प्रणव दा आपकी ८५ वर्ष की आयु में ३१ अगस्त में देहांत से श्रधांजली
...,
आपकी इच्छा भगवान् ने पुरी कर दी जो आप
बचपन की कल्पना से आप कहते थे “काश. मैं राष्ट्रपति भवन का घोड़ा होता...,
भगवान अगले जन्म में मुझे इस भवन का घोड़ा बनाना.... “
अब आप पवन वेग के घोड़े द्वारा ,
पहुँचे देवलोक के द्वार,अब हुआ तुम्हारा भव्य सत्कार...
दुःख सिर्फ इस बात का है की दुश्मन देश
के “कोरोना” ने आप जो देश के "भूतपूर्व प्रथम नागरिक" को मात दे कर आपकी
जीवन लीला छीन ली ..
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