Sunday 26 May 2019



दोस्तों जातिवाद, भाषावाद अलगाववाद से घातक देश में वंशवाद की बेल हैं जो १९४७ से ही देश का दंश है जिससे आम आदमी भी घायल है.., प्रशासन से लड़ने में अपाहिज है. नेता दबंग बनकर प्रांतवाद से देश के विभिन्न हिस्सों में टुकड़े गैंग को पालन पोषण का देश में एक सुगम मंच बन गया है..., 

अब तो देश में अवार्ड वापसी गैंग भी अपनी छतरी खोल कर उन्हें छाँव प्रदान कर रहें हैं   

२०१९ के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी एक पिछड़े वर्ग के जनसंघ, रा स्वं संघ से भाजपा के एक सामान्य कार्यकर्ता से, अपने दूर दृष्टी से आत्मविश्वाश के बल से अपने ऊपर लगाईं  गयी विपत्तियों का चुटकी से चहरे में बिना शिकन आये हल करते गए हैं .

इस लोकसभा चुनाव में जातिवाद, भाषावाद अलगाववाद का सूपड़ा काफी हद तक साफ़ हो गया है.., पिछड़े वर्ग व आरक्षण की आड़ में सब्सिडी / वित्तीय सहायता का राजनीतिकरण कर देश को लूटने का एक सुरक्षित हथियार बना लिया था . जो मोदी राज १  के कार्यकाल में जन धन योजना से इस घपलेबाजी का काफी निदान हो गया है.

देश की राजनीती में वंशवाद पर यदि क़ानून नहीं बनता है तो संविधान की दीवारों में जो  धूल भर रही है इस पर काले धन की बरसात गिरकर.. कीचड़ बनकर देश की अस्मिता पर प्रहार हो सकता है
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