१ मोदीजी तुस्सी ग्रेट हो.., बिक्स देशों में देश
की ब्रिक्स (इंटें) और मजबूत कर आयें हो..,
पाकिस्तानी शार्क को परास्त कर, आतंकवादियों में खौफ हैं.., देश की सीमाएं बेशक..,
सुरक्षित हुई है .., देश की विश्व में कीर्ती से जनता अभिभूत है...
२ मोदीजी.., लेकिन माफियाओं का भूतहा कार्य से वे और निडर हो
गयें हैं.., पार्टी के “जूमला” लोग, झूम
कर बयान दे रहें हैं.., अब तो “अच्छे दिनों” के लिए ६० महीने व विश्व गुरू के लिए ६०० महीने चाहिए
..,
३ जनता सोच रही हैं.., हमारे प्रधानमंत्री से, इस “मसाले”
की “मन-की-बात” का सन्देश मिलेगा..,
लेकिन आप “मन –मोहना” की पिछली सरकार की तरह चुप्पी धर विदेश घूमकर.., नेपथ्य में
चले गए.. अब भी चुप्पी साधकर, भ्रष्टाचारियों को पप्पी दे रहे हो..,
४ याद रहे.., लाल बहादुर शास्त्री जिनकी “संयुक्त
राष्ट्र रूस” के कार्यकाल में, आज खंडित
हुए उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में अपनी जीवन की अंतीम यात्रा में जाने से पहिले
भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त, अपने वित्त मंत्री टी. टी. कृष्णामचारी का इस्तीफा
लेकर, कांग्रेस पार्टी में “सन्नाटा” पसरा दिया था.., और मंत्रियों को मजदूर बना
दिया था.., यही खौफ.., उनकी ह्त्या की
अर्थी बनकर, देश में आई और “जय जवान – जय किसान” की ह्त्या हो गई व भ्रष्टाचार की
एक नई फसल से.., देश, आज तक फिसल रहा है..
५ आज भी ताशकंद में लालबहादुर का पुतला/मूर्ती विराजमान
है .., लेकिन उनके सम्मान में, आपने राष्ट्र को संबोधित न कर, उनकी छवी/मूर्ती पर, धूल की जमी परत को साफ़ नहीं करने का “अफ़सोस” नहीं किया ..
६ याद रहे..,
आपने, पिछले १५ अगस्त को “लाल किला
के प्राचीर” से.., ३ बार, लाल बहादुर शास्त्री के कार्यों को संबोधन से, देश वासियों में एक नई
सांस भर दी थी ..
७ जनता हैरान.., परेशान है .., ‘अच्छे दिनों” की
आस में देश के “१४ महीने” बर्बाद हो गए .., पार्टी के “जुमले” अब “अच्छे दिनों” की
“६० महीने” व “विश्व गुरू” के “६०० महीनों” की बात से, जनता भी अब अपने को उपहासी समझ ,
भ्रमित है कि “६० सालों की कांग्रेस नीती” के “मौन” का अध्याय की पुनराव्रिती के “मौन
व्रत” से “सत्ता को धरोहर” मानने का नया खेल शुरू हो गया है...
८ लाल बहादुर शास्त्री ने तो “५० करोड़ देशवासियों
के मुठ्ठी बल” से “सिर्फ १८ महीनों” में “जय
जवान – जय किसान” से, पकिस्तान के पास
हमारे से उन्नत हथियार होने के बावजूद,देश को विजयी बनाकर, “उनके ही देश में
उन्हें धूल चटा दी थी...”, हमारा देश तो शक्तीशाली
यूरोपीय देशों के कतार में शामिल हो रहा था..,
९ देश के “जुमले” कांग्रेस के नेताओं व
उद्योगपतियों की २ नम्बरी आय बंद होने से वे “मजबूरी से मजदूरी” की अवस्था में आ गए थे .., सत्ता “जनता के हाथों”
में, जा रही थी ...
१०
देश कही, चंद दिनों में विश्व गुरू न बन जाए.., इसका खौफ विश्व को था और
कांग्रेसी नेताओं को अपने वंश वाद व अन्य नेताओं
को खाओ वाद.., ख़त्म होने का, इसी मजबूरी से उनकी ह्त्या में विदेशी शक्ती से
ज्यादा देशी शक्तियों का हाथ था..
११
वहीं , देश की जनता ने भी
“दुर्गा देवी” से “देश की दुर्गती” का “१८
महीनों का आपातकाल” भी झेला.., सत्ता तो
एक मेला बन चुका है.., लोकतंत्र की आड़ में लूटतंत्र के झमेलों से “जुमलों” की बहार
है..
१२
देशवासी जातिवाद,भाषावाद,धर्मवाद,अलगाववाद
व अन्य वाद से “जुमलों के मेलों” में आज “अकेला रहकर..., लोकतंत्र का जुर्म भर रहा है..’
१३
देशवासी तो ६८ सालों से आशावादी
बना है.., कोई तो इस डूबते देश में, हमें बचाएगा..., आपसे बड़ी आस है.., यदि “मौन
व्रत” का यही खेल चलता रहें तो देशवासियों को अब “घायल शेर” का एक नए बल को प्राप्त करने में, देर नहीं
लगेगी..., रामधारी दिनकर ने तो शेर धारी बनकर ...., सच ही लिखा है .., “सिंहासन
खाली करों.., जनता आती है”
याद रह.., उनकी इस उक्ति ने ही, १९७७ में “लोकनायक
जयप्रकाश नारायण” के नेतृत्व में “सत्ताखोरों” को सबक सिखा दिया था..,
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