक, संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व, बहुभाषिक हिंदुत्व संगठक, राष्ट्रीय कालदर्शन के प्रणेता, कथाकार, आचार्य, तत्व ज्ञानी, महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक, धर्म सुधारक विवेकशील नेता व हुतात्मा थे
१० . दोस्तों इनकी कीर्ती के सामने “भारत रत्न” तो छोड़ों देश के
नोबल पुरूस्कार विजेता व भारत रत्न से सम्मान्नीत महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट
रमण ने सही कहा था “वीर सावरकर की चमक के समक्ष कोहिनूर हिरा
भी फीका है..
११ . 70 वर्षों के
इतिहास में जिन्होंने देश को १९४७ के पहिले की जनता के सुखमय जीवन को आज गरीबी से
ग्रसित किया है (सिर्फ लाल बहादुर शास्त्री क छोड़कर) वे भारत रत्न की शान से आज भी
मुहल्ले, गली, शहर में पुतले के साथ
अपना नाम कराकर..,जनता को दंश देकर अपनी शान को
द्योतक/प्रतीक कह रहें हैं
हमें विश्व गुरू बनना है, तो, वीर सावरकर की विचारधारा को मानना ही पडेगा ...,
आज मणिपुर के आतंकवाद का जवाब.., व सीमा पार
पकिस्तान को जवाब..., वीर सावरकर की विचारधारा से जाबांजी का ही परिचय है ..
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