Thursday 23 June 2016

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथी पर स्नेह व अश्रूपूर्वक श्रद्धांजली.., अब सवाल है कि लालबहादुर शास्त्री की ह्त्या का खुलासा करेगें तो हमारे संबध दूसरे देशों से खराब हो जायेगें ? लेकिन डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ह्त्या की जांच से.., क्या देश के नेताओं के आपसी आंच में सम्बन्ध खराब होने से, जाँच को, चूल्हे की आंच में डाल दिया


डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथी पर स्नेह व अश्रूपूर्वक श्रद्धांजली..,  अब सवाल है कि लालबहादुर शास्त्री की ह्त्या का खुलासा करेगें तो हमारे संबध दूसरे देशों से खराब हो जायेगें ? लेकिन डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ह्त्या की जांच से.., क्या देश के नेताओं के आपसी आंच में सम्बन्ध खराब होने से, जाँच को, चूल्हे की आंच में डाल दिया

वीर सावरकर की दो अचूक.., सार्थक भविश्यवाणीयाँ ...
१.  श्यामा प्रसादजी आपकी देश को बहुत जरूरत है. आप कश्मीर मत जाओं .., आप जिन्दा नहीं लौटेंगें.
२.  ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटाआओगे..
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१.    सन १९५३ में, हिन्दु महासभा, राम राज्य परिषद् व जनसंघ ने  कश्मीर का  हिन्दुस्थान में सम्पूर्ण विलय के लिए के लिये संयुक्त सत्याग्रह किया. कश्मीर के मुख्यमंती शेख अब्दुल्ला  ने सरकारी अनुमति के बिना ,बाहर के लोगों को प्रदेश  में प्रवेश बंदीलगी  थी..,  तब डॉ श्यामा प्रसाद मुखजी मुख़र्जी ने  घोषणा कर की मैं इस प्रवेश  बंदी के विरोध के बावजूद कशमीर जाऊंगा तब  वीर सावरकर ने उनसे  कहा ...,  “श्यामा प्रसादजी आपकी देश को बहुत जरूरत है. आप कश्मीर मत जाओं .., आप जिन्दा नहीं लौटेंगें..
२.    कश्मीर में प्रवेश करते ही उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल, ह्त्या  कर आकस्मिक मौत कह दिया

३.    डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की माता ने , प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखकर इसकी जांच की मांग व मिलाने का अनुरोध  को ठुकरा दिया, और कहा  वे बीमारी से मरे थे.., आज तक पूर्व से वर्तमान  सत्ताधारियों ने इस पर जांच करने की भी सोच नहीं की

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१.    ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ,यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटा आओगे..,.
२.    ९ जनवरी १९६६ की रात लालबहादुर शास्त्री ने ताशकंद से अपनी पत्नी ललिता शास्त्री को फोन कर कहा मैं हिन्दुस्तान आना चाहता हूँ, यहां, मुझ पर हस्ताक्षर करने के लिए दवाब डाल रहें है..., मुझे यहां घुटन हो रही है...
देश के सत्ता की राजनयिक फौजे बार-बार,
 शास्त्रीजी से कह रही थी..., भले हम युद्ध जीत गये हैं, यदि आप हस्ताक्षर नहीं करोगे तो आगे अन्तराष्ट्रीय बिरादरी एकजुट होकर देश की आर्थिक स्तिथी बिगाड़ देगी...

३.  इसके बाद उनके कड़े मंसूबे,
 हमारे देश के सत्ता की राजनयिक फौजे तोड़ने में कामयाब हो गयी.., १० जनवरी १९६६ के शाम ४.३० बजे , शास्त्रीजी ने जीती हुई जमीन वापस लौटाने व शांती समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, उनके पुत्र अनिल शास्त्री को कहा गया ..., वे देश के प्रधानमंत्री हैं, उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें विशेष आवास में अकेले में सुरक्षित रखना होगा.
३.    प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद समझौते के बाद ८ घंटे के बाद , ११ जनवरी तड़के १ बजे,पाकिस्तानी रसोईये द्वारा रात को दूध पीने के बाद उनकी मौत हो गई, मौत के समय उनके कमरे मे टेलिफोन नही था, जबकि, उनके बगल के कमरे के राजनयिकों के कमरों मे टेलिफोन था, उनकी मौत की पुष्टी होने पर राजनयिकों की फौज दिल्ली मे फोन लगा कर चर्चा कर रहे थे कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा ?

