Wednesday 26 March 2014



ऊतारू प्रदेश का सहारनपुर बना साम्प्रयवाद का सायरनपुर (SIREN – PUR)..., वोट बैंक की राजनीती का सायलेंटपुर (SILENT-PUR) के खेल में एक और महारथ का खेल..., मुफ्त के लैपटॉप,व मुस्लिम छात्रा को ३० हजार का पुरूस्कार व अन्य धर्मों की छात्रा का तिरस्कार के खेल में प्रदेश सरकार लोकसभा चुनाव में हो गई फेल... 
अब नयी सरकार आने के डर से घोटाले प्रदेश के नेताओं को लग रहा है, जेल जाने से डर .. तो क्यों न हो जाए वोट बैंक से सायरन बजाने का खेल ताकि माफियाओं की तुकबंदी से हो एक नया खेल व मेल ...,
मोदी के चुनावी प्रचार के एक हाथ में कुरान व दूसरे हाथ में कंप्यूटर के फरमान से उतारू प्रदेश के शासकों को लग रहा है, डर.. साम्प्रयवाद के खेल में बंद होने का मेढ़की टर्र-टर्र का खेल से.., साम्प्रयवादके बारिश न होने से ...,
तो क्यों न हो जाए और एक कृत्रिम
साम्प्रयवाद की बारिश , और हम बनें रहें सत्ता के वारिस ...., और मीडिया भी इस बरसात को मानसूनी बरसात कहकर, दो गुटों के बीच छिटपुट खेल के नाम से TRP से, इसे अछा अच्छा मानसून मानकर नहाने में है..., मशगूल...,
सीमा पार आतंकवादी व विदेशी ताकतों कों मिला बल..., देश को दुर्बल बनाने का हो रहा खेल...
Posted on 30 September 2013.
यह मुजफ्फरनगर नहीं , मौज का पम्पापुर है , सत्ता का मौजपुर नगर है….????
यह साम्प्रदायिक दंगा नहीं, वोट बैंक की बहती गंगा है , हर पार्टीयाँ ,इस पानी को पीने मे लालायित है

