Monday 29 July 2019




१९४७ से पहिले देश मैं बाघों की संख्या ५० हजार से अधिक थी.., अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस में देश में २००६  में बाघों की संख्या १४११ से बढ़कर २०१९ में देश में २९५० से अधिक बाघ होने का हम दंभ भर रहें हैं

अशोक स्तंभ बना... 90% देशवासियों के लिए शोक स्तंभक्योंकि ९०% बाघों की ह्त्या सुनोजियत तरीकों से राजनैतिक शिकारियों की शह पर हुई है , जो 9% भार- रत तलुवे चाटुओंअंग्रेजी संस्कृति को माननेवालों के लिए बना शिकार का शौक स्तंभ, , 1% लोगजो अपने को अंग्रेजों की औलादें समझने वालों के लिये बना यह देश  लूट भ्रष्टाचार के माफियाओं के शौक के साथ मौज मस्ती का आलम का स्तंभ...जो आज की मीडिया कोअपनी जुठी रोटी देकरपेट भरी मीडिया बनाकरअपना प्रचार करअपने को देश का कर्णधार कहलवा रही हैं , और देश की खानखदानइमानसत्ताधारियों की आड मे बेचकर , खरबपति से कही ज्यादा अमीर बनकर अपने को अर्थव्यवस्था का स्तंभ कहकर.... देश मे दंभ भर रहे है…..????? 

न जात पर न पात पर , मुहर लगाओ राष्ट्रवाद पर..,” नहीं तो..यहहमारे गणतंत्र दिवस/स्वतंत्रता दिवस व संविधान के प्रति बेईमानी है..... दोस्तों....बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है. संविधान में जितने क़ानून हैउससे ज्यादा छोटे मोटे घोटालों की गिनती करें तो वे कहीं ज्यादा है...हमारे घोटाले तो संविधान से भी महान है ... 

देश की संस्कृति के साथभाषा का लोप , इन भ्रष्टाचारी माफियाओं के लिए लूट का आगे का सरल लोभ हैताकि देशवासियों अग्रेजी भाषा से अपनी गुलामी को सलाम करें ... 
आज १३० करोड जनता भी, ७३सालों से सत्ताधारियो के आस मे बैठी है कि उनके विकास द्वारा हीदेश का कल्याण होगादेशवासियों अब यहा भ्रम छोडो ... राष्ट्रवाद की धारा मे आकर ही. हम 5 सालों मे 50 साल आगे बढेंगे... .

विदेशी कर्ज से
देश के मर्ज को दूर करने का झॉसा देकरइन सत्ताधारियो नेदेश मे महंगाई से गरीबी का कैंसर फैला दिया है

हेनरी क्लिग्टन ने अपने विदेश मंत्री के कार्यकाल मे कहा था……, हम इलेक्ट्रोनिक व अन्य वस्तुये , चीनताईवानकोरिया से खरीदते हैलेकिन हम दिमाग ”हिंदुस्थानियों’ का खरीदतें है... , हमारा ज्ञानविज्ञानविश्व के अमीर देशों मे पलायन करविदेशियों को उन्न्त बना रहा है क्योकिदेश मे हमारी प्रतिभाओं को सम्मान नही मिलता है..?? , 

नोबल पुरूस्कार विजेता चंद्रशेखर वेंकट रमन ने कहा थाकि “विदेशी वस्तुओं का आयात मतलबहम अपनी मुर्खता खरीदतें है” , इसी का चीन ने अनुसरण कर विदेशी आयातित सामानों को और उन्न्त बनाकरविदेशों मे बेचकर वह भारी सख्या मे विदेशी मुद्रा भंडार से लबालब है, ( ध्यान रहे... चीन हमारे से भारी मात्रा मे कच्चा लोहा आयात करता है ,व हमारे देश मे कुशल करीगरों द्वारा बनायी जाने वालीवस्तुओं काआधी किमत मे निर्यात करबेरोजगारी फैला रहा है) 

1947 मे “सता परिवर्तन” को “आजादी का झॉसा देकर”, सभीनये सत्ताधारियों नेआज तक हमेंअलगाववादजातिवादभाषावाद की जंजीरों से बांधकर....अफीमी नारों के चादर सेहमें सुला रखा है... आओ कसम खाये...हम देश की माटी (खान खदानइमान) बिकने नही देंगे..
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नेताओं की आस सेआज देशवासी हताश है , आओं... देश के कैसर शब्द को सेंसर कर (प्रतिबंधित कर) 100 करोड से ज्यादा लोगों के मुठठी बल से, 24 घंटे योगदान कर... हम सब सनातनी खून से (जोहर धर्म का जो खून है)देश के दहाड्ते शेर बनकरएक सुनहरा हिंदुस्थान बनायेवंदेमातरम (मातृभूमि की सेवा) व राष्ट्रवाद (पितृसेवा - मेहनत) सेएक वैभवशाली , गौरवतमभव्य महानतम देश बनाये.







