GOD-SE, GOD-SAYS, GOD-SAID (देश की अखंडता का दिवस
१५ अगस्त.. या ३० जनवरी ...???..!!!.)
नथूराम गोड्से (GOD-SE,
GOD-SAYS, GOD-SAID) जिन्होंने राष्ट्रवाद की आत्मा की आवाज से जजों
को गांधी की गंदी राजनीती के १५० से अधिक कीचड़ का उदाहरण देते हुए इसमें छद्म
अहिसावाद के आड़ में लाखों हिन्दुस्थानियों का बलिदान, विदेशी
आक्रान्ताओं द्वारा धर्म परिवर्तन को उनका साहस कहना, यौन
शोषण व बलात्कारियों को क्षमा का विशेष अधिकार कहकर, देश में
जातिवाद को आबाद रखने के खेल से देश की संप्रभुता को ख़तरे की चिरम सीमा पर
पहुंचाने के खेल , खेलने प्रयास में सफल होने से पहिले ही इस
नासूर को मारने के लिए गांधी को मारना अति महत्वपूर्ण हो गया था ..
नथूराम गोडसे, एक
राष्ट्रवादी योद्धा, जिसने अपने प्राणों की आहुती से ...,
गांधी को , देश के साथ खिलवाड़ से.., देश के टुकड़े करने के बाद भी, देश की तुष्टी करण की
नीती से, देश को असहाय बनाने के बाद, आगे
के खेल से, देश को पंगु बनाने का, अंजाम
न दे सके , इस ह्त्या का उद्देश्य बताया,
याद रहे, नथूराम गोड़से ने स्वंय अपना मुकदमा लड़ते हुए , गांधी की ह्त्या करने के १५० कारण गिनाये थे...,तब अदालत में बैठे दर्शकों की आँखे, आंसू लबालब भरकर, जमीन में गिरकर नाथूराम गोड़से को सलाम कर रही थी ...
१. गांधी ह्त्या के पहिले नथूराम गोडसे ने गांधी को प्रणाम किया, बाद में गोली मारी.
२. नथूराम ने अदालत में कहा , मैंने गांधी को गोली मारने में इतनी सावधानी से, इतने,
पास से गोली मारी ताकि उनके बगल में दो युवतियां, जो हमेशा उनके साथ रहती थी.., उन्हें गोली के छर्रे
लगने से, मैं बदनाम न हो जाऊं (याद रहे, गांधी उन युवतियों के साथ नग्न सोकर, ब्रह्मचर्य
/सत्य के प्रयोग में इस्तेमाल करते थे)
३. नथूराम ने कहा, ह्त्या
के समय गांधी के मुख से “आह” की आवाज
निकली, “हे राम” शब्द नहीं ...,
जिसे कांग्रेस ने हेराल्ड अखबार के प्रचार से “हे राम” शब्द से देशवासियों को भरमाया..
जिसे कांग्रेस ने हेराल्ड अखबार के प्रचार से “हे राम” शब्द से देशवासियों को भरमाया..
न्यायाधीश खोसला ने, अपने
सेवा निर्वत्ती के बाद कहा था , यदि मुझे न्याय के लिए
स्वतंत्र विचार दिया जाता तो मैं, नथूराम गोड़से को निर्दोषी
मानता , मैं तो कानून का गुलाम था, इसलिए
मुझे नाथूराम गोड़से व उसके अन्य साथियों को मृत्यु दंड सुनाना पड़ा
नथूराम गोड़से व उनके साथी, ‘भारतमाता की गोद में’ सोने के लिए इतने आतुर थे कि उन्होंने उच्च न्यायालय में अपनी सजा को चुनौती नहीं दी और न ही क्षमा याचना की अपील राष्ट्रपति से की ...
यह शांती का दूत..????, कपूत निकला.., याद रहे, इस
अनशन की खाल में बापू ने .., दो विश्व युध्ह में २ लाख
हिंदुस्थानी सैनिकों की अकारण बलि देकर, जो कुत्ते की मौत
मारे गए थे .. व १९४७ में देश का अंग भंग कर ५ लाख हिन्दुस्थानियो की बलि लेकर...,
इस अहिसा के परदे में खूनी खेल खेलकर, आज तक
शांती दूत का चेहरा दिखाया है...
गाँधी वध के पश्चात जब सावरकर जी को न्यायलय ने सम्मान बरी किया तो
जज का, वीर सावरकर के लिए यह
वक्तव्य था ...,
वक्तव्य था ...,
“सावरकर ने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर
दिया, लेकिन ऐसे तुच्छ कार्य में उन्हें घसीटना बहुत ही
निंदनीय है, इस बात की जांच की जानी चाहिए की ऐसे महान
व्यक्ति का नाम इस कार्य में क्यों घसीटा गया”
जबकि स्वयं नथूराम गोडसे ने गाँधी वध में सावरकरजी की संलिप्तता को सिरे से नकार दिया,
धर्मनिरपेक्षता के झूठे आडम्बर में फंसे तथाकथित सेकुलर उस दिन
सूर्य के सामान जुगनू से प्रतीत हो रहे थे, जो की सूर्य को अपनी मद्दम रौशनी दिखा कर उसे निचा दिखाने की कोशिश कर रहे
है,
वीर सावरकर के क्रातिकारी के जज्बे को सलाम करने के के लिए, 13 मार्च 1910 मे जहाज से
कूदकर,पानी मे अंग्रज सैनिको की पीछे से गोली गोलियो की बौछर
का सामना करते हुए , फ्रांस के मार्सेल तट पर पहुँचे,
इस साहसिक घटना को जीवित कर , प्रेरित करने के
लिए, घटना की 100 वर्ष पूरे होने के
उपलक्ष्य मे एक भव्य स्मारक बनाने के लिए भारत सरकार को सूचित किया , और भारत सरकार ने वीर सावरकर को देश्द्रोही कहकर आपत्ति उठाने से वह
प्रकल्प बंद करवा दिया..
दोस्तों अब गांधी जयंती के आयोजन में झूठे दिखावे के आचरण से, देश को, सरकारी अवकाश व
विज्ञापनों व अन्य खर्चों से १० हजार करोड़ का चूना लगाने वाला है...
गांधी की गंदी राजनीती व जवाहर लाल नेहरू के जहर से देश ६८ साल के सत्ता परिवर्तन के शासन में कंगाल हो गया है..., आज सभी पार्टीयाँ विदेशों में विदेशी हाथ माँगने जा रहें हैं...
गांधी की गंदी राजनीती व जवाहर लाल नेहरू के जहर से देश ६८ साल के सत्ता परिवर्तन के शासन में कंगाल हो गया है..., आज सभी पार्टीयाँ विदेशों में विदेशी हाथ माँगने जा रहें हैं...
सत्ता तो मद से भरी.., मदारियों
का समूह १९४७ से सत्ता परिवर्तन को आजादी के झांसे से बन्दर बांट से देश को लूट
रहा है...
राजधर्म तो जातिवाद, भाषावाद,अलगाववाद, धर्मवाद व घुसपैठीयों से राजनीती में गहरी पैठ से जनता को गरीबी से तडफा-तड़फा कर..., हलाल कर ..., आज अपने को देश का लाल बनाकर., २ अक्टूबर से १४ नवम्बर से सालों - साल तक इनके पुतले..,बिना नहलाए पूजे जा रहें है...और तो और ७० सालों से देश में गरीबी की वजह से गांधी का चष्मा चुरा लिया जाता है..., २ अक्टूबर तक सत्ताखोर बदहवासी में रहता है...
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