Tuesday 30 January 2018

३० जनवरी गांधी की पुण्य तिथि नहीं “पाप तिथी” , हमें एहसान मानना चाहिए , नाथुराम गोडसेजी का जो ७० साल पहिले देश को इस पाप से उतार गए व अदालत में इस पाप के १५० कारण गिनाये.., जिसे सुनते हुए दर्शक दीर्घा में खचाखच बैठे लोगों में नाथूराम गोडसे के प्रति आँखों से आंसू से अदालत के जमीन में , यों कहें यें आंसू , १९४७ से घायल भारतमाता के अंग भंग कर , खड़ी माता के चरणों में खून के दाग को धो रहे थे ..


भाग -२ हे राम V/s राम रहीम”, यह इस युग में गांधी की ब्रह्मचर्य व्रत के पीछे छुपी नारी शोषण के प्रयोग की बाबा राम रहीम बाबा की पुनरावृति है. 

गांधी को तो मीडिया अमर कर गयी , बाबा को TRP के चक्कर में मीडिया निगल गई...

देश के तीन तिकड़म बाज...., गांधी , जवाहर व जिन्ना के .. गांधी की गंदी राजनीती, जवाहर के जहर व जिन्ना के जिन्न इन तीन भेडियों ने शेर की खाल में अय्याशी का चोला पहनकर सत्ता परिवर्तनसे जनता को आजादीकहकर जातिवाद, भाषावाद की कुल्हाड़ी से देश को खण्डित कर ५ लाख से अधिक नर मुंडों की बलि लेकर,जमाकर अपने को बापू,चाचा व कायदे-आजम की उपाधी लेकर, १९४७ से आज तक इनकी विचारधारा से भारतमाता लहू लूहान है.

१९४७ तक हमारी शिक्षा दर यदि २५% भी होती तो जनता इनका हिसाब कर देती .., पानी सर से ऊपर बहने से पहिले नथूराम गोड़से ने गांधी की ह्त्या करने के बाद , इस मकसद के १५० से अधिक कारण बताये थे .., और यूं कहें , अंग्रेजों द्वारा थोपी गई तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसे सत्ताखोरों की आजादीकह, कही जनता हमारी आजादी छीन न ले व गुलाम जनता को सच्ची आजादीमिलने के भय से नथूराम गोड़से के कारणों को अति प्रतिबंधित कर दिया . जिन कारणों से ये तीनों तिकड़म अपने को आज भी हस्तियाँ मानकर , अपने हस्त रेखाओं पर हंस कर कह रही हैं, देखों हम अपने खंडित देशों में ७१ सालों बाद इस रहस्य से नोटों , सिक्कों, गली-मुहल्लों के नाम व पुतलों से विराजमान हैं.

३० जनवरी गांधी की पुण्य तिथि नहीं पाप तिथी” , हमें एहसान मानना चाहिए , नाथुराम गोडसेजी का जो ७० साल पहिले देश को इस पाप से उतार गए व अदालत में इस पाप के १५० कारण गिनाये.., जिसे सुनते हुए दर्शक दीर्घा में खचाखच बैठे लोगों में नाथूराम गोडसे के प्रति आँखों से आंसू से अदालत के जमीन में , यों कहें यें आंसू , १९४७ से घायल भारतमाता के अंग भंग कर , खड़ी माता के चरणों में खून के दाग को धो रहे थे ..
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नाथुराम गोडसेजी ने इसे अपराध न मानते हुए भारतमाता के लाल के रूप में की गई सेवा के बावजूद जब अदालत ने मृत्यू दंड के सजा सुनाई तब उच्छ उच्च न्यायलय में अपील तक नहीं कि .., की इस कार्य के लिए मुझे कोई पछतावा हुआ है ,

सेवानिर्वती के बाद जज खोसला ने कहा था .., मैं क़ानून के बंधन का गुलाम था .., यदि विवेक से , आत्मा की आवाज से नाथोरान गोडसे ने देश के लिए इस कार्य में, मैं आब भी निर्दोष मानता हूँ.

नथूराम ने अदालत में कहा , मैंने गांधी को गोली मारने में इतनी सावधानी से, इतने, पास से गोली मारी ताकि उनके बगल में दो युवतियां, जो हमेशा उनके साथ रहती थी.., उन्हें गोली के छर्रे लगने से, मैं बदनाम न हो जाऊं (याद रहे, गांधी उन युवतियों के साथ नग्न सोकर, ब्रह्मचर्य /सत्य के प्रयोग में इस्तेमाल करते थे)

नथूराम ने कहा, ह्त्या के समय गांधी के मुख से आहकी आवाज निकली, “हे रामशब्द नहीं ...

जिसे कांग्रेस ने हेराल्ड अखबार के प्रचार से हे रामशब्द से देशवासियों को भरमाया..

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