४. अंत तक ललिता शास्त्री गुहार लगाती रही,
 मेरे पति की मौत की जाँच हो, आज तक सभी सरकारों द्वारा,कोइ कारवाई नही हुई?, 

५. इस रहस्य को जानने के लिये,
 आर.टी.आई. कार्यकर्ता अनुज धर ने एडी चोटी का जोर लगाने के बाद, सरकार की तरफ से जवाब मिला कि यदि हम इस बात का खुलासा करेगें तो हमारे संबध दूसरे देशों से खराब हो जायेगें ?
४.  दोस्तों अब सवाल है कि लालबहादुर शास्त्री की ह्त्या का  खुलासा करेगें तो हमारे संबध दूसरे देशों से खराब हो जायेगें ?लेकिन  डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के  ह्त्या की जांच से  क्या देश के नेताओं के आपसी  आंच  में सम्बन्ध खराब होने से, जाँच को चूल्हे की आंच में डाल दिया  


५.  मानवता के उपासक प्रखर राष्ट्रवादी 
महान शिक्षाविद व भारतीय जनसंघ के संस्थापक
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हे व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को
  
भावभीनी श्रद्धांजलि

वीर सावरकर को जिसने नही पहचाना ? उसने हिन्दुस्थान को नही जाना?


मेरी गुहार...., क्या इस कोहीनूर हीरे के चमक से कही गुना ज्यादा..., ५६ गुणों से ज्यादा.., परमवीर सावरकर, जिन्होंने राष्ट्रवाद की बलि देंने से इनकार कर, अंग्रेजों के तलवे चाटने के खेल को ठुकराकर सत्ता के ५६ भोग को नकार दिया...

अब तो, मोदी सरकार तो उन्हें भारतरत्न के सम्मान को भूल चुकी है..., क्या...!!!, २६ फरवरी की ५०वी पुण्य तिथी  , २८ मई  २०१५ को, उनकी १३३ वी जन्म  तिथी को राष्ट्रीय प्रेरणा दिवस के रूप में मनाने की बजाय बनी एक  छोटे से समारोह से बनी खाना पूर्ती...

सावरकर जो वीर ही नही परमवीर थे, इस धरती पर चाणक्य के बाद दुरदर्शी क्रातिकारी वीर सावरकर ही थे , जिनकी दहाड् से अग्रजो का साम्राज्य हिल उठता था, मै तो उन्हे देश के क्रांति का चाणक्य मानता हूँ,? उनकी भूमिका अग्रेजो के समय वीर शिवाजी महाराज व सत्ता परिवर्तने के बाद वीर महाराणा प्रताप की थी? आज तक हमारे देश्वासियो को यह पता नही है, सुभाष चन्द्र बोस, चद्रशेखर आजाद व सरदार भगत सिंग मे क्राति का जन्म वीर सावरकर द्वारा हुआ?

यह वीर सावरकर की ही देंन है कि अमृतसर व कलकत्ता पकिस्तान में जाने से बच गया जो सिद्धपुरूष हुए, भविष्य दर्शन सिद्दी उनमे थी , जो सावरकर द्वारा कही है 40 से अधिक भविष्यवाणी आज सार्थक हुई है देश में राष्ट्रवाद की बर्बादी को देखकर उन्होंने नेहरू को चुनौती देते हुए कहा ... मैं सत्तालोलुप नहीं हूं, मुझे दो साल का शासन दो, मैं हिन्दुस्थान को गौरवशाली बनाऊंगा ..

आजाद हिद फौज का जन्म वीर सावरकर की प्रेरणा द्वारा ही हुआ, सुभाष चन्द्र बोस उनसे आशीर्वाद लेने गये थे कि मेरी मजिल को सफलता मिले? याद रहे 1947 मे आजाद हिद फौज की अहम भूमिका थी ?

महान राष्ट्रवादी वैज्ञानिक, चन्द्रशेखर वेकट रमण को वर्ष 1930 मे जब नोबल पुरस्कार मिला. जब, वे मंच पर पुरस्कार ग्रहण करने पर गये तो, तो उन्होने कहा मुझे बढा दु:ख है कि यह पुरस्कार एक गुलाम देश के नागरिक को मिल रहा है, मुझे गर्व होता यदि मै आजाद देश का नागरिक होता. उनके विचार सुनकर चन्द्रशेखर वेकट रमण जब वीर सावरकर को बैगलोर में मिले , तब चन्द्रशेखर वेकट रमण से 3-4 घटे राष्ट्रवाद के बारे मे विस्तार से चर्चा कि तो उन्होने वीर सावरकर के बारे मे कहा यह देश के राष्ट्रवाद का अनमोल हिरा जिसके चमक के सामने कोहिनूर हीरा भी फीका है?”. 

याद रहें, महान भौतिकशास्त्री वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेकट रमण को 1954 मे भारत रत्न मिला था.

