वीर ही नहीं परमवीर सावरकर द्वारा देश को काटने वाले दो कसाई “नेहरू और गांधी” द्वारा हिंदुओं को दंड देने पर राष्ट्र को आवाहन करते हुए कहा था
“हिंदुओं का धर्म परिवर्तन मतलब राष्ट्र का परिवर्तन”
मृत्यु से पहिले उन्होंने कहा मेरे आजीवन के जमा २५००० रुपये की पूँजी, मेरी पीढ़ी को नहीं बल्कि जो हिंदू “धर्म परिवर्तन” कर चुके हैं उनकी “घर वापसी” में खर्च करना
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