दोस्तों.., हमारे देश की भव्यता को देखे ... दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा उपजाऊ जमीन, नदियों का जाल, दुनिया का सबसे तेज दिमाग , लोहे व अन्य खदानों का भण्डार ...लेकिन हमारे सत्त्ताखोरों ने राष्ट्रवाद को दरकिनार कर हमें धर्मनिरपेक्ष के झांसे से साम्प्रयवाद के छुपे रंग से वोट बैंक की आड़ में घुसपैठीयों के वोट बैंक से देश के तिरंगे को बदरंग कर दिया है 

आओ.,पार्टी नहीं देश का पार्ट बने, “मैं देश के लिए बना हूँ, देश की माटी बिकने नहीं दूंगा, “राष्ट्रवाद की खादसे भारतमाता के वैभव से देश को भव्यशाली बनाएं
याद रहे , अमेरिका की विदेश मंत्री हेनरी क्लिंगटन ने अपने कार्यकाल में कहा था हम टी,वी. व इलक्ट्रोनिक व अन्य वस्तुयें चीन, ताईवान,कोरिया, वियतनाम से खरीदते है, लेकिन हम तेजस्वी दिमाग हिन्दुस्तान से खरीदते हैं

आज हमारे देश के वैज्ञानिकों को सम्मान न मिलने से , वे विश्व में अपना लोहा मनवाकर, संपन्न देशों को गौरान्वित कर रहें हैं 

हर साख पर लुटेरा है, पेड़ में पत्ते से ज्यादा भ्रष्टाचार के दीमक ...जातिवाद, भाषावाद, अलगाववाद के दिमाग से पेड़ (देश) को खोखला बना रहें है,
आओ..., राष्ट्रवाद को जीवन की धारा बनाये..... , और हम सब ...नदियों के रूप मे मिलकर, देश को, सुख - संपन्न्ता व वैभव का एक महासागर बनायें .... 

सत्य मेव जयते…., अब बना , सत्ता मेवा जयते ....????, सत्ता एक मेवा है, इसकी जय है (जो, मेरे वेबस्थल का स्लोगन है...), और , इसी की आड मे सत्यम शिवम सुंदरम.... सत्ता एक मेवा है (सत्यम), जो भ्रष्टाचार के त्रिशूल से (शिवम है), और भारत निर्माणके मेक अप से देश की सुंदरता के बखान से (सुंदरम है ),


एक ओटो रिक्शा के पीछे लिखा था सत्य परेशान होता है... लेकिन पराजित नही होता..??. आज के माहौल मे सत्य इतना परेशान होता है कि असत्य के हमले से आत्महत्या कर लेता है., (किसान आत्महत्या/ भूखमरी योजनाओं को, सत्ताखोरों के डकारने से, गरीबी से मौत )....

(आज के कानून की परिभाषा = कान+ऊन = कान मे ऊन = गरीबों के न्याय मे, कानून बहरा है, और भ्रष्ट अमीरों व माफियाओं के लिए कानून ... सेहरा बनकर, उनके गलत कृत्यों को सरताज कहकर, उन्हे, एक एक , नये - नये ताज पहना रहा है….????) यही, आज का कानून, जो... गरीबों की गुहार सुनने के बजाय, कान मे ऊन डाल कर, तारीख पर तारीख देकर उसे प्रताडित करते रह्ता है. भ्रष्ट सत्ताखोरो, नौकरशाहों व माफियाओ के डर से जजशाही भी, कही अपना निवाला ना छिन जाये, इसलिए इनके चरण दास बन कर..... सत्य की परेशानी को और बढावा दे रही है.

इस  वेब स्थल का दूसरा स्लोगन है मेरा संविधान महान.... यहा हर माफिया पहलवान.... क्योंकि.... कानून से ज्यादा, आज पैसा है, बलवान... तो, क्यों ना डूबे हिंदुस्थान... भ्रष्टाचारी बने राजा... तो, क्यों ना बजे देश का बैंड बाजा....? और हर योजनायें, भोजनाये बन के खाजा , तो भी नही होगा बाल बॉका ... 

दोस्तो... जिस देश मे राष्ट्रवाद नही है, वहां, कर्ज की महामारी है, सत्ता खोरो मे लूट की खुमारी है, जनता के शोषण से राष्ट्र को बीमारी है... यही डूबते देश की कहानी है, राष्ट्रवाद की पुकार से ही.. हो , राष्ट्र की ललकार...???? हर दहाड़ , दुश्मनों के लिए बने पहाड़.

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