बोलू: अबे देखू
.., कुछ तो बोल.., क्या देख रहा है .., अब, हम बापू के नहीं.., देश के “आजाद”
राष्ट्रवादी बंदर हैं..
बापू के तीन बंदर, अब बन गये है मस्त कलन्दर http://meradeshdoooba.com
बापू के तीन बंदर, अब बन गये है मस्त कलन्दर http://meradeshdoooba.com
देखू: आज “चंद्रशेखर
तिवारी” उर्फ़ “आजाद” की जन्मतिथी है.., जिन्होंने मात्र २५ साल की उम्र की अपनी जवानी,
भारतमाता को समर्पीत करने वाले इस “आजाद” पुरूष के बारे में देश में मुर्दानगी
है..,
सूनू:
पार्लियामेंट में भ्रष्टाचार के पिपरमेंट
के पलटवार का शोर है.., काले अंग्रेज, अब बंदर बनकर आपस में लड़ रहे है.., इस भ्रष्टाचार से अपनी
पार्टी को “आजाद” कहने की होड़ में आपस से ज़ुबानी जंग से, सनसनी से, ६८ सालों से संसद को “बदरंगी” करने का यह खेल बेतहासा जारी है
बोलू: इस सत्ता परिवर्तन के ६८ सालों के इतिहास मैं लूट
के सौदे में भाजपा ने कांग्रेस पर ट्विटर से टूट कर,हमला किया है कि हमारा लूट का
माल १% भी नहीं है.., अभी तो हमने लंगोट
चुराया हा इसमें कोई खोट नहीं देश के तुमने
तो १० सालों में हीरे के कपड़े बना लिए है...
देखू: हां..,
इस “लूट तंत्र के – पैदाईश” में दिल्ली
में एक २१ वी सदी के “लू” का बंदर पैदा हुआ है.., ६७ सीटों की कुर्सी पर
बैठ , अब अपने को ६७ इन्च का सीना तानने
के भ्रम में , नवाबी जंग की नौटंकी कर अपने को प्रधानमंत्री से, अब देश का बड़ा बंदर कहकर, हर बार गुलाटी मारने
पर मुंह के बल गिरने के बाद दर्दीली आवाज में कहता है..., मेरी गुलाटियों” की असफलता के पीछे “नरेन्द्र
मोदी” का हाथ है ..,
देखू: मे तो,
देख रहा हूं, प्रधानमंत्री तो “राष्ट्रवादी लंगूर” हैं, लेकिन वे इस देश की बगिया
को लूट कर रहे बंदरों को भगाने की बजाय.., आँखें मूदे बैठे है..!!!
बोलू : यह
बड़ा केमिकल लोचा है.., ३६० कोनों में देश के बंदरों की बहार है.., व सीमा पार
भेड़िये,परस्पर मिलकर देश में खूनी खेल का
तांडव मचाने के खेल की योजना बना रहें है.., ये हर पार्टी के काले देशी बंदर तो
देश की “बिल्लियों” को योजनाओं के नाम से IPL से ZPL के तराजू की योजनाएं बनाकर ,उनकी
रोटी छीन रही है..,
देखू:
देशवासी हैरान व परेशान है.., “अच्छे दिन” के “मानसून” का दूसरा दौर है.., मोदीजी की “मन-की-बात”
से देशवासियों का “मन सूख” व महंगाई से तन-सूख” रहा है ..
सुनू: पार्टी के नेता व कार्यकर्ता तो इससे खुश
होकर.., ताल-ठोककर “तन- मन-सुख” का नारा
देकर ११ करोड़ के सदस्यता जता कर.., देशवासियों को भरमा रहें हैं
बोलू: मोदी को ख़तरा तो अपने ही बंदरों से है ..,
लंगोटी रोटी, चुराने के आरोप में, वह कही “ग़दर” न कर ,ये बंदर “पाटी” को बदतर न कर दे.., इसलिए सबसे भली चुप्प.. से
चुपचाप से “रण नीती” का इन्तजार कर रहें हैं
बोलू: अरे
देखू.., हम मुद्दो से भटक गए है.., अभी
आजाद के बलिदान की अधूरी आजादी के बारे में बात करे...
देखू : हमारे,
देश के सैकड़ों क्रांतीकारियों शहीदों का जन्म दिवस , बलिदान दिवस..., आता – जाता रहा, लेकिन
इन्हें तो आज तक देश के क्रान्तीकरियों को शहीद का दर्जा नहीं मिला.., इनके घर तो जर्जर अवस्था में
हैं..और आज के सत्ताखोरों के स्वतंत्रता सेनानी के तमगे से इन क्रांतीकारियों की
जमीनें हड़प कर उनका अस्तित्व समाप्त कर रहें हैं..
