Thursday 26 February 2015




१ पुण्य तिथी पर नमन .., वीर सावरकरजी का जन्म तो भारतमाता को बेड़ियों से मुक्त करने के ध्येय से अग्निपथ पर चलने के लिए ही हुआ था..,

२. उनकी इतनी अग्निपरीक्षा हुई, यदि लोहे की होती तो, पिघल जाता, मृत्यु पर्यंत उनकी चेहरे पर भारतमाता की सेवा करने व उनके नासिक के घर को जब्त करने, व सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद , नेहरू द्वारा घर पर नजरबन्द रखने के बावजूद कोई शिकन नहीं थी 

३. १९५२ में, चीन द्वारा भारत पर आक्रमण करने की , सावरकर की भाविश्यवाणी करने व १९६२ में सार्थक होने से तो ,नेहरू और बौखला गए थे...

४. लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने के पश्चात् , शास्त्री द्वारा वीर सावरकर को पेंशन स्वीकार्य करने के पश्चात , कांग्रेसी, शास्त्रीजी पर बौखला गए थे 


५. १९६५ में पाकिस्तान से जीत के बाद वीर सावरकर ने कहा, शास्त्रीजी.., आप रूस मत जाओ.., हम जीते हुए राष्ट्र है, विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को हमारे देश बुलाओं , आप रूस जाओगे तो वापस नहीं आओगें और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटा आओगे.. उनकी यह भाविश्यवाणी भी सत्य साबित हुई 


६. यही हाल वीर सावरकर के जीवन के साथ भी, लालबहादुर शास्त्री के मौत के सदमे के बाद,वीर सावरकर बिमार होते गये ,
उन्होने कहा “अब देश गर्त मे चला गया, अब मुझे इस देश मे जीना नही है” 


७. वीर सावरकर ने दवा लेने से इंकार कर दिया, एक बार डाक्टर ने उन्हे चाय मे दवा मिला कर दी, तो वीर सावरकर को पता चलने पर उन्होने चाय पीना भी बंद कर दिया , और एक राष्ट्र का महानायक इच्छा मृत्यु (कहे तो आत्महत्या) से चला गया.


८. सावरकर ने जितना लिखा है उतना तो महात्मा ने पढ़ा भी नहीं होगा..इसमे संदेह नहीं कि सावरकर के अपेक्षा गाँधी की स्वीकार्यता बहुत अधिक थी क्योंकि वे अंग्रेजी हुकूमत के जातिवाद,धर्मवाद के समर्थन की आड़ से “महात्मा” बनना चाहते थे ...,, इसी पर वीर सावरकर के गंभीर मतभेद से , गांधी, वीर सावरकर को अपना कट्टर दुश्मन मानते थे...


९. वीर सावरकर ने अपने मौत के पहने कहा कहा मेरी मौत पर कोई हडताल व देश के किसी नगर, शहर मे बंद का आयोजन नही होगा और जो मेरे जिदगी की 5000 रू अमानत है, वह जो हिन्दू , मुस्लिम बने, उनके पुन: हिन्दु धर्म मे आने पर यह धन उनके शुध्हीकरण मे उपयोग मे लाना?


१०. आज भी स्वर साम्राज्ञी कोकिला , भारतरत्न लता मगेशकर भी गला फाडकर चिल्ला रही है, वीर सावरकर को कोइ सम्मान नही मिला है, उनके वीरता की इस देश मे दुर्गति हुई है ……….

.
११. अब इस दुनिया ऐसा वीर सावरकर दुबारा पैदा नही होगा? देश के इतिहास को अन्धेर मे रखकर यो कहे देश के इतिहास को दफन कर दिया है….?????????


देश में, जातिवाद का निर्मूलन के लिए, मृत्यू के बाद मेरा शरीर ब्राह्मण, मराठा, चमार व भंगी द्वारा कंधा देकर गाड़ी में रखकर विद्युत श्मशान में रवाना हो... - “वीर सावरकर” 

No comments:

Post a Comment