अतिथी
वोट भव..,
दुश्मनों
को अपने ही घर में बुलानेवाले
अपने शहीदों को हम हैं भूलानेवाले
भाई से भाई को लड़ाने वाले
हम हैं बरबादियों का जश्न मनाने वाले...
G.D.P.
= घुसपैठिया डेवलपमेंट प्रोग्राम जो १००% से ज्यादा है
(घुसपैठिया विकास योजना)
देश की जीडीपी (GDP) जो ५% से कम है.
यह ममता द्वारा घुसपैठियों के वोट बैंक
द्वारा इस्लामिक राष्ट्र का खेला से व्हील चेयर से रोहिग्या व बंगलादेशी नागरिकों के ballet पेपर को सीमा पर बुलेट जमा
करके चीयर कर देश को एक बलशाली बांगलादेश के निर्माण की नीव डालने के खेला की जीत की
पहली सीढ़ी व देश का नक्शा बदलने का स्वरूप का अब एक नया कदम है
देश का मूल नागरिक अब अपने को इस देश में बेगाना
का एहसास से भयभीत है।,सोनार बांगला में अब उसका चैन से सोना भी दुर्भर
हो गया है
और तो और देश में घुसपैठीयों की संख्या 10 करोड़
के पार कर गई है
याद
रहे छःलाख से ज्यादा कश्मीरी पंडित घाटी से बाहर कर ३० सालों के बाद उनकी नई पीढी
अपने बाप दादाओं की संस्कृति व जगहों से वंचित हो कर मूल स्थान को लगभग भूलते जा
रही है
जबकि
बर्मा के एक लाख से ज्यादा रोहिग्या मुसल्बान हजारों किलोमीटर दूर से कश्मीर में
धारा ३७० व ३५ (A) होने के बावजूद उन्हें स्थान देकर विस्थापित हो गए है सभी सरकारों को
संज्ञान होने के बावजूद आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है
EditTag ५ साल पुरानी सार्थक पोस्ट – Repost
1 photos • Updated 5 years ago
अतिथी
वोट भव.., आज भी देश के सत्ताधारी घुसपैठीयों को हमारे देश मे, 600 रूपये मे घुसाकर...? देश में आज दस करोड़ से
ज्यादा घुसपैठीयें हैं.. जो १००% मतदान कर अपनी पहचान को भारत की नागरिकता से
पुख्ता करते हैं, घुसपैठीयों को वोट बैंक का सम्मान
देकर ,विशेष सुविधा से लैस कर रहें है ..दुनिया में सिर्फ
भारत ही एक एकलौता देश है...जो उनके लिए आधार कार्डे से सत्ता में भागीदारी देकर
देश की संस्कृति व अखंडता से खिलवाड़ हो रहा है.
आज
ये घुसपैठीये देश की धारा बिगाड़ने की सामर्थ्य रखते है ... इस वेबसाईट की यह, ३ नवम्बर २०१३ की पोस्ट है ... हमारे देश मे तीन प्रकार की घुसपैठ है
1. सीमा पार से घुसपैठ – 10 करोड से ज्यादा – देश मे 30% से ज्यादा की विकास दर है (G.D.P.-घुसपैठीया डेवलपमेट प्रोग्राम – 30% से
ज्यादा)
2.देश मे घूस पैठ – रिश्वत की पैठ – देश मे 300% से ज्यादा की विकास दर है और
सरकार, घरेलू विकास दर 5% भी नही पहुँचने पर चितित है.
3. इस घरेलू विकास दर को बढाने के लिये सरकार विदेशी धन
माफियाओ की घुसपैठ करा रही है , वे सरकार के
मिलीभगत से, झूठा विकास दिखाकर, जनता को भरमाकर, लूटेरो के साथ अपनी भगीदारी कर, सत्ता धारी अपने खजाने भर रहे है. इनकी पूजी 300-3000 गुना से ज्यादा बढ रही है और जनता अपने आपको लूटते हुए देख रही है.
क्या
आप कल्पना कर सकते है ?, कि चीन कोइ
घुसपैठ सहन कर सकता है., वहां तो सीमा पर अनजान व्यक्ति
को देखते ही गोलियों से भून दिया जाता है.. इसका उदाहरण चीन है, जहाँ एक दम्पति सिर्फ एक संतान पैदा कर सकता है, 6-7 महिने पहले मैने एक खबर पढी थी , सुदूर
गाव मे एक महिला को 8 महिने का दूसरा गर्भ था, जब सरकार को पता चला तो उसने, उसका पेट फाड कर
संतान को मार डाला और महिला को जेल मे डाल दिया.
