Wednesday 25 February 2015



वाह.., ये है वीर सावरकरजी का कमाल.., जेल में ९०% कैदी साक्षर हो गएँ है, जिसमे ६०% मुस्लिम है..., यह उद्गार अंडमान जेल के जेलर बारी ने एक विदेशी पर्यवेक्षक को कहा..., 
जेलर बारी के इस उदगार से वीर सावरकरजी कके गुणों के गूंज की चर्चा इंग्लॅण्ड में, प्रशंसा का विषय रही... लेकिन, देश के इतिहासकारों ने उन्हें आज भी कट्टर हिंदु के श्रेणी में रख, मुसलबानों में खौफ फ़ैलाने का ही काम किया... 
( यह कार्टून, २६ फरवरी को वीर सावरकरजी की ४९ पुण्य तिथी को समर्पित )
१ देश के इतिहासकारों ने देश को कलंकित कर.., पत्रकार, पुकारकर बनने से पहिले धन डकार कर पतनकार से देश के गौरव का पतन कर, हमारे इतिहास को बुझ दिल कौम बताकर, विदेशी हाथ, साथ व बात को आज भी श्रेष्ठ बताकर, हमारे वतन को खोखला बना दिया...
२. इस देश की पुण्य भूमी में वीर सावरकर का अवतरण गुलाम भारत में छत्रपती शिवाजी और सत्ता परिवर्तने के बाद वीर महाराणा प्रताप के रूप में हुआ..,जिन्होंने खंडित भारत के विरोध में अपने “राष्ट्रवादी” विचारों को ज्वलंत रखने के लिए “सत्ता मोह” त्याग कर, “घास की रोटी” खाना पसंद किया जिनका ऋण देश कभी चुका नहीं सकता है...
वीर सावरकर वे प्रकांड विद्वान,कवि,लेखक,सभी धर्मों के ज्ञाता के साथ प्रख्यात इतिहासकार थे उन्हें मराठी साहित्य का कालिदास भी कहा जाता है..

३.. सावरकर जो वीर ही नही परमवीर थे, इस धरती पर चाणक्य के बाद दुरदर्शी क्रातिकारी वीर सावरकर ही थे ,जिनकी दहाड् से अग्रजो का साम्राज्य हिल उठता था, मै तो उन्हे देश के क्रांति का चाणक्य मानता हूँ,? उनकी भूमिका अग्रेजो के समय वीर शिवाजी महाराज व सत्ता परिवर्तने के बाद वीर महाराणा प्रताप की थी? आज तक हमारे देश्वासियो को यह पता नही है, सुभाष चन्द्र बोस, चद्रशेखर आजाद व सरदार भगत सिंग मे क्राति का जन्म वीर सावरकर द्वारा हुआ?
४ सोने की चिडिया कहा जाने वाला देश आज आज भ्रष्टाचारियों के हाथ की कठपुतली बंनकर रह गया है। वैसे यह देश का दुर्भाग्य ही रहा है जिसे राष्ट्रपिता पिता की झूठी उपाधि से नवाजते रहे है, उसने अहिसा के नाम पर देश के साथ छल किया, महात्मा गाधी ने अहिसा शब्द भ्रामक अर्थ कर... देश्वासियोको गुमराह किया। उन्होने शांति को हिंसा का पर्याय मानकर देशभक्त युवावो को कुंठित कर दिया । हत्यारो के समक्ष आत्मसमर्पण को उन्होने अहिसा के रूप मे महिमा-मंडित कर अपने नाम के आगे महात्मा शब्द लिखवा लिया , पर हकीकत यह है कि महात्मा गाधी ने भारत को एक “बुझदिल“ लोगो का देश बनाने का काम किया और यही उसी का नतीजा है
५. आज देश मे भ्रष्टाचार, आतकवाद सिर चढ कर बोल रहा है.. और इसी देश का श्लोग्न बन गया है “मेरा संविधान महान, यहाँ हर माफिया पहलवान “ और सत्यमेव जयते की आड़ में , सत्ताखोर , चुनाव में धर्मवाद, अलगाववाद,जातिवाद, व घुसपैठीयों के आड़ में सट्टा लगाकर चूनाव जीतने पर... भ्रष्टाचार से चूना लगाकर
दूसरा श्लोगन बन गया है ... “सत्ता एक मेवा है , उसकी जय है और सत्य आत्महत्या कर रहा है

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