जातिवाद, तलवार / शोषण
व लोभ से धर्मपरिवर्तन, घुसपैठ..., ये
तीन हैं देश के दुश्मन से इसके ऊपर आरक्षण का आवरण डालकर ..., आज हमारा देश MINI INDIA बन गया है , अब भी वक्त है इसे “विशालकाय महान विश्वगुरू
हिन्दुस्थान” बनाया जा सकता है ,
यदि सावरकर की सार्थक ४० से अधिक भविष्यवानियों का मंथन कर..., इस देश से जातिवाद को वोटवाद की खाद से देश की
सोना उगले धरती को निगल रहें हैं व देश को तोड़ने की साजिश से देशप्रेमी की खाल में
शातिर भेडियें हैं
(क्या..???, मोदी सरकार को .., २६ फरवरी
२०१8 को वीर सावरकर की ५2 वी पूण्य
तिथी को राष्ट्रीय जाग्रति दिवस का पर्व मनाना चाहिए... )
भाग -३
१. वीर सावरकर- “ ये
दलित नहीं..., इनमे हिंदुओं का खून है, भगवान इनके दिलों में बसते हैं..., यह तुम्हारा
जातिवाद, अस्पृश्यता का जहर..., धर्म
के परिवर्तन से राष्ट्र परिवर्तन होकर, हिंदुत्व को ले
डूबेगा”
२. एक विश्व के अतुल्य
क्रांतीकारी , वीर सावरकर के पराक्रम से उन्होंने अपने नामस्वरूप
कार्य कर विश्व को अचंभित कर दिया, और हमारे इतिहास कार,
छोटी-छोटी सुविधा के लिए , देश के सत्ताखोरों
के चाटुकार, से अपने को सत्ता का छद्म पुत्रकार कह, पतनकर बन , इतिहास ही नहीं देश का पतन करते गए...
३. वीर सावरकर ने अपने
सम्पूर्ण नाम के जीवन को कर्म भूमि बनाकर, परिभाषित कर, भारतमाता के गौरव में अपना जीवन झोक
दिया..., आज के मौजूदा हाल को देखकर जिन्हें परमवीर की उपाध
भी फीकी है..., कोहिनूर हीरे की चमक, भारत
रत्न भी एक जुगनू प्रतीत होता है
४. विनायक दामोदर सावरकर का सार्थक नाम === विनायक (बिना सत्ता मोह के नायक) दामोदर (दमदार आत्म बल से देश के भीतरी व बाहरी दुश्मनों से लड़ने वाले) सावरकर (जिनकी आज ४०से अधिक , देश को संवारने वाली ज्यादा सार्थक भविष्यवाणीयों की ओर हमने ध्यान दिया होता तो इस देश का भविष्य उज्ज्वलतम होता.., जिन्होंने हिन्दुस्तान के गुलामी से सिकुड़ने का कारण जातिवाद को माना.., जब तक जातिवाद रहेगा.. देश का समाज आंतरिक गुलामी से जकड़ा रहेगा, राष्ट्रीय एकता छिन्न – भिन्न होकर , विदेशी आक्रान्ताओं को गुलामी से, देश के टुकड़े कर, लूट का सुगम रास्ता मिला.
५. वीर सावरकर ने अपने आत्मबल,कर्मबल से भारतमाता को विदेशी गुलामी व जातिवाद की
गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के संकल्प में देश को कामयाबी दिलाई .
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६. दोस्तों... वीर सावरकर के अंडमान जेल से छुटने पर, अपने जीते- जी “जातिवाद के विषबेल” को महाराष्ट्र के “रत्नागीरी जिले” से काट कर फेंक दिया था..,, विश्व को एक अप्रतीम सन्देश दिया लेकिन गांधी ने भी अंग्रेजों का सेफ्टी वाल्व बनकर इसका घोर विरोध किया .., काश यदि हमने सावरकर के आदर्शो को माना होता तो.., आज तक भारतमाता इस जातिवाद के वोट बैंक, जो एक नागरूपी “सर्प दंश” से आज भी घायल न रहती ..
६. दोस्तों... वीर सावरकर के अंडमान जेल से छुटने पर, अपने जीते- जी “जातिवाद के विषबेल” को महाराष्ट्र के “रत्नागीरी जिले” से काट कर फेंक दिया था..,, विश्व को एक अप्रतीम सन्देश दिया लेकिन गांधी ने भी अंग्रेजों का सेफ्टी वाल्व बनकर इसका घोर विरोध किया .., काश यदि हमने सावरकर के आदर्शो को माना होता तो.., आज तक भारतमाता इस जातिवाद के वोट बैंक, जो एक नागरूपी “सर्प दंश” से आज भी घायल न रहती ..
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