श्रेष्ठ कौन..!!!, कलम या तलवार..., स्कूलों में भाषण प्रतियोगितायें होती है .., और
मैकाले की शिक्षा प्रणाली में कलम की जीत पर वाक् युद्ध करने वाले को पुरूस्कार
दिया जाता है.
२ . वीर –वीर ही नहीं.., परमवीर सावकर, दुनिया के एक मात्र क्रांतीकारी थे,
जिन्होनें समयानुसार, कलम व तलवार..., कलम व पिस्तौल को अपने जीवन में श्रेष्ठ बनाया. इसकी ही छाप से, शत्रु की राजधानी इंग्लैंड में अपना कौशल दिखाया..
३ . वीर सावरकर ने, कलम से, भारतीय “१८५७ एक पवित्र स्वातंत्र्य समर इतिहास
लिखकर” , अंग्रेजों के पसीने छुड़ा दिए..,, वे इतने भयभीत हो गए कि इस इतिहास को बिना पढ़े, बिना
प्रकाशन के ही इसे प्रतिबंधित कर दिया, जबकि इसके प्रकाशन की
लाखों प्रतिया विश्व में छा गई.., और हिन्दुस्तान की गुलामी
व लूट के इतिहास से विश्व परिचित हुआ.
४ . याद रहे, इस पुस्तक को पढ़कर, शहीद भगत सिंग में कांती का स्वर बुलंद हो गया.., उन्होंने
इस पुस्तक का चोरी छिपे प्रकाशन कर क्रांतीकारियों में बांटी ..., और या पुस्तक “क्रांतीकारियों की गीता” बन गई.
५ . उनका कहना था, अंग्रेजों की बन्दूक से
दमनकारी नीती का जवाब काठी नहीं..., राष्ट्रवाद की गोली से
देना चाहिए, और जवाब भी दिया..,
६ . इतनी यातनाए सहने के बाद,कई बार काल
के गाल के निकट पहुँचाने के बावजूद , वीर सावरकर के गाल,
यूं कहें चेहरे पर शिकन तक नहीं थी.
७ . इस महान क्रांतीकारी को देश के इतिहास कारों , पत्रकारों
आज के मीडिया ने गांधी /कांग्रेस के पिछलग्गू बनकर, पेट भरू ,
बनकर देश के गरीबों के पेट में लात मारकर, आज
के देश की मार्मिक तस्वीर दिखाने के बजाय, अय्याशी का मीडिया
(साधन) बनाकर, अपनी कलम से अपने पत्रिकाओं के कॉलम (COLUMN)
में देश के गौरवशाली इतिहास को भी कभी सामने आने नहीं दिया ..

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