सूनू: हाँ., आज की वर्तमान सरकारें भी इनकी ह्त्या के रहस्य की फाईलों को गुप्त रख, कह रहीं है..जनता को राज बताने पर विदेशी ताकतों से हमारे सम्बन्ध खराब होने से विदेशी सहायता न मिलने से देश की अर्थ व्यवस्था.., चौपट हो जायेगी
बोलू: हाँ..., यही ६८ सालों से सभी सरकारों की व्यथा है..
देखू: हाँ, मैं देख रहा हूँ, जहां खुदीराम बोस का मुजफ्फरपुर के बर्निंगघाट पर अंतिम संस्कार किया गया था लेकिन उस स्थल पर शौचालय बना दिया गया है. इसी तरह किंग्सफोर्ड को जिस स्थल पर बम मारा गया था उस स्थल पर मुर्गा काटने और बेचने का धंधा हो रहा है.
बोलू : यह शहीदों के प्रति घोर अपमान और अपराध है? देश के स्वाभिमान का घोर अपमान है...
अगर सरदार भगत सिह को तुम कब्र से उठाओं तो तुम उसे दुखी पाओगे, क्योंकि जिस आजादी के लिए बेचारे ने जान गवाई , वह आजादी दो कौड़ी की साबित हुई , तुम शहीदों को उठाओं कब्रों से और “पूछों”. क्या इसी आजादी के लिए तुम मरे थे , इतने प्रसन्न हुए थे ...??, इन राजनीतिज्ञों के हाथ में ताकत देने के लिए तुमने कुरबानी दी थी ..?????, तो भगत सिह छाती पीट-पीट कर रोयेगा कि हमें क्या पता था , जिंदगी का..., गांधी तो ज़िंदा थे – आजादी आई और आजादी आने के बाद गांधी छाती पीटने लगे थे , गांधी बार-बार कहते थे मेरी कोई सुनता नहीं , मैं खोटा सिक्का हो गया हूँ , मेरा कोई चलन नही है गांधी दुखी है, गांधी सोचते थे : एक सौ पच्चीस साल जीऊंगा , लेकिन आजादी के नौ महीने बाद उन्होंने कहा अब मेरी एक सौ पच्चीस साल जीने की कोइ इच्छा नहीं है , यह बड़ी हैरानी की बात है , शहीदों की चिताओं पर भले मेले भर रहे हों , लेकिन शहीदों के चिताओं के भीतर आंसू बह रहें हैं
सूनू: बात तूने पते की कही है,,,, जनता भी यही कह रही है,,,
बोलू: देश के शहीदो के अपमान से बने , गाँधी के नाम से, नेता, अपनी नंगई से बनें बेईमान, सत्ता को सट्टा के नाम से देश को भ्रष्टाचार से खोखला कर दिया, आज भी हमारे क्रंतिकारी शहीद भगतसिग, सुभाषचन्द्र बोस , चन्द्रशेखर से वीर सावरकर को भी देश्द्रोहीयों की काली सूची मे है...आज शहीदो के चिताओ पर राजनेता अपनी भ्रष्टाचार की, रोटी सेंककर, अपने को शहीदों से महान बनाने की हौड मे है.. देश का शहद चाटकर , आज देश के गली , मुहल्ले ,नगर , शहर, शिक्षा व अन्य संस्थानों पर ऐसे करोड़ों नाम हैं...,जिसे अपने नाम कर लिए है...??
सूनू : हाँ.., ३० साल बाद, नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इस स्वाभिमान को जगाने, उनके स्मारक में जाकर जोशीला भाषण मैंने सूना
देखू: हाँ , पिछली बार मैंने देखा था .., सवेरे से प्रधानमंत्री की दौड़ में होड़ लगाने के लिए, सभी पार्टियों के छुटभैये नेता श्रेय ले रहे थे..., जैसे हममें ही.. सरदार भगत सिंग का ही खून दौड़ रहा है..., और तो और श्रदांजली देते समय अन्ना हजारे के आंसू छलक गए थे..