हमारे
देश का सच: I.S.I. और आतंकवादियों की फसल हमारी सरकारों द्वारा ही लहलहारी है बिहार, बंगाल, असम और झारखण्ड के कुछ हिस्सों को
मिलाकर एक ‘ग्रेटर बंगलादेश ‘ बनाने की साजिस रची जा रही है सीमा के बिभिन्न रास्तो से घुसपैठ बेधडक
जारी है कोई पूछने वाला नहीं, दूसरी तरफ बिहार सरकार
जिस अलीगढ मु.वि.बि. ने देश बिभाजन की नीव रखी थी, उसकी
ब्रांच मुस्लिम बहुल जहां घुसपैठियों का बोल-बाला है वही पर जमीन का एलाटमेंट किया
गया है.
पूर्व
में राष्ट्रवादियो ने इसके विरोध में जब आन्दोलन चलाया तो उन्हें सांप्रदायिक करार
दे दिया गया,—– झारखण्ड के पाकुड़ जिले के छः (छह) रास्ते से बंगलादेशी मुस्लिमो का
घुसपैठ बदस्तूर जारी है, साहिबगंज और गोड्डा के भी कुछ
हिस्से इनके प्रभाव में है, इस रास्ते पशु, कोयला, पत्थर, मादक
पदार्थ लकड़ी, हथियार इत्यादि की तस्करी बड़े पैमाने पर
हो रही है, देह ब्यापार भी इसका एक हिस्सा है .
घुसपैठ
की वजह से सीमावर्ती क्षेत्रो में जनसँख्या असंतुलन की स्थित उत्पन्न हो गयी है, घुसपैठिये राज्य की अर्थ ब्यवस्था भी प्रभावित कर रहे है, भारत के दम पर जिस बंगलादेश का निर्माण हुआ दुर्भाग्य से वही हमारे देश की
आन्तरिक सुरक्षा में सेध लगा रहा है, सीमावर्ती
क्षेत्रो के जरिये लाखो की संख्या में घुसपैठ जारी है सूत्रों के अनुसार बिहार, बंगाल, असम और झारखण्ड के कुछ क्षेत्रो को
मिलाकर ‘ग्रेटर बंगलादेश बनाने की नियत से इन घुस-
पैठियों ने रिक्सा ठेला, मजदूरी के विविध क्षेत्रो, कृषि, गृह निर्माण, ईट
भट्ठा, लघु- उद्द्योग, पर
बहुत हद तक कब्ज़ा जमा लिया है.
चोरी, अपहरण, महिलाओ पर अत्याचार, लव जेहाद तस्करी व अन्य घटनाओ के साथ-साथ आतंकी संगठनों को हथियार की
आपूर्ति के अलावा भारतीय अर्थ ब्यवस्था को कमजोर करने के लिए जाली नोटों के
कारोबार तक में इनकी संलग्नता उजागर हो रही है.
एक आकलन के मुताबिक सीमावर्ती क्षेत्रो झारखण्ड, बिहार, बंगाल मिलाकर प्रति वर्ष लगभग ६-७ लाख
घुसपैठिये देश की सीमा में प्रवेश कर रहे है, भाषाई
समानता के कारण ये आसानी से अपने ठिकाने बनाने में सफल हो जाते है. चुनाव तक को
प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले इन घुसपैठियों को परोक्ष रूप से राजनैतिक दलों
का समर्थन हासिल हो जाता है,
मतदाता
पहचान पत्र, राशन कार्ड और अब यूआईडी कार्ड से लैस ये घुसपैठिये राज्य के कई हिस्सों
में अब बहुसंख्यक हो चुके है, झारखण्ड के पकुदिया, महेशपुर, और सीमावर्ती इलाको में साहबगंज, राजमहल, बारहख , कोडाल पोखर, लाल्बथानी, गुमानी नदी उस पर कई गाव और निकटवर्ती इलाके गाव के दियारा क्षेत्रो में
घुसपैठियो की मौजूदगी हो चुकी है. साहिबगंज के तत्कालीन उपायुक्त सुभाष शर्मा ने
२००५-०६ में १२ से १४ हज़ार लोगो को चिन्हित किया था कई अधिकारी इस जुल्म में जेल
की हवा भी खा चुके है. भारत सरकार भी कुछ इसी दिशा में बढ़ रही है अभी-अभी सितम्बर
२०११ में एक समझौते के तहत बिना किसी संसद के निर्णय के ही हजारो एकड़ जमीन
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बंगलादेश को दे दिया, समझ
में नहीं आता की पुरे देश में सन्नाटा क्यों छाया हुआ है जैसे कुछ हुआ ही नहीं, तथा कथित अपने को राष्ट्रबादी दल कहने वाली बीजेपी भी चुप है.