जब वीर सावरकर के अंडमान जेल मे अमानवीय अत्याचार के वजह से जेलर बारी को काला पानी से ब्रिटिश के राजधानी मे तबादला कर दिया था.. . (याद रहे, जेलर बारी ने अंग्रेज प्रशासकों को बताया था कि वीर सावरकर को प्रताडना व कड़ी सजा के बावजूद वे टस से मस होने वालो मे से नही है, वह फौलादी दिल वाला इंसान है और उनके {वीर सावरकर} जेल के कार्यकालमे 90% से ज्यादा कैदी साक्षर हो गये हैं, – इनमे से 60% से ज्यादा मुसलिम कैदी थे

अंडमान जेल में कडी ठंड मे , वीर सावरकर को कंबल नही दिया जाता था ताकि ठंड से वे ठिठुर ठिठुर कर मर जाये, इस दंड का भी तोड, वीर सावरकर ने निकाल लिया, वे रात भर शरीर गर्म रखने के लिये दंड-बैठक करते थे, और इसके बाद, उन्हें और उनके जेल के साथियों को,सवेरे से शाम तक कोल्हू के बैल की तरह से तेल निकालना पडता था. जबकि आज तिहाड जेल के सफेद पोश नकाब वाले राजनैतिकों व माफियाओं को, हीटर व वेटर, स्वेटर, पख़े अखबार इत्यादि की एशों-आराम की सुविधा है

वीर सावरकर को अडमान जेल की यातना देने/सहन करने के बाद उनके चेले सुभाष चन्द्र बोस ने कहा , वीर सावरकरजी आप गाँधी जी के कांग्रेस मे शामिल हो जाओ, मै देश की क्राति की बागडोर सभाँलूगा, वीर सावरकर ने उन्हे लताडते हुए कहा मेरे सिद्दांत को त्यागकर मै अग्रेजो की पीछे की चाटता तो मै गाँधी से बहुत आगे होता था,
यदि गाँधी, मेरे सिद्दांओ को मानेगे, तो मै गाधी के पीछे चलकर उनको राष्ट्रवाद की रूकावट मे मार्ग दर्शन कराऊँगा?  तु मेरी फिक्र नही करना मै तो देश के लिये, अपनी मौत की कफन साथ मे लेकर फिरता हूँ....

वीर सावरकर व उनके परिवार का जन्म ही मातृभूमि की स्वाधीनता हेतु ही हुआ था , अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होने जो संघर्ष किया , उनके बदले मे उन्होने मान. यश, पद या देश से कोई अपेक्षा नही की. लेकिन सच तो यही है उनके अनुपम त्याग के बदले मे पराधीन सरकार व सत्त लोलूप जो आजादी को एक झाँसा बनाकर ,जनता को स्वाधीनता की लोलूप सरकारो ने भी उन्हे शारीरिक व मानसिक यंत्रणाए ही दी...???? 

क्रांतिकार्य, अस्पृश्यता निवारण , देशोरेम, स्वाभिमान , धर्मसुधारक,लिपी शुद्धी, धर्मांतरित लोगो का शुद्धीकरण, सप्त बंधन तोडने, स्वदेशी व्रत, विदेशी कपडों की होली , शुरूवात मे यह सब कार्य समाज मे विष के समान प्रतीत होती थी,लेकिन यह सब बाद मे समाज मे अमृत समान प्रतीत हुआ उन्होने कहा , ये सब कार्य, समाज को दोषपूर्ण लगे तो भी मै,उन्हे नही छोडूगा/ कारण सभी कार्य शुरूवात मे दोषपूर्ण होते है, इसलिए उन्होनें मिलने के लिए, कर्म, क्रांतीकर्म, अस्पृश्योद्वार का कर्य, अंतिम समय तक नही छोडा. 

ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे
उनकी यह भविष्यवाणी सच हुई,

यही हाल वीर सावरकर के जीवन के साथ भी, लालबहादुर शास्त्री के मौत के सदमे के बाद,वीर सावरकर बिमार होते गये ,
उन्होने कहा अब देश गर्त मे चला गया, अब मुझे इस देश मे जीना नही हैवीर सावरकर ने दवा लेने से इंकार कर दिया, एक बार डाक्टर ने उन्हे चाय मे दवा मिला कर दी, तो वीर सावरकर को पता चलने पर उन्होने चाय पीना भी बंद कर दिया , और एक राष्ट्र का महानायक इच्छा मृत्यु (कहे तो आत्महत्या) से चला गया.
वीर सावरकर की यह भविष्यवाणी भी सही निकली ……?????

आज का श्लोगन बन गया है…..
सच्चे का मुँह काला ..????
भ्रष्टाचार का बोलबाला……..
वीर सावरकर ने अपने मौत के पहने कहा कहा मेरी मौत पर कोई हडताल व देश के किसी नगर, शहर मे बंद का आयोजन नही होगा और जो मेरे जिदगी की 5000रू अमानत है, वह जो हिन्दू , मुस्लिम बने, उनके पुन: हिन्दु धर्म मे आने पर यह धन उनके शुध्हीकरण मे उपयोग मे लाना?

आज भी स्वर साम्राज्ञी कोकिला , भारतरत्न लता मगेशकर भी गला फाडकर चिल्ला रही है, वीर सावरकर को कोइ सम्मान नही मिला है, उनके वीरता की इस देश मे दुर्गति हुई है ………..

अब इस दुनिया ऐसा वीर सावरकर दुबारा पैदा नही होगा? देश के इतिहास को अन्धेर मे रखकर यो कहे देश के इतिहास को दफन कर दिया है….?????????


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