यह मुजफ्फरनगर नहीं , मौज का पम्पापुर है , सत्ता का मौजपुर नगर है….????
यह साम्प्रदायिक दंगा नहीं, वोट बैंक की बहती गंगा है , हर पार्टीयाँ ,इस पानी को पीने मे लालायित है
यह बात और है जनता भूखे प्यासी है इस आस में कि , मेरे धर्म के नाम से…. सत्ताधारी हमें खुशहाली में रखेंगे..???
आओं, देश की सीमा पार से आनेवाले , हम हर मोहल्ले में , घुसपैठीयों पर नजर रखें , जो हमारे देश में सत्ताधारियों के साथ मिलकर इस खेल को तड़का लगा रहें है….??????????????
इस खुशहाली से भरमाकर , इसे शराब की प्याली बनाकर , सत्ताधारी नशे में झूम रहें है.
सीमा पर दुश्मनों ने हमें घेर कर रखा है और सत्ताधारी…. धर्मवाद, जातिवाद, अलगाववाद, से, हमें तोड़कर पस्त कर रहे है , यदि यही खेल इसी तरह चलता रहा…. तो भीतरी व बाहरी दुश्मनों से हमारे देश के टुकड़े होने का दिन भी दूर नहीं है
जागो देशवासियों… राष्ट्रवाद की धारा से मिलकर , कंधे से कंधे, मिलाकर कहें…. हम एक , हमारा खून एक , हमारी धार्मिकता से हम सब एक है….
हमारी एकता से दुशमन भी साहस नहीं करेगें …. आओ एक देश को एकता बल से, इतना उंचा बनाए , ताकि आसमान भी हमारे देश को चूमे ….. वंदेमातरम, राष्ट्रवाद जयते
सितम्बर ११, २०१३ को फेस बुक में पोस्ट किया गया .नीछे का आलेख
अखिलेश की हर योजना से, फैला… पूरे उत्तर प्रदेश (अखिल) मे क्लेश…???? प्रदेश मे पुलिस और सेना के जवान खा रहे है, गोलिंया …. और सत्ताधारी, जनता की हत्याओं के खून से तल रही हैं, वोट बैंक की पुरिया…???
देशवासियों को टॉप का अंग ढकने के लिए कपड़े व गरीबो के शिशु से वयस्को के लिए दवाइया नही है।
राम मनोहर लोहिया की औलादे बनी देश की जल्लादे….?????, “ समाजवाद” शब्द को आज “लूट की खाद” से भरण पोषण कर , देश बर्बाद हो रहा है। लोहिया वह व्यक्ति थे… जिनसे समाजवाद शब्द भी गर्वित था। मरते दम तक, कोई घर नहीं था, और लोहिया की दहाड़ से प्रधानमंत्री नेहरू का पैजामा गीला हो जाता था।
यदि, आज देश के हर धर्म का नागरिक राष्ट्रवादी होता, तो, देशवासियों के साथ देश का सीना भी बुलेटप्रूफ होता। अखिलेश की हर योजना से फैला उत्तर प्रदेश मे क्लेश। दसवी पास मुस्लिम लड़कियो को 30000 रु का अनुदान व अन्य धर्मो की लड़कियो का नहीं है, कोई नामों निशान।
याद रहे मुलायम सिंह ने 12 साल पहले पश्चिम उत्तरप्रदेश मे चुनावों के समय, “वोट बैंक” की राजनीति करते हुए कहा था, “मुस्लिम लोगो आप मुझे वोट दोगे…, तो मैं इस प्रदेश को, मुस्लिम प्रदेश घोषित करूंगा। ” शायद इसी झाँसे मे मुस्लिम लोगो ने, पश्चिम उत्तरप्रदेश को मुस्लिम प्रदेश बनाने के लिए बंगलादेशी मुस्लिम लोगो के घुसपैठीयो के गढ के साथ –साथ, इसे आईएसआई का अड्डा भी बना दिया… अब यह देश के लिए चिंताजनक गड्ढा बन गया है।
10 साल पहिले, पश्चिम उत्तरप्रदेश मे, एक मदरसे का अनुदान के मामले मे, इलाहाबाद के एक सदस्यीय हाइकोर्ट के जज ने अपना फैसला सुनते हुए कहा “आपके शहर मे 60% मुस्लिम आबादी है, तो अल्पसंख्यक… शब्द, लागू ही नहीं होता है, और इस अनुदान के आदेश को निरस्त कर दिया जा रहा है।“ इस आदेश के बाद मुस्लिमो की बौखलाहट से, राजनेताओ के शह से, उस जज को बर्खास्त कर दिया गया और एक नये 2 सदस्यीय, हाईकोर्ट के बेंच का गठन कर , इस अनुदान को सही ठहराया।
देश के विभिन्न धमाको के संदर्भ, पश्चिम उत्तरप्रदेश मे, जो बंगलादेशी आतंकवादियो का गढ है, हमारे खुफिया विभाग द्वारा आतंकवादियो को पकड़ने पर राजनेताओ के शह पर उन्हे छोड़ दिया गया। आज खूफिया विभाग भी अपने रोजी रोटी के डर से आँखें बंद कर बैठी है।इसका परिणाम आज दिख रहा है। मस्जिदों मे एके 47 का जखीरा, एक सुनयोजित ढंग का दंगा सामने आया है। मीडिया भी एक उद्योग के रू[प मे राडिया (RADIA=RA+N+DIA) बनकर…. इसे 2 सम्प्रदायो का झगड़ा कह कर, लीपा पोती में लगी हुई है। यह गुजरात के हिन्दू-मुस्लिम के दंगो से भी भयंकरता का प्रतीक है। इस घटना मे हिन्दुओ के बड़ी संख्या के मारे जाने से सत्ता और विपक्ष भी मुंह पर पट्टी बांध कर चुप है।
देशवासियों याद रहे मुंबई के आजाद मैदान मे घुसपैठीयो के दलों ने शहीद स्मारक तोड़ कर , महिला पुलिसों तक को पीटकर व मीडिया की गाड़ी जलाकर , एक खुले चुनौती देते हुए कहा … रोक सके… तो रोको …??????, और सत्ता के व विपक्षी दलाल भी, इसे अपनी सत्ता हलाल होने के डर से चुप बैठें है…सेना,पुलिस के जवान खा रहे है गोलिया…. और सत्ताधारी तल रही हैं, वोट बैंक की पुरिया… जागो देशवासियों राष्ट्रवाद की धारा मे आओ और डूबते देश को बचाओं॥ सीमा पार दुश्मन भी चाह रहे है हम आपसी लड़ाई से कमजोर हो जाये ताकि हमे सफलता आसानी से प्राप्त हो

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