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वीर सावरकर..., देश के दिव्यमान वीर ही नहीं परमवीर शब्द की व्याख्या भी फीकी है..., जिनकी आज तक ४० भविष्यवानी वाणी सार्थक हुई हैं.. जिन्होंने गुलाम भारत के जेल में पहला अनशन किया था..., उनके उदगार १०० साल बाद, भी सार्थक है.. “अनशन, देश की गुलामी की भक्ती है और समय की बर्बादी है”
आज तो रेलवे पटरी में आत्महत्या करने वाला शख्स भी, अपनी जान की परवाह करने के लिए, अपने साथ खाने का डब्बा ले जाता है.., ताकि रेल गाड़ी के समय पर न आने से, उसे भूख लगने पर भोजन करें ..,
अन्ना को “गांधी” बनाकर, अन्ना को चार आना कहकर , अब नौटंकी वाल चारों खाने चित्त हो गए है..,
एक ज्ञानवर्धक कहानी है...जो आपने भी पढ़ी होगी.., एक गरीब के पास उत्तम घोड़ा था , एक डाकू की नजर उसमें पड़ी तो उसने मुंहमांगी कीमत देने को तैयार हुआ तो उसने कहा यह घोड़ा मेरे जीवन का अंग है.., मैं इसे बेच नहीं सकता, तब वह डाकू, सड़क किनारे,भिखारी का वेष बदलकर, कराहते हुए, मदद मांगते हुए उसके घोड़े में बैठकर, उसके घोड़े को लेकर भाग जाते समय, उस गरीब ने डाकू से कहा “मेरा घोड़ा तो तुमने ले लिया है..., लेकिन इसकी चर्चा गाँव वालों से नहीं करना,,नहीं तो गरीबों व भिखारियों से लोगों का विश्वास उठा जाएगा...,
नौटंकीवाल ने तो अपना डाकू का रूप देश व दुनिया को बताकर.. इस घोड़े से जंग जीतने के ख्वाब से ध्वस्त हो गया है...
जब,अन्ना का अनशन रूपी घोड़े से, देश में जनता को एक क्रांती का आगास हो रहा था, जनता भी इस घोड़े के साथ दौड़ लगाने को आतुर होकर उनमे भी आत्मबल जागृत हो रहा था ...
तब अन्ना की मंडली ने इस घोड़े को रोककर , सत्ता के डाकू बनकर, चुरा लिया..., अब यह खबर आम जनता तक पहुँच चुकी है...
अब जनता भी आने वाले अनशन को भी संशयित आँखों से देख रही है...
आज देश में जितने भी अनशन हुए हैं... वे सभी देश के UN-SON साबित हुए हैं..., भारत माता के गद्दार पुत्र, जिन्होंने अपने उद्धार के लिए, भारत माता के अंग काटने में भी संकोच नही किया..., वे गुलामों को भरमाने के लिए अंग्रेजों के सेफ्टी वाल्व बन कर..., आज बापू, महात्मा व चाचा की उपाधी से नवाजे गए हैं.. और तो और १९४७ में छूपी संधि से “सत्ता का हस्तांतरण कर”... “रण” जीतने का जश्न मनाकर, दावा कर, “आजादी” का झांसा देकर, आज भी १८७२ का गुलामों का क़ानून लागू कर..., लाखों मोहल्लों की सडकों से देश के संस्थान अपने नाम कर..., देश को गुमराह कर रहें है...
इस आड़ में अंग्रेजों के सत्ता के भेदियों द्वारा क्रांतीकारियों की आवाज दबाकर , ये भेडियें , १९४७ में देशप्रेमी का चोला पहनकर आज भी देश के मसीहा की सूची में है...
आज गांधी को विश्व का अग्रणी शांती दूत का तमगा देकर.., अनशन के प्रयोग के जन्मदाता के रूप में देश में भरमाया जाता है....
यह शांती का दूत..????, कपूत निकला.., याद रहे, इस अनशन की खाल में बापू ने .., दो विश्व युध्ह में २ लाख हिंदुस्थानी सैनिकों की अकारण बलि देकर, जो कुत्ते की मौत मारे गए थे .. व १९४७ में देश का अंग भंग कर ५ लाख हिन्दुस्थानियो की बलि लेकर..., इस अहिसा के परदे में खूनी खेल खेलकर, आज तक शांती दूत का चेहरा दिखाया है...
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