अभी
तक किसी भी बड़े नेता या आडवानी की रथयात्रा में भी इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हो
रही, क्या हम सोनिया (सरकार) व विपक्ष के चंगुल में बिलकुल फंस चुके है ? कि हमारे ही ब्यक्ति को कुर्सी पर बैठा कर हमारे देश को नष्ट करने का
प्रयत्न किया जा रह है.
भारत
में नया बांग्ला देश गढ़ रहे हैं घुसपैठिए बंगाल में एक फीलगुड कहावत है, ए पार बांग्ला, ओ पार बांग्ला. आम जनता की बात
छोड़िए, मुख्यमंत्री एवं राज्य के दूसरे बड़े नेताओं को
यह कहावत उचरते सुना जाता रहा है. संकेत सा़फ है, ओ पार
बांग्ला के निवासी भी अपने बंधु हैं. भाषा एक है, संस्कृति
एक है, फिर घुसपैठ को लेकर चिल्ल-पों काहे की. राज्य
में भाजपा के अलावा कोई भी दूसरी पार्टी इस मुद्दे को नहीं उठाती.
असम में असम गण परिषद जो आरोप कांग्रेस की सरकार पर लगाती है, वही आरोप बंगाल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पर लगता रहा
है कि वोट बैंक मज़बूत करने के लिए इन्हें बड़े पैमाने पर बसाया गया है. आंकड़े
सा़फ-सा़फ सच बयां करते हैं. राज्य के सीमावर्ती ज़िलों में तो बांग्लादेशियों का
बहुमत है और भारतीय नागरिक अल्पमत में आ गए हैं.
राज्य में सांस्कृतिक एकता सिर चढ़कर बोलती है अभी हाल मे 2012 के विधानसभा चुनाव मे जीत के बाद, ममता बनर्जी
ने बंगला देशी मूल के मुस्लिमो को मंत्री बनाते हुए कहा , क्या हुआ ? उंनकी हमारी भाषा एक है, इस वोट बैक के व सत्ता के चक्कर मे, अब
राष्ट्रवाद द्सरी ओर पीछे छूट जाता है. और ममता बनर्जी ने यहा तक कह दिया के पश्चिम बंगाल का नाम बंग प्रदेश रखा जाये,
याद
रहे शेख मुजीबर रहमान को बंग बन्धु के नाम से उपाधित किया गया था, युपीए -2 के चुनाव प्रचार के समय पी चिदंबरम ने
खुले आम कह् दिया था, अब मै समझता हू, कि देश मे रह रहे , बंगला देशीओ को भारतीय
नागरीकता दे देनी चाहिए दक्षिण दिनाजपुर के हिली गांव में भारत-बांग्लादेश सीमा पर
कुछ दीवारें बनाई गई हैं, कोई नहीं जानता कि इन्हें
किसने बनाया है, पर यह समझने में मुश्किल नहीं है कि यह
तस्करों के गिरोह की करतूत है. वहां सुबह से शाम तक तस्करी और घुसपैठ जारी रहती
है. घुसपैठिए ज़्यादा से ज़्यादा गर्भवती महिलाओं को सीमा पार कराते हैं और उन्हें
किसी भारतीय अस्पताल में प्रसव कराकर उसे जन्मजात भारतीय नागरिकता दिलवा देते हैं.
इस काम में दलाल और उनके भारतीय रिश्तेदार भी मदद करते हैं.
2006 में चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में ऑपरेशन क्लीन चलाया था. 23 फरवरी 2006 तक अभियान चला और 13 लाख नाम काटे गए. हालांकि चुनाव आयोग पूरी तरह संतुष्ट नहीं था और उसने
केजे राव की अगुवाई में मतदाता सूची की समीक्षा के लिए अपनी टीम भेजी. मार्क्सवादी
कम्युनिस्ट पार्टी के तत्कालीन राज्य सचिव अनिल विश्वास ने कहा था, उन्हें सैकड़ों पर्यवेक्षक भेजने दीजिए, अब कोई
भी क़दम हमें जीतने से नहीं रोक सकता. इस बयान से अंदाज़ा लगाया गया कि माकपा को
अपने समर्पित वोट बैंक पर कितना भरोसा रहा है. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि
वाममोर्चा के सत्ता में आने के समय से ही मुस्लिम घुसपैठियों को वोटर बनाने की
प्रक्रिया शुरू हो गई. उस समय ममता बनर्जी ने कहा था कि राज्य में दो करोड़ बोगस
वोटर हैं. विभिन्न संस्थाओं एवं मीडिया के मोटे अनुमान के मुताबिक़, भारत में तीन से चार करोड़ घुसपैठिए बस गए हैं और बंगाल के एक बड़े
हिस्से पर इनका क़ब्ज़ा है. अब ममता भी चुप हैं, क्योंकि
उन्हें भी २०१४ के बाद की भी बंगाल की
कुर्सी दिख रही है.
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