सूनू :  वीर सावरकर की ४० से ज्यादा सार्थक भविष्यवाणियों
व जनरल करिअप्पा ने राजीनामा देते हुए, कहा था.., “यदि हमने सावरकर के राष्ट्रवादी
विचारों के ओर ध्यान दिया होता तो चीन के हाथों हमारी पराजय नही होती.., देखू:  अब भी सावरकर की बची हुई भविष्यवाणियों के ओर
ध्यान नहीं दिया तो देश गर्त में चले जाएगा 
बोलू: सभी सरकारें
सोती रही, दोयम दर्जे के हथियार घोटालों से देशी-विदेशी माफियाओं ने देश को लूट
लिया 
सुनू: नेहरू को चेतावनी देने वाले वीर सावरकर ने १९५२ में ही कह दिया था , चीन हम पर आक्रमण करेगा, और
आसाम में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्ला देश) नागरिकों की घुसपैठ से देश में शत्रुओं
का निर्माण होगा..., और देश को  हथियारों
से समृद्ध होना चाहिए, स्कूलों में सैन्य शिक्षा से परमाणु से हाइड्रोजन बम भी
बनाना चाहिए, ताकि  शत्रु हमारी तरफ “आँख
उठाकर” भी न देखें 
देखू: देश के  भविष्य का गंभीर नजराना देख रहा हूं.., ९ साल
बाद चीनी राष्ट्राध्यक्ष जिनफिंग का  ..,
पकिस्तान के दौरे में पाकिस्तान-चीनी भाई-भाई के नार्रों से सत्कार हो रहा है...,चीन
– पकिस्तान कोरिडोर के तहत  ५१ समझौते हुए हैं , आठ नई पंडूबिया ४,५ अरब डॉलर के रक्षा समझौते ४६
अरब डॉलर के इकोनोमिक कोडोर का समझौता
सूनू:
पकिस्तान के प्रधानमंत्री तो कह रहें हैं कि चीन से हमारी दोस्ती पर्वत से ऊंची,
समुन्द्र से गहरी शहद से मीठी और फौलाद से भी मजबूत हैं 
बोलू:
अटल बिहारी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल में कारगिल में पाकिस्तान के  अतिक्रमण करने पर, LOC के घुसपैठ के समर्थन को चीन
ने ठुकरा दिया था, तब प्रधानमंत्री को एक सुनहरा मौक़ा था..,  POK को हिन्दुस्तान में मिलाने का, सेना के जवान
भी लड़ने को बेताब थे कि रोज-रोज पाकिस्तानी सेना की गोली से सामना करने की बजाय
आर-पार की लड़ाई से इस मुद्दे को ख़त्म करने का.  
सुनू:
 लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी  तो कह रहे थे कि “दोस्त बदला जा सकता है लेकिन  पड़ोसी बदला नहीं जा सकता..” और इस बात की गूँज
से भाजपा वाहवाही लूट रही थी 
देखू:
सांसद हमले, विमान अपहरण से आतंकवादियों को छोड़ना.., कारगिल युद्ध जीतने को ऑपरेशन
विजय कहा...असल में इसे ऑपरेशन शर्म कहना चाहिए था.., हमें शर्म करना चाहिए था कि हमारी
खुफिया विभाग – खुब खाया-पीया बनकर सोया था ..
बोलू:
 यह बात सही है.., पड़ोसी बदला नहीं जा सकता..,
लेकिन उसकी दुष्टता नष्ट कर सुधारा तो जा सकता है... असल में अटल बिहारी वाजपेयी   को अपनी
कुर्सी ५ सालों के लिए सुरक्षित रखना था...., इससे इनके  “अच्छे दिन” आ गए थे, इसकी आड़ में पर्यायवाची
नारों “अच्छा लग रहा है , व इंडिया शाईनिंग के नारों को जनता ने पहचान कर, सात्ता
से बेदखल  कर दिया कि नई कांग्रेस सरकार से
आस लगाई कि कुछ करेगी..  
देखू:
 नई सरकार ने तो १० सालों में, घोटालों की
आड़ में देश की सुरक्षा का भट्टा बिठा दिया...,  हमारी सीमाओं को नजर अंदाज कर १९७१ व ब्रिटिश
काल से हत्यारों के बल से  लड़ने के लिए भी
आदेश नहीं दिया , यों कहें, हमारें जवानों के हाथ बाँध दिए , उनके सर कटवाकर
दुश्मनों के कृत्य के विरोध तो दूर बोलने की जुरूरत भी नहीं समझी...
सुनू:
 अब देश में किसान समस्या , घोटालों की दर
, मीडिया-माफिया-कॉर्पोरेट –मन्त्री से संतरी का रूबाब कम नहीं हुआ है..., देश की
२० करोड़ नौकरशाही , मोदी द्वारा हड्काने के बावजूद,अब भी राष्ट्रवाद से चेती नहीं
है.., पुराने ढर्रे की जातिवाद, भाषावाद की आड़ में सत्ता की लूटनीती  का दौर बदस्तूर जारी है...
देखू:
देश में भयावह  स्तिथी  है..., अब देश का क्या होगा ..
बोलू:
 लालबहादुर शास्त्री के १९ महीने के कार्यकाल
को छोड़कर, सभी सत्ताधारियों से देश की सीमाओं में कचरा जमा करने का जो जामा पहना
है.., उसे साफ़ करने के लिए, मोदी बड़ी तत्परता से विदेशों से उन्नत हथियार मंगवा
रहें है.., विश्व को भारत के गौरव के लिए .., अब तक हमारे देश के प्रति दुर्भावी भावना
थी , उसे ख़त्म करने के लिए,, विश्व के देशों में अपने प्रभाव को पहिली प्राथमिकता
दे रहें हैं..., विपक्ष के पास एक ही मुद्दा है ..,, महंगाई और अच्छे दिन से विरोध
देखू:
 बोलू.., तू, बिलकुल सही कह रहा है ...
बोलू:
जनता को कहना चाहता हूं.., मोदी में सावरकर का खून नजर आ रहा है..., पहले सीमाओं
को सुरक्षित रखना राष्ट्रोपरी है..., बाहर  के दुश्मनों को पहिले निपटाना है..., भीतर के
दुश्मनों को तो सीमा सुरक्षित रहने पर कभी भी निपटा जा सकता है..., इसी सिद्धांत
पर प्रधानमंत्री चल रहें है..

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