नौटंकीवाल पहले अपने को गुदड़ी का लाल कहकर इस्तीफा देने पर अपने तुलना प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री व साहस से अपने को सरदार भगतसिंग कह कर संसद के प्रधानमंत्री का ख्वाब देख रहा था ,मफलर के चोले में, मखमली सत्ता के छोले के खाने के चक्कर में जनता के थप्पड़ के शोले से अब अहसास हो रहा है कि अब आम आदमी के चोले में ख़ास आदमी छिपा है..अब आम आदमी के थप्पड़ को विरोधीयों का थप्पड़ कहता है
अन्ना को गन्ना बनाकर चूसने के बाद , क्रांती को भ्रांती से, अन्ना को दूर कर अपने को सत्ता का बन्ना (दुल्हा) बनने के चक्कर में विनोद बिन्नी ने केजरीवाल की सत्ता को चूल्हे में झोंक कर , कहा आम आदमी पार्टी की अलख जगाने में मैंने दिन रात एक कर इस पार्टी को दिल की आग से प्रज्वलित किया है... केजरीवाल मेरी कडाई में ही सत्ता की पुरी खाने के चक्कर में , मुझे आग में तपा रहा है...., तो विनोद बिन्नी ने अपनी कडाई सरकाकर ... केजरीवाल को सत्ता की आग में झोंक दिया,
इस प्रवृत्ती को देखकर , पार्टी के दिग्गज भी केजरीवाल से किनारा कर गए....,इसलिए मफलरवाल को अब हो रहा है... सत्ता का मलाल ...
वही ओटोरिक्षा चालाक “लाली’का हाथ नहीं , हथौड़े वाला झापड़ का बयान आया कि मैंने ४ महीने की मेहनत से अपनी रोजी –रोटी छोड़कर , मुहल्ले के जनसमुदाय के समर्थन से केजरीवाल के विधायक को जिताया ... लेकिन वह प्रधानमंत्री पद के पकोड़े खाने के चक्कर में भगोड़े बन गए ...
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