Wednesday 13 May 2015

वीर सावरकर ने १९४२ के आन्दोलन को.., कांग्रेस की चाटुकारिता को देख कर भविष्यवाणी कर दी थी..., यह “भारत छोडो” आन्दोलन नहीं “भारत तोड़ो” के खेल का आन्दोलन है.



१ जय-जय वीर सावरकर.., पढ़े इतिहास के कब्र में दफ़न , अनकही सच्चाई... (२८ मई को सावरकर के  जन्म  दिवस पर विशेष .... अब २८ मई तक, रोज एक नए कार्टून की झड़ी..,) जिन्होंने अंग्रेजों के काटों को काटने के बाद,  ४० से अधिक कांटो के बारे में भविष्यवाणी की थी

२. आज इसी काँटों की वजह से शेर दिल देशवासी खून से लहूलुहान है..., राष्ट्रवाद के प्रति उसका खून सूख गया ..., इसी वजह से सत्ता-नौकरशाही-माफिया-मीडिया-कॉर्पोरेट इस देश की सुखी धरती में कारपेट के सुखी जीवन से  गरीबों का निवाला छीनकर अपना पेट भर रहें हैं..

३,  वीर सावरकर ने १९४२ के आन्दोलन को.., कांग्रेस की चाटुकारिता को देख कर भविष्यवाणी कर दी थी..., यह “भारत छोडो” आन्दोलन नहीं “भारत तोड़ो” के खेल का आन्दोलन है..

४  देश के विभाजन से पहले मुस्लिम लीग की नापाक योजनाओं के खिलाफ हिन्दुस्तान के मुसलबानों को जमीनी स्तर पर एक रूप से एक जुट करने वाले अल्लाह बख्श  अज्ञात व्यक्ती नहीं थे..

५.  वे १९४२ के भारत छोड़ों आन्दोलन के दौरान इत्तेहाद पार्टी (एकता पार्टी) के नेता के रूप में वहां के प्रधानमंत्री बनें , इस पार्टी ने सिंध में मुस्लिम लीग को पैर जमाने नहीं दिया

६.  अल्लाह बख्श  और उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ नहीं थी लेकिन जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने ब्रिटिश संसद में अपने भाषण में “भारत छोड़ों” आन्दोलन पर अपमान जनक टिप्पणी की तो अल्लाह बख्श   ने विरोध ब्रिटिश सरकार की सभी उपाधियां लौटा दी.

७.  ब्रिटिश शासन उनके विरोध को पचा नहीं पाया और गवर्नर सर ह्युग डाव ने १० अक्टूबर १९४२ में उन्हें बर्खास्त कर दिया..., अखंड हिंदुस्तान की आजादी के लिए एक मुसलबान  का यह महान त्याग इतिहास के  अंधेरे में दबा दिया

८. मुस्लिम लीग को इस महान योद्धा को ख़त्म करना जरूरी हो गया था क्योंकि वे पकिस्तान के विरोध में भारत भर में आम मुसलमानों को एकजुट करने में सफल हो रहे थे.

९. इसके अलावा एक  धर्म निरपेक्षता वादी नेता और पकिस्तान के निर्माण के विरोधी के रूप में सिंध में बेहद लोकप्रिय थे और पकिस्तान के गठन में बड़ा रोड़ा थे क्योंकि सिंध के बिना पश्चिमी क्षेत्र में इस्लामी राष्ट्र का गठन हो ही  नहीं सकता था.

१०.  १४ मई १९४३ में अल्लाह बख्श की ह्त्या, मुस्लिम लीग के भाड़े के हत्यारों द्वारा कर दी गई..

११.  यह सर्व विदित तथ्य है कि १९४२ में अल्लाह बख्श  सरकार की बर्खास्ती और १९४३ में उनकी ह्त्या ने मुस्लिम लीग के प्रवेश का रास्ता साफ़ कर दिया था की राजनैतिक व शारीरिक ह्त्या और उनकी सांप्रदायिक विरोधी राजनीती को चोट पहुँचाने में ब्रिटिश शासकों और मुस्लिम लीग की सैंड   सांठ गांठ से हिन्दुस्थान को खंडित करने का रास्ता साफ़ से सफल हो गया


१२ .  वीर सावरकर ने अल्लाह बख्श  की बर्खास्ती.., इस राष्ट्रवादी के जज्बे की भूरी-भूरी प्रशंसा की   व उनकी ह्त्या का विरोध कर “एक सच्चा हिन्दुस्थानी” का बलिदान , कह सम्मान दिया.., जबकि कांग्रेस के नेहरू व गांधी मुंह में पट्टी बांधकर.., अहिंसा का जाप जपते रहे...  

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