Saturday 20 June 2015

आजादी के मसीहा कहकर, पुतलों व सडकों के नाम देखकर.., आज भी भारतमाता “आह” भर रही है.., मेरे १२५ करोड़ बेटों को किस तरह जाति, भाषा व धर्मपरिवर्तन से आपस में, लड़ाकर, पुन: मुझे विदेशी जंजीरों से बांधने का प्रयास किया जा रहा है..



अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रथम दिवस की शुभ वेला पर.., वीर सावरकर के इन सात सूत्रों के मंत्र को...,  यदि देशवासी, इसका समाज में  “योग” करे तो..,  देश में ही नहीं, दुनिया से जातिवाद मिट जाएगा...,

 

१.  100 साल पहिले  कही गई भविष्यवाणी को, हिन्दुस्तान के समाज के संकीर्ण लोगों से, सत्ता के चटखोरों ने “हिंदुत्व के बंधुत्व” के तत्व में जातिवाद का जहर डालकर..,इस हिन्दुस्थान को सिकुड़ने का ही योगदान दिया

२.   सत्तापरिवर्तन से आज तक की सभी सरकारों ने वीर सावरकर की कीर्ती को आगे नहीं आने दिया..!!!, राष्ट्रीय  स्तर के कार्यक्रम तो दूर की कौड़ी.., आज भी इन्हें देशद्रोही की श्रेणी में रखा है..,

३.  आशा करता हूं..., वर्तमान सरकार, आगामी २६ फरवरी २०१६ को वीर सावरकर की “५० वीं  पूण्य तिथी” पर इस महापूण्य आत्मा की कीर्ती को जगा कर राष्ट्रीय समारोह के आयोजन से,  देश में राष्ट्रवादी जोश से एक नयी ऊर्जा का संचार करेगी ..,                                                                                          

 

सावरकर का जीवन परिचय:

१.   बाल्यकाल के सातवें वर्ष से ही.., ब्रिटिश सत्ता को उखाड़  फेकने का जूनून..

२.   १६ साल की आयु में,  भवानी माता के मंदिर में, छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह  प्रतिज्ञा लेकर, मौत से न डरने वाले वीर सावरकर.., अन्तत: अपने कार्यों में सफल रहे.

३.   वीर सावरकर का  सम्पूर्ण  जीवन,व्यभिचार मुक्त  100% शुद्ध  रहा .., गुलाम भारत के समय, इंग्लैंड में  उन्होंने अपनी विदेशी मित्र महिला साथियों द्वारा प्यार का इजहार करने पर  कहा था..,  मैं सिर्फ भारतमाता से प्यार करता हूं.., विवाह के बाद, मैं  अपनी  पत्नी से प्यार करूंगा..

४.   अपनी जवानी के   १३ मार्च १९१० से लेकर १० मई १९३७ तक २७ वर्षो की अमानवीय पीडा भोग कर उच्च मनोबल, ज्ञान और शक्ति साथ
वह जेल से बाहर निकले जैसे अंधेरा चीर कर सूर्य निकलता है.

५.   दुनिया में एकमात्र वीर सावरकर. जिन्होंने अपने परिवार को देश के बलिदान में झोंक दिया, अपना सम्पूर्ण जीवन, सम्पती.., 100% ज्ञान राष्ट्र के लिए समर्पीत करने के बावजूद, कभी सत्तालोलुप नहीं रहें..

६.  १९६० में देश की लुंज-पुंज स्तिथी देखकर.., वीर सावरकर ने, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को चुनौती देते हुए कहा था.., “मैं सत्तालोलुप नहीं हूं..., यदि आप मुझे २ साल के लिए सत्ता दें. तो मैं देशवासियों के राष्ट्रबल से देश को बलशाली  बनाऊंगा, ताकि कोई दुश्मन हमारी तरफ आँख उठाकर न देखें...”

७.   दोस्तों, वीर सावरकर का कितना भी बखान किया जाय कम हैं , वे तो, गुणों के खान थे..., देश के प्रति राष्ट्रभक्ति आज राष्ट्र ऋणी है..,

 


८.   आजादी के मसीहा कहकर, पुतलों व सडकों के नाम देखकर.., आज भी भारतमाता “आह” भर रही है.., मेरे १२५ करोड़ बेटों को किस तरह जाति, भाषा व धर्मपरिवर्तन से  आपस में, लड़ाकर, पुन: मुझे विदेशी जंजीरों से बांधने का प्रयास किया जा रहा है..  

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