बोलू: लेकिन अन्ना हजारे तो गांधी वादी नेता है...., और गांधी ने तो अहिसा के भ्रामक प्रचार से देश के लोगों को गुलाम मानकर, जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड निर्दोष लोगों की ह्त्या के प्रतिकार न करने से ही, जबकि लाला लाजपत राय की इस प्रतिरोध में मौत होने से..., क्रांतीकारियों में इस शासन को उखाड़ फेंकने का जूनून पैदा हो गया
सूनू: हाँ गांधीजी को तो अंग्रेजों से जलपान मिल रहा था.., इसलिए जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड का विरोध नहीं किया था.., उन्होंने तो इन क्रांतीकारियों के कार्य की निंदा कर, अंग्रेजों को एक नया शक्तिबल देकर देशवासियों का दमन करने का पुख्ता इंतजाम कर दिया था
बोलू: हां.., वे तो.., अंग्रेजों के सेफ्टी वाल के लिए अंग्रेजों के सुरक्षा कवच बने.., जब भी क्रांतीकारियों का आन्दोलन, ज्वलंत होने लगता था.., तब गांधीजी से अहिंसा की बारिश करवाकर.., उनके मंसूबों पर पानी फेर देते थे
देखू: हाँ.., अब तो मैं देख रहा हूं ..., सेना की जमीन भी हड़प कर, सत्ता की बंदरबांट से आदर्श महलों व घोटालों के मकडजाल से जनता इसमें फंस कर ६८ सालों से उसका खून चूसा जा रहा है.., हमारी गांधी के स्वराज के पुतले की “स्वराज” का ढिंढोरा पीटकर, विदेशी हाथ, विदेशी, विदेशी साथ विदेशी संस्कार से देश में बेतहासा लूट पर छूट मिल रही है..
बोलू: देश के क्रांतीकारी तो खाते पीते घर के थे, उन्हें सत्ता का लोभ नहीं.., भारतमाता की गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराना था.., और इसे राष्ट्रीय धर्म मानकर देश के लिए कुर्बानी से देश के उज्जवल भविष्य की कामना की अपेक्षाओं को, ६८ सालों से सत्ताखोरों ने देश को विदेशी कर्ज से देश को डुबो दिया है...
सूनू: अभी नेता तो भगत सिंग व अन्य क्रांतीकारियों से अपनी सत्ता की पुरी तल कर, जनता में जोश भरने का खेल, खेल रहे हैं..
देखू : देश की हालत देखकर मैं तो गंभीर हो गया हूँ, मेरे रोये खड़े हो गए हैं.., अब देश का क्या होगा
बोलू: देश गर्त में जाएगा, जब तक देशवासी में.., यह सोच रहेगी कि.., भगत सिंग मेरे पडोस में पैदा हो..., यदि देशवासी.., “सोच बदले तो देश बदलेगा...,” “राष्ट्रवाद.., राष्ट्रवाद..., राष्ट्रवाद..,” सावरकर, सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद व अनन्य क्रांतीकारी जैसों से ...
सूनू: हाँ., आज की वर्तमान सरकारें भी इनकी ह्त्या के रहस्य की फाईलों को गुप्त रख, कह रहीं है..जनता को राज बताने पर विदेशी ताकतों से हमारे सम्बन्ध खराब होने से विदेशी सहायता न मिलने से देश की अर्थ व्यवस्था.., चौपट हो जायेगी
बोलू: हाँ..., यही ६८ सालों से सभी सरकारों की व्यथा है..
देखू: हाँ, मैं देख रहा हूँ, जहां खुदीराम बोस का मुजफ्फरपुर के बर्निंगघाट पर अंतिम संस्कार किया गया था लेकिन उस स्थल पर शौचालय बना दिया गया है. इसी तरह किंग्सफोर्ड को जिस स्थल पर बम मारा गया था उस स्थल पर मुर्गा काटने और बेचने का धंधा हो रहा है.
बोलू : यह शहीदों के प्रति घोर अपमान और अपराध है? देश के स्वाभिमान का घोर अपमान है...
अगर सरदार भगत सिह को तुम कब्र से उठाओं तो तुम उसे दुखी पाओगे, क्योंकि जिस आजादी के लिए बेचारे ने जान गवाई , वह आजादी दो कौड़ी की साबित हुई , तुम शहीदों को उठाओं कब्रों से और “पूछों”. क्या इसी आजादी के लिए तुम मरे थे , इतने प्रसन्न हुए थे ...??, इन राजनीतिज्ञों के हाथ में ताकत देने के लिए तुमने कुरबानी दी थी ..?????, तो भगत सिह छाती पीट-पीट कर रोयेगा कि हमें क्या पता था , जिंदगी का..., गांधी तो ज़िंदा थे – आजादी आई और आजादी आने के बाद गांधी छाती पीटने लगे थे , गांधी बार-बार कहते थे मेरी कोई सुनता नहीं , मैं खोटा सिक्का हो गया हूँ , मेरा कोई चलन नही है गांधी दुखी है, गांधी सोचते थे : एक सौ पच्चीस साल जीऊंगा , लेकिन आजादी के नौ महीने बाद उन्होंने कहा अब मेरी एक सौ पच्चीस साल जीने की कोइ इच्छा नहीं है , यह बड़ी हैरानी की बात है , शहीदों की चिताओं पर भले मेले भर रहे हों , लेकिन शहीदों के चिताओं के भीतर आंसू बह रहें हैं
सूनू: बात तूने पते की कही है,,,, जनता भी यही कह रही है,,,
बोलू: देश के शहीदो के अपमान से बने , गाँधी के नाम से, नेता, अपनी नंगई से बनें बेईमान, सत्ता को सट्टा के नाम से देश को भ्रष्टाचार से खोखला कर दिया, आज भी हमारे क्रंतिकारी शहीद भगतसिग, सुभाषचन्द्र बोस , चन्द्रशेखर से वीर सावरकर को भी देश्द्रोहीयों की काली सूची मे है...आज शहीदो के चिताओ पर राजनेता अपनी भ्रष्टाचार की, रोटी सेंककर, अपने को शहीदों से महान बनाने की हौड मे है.. देश का शहद चाटकर , आज देश के गली , मुहल्ले ,नगर , शहर, शिक्षा व अन्य संस्थानों पर ऐसे करोड़ों नाम हैं...,जिसे अपने नाम कर लिए है...??
