Wednesday 14 February 2018

“I Love You Savarkar..,” (वैलेंटाइन दिवस पर विशेष) अंडमान जेल, जेलर बारी की पुत्री को पढ़ाते जब वह नव यौवन में प्रवेश कर रही थी तब जेल के कैदी सावरकर की सुन्दरता व अद्भुत अपार ज्ञान के प्रति आकर्षित एक तरफ़ा प्यार की गुहार निक लते हुए ये शब्द कहे ... इसके प्रत्योत्तर में सावरकर ने कहा “Tody to learn I Love my Mother Land ..,”


I Love You Savarkar.., (वैलेंटाइन दिवस पर विशेष) अंडमान जेल, जेलर बारी की पुत्री को पढ़ाते जब वह नव यौवन में प्रवेश कर रही थी तब जेल के कैदी सावरकर की सुन्दरता व अद्भुत अपार ज्ञान के प्रति आकर्षित एक तरफ़ा प्यार की गुहार निक लते हुए ये शब्द कहे ...
इसके प्रत्योत्तर में सावरकर ने कहा “Tody to learn I Love my Mother Land ..,

यह विचार जन्म से सावरकर के खून में था ..,
गुलाम देश में जीना, जीवन में कलंकहै , इसकी बेडयाँ तोड़ने के लिए, मूल मंत्र है “I Love my Mother Land .., +

उनकी इतनी अग्निपरीक्षा हुई, यदि लोहे की होती तो, पिघल जाता, मृत्यु पर्यंत उनकी चेहरे पर भारतमाता की सेवा करने व उनके नासिक के घर को जब्त करने, व सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद , नेहरू द्वारा घर पर नजरबन्द रखने के बावजूद कोई अफ़सोस नहीं किया.

१.  सावरकर, विश्व के क्रान्तिकारियों से कहते थे, अपनी स्वतन्त्रता को अखंड रखने के लिए अपनी मात्रभूमि को प्यार किये बिना आजादी अक्षुण नहीं रह सकती..,
२, दोस्तों सावरकर के जीवन में विवाह के पहिले व बाद में व्यभिचारी. अय्याशी जैसे नासूरों को जीत लिया थी , इतिहास इसका एक भी उदाहरण नहीं है , उनका जीवन १. ब्रह्मचर्य, २.गृहस्थ ३. वानप्रस्थ सन्यासश्रम, के पालन का एक और एक ही अनूठा उदाहरण है. 

3. जानें सावरकर के बारें में...,

वीर सावरकर के निम्न गुणों में महारत थी.., जो चाणक्य में भी न थी. वीर सावरकर, वे प्रकांड विद्वान, कवि, लेखक, सभी धर्मों के ज्ञाता के साथ प्रख्यात इतिहासकार थे. उन्हें मराठी साहित्य का कालिदास भी कहा जाता है.. 3. वीर सावरकर ::: एक महान विद्वान ,राजनयिक, , स्टेट्समैन राजनेता, तत्वचिंतक , क्रांतीकारक लेखक, नाटककार, महाकवि, सर्वोत्तम वक्ता, पत्रकार, धर्मशील, नीतीमान, पंडित, मुनि, इतिहास संशोधक, इतिहास निर्माता, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार, प्रवचनकार, अस्पर्शयता निवारक, शुद्धी कार्य के प्रणेता, समाज सुधारक, विज्ञान निष्ठा सिखाने वाले , भाषा शुद्धी करने वाले, लिपि सुधारक, संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व, बहुभाषिक हिंदुत्व संगठक, राष्ट्रीय कालदर्शन के प्रणेता, कथाकार, आचार्य, तत्व ज्ञानी, महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक, धर्म सुधारक विवेकशील नेता व हुतात्मा थे.

4. सावरकर की किर्ती का कितना भी बखान किया जाय कम है.., वे तो गुणों के खान थे ..., आधुनिक इतिहासकारों ने देश के गांधीवादी नेताओं के लुंज-पूंज जुगनूओं के चमक को, सूर्य की तरह महामंडित किया है... जबकि सावरकर को दिन का जूगनू कह कर , अन्धेरा इतिहास लिखा है.., याद रहे इस (वीर सावरकर) जूगनू ने अंग्रेजों के न डूबने वाले सूरज के पसीने छूड़ा दिये थे
इंग्लैंड के सभी शत्रुओं में जो सर्वश्रेष्ठ है वे एक मात्र वीर सावरकर हैं .., इंग्लैंड एक भाग्यवान राष्ट्र है जिसे सावरकर जैसे चारित्र संपन्न , प्रखर राष्ट्रभक्त और कमाल का बुध्धिमान मान शत्रु मिला” – LORD BROCWAY – Member of Parliament England (1985 ) २८ मई -सावरकर जयन्ती पर, आज शनिवार है, वीर सावरकर को सत्ता परिवर्तन (१९४७) से हर सरकारों ने ७० सालों की अपनी राजनीती में शनि ही माना है. १९८५ में वीर स्वर सावरकर के तैल चित्र का इंग्लॅण्ड में इंडिया हाउस में लेबर पार्टी के सांसद लार्ड ब्रोकवे द्वारा अनावरण करने पर संसद में कंजर्वेटी पार्टी द्वारा विरोध करने पर लार्ड ब्रोकवे ने लताड़ कर वीर सावरकर के गुणों का वर्णन कर संसद को खामोश कर दिया इंग्लैंड के अभी शत्रुओं में जो सर्वश्रेष्ठ है वे एक मात्र वीर सावरकर हैं .., इंग्लैंड एक भाग्यवान राष्ट्र है जिसे सावरकर जैसे चारित्र संपन्न , प्रखर राष्ट्रभक्त और कमाल का बुध्हिमान शत्रु मिला” – LORD BROCWAY – Member of Parliament England (1985 )
५. २००४ में कांग्रेस के शासन में आते ही मणिशंकर अय्यर ने बापू को महान बताने की आड़ में कालापानी जेल से सावरकर द्वारा लिखे गए अवशेष व शिलालेखों को उखाड़ कर उन्हें इतिहास से उखाड़ने का कलुषित कार्य किया सावरकर का प्रबल मत था कि गुलामीदेश पर कलंक हैं यदि गुलामी की बेड़ियों को सशस्त्र क्रांती से यदि कोई राष्ट्र तोड़ता है.., तो वह राष्ट्र, विदेशी आक्रान्ताओं से भविष्य में कभी गुलाम नहीं होगा..

६. नरम दल के नेताओं जैसे गांधी , नेहरू इत्यादी नेताओं का व्यभिचारी. अय्याशी व पिछलगू बन भारतमाता के प्रति झूठा प्रेम जतलाकर, अंग्रेजों के सेफ्टी वाल्व बनकर, आजादी के पहिले अपने को बापू, महात्मा ,राष्ट्रपिता के नाम से सत्ता परिवर्तन को आजादी कहकर (१९४७) से देश की तिजोरी से ५५ हजार करोड़ का डाका डालकर पकिस्तान को आतंकवादी फंड के रूप में दे दिया , व (चाचा”- चरखे का चालू , “चाके नाम से ) नेहरू ने साईकिल जीप से अन्य घोटालों से अंग्रेजों की संस्कृति से ही देश महान बनेगा इस झांसे से देश में धर्मवाद की जड़ों के मजबूत बनाकर , उसमें जातिवाद की मट्टी से देश को वोट बैंक का पानी बनाकर विदेशी घुसपैठियों को खाद बनाकर , इसे देश की हरियाली बनाकर , जनता को भरमाया गया देश को खोखला तना बना दिया

No comments:

Post a Comment