Thursday 1 July 2021

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को आज हुए 100 साल पूरे , वैश्विक राजनीति व बल से विश्व के देशों में बढ़ी चुनौतियां और अब मंथन हो रहा है कि चीन की शक्ति को कैसे रोके ...!!! याद रहे सत्ता परिवर्तन (1947) के पहिले गांधी को चार बार नोबल पुरुस्कार के लिए 1937, 1938, 1939, 1947 और अंत में जनवरी 1948 में हत्या किए जाने के ठीक पहले नामांकन के बावजूद नोबेल नहीं मिला.क्योकि नोबेल कमिटी को पता था कि बापू शांति के मसीहा नही बल्कि ब्रिटीशरों के सुरक्षा छिद्र (safety valve) हैं 1948 में नाथुराम ने गांधीं की हत्या के बाद , नेहरू को जैकपोट लग गया गांधी की सारी सहानुभूति को नेहरू ने हड़पकर उनके अहिंसा व बिस्तरवाद के आदर्शों पर चलने का स्वांग से नोबल बनने का प्रयास किया

 


चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को  आज  हुए 100 साल पूरे , वैश्विक राजनीति व बल से विश्व के देशों  में बढ़ी चुनौतियां और अब मंथन हो रहा है कि  चीन की शक्ति को कैसे रोके ...!!!

 

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 1921 में हुई थी और इस दिन  पार्टी के शीर्ष नेता अभियानों के जरिए अपनी उपलब्धियों को गिनाकर. दुनिया को दिखा दिया है की हम इतने मजबूत हो गयेँ कि पूरा विश्व एकत्र होकर भी हमसे लड़े तो भी आर्थिक तौर पर भी हमें खरोच नही आएगी और इस भविष्य की लड़ाई की भरपाई हमने कोरोना वाइरस के उत्पत्ति से कर ली है ?

 

भाग -1

 

हमारे से  दो साल बाद आजाद होकर चीन में माओत्से तुंग के नेतृत्व मे शुरू मे भले कमजोर नेतृत्व रहा लेकिन एक स्लोगन को चीन की जनता के मन में आज भी अटल छाप छोड़ी है सत्ता / विस्तारवाद  सिर्फ बंदूक की गोली से मिलती है

जबकि अखंड भारत को खंडित कर नेहरू व जिन्ना को एडविना के हमसफर से  सत्ता बिस्तरवाद से ही मिली, इस बिस्तरवाद में double-bed बनाकर गांधी मे अपने  इस रंग में व्यवधान न पड़े इसलिए सरदार पटेल को गांधी ने शपथ दिलाई की वह प्रधानमंत्री पद की रेस में नही दौड़ेगा

(मनु बेन व आभा लिंक जरूर  देखेँ...!!  महात्मा गांघी का मनुबेन(पौत्री) के साथ निर्वस्त्र सोने व गांधी के ब्रह्मचर्य पर आज तक कि रिपोर्ट https://www.youtube.com/watch?v=vblWI_kJ4YI )

 

याद रहे सत्ता परिवर्तन (1947) के पहिले गांधी को चार  बार नोबल पुरुस्कार के लिए 1937, 1938, 1939, 1947 और अंत में जनवरी 1948 में हत्या किए जाने के ठीक पहले नामांकन के बावजूद नोबेल नहीं मिला.क्योकि  नोबेल कमिटी को पता था कि बापू शांति के मसीहा नही बल्कि ब्रिटीशरों के सुरक्षा छिद्र (safety valve) हैं

1948 में नाथुराम ने गांधीं की हत्या के बाद , नेहरू को जैकपोट लग गया गांधी की सारी सहानुभूति को नेहरू ने हड़पकर उनके अहिंसा व बिस्तरवाद के आदर्शों पर चलने  का स्वांग से नोबल बनने का प्रयास किया

चीन को 1 October 1949 में आजादी मिलने के बाद नेहरू ने नोबेल पुरुस्कार  को जीतने के लिए देश से खिलवाड़ कर, चीन से सहयोग कर एशिया में छद्म बादशाहत से दुनिया मे अपना नाम गांधी से भी अव्वल बनाने की फिराक  में समाजवाद के झांसे से माओत्से तुंग के चरणों मे गिरकर तलुवे चाटकर अपना भरोसा जताने के लिए संयुक्त सुरक्षा परिषद (UNO) में हिंदुस्तान के लिए नामांकित सीट चीन को दिलाकर अपने को गांधी की तरह परस्त्रीगमन से एक शांती का मसीहा दिखलाने व देश में साइकल व जीप घोटालों से समाजवाद के आड़ में घोटालो को भ्रष्टाचारवाद को बिना वाद विवाद के जनता को धोखे में रख मसीहा बनने के स्वप्न देखने लगा

चीन द्वारा पूरे तिब्बत को हड़पने के बावजूद नेहरू का शांतिवाद का नशा नही उतरा व चीन को उसका अभिन्न अंग कहकर स्वागत किया  तब माओत्से तुंग ने मैकमोहन की सीमा को अपना बताकर हिंदुस्तान का 50 हजार वर्ग किलोमीटर भाग आसानी से जीत कर नेहरू का नशा ही नही शांती का भूत उतारने के बावजूद, नेहरू के प्रधानमंत्री का वजूद / ताकत का ह्रास होने से भी  कुर्सी छोड़ने  को तैयार नही थे...!!!,  फिर कोई गुप्त रहस्य की बीमारी से देश को इस धोखेबाज़ नेहरू से निजात मिला



नेहरू की मौत के बाद यह देश का सौभाग्य था कि हमें एक कर्मठ मजदूर व मजबूत प्रधानमंत्री, जय जवान जय किसान को प्रणेता  के रूप में लालबहादुर शास्त्री जैसा नेता मिला लेकिन देशी व विदेशी ताकतों द्वारा उनकी हत्या कर देश के राष्ट्रवाद की हरियाली छीन ली नही तो देश आज चीन से 10 गुना आगे होता  व देश विश्वगुरु से सिरमौर होता


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