सूनू : हाँ.., ३० साल बाद, नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इस स्वाभिमान को जगाने, उनके स्मारक में जाकर जोशीला भाषण मैंने सूना
देखू: हाँ , पिछली बार मैंने देखा था .., सवेरे से प्रधानमंत्री की दौड़ में होड़ लगाने के लिए, सभी पार्टियों के छुटभैये नेता श्रेय ले रहे थे..., जैसे हममें ही.. सरदार भगत सिंग का ही खून दौड़ रहा है..., और तो और श्रदांजली देते समय अन्ना हजारे के आंसू छलक गए थे..
बोलू: लेकिन अन्ना हजारे तो गांधी वादी नेता है...., और गांधी ने तो अहिसा के भ्रामक प्रचार से देश के लोगों को गुलाम मानकर, जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड निर्दोष लोगों की ह्त्या के प्रतिकार न करने से ही, जबकि लाला लाजपत राय की इस प्रतिरोध में मौत होने से..., क्रांतीकारियों में इस शासन को उखाड़ फेंकने का जूनून पैदा हो गया
सूनू: हाँ गांधीजी को तो अंग्रेजों से जलपान मिल रहा था.., इसलिए जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड का विरोध नहीं किया था.., उन्होंने तो इन क्रांतीकारियों के कार्य की निंदा कर, अंग्रेजों को एक नया शक्तिबल देकर देशवासियों का दमन करने का पुख्ता इंतजाम कर दिया था
बोलू: हां.., वे तो.., अंग्रेजों के सेफ्टी वाल के लिए अंग्रेजों के सुरक्षा कवच बने.., जब भी क्रांतीकारियों का आन्दोलन, ज्वलंत होने लगता था.., तब गांधीजी से अहिंसा की बारिश करवाकर.., उनके मंसूबों पर पानी फेर देते थे
देखू: हाँ.., अब तो मैं देख रहा हूं ..., सेना की जमीन भी हड़प कर, सत्ता की बंदरबांट से आदर्श महलों व घोटालों के मकडजाल से जनता इसमें फंस कर ६८ सालों से उसका खून चूसा जा रहा है.., हमारी गांधी के स्वराज के पुतले की “स्वराज” का ढिंढोरा पीटकर, विदेशी हाथ, विदेशी, विदेशी साथ विदेशी संस्कार से देश में बेतहासा लूट पर छूट मिल रही है..
बोलू: देश के क्रांतीकारी तो खाते पीते घर के थे, उन्हें सत्ता का लोभ नहीं.., भारतमाता की गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराना था.., और इसे राष्ट्रीय धर्म मानकर देश के लिए कुर्बानी से देश के उज्जवल भविष्य की कामना की अपेक्षाओं को, ६८ सालों से सत्ताखोरों ने देश को विदेशी कर्ज से देश को डुबो दिया है...
सूनू: अभी नेता तो भगत सिंग व अन्य क्रांतीकारियों से अपनी सत्ता की पुरी तल कर, जनता में जोश भरने का खेल, खेल रहे हैं..
देखू : देश की हालत देखकर मैं तो गंभीर हो गया हूँ, मेरे रोये खड़े हो गए हैं.., अब देश का क्या होगा
बोलू: देश गर्त में जाएगा, जब तक देशवासी में.., यह सोच रहेगी कि.., भगत सिंग मेरे पडोस में पैदा हो..., यदि देशवासी.., “सोच बदले तो देश बदलेगा...,” “राष्ट्रवाद.., राष्ट्रवाद..., राष्ट्रवाद..,” सावरकर, सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद व अनन्य क्रांतीकारी जैसों से ...
बोलू : हम
बंदरों के कहने का सार है..,
Let's not make a party
but become part of the country. I'm made for the country and will not let the
soil of the country be sold. के संकल्प से
गरीबी हटकर, भारत निर्माण से, इंडिया शायनिंग से, हमारे LONG – INNING से, “FEEL
GOOD FACTOR” से देश के अच्छे दिन आयेंगें..,
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